डाक्टरों की टीम ने गैरसैंण ब्लॉक के सारकोट जाकर शहीद की माताजी का किया स्वास्थ्य परीक्षण, किया उपचार

मंगलवार को गैरसैंण ब्लॉक के सारकोट के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि शहीद बसुदेव सिंह की माताजी माहेश्वरी देवी का स्वास्थ्य खराब है। इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए डॉक्टरों की एक टीम सारकोट भेजी। जहां डॉ राजेश गैडी व डॉ ज्योति ने शहीद की माताजी का स्वास्थ्य परीक्षण किया और आवश्यक दवाइयां दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को इस संबंध में नियमित फॉलोअप करने को कहा।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने कहा है कि जरूरत हुई तो जिला चिकित्सालय से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम सारकोट भेजी जाएगी।

पर्वतीय व दुर्गम क्षेत्रों में निर्धारित सेवा पूरी करने वाले चिकित्सकों को मिलेगा लाभ, लंबे समय की जा रही थी एसडीएसीपी की मांग

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने दन्त चिकित्साधिकारियों को एस०डी०ए०सी०पी० की बड़ी सौगात दी है। इसका लाभ प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के उन चिकित्साधिकारियों को मिलेगा जिन्होंने पर्वतीय व दुर्गम क्षेत्रों में अपनी निर्धारित सेवा अवधि पूरी कर ली है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कार्मिकों के हितों को लेकर लगातार गंभीर रहते हैं। जिसका परिणाम है कि चिकित्सकों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो गई है। उन्होंने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए एस०डी०ए०सी०पी० से लाभान्वित होने वाले दंत चिकित्सकों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा लंबे समय से दंत चिकित्सकों की एस०डी०ए०सी०पी० देने की मांग थी। स्वास्थ्य सचिव ने कहा स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा की गयी संस्तुति के आधार पर शासन स्तर पर प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्साधिकारियों को एस०डी०ए०सी०पी० का लाभ दिये जाने के आदेश जारी कर दिये गये हैं।

71 दन्त चिकित्साधिकारियों को मिलेगा लाभ

स्वास्थ्य सचिव ने कहा 04 वर्ष की संतोषजनक सेवा व 02 वर्ष की पर्वतीय/दुर्गम सेवा पूर्ण करने वाले प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के 63 दंत चिकित्सकों को इसका लाभ मिलेगा। इसके साथ ही 09 वर्ष की संतोषजनक सेवा व 05 वर्ष की पर्वतीय/दुर्गम सेवा पूर्ण करने वाले प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के 05 चिकित्सकों को इसका लाभ मिलेगा। इसके साथ ही वहीं 20 वर्ष की संतोषजनक सेवा व 09 वर्ष की पर्वतीय/दुर्गम सेवा पूर्ण करने वाले प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के 03 चिकित्सकों को इसका लाभ मिलेगा।

चिकित्सकों की हर न्यायोचित मांग का होगा समाधान-डॉ आर राजेश कुमार

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा चिकित्सकों की मांगों को लेकर सरकार हमेशा गंभीर रही है। उन्होंने कहा हर न्यायोचित मांग का समाधान करने के लिए शासन लगातार प्रयासरत है। उन्होंने कहा चिकित्सकों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर और सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार कर पूरा किया जा रहा है। उन्होंने सभी चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा कि वह पूरे मनोयोग व निष्ठा के साथ कार्य करते रहें, उनकी मांगों के समाधान और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।

सितारगंज सीएचसी व मोरी पीएचसी में विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित अन्य पदों को मिली स्वीकृति

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में ऊधमसिंह नगर जनपद के सितारगंज में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सालय और उत्तरकाशी जिले के मोरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उच्चीकृत कर दिया गया है। अब दोनों अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ डॉक्टरों की तैनाती होने से क्षेत्रवासियों को बेहतर इलाज के लिए महानगरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। क्षेत्रीय जनता ने इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत का धन्यवाद प्रकट किया है।

