तीर्थनगरी ऋषिकेश में सनातन धर्म के श्रुति धर्मगं्रथ उपनिषद कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। कथा में दक्षिण भारत से हजारों लोंगों का दल यहां पहुंचा।
परमार्थ निकेतन गंगातट पर कथा का भव्य शुभारंभ आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज, आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व दक्षिण भारत से आए कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आत्मा ही सबसे बड़ा तीर्थ है। आत्मा ही सत्य है। मन यदि स्वच्छ होगा तो आत्मा भी पवित्र होगी और जब आत्मा पवित्र होती है तब हम परमात्मा की प्राप्ति का लक्ष्य अतिशीघ्र हासिल कर लेते हैं। आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हिमालय की धरती आरण्यक संस्कृति है। इस धरती ने हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं संस्कारों को जन्म दिया है। पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया व सर्वे भवंतु सुखिनरू की संस्कृति दी। आज उसी धरती पर उपनिषदों के गहन ज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है। कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण के सानिध्य में यह कथा सात दिनों तक आयोजित होगी। इस अवसर पर आश्रम परिवार ने कथा व्यास वेंकटरमण को शिवत्व का प्रतीक रुद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया।