सीएस ने सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा की

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने दोनों विभागों की प्रदेश में संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी ली। समीक्षा बैठक के दौरान सचिव आर. राजेश कुमार ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।

सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग की बड़ी परियोजनाओं के कार्य निर्धारित तिथि के भीतर पूर्ण किया जाए। उन्होंने सभी कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित किए जाने की बात कही। कहा कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई एवं जल संरक्षण की अत्यधिक आवश्यकता है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि कार्य शुरू होने से लेकर पूर्ण होने तक के प्रत्येक कार्य की तिथि पूर्व से निर्धारित की जाए एवं तय समय-सीमा के भीतर कार्यों को पूर्ण करने हेतु सचिव एवं विभागाध्यक्ष के स्तर पर लगातार अनुश्रवण किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र की माप के लिए आधुनिक तकनीक को प्रयोग किया जाए। उन्होंने नहर, नलकूप एवं लिफ्ट नहर आदि को ग्राम पंचायत समितियों के माध्यम से संचालित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सिंचाई अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रदेश में सिंचाई क्षमता एवं अच्छी खेती वाले क्षेत्रों को चिन्हित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नहरों के मरम्मत कार्यों के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित की जाएं। ऐसे क्षेत्र जहां सिंचाई की आवश्यकता अधिक है उन क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए योजनाएं तैयार की जाएं।

मुख्य सचिव ने नलकूप एवं लिफ्ट नहर जैसी योजनाओं के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों पर फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सिंचाई विभाग की खाली पड़ी जमीनों पर अपनी क्षमता के अनुसार सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित किए जाने की बात कही। उन्होंने विभाग के लिए इस वर्ष 01 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया। कहा कि इससे विभाग के विद्युत बिलों में कमी आएगी।

लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने ड्रिप एवं स्प्रिंकल योजना पर फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भूजल की कमी वाले स्थानों में पानी की बचत के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकल योजना अत्यधिक लाभप्रद होगी। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली लघु सिंचाई योजनाओं को बढ़ाए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि जमरानी, सौंग एवं बलियानाला लैंडस्लाईड ट्रीटमेंट जैसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए सचिव स्तर पर मासिक एवं विभागाध्यक्ष स्तर पर साप्ताहिक अथवा पाक्षिक अनुश्रवण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं के लक्ष्य बढ़ाए जाने की बात भी कही। कहा कि लक्ष्य बढ़ाने के साथ ही कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण कराए जाना भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्य सचिव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण आदि की क्लीयरेंस में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि जल संचयन, संवर्धन, पेयजल, सिंचाई हेतु बांध, बैराज, जलाशय एवं चौकडैम आदि का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना का कार्य जून, 2024 को शुरू हुआ था, जिसे मार्च, 2030 तक पूर्ण किए जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि परियोजना की अनुमानित लागत ₹ 3808.16 करोड़ है। उन्होंने बताया कि सौंग बांध पेयजल परियोजना का कार्य नवम्बर, 2024 को शुरू हुआ। परियोजना को दिसम्बर, 2029 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि योजना की अनुमानित लागत ₹ 2491.96 करोड़ है। उन्होंने कहा कि आई.आर.आई, रूड़की को जलागम विभाग के द्वारा स्रोत एवं नदी पुनरोद्धार प्राधिकरण के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों में वर्षा आधारित नदियों, जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण एवं उपचार कार्यों से इन नदियों, जलधाराओं के प्रवाह में आए प्रभावों का सतत् आकलन करने हेतु कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।

इस अवसर पर सिंचाई विभाग से सुभाष चंद्र पाण्डेय एवं लघु सिंचाई से बृजेश कुमार तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएस ने सिंचाई विभाग को रिस्पना एवं बिंदाल नदियों के पुनर्जीवीकरण की स्थिति पर अपडेट करने के निर्देश

