शिक्षा विभाग ने टोलफ्री नम्बर जारी कर तैनात किये नोडल अधिकारी


विद्यालयी शिक्षा विभाग ने बरसाती सीजन को देखते हुये समस्याओं के निवारण के लिये कंट्रोल रूम की स्थापना की है। इसके साथ ही विभाग ने टोलफ्री नम्बर भी जारी किया है। जिस पर छात्र-छात्राएं, अभिभावक व शिक्षक अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे। जन समस्याओं के निराकरण के लिये विभाग ने नोडल अधिकारियों की तैनाती भी सुनिश्ति कर दी है ताकि शिकायतों व समस्याओं का समय पर समाधान हो सके।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने मानसून सीजन को देखते हुये कांट्रोल रूम की स्थापना की है, ताकि बरसात के दौरान समाने आने वाली विभिन्न समस्या से तत्काल निपटा जा सके। इसके अलावा विभाग ने शिकायतों व समस्याओं के निराकरण के लिये टोलफ्री नम्बर 18001804132 भी जारी किया है। जिस पर छात्र-छात्राएं, अभिभावक व शिक्षक अपनी समस्याएं दर्ज करा सकेंगे। टोलफ्री नम्बर पर दर्ज शिकायतों व समस्याओं के तत्काल निवारण के लिये विभाग ने नोडल अधिकारी, सह नोडल अधिकारी व 10 कम्प्यूटर ऑपरेटर की तैनाती की है। जिसमें अजीत भण्डारी, प्रद्युमन रावत, पल्लवी नैन, अंजुम फातिमा, एम.एम. जोशी को नोडल जबकि हरीश नेगी, नूतन, विजयलक्ष्मी, पूनम व मुकेश कुमेड़ी सह नोडल होंगे। ये सभी कार्मिक 8 जुलाई से 10 अगस्त 2024 तक कंट्रोल रूम में बैठकर टोलफ्री नम्बर पर दर्ज समस्याओं व शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लेकर विभागीय स्तर पर निवारण करेंगे। इस संबंध में विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को दो टूक निर्देश दिये हैं। उन्होंने अधिकारियों को टोलफ्री नम्बर पर आने वाली प्रत्येक कॉल को रिसीव करने तथा प्रत्येक समस्या का समय पर समाधान करने को कहा। इसके साथ ही कांट्रोल रूम के सफल संचालन को प्रत्येक दो सप्ताह में समीक्षा करने के निर्देश भी विभागीय अधिकारियां को दिये हैं।

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मानसूनी सीजन में राजकीय विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न न हो इसके लिये शिक्षा विभाग में पहली बार कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। विभाग ने टोलफ्री नम्बर 18001804132 भी जारी किया है। जिस पर विद्यालयों से सम्बंधित शिकायत व समस्याएं दर्ज की जा सकेंगी। किसी भी समस्या का समय से समाधान करने के लिये कार्मिकों की तैनाती भी सुनिश्चित की गई है।
– डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।

राज्य में काउंसलिंग से होंगे शिक्षकों के तबादले, विभागीय मंत्री धन सिंह ने दी मंजूरी

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षकों के तबादले काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से किये जायेंगे। इस संबंध में विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय प्रस्ताव को स्वीकृत प्रदान कर दी है। तबादलों में काउंसलिंग प्रक्रिया की मंजूरी मिलते ही विभाग शिक्षकों के वार्षिक स्थानांतरण की तैयारी में जुट गया है।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षकों के स्थानांतरण काउंसलिंग के माध्यम से किये जायेंगे। इस संबंध में विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। जिसका शासनादेश जारी होते ही शिक्षकों के वार्षिक स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को स्थानांतरण प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश देते हुये तबादला कार्यक्रम के अनुसार आगामी 10 जुलाई से पहले काउंसलिंग प्रक्रिया को पूर्ण करने को कहा।

