एसडीआरएफ को केदारघाटी में सर्च अभियान चलाने के निर्देश

देहरादून।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारनाथ घाटी क्षेत्र में नरकंकालों व अवशेषों को खोजने के लिए एसडीआरएफ को लगातार सघन सर्च आपरेशन चलाने के निर्देश दिए हैं। इसमें यदि कोई कंकाल मिलते हैं तो उनका डीएनए कराते हुए पूरे विधिविधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री रावत ने संबंधित अधिकारियों के साथ काम्बिंग अभियान का ब्लू प्रिन्ट तैयार किया। एसडीआरएफ विभिन्न चरणों में सघन काम्बिंग करेगी। पहले 25 अक्टूबर तक केदारनाथ के विभिन्न ट्रेक रूटों पर सर्च आपरेशन संचालित किया जाएगा। केदारघाटी में नरकंकालों की खोज, डीएनए सेम्पलिंग व विधिवत अंत्येष्टि के लिए उपसेनानायक एसडीआरएफ प्रकाश चंद्र आर्य के नेतृत्व में केदारघाटी के सात ट्रेकिंग रूट पर टीमें सर्च आपरेशन संचालित करेंगी। इन सात ट्रेकिंग रूटों में 40 किमी का गरूड़चट्टी-देवविष्णु-गोमकारा-गौ रीगांव, 35 किमी का चैमासी-खाम-रामबाड़ा-केदारनाथ, 4 किमी का केदारनाथ-चैराबाड़ी ग्लेशियर, 20 किमी का कालीशिला-चैमासी-लिनचैली, 18 किमी का केदारनाथ-वासुकीताल-खतलिंग, 35 किमी का केदारनाथ-मनसी-रासी व 30 किमी का तोसी-पावा-वासुकीताल-त्रिजुगीना रायण शामिल हैं।
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स्थानीय भौगोलिक परिवेश की जानकारी व पर्वतीय क्षेत्र में ट्रेकिंग में निपुणता होने के कारण माटा से 26, 27 व 28 अक्टूबर को स्थानीय लोगों के सहयोग से इन रूटों पर काम्बिंग करने का अनुरोध किया जाएगा। इस दौरान एसडीआरएफ की राफ्टिंग टीम द्वारा नदी के किनारों पर सर्च आपरेशन संचालित किया जाएगा। दीपावली के बाद नवम्बर माह में एक बार फिर एसडीआरएफ द्वारा केदारघाटी के विभिन्न क्षेत्रों में सघन काम्बिंग की जाएगी। इसके बाद बर्फ पिघलने के बाद फिर से इस काम्बिंग अभियान को जारी रखा जाएगा। बैठक में सचिव गृह व आयुक्त गढ़वाल मंडल विनोद शर्मा, पुलिस महानिदेशक एम.ए. गणपति, आईजी संजय गुन्ज्याल व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

पर्व और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

प्रियंका ओबेराय ने बच्चों संग की गंगा आरती
मॉरीशस के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष भी परमार्थ पहुंचे

ऋषिकेश।
फिल्म स्टार विवेक ओबेराय की धर्मपत्नी प्रियंका ओबेराय और दोनों बच्चे विनान वीर व ओम्या ओबेराय ने बुधवार को चिदानंद मुनि से आर्शीवाद प्राप्त किया। प्रियंका ओबेराय ने कहा कि परमार्थ आकर उन्हें अपार शान्ति का अनुभव होता है। गंगा आरती की दिव्यता उन्हें तीर्थनगरी की ओर लाती है।
बुधवार को परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पर्व और पर्यावरण दोनों एक दूसरे के पूरक होते है। इसलिए दोनों का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अतिरिक्त महामंडलेश्वर स्वामी उमाकान्तानन्द सरस्वती, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मॉरीशस अजस सी देवी, गीतांजलि और भारत में मॉरीशस के राजदूत जगदीश गोबर्धन के परिवार के सदस्यों ने भी चिदानंद मुनि से मुलाकात की। 102उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण, पवित्र नदियों, पेयजल एवं स्कूली बच्चों की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य आदि विषयों पर चर्चा की। उन्होने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिग की समस्यायें किसी एक राष्ट्र की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की एक वैश्विक स्तर की समस्या है। हमें हमारे प्रत्येक पर्व और उत्सवों को हरित संर्वधन के साथ मनाने होंगे। हरितिमा संर्वधन के प्रतीक के रूप में स्वामी ने एक पौधा भेंट किया।