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने विभिन्न विषयों पर शहरी विकास एवं सिंचाई विभाग के साथ बैठक की।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने शहरी विकास विभाग को राज्यभर में मलिन बस्तियों में निवासरत जरूरतमंदों के पुर्नवास हेतु चरणबद्ध कार्ययोजना पर प्रभावी पहल के निर्देश दिए हैं। सीएस ने पहले चरण में शहरी विकास विभाग एवं नगर निगम को देहरादून की मलिन बस्तियों के पुनर्वास के ठोस एवं प्रभावी वर्किंग प्लान पर तत्काल कार्य करने की हिदायत दी है। इसके साथ ही मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सिंचाई विभाग को रिस्पना एवं बिंदाल नदियों के पुनर्जीवीकरण की स्थिति पर अपडेट देने के साथ वर्किंग प्लान पर तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन आज सचिवालय में शहरी विकास एवं सिंचाई विभाग सहित विभिन्न विभागों के साथ मलिन बस्तियों की स्थिति एवं रिस्पना व बिन्दाल के पुनर्जीवीकरण पर समीक्षा कर रहे थे।

मुख्य सचिव ने शहरी विकास विभाग को मलिन बस्तियों की सूचना, चिन्हीकरण की अद्यतन स्थिति, निवासरत लोगों की सूची पर अपडेट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने वांछित सूचना प्राप्ति के बाद मलिन बस्तियों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की प्रभावी कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। सीएस ने अधिकारियों को स्लम फ्री उत्तराखण्ड के विजन के साथ कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, पुनर्वास एवं पुनरुद्धार पर शीर्ष प्राथमिकता पर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों के विषय को सामाजिक समस्या की तरह देखा जाना चाहिए तथा इस पर पूर्ण संवेदनशीलता एवं मानवीयता से कार्य किया जाना चाहिए।

बैठक में प्रमुख सचिव वन, सचिव शहरी विकास, सिंचाई, स्वास्थ्य, सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

सिंचाई विभाग में बंपर तबादले, नवनियुक्त 42 सहायक अभियंताओं की भी हुई तैनाती

उत्तराखंड सरकार ने सिंचाई विभाग में व्यापक स्तर पर प्रशासनिक बदलाव करते हुए अभियंताओं के बंपर तबादले किए हैं। सचिव सिंचाई डॉ. आर. राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय कार्यप्रणाली को अधिक सुचारू, पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से यह स्थानांतरण किए गए हैं।

सचिव सिंचाई ने बताया कि तबादलों का यह निर्णय राज्य में सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने, विकास परियोजनाओं में तेजी लाने और जल संसाधन प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए लिया गया है। सचिव ने बताया कि स्थानांतरण नीति के तहत निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है, जिससे सभी क्षेत्रों में अभियंताओं की समान भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, स्थानांतरित अभियंताओं को जल्द से जल्द नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम राज्य के सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

गंगा की शुद्धता को बिना एसटीपी लगे नालों को चिन्हित करे सिंचाई विभागः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि शहरों के मास्टर ड्रेनेज प्लान तथा फ्लड प्लेन जोनिंग के कार्यों में तेजी लाई जाए। जल स्तर बढ़ाने के लिए बांधों से सिल्ट निकालने और ड्रेजिंग सिस्टम के लिए 02 माह के अन्दर ठोस प्लान बनाकर प्रस्तुत किये जाने के साथ पिंडर और कोसी नदी को आपस में जोड़ने के लिए राज्य स्तर पर की जाने वाली सभी कार्यवाही में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में शुद्ध पानी जाए, इसके लिए ऐसे नाले भी चिन्हित किये जाए जहां एसटीपी नहीं लगे हैं। घाटों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ सुरक्षा के कार्यों में तेजी लाई जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा बढ़ाने तथा नहरों के अनुरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में निर्देश दिये कि जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना और सौंग बांध पेयजल परियोजना पर कार्य जल्द शुरू हो, इसके लिए सितम्बर तक सभी कार्यवाही पूर्ण की जाए। जमरानी बांध परियोजना के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 710 करोड़ रूपये के बजट का प्राविधान किया गया है। इस परियोजना से हल्द्वानी शहर एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में 117 एम.एल.डी पेयजल की उपलब्धता, लगभग 57 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन किया जायेगा जबकि सौंग बांध परियोजना से देहरादून शहर एवं उपनगरीय क्षेत्रों के लिए 2053 तक की अनुमानित आबादी के लिए 150 एम.एल.डी. ग्रविटी से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सौंग बांध के लिए 300 करोड़ के बजट का प्राविधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि नैनीताल जनपद के बलियानाला भूस्खलन क्षेत्र का उपचार कार्य, चमोली जनपद के हल्दापानी लॉ कॉलेज के निकट भूधसांव और भूस्खलन की रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक कार्य और पिथौरागढ़ के धारचूला विकासखण्ड में ग्वालगांव भूस्खलन उपचार के कार्य जल्द पूर्ण किये जाएं।

