अंबाला में उत्तराखंड के युवकी की हत्या पर सीएम धामी ने हरियाणा सीएम से की वार्ता

अंबाला में उत्तराखंड के युवक साहिल बिष्ट की हत्या की घटना पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से दूरभाष पर वार्ता की।

मुख्यमंत्री धामी ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी एवं कठोरतम दंड सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया।

इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आश्वस्त किया कि अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस को शीघ्र कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार इस पूरे मामले में हर संभव कदम उठाएगी।

मुख्यमंत्री धामी ने पीड़ित परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार न्याय की इस लड़ाई में उनके साथ है तथा परिवार को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

सीएम ने आपदा राहत कार्यों में पीएनबी द्वारा दिए सहयोग के लिए बैंक प्रबंधन का आभार जताया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पंजाब नेशनल बैंक से आए प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की। इस दौरान पंजाब नेशनल बैंक द्वारा उत्तरकाशी जिले के धराली एवं हर्षिल क्षेत्र में आई आपदा के राहत कार्यों के लिए ₹ 1 करोड़ का योगदान प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री ने पीएनबी द्वारा दिए सहयोग के लिए बैंक प्रबंधन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा यह राशि आपदा प्रभावित परिवारों के त्वरित सहायता और पुनर्वास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने कहा संकट की घड़ी में संस्थाओं एवं संगठनों का इस प्रकार आगे आना समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि धराली क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से जारी है और प्रभावितों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है।

इस अवसर पर अपर सचिव मनमोहन मेंनाली, पंजाब नेशनल बैंक के जी.एम अनुपम, ए.जी.एम अजित कुमार उपाध्याय, चीफ मैनेजर सर्वेश मौजूद रहे।

उत्तराखंडः अब दिव्यांग पेंशन योजना हुई सरलीकृत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा की गई घोषणा के अनुपालन में समाज कल्याण विभागान्तर्गत संचालित वृद्धावस्था पेंशन योजना की भांति दिव्यांग पेंशन योजना को भी सरलीकृत किया गया है, प्रदेश में दिव्यांग पेंशन धारकों के हित में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई थी कि वृद्धावस्था पेंशन योजना की तरह ही दिव्यांग पेंशन योजना को सरलीकृत करते हुए ऐसे समस्त दिव्यांग भी पेंशन हेतु पात्र होंगे जिनके पुत्र/पौत्र 20 वर्ष से अधिक आयु के होंगे, का क्रियानयन सुनिश्चित किया जाय।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में सचिव समाज कल्याण डॉ0 श्रीधर बाबू अद्दांकी द्वारा निदेशक समाज कल्याण को संबोधित पत्र में निर्देश दिये गये है कि राज्य में दिव्यांग पेंशन योजनान्तर्गत ऐसे लाभार्थी, जो निर्धारित मासिक आय सीमा रू0 4000/- की पात्रता पूर्ण करते हो, के पुत्र / पौत्र 20 वर्ष से अधिक आयु के होने पर भी पेंशन हेतु पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त बी०पी०एल० श्रेणी के लाभार्थी, जिनके पुत्र/पौत्र 20 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं, भी पेंशन हेतु पात्र होंगे। उन्होंने इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू किये जाने की भी अपेक्षा की है।

सीएम ने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत किया पौधरोपण, दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी स्थित एफटीआई परिसर में आयोजित ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण और जनसहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाए जा रहे इस अभियान को पर्यावरण संरक्षण में सहभागी बनने का प्रेरणादायक संदेश दिया।

प्रकृति संरक्षण हमारा संकल्प, हरेला पर्व पर रोपे गये 8 लाख से अधिक पौधे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत गत वर्ष की गई थी, और इस वर्ष भी यह अभियान पूरे देश में उत्साहपूर्वक चलाया जा रहा है। उत्तराखंड में इस अभियान का विधिवत शुभारंभ हरेला पर्व के अवसर पर किया गया, जिसमें पहले ही दिन रिकॉर्ड 8,13,000 लोगों ने पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी सहभागिता दर्ज की। मुख्यमंत्री ने कहा कि “प्रकृति संरक्षण हमारा संकल्प है” और देवभूमि उत्तराखंड में यह अभियान पूरे एक माह तक जारी रहेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस पवित्र सावन मास में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अवश्य लगाएं और प्रकृति संरक्षण में अपना योगदान दें।

