नगर निगम हरिद्वार भूमि घोटाला प्रकरण की होगी विजिलेंस जांच, सीएम धामी ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए, दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं, इस मामले में तीन अधिकारी पूर्व में निलंबित हो चुके हैं, जबकि दो की पूर्व में सेवा समाप्त की जा चुकी है। इस तरह इस प्रकरण में अब तक 10 अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं।

हरिद्वार नगर निगम द्यारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने पर सवाल उठने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने मंगलवार को सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, कार्मिक विभाग ने मंगलवार को हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया है।

अब तक हुई कार्रवाई

कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उप जिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित)
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)

पूर्व में हो चुकी कार्रवाई

रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित)
वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में “पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

अंकिता हत्याकांडः तीनों दोषियों की गिरफ्तारी के बाद एक भी दिन खुले में सांस नहीं ले पाए

अंकिता भंडारी हत्याकांड रैग्यूलर पुलिस के हवाले होने के 24 घंटे के अंदर पुलिस ने 22 सितंबर को ही इस मामले में तीनों आरोपित पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया। तब से तीनों एक भी दिन खुली हवा में सांस नहीं ले पाए। उनकी जमानत लेने की हर कोशिश को सरकारी वकीलों ने नाकाम कर दिया।

अंकिता भंडारी हत्याकांड में उत्तराखंड सरकार ने जिस संवेदनशीलता और दृढ़ता के साथ कदम उठाए हैं, वह एक उदाहरण बनकर सामने आया है। 22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किए जाने के बाद तीनों आरोपी एक भी दिन जमानत पर बाहर नहीं निकल पाए। न्यायिक इतिहास में ऐसे बहुत कम मामले होते हैं, जिसमें आरोपित को एक भी बार जमानत न मिले। आमतौर पर हमारी न्याय प्रणाली, ट्रायल के दौरान एक निश्चित अवधि के बाद, आरोपितों को जमानत देने के पक्ष में रही है। लेकिन इस मामले में ऐसा संभव नहीं हो पाया, अभियोजन ने मजबूत पैरवी से हर बार तीनों की जमानत की कोशिश को नाकाम कर दिया। अगर कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाए जाने से पहले तक तीनों को एक भी बार जमानत नहीं दी तो इससे साफ है कि अभियोजन ने पुलिस जांच के दौरान सामने आए अकाट्य सुबूत कोर्ट के सामने रखे। पुलिस ने चार्जशीट के साथ 100 से अधिक गवाहों के बयान और 500 पन्नों की विस्तारपूर्ण जानकारी कोर्ट के सामने पेश की। इस तरह यह मामला उत्तराखंड की न्यायिक प्रणाली और सरकार की इच्छाशक्ति का मजबूत उदाहरण बन गया है।

अंकिता भंडारी को मिला न्याय, दुष्प्रचार के मुंह पर जड़ा ताला

अंकिता भंडारी के गुनाहगारों को आजीवन कठोर कारावास और जुर्माना की सजा मिलने के साथ ही, इस संवेदनशील प्रकरण में दुष्प्रचार करने वालों को भी करार जवाब मिल गया है। इस प्रकरण में कथित वीआईपी को लेकर हाय तौबा करने वाले किसी भी पक्ष ने कभी भी कोर्ट में संबंधित तथ्य नहीं रखे। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन मुद्दों को केवल राजनीतिक लाभ के लिए उछाला गया।

सरकार ने इस मामले में पहले ही दिन से ना सिर्फ निष्पक्ष जांच पर जोर दिया बल्कि ट्रायल के दौरान परिजनों की इच्छा के अनुसार तीन बार सरकारी वकील को बदलने का काम किया। इस घटना के बाद से ही तमाम लोग महज राजनैतिक लाभ के लिए कभी पुलिस जांच पर सवाल उठाते रहे तो कभी कथित वीआईपी को लेकर संदेह का जाल बुनते रहे। हालांकि आरोप लगाने वाले कोर्ट में कथित वीआईपी को लेकर कोई तथ्य नहीं रख पाए। दूसरी तरफ इससे प्रभावित हुए बिना एसआईटी प्रत्यक्ष गवाहों, सुबूतों और डिजिटल रिकॉर्ड के आधार पर केस को मजबूत बनाती रही, जिस के आधार पर आखिरकार तीनों आरोपितों को आजीवन कठोर कारावास की सजा मिल पाई। अब कोर्ट के फैसले ने इस मामले में किए जा रहे राजनैतिक दुष्प्रचार का भी जवाब दे दिया है। साथ ही सरकार की निष्पक्ष जांच पर मुहर लगाने का काम किया है। इससे पहले ट्रायल के दौरान सुप्रीम कोर्ट तक एसआईटी जांच को सही करार देते हुए, निष्पक्ष जांच जारी रखने पर मुहर लगा चुका है।

अंकिता हत्याकांडः तीन साल से कम समय में तीनों दोषियों को मिली आजीवन कठोर कारावास की सजा

18 सितंबर, 2022 की रात ऋषिकेश के समीप एक रिसॉर्ट में कार्यरत अंकिता भंडारी की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले में कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को तीनों आरोपितों को कसूरवार ठहराते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुना दी है। घटना के पौने तीन साल मे भीतर तीनों को मिली सख्त सजा ने निष्पक्ष पुलिस जांच और सरकारी वकील की मजबूत पैरवी पर भी मुहर लगा दी है।

पुलिस ने 24 घंटे में की थी गिरफ्तारी
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को महिला आईपीएस अधिकारी पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। रैग्यूलर पुलिस को जांच मिलने के बाद 24 घंटे के अंदर ही पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार करते हुए, मामले में महत्वूपर्ण सुबूत अपने कब्जे में लेने का काम किया। विशेष जांच दल (ैप्ज्) ने गहराई से जांच करते हुए 500 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट तैयार की। इस चार्जशीट में 100 से अधिक गवाहों के बयान शामिल किए गए। इसी आधार पर अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में मामले की जोरदार पैरवी की, जिसके बाद पौने तीन साल के भीतर ही मामले में सजा का ऐलान संभव हो पाया। सरकार ने न सिर्फ आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज किया, बल्कि गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की।

परिजनों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में संवेदनशीलता का परिचय देते हुए, अंकिता भंडारी के परिजनों को ₹25 लाने की आर्थिक सहायता प्रदान की। साथ ही दिवंगत बेटी के पिता और भाई को सरकारी नौकरी देकर परिवार को सहारा प्रदान किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने जांच को माना संतोषजनक
सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा भी सरकार की जांच प्रक्रिया को संतोषजनक माना गया है, जिससे यह साफ होता है कि अंकिता को न्याय दिलाने की दिशा में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इस तरह बेटियों की सुरक्षा से जुड़े इस पूरे मामले हर मोर्चे पर सरकार की निष्पक्षता और सतर्कता काम आई।

आगे भी मजबूत पैरवी
इधर, सरकार ने साफ किया है कि जरूरत पड़ने पर आगे भी इस मामले में मजबूत पैरवी की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि अंकिता को न्याय दिलाना सरकार का संकल्प था, इसीलिए अंकिता के परिजनों को साथ लेकर कोर्ट में मजबूत पैरवी की गई। जिससे तीनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिल सकी। सरकार जरूरत पड़ने पर आगे भी मजबूत पैरवी करेगी, अंकिता को न्याय दिलाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

साइबर सुरक्षा में उत्तराखंड बना देश का मॉडल, 17 राज्यों में एक साथ कार्रवाई

उत्तराखंड की शांत वादियों से एक तेज़ संदेश पूरे देश में गूंजा है, अपराधी चाहे देश के किसी कोने में छिपा हो, उत्तराखंड पुलिस उसे ढूंढ निकालेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस ने एक ऐतिहासिक अभियान चलाकर यह सन्देश न केवल प्रदेश, बल्कि पूरे राष्ट्र को दिया है। ‘ऑपरेशन प्रहार’, साइबर अपराधियों पर करारा प्रहार करने वाला यह अभियान अपने आप में एक मिसाल बन गया है। देश के इतिहास में पहली बार उत्तराखंड पुलिस के निर्देशन में एक साथ 17 राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा आदि में बड़ी छापेमारी की गई। इस सघन और रणनीतिक कार्रवाई में 290 से अधिक साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई।

यह कोई सामान्य पुलिसिया कार्रवाई नहीं थी। यह उस दूरदर्शिता और साहसिक निर्णय का परिणाम है, जिसकी नींव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साइबर हमले की एक बड़ी घटना के बाद रखी थी। कुछ माह पूर्व उत्तराखंड साइबर हमलों का शिकार बना था, तब मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट संदेश दिया था साइबर अपराधी अब सुरक्षित नहीं रहेंगे। उन्होंने पुलिस महकमे को टेक्नोलॉजिकल रूप से सशक्त करने के आदेश दिए, साइबर थानों की पुनर्रचना की और इंटेलिजेंस नेटवर्क को विस्तार दिया।

इसका प्रत्यक्ष परिणाम ‘ऑपरेशन प्रहार’ के रूप में सामने आया, जिसमें न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से यह दिखाया गया कि उत्तराखंड अब केवल पर्यटन और तीर्थाटन का केन्द्र ही नहीं, बल्कि साइबर क्राइम से लड़ने में भी एक मॉडल स्टेट बन चुका है। मुख्यमंत्री धामी का गुड गवर्नेंस मॉडल सिर्फ योजनाओं या घोषणाओं तक सीमित नहीं है, यह उनके हर एक्शन में भी साफ नजर आता है। उनके नेतृत्व में शासन की सक्रियता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी तीनों ही स्तरों पर परिलक्षित होती है। इस सफल कार्रवाई ने जहां उत्तराखंड पुलिस की कार्यकुशलता को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया है, वहीं मुख्यमंत्री धामी के मजबूत नेतृत्व और त्वरित निर्णय क्षमता को भी फिर से प्रमाणित किया है।
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नैनीताल में नाबालिग के साथ घटना पर अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि राज्य में कानून व्यवस्था का उल्लंघऩ करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। नैनीताल में नाबालिक पीड़िता के साथ हुई घटना पर अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये। उन्होंने जिला प्रशासन नैनीताल को निर्देश दिये कि पीड़िता की देखभाल एवं उनके परिवार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पीड़िता और उसके परिवार के साथ मजबूती के साथ खड़ी है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भ्रामक जानकारियां देने और अफ़वाह फैलाने वालों की तत्काल पहचान कर उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि और राज्य की अस्मिता के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी व्यक्ति या संगठन देवभूमि की एकता को तोड़ने का दुस्साहस करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा की दृष्टि से पूरी सतर्कता बरती जाए। सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। किरायेदारों के सत्यापन, रेहड़ी-पटरी, वालों, अवैध तरीके से भूमि पर कब्जा करने वालों और जिन लोगों के अवैध तरीके से प्रमाण पत्र बने हैं, उन पर की गई कार्रवाई की समस्त रिपोर्ट जिलाधिकारियों को तीन दिन में प्रस्तुत करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

बैठक में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, डीजीपी दीपम सेठ, प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरूगेशन, ए.पी. अंशुमन, अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती, वर्चुअल माध्यम से आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, आईजी कुमांऊ रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी नैनीताल वंदना, जिलाधिकारी ऊधम सिंह नगर नितिन भदौरिया, एसएसपी नैनीताल पी.एन.मीणा और एसएसपी ऊधम सिंह नगर मणिकांत मिश्रा मौजूद थे।

मिलावटी आटा खाकर बीमार प्रकरण में सीएम ने सख्त, मुख्य सप्लायर और दुकानदारों पर केस दर्ज

नवरात्र के दौरान देहरादून में कुट्टू के आटे से बने पकवान खाने से 100 से भी अधिक लोग फूड प्वाइजनिंग से प्रभावित हुए। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि सभी मरीजों की हालत स्थिर है और अगले 24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डाॅ धन सिंह रावत के निर्देशों के बाद खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों के साथ देहरादून और आसपास के इलाकों में दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में ताबड़तोड़ छापेमारी चलाया गया। जिसमें एक दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराये गये हैं।

कुट्टू का आटा सप्लायर का गोदाम सील, केस दर्ज
आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा आज सुबह सूचना मिली कि राजकीय दून मेडिकल कॉलेज और कोरोनेशन अस्पताल में मरीज भर्ती किए गए हैं। मरीजों के परिजनों से पूछताछ करने पर पता चला कि इन सभी ने कुट्टू के आटे से बनी सामग्री का सेवन किया था, जिसके बाद उन्हें फूड पॉइजनिंग के गंभीर लक्षण दिखाई देने लगे। जांच के दौरान पाया कि मरीजों के परिवारों ने अलग-अलग दुकानों से कुट्टू का आटा खरीदा था, लेकिन सभी आटे का स्रोत सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और विकासनगर (देहरादून) से जुड़ा हुआ था।

मुख्य सप्लायर और जिम्मेदार दुकानदारों की पहचान
जांच में सामने आया कि कुट्टू के आटे की आपूर्ति निम्नलिखित प्रतिष्ठानों द्वारा की गई थी:
1. मेसर्स गोविंद सहाय शंकर लाल – यह प्रतिष्ठान सहारनपुर (उ.प्र.) से कुट्टू का आटा सप्लाई कर रहा था।
2. विकास गोयल चक्की – यह चक्की मोग्गंज जामा मस्जिद के पास, थाना कोतवाली शहर, सहारनपुर (उ.प्र.) में स्थित है, जहां कुट्टू का आटा पिसा गया था।
3. Laxmi Trading, Sangam Vihar, Bhojwala Road, Vikasnagar, Dehradun – यह प्रतिष्ठान देहरादून में कुट्टू के आटे का मुख्य वितरक था। इसका गोदाम मेट्याला अकबरी मस्जिद, देहरादून के पास स्थित है।

मुख्य संचालक :
शीशपाल चीतान पुत्र शोभा राम–Laxmi Trading, विकासनगर, देहरादून

खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
जांच में पाया गया कि FSSAI (भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण) के निर्देशों और गाइडलाइन्स के विपरीत इन प्रतिष्ठानों ने मिलावटी कुट्टू का आटा सप्लाई किया था, जिससे 84 लोगों की जान जोखिम में पड़ गई।

एफआईआर दर्ज, सैंपल लिए गए और गोदाम सील

घटना की गंभीरता को देखते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई की:
मुख्य सप्लायर Laxmi Trading के खिलाफ एफआईआर दर्ज।
गोदाम को सील कर दिया गया।
संदिग्ध कुट्टू के आटे के नमूने लिए गए, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया।
सहारनपुर स्थित चक्की और दुकान की भी जांच की जा रही है।
आगामी दिनों में अन्य प्रतिष्ठानों पर भी कार्रवाई जारी रहेगी।

यूपी के फूड कमिश्नर को पत्र
आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि खाद्य विभाग लगातार तीन महीने वस्तुओं के सैंपल ले रहा था और छापेमारी अभियान भी चला रहा था। इस संबंध में यूपी के फूड कमिश्नर को भी 15 दिन पहले एक पत्र लिखा था कि मिलावटखोरों पर कार्रवाई करें क्योंकि अधिकांश मिलावटी उत्पाद यूपी से उत्तराखंड आते हैं।

टोल फ्री नंबर 1800-180-4246 पर दर्ज कराएं शिकायत
खाद्य आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि जिला अभिहीत अधिकारी मनीेष सिंह की ओर से आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि खुले या संदिग्ध कुट्टू के आटे का सेवन न करें। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच कर ही खरीदारी करें। कुट्टू का आटा खरीदते समय प्रमाणित दुकानों से ही खरीदें। यदि किसी खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद अस्वस्थ महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। मिलावटी आटे की जानकारी टोल-फ्री हेल्पलाइन 1800-180-4246 पर दें।

24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी
स्वास्थ्य सचिव व आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) डॉ. आर राजेश कुमार ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल का दौरा किया और मरीजों का हाल-चाल जाना। उन्होंने फूड पॉइजनिंग से पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात कर उनकी स्थिति जानी और चिकित्सकों को बेहतर इलाज और सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि अनावश्यक रूप से मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर न किया जाए। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि सभी मरीजों की हालत स्थिर है और अगले 24 घंटे में अधिकांश मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