बैठक में जानकारी दी गई कि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, पर्यटन विकास मत्स्य पालन एवं भू जल संवंर्द्धन लिए पिथौरागढ़ में थरकोट झील, चम्पावत में कोलीढ़ेक झाल अल्मोड़ा में गगास नदी पर जलाशय का निर्माण किया गया है। धारचूला में काली नदी पर स्थित घटगाढ़ नाले से भारत-नेपाल पुल तक तटबन्ध सुदृढ़ीकरण का कार्य किया गया है। राज्य के 14 महत्वपूर्ण शहरों में ड्रेनेज प्लान पर कार्य किया जा रहा है, देहरादून का सर्वे पूरा कर लिया गया है।

बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, डॉ. आर. राजेश कुमार, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में बोले सीएम, अगले 10 सालों का रोडमैप बनाये विभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जाए। जनपदों में मुख्य विकास अधिकारियों की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाए। जिसमें कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारी भी हों। सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग कृषि एवं उद्यान विभाग के साथ समन्वय से कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों को 2025 तक बेस्ट प्रैक्टिस के तौर पर धरातल पर क्या कार्य कर सकते हैं एवं अगले 10 सालों का रोडमैप बनाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए बागवानी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 5 सालों में राज्य की जीडीपी को दोगुना करने के लिए सभी विभागों को तेजी से कार्य करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सौंग एवं जमरानी बहुद्देशीय परियोजना पेयजल एवं सिंचाई की दृष्टि से राज्य के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सौंग बांध पेयजल परियोजना की अवशेष स्वीकृति संबंधी कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिए जाएं। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि परियोजनाओं में विलम्ब न हो, यदि कहीं कोई समस्या आ रही है, तो ऐसे मामले उच्च स्तर पर लाये जाएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कोलीढ़ेक, थरकोट झील एवं गगास जलाशय का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि योजना पूर्ण होने की जो अवधि निर्धारित की गई हो, उस अवधि में वह पूर्ण हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ब्लॉक स्तर पर एक-एक गांव में पॉयलेट बेस पर स्प्रिंकलर आधारित सिंचाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य के शहरी क्षेत्रों के लिए ड्रेनेज प्लान जल्द बनाया जाए। जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। जलाशयों की क्षमता वृद्धि के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग की अगली बैठक कब होगी, यह आज ही तय किया जाए। सभी विभाग यह सुनिश्चित करें कि बैठक में जो भी निर्णय लिए जाते हैं एवं जो लक्ष्य दिये जा रहे हैं, उनकी प्रगति की सम्पूर्ण जानकारी अगली बैठक में प्रस्तुत की जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, एच.सी. सेमवाल, एस.एन. पाण्डेय, अपर सचिव ललित मोहन रयाल, सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष मुकेश मोहन एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

ठेकेदार महासंघ ऋषिकेश ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला

ई-टेंडर के विरोध में ठेकेदार महासंघ ऋषिकेश ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एकजुट हुए ठेकेदारों ने त्रिवेणीघाट पर स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय में तालाबंदी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया। आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने ई-टेंडर लागू कर छोटे ठेकेदारों को बेरोजगार बना दिया है।
सोमवार को ठेकेदार महासंघ ऋषिकेश के अध्यक्ष संजय पोखरियाल के नेतृत्व में तीर्थनगरी ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्र के ठेकेदार लोनिवि तिराहा पर एकत्रित हुए। यहां से ई-टेंडर के विरोध में नारेबाजी करते हुए त्रिवेणीघाट परिसर स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय पहुंचे। यहां उग्र प्रदर्शन करते हुए कार्यालय से कर्मियों को बाहर किया और एसडीओ के कक्ष में ताला जड़ दिया। कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार छोटे ठेकेदारों का आर्थिक उत्पीड़न कर रही है। ई-टेंडर के लागू होने से छोटे ठेकेदार बेरोजगार हो गए हैं। बताया कि ई-टेंडर में 2 करोड़ से नीचे का काम नहीं है, ऐसे में डी श्रेणी के ठेकेदारों को विभागों में काम नहीं मिल रहा, इससे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कोरोना संकट में डी श्रेणी के ठेकेदार पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। अब इस ई-टेंडर ने सब कुछ चौपट कर दिया है। एक स्वर में कहा कि ई-टेंडर प्रक्रिया को जल्द वापस नहीं लिया तो उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस दौरान राज्यपाल को ज्ञापन भी प्रेषित किया। धरना प्रदर्शन में महासंघ सचिव भगवती सेमवाल, घृपाल सिंह बगियाल, महेश चौहान, नरेश बिष्ट, रमेश रांगड़, हर्षपति सेमवाल, कमलेश डंगवाल, विक्की पंवार, प्रताप सिंह पोखरियाल, खुशीराम रतूड़ी, सुखदेव शर्मा, बालेश्वर, देव सिंह दुमोगा, सर्वेश रावत आदि मौजूद रहे।

कल सिंचाई विभाग के कार्यालय का घेराव करेंगे छोटे ठेकेदार

श्री सत्यनारायण मंदिर परिसर में स्थानीय ठेकेदारों ने बैठक की। बैठक में ई टेंडरिंग को लेकर विरोध जताया गया। साथ ही संजय पोखरियाल को ठेकेदारी यूनियन का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। बताया गया कि अन्य पदाधिकारियों का चयन अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।
रविवार को हुई बैठक में ई टेंडरिंग का विरोध किया गया। नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष संजय पोखरियाल ने कहा कि संगठन छोटे ठेकेदारों के हितों की रक्षा करेगा। वहीं, सोमवार को ऋषिकेश में सिंचाई विभाग के कार्यालय का घेराव किया जाएगा। उन्होंने गौहारीमाफी में तटबंधों के निर्माण का कार्य स्थानीय ठेकेदारों को देने की मांग की है। मौके पर हर्ष पति सेमवाल, प्रताप पोखरियाल, भगवती प्रसाद सेमवाल, हुकुम चंद रमोला, चंदन सिंह, गोविंद सजवाण, कैलाशमनी रतूड़ी, पदम सिंह बगियाल, विजयपाल राणा आदि उपस्थित रहे।

102 करोड़ रूपए के बजट से नाबार्ड के 16 योजनाओं को जल्द काम शुरू

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के साथ सिंचाई विभाग के अन्तर्गत नाबार्ड वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा की। नाबार्ड वित्त पोषित नवीन विभिन्न योजनाओं हेतु 102 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। नाबार्ड वित्त पोषित नवीन 16 योजनाओं में पौड़ी जनपद के ग्राम खैरासेंण में पूर्वी नयार नदी पर बहुद्देशीय जलाशय का निर्माण, कर्णप्रयाग में अलकनन्दा नदी के किनारे बाढ़ सुरक्षा का कार्य, देहरादून के सहसपुर विकासखण्ड के सभावाला की गढ़वाली बस्ती में पुस्ते का निर्माण एवं अन्य जनपदों में बाढ़ सुरक्षा, नहरों एवं नलकूपों के निर्माण, लिफ्ट सिंचाई योजना एवं अन्य कार्य शामिल हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के विभिन्न जनपदों के लिए राज्य सैक्टर के अन्तर्गत नाबार्ड वित्तपोषित योजना के तहत नहरों एवं नलकूपों के जीर्णोद्धार एवं निर्माण, बाढ़ सुरक्षा योजना, एवं अन्य कार्यों के लिए 52 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इन योजनाओं के पूर्ण होने पर नदी क्षेत्रों से होने वाले भू-कटाव को रोकने में मदद मिलेगी। विभिन्न पेयजल योजनाओं एवं नहरों के निर्माण से पेयजल आपूर्ति एवं सिंचन क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि सौंग बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है। इस परियोजना से 2050 तक की देहरादून शहर व आस-पास के क्षेत्रों में ग्रेविटी आधारित पेयजल की सुविधा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस बांध का शिलान्यास होने के बाद एक साल के अन्दर इसका निर्माण कार्य पूरा किया जायेगा। सौंग बांध बनने से इस क्षेत्र में पर्यटन की गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में जानकारी दी गई कि नाबार्ड के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक के लिए 1530.42 करेड़ रूपये की कुल 397 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। जिसमें से 759.90 करोड़ रूपये की 198 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि 770.52 करोड़ की 199 योजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। जिसमें से 365.90 करोड़ की लागत के कार्य हो चुके हैं। वर्ष 2020-21 के लिए भी 99.26 करोड़ रूपये जारी हो चुके हैं। जिन योजनाओं पर कार्य चल रहा है उनमें नलकूप निर्माण, नहर निर्माण एवं बाढ़ सुरक्षा से संबंधित योजनाएं हैं। नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित योजना के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में 74 योजनाएं पूर्ण करने का लक्ष्य है।

