उत्तराखंड के कोचिंग सेंटर पर मानक अनुसार कार्य न होने पर होगी कार्रवाई, मंत्री अग्रवाल ने दिए निर्देश

आवास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन बच्चों की मौत के मामले का संज्ञान लेकर उत्तराखंड में कोचिंग सेंटर के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिस पर आवास विभाग की ओर से प्रदेश के सभी जनपदों में पांच सदस्यी समिति का गठन किया गया है।

मंत्री डॉ अग्रवाल ने अपर सचिव आवास अतर सिंह और एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी से दूरभाष पर निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने की घटना के बाद तीन छात्र जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का निकलने में असफल रहे, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि ऐसी घटना उत्तराखंड में ना हो इसके लिए कोचिंग सेंटर पर अभियान चलाएं। डॉ अग्रवाल ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश के कोचिंग सेंटर में मानक अनुसार कार्य नहीं होने पर तत्काल कार्रवाई करें। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि बेसमेंट में सुरक्षा उपाय तथा आपदा के समय निकासी जैसे अन्य आवश्यक कार्य न होने पर कोचिंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

डॉ अग्रवाल ने यह भी कहा कि जिनमें कार्रवाई की जा रही है उन पर शीघ्र कार्रवाई की प्रक्रिया को अमल में लाएं।

मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया होगी सुगम, सरकार कर रही विचार


अब विकास प्राधिकरण क्षेत्रांतर्गत किसी भी प्रकार के विकास के लिए मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य होगा। साथ की मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को सुगम बनाये जाने पर सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह जानकारी आवास व शहरी विकास मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दी।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग व राजकीय राजमार्ग तथा समस्त स्थानीय निकायों के मार्गों के दोनों किनारों से मार्ग के दोनों ओर पर्वतीय क्षेत्रों में 50 मीटर एवं मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी तक सभी प्रकार के निर्माणों के मानचित्रों की स्वीकृति अनिवार्य किये जाने पर सरकार विचार कर रही है। साथ ही ऐसे मानचित्रों की स्वीकृति उपाध्यक्ष स्तर पर की जाएगी।

बताया कि ऐसे एकल आवासीय निर्माण, जिनका भूखंड क्षेत्रफल 250 वर्ग मीटर तक हो तथा अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर तक हो, मानचित्र स्वीकृत स्वप्रमाणन अथवा शपथ पत्र के द्वारा किये जाने पर विचार किया जा रहा है। इसी तरह समस्त गैर एकल आवसीय निर्माण जिनका भूखंड क्षेत्रफल 50 वर्ग मीटर तक एवं ऊंचाई 6 मीटर तक हो, मानचित्र स्वीकृत स्वप्रमाणन अथवा शपथ पत्र के द्वारा करने पर विचार हो रहा है।

बताया कि एमडीआर, ओडीआर मार्ग जो संबंधित जिलाधिकारी एवं उपाध्यक्ष तथा शासन के प्रशासनिक विभाग द्वारा समय-समय पर मानचित्र स्वीकृति के लिए नियत किया जाएगा। बताया कि वर्ष 2016 के पूर्व के प्राधिकरण क्षेत्रों एवं विनियमित क्षेत्रों को छोड़कर नये सम्मिलित क्षेत्रों में प्राधिकरण को प्राप्त होने पर शुल्क, उप विभाजन शुल्क, विकास शुल्क पर्यवेक्षण शुल्क पर वर्तमान दरों के सापेक्ष 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी।

बताया कि इसमें देय लेबर सेस प्राधिकरण द्वारा नहीं लिया जायेगा, इसके विपरीत आवेदक द्वारा सीधे श्रम विभाग में जमा किया जाएगा तथा इसकी सूचना प्राधिकरण को दी जाएगी।

प्राधिकरणों में मानचित्र निस्तारण की समय सीमा कम करने पर कर रही धामी सरकार कर रही विचार

