अल्ट्रासाउंड न होने से मरीज परेशान

ऋषिकेश।
सरकारी अस्पताल में पांच दिनों से अल्ट्रासाउण्ड न होने से मरीज परेशान है। एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट की नाइट ड्यूटी लगने से व्यवस्था बिगड़ी। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट में महंगा शुल्क देकर अल्ट्रासाउण्ड कराना पड़ा।
सरकारी अस्पताल में एक मात्र रेडियोलॉजिस्ट डॉ. उत्तम सिंह खरोला तैनात है। ऐसे में उनकी नाइट ड्यूटी लगाने से मरीज परेशान है। जिस कारण बीते शुक्रवार से मंगलवार तक अल्ट्रासाउण्ड नहीं हो पाये है। सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को दिक्कतें आ रही है।
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सीएमएस डॉ.अशोक कुमार गैरोला का कहना है कि मंगलवार को रेडियोलॉजिस्ट अवकाश पर थे। जबकि और दिनों उनकी नाइट ड्यूटी लगने से अगले दिन ऑफ पर रहे। इससे दिक्कतें आई। बुधवार से अल्ट्रासाउण्ड होंगे।

310 की जांच में 55 लोगों में मोतियाबिंद मिला

ऋषिकेश।
रविवार को देहरादून रोड़ स्थित व्यापार सभा में नेत्र ज्योति-दिव्य ज्योति कार्यक्रम के तहत शिवानंद मिशन राजकोट के सहयोग से मोतियाबिंद की जांच व पंजीकरण का कैंप आयोजित हुआ। कैंप का शुभारंभ व्यापार सभा अध्यक्ष नवल कपूर ने किया। उन्होंने कहाकि आज आवश्यकता है कि जरुरतमंद की मदद किस प्रकार की जाये। आम आदमी मंहगे उपचार के कारण स्वास्थ्य लाभ नही ले सकता है। जिसके लिए सामाजिक व व्यपारिक संगठनों को आगे आना चाहिये।
कैंप कॉर्डिनेटर गोपाल नारंग ने बताया कि कैंप में 310 लोगों की मोतियाबिंद जांच की गयी, जिसमें से 55 रोगियों में मोतिर्यांबद पाया गया। उन्होंने कैंप आयोजन के लिए रोहिणी बख्शी व जगदीश सत्यदेव का धन्यवाद दिया।
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डॉ. निमेश जैन ने बताया कि सभी रोगियों का ऑपरेशन नि:शुल्क शिवानंद अस्पताल में किया जायेगा और नेत्र लैंस भी लगाये जायेंगे। मौके पर विशाल बिंदल, पदम शर्मा, मनोज कालड़ा, आशु पाहवा, विपिन सवदिया आदि ने सहयोग किया।

एनिस्थिसिया की नई तकनीक पर मंथन

देशभर के 200 से ज्यादा डॉक्टर व शोधार्थी जुटे

डोईवाला।
शनिवार को सेंट्रल जोन ऑफ इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थिसियालॉजिस्ट (सीजेडआईएसएकॉन 2016) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (एसआरएचयू) में हुआ। कांफ्रेस में एनिस्थिसिया की नई तकनीक पर मंथन को देशभर से एनिस्थिसियालॉजिस्ट जुटे।
एसआरएचयू-हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के एनिस्थिसियोलॉजी विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज सभागार में कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने किया। उन्होंने कहा कि समय के साथ एनिस्थिसिया की तकनीकों में बहुत बदलाव हुआ है। कॉन्फ्रेंस का मकसद एक्सपर्ट के अनुभव को सीखना है। जिससे इलाज के दौरान मरीज को इसका फायदा मिल सके। इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थिसियालॉजिस्ट के सेक्रेटरी डॉ. केवैंकट गिरी ने बताया कि एनेस्थीसिया विशेषज्ञों की भूमिका अब ऑपरेशन थियेटर में मरीजों को बेहोश करने तक सीमित नही है। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ ऑपरेशन से पहले और बाद में भी मरीज के साथ रहते हैं, ताकि मरीज की जान को कोई खतरा न हो।

