शिक्षा के विकास और छात्रों के व्यापक हित में मुख्यमंत्री ने की कई घोषणायें

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में विद्यालयी शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश देने के साथ ही शिक्षा के विकास तथा छात्रों के व्यापक हित में प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक के सभी वर्गों के छात्रों को भी अगले वर्ष से निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की। उन्होंने अध्यापकों के स्थानान्तरण सम्बन्धी प्रकरणों के निस्तारण हेतु महानिदेशक शिक्षा के अधीन सेल का गठन कर प्रकरणों का निस्तारण करने, छात्रों को अंग्रेजी एवं कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने के लिए विद्यालयों में अंग्रेजी एवं कम्प्यूटर के गेस्ट टीचरों की व्यवस्था किये जाने, तथा राजकीय विद्यालयों के कक्षा 12 के 100 टॉपर्स को 5 साल तक उच्च शिक्षा की तैयारी के लिये छात्रवृत्ति प्रदान किये जाने की व्यवस्था की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों तथा शिक्षण व्यवस्था के व्यापक हित में सभी अधिकारी माह में एक दिन किसी स्कूल में स्वेच्छा से बच्चों को पढ़ाने का कार्यक्रम बनायें इससे विद्यालयों की अवस्थापना सुविधाओं की स्थिति की भी जानकारी प्राप्त हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाये जाने के भी निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ही परिसर में संचालित विद्यालयों के एकीकरण के प्रस्तावों के निस्तारण के लिये महानिदेशक शिक्षा की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित करने के भी निर्देश दिये। मैदानी क्षेत्र की कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिल तथा पर्वतीय क्षेत्र की छात्राओं को 2850 रुपये की धनराशि के वितरण का प्रस्ताव भी शीघ्र तैयार करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा महत्वपूर्ण विभाग है, प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिये शिक्षकों तथा शिक्षा से जुड़े अधिकारियों से नई कार्य संस्कृति के साथ कार्य करने की अपेक्षा करते हुए कार्यों में तेजी लाने के लिये नियमों के सरलीकरण, समस्याओं का समाधान के साथ निस्तारण तथा सबकी संतुष्टि के मंत्र के साथ दायित्वों के निर्वहन के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा हमारे विद्यालयों में अधिक से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण करें, हमें इसके लिये गंभीरता एवं सक्रियता से प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के महानुभाव जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर साधारण से असाधारण की यात्रा करने के साथ जमीन से आसमान छूने का कार्य किया है वह सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों से पढ़कर निकले हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापकों को अच्छा वेतन व सुविधाएं मिलने के बावजूद शिक्षा में गुणात्मक सुधार की कमी रहने का यह प्रश्न हम सबके सामने है। इस दिशा में हम सबको चिंतन करना होगा। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि हमें पूरे मनोयोग से शिक्षा की बेहतरी के लिये प्रयास करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को माता-पिता संस्कारवान बनाते हैं तो उन्हें शिक्षित बनाने तथा उनके व्यक्तित्व निर्माण का कार्य शिक्षकों का होता है। शिक्षकों की देश का योग्य भावी नागरिक तैयार करने की भी जिम्मेदारी है। दूसरों को ज्ञान बांटना बड़ा पुण्य का कार्य है। हमारे द्वारा किये जाने वाले अच्छे कार्यों को ईश्वर भी देखते हैं।
बैठक में सचिव शिक्षा राधिका झा ने व्यापक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में विद्यालयी शिक्षा के प्रशासनिक व शैक्षिक ढांचे, भावी कार्य योजनाओं, वित्तीय स्थिति आदि की जानकारी दी।
इस अवसर पर विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. सन्धु, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक अकादमिक शिक्षा राकेश कुंवर सहित अन्य अधिकारी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी आदि उपस्थित थे।

शिक्षा नीति में पूरे देश से अध्यापकों और छात्रों में दिख रहा उत्साहः नमो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत 21 वीं सदी में स्कूली शिक्षा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया, हर व्यवस्था बदल गई। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है, और ये काम हम सब मिलकर करेंगे। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने पर प्रिंसिपल्स और अध्यापक पूरे उत्साह में दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बच्चों में मैथमेटिकल्स थिकिंग और साइंटिफिक टेम्परामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है। मैथमेटिकल्स थिकिंग का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे मैथमेटिकल्स के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें. बल्कि ये सोचने का एक तरीका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं, सवाल जायज भी हैं और जरूरी भी हैं। आज हम सभी एक ऐसे क्षण का हिस्सा बन रहे हैं जो देश के भविष्य निर्माण की नींव डाल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वी सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है। कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सैलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल्स चीजों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके।