दो लाख से अधिक यात्रियों ने की हेमकुंट साहिब की यात्रा

यात्रा सुखद निपटने पर सरकार का आभार जताया

ऋषिकेश।
हेमकुंट साहिब की यात्रा सुखद संपन्न होने पर गुरूद्वारा मैनेजमेंट ट्रस्ट ने सरकार का आभार प्रकट किया। ट्रस्ट से जुडे लोगों ने कहा कि सरकार ने यात्रियों के लिए यात्रा मार्ग पर सभी सुख सुविधाएं देने की व्यवस्था कराई। जिससे कि यात्रा निर्विघन संपन्न हुई।
हेमकुंट साहिब की यात्रा 15 अक्टूबर को कपाट बंद होने पर समाप्त हो गई। मंगलवार को गुरूद्वारा हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिन्द्रा ने कहा कि सरकार ने यात्राकाल के दौरान यात्रियों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाई। जिसका ट्रस्ट सीएम हरीश रावत के प्रति आभार व्यक्त करता है। यात्रा में 2 लाख यात्री हेमकुंट साहिब में नतमस्तक हुए एवं सकुशल यात्राकर वापस लौटे। ट्रस्ट ने सभी यात्रियों के लिए रात्रि विश्राम, लंगर, स्वास्थ्य सेवा सुविधा आदि मुहैया करवाई। इसके अलावा उत्तराखण्ड सरकार एवं राज्य प्रशासन का भी यात्रा को सुखद एवं सुरक्षित बनाए रखने में अथक प्रयास रहा।
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ट्रस्ट के प्रबंधक दर्शन सिंह ने बताया कि हेलीकॉप्टर सुविधा सेवा निरंतर यात्राकाल के दौरान चलती रही। जबकि गोबिंद घाट से गोबिंद धाम तक पैदल मार्ग पर सड़क बनने के कारण यात्रियों को करीब 4 किलोमीटर कम पैदल चलना पड़ा। जोकि सरकार का एक सराहनीय कदम रहा। उन्होंने बीआरओ, प्रशासनिक अधिकारियों, सरकारी कर्मचारी, राज्य पुलिस आदि के प्रति भी यात्रा को निर्विघन संपन्न कराने में आभार व्यक्त किया है।

गंगा प्रदूषण के सचित्र तथ्य जुटाएगी एबीवीपी

एबीवीपी का स्वच्छता सर्वेक्षण एवं जनजागरण अभियान 19 से
गंगोत्री धाम से शुरू होगा अभियान, 27 अक्तूबर तक चलेगा

ऋषिकेश।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) गंगा स्वच्छता सर्वेक्षण एवं जनजागरण अभियान शुरू करने जा रही है। अभियान 19 अक्तूबर को गंगोत्री धाम से आरम्भ होगा, जिसमें एक टीम गंगा प्रदूषण के कारणों की पड़ताल करेगी। साथ ही इसके सचित्र तथ्य जुटाएगी।
अग्रवाल धर्मशाला में रविवार को आयोजित बैठक में गंगा स्वच्छता सर्वेक्षण एवं जनजागरण अभियान की रूपरेखा तैयार की गई। पदाधिकारियों ने बताया कि 19 से 27 अक्तूबर तक चलने वाले अभियान का श्रीगणेश गंगोत्री धाम में होगा। यात्रा मार्ग में जन-जन को गंगा की स्वच्छता के लिए प्रेरित और जागरूक किया जाएगा। अभियान का मुख्य उद्देश्य गंगा में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हो रहे प्रदूषण के सचित्र तथ्य जुटाना है।
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एबीवीपी के गढ़वाल संभाग सप्रमुख रवि थपलियाल ने बताया कि अभियान यात्रा 24 अक्तूबर का परमार्थ निकेतन पहुंचेगी, जहां यात्रा में शामिल कार्यकर्ता गंगा आरती में हिस्सा होंगे। 25 अक्तूबर को सुबह परमार्थ निकेतन और आसपास के घाटों में स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जाएगा। बैठक में एबीवीपी के प्रदेश सहमंत्री धीरेन्द्र कुमार सिंह, जिला सहसंयोजक अंकित पंवार, तहसील संयोजक विनोद चौहान, अभिषेक रावत, मोहत तिवारी, प्रभात उनियाल, शिवा बत्रा, नरेन्द्र गौतम, अमित गांधी, अमन सकलानी, शिखर मिश्रा, ऋषि जायसवाल, विकास चौहान, नेहा नेगी आदि उपस्थित थे।

