धामी सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन ने जीता यात्रियों का विश्वास

प्रदेश सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा इंतजामों के चलते चार धाम यात्रा को लेकर यात्रियों में भारी उत्साह है। मानसून थमते ही यात्रा ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। बीते दिवस 30 सितंबर को 20497 श्रद्धालु चार धाम दर्शन को पहुंचे। इनमें केदारनाथ धाम में सर्वाधिक 7350 तीर्थयात्री पहुंचे। अभी तक के पूरे यात्राकाल की संख्या पर नजर दौडाएं तो करीब 38 लाख श्रद्धालु चारधाम दर्शन को आ चुके हैं। केदारघाटी आपदा से निपटने में सरकार ने पूरी ताकत झोंककर जिस तेजी से स्थिति को सामान्य बनाया है, उससे यात्रियों का सरकार के प्रति विश्वास गहराया है। यात्री पूरे उत्साह और आस्था के साथ बाबा केदार के दर्शन को उमड़ पड़े हैं।
चारधाम यात्रियों की सुरक्षा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सर्वाेच्च प्राथमिकता रही है। मुख्यमंत्री के इस ध्येय वाक्य के अनुसार राज्य सरकार के यात्रा इंतजामों और व्यवस्थाओं का असर यात्रा पर दिखाई दिया है। केदारघाटी में 31 जुलाई को आई बड़ी आपदा का जिस प्रकार सरकार ने सामना किया, उसकी आम यात्रियों ने खुले दिल से तारीफ की है। पैदल मार्ग और पड़ावों पर फंसे यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित निकालने में जरा भी देरी नहीं की गई। करीब 18 हजार लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर उन्हें उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया। यही नहीं केदारघाटी में आम जनजीवन को बहाल करते हुए पैदल यात्रा मार्ग को सुधार कर यात्रा भी शुरू कर दी गई।
अब दूसरे चरण की यात्रा जोर पकड़ गई है। अक्टूबर और नवंबर माह में भी यात्रा के लिए बड़ी संख्या में यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। 30 सितंबर को हेमकुंड और गोमुख समेत 22 हजार 244 श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचे। इनमें केदारनाथ के अलावा बदरीनाथ में 6811, गंगोत्री 3619, यमुनोत्री 2717, हेमकुंट 1632 और 115 श्रद्धालु गोमुख पहुंचे।

रिकॉर्ड बनाएगी चारधाम यात्रा
इस यात्राकाल में बीते दिवस 30 सितंबर तक कुल 37 लाख 91 हजार 205 यात्री चारधाम दर्शन को आ चुके हैं जबकि बीते वर्ष पूरे यात्राकाल में 56.13 लाख यात्री पहुंचे थे। इसी प्रकार वर्ष 2022 में 46.29 लाख और वर्ष 2019 में 34.77 लाख यात्री चारधाम दर्शन को पहुंचे। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा प्रभावित रही। इन दो वर्षों में यात्री संख्या क्रमशः 3.30 लाख और 5.29 लाख रही।

इस वर्ष 17 दिन की देरी से शुरू हुई चारधाम यात्रा
इस वर्ष चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हुई है जबकि पिछले वर्ष 23 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा का श्रीगणेश हो गया था। तब केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुले थे। इस वर्ष गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 17 दिन बाद यानी 10 मई को खुले हैं, जबकि बदरीनाथ धाम की यात्रा 12 मई से शुरू हुई है। यात्रा अभी अगले माह नवंबर तक चलेगी।

केदारघाटी आपदा से भी प्रभावित रही यात्रा
केदारघाटी में 31 जुलाई की रात आई भीषण आपदा का असर भी यात्रा पर पड़ा है। हालांकि धामी सरकार ने तेजी से राहत और बचाव कार्य करते हुए कुछ दिनों के अंतराल में ही आम जनजीवन को बहाल कर दिया लेकिन सुरक्षा कारणों से यात्रा को कई दिनों के लिए रोक दिया गया था।

बेहतर यात्रा प्रबंधन पर नजर
केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर बनाए गए बीस पार्किंग स्थल।
पार्किंग प्रबंधन के लिए एक क्यूआर कोड-आधारित प्रणाली।
यातायात प्रबंधन के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती।
यात्रा पर निगरानी के लिए 850 सीसीटीवी कैमरे और 8 ड्रोन।
यात्रियों की सुविधा के लिए 56 पर्यटन सहायता केंद्रों की स्थापना।
ट्रैक रूट को साफ करने के लिए कुल 657 पर्यावरण मित्रों की तैनाती।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर 50 स्क्रीनिंग कियोस्क की स्थापना। स्वास्थ्य मित्र हैं तैनात।
यात्रा मार्ग पर 156 एम्बुलेंस तैनात। 8 ब्लड बैंक और 2 भंडारण इकाइयां स्थापित
49 स्थायी स्वास्थ्य सुविधाएं और 26 चिकित्सा राहत पोस्ट। 22 विशेषज्ञ, 179 चिकित्सा अधिकारी और 299 पैरामेडिकल स्टाफ तैनात।

सुगम, सुरक्षित, सुलभ और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आते हैं। यात्रियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध हैं। चारधाम यात्रा राज्य की आर्थिकी से भी जुड़ी है। राज्य में आज जिस तेजी के साथ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए हमें यात्रा व्यवस्थाओं को और विस्तार देना होगा। इसकी कवायद भी शुरू कर दी गई है। इस बार केदारघाटी आपदा के चलते व्यवस्थाएं प्रभावित हुई, लेकिन सरकार ने इस कठिन चुनौती का भी दृढ़तापूर्वक सामना कर केदार यात्रा को बहाल किया।
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

चार धाम यात्रा के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अतिरिक्त बजट को मिली मंजूरी

चार धाम यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को ओर भी मजबूत किए जाने हेतु यात्रा क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्साधिकारियों, नर्सेस व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए प्रोत्साहन राशि की मंजूरी दी है।
स्वास्थ्य सचिव एवं एन.एच.एम. मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि चार धाम यात्रा से पहले कई समीक्षा बैठकों तथा श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ धाम में स्थलीय स्वास्थ्य इकाइयों का निरीक्षण के दौरान यह महसूस किया गया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों में हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी कार्य करते हैं, उनको निश्चित तौर में अतिरिक्त मानदेय दिया जाना चाहिए। जिसके लिए भारत सरकार से अतिरिक्त धनराशि के लिए बजट की मांग की गई थी जिसको भारत सरकार ने स्वीकारा है और चार धाम यात्रा के लिए प्रदेश को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के अंतर्गत अतिरिक्त बजट की मंजूरी दी है। निश्चित तौर पर इससे चारधाम क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्साकर्मियों का उत्साहवर्धन होगा।
सचिव द्वारा बताया गया कि श्री केदारनाथ धाम रुट में केदारनाथ 3500-3600 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1500 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 1000 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 700 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। भीम बली-बडी लिनचोली 2600-3200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। सोनप्रयाग-जंगल चट्टी 1800-2500 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 700 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 500 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 300 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। रुद्रप्रयाग-फाटा 700-1500 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 400 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 250 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 150 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
वहीं श्री बद्रीनाथ धाम रुट में घांघरिया-बद्रीनाथ 3000-3100 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। गौचर-गोविंद घाट 800-1800 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 400 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 250 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 150 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
श्री गंगोत्री धाम रुट में हर्षिल-गंगोत्री 2700-3200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिक एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। चिनियालिसौड़-गंगनानी 900-2000 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 450 रुपये, पैरामेडिक एवं नर्सेस को 300 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 200 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
श्री यमुनोत्री धाम रुट में जानकी चट्टी-यमुनोत्री 2600-3300 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। डामटा-राना चट्टी 650-2200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 450 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 300 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 200 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया की यात्रा रुट में स्वास्थ्य मित्रों को भी नियुक्त किया जा रहा है, जिनका चयन स्थानीय स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकरी द्वारा किया जाएगा। स्वास्थ्य मित्र स्वास्थ्य कर्मियों व यात्रीगणों की किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य इकाइयों में पहुंचाने का कार्य करेंगे। स्वास्थ्य मित्रों को प्रतिदिन 570 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक स्वास्थ्य मित्रों को दो दिवसीय लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब के लिए भी भारत सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि हुई घोषित

विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बृहस्पतिवार 27 अप्रैल को प्रातः 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। जबकि गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा का दिन 12 अप्रैल निश्चित हुआ। राजदरबार नरेंद्र नगर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित धार्मिक समारोह में राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पंचांग गणना पश्चात विधि विधान से कपाट खुलने की तिथि का विनिश्चय किया तथा महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की।
वहीं, गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा अर्थात भगवान बदरीविशाल के अभिषेक के लिए तिलों के तेल तेल पिरोने हेतु 12 अप्रैल की तिथि निश्चित हुई। समारोह में टिहरी राजपरिवार सहित श्री बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद थे। इससे पूर्व श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधियों ने तेलकलश राज महल के सुपुर्द किया। इस अवसर पर महाराजा मनुजयेंद्र शाह, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, राजकुमारी शिरजा शाह, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, स्वामी मुकुंदानंद, नितेश चैहान, मंदिर समिति सदस्य, श्रीनिवास पोस्ती, पुष्कर जोशी, आशुतोष डिमरी, वीरेंद्र असवाल, भास्कर डिमरी, राजपाल जड़धारी, डिमरी धार्मिक पंचायत अध्यक्ष विनोद डिमरी, तथा मंदिर समिति पूर्व सदस्य हरीश डिमरी, मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, अनिल ध्यानी, भुवन चंद्र उनियाल, राधाकृष्ण थपलियाल, आरसी तिवारी, रमेश नेगी, रवीन्द्र भट्ट, प्रमोद नौटियाल, डा. हरीश गौड़, टीका प्रसाद, नरेंद्र डिमरी राजेंद्र डिमरी हेमचंद्र डिमरी अनुज डिमरी, माधव नौटियाल, आचार्य कृष्णानंद नौटियाल आदि मौजूद रहे। मंदिर समिति की ओर से बताया गया कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि शिवरात्रि 18 फरवरी को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में तय होगी। अक्षय तृतीया इस वर्ष 22 अप्रैल को है श्री गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया को खुलते है। इस संबंध में श्री गंगोत्री तथा यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा कपाट खुलने की तिथि और समय की घोषणा की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने पर्यटन उद्योग को दिलाई सांसे, चारधाम यात्रा में बपंर बरसा धन

