बंसत पंचमी पर होती है मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना

हिंदू कैलेंडर के अनुसार 5 फरवरी 2022, शनिवार का दिन विशेष है। इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस तिथि को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बंसत पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का पर्व इस वर्ष शनिवार के दिन पड़ रहा है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है।

मकर राशि में शनि का गोचर
मकर राशि में ग्रहों की विशेष स्थिति देखने को मिल रही है। वर्तमान समय में मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बनी हुई है। मकर राशि के स्वामी शनि देव है. जो वर्तमान समय में मकर राशि में ही विराजमान हैं। जहां पर वे बुध और सूर्य के साथ युति बना रहे है। 2022 में बसंत पंचमी पर तीन ग्रहों की युति मकर राशि में बनी हुई है।

इन 5 राशियों पर शनि की विशेष दृष्टि है
वर्तमान समय में मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। जबकि धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। 5 राशियों पर शनि की विशेष दृष्टि है। जिन लोगों को शनि देव अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं। उनके लिए 5 फरवरी का दिन विशेष है। इस दिन शनि देव और माता सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को शिक्षा में आने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। ज्योतिष शास्त्र में सरस्वती जी को ज्ञान देवी और शनि देव को परिश्रम का कारक माना गया है।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि का आरंभ- 05 फरवरी 2022, शनिवार को प्रातः काल 3 बजकर 47 मिनट से।
पंचमी तिथि का समापन- 6 फरवरी 2022, रविवार को प्रातः काल 3 बजकर 46 मिनट पर।

बसंत पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माता सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट है। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाएगा. यह पूजा के लिए अच्छा समय है। वहीं, इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल सुबह 09 बजकर 51 मिनट से दिन में 11 बजकर 13 मिनट तक है।

श्रीमद्भागवत कथा कभी सम्पूर्ण नही होती, विश्राम के बाद दूसरे स्थान में शुरु हो जाती है-व्यास

गुमानीवाला कैनाल रोड़ गली नम्बर 6 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ विधिविधान एवं शांति पूर्वक सम्पन्न हो गयी। इस अवसर पर कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप आचार्य ने कहा कि प्रभु नाम संकीर्तन कथाएं कभी सम्पूर्ण नहीं होती बस स्थान परिवर्तन होता है। इसलिए कथा विश्राम लेती हैं। कथा विश्राम के अवसर पर ग्रामीणों ने कथा व्यास सहित कथा में सम्मिलि आचार्यों का अंग वस्त्र भेंटकर सम्मान किया।
कथा विश्राम के बाद भव्य भण्डारे का आयोजन किया गया। कथा के समापन पर ग्रामीणों ने राष्ट्रीय कथा वक्ता कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल को सम्मानित कर राज्य के वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ के साथ विदाई दी।
इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान, आचार्य दिल मणि पैन्यूली, दर्शन लाल सेमवाल, दिनेश खण्डूरी, शिव प्रसाद सेमवाल, आचार्य महेश पन्त, उदय पैन्यूली, जगदीश नौटियाल, प्रमोद चौहान, धनी राम नौटियाल, नंद लाल यादव, रोशन लाल बेलवाल, विजय राम जोशी, पुष्कर सिंह रावत, मंगला देवी नौटियाल, अनुराधा, रेखा सिलस्वाल, शोभा नेगी, मंगसिरी रावत, सविता रतूड़ी, शिवि रतूड़ी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

हरिनाम कथा जीवन की व्यथाओं का हरण करती हैं-कथा व्यास

गुमानीवाला कैनाल रोड़ गली नम्बर 6 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास वैष्णवाचार्य पंडित शिव स्वरूप नौटियाल ने द्वितीय दिवस की कथा में कहा कि हरिनाम कथा जीवन की व्यथाओं का हरण करती हैं। जो सच्चे मन से प्रभु नाम का स्मरण करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
कथा श्रवण करने वालों में धनी राम नौटियाल, नन्द लाल यादव, उदय पैन्यूली, जगदीश नौटियाल, रोशन लाल बेलवाल, विजय राम जोशी, प्रमोद चौहान, पुष्कर सिंह रावत, मंगला देवी, अनुराधा नौटियाल, रेखा सिलस्वाल, शोभा नेगी, मंगसीरी रावत सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज को उनके कार्यो के लिए याद किया

ब्रह्मलीन महंत प्रदीप दास महाराज की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर कबीर चौरा आश्रम में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंन्द महाराज ने की।
इस अवसर पर संतों ने कहा कि प्रदीप दास महराज ने जो वृक्ष लगाया आज वह फल फूल रहा है। उनके उत्तराधिकारी के रूप में महंत कपिल मुनि महाराज के द्वारा गुरु परंपरा को सदैव आगे बड़ा रहे है। उनके द्वारा गौ सेवा अन्न क्षेत्र निर्धन असहाय लोगों की मदद निरंतर चल रही है।
कार्यक्रम में हरिद्वार और ऋषिकेश के महामंडलेश्वर रिशेश्वार नन्द, महामंडलेश्वर जगदीश आनंद, महामंडलेश्वर हठयोगी, महाराज महंत दुर्गा दास महाराज, महंत हरि बल्लभ दास केशवानंद, आनंदमय, आशुतोष, परमानंद, महंत बलवीर सिंह, महंत प्रकाशानंद, रतन स्वरूप, महंत विनय सारस्वती, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, महाराज महंत शिवानंद, महंत निर्मल दास, गोपाल गिरी, रामानुजाचार्य, गोपालाचार्य, हर्षवर्धन शर्मा, महंत वत्सल शर्मा आदि ने उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की।

संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है-खरोला

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने जानकारी देते हुए बताया कि आज ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कबीर चौराहा आश्रम में स्व. प्रदीप दास महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में सम्मलित होकर उनकी स्मृति को नमन करते हुए अपने विचार रखे।
खरोला ने कहा कि श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज ने की और कार्यक्रम के आयोजक महंत कपिल मुनि और सैकड़ो की संख्या ने संत समाज समारोह में उपस्थित रहा।
खरोला ने कहा कि स्व. प्रदीप दास महाराज समाज के लिये सोचते और उसके भले के लिये प्रयास करते थे और धर्मकर्म के काम के साथ ही समाज को आधुनिक बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
खरोला ने कहा कि संतो का जीवन गंगा नदी के सामान होता है जिस प्रकार माँ गंगा का जल जिस-जिस स्थान से जाता है वह की भूमि, वातावरण को शुद्ध कर देती है उसी प्रकार संत के चरण जिस जिस स्थान से होकर जाते है वहा की भूमि और वहा के लोगो की सोच और वातावरण को शुद्ध करने का काम करते है।
खरोला ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में संत महापुरुषों की निर्णायक भूमिका रही है। संत महापुरुष ही अपना पूरा जीवन लोक कल्याण के कार्यों और भक्तों के कल्याण के लिए ईश्वर की भक्ति में समर्पित करते हैं। खरोला ने कहा कि संतों से ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है।