अभियान पर तैयार होगी डॉक्यूमेंट्री
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से गंगा स्वच्छता सर्वेक्षण एवं जनजागरण अभियान के दौरान डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी तैयार की जाएगी। इसमें गंगा के महत्व, उसके असल सौंदर्य, उसमें प्रवाहित हो रही गंदगी और उसके कारण भी स्पष्ट दिखाए जाएंगे।

वृश्चिक लग्न में होंगे भगवान केदारनाथ के कपाट बंद

-एक नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए होगी रवाना
-भगवान तुंगनाथ के कपाट सात नवम्बर को धनु लग्न में होंगे बन्द
-मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में होंगे बंद

रुद्रप्रयाग।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर व तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ धामों के कपाट बन्द होने की तिथियां विजयादशमी पर्व पर पंचाग गणना, पौराणिक परम्पराओं तथा रीति-रिवाजो के अनुसार शीतकालीन गद्दी स्थलों में घोषित की गई।
विजयादशमी पर्व पर भगवान केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ में मन्दिर समिति के अधिकारियों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में तीनों धामों के कपाट बन्द होने की तिथि पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी। पंचाग गणना के अनुसार एक नवम्बर को प्रातः चार बजे से पूर्व श्रद्धालुओं द्वारा भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक किया जायेगा तथा प्रातः चार से छः बजे तक भगवान केदारनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी। जबकि छः बजे से साढे़ सात बजे तक भगवान केदारनाथ के स्वयं भूलिंग को अनेक प्रकार की पूजार्थ सामाग्रीयों से समाधि दी जायेगी तथा ठीक साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होते ही भगवान केदारनाथ शीतकाल के छः माह के लिये समाधि लेकर विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो जायंगे।
कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपनी केदारपुरी से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी तथा लिनचौली, रामबाड़ा, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। दो नवम्बर को रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बड़ासू, फाटा, मैखण्डा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों से होते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। तीन नवम्बर को विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर भैंसारी, विद्यापीठ, जाबरी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचकर विराजमान होगी तथा चार नवम्बर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट भी सात नवम्बर को सुबह दस बजे धनु लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी और सुरम्य मखमली बुग्यालों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी।
आठ नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से प्रस्थान होकर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, मक्कूबैंड होते हुए बणतोली पहुंचेगी। जहां पर विभिन्न गांवों के श्रद्धालुओं द्वारा भगवान तुंगनाथ को अर्घ्य लगाकर विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जायेगी। बणतोली में अर्घ्य लगने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिये भनकुण्ड पहुंचेगी तथा नौ नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर आकाश कामनी नदी पहुंचने पर गंगा स्नान करेगी और शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचने पर छः माह शीतकाल के लिये विराजमान होगी तथा दस नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में विधिवत शुरु होगी।

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द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्बा, कुनचट्टी, नानौ, खटारा, बनातोली होते हुये प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौण्डार गांव पहुंचेगी। 23 नवम्बर को गौण्डार से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवम्बर से राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये अन्तिम रात्रि प्रवास गिरिया गांव में करेगी। 25 नवम्बर को गिरिया से प्रस्थान कर फाफंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुये अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा 26 नवम्बर से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्व मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। जबकि भगवान मद्महेश्वर की डोली के ऊखीमठ आगमन पर लगने वाला त्रिदिवसीय मद्महेश्वर मेला 24 नवम्बर से शुरु होगा। इस मौके पर कार्याधिकारी अनिल शर्मा, प्रधान पुजारी राजशेखर लिंग, बागेश लिंग, शशिधर लिंग, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित वैदपाठी यशोधर प्रसाद मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, गिरिश देवली, सतश्वर प्रसाद सेमवाल, शिवशरण पंवार, राजीव गैरोला सहित मन्दिर समिति के अधिकारिया, कर्मचारी व हक-हकूकधारी मौजूद थे।

नीलकंठ मंदिर पहुंचे जगदीश मुखी

ऋषिकेश।
अंडमान निकोबार के राज्यपाल बनने के बाद जगदीश मुखी रविवार को मत्था टेकने नीलकंठ महादेव मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने अपनी धर्मपत्नी के साथ पूजा-अर्चना की।
लक्ष्मणझूला थाना प्रभारी अमरजीत सिंह ने बताया कि अंडमान निकोबार के राज्यपाल जगदीश मुखी रविवार को सुबह सवा सात बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से कार में नीलकंठ महादेव पहुंचे। मंदिर में एक घंटे बिताने के बाद वाया चीला मार्ग होकर हरिद्वार में अपने रिश्तेदार के यहां रवाना हो गए। 107
मंदिर के पुजारी शिवानंद गिरी ने बताया कि राज्यपाल जगदीश मुखी की इस धाम के प्रति अटूट आस्था है। वह इसी महीने आठ तारीख को सावन के तीसरे सोमवार पर नीलकंठ महादेव पहुंचे थे। यहां उन्होंने पूजा-अर्चना की थी। तब वह अंडमान निकोबार के राज्यपाल नहीं बने थे। राज्यपाल बनने के बाद वह पहली बार धाम पहुंचे। मनोकामना पूरी होने उन्होंने यहां रुद्राभिषेक किया। मंदिर के महंत सुभाष पुरी ने उन्हें प्रसाद भेंट किया। इस दौरान राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि नीलकंठ महादेव करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। यही कारण है कि यहां विभिन्न प्रांतों से लोग जलाभिषेक करने आते हैं। उन्होंने कहा कि धाम में पहुंचने पर उन्हें शांति की अनुभूति हुई। इस दौरान एसडीएम कोटद्वार जीआर बिनवाल, तहसीलदार एसएस गुनसोला, नीलकंठ मंदिर समिति के धन सिंह राणा आदि मौजूद रहे।

 

पंचक खत्म होते ही कावड़ियों की संख्या में वृद्धि

कावड़ियों की भीड़ के मद्देनजर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
हरिद्वार।
तीर्थनगरी मंे कांवडियांे की भीड़ मंे लगातार इजाफा होता जा रहा है। प्रशासन कांवडियांे की भीड़ को हाईवे से उतारकर उनको नहर पटरी से उनके गतंव्य की ओर रवाना किया जा रहा है। नहर पटरी मंे कांवडियांे के लिए बिजली, पानी व शौचालय की व्यवस्था की गयी है। ताकि कांवडियांे को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। हाईवे पर जाम की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किये गये है। डाक कांवडियांे के लिए अलग-अलग स्थानों पर पार्किग की व्यवस्था की गयी है। जहां पर उनके कांवड से सम्बंधित सामानांे का बाजार भी व्यापारियांे द्वारा लगाया गया है। जहां पर कांवडियांे को उनके मुताबिक समान उपलब्ध कराया जा रहा है। श्रावण मास कांवड मेला तीर्थनगरी में प्रारम्भ हुए चार दिन हो चुके है। चार दिनांे के भीतर विभिन्न प्रान्तांे से लाखांे कांवडियें गंगा जल भरकर यहां से अपने गतंव्यों की ओर रवाना हो चुके है। जिस तेजी के साथ कांवडियांे को आगमन हरिद्वार मंे हो रहा है। ठीक उसी तरह यहां से गंगा जल भरकर कांवडियांे का प्रस्थान भी हो रहा है।
लाखांे कांवडियंे मौजूदा समय मंे तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। जिनमें कुछ पंचक समाप्त होने का इंतजार कर रहे है, तो कुछ पंचक को ना मानकर गंगा जल भरकर यहां से प्रस्थान कर रहे है। प्रशासन की ओर से कांवड मेले को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए जहां पुख्ता इंतजाम करते हुए उनको अमली जामा पहनाया गया है। वहीं दुनियाभर मंे आतंकवादी घटनाआंे को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किये गये है। देखा जाए तो तीर्थनगरी के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। इतना ही नहीं पुलिस प्रशासन ने असमाजिक तत्वांे पर पैनी नजर रखी जा रही है। कांवडियांे के भेष सहित सार्दी वर्दी में पुलिस को तैनात किया गया है। ताकि किसी स्थिति से निपटा जा सकें। बस अड्डा, रेलवे स्टेशन सहित भीड ़भाड़ वालंे इलाकों मंे डॉग स्वायड व बम निरोधक दस्ता भी चैंकिग अभियान में जुटा है।
पुलिस प्रशासन द्वारा स्थानीय नागरिकों सहित व्यापारियांे और संत व साधुआंे से सहयोग की अपील की गयी है। पुलिस प्रशासन ने तैनात पुलिस अधिकारियों सहित कर्मियांे को कांवडियांे सहित स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और आम लोगों से मधुर व्यवहार किये जाने के निर्देश दिये गये है।

मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती को दी गई भू-समाधि

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भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव, विहिप नेता अशोक सिंघल व साध्वी प्राची पहुंचे
आरएसएस के कार्यवाह दात्रात्रेय ने भी पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती को शुक्रवार सुबह शीशमझाड़ी (ऋषिकेश) स्थित दयानंद आश्रम परिसर में भू-समाधि दी गई। भू-समाधि के वक्त उमड़े जनसमूह ने स्वामी दयानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाए। इस दौरान कई भक्तों और संतों की आंखें भर आईं।
अस्वस्थ चल रहे वेदों के ज्ञाता स्वामी दयानंद सरस्वती 27 अगस्त को कैलीफोर्निया से भारत आए थे। 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद का हाल जानने ऋषिकेश पहुंचे थे। 13 सितंबर को तबीयत बिगड़ने पर स्वामी दयानंद सरस्वती को हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में भर्ती कराया गया था। 10 दिन इलाज के बाद बुधवार देर रात स्वामी दयानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली। गुरुवार को उनका पार्थिक शरीर अंतिम दर्शन के लिए आश्रम परिसर में रखा गया।
शुक्रवार सुबह स्वामी दयानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर को भू-समाधि स्थल के पास लाया गया। यहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ चेन्नई से आए वेदपाठी जमुनाथ गनपाति ने भू-समाधि की प्रक्रिया शुरू की। यहां भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कार्यवाह दात्रात्रेय, विहिप के संगठन महामंत्री डॉ. दिनेश कुमार, साध्वी प्राची, आश्रम के ट्रस्टी स्वामी शुद्दानंद सरस्वती, सुप्रीम कोर्ट के जज शरद कुमार, कुंभ मेलाधिकारी एसए मुरूगेशन सहित बड़ी संख्या में पहुंचे उनके अनुयायियों और स्थानीय लोगों ने स्वामी दयानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाए। ठीक दस बजकर पांच मिनट पर मंत्रोच्चारण के बीच भू-समाधि की प्रक्रिया शुरू हुई, जो सुबह 11 बजे तक चली। भू-समाधि के वक्त उपस्थित जनसमूह की आंखें नम हो गईं। इससे पहले तड़के से ही आश्रम परिसर में लोगों की भीड़ जुटती रही। भू-समाधि के बाद आश्रम के संतों और वहांमौजूद लोगों ने गंगा स्नान किया। आश्रम के ट्रस्टी स्वामी शुद्दानंद सरस्वती ने बताया कि आठ अक्तूबर को षोड़षी भंडारा आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर ऋषिकेश विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल, नरेन्द्रनगर विधायक सुबोध उनियाल, पालिकाध्यक्ष मुनिकीरेती शिवमूति कंडवाल, भाजपा प्रदेश महामंत्री ज्ञान सिंह नेगी, चित्रमणि, योगेश मिश्रा, भुवनचन्द्र, ज्योति सजवाण,इन्द्रकुमार गोदवानी, राकेश पारछा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।