प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार के अनुसार सितारगंज के 30 शैय्यायुक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 90 शैय्यायुक्त उप जिला चिकित्सालय में उच्चीकृत किया गया है। अस्पताल के संचालन के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक समेत कुल 65 पदों की स्वीकृति दी गई है। इनमें 40 पद (20 नियमित एवं 20 आउटसोर्स) नए सृजित किए गए हैं। नवसृजित पदों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के अलावा एक आर्थाेपेडिक सर्जन, एक नेत्र शल्यक, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट, चार वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, 10 नर्सिंग अधिकारी, एक लैब टेक्नीशियन शामिल है। यह सभी पद नियमित अस्थायी होंगे। इसके अलावा 20 पद आउटसोर्स से होंगे।

इसी प्रकार मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मोरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया है। अस्पताल के संचालन के लिए 37 पदों (25 अस्थायी व 12 आउटसोर्स) की स्वीकृति दी गई है। स्वीकृत पदों में चिकित्सा अधीक्षक, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, दंत शल्यक, नर्सिंग अधिकारी, लैब टेक्नीशियन आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।

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जन-स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए चिकित्सा संस्थानों के उच्चीकरण के साथ ही उन्हें अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। पर्वतीय जिलों में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ ही वहां डॉक्टरों की तैनाती, जीवन रक्षक उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया है। डॉक्टरों को अस्पतालों में अपनी ड्यूटी पर अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।

– पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री, उत्तराखंड 

नजरिय धामी सरकार काः स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए 250 पद होंगे सृजित, 141 बैड का रैन बसेरा भी बनाया जाएगा

केंद्र सरकार ने हल्द्वानी में स्वामी राम कैसर अस्पताल के विस्तारीकरण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने यहां 44 पेड़ों के कटान को अनुमति दे दी है। इसके बाद अस्पताल के विस्तारीकरण की राह आसान हो गयी है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा है कि इस अस्पताल के निर्माण के बाद कैंसर के रोगियों को एक ही स्थान पर कैंसर की सम्पूर्ण जांचे एवं उत्कृष्ट उपचार उपलब्ध होगा। मरीजों को कैंसर उपचार के लिए अन्य शहरों की तरफ नहीं जाना पड़ेगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि राज्य कैंसर संस्थान हल्द्वानी की स्थापना के लिए 103.6565 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गयी। जिसके सापेक्ष वर्ष-2021 में 69.00 करोड रुपये़ राज्य सरकार को अवमुक्त किये गये। राज्य सरकार द्वारा कुल 152 पदों को स्वीकृत किया जा चुका है। इसके अलावा अतिआवश्यक 255 अन्य पदों की स्वीकृति का प्रस्ताव शासन के पास अनुमोदन भेजा जा चुका है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के अथक प्रयासों के तहत राज्य कैंसर संस्थान हल्द्वानी के प्रथम चरण का निर्माण प्रारम्भ करने के लिए भूमि और अन्य औपचारिकताएं पूर्ण की जा चुकी हैं। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि अस्पताल का निर्माण कार्य दो चरणों में होगा। पहले चरण में वार्ड ब्लॉक और सर्विस ब्लॉक का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा। अस्पताल के उच्चस्तरीय अत्याधुनिक मशीनें खरीदने की प्रक्रिया भी चल रही है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि दूसरे चरण में डायग्नोस्टिक ब्लॉक, न्यूक्लियर मेडिसिन ब्लॉक प्रिवेन्टिव ऑन्कोलॉजी, व अन्य स्पेशियलिटी एवं सुपर स्पेशलिटी विभाग स्थापित किये जायेंगे। इससे रक्त आदि की जांच एक ही जगह पर हो सकेंगी। यहां न्यूक्लियर मेडिसिन समेत 31 विभाग होंगे। कैंसर मरीजों की थेरेपी के लिए सीटी सिमूलेटर आदि मशीनें आएंगी। रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड आदि जांचें भी की जाएंगी। डायग्नोस्टिक ब्लॉक में ब्लड बैंक, पैथोलॉजी लैब, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री लैब भी होगी। प्रथम व द्वितीय चरण में कुल 196 बैड का निर्माण किया जायेगा। साथ ही रोगियों व उनके तीमारदारों के लम्बे उपचार के लिए ठहरने के लिए 141 शैय्या युक्त रैन बसेरा भी बनाया जायेगा।