प्रदेश के जिला विकास प्राधिकरणों में मानचित्र निस्तारण में समयावधि लंबी होने पर आ रही दिक्कतों को देखते हुए अब राज्य सरकार इसके निस्तारण की अवधि को कम करने का विचार कर रही है। साथ ही प्राधिकरण में कार्यरत कार्मिकों पर भी पूरी नजर बनाते हुए कमी पाए जाने पर वेतन तक रोके जाने का मन बना रही है। यह जानकारी प्रदेश के आवास मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दी।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि अभी तक जिला विकास प्राधिकरणों में एकल आवासीय इकाई व आवासीय मानचित्र के निस्तारण की निर्धारित समय सीमा 15 दिन है, जिसे सरकार 07 दिन करने का विचार कर रही है, जबकि गैर एकल आवासीय इकाई मानचित्र के निस्तारण की निर्धारित समय सीमा 30 दिन है, जिसे सरकार 15 दिन करने का मन बना रही है।

डा. अग्रवाल ने बताया कि अभी तक देखा गया है कि प्राधिकरण में कार्यरत कार्मिकों द्वारा मानचित्रों का निस्तारण तय समय सीमा के अंतर्गत नहीं किया जा रहा है, जबकि इस संबंध में कई बार बैठक भी आयोजित की गई। इसके चलते सरकार यह निर्णय लेने पर विचार कर रही है कि प्राधिकरण में ऐसे कार्मिक जो तय अवधि के भीतर निस्तारण नहीं कर रहे है तथा जिनकी पत्रावलियां 50 प्रतिशत से अधिक है और उनका निस्तारण निर्धारित समय सीमा पर नहीं किया गया है। उनका वेतन रोका जाएगा।

डा. अग्रवाल ने बताया कि लापरवाह कर्मचारी के वेतन रोके जाने संबंधी कार्य का दायित्व प्राधिकरण में तैनात वित्त नियंत्रक का होगा, जबकि संबंधित प्राधिकरण का उपाध्यक्ष लापरवाह कर्मचारी को चिन्हित करेंगे। डा. अग्रवाल ने यह भी बताया कि प्राधिकरण में एकल आवासीय इकाई एवं आवासीय मानचित्र तथा गैर एकल आवासीय इकाई मानचित्र का निस्तारण पर अनावश्यक आपत्तियां लगाने वाले कर्मचारी का भी सरकार वेतन रोकने का मन बना रही है।

जनपदों में असुरक्षित भवनों को सुरक्षित करने के लिए बनेगी सात सदस्यीय समिति

जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद अब सरकार प्रदेश के समस्त जनपदों के डेंजर जोन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता पर सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी, इसके बाद उन भवनों को सुरक्षित किया जाएगा। यह जानकारी प्रदेश के आवास मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दी।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने जानकारी देकर बताया कि धामी सरकार जोशीमठ आपदा के बाद राज्य के सभी जनपदों में वर्तमान में निर्मित ऐसे भवन जों भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि की दृष्टि से जोखिम भरे भवनों की श्रेणी में आते हैं। उन्हें चिन्हित कर सुरक्षित करने को मानक संचालन प्रक्रिया संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि समस्त जनपदों में भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि जोखिम संभावित भवनों के चिन्हिकरण कर सुरक्षित करने को सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। डा. अग्रवाल ने बताया कि अपने-अपने जनपदों में जिलाधिकारी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे, जबकि अन्य छह इसके सदस्य रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि जिलाधिकारी के अलावा इन छह सदस्यों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अथवा सचिव, संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, लोकनिर्माण विभाग अथवा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता, सहायक भू-वैज्ञानिक (भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग), आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि और संबंधित नगर निकाय के अधिशासी अधिकारी रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि इन सात सदस्यीय समिति में आवश्यकतानुसार कोई भी संबंधित विशेषज्ञ को आमंत्रित सदस्य के रूप में नाम किया जा सकता है। बताया कि यह समिति प्रत्येक जनपद में ऐसे निर्मित भवन जो जोखिम संभावित भवनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 30 डिग्री से अधिक ढाल पर निर्मित भवन, नदियों के अंतर्गत अथवा फ्लड जोन के अंतर्गत निर्मित भवन आदि ऐसे समस्त भवन जो असुरक्षित हों।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे असुरक्षित भवनों का भी चिन्हिकरण किया जाएगा, जिन्हें रेट्रोफिटिंग द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है। बताया कि समिति इनके चिन्हिकरण के बाद आपदा न्यूनीकरण भवनों को सुरक्षित किये जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेगी।