धामी सरकार ने नशे के खिलाफ छेड़ी बड़ी मुहिम, जिलाधिकारियों को सौंपी गई निगरानी की कमान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाया है। शासन ने राज्य के सभी जिलों में मानसिक स्वास्थ्य पुनर्विलोकन बोर्ड (Mental Health Review Boards) को सक्रिय करने का फैसला लिया है, साथ ही नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों पर राज्यव्यापी निरीक्षण अभियान शुरू किया गया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में मानसिक स्वास्थ्य और नशामुक्ति सेवाओं को सुधारने के लिए एक ठोस नीति और सख्त अमल की शुरुआत कर दी है। यह अभियान प्रदेश में स्वस्थ, सुरक्षित और नशामुक्त वातावरण की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों पर यह अभियान मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 और 24 जुलाई 2023 की अधिसूचना के प्रावधानों के तहत संचालित किया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना और नशा मुक्ति केंद्रों की पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेशभर में नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों का सघन निरीक्षण अभियान शुरू हो गया है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने जिलों में संचालित केंद्रों की स्थिति, पंजीकरण और सुविधाओं की नियमित जांच सुनिश्चित करें। इसके लिए जिलास्तरीय टीमें गठित कर दी गई हैं। जो केंद्र निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें चिन्हित कर आर्थिक दंड और तत्काल बंदी की कार्रवाई की जाएगी। शासन ने साफ किया है कि अब गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।

स्वास्थ्य सचिव ने साफ कर दिया है कि इस विषय में कोई लापरवाही या शिथिलता स्वीकार नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण को निर्देशित किया है कि प्रदेशभर में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाए और निरंतर निरीक्षण किए जाएं। उनके निर्देश के बाद जिलास्तरीय निरीक्षण टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हो चुकी हैं। निरीक्षण के दौरान इन संस्थानों की पंजीकरण स्थिति, मानकों की पूर्ति, सुविधाएं, कर्मचारियों की उपलब्धता और मरीजों के उपचार की गुणवत्ता जैसे बिंदुओं की गहन जांच की जा रही है। ऐसे सभी केंद्र जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते या बिना वैध पंजीकरण के कार्यरत हैं, उन्हें चिन्हित कर आर्थिक दंड और तत्काल बंदी की कार्रवाई की जाएगी।

*133 संस्थान अनंतिम पंजीकरण पर, अंतिम सत्यापन अनिवार्य*
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा प्रदेश में फिलहाल 133 मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (जिसमें नशा मुक्ति केंद्र शामिल हैं) अनंतिम रूप से पंजीकृत हैं। अंतिम पंजीकरण से पहले इन सभी का स्थल निरीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन आवश्यक कर दिया गया है। Clinical Establishments Act-2010 के अंतर्गत पंजीकृत संस्थानों को भी अब मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम-2017 के तहत अंडरटेकिंग (Undertaking) देनी होगी, जिससे वे आवश्यक न्यूनतम मानकों का पालन सुनिश्चित करें।

*हर जिले में बोर्ड की अनिवार्य मासिक बैठक*
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा हर जिले में पुनर्विलोकन बोर्ड को हर माह कम से कम एक बैठक आयोजित करनी होगी, ताकि निरीक्षण और निगरानी की प्रक्रिया निरंतर बनी रहे। वर्तमान में 7 जिलों में बोर्ड कार्यरत हैं, जबकि 6 अन्य जिलों में गठन प्रक्रिया प्रगति पर है। शासन ने निर्देशित किया है कि इन बोर्डों का गठन शीघ्र पूरा किया जाए।

*केवल योग्य संस्थानों को अनुमति*
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बिना वैध पंजीकरण संचालित नशा मुक्ति केंद्रों को चिन्हित कर उन पर आर्थिक दंड, कानूनी कार्रवाई और तत्काल बंदी की कार्यवाही की जाए। भविष्य में केवल वही संस्थान कार्यरत रह सकेंगे जो न्यूनतम चिकित्सा, प्रशासनिक एवं सामाजिक मानकों को पूरी तरह पूरा करते हैं।

*देहरादून में औचक निरीक्षण, अव्यवस्थाएं उजागर*
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा इसी क्रम में जनपद देहरादून में जन शिकायत प्राप्त होने पर बहादुरपुर रोड, वार्ड नंबर 9, सेलाकुई में संचालित एक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र का औचक निरीक्षण किया गया। प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की सम्मिलित टीम ने मौके पर पहुंचकर केंद्र में व्याप्त गंभीर अव्यवस्थाओं और खामियों का जायजा लिया। निरीक्षण दल ने पाया कि केंद्र में कई मानक पूरे नहीं किए गए थे। टीम ने रिपोर्ट तैयार कर आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेज दी है। यह कार्रवाई सरकार की उस नीति को दर्शाती है जिसमें सेवा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

*हरिद्वार में नशा मुक्ति केंद्र का औचक निरीक्षण*
जनपद हरिद्वार में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की सम्मिलित टीम ने जीवन ज्योति नशा मुक्ति केंद्र का औचक निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान नशा मुक्ति केंद्रों की स्थिति, पंजीकरण, मानकों की पूर्ति की जांच की जा रही है । इन टीमों द्वारा प्रत्येक नशा मुक्ति केंद्र की गहन जांच की जा रही है तथा जो संस्थान निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते या बिना पंजीकरण के कार्यरत हैं, उन्हें चिन्हित कर आर्थिक दंड और तत्काल बंदी की कार्रवाई की जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम के अनुसार केवल उन्हीं संस्थानों को कार्य करने की अनुमति दी जाए जो न्यूनतम मानकों को पूर्ण करते हैं।

बच्चों में नशें की प्रवृति रोकने के प्रयास किये जाये-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए नशा मुक्ति हेतु विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे नशा मुक्ति केंद्रों की जानकारी आमजन तक पहुंचाई जाए, ताकि आमजन विशेषकर गरीब लोग नशामुक्ति केंद्रों की जानकारी के अभाव में इधर उधर न भटकें, सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग्स आयोजित कर जन जागरूकता फैलाई जाए। उन्होंने नशामुक्ति हेतु लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने सीज्ड ड्रग्स के निष्पादन हेतु लीगल मैकेनिज्म विकसित करने की बात भी कही। कहा कि एंटी ड्रग समितियों की लगातार बैठकें आयोजित की जाएं। जिला स्तरीय बैठकें अगले 15 दिनों में आयोजित कर ली जाएं। उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर विभागों द्वारा अपने नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने हेतु भी निर्देशित किया।
मुख्य सचिव ने जेलों में कैद 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को अलग बैरकों में रखे जाने हेतु व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि इससे युवाओं को अपराध की दिशा में भटकने से बचाया जा सकेगा साथ ही उनके लिए कौशल विकास प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि ऐसे युवा कौशल प्रशिक्षण लेकर अपने भविष्य को सुधार सकें।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख सचिव एल फैनई एवं अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।