विभागीय मंत्री ने बताया कि लम्बे समय से शिक्षकों की काउंसलिंग के माध्यम से वार्षिक स्थानांतरण की मांग रही है, जिसे राज्य सरकार द्वारा पूरा कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र तथा दुर्गम से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण की सीमा में आने वाले शिक्षकों को आवेदन पत्र में दिये गये विकल्पों में पद रिक्त न होने की दशा में विकल्प से इतर विद्यालयों में स्थानांतरण कर दिया जाता था, जिससे शिक्षकों में भारी नाराजगी देखने को मिलती थी। डा. रावत ने कहा कि अब काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से पूरी पारदर्शिता के साथ शिक्षकों के स्थानांतरण किये जायेंगे, साथ ही इस व्यवस्था के तहत पात्र शिक्षकों को इच्छित विद्यालय भी आवंटित हो सकेंगे। जिससे अध्यापक पूर्ण मनोयोग से अध्यापन कार्य कर सकेंगे। जिसके फलस्वरूप विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों में व्यापक सुधार आयेगा जिसका लाभ प्रदेशभर के छात्र-छात्राओं को मिलेगा।

तबादलों में काउंसलिंग की मंजूरी मिलते ही विभागीय अधिकारियों ने शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर तैयारी शुरु कर दी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर बिष्ट ने बताया कि काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शीघ्र ही शिक्षकों की काउंसलिंग के लिये तिथि घोषित की जायेगी। उन्होंने कहा कि विभाग की कोशिश रहेगी कि आगामी 10 जुलाई से पहले शिक्षकों के तबादले कर दिये जाय।

सीएम के हाथों होगा एससीईआरटी के नव निर्मित भवन का लोकार्पण

विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत विभिन्न संवर्गों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। समग्र शिक्षा के अंतर्गत आउटसोर्स के माध्यम से बीआरपी-सीआरपी, रिसोर्स पर्सन, लेखाकार कम सपोर्टिंग स्टॉफ सहित चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। इसके अलावा कलस्टर स्कूलों के निर्माण कार्य समय पर पूरा करने को भी अधिकारियों को कहा गया है। मुख्यमंत्री के हाथों एससीईआरटी के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण तथा ‘हमारी विरासत’ पुस्तक का विमोचन शीघ्र किया जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को सभी तैयारियां पूरी करने को कहा गया है।
शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज विद्यालयी शिक्षा निदेशालय स्थित समग्र शिक्षा सभागार में विभागीय समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा के तहत विभिन्न संवर्गों के रिक्त पदों की समीक्षा करते हुये अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिये। डा. रावत ने कहा कि विभाग में लम्बे समय से रिक्त चल रहे पदों को शीघ्र भरा जाय ताकि विभागीय कार्यों में तेजी लाई जा सके। उन्होंने बताया कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत बीआरपी-सीआरपी के 955 पद, रिसोर्स पर्सन आईईडी के 161 तथा लेखाकार कम सपोर्टिंग स्टॉफ के 326 पदों के लिये विभागीय स्तर पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है, शीघ्र ही इन पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्तियां दी जायेगी। विभागीय मंत्री ने कहा कि प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये अधिकारियों को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत प्रथम चरण में बेसिक शिक्षकों के 2917 पदों पर जनपदवार विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक एलटी के 1544 पदों का अधियाचन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भेजा जा चुका है, इन पदों के सापेक्ष शीघ्र ही आयोग से चयनित शिक्षकों की सूची उपलब्ध हो जायेगी, जबकि प्रवक्ता के 613 पदों का अधियाचन भी राज्य लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है। डा. रावत ने कहा कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के लगभग 2500 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही भर्ती प्रक्रिया में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों को शीघ्र दूर कर दिया जायेगा। डा. रावत ने कहा कि शीघ्र ही मुख्यमंत्री के हाथों एससीईआरटी के नव निर्मित भवन का लोकार्पण तथा नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के तहत एससीईआरटी द्वारा तैयार ‘हमारी विरासत’ पुस्तक का विमोचन किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिये गये हैं।
बैठक में डॉ. रावत ने विद्या समीक्षा केन्द्र के कामकाज की समीक्षा करते हुये अधिकारियों को विद्यालयों, छात्रों एवं शिक्षकों से संबंधित सभी आंकडों को रियल टाइम आधार पर संकलित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विद्या समीक्षा केन्द्र के संचालन से शिक्षकों की सारी परेशानियों को दूर किया जा रहा है ताकि शिक्षक अपना पूरा फोकस शैक्षणिक गतिविधियों पर कर सकें। बैठक में विभागीय मंत्री डा. रावत ने कलस्टर विद्यालयों के निर्माण संबंधी प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को कलस्टर विद्यालयों के निर्माण कार्यों में हो रही देरी पर कार्यदायी संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्यवाही करने के भी निर्देश दिये।
बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा रंजना राजगुरू, एम.एम. सेमवाल, निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल, निदेशक प्राथमिक शिक्षा आर.के. उनियाल, निदेशक माध्यमिक एम.एस. बिष्ट, अपर परियोजना निदेशक डा. मुकुल सती, स्टॉफ ऑफिसर शिक्षा बी.पी. मंदोली सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