गौरतलब है कि हल्द्वानी के 1.75 हेक्टेयर वन भूमि में निर्मित परिसर का नियमितिकरण राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी को करने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी 22. सितम्बर 2022 को प्रदान की गयी। प्रथम चरण के निर्माण कार्यों के अन्तर्गत नये वार्ड एवं नये सर्विस ब्लॉक के निर्माण के लिए ले आऊट में विद्यमान 44 वृक्षों के पतन की अनुमति के लिए केंद्र सरकार से अपील की गयी थी। केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति दे दी है।

मुख्य सचिव ने एम्स ऋषिकेश से आरम्भ होने वाली ऐरो मेडिकल सर्विस के सम्बन्ध में बैठक ली

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जल्द ही एम्स ऋषिकेश से आरम्भ होने वाली ऐरो मेडिकल सर्विस के सम्बन्ध में शीघ्र ही एसओपी को अन्तिम रूप देने के निर्देश दिए हैं। सीएस रतूड़ी ने एम्स ऋशिकेश से सभी जिलाधिकारियों, सीएमओ, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारियों व अन्य हितधारकों के साथ समन्वय कर अन्तिम रूप से एसओपी तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को प्रेशित करने को कहा है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि एसओपी में राज्य के दुर्गम क्षेत्रों की गंभीर स्थिति वाली गर्भवती महिलाओं जिन्हें तत्काल आपात चिकित्सा सेवा की आवश्यकता हो, को एम्स की हेली इमरजेन्सी मेडिकल सेवाओं का शीर्श प्राथमिकता पर लाभ मिलना चाहिए।

एम्स ऋषिकेश द्वारा जानकारी दी गई कि ऐरो मेडिकल सर्विस की एसओपी तैयार हो गई है। हेली इमरजेंसी मेडिकल सर्विस कॉल सेन्टर स्थापित कर दिया गया है। हेल्पलाइन ऑडिट प्रोसेजर्स की गुणवत्ता सुधार पर कार्य प्रगति पर है। एम्स के मेडिकल स्टाफ व टीम की कैपिसिटी बिल्डिंग पर कार्य किया जा रहा है।

बैठक में अपर सचिव सोनिका, नमामि बंसल तथा निदेशक एम्स ऋषिकेश वर्चुअल माध्यम से मौजूद रही।

मैराथन बैठक में विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को दिये कार्यों में तेजी के निर्देश

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ सूबे के प्रत्येक व्यक्ति को मिले। जिसके लिये योजनाओं के क्रियान्वयन एवं मॉनिटिरिंग के साथ ही प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। जनपद स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकारी समय-समय पर योजनाओं की समीक्षा करेंगे।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज स्वास्थ्य महानिदेशालय स्थित एनएचएम सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की। डॉ. रावत ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ आमजन तक पहुचाने के दृष्टिगत विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। जिनके धरातल पर क्रियान्वयन, मॉनिटिरिंग व प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। इसके लिये परियोजना से जुड़े सभी अधिकारियों एवं कार्मिकों को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर के साथ-साथ जनपद स्तर पर भी विभिन्न योजनाओं की समय पर मॉनिटिरिंग अति आवश्यक है। जिसके लिये उन्होंने सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं परियोजना के डीपीएम को निर्देश दिये हैं। विभागीय मंत्री ने कहा कि एनएचएम के अंतर्गत राज्य में लगभग 28 स्वास्थ्य परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसमें मोतियाविंद का निःशुल्क उपचार एवं चश्मा वितरण, टीबी उन्मूलन, जनन सुरक्षा, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, एनसीडी एवं कृमि मुक्त कार्यक्रम, संस्थागत प्रसव, तम्बाकू उन्मूलन, निःशुल्क जांच एवं औषधि वितरण तथा आशा कार्यक्रम आदि प्रमुख है। जिनका लाभ शत-प्रतिशत प्रदेश के अंतिम गांव के लोगों तक पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों की गाइडलाइन के अनुरूप शत-प्रतिशत परिणाम देना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रदेश में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव के लिये रोड़मैप तैयार करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त खुशियों की सवारी कार्यक्रम के तहत वाहनों की संख्या बढ़ाई जायेगी जिसके लिये प्रत्येक जनपद से सीएमओ प्रस्ताव उपलब्ध करायेंगे।