सीएम ने किया कैलाशानन्द महाराज के प्रथम सन्यास दीक्षा समारोह में प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जगद्गुरू आश्रम कनखल में निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द महाराज के प्रथम सन्यास दीक्षा समारोह में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द महाराज के दीक्षा समारोह की वजह से आज मुझे सभी पूज्य सन्तों का एक साथ आशीर्वाद मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के लिये पूज्य सन्तों का आशीर्वाद बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बिनु हरि कृपा मिलहि न सन्ता….। सत्संग का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि सत्संग का मनुष्य के जीवन में काफी प्रभाव पड़ता है, जिस तरह का सत्संग होगा, उसी तरह का मनुष्य का आचार-व्यवहार होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि संस्कृति की बात हो या अन्य, हर क्षेत्र में पताका फहराने का काम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हो रहा है।
समारोह को जगद्गुरू शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज, स्वामी महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द महाराज, स्वामी हरिचेतनानन्द, स्वामी चिदानन्द मुनि, आचार्य बाल कृष्ण, युग पुरूष परमानन्द महाराज, महन्त प्रेम गिरि महाराज, पूज्य हरिगिरि महाराज, महन्त विज्ञानानन्द महाराज, पदम, सतपाल ब्रह्मचारी महाराज, देवानन्द सरस्वती महाराज, तन्मय वशिष्ठ, महामंत्री श्रीगंगा सभा, राजीव शर्मा नगर पालिका अध्यक्ष आदि ने सम्बोधित किया।
मंच का संचालन आखाड़ा परिषद व मंसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष रविन्द्रपुरी जी महाराज ने किया।
जगद्गुरू आश्रम कनखल पहुंचने पर मुख्यमंत्री का शाल ओढ़ाकर, विशाल माला, पुष्पगुच्छ तथा प्रतीक चिह्न भेंटकर भव्य स्वागत व अभिनन्दन किया गया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानन्द, ललितानन्द महाराज, कमलदास महाराज, महेश पुरी महाराज, भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ जयपाल सिंह चौहान, महामंत्री विकास तिवारी, जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ योगेन्द्र सिंह रावत, एसडीएम पूरण सिंह राणा, सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित थे।
जगद्गुरू आश्रम कनखल के पश्चात मुख्यमंत्री ने जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज से हरिहर आश्रम पहुंचकर शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी बबीता फोगाट भी उपस्थित रहीं।

गुरु ने सिखाया है जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार जीना चाहिए-खरोला

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने जानकारी देते हुए बताया कि आज श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष में गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ऋषिकेश द्वारा 29 दिसंबर से 8 जनवरी 2022 तक प्रतिदिन चलने वाली प्रभात फेरी आज मेरे निवास स्थान पर पहुची। मेरे परिवार व आसपास रहने वाले सभी प्रबुद्ध जनों ने गर्मजोशी के साथ प्रभात फेरी का स्वागत किया।
खरोला ने कहा कि प्रभात फेरी में शामिल श्रद्धालु वाहेगुरु जी का जाप करते हुए निवास स्थान पहुचे, जहां भजन-कीर्तन के बाद प्रसाद वितरण हुआ।
खरोला ने कहा कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जीवन मानवता के लिए प्रेरक रहा है, समानता और समावेशिता का प्रचार उनके द्वारा किया गया। वह सिर्फ एक आध्यात्मिक आदर्श नहीं थे बल्कि एक योद्धा थे जो सर्वाेच्च बलिदान के सामने भी सिद्धांतों से खड़े थे।
खरोला ने कहा कि उनका जीवन न्याय संगत और समावेशी समाज के निर्माण के लिए समर्पित था। अपने सिद्धांतों के प्रति वे सदैव अटल रहे। हम उनके साहस और बलिदान को भी याद करते हैं। उनके वीरतापूर्ण जीवन ने हमें न्याय की लड़ाई में बलिदान का मूल्य सिखाया है।
खरोला ने कहा कि सेवा और सत्य के पथ पर चलते हुए बड़ी से बड़ी चुनौती से भी लड़ने की प्रेरणा हमें गुरु गोविंद सिंह के जीवन से मिलती है। हमे उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

पंडित रवि शास्त्री को चादर पहनाकर सौंपी महंताई, संतों की मौजूदगी में हुआ पट्टाभिषेक

आज मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय में आयोजित वार्षिक उत्सव के दौरान सभी संत महात्माओं की अगुवाई में पंडित रवि शास्त्री जी महाराज का पट्टाभिषेक किया गया। इस अवसर पर पंडित रवि शास्त्री जी को तुलसी मानस मंदिर का महंत घोषित किया गया।

आज दर्शन महाविद्यालय के समापन समारोह के शुभ अवसर पर बैकुंठ वासी राघवाचार्य जी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी महामंडलेश्वर महंतों के द्वारा एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के संयुक्त तत्वाधान में आज पंडित रवि शास्त्री जी को महंताई चादर पाकर उन्हें महंत घोषित किया। महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज ने कहा कि आज से पंडित रवि शास्त्री जी का नया नाम महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नाम से कहलाया जाएगा। उन्हें आज संत समाज के द्वारा उनका रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नाम से संबोधित किया जाएगा।