एलटी शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर विभागीय मंत्री ने दिए एसओपी जारी करने के निर्देश

राज्य सरकार ने विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत एलटी संवर्ग के शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पूरी कर दी है। सरकार ने एलटी शिक्षकों की सेवा नियमावली में संशोधन कर मंडल परिवर्तन को लेकर विभाग को शीघ्र एसओपी जारी करने के निर्देश दिये हैं। जिसके क्रम में अब एलटी शिक्षकों के तबादले एक मंडल से दूसरे मंडल में हो सकेंगे। एलटी शिक्षक को सम्पूर्ण सेवाकाल में मात्र एक बार संवर्ग परिवर्तन का मौका मिलेगा। इसके लिये उन्हें अपने मूल संवर्ग में कम से कम पांच वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण करनी आवश्यक होगी तभी वह अंतरमंडलीय स्थानांतरण के लिये पात्र होंगे।

उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश के एलटी संवर्ग शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पर विचार करते हुये राज्य कैबिनेट ने हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) (संशोधन) सेवा नियमावली-2024 में संशोधन कर अंतरमंडलीय स्थानांतरण को मंजूरी प्रदान की। सरकार ने इस संशोधन के जरिये एलटी संवर्ग के शिक्षकों को सम्पूर्ण सेवा काल में एक बार मंडल परिवर्तन करने का मौका दिया है ताकि शिक्षक इच्छित मंडल में अपनी शेष सेवा पूरी कर सके। डा. रावत ने बताया कि एलटी शिक्षकों के संवर्ग परिवर्तन हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में शीघ्र ही शासन स्तर से एसओपी जारी की जायेगी। जिसके उपरांत विभागीय स्तर पर अंतरमंडलीय स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी की जायेगी, जिसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि नये प्राविधानों के तहत ऐसे सहायक अध्यापको को मंडल परिवर्तन का मौका मिलेगा जिन्होंने अपने मूल संवर्ग में न्यूनतम 05 वर्षों की संतोषजनक सेवा पूर्ण कर ली हो। उन्होंने बताया कि शिक्षकों को मंडल परिवर्तन का लाभ सम्पूर्ण सेवा में मात्र एक बार ही अनुमन्य होगा। एक मंडल से दूसरे मंडल में स्थानांतरित शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से नवीन संवर्ग में कनिष्ठतम हो जायेंगे।

विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि मंडल परिवर्तन करते समय सामान्य शाखा में कार्यरत शिक्षकों का स्थानांतरण सामान्य शाखा जबकि महिला शाखा में कार्यरत शिक्षिकाओं का स्थानांतरण महिला शाखा में ही किया जायेगा। दोनों मंडलों में जिस मंडल में विषयवार वास्तविक रिक्तियों की संख्या कम होगी उस विषय में उतनी सीमा तक ही समान श्रेणी के विद्यालयों में शिक्षकों के स्थानांतरण किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इच्छुक शिक्षक सम्बंधित मंडल स्तर पर ही आवेदन किये जायेंगे। प्राप्त आवेदन पत्रों के परीक्षणोपरान्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा शिक्षकों को मंडल आवंटित किये जायेंगे। जिस हेतु शासन स्तर पर गठित समिति से अनुमोदन लेना आवश्यक है।

डा. रावत ने बताया कि अंतरमंडलीय स्थानांतरण में पारदर्शिता को लेकर शासन स्तर पर अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। जिसमें अपर सचिव कार्मिक, संयुक्त सचिव माध्यमिक शिक्षा, उप सचिव व अनु सचिव माध्यमिक शिक्षा बतौर सदस्य शामिल किये गये हैं। डा. रावत ने उम्मीद जताई कि अंतरमंडलीय स्थानांतरण से शिक्षकों की समस्या दूर हो जायेगी और वह शिक्षण कार्यों में जुटकर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ बनाने में पूर्ण सहयोग करेंगे।

