मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र कुमार मित्तल, रणजीत सिंह जुयाल सहित 10 लोकतंत्र सेनानियों को किया सम्मानित

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का उत्तराखंड आगमन पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के वन सम्बंधित मामलों का तत्परता से निस्तारण हो रहा है। उत्तराखण्ड को केंद्र सरकार का हर संभव सहयोग एवं मदद प्राथमिकता पर मिल रही है।

लोकतंत्र सेनानी हमारे महानायकः मुख्यमंत्री

लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हमें लोकतंत्र की रक्षा करने वाले महानायकों को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में आपातकाल का कालखंड हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा। यह फैसला हमेशा की तरह देश को अपनी जागीर समझने वाले एक परिवार की हठधर्मिता और तानाशाही रवैए का परिणाम था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और न्यायपालिका की गरिमा तार-तार कर करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया गया। आपातकाल के उन काले दिनों में सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं, सैंकड़ों पत्रकारों सहित हर उस आवाज का निर्ममता से दमन किया जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठ रही थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल कर पूरे देश को एक खुली जेल बना दिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नमन है लोकतंत्र के रक्षकों को, जिन्होंने जेल की कालकोठरियों को अपनी तपस्या की तपोभूमि बना लिया और लोकतंत्र के दीप को बुझने नहीं दिया। उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण, श्रद्धेय नानाजी देशमुख, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और चंद्रशेखर जी जैसे असंख्य लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल लगाने के तानाशाही सरकार के उस निर्णय के विरुद्ध हुए आंदोलन को दिशा देने का काम किया। जेल की चारदीवारी में बंद रहते हुए भी इन नेताओं ने युवाओं के भीतर लोकतंत्र के प्रति चेतना जाग्रत करने का कार्य किया। उस समय आदरणीय अटल जी ने कई कविताओं के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया। तानाशाही सरकार के दमन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जनसंघ सहित अनेकों सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने भी अपनी पूरी शक्ति से लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन चलाया। इस आंदोलन को देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ और धीरे-धीरे ये आंदोलन एक राष्ट्रव्यापी जनक्रांति में बदल गया।

उत्तराखंड के सपूतो ने भी लोकतंत्र बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की पुण्य भूमि पर भी ऐसे अनेक सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए उस जनक्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई थी। बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जाग्रत करने का कार्य किया जिसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी, यहां तक कि अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा, जिसे 32 वर्ष के संघर्ष के बाद वे दुबारा प्राप्त कर सके। पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा को भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंध रखने के लिए जबरन जेल में डाल दिया गया था। उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं जिन्होंने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

लोकतंत्र का महत्व समझने के लिए आज के युवाओं को आपातकाल का इतिहास जानना होगा- सीएम धामी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आपातकाल के समय भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। यही कारण है कि उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों के योगदान और आपातकाल के काले अध्याय से आने वाली पीढ़ियों को अवगत कराने हेतु 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने आपातकाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए 1978 में “संघर्षमां गुजरात” नामक एक किताब भी लिखी थी। कल ही गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री के आपातकाल के दौरान के संघर्ष पर लिखी एक नई पुस्तक “द इमरजेंसी डायरीज” का भी विमोचन किया। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक और संविधान हत्या दिवस के माध्यम से भारत की नई पीढ़ी भी ये जान सकेगी कि किस तरह आपातकाल के दौरान संविधान को रौंदा गया और लोकतंत्र की आत्मा को निर्ममता से कुचला गया।

लोकतंत्र सेनानियों का हित और कल्याण हमारी प्राथमिकता- सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी सरकार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान हेतु पूर्ण रूप से संकल्पित होकर कार्य कर रही है। प्रदेश भर में आपातकाल के विरुद्ध हुए इस महान आंदोलन के बारे में हमारी युवा पीढ़ी को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की शक्ति और नागरिकों की लोकतंत्र के प्रति आस्था को और अधिक मजबूत किया जा सके। हमारी सरकार आपकी प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। हम राष्ट्र के प्रति आपके अतुलनीय योगदान को जन-जन तक पहुंचाने हेतु प्रतिवर्ष इसी प्रकार लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल हमारे प्रदेश के युवाओं को लोकतंत्र का महत्त्व समझाने में सहायक सिद्ध होंगे बल्कि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति और अधिक सजग बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के हमारे “विकल्प रहित संकल्प” को पूर्ण करने हेतु हमें एक नई शक्ति और ऊर्जा प्रदान करेंगे।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट एवं बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