ऑनलाईन जुड़े स्कूलों के बच्चों से मुख्यमंत्री ने किया संवाद

उत्तराखण्ड, स्कूली शिक्षा में वर्चुअल क्लासरूम प्रोजेक्ट शुरू करने वाला पहला राज्य बन गया है। शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश के 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में वर्चुअल क्लास का उद्घाटन किया। वर्तमान में 150 विद्यालयां को जोड़ा जा चुका है। कार्यक्रम के दौरान ये सभी विद्यालय ऑनलाईन थे। अगले 15 दिनों में शेष 350 चिन्हित विद्यालयों को भी जोड़ दिया जाएगा।

नवोदय विद्यालय, ननूरखेड़ा, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में परियोजना का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में तकनीक के माध्यम से शिक्षा में सुधार किया जा रहा है। अनिर्णय की स्थिति ठीक नहीं होती है। 2010-11 से बजट उपलब्ध था परंतु निर्णय नहीं लिया गया। समय पर निर्णय न लिए जाने से लाखां बच्चे इससे वंचित रह गए। हमने इस पर निर्णय लिया और आज उत्तराखण्ड स्कूली शिक्षा में वर्चुअल क्लास शुरू करने वाल पहला राज्य बन गया है। इससे जहां किसी विषय विशेष के अध्यापक नहीं हैं, वहां वर्चुअल क्लास के माध्यम से उस विषय की पढ़ाई कराई जाएगी। इससे लगभग 1 लाख 90 हजार बच्चे लाभान्वित होंगे। केंद्र सरकार से राज्य को भरपूर सहयोग व सहायता मिलती है। ये हम पर है कि हम किस प्रकार से अच्छे प्रस्ताव बनाकर भेजते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखा जाएगा कि विद्यालय समय के बाद स्कूल भवन का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। वर्चुअल क्लास का उपयोग एकेडमिक पढ़ाई के साथ ही कैरियर परामर्श, प्रतियोगिताओं की तैयारी, साक्षरता, मोटिवेशन क्लास में करने की सम्भावना देखी जाएगी। उन्होंने सचिव विद्यालयी शिक्षा को इसके लिए निर्देशित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक से शिक्षक का स्थान नहीं लिया जा सकता है परंतु जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां यह उपयोगी रहेगी। इससे शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। बच्चों का बहुआयामी विकास होगा। उनका सोचने का दायरा बढ़ेगा।

शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे ने कहा प्रदेश की विद्यालयी शिक्षा के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। भौगोलिक विषमताओं को देखते हुए हाई क्वालिटी एजुकेशन मे यह सुविधा बहुत उपयोगी रहेगी। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है।

सचिव विद्यालयी शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि वर्चुअल क्लासरूम कार्यक्रम, समग्र शिक्षा के अन्तर्गत सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) के तहत संचालित है। वर्तमान में 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में संचालित किया जाएगा। वर्चुअल क्लासरूम में सैटेलाईट इन्टरएक्टीव टर्मिनल (एसआईटी) तथा रिसीव ऑन्ली टर्मिनल (आरओटी) के माध्यम से टू-वे सीमलैस इन्टरएक्टीवीटी द्वारा देहरादून स्थित 04 सेंट्रल स्टूडियो से प्रदेश के 500 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। वर्चुअल क्लासरूम तकनीक नवीनतम तकनीक है। यह स्मार्ट क्लासरूम व आईसीटी लैब से आधुनिक है।