स्नातक पाठ्यक्रमों के लिये 31 मई तक होंगे ऑॅनलाइन पंजीकरणः धन सिंह

उत्तराखंड के समस्त शासकीय, अशासकीय, निजी महाविद्यालयों एवं राज्य विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम सेमेस्टर की प्रवेश प्रक्रिया समर्थ पोर्टल के माध्यम से आयोजित की जा रही है। नव प्रवेशित छात्र-छात्राएं आगामी 31 मई तक स्नातक कक्षाओं के लिये ऑनलाइन पंजीकरण कर सकेंगे। इसके उपरांत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 01 जून से 20 जून तक प्रवेश प्रक्रिया संचालित की जायेंगी। जिसमें मेरिट, काउंसलिंग, प्रवेश शुल्क का भुगतान इत्यादि कार्य संपन्न किए जाएंगे। छात्र-छात्राओं को प्रवेश पाने में किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके लिये सभी शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट फैसिलिटी सेंटर स्थापित किये गये हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि नई शिक्षा नीति-2020 के दृष्टिगत विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, दून विश्वविद्यालय देहरादून, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोडा एवं श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, टिहरी से संबद्ध समस्त शासकीय, अशासकीय एवं निजी महाविद्यालय व विश्वविद्यालय परिसरों में स्नातक प्रथम सेमेस्टर की प्रवेश प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा तैयार समर्थ पोर्टल के माध्यम से आयोजित की जा रही है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिये स्नातक कक्षाओं में प्रवेश हेतु छात्र-छात्राएं आगामी 31 मई 2024 तक ऑनलाइन पंजीकरण कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि पंजीकरण के उपंरात 01 जून से 20 जून 2024 तक विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मेरिट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया संचालित की जायेंगी, जबकि 13 जुलाई से शैक्षिक सत्र विधिवत शुरू किया जायेगा। डा. रावत ने बताया कि नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं को प्रवेश को लेकर किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिये विभागीय उच्चाधिकारियों को जरूरी निर्देश दे दिये गये हैं साथ ही उन्हें सभी शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट फैसलिटी सेंटर स्थापित करने व समर्थ पोर्टल के व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि राजकीय विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से “एक प्रदेश, एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम, व एक दीक्षांत“ के तहत समर्थ गवर्नेंस पोर्टल लागू किया गया है। जिसके विगत वर्ष सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद प्रदेश के सभी युवाओं को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करना है लिहाजा विभागीय अधिकारियों को स्नातक कक्षाओं में प्रवेश से कोई भी युवा वंचित न रह पाये यह सुनिश्चित करने को कहा गया है। विभागीय मंत्री के निर्देशों के क्रम में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली ने समस्त राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों एवं निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र जारी कर समर्थ पोर्टल का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है। इसके अलावा उन्होंने पोर्टल का लिंक व क्यूआर कोड को विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों की वेबसाइट पर प्रदर्शित करने, उच्च शिक्षण संस्थानों के निकटस्थ इंटरमीडिएट विद्यालयों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व छात्र समूहों, व्यापार मण्डल आदि के माध्यम से भी समर्थ पोर्टल का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने को कहा है। स्नातक स्तरीय कक्षाओं में प्रवेश हेतु नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिये सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के परिसरों में स्टूडेंट फैसिलिटी सेंटर अनिवार्य रूप से स्थापित करने को कहा है ताकि छात्र-छात्राओं को पंजीकरण एवं एडमिशन को लेकर कोई दिक्कत न हो।

उत्तराखंडः 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता हुआ साफ


उत्तराखंड के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए शिक्षकों की भर्ती के लिये बीएड की बाध्यता समाप्त कर दी है। इसके स्थान पर दो वर्षीय डीएलएड कोर्स को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य सरकार के इस फैसले से लगभग 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं।

शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के वर्ष 2018 में जारी उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता लागू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य कैबिनेट ने हाल ही में राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। जिसके क्रम में शासन ने उत्तराखंड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को जारी कर दी है।

