सीएम धामी ने किया पेंशन की इस वित्तीय वर्ष की 5वीं किश्त का ऑनलाइन भुगतान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक संवाद के तहत वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने दिव्यांग शादी अनुदान एवं राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना का सॉफ्टवेयर लॉन्च किया एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत दी जा रही पेंशन की इस वित्तीय वर्ष की 5वीं किश्त का ऑनलाइन भुगतान किया।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान घोषणा की कि दिव्यांग युवक-युवती से विवाह करने पर प्रोत्साहन अनुदान धनराशि 25 हजार रूपये से बढ़ाकर 50 हजार रूपये किया जायेगा। दिव्यांग छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के दिव्यांग छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति हेतु आय सीमा को समाप्त किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक वृद्धाश्रम की व्यवस्था की जायेगी।

मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ नागरिक एवं दिव्यांगजनों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबके आशीर्वाद से ही उन्हें राज्य के मुख्य सेवक के रूप में कार्य करने की ऊर्जा मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संवाद के पीछे भी उनका यही मंतव्य था कि वो सबकी समस्याओं, आवश्यकताओं को सीधे तौर पर जान सकें, जिससे उनके समाधान के लिए और अधिक ठोस कदम उठाए जा सकें। कहा कि कई बार सरकार के स्तर पर नीतियां और योजनाएं तो बन जाती हैं, परन्तु उन योजनाओं का वास्तविक लाभ तभी मिल पाता है जब वे जमीनी स्तर तक पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से पहुँचें। साथ ही लाभार्थी भी ये महसूस करें कि सरकार ने उनकी ज़िंदगी को आसान और बेहतर बनाने का कार्य किया है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तिकरण के निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं। प्रधानमंत्री ने ही सर्वप्रथम “विकलांग” की जगह “दिव्यांग” शब्द को अपनाकर दिव्यांगजनों में आत्मसम्मान का संचार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दिव्यांग सशक्तिकरण अधिनियम 2016, सुगम्य भारत अभियान, ए.डी.आई.पी. योजना, दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना, दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना तथा दिव्यांगजन छात्रवृत्ति एवं पेंशन योजना जैसी अनेकों योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों के कल्याण हेतु ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में 96 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को पेंशन प्रदान की जा रही है। जहां एक ओर 18 वर्ष से अधिक आयु के 86 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को 1500 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान की जा रही है, वहीं 18 वर्ष से कम आयु के 8 हज़ार से अधिक दिव्यांग बच्चों के भरण-पोषण एवं देखभाल हेतु प्रतिमाह 700 रुपए की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है।

इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य के दौरान दिव्यांग हुए लोगों को तीलू रौतेली पेंशन योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 12 सौ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के साथ ही, 4 फुट से कम ऊँचाई वाले व्यक्तियों को बौना पेंशन के माध्यम से प्रतिमाह 12 सौ रुपए भी प्रदान किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में “दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना“ के अंतर्गत दिव्यांग व्यक्ति से विवाह करने पर 25 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है। आज इस योजना से जुड़े सॉफ्टवेयर के लोकार्पण से योजना का लाभ पारदर्शिता के साथ पात्र लाभार्थियों को मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक दिन पहले ही देहरादून में प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र का शुभारंभ किया गया है। जहां दिव्यांगजनों विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों को सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले समय में ऐसे दिव्यांशा केंद्र राज्य के समस्त जनपदों में खोलने का प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज इस योजना के अंतर्गत राज्य के लगभग 6 लाख वृद्धजनों को डीबीटी के माध्यम से पेंशन की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है। इसके साथ ही सरकार राज्य के सभी जनपदों में वृद्धाश्रमों की व्यवस्था भी सुदृढ़ कर रही है। वर्तमान में बागेश्वर, चमोली और उत्तरकाशी में राजकीय वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं, जबकि देहरादून, अल्मोड़ा और चम्पावत में नए भवन निर्माणाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल सहित विभिन्न क्षेत्रों में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित वृद्धाश्रम भी कार्यरत हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने बदलते समय के साथ रिश्तों में आई चुनौतियों को देखते हुए वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम लागू किया है। इसके माध्यम से हमारे बुजुर्गों को यह कानूनी अधिकार प्राप्त हो जाता है कि वे अपने बच्चों या कानूनी उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण की मांग कर सकें। उन्होंने वरिष्ठजनों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि आपका ये बेटा कभी आपके सम्मान, सुरक्षा और सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देगा।

कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजानदास, सविता कपूर, मेयर देहरादून सौरभ थपलियाल, उपाध्यक्ष वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद नवीन वर्मा, शांति मेहरा, सचिव समाज कल्याण श्रीधर बाबू अदह्यांकी, अपर सचिव प्रकाश चन्द्र, निदेशक समाज कल्याण चन्द्र सिंह धर्मशक्तू, निदेशक जनजाति कल्याण संजय टोलिया उपस्थित रहे।

पलायन रोकने और रोजगार को बढ़ाने में सीएम त्रिवेन्द्र की भूमिका…

राजेन्द्र जोशी (स्वतंत्र पत्रकार)। पलायन रोकने और रोजगार को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए है। मुख्यमंत्री जानते है कि उत्तराखंड में कृषि, बागवानी और पर्यटन की अपार संभावनाएं है। आज हम किसानों के संदर्भ में सरकार के द्वारा लिये गये निर्णयों की जानकारी देने का प्रयास कर रहे है।

क्या आप जानते है… उत्तराखंड में किसानों को समाज कल्याण विभाग की ओर से पेंशन दी जाती है। यह सौगात और किसी ने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सत्ता संभलाने के बाद प्रदेश के किसानों को दी। उन्होंने किसानों के पलायन को रोकने के लिए किसान पेंशन योजना की शुरूआत की। इस योजना में 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को उत्तराखंड सरकार की तरफ से 1000 रुपये महीने का पेंशन दिया जाता है। यह योजना उत्तराखंड के छोटी जोत के किसानों के लिए वरदान है। राज्य के नौ जिले पर्वतीय है और यहां लोगों के पास छोटी-छोटी जोते है। मुख्यमंत्री ने इस योजना के माध्यम से उन्हें बड़ी राहत दी है। अगर आपके आस-पास भी ऐसे किसान है तो उन्हें इस योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित करे।

प्रवासी और पलायन रोकने के लिए उत्तराखंड में खेती को मनरेगा से जोड़ा गया है। कृषि वैज्ञानिक इसे ऐतिहासिक कदम मान रहे है। मनरेगा के तहत जहां एक ओर प्रवासियो के साथ ही यहां रहे रहे लोगों को मजदूरी मिलेगी। वहीं, सामूहिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार का सृजन तो होगा ही। साथ ही सीमांत क्षेत्रों में आबादी की बसावट होने से घुसपैठ रोकने में मदद भी मिलेगी।

वहीं, मुख्यमंत्री के निर्देश पर एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना को मंजूरी दी गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत योजना में प्रत्येक ब्लाक में एक-एक गांव चयनित कर, वहां क्लस्टर आधार पर खेती होगी। इसमें गांव में रहने वाले और प्रवासी, सभी की भूमि में खेती होगी। क्लस्टर कम से कम 10 हेक्टेयर का होगा और इसमें सौ किसान खेती करेंगे। योजना संचालन को प्रति गांव 15 लाख रुपये मिलेंगे।

आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस वर्ष गैरसैंण में बजट प्रस्तुत करते हुए किसानों के बंपर घोषणाएं की है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की तर्ज पर ही मुख्यमंत्री ने राज्य में कृषि विकास योजना लागू करने के साथ ही बजट में ही 18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया। वहीं मत्स्य पालकों की आय दोगुनी करने और पशुचारा परिवहन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। सरकार ने गेहूं और धान की खरीद के लिए 2300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की। तो वहीं जैविक खेती पर भरोसा जताते हुए जैविक कृषि विधेयक लागू किया है।

मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए 800 कस्टम हायरिंग सेंटर और 500 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के निर्देश दिये गये है। जहां से किसान अपने जरूरत के हिसाब से मशीन किराए पर ले सकते हैं। किसानों को अपने नजदीकी बाजार में उत्पादों को बेचने के लिए कई प्रकार की रियायतें दी जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के द्वारा किसानों के हित में लगातार कई ऐसे कार्य किये जा रहे है। जिनसे उनकी आर्थिकी संवरे और वह आत्मनिर्भर बन सके। बात चाहें गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की हो या संकट में चीनी मिलों को उबारने की, मुख्यमंत्री ने इस बार के बजट में कई घोषणायें की है।

जब सरकार उत्तराखंड में कृषि को संवारने और आर्थिकी का मुख्य जरिया बनाने के लिए प्रयासरत हो तो हमें भी कुछ जिम्मेदारी निभानी होगी। युवाओं को पांच से दस हजार रुपये की नौकरी के लिए शहरों में भटकने से बेहतर है कि हम इन योजनाओं का लाभ उठाये। अब समय आ गया है कि अपनी आर्थिकी के साथ ही राज्य की आर्थिकी संवारने में योगदान दे।