धन बल के सहारे नही आम जनता के दिलों में जगह बनाकर जीते जाते है चुनाव-अग्रवाल

चुनाव में नकारात्मक राजनीति करने वाले अब नज़र नहीं आएंगे। ऐसे लोग बरसाती मेंढक की भांति हैं, जो चुनाव में ही विभिन्न प्रलोभन के साथ आते तो हैं, चुनाव के बाद नज़रबंद हो जाते हैं। जनता की सुध लेना तो दूर की बात है। जनता ने मुझे चौथी बार जीतकर ऐसे नकारात्मक राजनीति करने वालों को सबक सिखाया है, बल्कि भाजपा की विकासपरक सोच को अपनाया है। यह बात क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने रायवाला ग्रामसभा में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद प्रथम आगमन के दौरान कही।
ग्राम प्रधान सागर गिरी की अध्यक्षता में रायवाला में मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल का स्वागत कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्रधान सागर गिरी ने कहा कि रायवाला को सदैव मंत्री डॉ अग्रवाल जी का सहयोग मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि आज रायवाला में उनकी बदौलत सर्वाधिक मूलभूत समस्याओं का निदान किया जा चुका है।
प्रदेश कार्यालय प्रभारी ओबीसी मोर्चा सतपाल सैनी ने कहा कि डॉ प्रेमचंद अग्रवाल के लगातार चौथी बार विधायक और मंत्री बनने का लाभ ऋषिकेश विधानसभा की जनता को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 15 वर्ष पूर्व रायवाला की स्थिति दयनीय थी, मगर आज विकासपरक सोच वाले मंत्री डॉ अग्रवाल ने यहाँ की दशा और दिशा को संवारा है।
इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि जनता ने ऋषिकेश की जनता का ऋणी हूं, लगातार चार बार विधानसभा पहुंचाकर जनता ने विकास के एजेंडे को अपनाया है। मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि चुनाव में नकारात्मक राजनीति करने वाले अब नज़र नहीं आएंगे। ऐसे लोग बरसाती मेंढक की भांति हैं, जो चुनाव में ही विभिन्न प्रलोभन के साथ आते तो हैं, चुनाव के बाद नज़रबंद हो जाते हैं।
डॉ अग्रवाल ने जनता का अभिवादन करते हुए कहा कि मुझे चौथी बार जिताकर जनता ने ऐसे लोगों को जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश विधानसभा में विकास करना उनकी जिम्मेदारी हैं, इसके लिए वह सदैव प्रयासरत हैं। धन की कमी विकास कार्याे में नहीं आने दी जाएगी।
स्वगगत करने वालों में प्रधान सागर गिरी, उप प्रधान जयानंद डिमरी, क्षेत्र पंचायत सदस्य गीता नेगी, प्रदेश कार्यालय प्रभारी ओबीसी मोर्चा सतपाल सैनी, डॉ वीएस चौधरी, जयपाल सिंह चौहान, सुरेशानंद डंगवाल, भगवान सिंह चौहान, दमयंती देवी, पार्वती देवी, प्रियंका देवी, जगतराम आदि ग्रामीण मौजूद रहे।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस पर बनारस में आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अंतरराज्यीय सम्मलेन में आज सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रतिभाग किया। सिगरा स्थित रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में डॉ रावत ने उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों के बावजूद उत्तराखंड में तेजी से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी चिकित्सा इकाईयों में आम लोगों को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई वहीं लगभग 260 पैथोलॉजी जांचे मुफ्त में की जा रही है। डॉ रावत ने बताया कि उत्तराखंड में आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 49 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाये जा चुके हैं। प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी उन्मूलन को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में 13752 सक्रिय टीबी मरीज है जिसमें से 11664 मरीजों द्वारा निरूक्षय से सहायता प्राप्त की दी गई, जिसके सापेक्ष 7675 निक्षय मित्र बनाये जा चुके हैं। निक्षय मित्र बनाने में उत्तराखंड देशभर में दूसरे स्थान पर है। सम्मेलन में डॉ रावत ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 तक सूबे में कुल 1422 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का उच्चीकरण किया गया और दिसम्बर 2022 तक 1800 वेलनेस सेंटरों को स्थापित किया जायेगा। विभगीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 7 सितम्बर 2022 से 7 अक्टूबर 2022 तक जन आरोग्य अभियान संचालित किया गया जिसमें सीएचओ के माध्यम से 10-10 गांव में स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस अभियान के तहत 3 लाख 21हजार 236 लोगों का मेडिकल चेकअप किया गया। जिसमें 2 लाख 67 हजार 263 लोगों का रक्तचाप स्क्रीनिंग की गई, 2 लाख 58 हजार 231 लोगों की मधुमेह जांच की गई, 2 लाख 46 हजार 592 लागों के ओरल कैंसर की जांच, 1 लाख 39 हजार 116 महिलाओं के स्तन कैंसर की जांच, 2 लाख 8 हजार 944 लोगों का नेत्र परीक्षण, 1 लाख 94 हजार 385 लोगों का टीबी रोग परीक्षण किया गया जबकि 2 लाख 5 हजार 980 लोगों को तम्बाकू निषेध के प्रति जागरूक किया गया। डॉ0 रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार बेहतर करने जुटी है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जमकर सराहना की, साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ रावत के कार्यों की प्रशंसा भी की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का अर्थ है देश में रहने वाले सभी लोगों और समुदायों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना। इसका उद्देश्य यह भी है कि जाति, धर्म, लिंग, आय स्तर और सामाजिक स्थिति में भेदभाव किए बगैर सभी को वहनीय, उत्तरदायी, गुणवत्तापूर्ण और यथोचित स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना सुनिश्चित करना है। इस दो दिवसीय सम्मेलन में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के 900 से अधिक सीएचओ ने भी प्रतिभाग किया।

हिमाचल चुनाव के बाद योगी और धामी जैसे चेहरों की तलाश में जुटी भाजपा

हिमाचल के नतीजों ने हाईकमान को सोचने में मजबूर कर दिया है कि देश में मोदी के बाद अब राज्यों में भी भाजपा को दमदार चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ना होगा। जैसे यूपी में योगी और उत्तराखंड में धामी को रखकर भाजपा ने सत्ता प्राप्त की। ऐसा हम नही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े सूत्र कह रहे है।
अगर उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन ना हुआ तो 15 सीटों पर सिमट जायेगी भाजपा। कुछ ऐसा ही भाजपा के सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे के बाद हाईकमान में उत्तराखंड में एक नही दो बार परिवर्तन किया। स्वयं पीएम को देवभूमि में हस्तक्षेप करना पड़ा और भाजपा के हाथ में पुष्कर की रिपोर्ट सबसे बेहतर और संगठनात्मक पकड़ वाली साबित हुई। कहा जाये कि अगर पीएम मोदी चुनाव से पहले पुष्कर को सीएम बनाने का दूरदर्शी फैसला न करते तो उत्तराखंड में भी होते हिमाचल जैसे हालात होते। पीएम मोदी के मंत्र को आमजन तक पहुंचाने में कामयाब रहे सीएम पुष्कर धामी भले ही चुनाव हारे लेकिन सत्ता दिलाने में कायाब रहे। हालांकि आज भी उन्हें वह लॉबी नही चपा पा रही है जो उत्तराखंड में भय, भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों में लिप्त रही। हर राह में रोड़े अटका कर उनके लिए आसान राह को भी कठिन और चुनौती पूर्ण किया जा रहा। लेकिन अपनी मुस्कान की तरह ही अकेले योद्धा की तरह लड़ कर विजय हासिल कर रहे धामी। कहा जाये तो पीएम मोदी के बाद राज्य में सबसे अधिक लोकप्रिय नेता बन चुके है आज धामी।
फिर लौटते है हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों में जिसने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत का भी राज खोल दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले दूरदर्शी फैसला लेते हुए सीएम के रूप में युवा तुर्क पुष्कर धामी को कमान सौंपी। इस युवा सीएम ने भी रात दिन की अथक मेहनत कर पीएम मोदी के चेहरे, उत्तराखंड को लेकर पीएम मोदी के किए गए काम को घर घर तक पहुंचाया। कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही जनता में भी विश्वास कायम किया। उत्तराखंड में भाजपा की प्रचंड जीत इसी मेहनत का नतीजा है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का कैडर बेदम हो चुका था। ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन, जल जीवन मिशन समेत केंद्र की तमाम योजनाओं के बावजूद जनता में जोश गायब था। जनता के इसी मूड को केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते भांप लिया। सीएम के रूप में मौका पहले तीरथ सिंह रावत को दिया, लेकिन उन्हें तत्काल बदल केंद्र ने युवा नेतृत्व के रूप में पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में मौका दिया। सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने भी सबसे पहले उत्तराखंड को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को उत्तराखंड के जन जन तक पहुंचाया। कार्यकर्ताओं, पार्टी कैडर में जोश भरा।
महज छह महीने के भीतर पूरे उत्तराखंड के गांव गांव को एक सिरे से नाप दिया। पार्टी के ही तमाम बड़े नेता जहां भाजपा की सीटों का आंकड़ा बामुश्किल दहाई के अंक तक पहुंचने के दावे कर रहे थे, उन्हीं दावों को खारिज करते हुए पीएम मोदी और सीएम पुष्कर धामी की जोड़ी ने प्रचंड जीत दिलाई। अब हिमाचल के नतीजों को देख कर केंद्रीय नेतृत्व को समझ आ गया है कि यदि जुलाई 2021 में पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में सीएम के रूप में पुष्कर का चुनाव न करते, तो उत्तराखंड में भी हिमाचल जैसे हालात तय थे। क्योंकि उत्तराखंड में हालात हिमाचल से अधिक विकट थे। लगातार एक के बाद एक सीएम बदलने से जनता के मन में उपजे अविश्वास को विश्वास में बदलने की एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती से सीएम पुष्कर धामी ने मोदी मंत्र के जरिए पार पाने में सफलता हासिल की।
जुलाई 2021 से लेकर मतदान होने तक सीएम पुष्कर धामी ने 70 विधानसभाओं को कई कई बार नापा। पूरे राज्य में भाजपा का माहौल बनाने और कमजोर सीटों को जीत में बदलने के लिए वे अपनी खटीमा विधानसभा सीट को भी अधिक समय नहीं दे पाए। दूसरी ओर खटीमा सीट पर पार्टी के ही कई दिग्गज एक के बाद एक नया षड़यंत्र रचते रहे। नेताओं का फोकस खटीमा में भाजपा को जिताने से अधिक हराने पर रहा। पार्टी संगठन के तमाम बड़े दिग्गज, कैबिनेट मंत्री अपनी सीटों से बाहर ही निकल पाए। बड़े नेताओं ने प्रदेश में भ्रमण करना तो दूर अपनी बगल की सीटों तक पर झांकने की जहमत नहीं उठाई।
उत्तराखंड की इस अंदरुनी हकीकत से पीएम नरेंद्र मोदी भली भांति वाकिफ रहे। यही वजह है, जो चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सीएम के रूप में पीएम मोदी की पहली पसंद सीएम पुष्कर सिंह धामी ही रहे। पीएमओ के इंटेलीजेंस को पूरी खबर थी कि जिस चुनाव को उत्तराखंड के भाजपा नेता हारा हुआ मान कर चल रहे थे, उसकी जीत के असल नायक पुष्कर ही हैं। पुष्कर ही रहे, जिन्होंने पीएम मोदी के विकास मंत्र को उत्तराखंड के जन जन तक पहुंचाया। अब हिमाचल के नतीजों ने भी साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में भाजपा की प्रचंड जीत ऐसे ही नहीं मिली। ऐसे में अब उत्तराखंड में सीएम पुष्कर धामी की राह में कांटे बिछाने वालों के लिए समय आसान नहीं रहने वाला है।
मोदी द्वारा दिए गए दो मंत्र मेहनत और ईमानदारी को धरातल पर उतारने में धामी कामयाब रहे। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने अपने केदारनाथ और बद्रीनाथ के दौरे पर धामी के काम काज की तारीफ भी की।

राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के उत्पादों की सराहना की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दून विश्वविद्यालय में उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानीय उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंनें प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि यह वोकल फॉर लोकल को बढावा देने के लिए सराहनीय प्रयास है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सराहनीय प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की पहचान उनकी भाषा-बोली एवं स्थानीय उत्पादों से होती है, इनको बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने पद्मश्री बसंती बिष्ट एवं माधुरी बड़थ्वाल को लोक गायन एवं लोक संगीत के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना भी की।

राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापरक मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में अग्रसर होना है-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में 36 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। समारोह में वर्ष 2021 के स्नातक, परास्नातक एवं पी.एच.डी के 669 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 36 विद्यार्थियों में 24 छात्राएं शामिल थीं। जिन्होंने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की थीम ‘उभरती नारी शक्ति’ को चरितार्थ किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देवभूमि उत्तराखंड को नमन करते हुए कहा कि आज दून विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। डिग्री और मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिन की स्मृति इन विद्यार्थियों के जीवन-यात्रा के सबसे यादगार अनुभव में से एक रहेगी। आज इन विद्यार्थियों का एक सपना साकार हो रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के विभिन्न मानकों पर एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति, उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। मानव संसाधन की गुणवत्ता, शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। आज का युवा, कल का भविष्य है, इस सूत्र वाक्य को अंगीकार करते हुए, दून विश्वविद्यालय को सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापरक मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में कार्यरत रहना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दून विश्वविद्यालय युवाओं को सक्षम बनाने हेतु उन्हें कौशल प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। विश्वविद्यालय द्वारा पांच विदेशी भाषाओं और तीन स्थानीय भाषाओं का भी अध्ययन व अध्यापन कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करना हमारी लोक संस्कृति की संरक्षण का सराहनीय प्रयास है। हमारी लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहर हैं। विश्वविद्यालय ने वर्तमान सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। भारत को नॉलेज सुपर पावर बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह उपयोगी कदम है। उन्होंने कहा कि हम स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है कि देश को अगले पच्चीस वर्षाे के अमृत- काल में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए युवा शक्ति का सहयोग