चार धाम यात्रा में 29 विशेषज्ञ चिकित्सक एवं 182 चिकित्सक तैनात

चार धाम यात्रा के दौरान आपात स्थिति में तीर्थ यात्रियों को एयर एम्बुलेंस की सहायता से एम्स ऋषिकेश के साथ ही राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून व श्रीनगर में एयर लिफ्ट किया जायेगा, ताकि किसी भी गंभीर परिस्थिति में उनको बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिये सभी जनपदों के जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि विगत दिनों यमुनोत्री में हृदय गति रूकने से दो तीर्थ यात्रियों की मृत्यु हो गई थी, जिसको देखते हुये उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग व चमोली के जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में तीर्थयात्रियों को तत्काल एयर लिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश तथा राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून व श्रीनगर पहुंचाया जाय, ताकि समय रहते यात्रियों को गंभीर हालत में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा बेहतर उपचार दिया जा सके। उन्होंने बताया कि चार धाम यात्रा मार्गों पर 48 स्थाई चिकित्सा इकाई तथा 23 अस्थाई चिकित्सा इकाई स्थापित की गई है, जहां पर 29 विशेषज्ञ चिकित्सक एवं 182 चिकित्साधिकारी तैनात किये गये हैं। 95 पीओसीटी डिवासेज उपलब्ध कराई गई हैं जोकि ईसीजी के साथ ही आक्सीजन लेवल की भी जांच कर सकेंगे। इसके अलावा 272 पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की गई है जिनमें 182 स्टाफ नर्स व 90 फार्मासिस्ट शामिल है। चार धाम यात्रा में 96 विभागीय एम्बुलेंस व 77 आपातकालीन सेवा 108 एम्बुलेंस सहित 200 एम्बुलेंस की तैनाती की गई है। यात्रा मार्गों पर आपात स्थिति से निकालने के लिये 11 ब्ल्ड बैंक व 2 ब्ल्ड संग्रहण केन्द्र क्रियाशील हैं। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कार्डिक सेंटर की स्थापना की गई है जहां पर कार्डियोलॉजिस्ट सहित अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ तैनात रहेगा। इसी प्रकार एम्स ़ऋषिकेश से हेली एम्बुलेंस की सेवा शुरू की गई है। आपात स्थिति में उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग सहित अन्य यात्रा मार्गों पर पड़ने वाले जिलों के डीएम एवं सीएमओ को हेली एम्बुलेंस सेवा के लिये अधिकृत किया गया।

’उत्तरकाशी में कार्डिक यूनिट शुरू, हृदय रोगियों को मिलेगी राहत’
जिला अस्पताल उत्तरकाशी में कार्डिक यूनिट शुरू कर दी गई है जहां पर एक कार्डियोलॉजिस्ट सहित अन्य स्टॉफ हर समय तैनात रहेगा। इसकी प्रकार जानकीचट्टी मेडिकल रिलीव प्वाइंट पर एक प्रशिक्षत फिजीशियन व अन्य स्टॉफ तैनात किया गया है, जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री यात्रा मार्ग पर कुल 20 हेल्थ फैसिलिटी सेंटर बनाये गये हैं जहां पर डॉक्टर, फार्मासिस्ट सहित पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की गई है। डा. रावत ने बताया कि आपात स्थित के लिये जानकीचट्टी में एक कार्डिक एम्बुलेंस भी तैनात की गई है, जबकि पूरे जनपद में 5 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस तथा 9 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस सहित 14 आपातकालीन एम्बुलेंस 108 तथा 6 विभागीय एम्बुलेंस विभिन्न स्थानों पर तैनात की गई है।

’केदारनाथ यात्रा मार्ग पर मिलेगी बेहतर स्वास्थ्य सेवा’
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 14 मेडिकल रिलीव प्वाइंट बनाये गये हैं, जहां पर प्रशिक्षित चिकित्सक के साथ ही फार्मासिस्ट व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की गई है। बदरीनाथ धाम सहित पूरे मार्ग पर भी स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है। यहां आने वाले यात्रियों के लिये आपात स्थिति में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को बेस कैम्प मानते हुये चिकित्सकों को अलर्ट रहने के निर्देश दिये गये हैं। इसके साथ ही श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में मेडिट्रीना ग्रुप ऑफ हास्पिटल के द्वारा सीएसआर के तहत कार्डिक यूनिट संचालित की जा रही है जहां पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ ही पैरामेडिकल स्टॉफ भी तैनात रहेगा।

कोविड 19 के नए वैरिएंट के मुकाबले को हम तैयारः स्वास्थ्य सचिव

कोविड 19 के नए वैरिएंट को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है यह बात स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा प्रदेश के सभी जनपदों के चिकित्सा इकाइयों में मॉकड्रिल के दौरान कही। मंगलवार को कोरोना के दृष्टिगत उत्तराखंड में स्वास्थ्य इकाइयों में आईसीयू वार्ड, इमरजेंसी, ऑक्सीजन प्लांट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सीलेंडर, आइसोलेशन बेड, एम्बुलेंस, कोविड टेस्टिंग लैब, दवाईयों की उपलब्धता आदि की तैयारियां मॉकड्रिल में परखी गई।
मॉकड्रिल के मौके पर स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा देहरादून स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय कोरोनेशन अस्पताल का जायजा लिया गया। उन्होंने सर्वप्रथम पीएसए ऑक्सीजन प्लांट का जायजा लिया जहां उन्होंने प्लांट में ऑक्सीजन प्रेशर, ऑक्सीजन प्यूरिटी का निरीक्षण किया साथ ही मेडिकल गैस मैनिफोल्ड रुम, गैस स्टोर का जायजा लिया।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा इमरजेंसी वार्ड का मुआयना किया गया, उन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व अन्य उपकरणों का जायजा लेते हुए संबंधित अधिकारियों को इलाज के दौरान गुणवत्ता बनाए रखने को लेकर निर्देशित किया।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि जनपदों में मौजूद स्वास्थ्य इकाइयों में तैनात चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मचारियों को सतर्क रहने के निर्देश दे दिए गए हैं और किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी। कोविड की स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग समयबद्ध तरीके से तैयारी कर चुका है व आम जनमानस को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा, कि विभाग की अपील है कि कोविड को लेकर कोई भी अफवाह ना फैलाएं साथ ही घबराने की जरुरत नही है। हमारी आमजन से अपील है कि कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करें और सावधानी बरतें। स्वास्थ्य संबंधित किसी भी समस्या के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपना इलाज कराएं।

आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटने वाली कांग्रेस अपनी अंतिम सांसें गिन रही

इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में 25 जून को लगाये गए आपातकाल को काला अध्याय के रूप में याद किया जाता रहेगा। यह बात आपातकाल की 47वीं वर्षगांठ पर आयोजित विधानसभा स्तर के कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कही। इस मौके पर आंदोलन में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को सम्मानित किया गया।
रविवार को देहरादून तिलक रोड स्थित आरएसएस कार्यालय में आपातकालीन की बरसी पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंत्री डा. अग्रवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के शासन के दौरान 1975 में लगा आपातकाल काले अध्याय से कम नहीं था। इस दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया। आपातकाल के दौरान पूरे देश में लोकतांत्रित तरीके से आंदोलन हुए।
डा. अग्रवाल ने कहा कि इस वक्त सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भी किया गया। डा. अग्रवाल ने कहा कि उनके परिवार ने भी अनेक यातनाएं सही और जेल की हवा भी खाई। कहा कि जेल में आपातकाल के दौरान पकड़े गए लोगों को सामान्य कैदी की तरह ही रखा जाता था। उन्हें कीड़े लगे चावल और पानी वाली दाल मिलती थी।
डा. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय अपनी सत्ता बचाने और राजनीति स्वार्थ पूरा करने के लिए लोकतंत्र की हत्या देश में आपातकाल लगाकर की थी। कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी। इस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी। जब 25 जून 1975 की आधी रात इमरजेंसी लागू की गई थी जनता के सारे अधिकार छिन गए थे।
डा. अग्रवाल ने बताया कि आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और देशभर में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी। आंदोलनकारियों को जेल में डाला जाने लगा। 21 मार्च 1977 तक देश आपातकाल में पिसता रहा।
इस मौके पर प्रान्त प्रचारक युदवीर ने कहा कि आपातकाल के काले अध्याय को आने वाली को बताना होगा। इसके लिए सरकार से मांग की जाएगी कि इसको राजकीय पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। इससे हमारे युवाओं को उस कठिन दौर में हुई स्थिति का पता चल सकेगा।
इस मौके पर 40 लोकतंत्र सैनानियों व उनके आश्रितों को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया। आयोजन को राकेश ओबराय, प्रभाकर उनियाल, विनय गोयल, प्रेम बडाकोटी, दयाराम, राजकुमार टांक, रविदेव आनंद ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन योगेश अग्रवाल ने किया।

कपाट खोलने की तिथियां बदली, देश-दुनिया को राष्ट्रधर्म के अनुपालन का दिया संदेश

श्री बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि परिवर्तित की गई है। जिसका धर्माचार्यो और धर्म विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। वहीं, केदारनाथ के कपाट खुलने की नई तिथि आज घोषित होगी। धर्म मर्मज्ञों का कहना है कि पहले कभी भी ऐसी परिस्थितियां नहीं आई, जब बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदलनी पड़ी हो। बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग ने भी राजाज्ञा के अनुसार क्वारंटाइन रहना स्वीकार कर देश-दुनिया को राष्ट्रधर्म के अनुपालन का संदेश दिया है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल कहते हैं कि आपातकाल में राजधर्म ही सब धर्मों में श्रेष्ठ है। ऐसे में बदरीनाथ के कपाट खोलने की तिथि परिवर्तित किया जाना राजधर्म के पालन के साथ ही धर्मग्रंथों के हिसाब से भी उचित है। कहा कि शीतकाल में भगवान नारायण के धाम में देवपूजा का विधान है। देवताओं की ओर से स्वयं देवर्षि नारद भगवान नारायण की पूजा करते हैं। कपाट खुलने के बाद नर पूजा का विधान है। लेकिन, देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से हर व्यक्ति घरों में ही रह रहा है। ऐसे में हक-हकूकधारी, श्रद्धालु व स्थानीय लोगों के बिना कपाट खोलने से नर पूजा के मायने नहीं रह जाते। कहा कि कई प्रांतों से गुजरकर आए मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी भी नियमानुसार स्वास्थ्य परीक्षण करा चुके हैं। साथ ही उन्होंने लॉकडाउन के नियमों का पालन कर क्वारंटाइन को स्वीकार किया। यह अनुकरणीय पहल है।
धर्माधिकारी ने कहा कि टिहरी के राजा को ’’बोलांदा बदरी’’ माना गया है। ऐसे में राजा का निर्णय स्वयं नारायण का निर्णय है और यह प्रजा के हित में भी है। बदरीनाथ पूर्व धर्माधिकारी जगदंबा प्रसाद सती का कहना है कि संकटकाल के दौरान राजधर्म में ही सारे धर्म लीन हो जाते हैं। इन दिनों कोरोना महामारी के चलते देश में महाभय का वातावरण है। ऐसे में राजधर्म का पालन कर तिथि आगे बढ़ाने का निर्णय धर्मसंगत है। कहा कि जनता से ही जनार्दन की शोभा है और वर्तमान परिस्थितियां जनार्दन के दर पर जाने से जनता को रोकती हैं।