नियमावली में संशोधन से बेसिक शिक्षकों के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड डिग्री की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब राज्य में केवल डीएलएड डिग्रीधारक ही पहली से पांचवीं कक्षा तक के बेसिक शिक्षक के पद के लिये पात्र होंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की नई नियमावली लागू होने से लगभग 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। इसके लिये निर्वाचन आयोग से भर्ती की अनुमति लेते हुये शीघ्र उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को रिक्त पदों के सापेक्ष अधियाचन भेजने के निर्देश दिये गए हैं।

निर्धारित समय से पहले उच्च गुणवत्ता के साथ तैयार हुआ आवासीय छात्रावास भवन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को नव वर्ष के अवसर पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय छात्रावास कौलागढ़ के भवन का लोकार्पण किया। इस भवन का शिलान्यास पिछले वर्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ही किया था। 4 करोड़ 9 लाख 40 हजार रूपये की लागत से बना यह भवन एक साल से कम समय में बनकर तैयार हुआ। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर इस छात्रावास के बच्चों को गणवेश पहनाये और कंबल भी प्रदान किये। मुख्यमंत्री ने आवासीय छात्रावास का अवलोकन भी किया और बच्चों को छात्रावास में दी जा रही सुविधाओं का जायजा भी लिया।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पहले ही निर्देश दिये गये थे कि छात्रावासों में बच्चों को बेहतर गुणवत्ता के संसाधन उपलब्ध कराये जाएं। छात्रावास की बेहतर व्यवस्थाओं पर उन्होंने संतोष प्रकट किया। इस छात्रावास में 100 बच्चों के लिए आवासीय व्यवस्थाएं की गई है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि कमजोर, अपवंचित एवं साधन विहीन वर्ग की बेटियों की शिक्षा के लिए बनाये गये कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में खोले गये छात्रावासों एवं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस छात्रावास के निकटवर्ती 11 विद्यालयों का इंटर स्तर पर उच्चीकरण भी किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये वर्ष की शुरूआत में बच्चों के बीच आकर उन्हें सुखद अनुभव हुआ है। पिछले वर्ष 2 जनवरी 2023 को इसी विद्यालय के परिसर से मुख्यमंत्री द्वारा राजकीय बालिका इण्टर कालेज कौलागढ़ के मुख्य भवन एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस छात्रावास झड़ीपानी का लोकार्पण और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस छात्रावास कौलागढ़ का भी शिलान्यास किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस छात्रावास भवन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर है। उनके जीवन से हमें ऊर्जा, परिश्रम और संकल्प से ही महान कार्य करने की सीख मिलती है। राज्य में कमजोर, पिछड़े, अनाथ एवं संसाधन विहीन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के लिए इस प्रकार के 13 छात्रावास संचालित हैं, जिनमें 1000 बच्चों के लिए निःशुल्क व्यवस्थाएँ की गयी है। बालिकाओं के लिए 40 कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका छात्रावास अलग से संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें सभी सुविधाएं निःशुल्क दी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका छात्रावासों में रह रही बालिकाओं द्वारा बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने इसके लिये बालिकाओं के शिक्षकों, छात्रावास की वार्डन एवं इस कार्य से जुड़े सभी अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की है। साधन विहीन एवं कमजोर पृष्ठभूमि की इन बालिकाओं के द्वारा श्रेष्ठ प्रदर्शन करना इस बात का द्योतक है कि हमारी बालिकाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है, आवश्यकता है तो केवल इन्हें समुचित अवसर तथा सही मार्गदर्शन देने की। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमें उच्च विचार, उच्च आचार, उच्च संस्कार और उच्च व्यवहार के साथ ही समाज की समस्याओं का उचित समाधान भी उपलब्ध कराती है। बेटियों को बेहतर शिक्षा प्रदान कराना राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का जो नारा दिया है उस नारे को हमें सार्थक करना है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमारे इन बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। शिक्षा से ही कोई समाज समृद्धशाली और शक्तिशाली बन सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का मुख्य सेवक होने के नाते उनकी कोशिश है कि राज्य के हर बच्चे को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध करा सकें। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि उन्हें जो मन से अच्छा लगे वो कैरियर चुनें, क्योंकि बिना रुचि के आप कोई सफल काम नहीं कर सकते। अपनी रुचि के अनुसार हम आगे बढ़ते हैं तो जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से जहां एक ओर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे, वहीं इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी प्राप्त होंगे। उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।

बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों में अभी से जुटें अधिकारीः डॉ. धन सिंह रावत