मनसा देवी हादसे पर की संवेदना व्यक्त।

मुख्यमंत्री ने हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को अत्यंत दुखद बताते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा तत्परता से आवश्यक निर्णय लिए गए हैं। प्रदेश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलोंकृजहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और तीर्थयात्री दर्शन हेतु आते हैंकृवहां व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। इनमें श्रद्धालुओं की केयरिंग कैपेसिटी के अनुसार प्रवेश, स्थान का संभावित विस्तार, पार्किंग एवं ट्रैफिक प्रबंधन, और सुरक्षा मानकों के पालन को प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मनसा देवी मंदिर सहित प्रदेश के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर यह व्यवस्थाएं सख्ती से लागू की जाएंगी।

शहरी क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण को लेकर प्रशासन द्वारा सख्ती बरती जा रही है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गये हैं कि वे अवैध कब्जों की पहचान कर उन्हें तत्काल हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम न केवल सार्वजनिक परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि विकास परियोजनाओं की गति बनाए रखने और नागरिकों को सुचारु सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर विधायक बंशीधर भगत, दायित्व धारी दिनेश आर्य, दीपक मेहरा, जिला अध्यक्ष भाजपा प्रताप बिष्ट, डॉ. जोगेन्दर पाल सिंह रौतेला, मजहर नईम नवाब, हुकुम सिंह कुंवर, आयुक्त/सचिव मा. मुख्यमंत्री दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी वंदना सिंह, निदेशक एफटीआई तेजस्विनी अरविंद पाटिल के साथ ही अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तहत विवाह पंजीकरण ने पकड़ा जोर

इसी वर्ष 27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। तब से यूसीसी एक्ट के तहत प्रतिदिन औसत 1634 शादियों का पंजीकरण हो रहा है। जबकि, इससे पहले 2010 के एक्ट में होने वाले विवाह पंजीकरण का प्रतिदिन औसत मात्र 67 ही था।

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले, उत्तराखंड विवाह पंजीकरण अधिनियम- 2010, के तहत शादियों का पंजीकरण होता था। लेकिन तब बहुत कम लोग विवाह पंजीकरण कराते थे, 2010 से लागू इस एक्ट के तहत, 26 जनवरी 2025 तक कुल 3,30,064 विवाह पंजीकरण हुए, इस तरह पुराने एक्ट के अनुसार प्रतिदिन औसत विवाह पंजीकरण की संख्या 67 तक ही पहुंच पाई थी।

लेकिन अब 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, विवाह पंजीकरण में जबरदस्त उछाल आया है। ठोस कानून और आसान प्रक्रिया के चलते लोग अब विवाह पंजीकरण के लिए खूब उत्साह दिखा रहे हैं। स्थिति यह है कि 27 जनवरी 2025 से अब तक यूसीसी के तहत होने वाले विवाह पंजीकरण की संख्या 3,01,526 पहुंच गई है। इस तरह यूसीसी के बाद होने वाले प्रतिदिन विवाह पंजीकरण का औसत 1634 बैठ रहा है। जो पिछले कानून के मुकाबले कई गुना अधिक है। इधर, सरकार ने यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण कराने की वर्तमान समय सीमा, छह माह से बढ़ाकर एक साल कर दी है। इस संबंध में विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे उन लोगों को सुविधा रहेगी जो किसी कारण से अब तक यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण नहीं करा पाए थे।

समान नागरिक संहिता के तहत होने वाले पंजीकरण की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है। इससे कानून की व्यापकता और सार्थकता का पता चलता है। समान नागरिक संहिता के तहत होने वाला प्रत्येक पंजीकरण, एक मजबूत समाज की दिशा में ठोस कदम है। इससे महिलाओं के हित खासकर सुरक्षित हो रहे हैं।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

उत्तराखंड के सभी स्कूल भवनों का सुरक्षा ऑडिट होगा, सीएम ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश के सभी स्कूल भवनों का सुरक्षा ऑडिट किया जाए। जर्जर एवं असुरक्षित स्कूल भवनों में बच्चों को किसी भी स्थिति में न बैठाया जाए। बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जहां भी स्कूल भवन मरम्मत योग्य हो, वहां शीघ्र मरम्मत कराया जाए और जहां पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो, वहां उसकी कार्य योजना बनाकर तत्परता से क्रियान्वयन किया जाए।