समीक्षा बैठक में दौरान विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं से जुड़े अधिकारियों द्वारा योजना के संबंध में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया गया। इस दौरान विभागीय मंत्री ने कई योजनाओं की प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुये अधिकारियों को फटकार लगाते हुये कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। प्रस्तुति के दौरान अधिकारियों द्वारा बताया गया कि टीबी उन्मूलन एवं राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में प्रदेश का राष्ट्रीय स्तर पर चौथा स्थान है जबकि जननी सुरक्षा योजना एवं संस्थागत प्रसव कार्यक्रमों की प्रगति को सभी संतोषजनक बताया गया।

बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद उत्तराखंड के उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, कुलपति उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रो. एम.एल. ब्रह्म भट्ट, एमडी एनएचएम स्वाती भदौरिया, सलाहकार एनएचएम डॉ. तृप्ति बहुगुणा, अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. तारा आर्य, निदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, डॉ. मीतू शाह, वित्त नियंत्रक एनएचएम दिपाली भरने, सीएमओ देहरादून डॉ. संजय जैन, डॉ. आर.के.सिंह, डॉ. तुहिन कुमार, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. महेन्द्र मौर्य सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे जबकि सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारी व डीपीएम ने बैठक में वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया।

हीमोफीलिया मरीजों को लेकर गंभीर सीएम धामी, बोले नहीं होने देंगे दवाईयों की कमी

राज्य में हीमोफीलिया मरीजों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री ने आज स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार से राज्य में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या व उनको मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी नहीं होने दी जाये। प्रत्येक मरीज को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले इसका पूरा ध्यान रखा जाये।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी पंजीकृत है। जिनके उपचार हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ व नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा पूर्व में हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर हेतु राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एस०एस० जे० बेस हल्द्वानी नैनीताल एवं संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार, पौडी जाना पडता है। परन्तु पिछले पाँच वर्षों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया के ग्रसित रोगियों को उपचार हेतु हीमोफीलिया फैक्टर उनकी निकटतम् चिकित्सा ईकाई पर उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया वर्तमान में राज्य में फैक्टर-7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा शीघ्र ही सम्बन्धित चिकित्सा ईकाईयों को फैक्टर-8 और फैक्टर-9 भी उपलब्ध करा दिये जायेगें।

स्वास्थ्य सचिव ने अवगत कराया कि उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देशित किया है कि वह ब्यक्तिगत रूप में प्रत्येक माह हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करे तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक माह हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं का संज्ञान ले व इस बीमारी को लेकर सरकार दुआरा निःशुल्क दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराए।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें पीडित व्यक्ति के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है। हीमोफीलिया पीडितों के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति होती है और चोट लगने पर रक्तस्त्राव जारी रहता है। यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है, महिलाओ में इस रोग के लक्षण अक्सर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं पर वह रोग की वाहक होती है। कभी कभार यह रोग महिलाओ को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा हीमोफीलिया युक्त व्यक्तियों के रक्तस्त्राव तेज नही होता अपितु लगातार व लम्बी अवधि तक होता रहता है। सामान्य व्यक्ति, बाह्य चोट जैसे कटने, छिलने चोट लगने से बचाने का ध्यान रखता हैं, किन्तु हीमोफीलिया में बाह्य चोट के अलावा अंदरूनी रक्तस्त्राव भी बहुत गम्भीर हो सकता हैं। जिससे कि हाथ व पैरों के जोडों व मांसपेशियों के अकडाहट, दर्द, जोडों का खराब होना, विकलांगता और कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है।

मानसून अवधि में साफ-सफाई व डेंगू-मलेरिया को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर

मानसूनी सीजन के दौरान साफ-सफाई सहित डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के प्रति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद गंभीर हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर शहरी विकास निदेशक ने राज्य के समस्त नगर आयुक्तों एवं अधिशासी अधिकारियों को प्रतिदिन अपने क्षेत्रों में दो बार भ्रमण कर आख्या निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