शिक्षा सत्र को नियमित करने के लिये विभागीय अधिकारियों को अभी से तैयारियों में जुटने के निर्देश दे दिये गये हैं। सरकार का उद्देश्य बोर्ड परीक्षाओं को समय पर आयोजित करा कर परीक्षाफल समय पर घोषित करना है। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को 30 अप्रैल तक बोर्ड परीक्षा परिणाम तथा 30 मई तक अंक सुधार परीक्षा परिणाम घोषित करने का लक्ष्य दिया गया है ताकि उच्च शिक्षा का सत्र भी समय पर शुरू किया जा सके।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। डॉ. रावत ने बताया प्रदेश में शिक्षण सत्र समय पर शुरू कराने के दृष्टिगत विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया गया। जिसमें तय किया गया कि वर्तमान शैक्षिक सत्र की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी-मार्च में करा कर 30 अप्रैल तक 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाओं का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जायेगा, जबकि बोर्ड परीक्षाओं के तहत अंकसुधार परीक्षा का परिणाम भी एक माह के भीतर घोषित कर दिये जायेंगे। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को अभी से तैयारियों में जुटने के निर्देश दे दिये गये हैं। विद्य़ालयी शिक्षा का सत्र नियमित होने से जहां एक ओर छात्र-छात्राएं नई कक्षा में समय पर प्रवेश ले सकेंगे वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा के सत्र को सभी समय पर शुरू करने में मदद मिलेगी। इसका लाभ प्रदेश की पूरी शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। डॉ. रावत ने विभागीय अधिकारियों को आवंटित जनपदों का भ्रमण कर विद्यालयों का बरीकी से स्थलीय निरीक्षण करने के साथ ही स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों की भी रिपोर्ट तैयार कर मंत्रालय को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। विभागीय मंत्री ने कहा कि भ्रमण के दौरान अधिकारी पीएम-श्री स्कूल, अटल उत्कृष्ट विद्यालय व कलस्टर विद्यालयों सहित नेता जी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय छात्रावासों का भी स्थलीय निरीक्षण कर वहां के छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों से भी संवाद स्थापित करेंगे। भ्रमण के पश्चात विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिये प्रभावी निर्णय लिये जायेंगे।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव शिक्षा योगेन्द्र यादव, रंजना राजगुरू, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव एम.एम. सेमवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण वंदना गर्ब्याल, निदेशक प्राथमिक शिक्षा रामकृष्ण उनियाल, संयुक्त सचिव जे.एल. शर्मा, बी.एस. बोरा, उप सचिव अनिल कुमार पाण्डेय सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

पीएम श्री स्कूल योजना के द्वितीय चरण में अधिक से अधिक स्कूल हों शामिल

भारत सरकार द्वारा संचालित पीएम-श्री योजना के अंतर्गत द्वितीय चरण के लिये विद्यालयों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिसमें सूबे के अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों दे दिये गये हैं। इस संबंध में सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों एवं खंड शिक्षा अधिकारियों को पीएम-श्री पोर्टल पर आवेदन कर विद्यालयों की सम्पूर्ण जानकारी अपलोड करने को कहा गया है साथ ही चिन्हित विद्यालयों के भौतिक निरीक्षण की रिपोर्ट निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि भारत सरकार की महत्वकांक्षी पीएम-श्री योजना के अंतर्गत द्वितीय चरण में विद्यालयों के चयन की ऑनलाइन प्रक्रिया एक अगस्त से शुरू हो चुकी है। जिसके तहत 21 अगस्त तक विद्यालयों द्वारा चयन हेतु आवेदन किया जाना है। जिनका 31 अगस्त तक जनपद स्तर सत्यापन तथा 5 सितम्बर तक राज्य स्तर सत्यापन एवं चयन का कार्य पूरा किया जायेगा। इसके उपरांत 15 सितम्बर तक भारत सरकार द्वारा चयनित विद्यालयों की सूची जारी कर दी जायेगी। डॉ. रावत ने बताया कि इस योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत राज्य से 232 स्कूलों का चिन्हिकरण कर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, जिनमें से भारत सरकार ने 142 विद्यालयों को अपनी स्वीकृत प्रदान की। उन्होंने बताया कि योजना के द्वितीय चरण में प्रदेश के अधिक से अधिक विद्यालयों को शामिल करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। जिसके तहत अपने अपने जनपदों में चिन्हित विद्यालयों की सम्पूर्ण सूचनाएं विद्यालय स्तर से नियत समय में पीएम-श्री पोर्टल पर अपलोड कराना होगा। साथ ही विकासखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा चिन्हित विद्यालयों का भौतिक निरीक्षण कर प्रामणीकरण रिपोर्ट राज्य स्तरीय अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिये गये हैं।

