अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश एवं एपेडिमिलॉजिकल फाउंडेशन ऑफ इंडिया एएफआई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एफिकॉन 2020 के दूसरे दिन आयोजित कार्यशाला में देश-दुनिया के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एंटी मायोब्रिल रेजिस्ट्रेंस के बढ़ते प्रभावों पर प्रभावी नियंत्रण के तौर तरीकों और महामारी विज्ञान के अध्ययन का महत्वपूर्ण मूल्यांकन पर मंथन किया।
एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कोविड-19 के बढ़ते मरीजों व वायरस संक्रमण की रोकथाम में विटामिन-ए की भूमिका के संदर्भ में जानकारी दी। बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से हम बीमारियों से लड़ने में सक्षम होते हैं। उन्होंने हाथ को ठीक तरीके से धोने के तौरतरीकों पर चर्चा करते हुए बताया कि हैंड हाईजीन के प्रति गंभीरता से हम 80 प्रतिशत तक एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से बच सकते हैं।
कांफ्रेंस में निदेशक एसएचएसआरसी पंजाब के निदेशक डा. राजेश कुमार, पीजीआई चंडीगढ़ की डा. पीवीएम लक्ष्मी, एचआईएमएस देहरादून के डा. अशोक श्रीवास्तव, पीजीआई चंडीगढ़ की डा. नीलम तनेजा, एम्स नागपुर के डा. जया प्रसाद त्रिपाठी, एम्स दिल्ली की डा. आरती कपिल, आईसीएमआर दिल्ली की डा. कामिनी वालिया, जिपमर व पांडिचेरी की डा. अपूर्वा एस. शास्त्री ने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय एफिकॉन 2020 कांफ्रेंस में देशभर के सभी एम्स संस्थान, पीजीआई चंडीगढ़ समेत करीब 25 से अधिक मेडिकल संस्थान के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस अवसर पर डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी, डा. आरके श्रीवास्तव, डा. वीके श्रीवास्तव, आयोजन समिति की सचिव व एम्स आईबीसीसी की प्रमुख प्रो. बीना रवि, माइक्रो बायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रतिमा गुप्ता, सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, आईबीसीसी के डा. प्रतीक शारदा, आयोजन सह सचिव डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. योगेश बहुरुपी, डा. रुचिका गुप्ता, डा. श्रेया अग्रवाल, डा. नंदिता, डा. अंजलि आदि मौजूद थे।