मानसून सीजन में जल-जनित बीमारियों से लेकर डेंगू-मलेरिया का खतरा बना रहता है। विगत दिनों मुख्यमंत्री ने इस संबंध में बैठक लेकर जल भराव, साफ सफाई तथा डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों से बचाव हेतु आवश्यक निर्देश जारी किए गए थे।

इसी क्रम में शहरी विकास निदेशक नितिन सिंह भदौरिया ने समस्त नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को पत्र जारी कर मुख्यमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप इस संबंध में प्रभावी उपाय एवं अनुश्रवण करते हुए प्रतिदिन निकाय क्षेत्र में दो बार भ्रमण कर अनुपालन आख्या निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकत्री और एएनएम के माध्यम से गर्भवती माताओं का ट्रेकिंग सिस्टम अपडेट रखेंः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि बच्चों में कुपोषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जच्चा और बच्चा दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकत्री और एएनएम के माध्यम से गर्भवती माताओं का ट्रेकिंग सिस्टम अपडेट रखा जाए। एनीमिया की कमी को दूर करने के लिए महिलाओं को मिलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चत की जाए। आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों और माताओं को दिये जाने वाले पुष्टाहार की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। पुष्टाहार की आकस्मिक रूप से गुणवत्ता जांच भी की जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि कुपोषण से मुक्ति, मातृ-शिशु मृत्यु दर को और कम करने के लिए राज्य के कुछ गांवों को आकांक्षी गांवों के रूप में लिया जाए। कुपोषण से मुक्ति के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को आपसी समन्वय के साथ संचालित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत राज्य में बालिकाओं को बेहतर शिक्षा और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गई योजनाओं को और अधिक व्यवहारिक बनाया जाय। महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं के कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, चन्द्रेश यादव, निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास प्रशांत आर्य उपस्थित थे।

पर्वतीय जनपदों में वन स्टॉप सेन्टर गर्भवती महिलाओं के लिए बनेगा प्रतीक्षालय

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं तथा नवजात बच्चों के लिए आंगनबाड़ियों में वेक्सीनेशन की अनिवार्यतः व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। राज्य के पर्वतीय जिलों में दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव की सुविधा आसानी से मिले इसके लिए मुख्य सचिव ने पर्वतीय जनपदों में वन स्टॉप सेन्टर को गर्भवती महिलाओं हेतु प्रतीक्षालय के रूप में उपयोग करने की व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए एएनसी (प्रसव पूर्व जांच) की जांच की अनिवार्य व्यवस्था के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने हरिद्वार जैसे उच्च मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर वाले जिलों में ग्राम एवं ब्लॉक स्तर पर कैम्प लगा कर गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच की सुविधा पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक प्रसव करवाने हेतु एएनसी जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं की काउन्सिलिंग करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में गैर सरकारी संस्थाओं एवं सामाजिक संस्थाओं की मदद लेने के निर्देश भी दिए। हरिद्वार जैसे जिलों में संस्थागत प्रसव में कमी के कारणों की जांच के लिए उन्होंने टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग को सरकारी प्रयासों के साथ ही सीएसआर एवं एनजीओं के सहयोग से राज्य में मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक प्रभावी एवं ठोस प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने एनिमिया के मामलों को नियंत्रित करने, नवजात एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं एएनसी जांच हेतु आंगनबाड़ियों को सुदृढ़ करने तथा उनसे प्रभावी समन्वय के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विद्यालयों में बच्चों को दिए जा रहे भोजन में माइक्रोंन्यूट्रेन्ट की मात्रा भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय में सत्त विकास लक्ष्यों (एसडीजी) उत्तराखण्ड की स्थिति के सन्दर्भ में लैगिंक समानता, पोषण, जीरो हंगर, स्वास्थ्य जैसे इंडीकेटर की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग, एनएचएम तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ जल्द ही हेल्थ डाटा के सम्बन्ध में एक बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि जीरो हंगर के तहत उत्तराखण्ड के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं द्वारा टेक होम राशन स्कीम का लाभ उठाने का सौ प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। वर्ष 2019-21 में राज्य का मातृ मृत्यु दर 103, शिशु मृत्यु दर 39.1 रहा है।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य, अपर सचिव स्वास्थ्य, नियोजन, महानिदेशक स्वास्थ्य तथा सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।