अधिक महत्वपूर्ण होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि विश्वविद्यालय में ’सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर स्थापित की गई है, जो राज्य के विकास के लिए नीति-निर्माण और क्षमता विकास के लिए समर्पित है। डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र भी स्थापित किया गया है, जिसमें राज्य के भौगोलिक, ईकोलॉजिकल, आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध और अध्ययन को प्रोत्साहित किया जायेगा। उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थान भारतीय सैन्य अकादमी, भारतीय वन्य जीव संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय पेट्रोलियम अनुसंधान संस्थान तथा गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय विद्यमान हैं जिनकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दून विश्वविद्यालय भी इन संस्थानों की तरह ख्याति प्राप्त करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो पूरे राष्ट्र में बदलाव ला सकता है। शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि छात्र तकनीकी कौशल से और अधिक सम्पन्न हां और स्वयं रोजगार की तलाश करने के बजाए दूसरों को रोजगार उपलब्ध करवाएं। विश्वविद्यालय में डेमोग्राफिक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किये गये डाटा सेंटर से राज्य की डेमोग्राफिक इंफोर्मेशन सहज उपलब्ध होगी, और डेमोग्राफिक रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी बेटियां जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं। इसका साक्षात उदाहरण आज के इस दीक्षांत समारोह में देखने को मिला 36 गोल्ड मेडल्स में से 24 मेडल छात्राओं को प्राप्त हुए हैं, जबकि सोलह शोधार्थियों में से आठ बेटियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई है। इससे यह सिद्ध होता है कि संस्थान में महिलाओं को शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं और उनको प्रोत्साहित करने के लिए संस्थान प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा को विशेष रूप से बढ़ावा देने के लिए, तीन तकनीकी स्कूल-स्कूल ऑफ बायोलोजिकल साइंस, स्कूल ऑफ डिजाइन और स्कूल आफ एनवायरमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारी बेटियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेंगी तो महिला सशक्तीकरण को और अधिक बल मिलेगा। आज उपाधि और पदक प्राप्त करने के बाद, इन विद्यार्थियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ये विद्यार्थी जिस भी क्षेत्र में जाएं, उस कार्य को बहुत निष्ठा से और सर्वाेत्तम रूप से करें, तभी शिक्षा कारगर और सार्थक होगी।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि आज एक सुखद अनुभूति रही है। आज दून विश्वविद्यालय में सर्वाेच्च मातृशक्ति के रूप में माननीय राष्ट्रपति जी हम सभी को आशीर्वाद प्रदान करने हेतु उपस्थित हुई हैं। विश्वविद्यालय ने पूरे वर्ष के लिए ‘उभरती नारी शक्ति’ थीम को आत्मसात किया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे सामने है, आज विश्वविद्यालय की मीडिया एवं एन.सी.सी की टीम में बड़ी तादात में हमारी बेटियां भाग ले रही हैं। राज्यपाल ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन इन विद्यार्थियों के लिए एक उत्सव का दिन है, लेकिन आज का दिन मनन का भी है। कुछ साल पहले जब इन विद्यार्थियों ने इस ज्ञान के मन्दिर के अन्दर कदम रखा था, तो इनके ज्ञान के सच्चे साधक होने का प्रशिक्षण, आपके आलोचनात्मक सोच के क्षितिज को व्यापक बनाने का प्रशिक्षण शुरु हुआ था। दीक्षांत समारोह औपचारिक रूप से उस दीक्षा के पूरा होने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने का यह अर्थ नहीं है कि हमारी सीखने एवं ज्ञान अर्जन की प्रक्रिया पूरी हो गयी, उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये विद्यार्थी पूरे जीवन ज्ञान और विद्या के शिक्षार्थी बनें रहेंगे। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि ये विद्यार्थी अपनी शिक्षा और ज्ञान का उपयोग न केवल अपनी भौतिक समृद्धि के लिए करेंगे, बल्कि अपनी आध्यात्मिक समृद्धि के लिए भी करेंगे। जीवन की सफलताओं में विनम्र बने रहेंगे, एक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु जी के संघर्षमय जीवन का फलक अत्यंत व्यापक रहा है। उनकी प्रगतिशील चेतना ही थी जिसने इन भीषण संघर्षों की ज्वाला में तपाकर उनको विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की राष्ट्रपति होने का गरिमामय आसन प्रदान किया। राष्ट्रपति का जीवन संघर्ष के साथ साथ महिला सशक्तिकरण की भी प्रेरणादाई मिसाल है। उनका सरल स्वभाव, धैर्यशीलता एवं विनम्र आचरण सभी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य प्राचीन काल से ही धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की महान परम्परा का ध्वजवाहक रहा है। देवभूमि उत्तराखंड सच्चे अर्थों में वसुधैव