पार्षद शौकत अली मामले में न्यायालय ने हटाई एक धारा

बीते आठ जुलाई को ऋषिकेश में भाजपा के टिकट से पार्षद बने शौकत अली पर गर्भवती महिला सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट का आरोप लगा था, पुलिस ने पीड़ित पक्ष की तहरीर के आधार पर पार्षद सहित अन्य चार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था, इस मामले में पीड़ित पक्ष ने पार्षद शौकत अली पर गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने का भी आरोप लगा था। मगर, वादी पक्ष इसे न्यायालय में साबित नहीं कर सका। न्यायालय ने पार्षद शौकत अली के ऊपर लगे भ्रूण हत्या की धारा को हटाने का आदेश सुनाया है।

अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा और राज किशोर जोशी ने बताया कि पार्षद शौकत अली के मामले में वादी पक्ष ने न्यायालय में जो सरकारी अस्पताल का अल्ट्रासाउंड पेश किया, वह छह सप्ताह चार दिन का था। अधिवक्ता ने न्यायालय को यह बताया कि सरकारी अस्पताल के अल्ट्रासाउंड से यह साबित नहीं होता है कि अल्ट्रासाउंड के दौरान बच्चा जीवित नहीं था।

अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा और राजकिशोर जोशी ने न्यायालय के समक्ष कानून से जुड़ी बहु चर्चित किताबों का हवाला दिया और यह साबित किया कि पार्षद शौकत अली के मामले में भ्रूण हत्या नहीं हुई है।

अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा और राजकिशोर जोशी की मजबूत पैरवी की बदौलत एडीजे प्रथम की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए पार्षद शौकत अली के ऊपर लगी भ्रूण हत्या की धारा को हटाने का आदेश दिया है।

क्या था घटनाक्रम
बैराज कॉलोनी, पशुलोक निवासी बबीता सैनी पत्नी स्व. राजकुमार सैनी ने ऋषिकेश कोतवाली में तहरीर दी थी। बताया कि वह अपने बच्चों के साथ घर पर बैठी थी। उनका भाई रोते हुए आया, पूछने बताया था कि परवेश नामक युवक ने उसके साथ शराब के नशे में होकर मारपीट की है। महिला ने आरोप लगाया था कि इसी बीच परेवश अपनी मां, गोलू, पार्षद शौकत अली, साजिया सहित अन्य लोग घर में आ धमके। सभी ने डंडों व ईंट से मारपीट की। जिसमें उनकी बेटी व उसकी मासूम बच्ची को पीटा गया। यही नहीं पार्षद ने अपने साथियों के साथ गर्भवती महिला को भी बुरी तरह से पीटा।