प्रदेश के सभी पुलों का भी सुरक्षा ऑडिट करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं। उन्होंने कहा कि जिन पुलों की स्थिति खराब हो रही है, उनका आवश्यकतानुसार मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य प्राथमिकता पर किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलों की स्थिति पर नियमित निगरानी रखी जाए और कहीं भी जर्जर पुलों के कारण कोई जनहानि न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रियुगीनारायण और राज्य के अन्य स्थल जो वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किये जा रहे हैं, उनकी कार्यवाही में तेजी लाई जाय। यह राज्य के पर्यटन और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन स्थलों के विकास में गुणवत्ता, सुविधा और सांस्कृतिक गरिमा का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही, अन्य राज्यों की वेडिंग पॉलिसी का अध्ययन भी किया जाए ताकि उत्तराखंड में एक प्रभावी और आकर्षक वेडिंग डेस्टिनेशन नीति विकसित की जा सके।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राज्य में दो स्पिरिचुअल इकोनॉमिक जोन विकसित किये जाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि यह पहल राज्य में धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन को सुदृढ़ करने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को भी सशक्त करेगी। संबंधित विभागों को इस दिशा में आपसी समन्वय के साथ ठोस कार्य योजना बनाकर कार्य करने के उन्होंने निर्देश दिए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, आईजी के.एस.नगन्याल, अपर सचिव बंशीधर तिवारी मौजूद थे।

एम्स में भर्ती रूद्रप्रयाग बस हादसे के घायलों का हाल जानने पहुंचे सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एम्स, ऋषिकेश पहुंचकर जनपद रुद्रप्रयाग में हुई बस दुर्घटना में घायल यात्रियों का हालचाल जाना और चिकित्सकों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि सभी घायलों का समुचित और त्वरित उपचार सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने घायलों एवं उनके परिजनों को राज्य सरकार की ओर से हर संभव मदद का भी भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ पूरी संवेदनशीलता के साथ खड़ी है। गौरतलब है कि रुद्रप्रयाग बस दुर्घटना में घायलों को मुख्यमंत्री के निर्देश पर एयर एंबुलेंस के माध्यम से एम्स लाया गया था। जहां उनका उपचार किया जा रहा है।

भाजपा नेता के उपचार को सरकार देगी मदद, उपचार के लिए सीएम ने फौरी तौर पर दी 50 हज़ार रुपये की धनराशि

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा की चमोली जिला ईकाई के नेता आशीष थपलियाल के उपचार के लिए 50 हज़ार की तत्कालिक धनराशि स्वीकृत की है। थपलियाल गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने थपलियाल की धर्मपत्नी से फोन पर बात की और उनसे कहा कि उपचार की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठायेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज भराड़ीसैंण में मौजूद हैं। कल उन्हें विश्व योग दिवस के अवसर पर भराड़ीसैंण में आयोजित योग अभ्यास कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करना है। चमोली जिला ईकाई के नेता आशीष थपलियाल के बीमारी की जानकारी मिलते ही धामी ने उनकी धर्मपत्नी से फोन पर बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से पूछा। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वसत किया कि उनके पति के उपचार में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी और इसकी पूरी व्यवस्था सरकार करेगी। फौरी तौर पर मुख्यमंत्री ने उनके उपचार के लिए 50 हज़ार की धनराशि भी स्वीकृत की है।

सीएम ने अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर किया नमन, जीवन पर डाला प्रकाश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में त्याग, सेवा और समर्पण की प्रतिमूर्ति अहिल्याबाई होल्कर को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने करुणा, सेवा और धर्मनिष्ठा से भारतीय इतिहास में अद्वितीय स्थान प्राप्त किया। उन्होंने शासन को केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा, न्याय और धर्म की पुनर्स्थापना का साधन बनाया। उन्होंने काशी विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ, द्वारका से लेकर रामेश्वरम्, अयोध्या और मथुरा के साथ ही हमारी देवभूमि के बद्रीनाथ, केदारनाथ और हरिद्वार में मंदिरों और घाटों का जीर्णाेद्वार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई धर्मशालाओं और रास्तों के निर्माण के साथ ही जनसेवा के अनेक कार्य कराएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने भारत में धर्मस्थलों का पुनर्निर्माण कर भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। उन्होंने संपूर्ण भारत की सनातन संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। उन्होंने उस कालखंड में नारी सशक्तिकरण की ऐसी अनुपम मिसाल प्रस्तुत की, जिसकी कल्पना कर पाना भी उस समय कठिन था। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। वर्षों तक उपेक्षित रहे हमारे गौरवशाली इतिहास, महान राष्ट्रनायकों के योगदान और सांस्कृतिक विरासत को आज न केवल पुनर्स्थापित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय चेतना का आधार भी बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारी सनातन संस्कृति की पताका संपूर्ण विश्व में गर्व से लहरा रही है। भारत पुनः विश्वगुरु बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, बद्रीनाथ के मास्टर प्लान और केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं। अहिल्याबाई होल्कर को आदर्श मानकर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी अनेक कार्य किए जा रहे हैं। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान, उज्ज्वला योजना लखपति दीदी जैसी योजनाओं द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। केदारखंड और मानसखंड के मंदिर क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण के कार्य किये जा रहे हैं। हरिपुर कालसी में यमुनातीर्थ स्थल के पुनरुद्धार की दिशा में भी प्रयास किये जा रहे हैं। हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर के साथ ही शारदा कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। राज्य में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ ही ‘मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना‘, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना और पोषण अभियान जैसी विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में एक सख्त भू-कानून भी लाया गया है, जिससे राज्य के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता को लागू करने का ऐतिहासिक कार्य किया है। प्रदेश में देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून भी लागू किया है, जिसके परिणाम स्वरुप उत्तराखंड में पिछले 3 वर्ष में लगभग 23 हजार से अधिक युवाओं ने सरकारी नौकरियां प्रदान की गई है।

इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेन्द्र भट्ट, महामंत्री संगठन अजेय कुमार, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज, जनप्रतिनिधिगण और पार्टी पदाधिकारी उपस्थित थे।

आपदा मित्र योजना की तर्ज पर प्रारंभ होगी आपदा सखी योजनाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित एक होटल में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित मानसून 2025 तैयारियां कार्यशाला में प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान आपदा मित्र योजना की तर्ज पर “आपदा सखी योजना“ प्रारंभ किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा इस योजना के शुरू होने से महिला स्वयंसेवकों को आपदा से पूर्व चेतावनी, प्राथमिक चिकित्सा, राहत एवं बचाव कार्यों, मनोवैज्ञानिक सहायता आदि के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में सहायक सिद्ध होने के साथ आपदा प्रबंधन में समाज की सक्रिय सहभागिता को और अधिक मजबूत एवं प्रभावी बनाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा यह कार्यशाला आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाली चुनौतियों के बेहतर प्रबंधन के लिए सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखण्ड संवेदनशील राज्य है। हमें बीते वर्षों में आई प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेते हुए काम करना है। मुख्यमंत्री ने कहा प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता, लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया, सतर्कता और समन्वित राहत एवं बचाव कार्यों से जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है। जिसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय के साथ सजगता एवं संवेदनशीलता भी बेहद जरूरी है।

आपदा प्रबंधन सभी विभागों का सामूहिक दायित्व है
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन सभी विभागों का सामूहिक दायित्व है। जिसमें सभी विभागों के साथ आम जनता की सक्रिय सहभागिता भी आवश्यक है। उन्होंने कहा आपदा प्रबंधन में जनभागीदारी का होना बेहद आवश्यक है। जब तक समाज जागरूक, प्रशिक्षित और सतर्क नहीं होगा, तब तक किसी भी सरकारी प्रयास का प्रभाव सीमित ही रहेगा। आपदा के दौरान सबसे पहले स्थानीय नागरिक ही मौके पर होते हैं। इसलिए ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियों, महिला एवं युवा समूहों, स्वयंसेवी संगठनों तथा रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं को प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है।

आपदाओं के निपटारे के लिए प्रोएक्टिव और रिएक्टिव दोनों प्रकार की रणनीति अपनाना जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं के प्रभावी निपटारे के लिए हमें प्रोएक्टिव और रिएक्टिव दोनों प्रकार की रणनीतियों को अपनाना होगा। जैसे 2024 में गौरीकुंड में बादल फटने की घटना के दौरान प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाकर हजारों लोगों की जान बचाने में सफलता प्राप्त की थी। वर्ष 2024 में ही टिहरी जनपद के तोली गांव में हुए भू-स्खलन से पूर्व ही प्रशासन की त्वरित कार्यवाही के कारण 200 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी थी। आपदा के समय प्रभावितों के साथ खड़े रहना हमारी प्राथमिकता है।

पूर्वानुमान पर गंभीरता से काम करने पर आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वानुमान पर गंभीरता से काम करने पर आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है। राज्य सरकार आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने पर जोर दे रही है। राज्य में रैपिड रिस्पॉन्स टीम गठित करने के साथ ड्रोन सर्विलांस, जीआईएस मैपिंग और सैटेलाइट मॉनिटरिंग के माध्यम से आपदा के संभावित जोखिम क्षेत्रों की पहचान कर रही है। आपदा के नुकसान को कम करने के लिए राज्य में आपदा प्रबंधन विभाग, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान के दौरान भी उन्होंने स्वयं टनल में फंसे मजदूरों से संवाद किया था, जिससे उनका हौसला बढ़ाया जा सका था।