शिक्षा मंत्री बोले, 30 जून तक अनिवार्य रूप से डीपीआर जमा करें समस्त बीईओ

राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार, भौतिक संसाधनों में वृद्धि, शिक्षकों की उपलब्धता एवं छात्र संख्या में वृद्धि के दृष्टिगत प्रदेशभर में कलस्टर स्कूलों के गठन का निर्णय लिया है। प्रत्येक विकासखंड में न्यूनतम दो कलस्टर विद्यालय स्थापित किये जायेंगे। जिसकी प्रक्रिया पूर्ण करने की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को चयनित कलस्टर स्कूलों, पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवनों हेतु कार्यदाय संस्थाओं के माध्यम से शीघ्र डीपीआर तैयार कराने के निर्देश दिये गये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज देहरादून स्थित एक निजी होटल में शिक्षा अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें शासन एवं निदेशालय के उच्चधिकारियों के साथ ही प्रदेशभर के खंड शिक्षा अधिकारियों एवं उप खंड शिक्षा अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। विभागीय मंत्री डा. रावत ने करीब तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में चयनित कलस्टर विद्यालयों की संख्या, पीएम-श्री स्कूलों की प्रगति, परिषदीय परीक्षा में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन, विद्यालय में तैनात शिक्षकों एवं छात्रों की संख्या, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण, लम्बे समय से लापता एवं बीमार शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मिकों की स्वैच्छिक एवं अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रगति आदि बिन्दुओं पर विकासखंडवार समीक्षा की। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये कि चयनित कलस्टर स्कूलों में से वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनतम दो-दो कलस्टर विद्यालयों का गठन करना अनिवार्य है। इसके लिये अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अभिभावकों के साथ पांच से दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों के समायोजन की सहमति बनाते हुये सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करें। इसके उपरांत अंतिम रूप से चयनित कलस्टर विद्यालयों तथा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवन निर्माण की कार्यदायी संस्था से डीपीआर बनवाकर शीघ्र मुख्य शिक्षा अधिकारी को सौंपे ताकि समय पर सभी स्कूल भवनों एवं कलस्टर विद्यालयों की डीपीआर स्वीकृति हेतु शासन को उपलब्ध हो सके। शिक्षा मंत्री डा. रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी विद्यालयों में नशा मुक्ति एवं तम्बाकू निषेध अभियान चलाने के साथ ही छात्रों को नैतिक शिक्षा एवं शिक्षकों को आचरण सेवा नियमावली का पालन कराना भी सुनिश्चित करना होगा। इसके लिये उन्होंने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने विकासखंड में विशेष अभियान चलाकर समय-समय पर समीक्षा करने को भी कहा। डा. रावत ने कहा कि जो शिक्षक एवं कर्मचारी लम्बे समय से गायब हैं अथवा लम्बे समय से बीमारी के कारण स्कूलों में अनुपस्थित हैं उनके विरूद्ध नियमानुसार अनिवार्य एवं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की कार्यवाही भी करें। समीक्षा बैठक में कलस्टर स्कूलों के गठन को लेकर शिक्षा निदेशालय की ओर उप निदेशक डॉ. चेतन नौटियाल के द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। इस अवसर पर विभगीय मंत्री ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा तैयार आनन्दम्-पाठ्यचर्चा विशेषांक ‘आनंद-पथ’ पत्रिका के द्वितीय संस्करण का विमोचन भी किया। विभागीय सचिव रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव व महानिदेशक वंशीधर तिवारी ने भी अधिकारियों को विद्यालयों के स्थापना एवं शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभिन्न बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश दिये।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा वंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, महावीर सिंह बिष्ट, डॉ. मुकुल सती, जे.एल शर्मा, रघुनाथ लाल आर्य, डा.एस.बी. जोशी, जगमोहन सोनी, चेतन प्रसाद नौटियाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं प्रदेशभर से आये खंड शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।