कुटुम्बकम की समृद्ध विचारधारा का पुण्य स्त्रोत है, जहां से “चिपको“ जैसा जनआंदोलन प्रारंभ हुआ जिसने प्रकृति की महत्ता को विश्व पटल पर पुनः रेखांकित किया और विश्व को गौरा देवी जी जैसी जुझारू महिला के व्यक्तित्व से परिचित होने का मौका दिया। उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत ही नहीं अपितु विश्वभर में विद्या के प्रचार प्रसार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उत्तराखंड की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुये दून विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को राज्य में लागू करने का निर्णय लिया जा चुका है। दून विश्वविद्यालय के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसलिये भी प्रासंगिक हो जाती है क्योंकि दून विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड का एकमात्र विश्वविद्यालय है जहाँ विदेशी भाषाओं जैसे जापानी, फ्रेंच, जर्मन, चीनी तथा स्पेनिश में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएच०डी० कोर्स संचालित किये जा रहे हैं, जिससे छात्रों को न केवल अंतराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की भाषा एवं संस्कृति को समझने में मदद मिल रही है बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामना देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करना वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। राज्य में उच्च शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य में 05 लाख से अधिक विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिसमें से 65 प्रतिशत बालिकाएं हैं। 2025 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने, क्षय रोग मुक्त उत्तराखण्ड, नशा मुक्त उत्तराखण्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस अवसर पर वैज्ञानिक, पद्म विभूषण डॉ० के. कस्तूरीरंगन, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल, सुबोध उनियाल, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधायकगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

सीएम के बेटे भी कम नही, शिखर छूने को कर रहे अलग-अलग क्षेत्रों में मेहनत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजनीति में धमाल मचाकर अब तक कई मिथक थोड़ चुके हैं। अपने फैसलों व जनहित के कार्यों से उनकी लोकप्रियता बढ़ने के साथ वर्तमान में वह भाजपा के लकी चार्म बन चुके हैं। देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो भाजपा आलाकमान उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर वहां भेज देता है।
अपने पिता पुष्कर सिंह धामी की तरह उनके दोनों बेटे दिवाकर व प्रभाकर भी अपने-अपने क्षेत्रों में धमाल मचा रहे हैं। छोटे बेटे जहां खेलों में रुचि रखते हैं तो बड़े बेटे को संगीत से लगाव है। छोटा भाई प्रभाकर स्केटिंग में धमाल मचा रहा हैै तो बड़े भाई दिवाकर ने संगीत को अपना साथी बनाया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के बड़े बेटे दिवाकर का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिवाकर मनमोहक ढंग से गिटार बजा रहे हैं और साथ ही सुरीले अंदाज में ‘जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल आ जाए‘ गीत गा रहे हैं। उन्होंने इस गीत को अपने ही नये अंदाज में प्रस्तुत किया है। दिवाकर के अनुसार वह बचपन से ही संगीत के शौकीन हैं। गिटार के अलावा पियानो और ड्रम भी बजा लेते हैं।

सुशासन समय की मांग है और इसे हर हाल में स्थापित करना है-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में सिविल सेवा के 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को संबोधित किया।
प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह उन्हें संबोधित कर रही थीं, तो उनकी स्मृति में सरदार बल्लभ भाई पटेल के शब्द गूंज रहे थे। अप्रैल 1947 में सरदार पटेल ने आई.ए.एस. प्रशिक्षुओं के एक बैच से मिलते समय कहा था कि ‘‘हमें उम्मीद करनी चाहिए और हमें अधिकार है कि हम हर सिविल सेवक से सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें, चाहे वह किसी भी जिम्मेदारी के पद पर हो। ’’राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि लोक सेवक इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र ‘‘मैं नहीं, हम हैं’’। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उनमें से कई आने वाले 10-15 वर्षों तक देश के एक बड़े हिस्से का प्रशासन चलाएंगे और जनता से जुड़ेंगे। वे अपने सपनों के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं।
