ऋषिकेश।
हंस कल्चरल सेंटर वाराणसी की तर्ज पर ऋषिनगरी के गंगाघाटों की सूरत बदलने की तैयारी कर रहा है। बुधवार को हंस कल्चरल सेंटर और इंडोनेशिया से आये डेलीगेट्स ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता की। उन्होंने लक्ष्मणझूला से बैराज तक के गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण और रखरखाव करने की अनुमित मांगी।
बुधवार को कैलाशगेट स्थित होटल त्रिहरी में हंस कल्चरल सेंटर के पदाधिकारी और इंडोनेशिया से आए डेलीगेट्स ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता की। हंस कल्चरल सेंटर के सचिव चंदन सिंह भंडारी ने बताया कि ऋषिकेश सेंटर की ओर से माता मंगला और भोले जी महाराज को ऋषिनगरी के गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण और रखरखाव का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे दोनों ने अपनी स्वीकृति दे दी है। उन्होंने लक्ष्मणझूला से बैराज मार्ग तक के गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण और रखरखाव लोकल प्रशासन की अनुमित मिलने पर कार्य करने की इच्छा जाहिर की। इंडोनेशिया से आये डेलीगेट्स ने गंगा घाटों को विकसित करने के लिए हंस कल्चरल सेंटर के साथ मिलकर कार्य करने की इच्छा जाहिर की। बताया कि इंडोनेशिया के लोग भारत की संस्कृति को पंसद करते है। पर्यटन और धार्मिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गंगा घाटों का विकसित होना जरूरी है। प्रेसवार्ता के बाद हंस कल्चरल सेंटर की ओर से उत्तरकाशी के रेकच्या में हुए अग्निकांड पीड़ितों और 70 लोगों को शिक्षा और इलाज के लिए 55 लाख रुपये के चेक भी वितरित किए गए।
इस मौक पर ऋषकेश सेंटर के प्रभारी प्रदीप राणा, दिनेश कंडारी, पं. मुन्ना लाल नौटियाल, सुरेन्द्र गुसाईं, सुशीला बिष्ट आदि मौजूद थे।