इस अवसर पर माननीय कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल जी ने नए वर्तमान बने महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज को बधाई देते हुए कहा कि आज जहां हम अपनी संस्कृति विरासत को होते जा रहे हैं वहीं इस समय युवा संतो के द्वारा हमारी संस्कृति विरासत को यह युवा संत आगे निकली।

इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज, महामंडलेश्वर गुरुचरण मिश्र, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज, महंत अखंडानंद जी महाराज, महंत मनोज प्रपन्नाचार्य जी महाराज, महंत जगदीश प्रपन्नाचार्य जी महाराज, महंत कृष्णानंद जी महाराज, रामानुजाचार्य, गोपालाचार्य, महंत लोकेश दास, दर्शन महाविद्यालय के अध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल, सचिव संजय शास्त्री, कोषाध्यक्ष राजीव लोचन, माधव मैथानी, शांति प्रसाद मैणानी, कमल डिमरी, कुमार अरोड़ा, इंद्र कुमार गोदवानी, गुरु प्रसाद बिजल्वाण आदि मौजूद रहे।

चुनाव से पहले माहौल भांप गये धामी!

उत्तराखंड से आज की बड़ी खबर यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर त्रिवेंद्र सरकार का फैसला पलट दिया। धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का एलान किया। दो साल पहले त्रिवेंद्र सरकार के समय चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अस्तित्व में आया था। तीर्थ पुरोहितों, हकहकूकधारियों के विरोध और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बोर्ड को मुद्दा बनाने से सरकार पर दबाव था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2019 में श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला लिया था। तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बावजूद सरकार ने सदन से विधेयक पारित कर अधिनियम बनाया। चारधामों के तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी आंदोलन पर उतर आए, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार अपने फैसले पर अडिग रही।

चारधाम समेत 51 मंदिर थे शामिल
सरकार का तर्क था कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम समेत 51 मंदिर बोर्ड के अधीन आने से यात्री सुविधाओं के लिए अवस्थापना विकास होगा। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने भी जनभावनाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन उनके कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड पर सरकार आगे नहीं बढ़ पाई। फिर नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा की।

पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। इस समिति में चारधामों के तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया। अब समिति की अंतिम रिपोर्ट का परीक्षण कर मंत्रिमंडलीय उप समिति ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

देवस्थानम बोर्ड पर कब क्या हुआ
– 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।
– 5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।
– 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।
– 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया।
– 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन
– 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।
– 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।
– 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।
– 25 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी
– 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।
– 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
– 29 अक्तूबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।

देवस्थानम बोर्ड भंग करने से तीर्थ पुरोहितों में खुशी की लहर

धामी सरकार के देवस्थानम बोर्ड भंग करने के साथ ही उत्तराखंड के समस्त मंदिरों के लिए अधिनियम को रद्द किए जाने की घोषणा से तीर्थ पुरोहितों में खुशी की लहर है। चारधाम हक हकूक धारी महापंचायत तीर्थ पुरोहित समिति ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।
मंगलवार को तीर्थनगरी ऋषिकेश पहुंचे श्री केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती, सदस्य राजेश बागड़ी, किर्तेश्वर कपरूवाण का हरिद्वार रोड स्थित भगवान भवन आश्रम में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला और तुलसी मानस मंदिर के अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री ने फूलमाला से स्वागत किया। कांग्रेस नेता खरोला ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा दर्शाती है कि सरकार की नीतियां गलत दिशा में जा रही थी। वहीं, पुराने बदरीनाथ मार्ग पर जयराम आश्रम में भी देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा पर श्री केदार समिति के पदाधिकारियों का आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने स्वागत किया। मौके पर पार्षद मनीष शर्मा, विनोद अग्रवाल आदि मौजूद रहे।