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल जुडे विभिन्न विद्यालयों के बच्चों से संवाद भी किया। बच्चों ने उनसे अनेक प्रश्न पूछे जिनका मुख्यमंत्री ने विस्तार से जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने बच्चों को कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। जो भी काम करें, पूरी निष्ठा, एकाग्रता और समर्पण से करें। मुख्यमंत्री से बात करने वालों में जीजीआईसी, कर्णप्रयाग की अमीषा व आंचल, जीआईसी, पाण्डुकेश्वर की अंशिका, जीआईसी, एकेश्वर के जयरत्न व साहिल कुमार, जीजीआईसी, रानीखेत की लक्षिता शाह व आशा, जीआईसी हरपुन हरसन (उधमसिंहनगर) के मोहम्मद सलीम, जीआईसी दिक्तोली (चम्पावत) की मानसी, जीआईसी गुरना (पिथौरागढ़) के हर्षकुमार, जीआईसी गुनियालेक, नैनीताल की नीतू व योगिता शामिल थे। छात्रों के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईसी, एकेश्वर का भवन निर्माण कराया जाएगा। जीआईसी गुनियालेक में भूमि उपलब्ध होने खेल का मैदान बनाया जाएगा।

’’शगुन’’ से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में आयेगा बड़ा सुधारः निशंक

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र को मजबूती देने के मकसद से विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन जंक्शनों में शामिल एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ का शुभारंभ नई दिल्ली में किया। इस ऑनलाइन जंक्शन के जरिए स्कूली शिक्षा से जुड़े सभी ऑनलाइन पोर्टल्स और वेबसाइट को जोड़ने की पहल की गई है। इस मौके पर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय शामराव धोत्रे भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि बेहतर शिक्षा के बिना किसी राष्ट्र, समाज या परिवार की उन्नति नहीं हो सकती। शिक्षा तरक्की की नींव है और नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत उतनी ज्यादा बेहतर होगी। ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ एक ऐसा ही प्लैटफॉर्म है, जिसके जरिए शिक्षा की नींव को मजबूती मिलेगी। ‘शगुन’ में श शब्द का आशय शाला से है, जिसका मतलब स्कूल से है और गुन से गुणवत्ता को दर्शाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि 1200 केंद्रीय विद्यालयों, 600 नवोदय विद्यालयों, सीबीएससी से जुड़े 18000 स्कूलों, 30 एससीईआरटी और एनसीटीई से जुड़े 19000 संस्थानों की वेबसाइट्स को ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ पोर्टल से जोड़ा गया है। इस ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के जरिए 15 लाख स्कूलों, 92 लाख शिक्षकों और करीब 26 करोड़ विद्यार्थियों की जानकारी ली जा सकती है। इसके जरिए योजनाओं की जानकारी लेने के साथ ही लोगों को स्कूलों से जुड़ी नई सूचनाएं भी मिलेंगी।

पोखरियाल ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसी के मन में कोई सवाल है, तो वह सवाल हम तक पहुंच सके। इस एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन के जरिए लोग स्कूल के बारे में अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचा सकेंगे। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा से जुड़े समस्त आंकड़े एक जगह से प्राप्त कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस नए भारत की कल्पना की है, जिसमें उन्होंने हमेशा कहा कि शिक्षा में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए। उसी दिशा में ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ स्कूली शिक्षा के स्तर को नई ऊंचाई पर ले जाने का काम करेगा।
‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ के जरिए विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ने के लिए सामग्री मिलेगी, साथ ही उन्हें वीडियो आधारित शिक्षा का अवसर भी मिलेगा। वेबसाइट के जरिए यह भी जाना जा सकता है कि आपके क्षेत्र में कौन-कौन से स्कूल हैं और वह क्या-क्या सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री श्री पोखरियाल ने ‘एकीकृत राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा निधि’ (INSET) बनाने की भी घोषणा की, जिसके जरिए विद्यार्थियों, शिक्षकों ओर स्कूलों से जुड़ी तमाम सूचनाएं एक मंच से मिल सकेंगी।
कार्यक्रम में मौजूद मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय शामराव धोत्रे ने कहा कि ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ के जरिए स्कूलों से जुड़ी समस्त जानकारी एक साथ मिल सकेगी। स्कूलों की सुविधाओं के बारे में जानने के साथ ही उन्हें जांच कर उन पर अपने सुझाव भी दिए जा सकेंगे। धोत्रे ने कहा कि यह बहुत ही अच्छा कदम है, इससे बच्चों के सम्पूर्ण विकास में और मदद मिलेगी। इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के विद्यालय शिक्षा विभाग की सचिव रीना रे समेत मंत्रालय के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
शगुन पोर्टल को इस लिंक पर क्लिक करके देखा जा सकता है : http://seshagun.gov.in