अकादमी के आदर्श वाक्य ’शीलम परम भूषणम’ का उल्लेख करते हुए, जिसका अर्थ है ’चरित्र सबसे बड़ा गुण है’, राष्ट्रपति ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण की पद्धति कर्म-योग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें चरित्र का बहुत महत्व है। उन्होंने सलाह दी कि प्रशिक्षु अधिकारियों को समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ’गुमनामी’, ’क्षमता’ और ’आत्मसंयम’ एक सिविल सेवक के आभूषण हैं। ये गुण उन्हें पूरी सेवा अवधि के दौरान आत्मविश्वास देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अधिकारी प्रशिक्षुओं ने जो मूल्य सीखे हैं, उन्हें सैद्धांतिक दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहिए। देश के लोगों के लिए काम करते हुए उन्हें कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में उन्हें इन मूल्यों का पालन करते हुए पूरे विश्वास के साथ काम करना होगा। भारत को प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर करना तथा देश की जनता के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करना उनका संवैधानिक कर्तव्य के साथ-साथ नैतिक दायित्व भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हित के लिए कोई भी कार्य कुशलतापूर्वक तभी पूरा किया जा सकता है जब सभी हितधारकों को साथ लिया जाए। जब अधिकारी समाज के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्ग को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे तो निश्चय ही वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन समय की मांग है। सुशासन का अभाव हमारी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है। लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को लोगों से जुड़ने के लिए विनम्र होने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तभी वे उनसे बातचीत कर पाएगें और उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी बेहतरी के लिए काम कर सकेंगे। सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व भी आपको निभाना हैं।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया इन मुद्दों से जूझ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भविष्य को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को पूरी तरह से लागू करने में मददगार बने।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल में 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारी सिविल सेवाओं में प्रवेश कर रहे हैं। अगले 25 वर्षों में, वे देश के सर्वांगीण विकास के लिए नीति-निर्माण और उसके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस संबंध में राष्ट्रपति ने अकादमी में आज उद्घाटन किए गए ’वाक वे ऑफ सर्विस’ का जिक्र करते हुए कहा कि जहां हर साल, अधिकारी प्रशिक्षुओं द्वारा निर्धारित राष्ट्र निर्माण लक्ष्यों को टाइम कैप्सूल में रखा जाएगा, राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हमेशा याद रखें और उन्हें प्राप्त करने के लिये समर्पित रहें। उन्होंने कहा कि जब वे वर्ष 2047 में टाइम कैप्सूल खोलेंगे, तो उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने पर गर्व और संतोष होगा।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियां के शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं और पुरूषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विशेषकर बेटियों से अपील की कि अपनी सेवा के दौरान वह जहां भी रहे, लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। जब हमारी बेटियाँ विभिन्न क्षेत्रों में आगे आएंगी तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा।
राष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों की देश के प्रतिभाशाली लोगों को सक्षम सिविल सेवकों में ढालने में उनके महान समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अकादमी के नए छात्रावास ब्लॉक और मैस, एरिना पोलो फील्ड सहित आज उद्घाटन की गई सुविधाओं से प्रशिक्षु अधिकारियों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि “पर्वतमाला हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्ट आउटडोर लर्निंग एरिना“, जिसका निर्माण आज शुरू हो गया है, हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बारे में सिविल सेवकों और प्रशिक्षुओं के लिए एक ज्ञान आधार के रूप में कार्य करेगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा प्रशिक्षण के दौरान सराहनीय एवं बेहतर कार्य व्यवहार वाले प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्मानित भी किया।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा अकादमी परिसर में स्थापित पोलो ग्राउंड के उन्नयन एवं पोलो एरिना, अकादमी कर्तव्य पथ, अकादमी अमृत टेलीमेडिसिन परामर्श सेवा केन्द्र एवं मोनेस्टी परिसर तथा वॉक-वे ऑफ सर्विस का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति द्वारा पर्वतमाला हिमालय एवं पूर्वाेत्तर आउटडोर लर्निंग एरिना का भी शिलान्यास किया गया। इन योजनाओं के सम्बन्ध में अकादमी निदेशक द्वारा राष्ट्रपति को विस्तार से जानकारी भी दी गई। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे।

कैबिनेट मंत्री ने देश के पहले सीडीएस की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली अर्पित की

क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत की प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर दो मिनट का मौन रखा गया।
गुरुवार को बैराज रोड स्थित कैम्प कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मंत्री डॉ अग्रवाल ने जनरल बिपिन रावत को एक उत्कृष्ट सैनिक बताते हुए कहा कि वह एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने हमारे सशस्त्र बलों और सुरक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण में बहुत योगदान दिया। सामरिक मामलों पर उनकी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण असाधारण थे।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि भारत के पहले सीडीएस के रूप में, जनरल रावत ने रक्षा सुधारों सहित हमारे सशस्त्र बलों से संबंधित विविध पहलुओं पर काम किया। उन्होंने कहा कि वह अपने साथ सेना में सेवा करने का एक समृद्ध अनुभव लेकर आए। भारत उनकी असाधारण सेवा को कभी नहीं भूलेगा।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि जनरल रावत ने सदैव अपना जीवन दूसरों को समर्पित रखा। जनरल रावत सीमाओं पर पहुंचे तो जवानों का साहस बढ़ाया, गांव पहुंचे तो लोगों के बेटे हो गए, दिल्ली से पाकिस्तान के सरपरस्तों को सीधा सा जवाब दिया।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि गढ़वाल के एक सामान्य गांव से निकलकर रायसीना के सबसे ऊंचे सैन्य ओहदे तक पहुंचे जनरल रावत उस विभूति पुरुष की तरह जाने जाएंगे, जिन्होंने भारत की सेनाओं को सशक्त करने, समन्वयित करने और देश की रक्षा के कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाने को जीवन दे दिया।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से लेकर परम विशिष्ट सेवा मेडल तक, 11 गोरखा राइफल्स से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तक, गढ़वाल के गांव से लेकर कश्मीर के ऊंचे पहाड़ों तक, जनरल रावत ने जितना विशाल जीवन जिया वो हर सैन्यकर्मी के लिए एक प्रेरणा बनकर शाश्वत रहेगा। कश्मीर के उरी में कर्नल बिपिन रावत, सोपोर में रावत साहब और दिल्ली में जनरल रावत बने बिपिन रावत अब एक अनन्त यात्रा पर चले गए हैं।
मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि जनरल रावत हमेशा याद किए जाएंगे, उस शख्स की तरह जिसने पुलवामा के हमले के बाद पाकिस्तान को विध्वंस की भाषा में जवाब दिया, चीन को उसकी हरकतों में नाकाम किया, भारत की तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बैठाने के सैकड़ों सार्थक कदम उठाए। जनरल रावत का निधन देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है, एक ऐसी कमी जो शायद ना पूरी हो सके।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष भाजपा रविन्द्र राणा, मण्डल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, महामंत्री सुमित पंवार, रवि शर्मा, पूर्व पालिकाध्यक्ष शम्भू पासवान, मानवेन्द्र कंडारी, पार्षद वीरेंद्र रमोला, जयेश राणा, सीमा रानी, माधवी गुप्ता, दीपक जुगरान, सौरभ गर्ग, रविन्द्र बिरला, अनिकेत गुप्ता, संजीव व्यास, माया, रंजीता, कुसुम, उषा, संगीता, प्रवीण कुमार, श्याम सिंह, मनोज कुमार आदि उपस्थित रहे।

एसबीएम इंटर कॉलेज में छात्रों को दी स्वेटर

श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में देवभूमि वरिष्ठ जन कल्याण समिति ऋषिकेश द्वारा 100 स्वेटर वितरित की गई। श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज की प्रार्थना सभा में देवभूमि वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण समिति द्वारा निर्धन छात्र छात्राओं को स्वेटर वितरित की गई। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत द्वारा सभी वरिष्ठ नागरिकों का स्वागत-सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अपने समय के बहुत ही बड़ी प्रतिभा के धनी हैं जिन्होंने विभिन्न विभागों में अपने अविरल सेवाएं देकर सेवा के पावन पवित्र आलोक को प्रज्वलित रखा है। सेवानिवृत्ति के बाद सभी वरिष्ठ नागरिक आज भी संपूर्ण क्षेत्र में अपने प्रतिभाओं के माध्यम से संपूर्ण छात्र छात्राओं को युवाओं को मार्गदर्शन दे रहे हैं। समय-समय पर वरिष्ठ नागरिकों के द्वारा मेडिकल कैंप गरीब बच्चों की मदद एवं अनेक प्रकार के जन सेवा के कार्य किए जाते हैं।
देवभूमि वरिष्ठ जन कल्याण के संस्थापक डा हरीश ढींगड़ा, संरक्षक के सी जोशी, समिति के अध्यक्ष एस पी अग्रवाल ने छात्र छात्राओं को अध्ययन के लिए अनेक महत्वपूर्ण टिप्स बताए। इस अवसर पर वरिष्ठ जन कल्याण समिति के हरीश आनंद, सचिव नरेंद्र दीक्षित, उमेश खेतान, महासचिव नरेश गर्ग, ओपी मुल्तानीडॉ विजय गुप्ता, उप सचिव अजीत शर्मा, सुरेंद्र आहूजा, दिनेश मुद्गल, हरि चरण सिंह आदि उपस्थित रहे।

रोजगारपरक शिक्षा, नवाचार और रैंकिंग पर रहेगा फोकस-रावत

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय चिंतन शिविर का आज समापन हो गया है। चिंतन शिविर के दूसरे विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में क्वालिटी एजुकेशन पर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी निजी व सरकारी शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तापरक शिक्षा के लिये मार्च 2023 तक अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराना होगा, इसके अलावा रोजगारपर शिक्षा, नवाचार और रैंकिंग को लेकर भी शिक्षण संस्थानों में काम करना होगा। विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक सूबे में 25 मॉडल कॉलेज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, परीक्षा एवं छात्र संघ चुनाव की तिथियों में एकरूपता सुनिश्चित की जायेगी। इसके अलावा शैक्षिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, रोवर रेंजर, एनएसएस एवं एनसीसी सहित गैप एनालिसिस के लिये समितियों का गठन किया जायेगा। चिंतन शिविर में उच्च शिक्षा के उन्न्यन के लिये प्राचार्यों ने अपने सुझाव भी रखे।
उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार हेतु डीआईटी विश्वविद्यालय देहरादून में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के अंतर्गत राज्य स्तरीय नैक प्रत्यायन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हो गया है। इस अवसर पर सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिये प्रदेश के सभी निजी एवं राजकीय उच्च शिक्षण संस्थानों को मार्च 2023 तक अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराना होगा। उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन कराने से पहले राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) बंगलूरू के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नैक प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जायेगी ताकि नैक एक्रिडिएशन कराने में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को सहूलियत हो सके। डॉ रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक सूबे में 25 मॉडल कॉलेज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में रोजगारपरक शिक्षा, नवाचार एवं राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में बेहत्तर प्रदर्शन के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं।
चिंतन शिविर के समापन अवसर पर विभागीय मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को पांच टारगेट पर फोकस करने को कहा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, परीक्षा, परीक्षाफल, दीक्षांत समारोह एवं छात्र संघ चुनावों की तिथियों में एकरूपता लाई जाय, साथ ही विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह एक माह तथा छात्र संघ चुनावों को एक सप्ताह के भीतर कराया जाय। उच्च शिक्षण संस्थानों में 180 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने के निर्देश भी विभागीय मंत्री ने दिये। इसके अलावा उन्होंने चिंतन शिविर में शैक्षिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, रोवर रेंजर, एनएसएस एवं एनसीसी सहित गैप एनालिसिस के लिये समितियों के गठन के निर्देश भी दिये। डॉ0 रावत ने बताया कि विज्ञान विषयों की फैकल्टियों को शीघ्र ही राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान बंगलुरू में प्रशिक्षण के लिये भेजा जायेगा जबकि राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को मैनेजमेंट ट्रेनिंग के लिये दो चरणों में आईआईएम काशीपुर में भेजा जायेगा। विभागीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक वर्ष अंतर विश्वविद्यालय खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी ताकि छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में शामिल होने का मौका मिल सके। इसके अलावा एक भारत-श्रेष्ठ भारत योजना के तहत राज्य के छात्र-छात्राओं के देश के दूसरे राज्यों में शैक्षिक भ्रमण पर भेजा जायेगा। चिंतन शिविर में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने उच्च शिक्षा के उन्नयन को लेकर अपने-अपने सुझाव रखे। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-ग्रंथालय के उपयोग, एनईपी के तहत कौशल विकास, क्वालिटी रिसर्च और छात्र-छात्रओं एवं शिक्षकों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला। उच्च शिक्षा निदेशक प्रो0 जगदीश प्रसाद एवं कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो0 एन.के. जोशी ने दूरस्त क्षेत्रों में मॉडल कॉलज बनाने, सोशल सर्विसेज पर अपना मत रखा। संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा प्रो0 ए0एस0 उनियाल ने चिंतन शिविर में आये सभी अतिथियों एवं शिक्षाविदों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक उच्च शिक्षा डॉ0 दीपक पाण्डेय ने किया। चिंतन शिविर में विभागीय मंत्री ने डॉ0 दीपक कुमार की पुस्तक डिजास्टर मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स एंड प्रक्टिस का भी विमोचन किया।