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अन्य सैन्य बलों से अधिकारियों को निरंतर समन्वय और संवाद स्थापित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा भूस्खलन, बाढ़ और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर, जेसीबी, क्रेन एवं आवश्यक उपकरणों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। साथ ही संवेदनशील और पुराने पुलों की तकनीकी जांच कर आवश्यकतानुसार बैली ब्रिज एवं वैकल्पिक व्यवस्था हेतु भंडारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों में जलस्तर की निरंतर मॉनिटरिंग के लिए तकनीकी यंत्रों और मानव संसाधन की तैनाती करने, खाद्यान्न, ईंधन, पेयजल एवं जीवन रक्षक औषधियों की पर्याप्त आपूर्ति सभी जिलों में अभी से सुनिश्चित करने के साथ सभी आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि यह कार्यशाला आगामी मानसून से पहले व्यवस्थाओं को सशक्त और प्रभावी बनाएगी। उत्तराखंड को कई प्रकार की आपदा का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष मौसम विभाग ने मानसून के जल्द आने और सामान्य से अधिक होने का अनुमान लगाया है। हमें मानसून से पूर्व पुख्ता इंतजाम करके आपदा के प्रभाव को कम करना है। आपदा के दौरान संसाधनों का बेहतर उपयोग और तकनीकी संसाधनों का प्रयोग आपदा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिसका हमने और बेहतर इस्तेमाल करना है।

सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण राजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने आगामी मानसून में उत्तराखंड के लिए सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वनुमान लगाया है। ऐसे में उत्तराखंड के लिए 15 जून से सितंबर तक आपदा की नजर से महत्वपूर्ण समय है। उत्तराखंड राज्य बाढ़, बादल फटने, भूस्खलन, भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इनसे बचने के लिए बेहतर पूर्वानुमान, बुनियादी ढांचों, जन जागरूकता, बेहद जरूरी है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इस वर्ष चार धाम यात्रा बेहद सुचारू रूप से चल रही है। चार धाम यात्रा का प्रबंधन बेहद अच्छा है। उन्होंने भूस्खलन के बचाव के लिए उत्तराखंड को एन.डी.एम.ए ने 140 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है। एन.डी.एम.ए द्वारा 190 संवेदनशील झीलों के लिए उत्तराखंड को 40 करोड़ का आवंटन हो चुका है। उन्होंने कहा फॉरेस्ट फायर को लेकर उत्तराखंड की तैयारियां इस वर्ष बेहद अच्छी हैं। उत्तराखंड को फॉरेस्ट फायर के लिए करीब 16 करोड़ की स्कीम को स्वीकृति प्रदान की है। भूकंप के लिए भी उत्तराखंड को आवश्कता अनुसार धनराशि दी जाएगी। एन.डी.एम.ए ने पूरे देश में आने वाली आपदाओं के लिए गाइडलाइन बनाई हैं, जिसे जिले स्तर तक पहुंचाना है।

उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन सलाहकार समिति विनय रोहेला ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से आपदा के दौरान होने वाले नुकसान को कम से कम किया गया है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान में हमने सफलता हासिल की है। रूद्रपुर में आई बाढ़ के दौरान भी मुख्यमंत्री जी ग्राउंड जीरो पर थे। उन्होंने बताया घनसाली में आई आपदा के दौरान भी मुख्यमंत्री धामी सीधे आपदा प्रभावितों के बीच में पहुंचे थे, जिससे प्रभावितों का मनोबल बढ़ा था। मुख्यमंत्री ने कुशल आपदा प्रबंधन ने राज्य को विकसित प्रदेश बनाने की ओर आगे बढ़ाया है।

सचिव, आपदा विनोद कुमार सुमन ने बताया कि यह कार्यशाला मानसून से पूर्व की तैयारियों को और मजबूत बनाने के लिए की जा रही है। उन्होंने बताया कार्यशाला में मौसम पूर्वानुमान, बाढ़ पूर्वानुमान, ईडब्ल्यूएस की निगरानी और प्रसार , भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली, भूस्कालन जोखिम न्यूनीकरण के लिए भू-जांच की आवश्यकता, संसाधन और परिचालन संबंधी तैयारी, ग्लेशियर निगरानी, मानसून में होने वाली बीमारियों से बचाव, मार्गों पर भूस्खलन एवं बेस्ट प्रैक्टिसेज जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी। जिसका लाभ आने वाले समय में हमारे राज्य को मिलेगा।

इस दौरान प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और विशेषज्ञ मौजूद थे।