सीएम ने ड्रग्स मुक्त उत्तराखंड को लेकर बाइक रैली को दिखाई हरी झंडी

आदर्श औद्योगिक स्वायत्तता सहकारिता समिति (डोईवाला देहरादून) के तत्वाधान में ड्रग्स मुक्त उत्तराखंड को लेकर बाइक रैली को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

आदर्श संस्था की अध्यक्ष आशा कोठारी ने बताया कि तिलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित आदर्श संस्था सामाजिक व रचनात्मक क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है। कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में ड्रग मुख्य उत्तराखंड को लेकर यह अभियान चलाया जा रहा है। इससे पूर्व स्काउट गाइड विभाग के साथ पूरे प्रदेश में भी यह अभियान चलाया गया था।

इस मौके पर आदर्श संस्था के अध्यक्ष हरीश कोठारी, अध्यक्ष वांडरर्स सिद्धार्थवासन, ममता पांगती नागर, श्रीयाक्ष गौड, दिनेश नागर, हिमांशु रतूड़ी, युवा मोर्चा के जिला महामंत्री विनायक नौटियाल, सारांश डोगरा, अभिषेक राणा, कार्तिक बुटोला, सागर ठाकुर, भावना सभरवाल आदि उपस्थित थे।

लंबे समय से फरार वारंटी को रानीपोखरी पुलिस ने शिमला से धर दबोचा

थाना रानीपोखरी क्षेत्रांतर्गत एक वारंटी को पुलिस ने पड़ोसी प्रदेश हिमाचल के शिमला से धर दबोचा है। पुलिस के अनुसार वारंटी छह वर्ष से फरार चल रहा था।

थानाध्यक्ष विकेंद्र सिंह ने बताया कि जनपद में लंबे समय से फरार वारंटियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में न्यायालय विशेष अपर सत्र न्यायालय एनडीपीएस एक्ट ऋषिकेश से वारंटी रोशन कुमार बुद्धा पुत्र बीरबल बुद्धा निवासी बनाडी जंगल ग्वालिधार शिमला का गैर जमानती वारंटी जारी हुआ था।

थानाध्यक्ष ने बताया कि वारंट को अमल में लाते हुए हिमाचल प्रदेश के जनपद शिमला के थाना रोडू क्षेत्र के ग्राम सीमा से गिरफ्तार किया गया है। बताया कि वारंटी वर्ष 2018 से लगातार फरार चल रहा था नेपाली मूल व खानाबदोश प्रकार का है। पुलिस टीम में अपर उप निरीक्षक विजेंद्र सिंह, आरक्षी शंकर बिजल्वान आदि उपस्थित रहे।

जिला कारागार हरिद्वार से दो बन्दियों के भाग जाने पर छह कार्मिक निलंबित, जांच के निर्देश

जिला कारागार, हरिद्वार से दो बंदियों के भाग जाने की घटना पर 6 कार्मिकों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। उप महानिरीक्षक कारागार इसकी जांच कर रिपोर्ट देंगे।

बताया गया कि निरूद्ध सिद्धदोष बंदी पंकज पुत्र मगन लाल एवं विचाराधीन बंदी रामकुमार पुत्र रक्षाराम दिनांक 11 अक्टूबर, 2024 की सायंकाल को कारागार से निकल गए। उक्त घटना में संबंधित के विरूद्ध सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया गया है तथा इस घटना के लिए 06 कार्मिकों 1. प्यारे लाल आर्य, प्रभारी अधीक्षक/कारापाल, 2. कुंवर पाल सिंह, उप कारापाल सर्किल जेलर / चक्राधिकारी 3. प्रेमशंकर यादव, दिन हेड वार्डर, 4. विजय पाल सिंह, हेड वार्डर-प्रभारी गिर्दा हेड 5. ओमपाल सिंह, बंदीरक्षक प्रभारी निर्माण स्थल, 6. नीलेश कुमार, हेड वार्डर प्रभारी गेटकीपर को उनके द्वारा ड्यूटी के प्रति बरती गयी लापरवाही एवं उदासीनता के निमित्त प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। घटना की विस्तृत जांच हेतु उप महानिरीक्षक कारागार को निर्देशित किया गया है। विस्तृत जांच में पाये गये तथ्यों के आधार पर अग्रिम कार्यवाही संपादित की जायेगी।