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वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एनेस्थेटिक स्पेशलिस्ट की संख्या बढ़े जिससे मरीजों के ऑपरेशन की वेटिंग लिस्ट खत्म हो सके। योजना समिति की चेयरपर्सन डॉ. गुरजीत खुराना ने बताया कि सीजेडआईएसएकॉन 2016 की थीम ‘सेफ्टी एंड क्वालिटी इन एनिस्थिसिया’ है। कांफ्रेस में उत्तरखंड, केरल, तमिलनाडु, भोपाल, लखनऊ, कानपुर, चंडीगढ़, इंदौर, जबलपुर, मेरठ, कानपुर, छत्तीसगढ़ से करीब 200 से ज्यादा डेलीगेट शामिल हुए। मौके पर डॉ.जेपी शर्मा, डॉ. ललित मेंहदीरत्ता, डॉ. विरेंद्र शर्मा, डॉ. महेश सिन्ह, डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. वाईएस पयाल, डॉ. पारुल जिंदल, डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. वीना अस्थाना, डॉ. निधि, डॉ. दिव्या, डॉ. रोहन, डॉ. प्रिया, डॉ. पूनम, डॉ. अभिमन्यु, डॉ. अंशुमन, डॉ. हरीश, डॉ. नंद किशोर, डॉ. आस्था आदि मौजूद थे।

आवासीय कॉलोनी में सफाई और दवा के छिड़काव की मांग

कर्मचारियों ने विभाग के अधिशासी अभियंता को सौंपा ज्ञापन

ऋषिकेश।
रेलवे रोड स्थित सिंचाई विभाग की आवासीय कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य डेंगू और चिकनगुनिया से घबराए हुए हैं। कॉलोनी में सात कर्मचारियों के परिजन डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में हैं। कर्मचारियों ने सफाई और दवा का छिड़काव कराने के लिए अधिशासी अभियंता को ज्ञापन सौंपा है।
सिंचाई विभाग की रेलवे रोड स्थित आवासीय कॉलोनी नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत आती है। कर्मचारियों का आरोप है कि नगर पालिका ने पिछले छह माह से यहां कोई सफाई नहीं कराई है। कॉलोनी में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं। जगह-जगह पानी जमा हो रखा है। कई जगह गंदगी के अंबार लगे हुए हैं। कहा कि आजकल डेंगू और अन्य संक्रामक बीमारियां फैल रही हैं। कॉलोनी में रह रहे गोविन्द सिंह रावत, तरुण बड़थ्वाल, प्रकाशचंद्र पंत, माधवानंद पांडेय, बृजमोहन डोभाल, सूरत सिंह रौथाण, मुरलीधर रतूड़ी के परिवार के सदस्य डेंगू औश्र चिकनगुनिया से पीड़ित हैं। सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने अधिशासी अभियंता को समस्या से अवगत कराया। कर्मचारियों ने बताया कि कॉलोनी में साफ-सफाई के अभाव में बुरा हाल हो रखा है। नाराजगी जताई कि पालिका को कई बार बताने के बाद भी इस ओर कार्रवाई नहीं की गयी है। ज्ञापन में कई कर्मचारियों के हस्ताक्षर हैं।

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पांच और मरीजों में डेंगू की पुष्टि
डेंगू के पांच और मरीज मिले हैं। शुक्रवार को ब्लड जांच के बाद सरकारी में दो और प्राइवेट अस्पताल में तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। डेंगू के नोडल अधिकारी और फिजीशियन डॉ. महेश सैनी ने बताया कि तापमान में गिरावट आने लगी है। डेंगू के मरीजों की संख्या अब धीरे-धीरे कम होने लगेगी।

आंखे है अनमोल इन्हें सुरक्षित रखिये

विश्व दृष्टि दिवस पर ऋषिकेश एम्स में जन व्याखान का आयोजन
पब्लिक के सवालों का नेत्र विशेषज्ञों ने दिया जवाब