उत्तराखंड में अभी तक पर्यटन क्षेत्र में विकास की अवधारणाएं धीरे-धीरे परवान चल रही थी, आवश्यकता थी तो एक ऐसे मुख्यमंत्री की जो अपनी दूर दृष्टि से पर्यटन के रास्ते में आने वाली सारी रुकावटों को दूर करके केंद्र से समय समय पर उत्तराखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट और पैसा ला सके। ऐसे में अपने छोटे से कार्यकाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी विकास का प्रतीक बन गये हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले उत्तराखंड को सियासी तौर पर एक अस्थिर राज्य माना जाता था। इसकी वजह भी थी। राज्य गठन के बाद प्रदेश में एनडी तिवारी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। जिसके चलते बीते 22 साल के भीतर सीएम धामी से पहले उत्तराखंड को 10 मुख्यमंत्री मिल चुके थे। लेकिन बीते साल जब 45 साल के युवा पुष्कर सिंह धामी के हाथों में बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश की कमान दी तो उन्होंने अपने नेतृत्व क्षमता से सभी को चकित कर दिया।
ये सभी जानते हैं कि जिस वक्त पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का नेतृत्व सौंपा गया था। उस वक्त उत्तराखंड में बीजेपी की हालत बहुत खराब थी। लेकिन अपने 6 महीने के कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी ने न केवल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को साधा, बल्कि प्रदेश की जनता के मन को भी जीत लिया। और जब चुनाव हुए तो उन्होंने मोदी के करिश्माई नेतृत्व के साथ तालमेल बिठाया। जिससे प्रदेश में उन्हें दो तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल हुआ। हालांकि प्रदेश में भागदौड़ करने का उन्हें निजी तौर पर नुकसान हुआ। वो खटीमा से चुनाव हार गये। लेकिन वो प्रदेश की जनता का मन जीत चुके थे। प्रदेश में एक बार फिर लगने लगा था कि प्रदेश को शायद एक और मुख्यमंत्री मिलेगा। तब प्रदेश के लोगों की सांसे अटक गई थी। उन दिनों देहरादून के सीएम आवाज में जिस तरह से प्रदेश के कोने-कोने से टूटकर लोग पहुंच रहे थे। उससे देश के करिश्माई नेता और करोड़ों लोगों के दिलों में राज करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पहाड़ के लोगों के मन को भांप गये। उन्होंने प्रदेश की जनता के चहेते पुष्कर सिंह धामी को फिर से प्रदेश की बागडोर थमा दी। ये पुष्कर सिंह धामी के विरोधियों के मुंह पर बड़ा तमाचा था।
पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की जनता और बीजेपी के आलाकमान से आशीर्वाद मिल चुका था। लिहाजा उन्होंने खुलकर खेलना शुरु किया। उन्होंने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को साफ संदेश दिया कि अब प्रदेश में काम करने का वक्त है और जो काम नहीं करेगा। वो नहीं टिक पायेगा। संदेश साफ था लिहाजा प्रदेश में विकास कार्यों में तेजी आई।
पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में आम चुनाव के बाद अपने दूसरे कार्यकाल के लिए 23 मार्च 2022 को शपथ ली थी। उस वक्त चुनौतियां भी काफी थी। चारधाम यात्रा शुरु होने वाली थी। कोविड के बाद चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों में उत्साह दिखाई दे रहा था। सीएम धामी ने यात्रा को सफल बनाने के लिए खुद मोर्चा संभाला। तीर्थ यात्रियों को परेशानी नहीं हो उसके लिए जरुरी प्रबंध किये गये। डॉक्टरों की टीम तैनात की गई। साफ पानी का प्रबंध किया गया। होटल-सरायों में तीर्थयात्रियों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए अभियान की तरह कार्य किया गया। जिसका नतीजा भी अच्छा निकला। इस साल अब तक करीब 46 लाख तीर्थयात्री चारधाम की यात्रा कर चुके हैं। वहीं चारधाम यात्रा से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिला है। जो आंकड़ा सामने आ रहा है उसके मुताबिक केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में अब तक घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी और हेली सेवा ने करीब 211 करोड़ का कारोबार किया। अनुमान है कि यात्रा से अब तक गढ़वाल मंडल विकास निगम ने भी करीब 50 करोड़ रुपए कमाये हैं। वहीं केदारनाथ यात्रा से स्थानीय कारोबारियों ने भी अच्छा मुनाफा कमाया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी बाबा केदारनाथ में बड़ी आस्था है। इसबार जब 21 अक्टूबर को पीएम मोदी केदारनाथ आये तो उन्होंने तीर्थयात्रियों से आग्रह किया कि वे 5 फीसदी खर्च स्थानीय उत्पादों पर करें। वहीं उन्होंने इस बार गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंद घाट- हेमकुंड रोपवे का भी शिलान्यास किया। ये कार्य तभी संभव हो पा रहे हैं। जब प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी कुशल नेतृत्व दे पाने में सक्षम हो पा रहे हैं।
ये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व क्षमता का ही नतीजा है कि इस बार उन्होंने पर्यटकों को लुभाने के लिए जो कारगर कदम उठाये वो सफल साबित हुए। दरअसल प्रदेश में मुख्यमंत्री ने होम स्टे योजना को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाई। जिससे प्रदेश में महज 6 माह के भीतर ही लाखों की तादाद में सैलानी पहुंच चुके हैं। अकेल नैनीताल जिले में बीते साल जहां 3 लाख 26 हजार सैलानी आये। वहीं इस साल अब तक 3 लाख 96 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं।
प्रदेश में पर्यटकों को बेहतर सुविधायें मिलने से कॉर्बेट पार्क भी गुलजार रहा। कॉर्बेट पार्क से मिले आंकड़े के मुताबिक वहां बीते 6 माह यानि अप्रैल के बाद से अबतक करीब 1 लाख 60 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं। जिसमें 439 विदेशी सैलानी भी शामिल हैं। सैलानियों के उत्साह को देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने इस बार गर्जिया जोन भी पर्यटकों के लिए खोल दिया है। वहीं राजाजी पार्क में इस साल अब तक करीब 50 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं। असल में पुष्कर सिंह धामी ने जब से राज्य की कमान संभाली है। तब से वे लगातार सड़कों के रख रखाव पर जोर दे रहे हैं। जिससे प्रदेश की सड़कें बेहतर हो चुकी हैं। इससे पर्यटन कारोबार को भी मदद मिल रही है। सड़कें अच्छी होने से सैलानी उत्तराखंड में बार-बार आ रहा है। वहीं मुख्यमंत्री धामी, उत्तराखंड में अवस्थापना विकास पर भी लगातार जोर दे रहे हैं। जिससे प्रदेश के गांव-गांव तक सड़कें पहुंच रही हैं। वहीं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्ग भी तैयार किये जा रहे हैं। वहीं राज्य में दूसरे क्षेत्रों में भी कार्य हो रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रदेश में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। जो अब धीरे-धीरे सभी की नजर में आने लगे हैं। वहीं प्रदेश को एक पुष्कर धामी के रूप में नया विकास पुरुष भी मिल गया है।

चारधाम यात्रा-श्रद्धालुओं की सुरक्षा को केन्द्र सरकार गंभीर

चारधाम यात्रा पर तीर्थयात्रियों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने मदद के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है। इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों को भी पैदल यात्रा मार्गों पर मदद के लिए तैनात किया गया है। पैदल यात्रा करते समय अचानक तबीयत बिगड़ने पर एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान तीर्थयात्रियों की मदद कर उन्हें तत्काल नजदीकी मेडिकल कैंप तक पहुंचाएंगे।
प्रदेश में तीन मई को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हुई है। शुरूआत में ही केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों की मौत पर पीएमओ ने संज्ञान लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की मदद के लिए केंद्र ने एनडीआरएफ की टीम भेजी है। खास तौर पर केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर एनडीआरएफ टीम तैनात की गई है। इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों को यात्रियों की मदद के लिए तैनात किया गया है। केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर यदि किसी यात्री की अचानक तबीयत खराब होती है तो एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान तत्काल मदद कर उन्हें मेडिकल कैंप तक पहुंचाएंगे, ताकि समय पर इलाज मिल सके।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने बताया कि चारधाम यात्रा करने वाले यात्रियों की मदद के लिए केंद्र की ओर से एनडीआरएफ की टीमें भेजी गई हैं। इसके साथ ही आईटीबीपी के जवानों को तैनात किया गया। एसडीआरएफ की टीमें पहले ही चारधामों में तैनात हैं। एनडीआरएफ और आईटीबीपी को एक सीमित समय के लिए तैनात किया है। जरूरत पड़ने पर समय को बढ़ाया जाएगा।

क्षमता के अनुसार भेजे जा रहे यात्री
कोविड महामारी के कारण दो साल बाद चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। चारधामों में कपाट खुलने के दिन क्षमता से दोगुने यात्री पहुंचे थे। जिससे धामों में यात्रियों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। मुख्य सचिव ने कहा कि चारधामों की वहन क्षमता के अनुसार यात्रियों का पंजीकरण कर दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। पिछले तीन दिनों से धामों में स्थित पूरी तरह से नियंत्रण में है। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिले के जिलाधिकारियों से प्रतिदिन व्यवस्थाओं की समीक्षा की जा रही है।