बाढ़ सुरक्षा के तहत सिंचाई विभाग मुस्तैद, मंत्री ने दी जानकारी

(एनएन सर्विस)
बरसाती मौसम में उत्तराखंड की प्रमुख नदियों में बढ़ते जलस्तर से बाढ़ के खतरों को भांपते हुए राज्य का सिंचाई विभाग पूरी तैयारियों के साथ बाढ़ सुरक्षा की दृष्टि मुस्तैद है। उत्तराखंड में बाढ़ सुरक्षा सम्बन्धी तैयारियों की जानकारी देते हुए प्रदेश के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बरसात के मौसम में राज्य की प्रमुख नदियों के बढ़ते जलस्तर के खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग ने समय से अपनी पूरी तैयारियां कर दी हैं।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य की प्रमुख नदियों भागीरथी, अलकनंदा, पिंडर, मंदाकिनी, नयार और गंगा जिनका कि बरसात में जलस्तर बढ़ जाने से कई स्थानों पर भवन, भूमि, फसलों, मार्गों आदि को हमेशा खतरा बना रहता है। उस खतरे से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने बाढ़ सुरक्षा के तहत अपनी योजनाओं का काम पूरा कर लिया है।
श्री केदारनाथ धाम स्थित केदारपुरी में मंदाकिनी नदी से सुरक्षा, श्री केदारनाथ के सीतापुर/गौरीकण्ड के पूर्ननिर्माण कार्य, सौंग नदी के दायें तट पर स्थित गौरी माफी ग्राम में जल भराव से निजात दिलाने के लिए 379.49 लाख रूपये की लागत से लगभग 500 मीटर के बन्दे का निर्माण किया गया है। अल्मोडा के विकासखण्ड चैखुटिया में शीर्ष बन्धों का पुनर्निमार्ण कराया गया है। विकासखण्ड स्याल्दे, विकासखण्ड मुनस्यारी एवं चमोली जनपद के विकासखण्ड घाट में भी पुनर्निमार्ण के कार्य गतिमान हैं।
सतपाल महाराज ने बताया कि मानसून में बाढ़ तथा जल भराव की दृष्टि से हरिद्वार, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ, चम्पावत, उधमसिंह नगर, देहरादून और उत्तरकाशी जनपदों के सभी संवेदनशील स्थलों का चिन्हीकरण कर बाढ़ सुरक्षा की तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। उन्होने बताया कि देहरादून के सिंचाई खण्ड परिसर में राज्य का केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाने के अलावा दोनों मण्डलों सहित जिला स्तर पर भी बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं। इतना ही नहीं प्रदेश स्तर पर सभी अधिकारियों का बाढ़ से सम्बन्धित सूचनाओं के आदान प्रदान हेतु एक वाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया है। जिसके माध्यम से सुबह के समय नदी का डिसचार्ज एवं क्षेत्र में हुई वर्षा की माप की सूचना केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष को करवाई जायेगी।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बाढ़ सुरक्षा तैयारियों के बारे में बताया केन्द्रीय जल आयोग से प्राप्त नदियों के जलस्तर का पूर्वानुमान शासन द्वारा सम्बन्धित जिलाधिकारी एवं विभाग के क्षेत्रीय एवं स्थानीय अधिकारियों को उपलब्ध करवाने के साथ-साथ केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के द्वारा प्रतिदिन बाढ़ संबंधित सूचनाएं शासन और उच्चाधिकारियों को भी पहुंचाई जायेंगी।
सतपाल महाराज ने बताया कि नैनीताल, उधमसिंह नगर, चम्पावत, हरिद्वार और टिहरी जनपदों में कुल 72 बाढ़ चैकियां स्थापित कर दी गई हैं जिनके माध्यम से ग्रामीणों को सजग रहने की व्यवस्था की गई है। सिंचाई मंत्री ने बताया कि बाढ़ सम्बन्धी सूचनाओं के लिए अल्मोडा, श्रीनगर और देहरादून में नोडल अधिकारियों की तैनाती भी की गई है। उन्होने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की मानिटरिंग के लिए जनपदों में एक स्टीयरिंग ग्रुप का भी गठन किया गया है।