ऋषिकेश।
विश्व दृष्टि दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में जन व्याखान का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि जीवन में आंखों का अहम रोल है। आंख के बिना जीवन में अंधियारा है। इसलिए आंखों की सुरक्षा को लेकर हमें सतर्क रहना चाहिये।
गुरुवार को जन व्याखान कार्यक्रम का शुभारंभ संकायाध्यक्ष डॉ. सुरेखा किशोर व नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार मित्तल ने संयुक्तरुप से किया। उन्होंने विभिन्न नेत्र रोगों के बारे में 107
जानकारी दी। सफेद व काला मोतिया, मधुमेह से होने वाले पर्दे के रोग और अनुवाशिक बीमारियों का हमारी आंखों होने वाला नुकसान की जानकारी दी। आतिशबाजी से आंखों को बचाने की सलाह भी दी। कार्यक्रम में पब्लिक की ओर से कई सवाल भी पूछे गये। जिसका विशेषज्ञों ने जवाब भी दिया।

सरकारी अस्पताल में नगर पालिका की फॉगिंग से मुसीबत

अंदर घुटने लगा दम, बाहर की ओर भागे डॉक्टर और मरीज

ऋषिकेश।
सरकारी अस्पताल में गुरुवार सुबह ओपीडी चल रही थी। पर्ची काउंटर और डॉक्टरों के कक्षों के बाहर मरीजों की लाइन लगी थी। इनमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं की बड़ी संख्या में शामिल थीं। करीब पौने 11 बजे नगर पालिका के कुछ कर्मचारी फॉगिंग करते हुए अस्पताल परिसर में घुस गए। मच्छरों के लिए खतरनाक धुआं छोड़ते हुए अस्पताल भवन में इधर-उधर घूमने लगे। देखते ही देखते अस्पताल परिसर में चारों ओर धुआं फैल गया। कुछ मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। दम घुटने की स्थिति में मरीज और डॉक्टर बाहर की ओर दौड़ने लगे। वार्ड में भर्ती मरीजों के सामने भी मुश्किल खड़ी हो गई। बेड पर लेटे कई मरीज धुएं के कारण असहज महसूस करने लगे। कुछ बुजुर्ग और बच्चों का धुएं से बुरा हाल हो गया। करीब आधे घंटे तक अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल रहा। धुएं के कारण डॉक्टर ओपीडी में बैठने से कतराते रहे। कुछ लोग तो इसलिए भी घबरा गए कि कहीं आग तो नहीं लग गई है। लोगों में इस अव्यवस्था को लेकर आक्रोश देखने को मिला। उनका कहना था कि फॉगिंग ओपीडी शुरू होने से पहले या बंद होने पर होनी चाहिए थी।

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ओपीडी शुरू होने से पहले होनी थी फॉगिंग
अस्पताल के प्रभारी सीएमएस डॉ. बीएस भंडारी का कहना है कि परिसर में फॉगिंग को लेकर कोई सूचना नहीं थी, वह चार घंटे ऑपरेशन थियेटर में रहे। इस कारण मामला उनके संज्ञान में नहीं आया। नगर पालिका के सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि अस्पताल की डिमांड पर फॉगिंग कराई गई। वहीं नगर संक्रामक रोग नियंत्रक एसएस यादव का कहना था कि उन्होंने अस्पताल में फॉगिंग कराने के लिए नगर पालिका को कहा था, लेकिन फॉगिंग ओपीडी शुरू होने से पहले होनी थी। पालिका ने फॉगिंग कराने में देरी कर दी।

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सांस रोगी के लिए जानलेवा धुआं
मच्छरों के लिए छोड़ा गया धुआं दमा रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता था। दरअसल, दमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में धुल या किसी भी प्रकार का धुआं उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। अस्पताल में गुरुवार को कुछ सांस के रोगी भी इलाज के लिए पहुंचे थे। उन्हें धुएं के कारण सांस लेने में मुश्किल उठानी पड़ी। बाद में परिजन उन्हें बाहर खुली हवा में ले गए। इसके बाद उन्होंने राहत महसूस की।

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डेंगू के सात और मरीज मिले
सरकारी अस्पताल में गुरुवार को ब्लड जांच के बाद दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। आठ मरीजों में टाइफाइड की भी पुष्टि हुई। वहीं प्राइवेट अस्पताल में भी डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। गुरुवार को प्राइवेट अस्पताल में पांच मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। डेंगू के नोडल अधिकारी और फिजीशियन डॉ. महेश सैनी ने बताया कि डेंगू व टाइफाइड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

डेंगू के एक और टाइफाइड के तीन और नए मामले

ऋषिकेश।
ऋषिकेश में डेंगू के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के चेहरों पर शिकन ला दी है। बुधवार को राजकीय अस्पताल में डेंगू का एक और नया मामला सामने आया। जबकि टाइफाइड के भी तीन नए मामले आए। हालांकि, मुहर्रम की छुट्टी के चलते अस्पताल की ओपीडी आधे समय तक ही चली।

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मौसम में बदलाव के बावजूद शहर में डेंगू के मामले लगातार सामने आने से लोगों में दहशत बरकरार है। बुधवार को राजकीय अस्पताल की ओपीडी में 165 पंजीकरण हुए। डेंगू आशंका के चलते 28 मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए, जिनमें से एक सैंपल पॉजीटिव पाया गया। वहीं, 48 में से तीन मरीजों में टाइफाइड की पुष्टि हुई। साथ ही 32 मरीजों की मलेरिया संबंधी जांच भी हुई। हालांकि, किसी भी मरीज में मलेरिया के लक्षण नहीं मिले। इधर, डेंगू के नोडल अधिकारी और फिजीशियन डॉ. महेश सैनी ने बताया कि वायरल पीड़ितों में चिकनगुनिया के भी कुछ लक्षण देखे जा रहे हैं। इस कारण मरीज शरीर के जोड़ और हड्डियों में दर्द की शिकायत से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि मौसम में परिवर्तन के बाद भी मच्छर जनित रोगों में कमी नहीं आ रही है।

राजकीय अस्पताल में बुधवार को ब्लड जांच के बाद एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है। जबकि तीन मरीज टाइफाइड की चपेट में आए। इसके अलावा मलेरिया के सभी ब्लड सैंपल निगेटिव आए हैं।
-एसएस यादव, नगर संक्रामक रोग नियंत्रक

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पालिका की सुस्ती आमजन पर भारी
ऋषिकेश पालिका की सुस्ती आम लोगों पर भारी पड़ रही है। शहर के सबसे व्यस्ततम त्रिवेणीघाट मार्ग पर बुधवार को सड़क के बीचों-बीच कूड़ा डलवा दिया गया। जब स्थानीय व्यापारियों ने इसकी शिकायत की तो दोपहर बाद कूड़ा उठाने की बात कहकर पालिका प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन, व्यापारियों की ओर से लगातार शिकायत के बाद ही कूड़ा उठाया गया।

ऋषिनगरी में नही थम रहा डेंगू का कहर

सरकारी अस्पताल के तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि

ऋषिकेश।
ऋषिनगरी में डेंगू का कहर थमने का नाम नही ले रहा है। शनिवार को सरकारी अस्पताल में तीन और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। वहीं, टाइफाइड के भी आठ मामले और बढ़ गये है।
सुबह शाम मौसम में ठंड का एहसास होने लगा है। बावजूद डेंगू और टाइफाइड के मामले कम होने का नाम नही ले रहे है। सरकारी अस्पताल में शनिवार को 410 मरीजों ने पंजीकरण कराया। 37 मरीजों में डेंगू की आशंका के चलते ब्लड जांच की गई। जिसमें से तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। वहीं, 62 मरीजों में टाइफाइड की जांच की गई। 8 मरीजों में टाइफाइड पॉजीटिव मिला। डेंगू के नोडल अधिकारी डॉ. महेश सैनी ने बताया कि मौसम में ठंड का एहसास होने लगा है, बावजूद डेंगू के नए मरीज बढ़ रहे है।

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वहीं, प्राइवेट अस्पताल में भी डेंगू के मरीज बढ़ रहे है। प्राइवेट अस्पताल एक लाख से कम प्लेटलेट्स वाले को भी डेंगू आशंका के चलते भर्ती करने की सलाह दे रहे है। हालांकि सरकारी आकंडे प्राइवेट अस्पताल की पुष्टि नही कर रहे है। डेंगू जांच को लेकर मरीज प्राइवेट पैथोलॉजी लैब के चक्कर काट रहे है। नगर सक्रांमक रोग नियंत्रक एसएस यादव ने बताया कि सरकारी अस्पताल में ब्लड जांच के बाद तीन नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। उन्होंने प्राइवेट अस्पताल के आकंड़ों की पुष्टि नही करने की बात कही।

डेंगू का डर दिखाकर मरीजों की जेब कर रहे खाली

खौफ या धंधा
डेंगू पीड़ितों में खौफ पैदा कर लूट रहे प्राइवेट अस्पताल
प्लेटलेट्स काउंट जांच की रिपोर्ट में आ रहा भारी अंतर

ऋषिकेश।
डेंगू का खौफ दिखाकर मरीजों को जेब खाली की जा रही है। जी हां, प्राइवेट अस्पताल या पैथोलॉजी लैब की रिपोर्ट पर भरोसा करना भारी पड़ सकता है। इनकी प्लेटलेट्स काउंट जांच में भारी अंतर आ रहा है। ज्यादातर निजी अस्पताल कम प्लेटलेट्स दिखाकर मरीजों पर भर्ती होने का दबाव बना रहे हैं। कुछ दिन इलाज के बाद मरीज को लंबा चौड़ा बिल थमा देते हैं। शहर के एक मरीज के साथ कुछ ऐसा ही वाकया हुआ है।

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35 अद्वैतानंद मार्ग निवासी एके तिवारी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे विवेक कुमार को बुखार की शिकायत पर देहरादून मार्ग पर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। एके तिवारी ने बताया कि डॉक्टर ने ब्लड जांच कराने की सलाह दी। अस्पताल की लैब में पांच अक्तूबर को डेंगू जांच की रिपोर्ट पॉजीटिव आई और प्लेटलेट्स 56 हजार बताई गयी। उन्होंने छह अक्तूबर को पुष्कर मंदिर मार्ग पर स्थित प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में प्लेटलेट्स जांच कराई तो प्लेटलेट्स दो लाख 18 हजार आईं। फिर उन्होंने सात अक्तूबर को सुबह 11.30 बजे देहरादून मार्ग स्थित प्राइवेट अस्पताल की पैथोलॉजी में बेटे की प्लेटलेट्स जांच कराई तो संख्या 63 हजार बताई गई। एके तिवारी ने कुछ देर बाद 11.45 बजे पुष्कर मंदिर मार्ग पर स्थित प्राइवेट लैब में जांच कराई तो दो लाख 12 हजार प्लेटलेट्स आईं। इससे वह दुविधा में पड़ गए। उन्होंने शाम को छह बजे फिर कोठारी मार्केट स्थित एक अन्य प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में जांच कराई तो प्लेटलेट्स एक लाख 47 हजार आईं। उनका कहना था कि प्राइवेट अस्पताल और प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में अलग-अलग प्लेटलेट्स की संख्या आ रही हैं। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, किसकी रिपोर्ट पर भरोसा करें।

टाइफाइड मरीजों की बढ़ रही संख्या

एक माह में हजार से अधिक मरीजों में टाइफाइड की हो चुकी पुष्टि

ऋषिकेश।
गुरुवार को सरकारी अस्पताल की ओपीडी में 510 मरीजों ने पंजीकरण कराया। 29 मरीजों में डेंगू की आशंका के चलते ब्लड जांच की गई, जिसमें से एक मरीज पॉजीटिव मिला। 49 मरीजों में टाइफाइड की जांच की गई, जिसमें से 12 पीड़ित मिले। गौरतलब है कि टाइफाइड के मामले लगातार बढ़ रहे है। सरकारी व प्राइवेट अस्पताल में इन दिनों डेंगू व चिकनगुनिया के साथ ही टाइफाइड के मरीज भी अधिक संख्या में आ रहे है। फिजिशियन डॉ. महेश सैनी ने बताया कि इन दिनों टाइफाइड के मरीज बढ़ रहे है।

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टाइफाइड दूषित खाने पीने से लीवर संक्रमण के चलते होता है। डॉ. सैनी ने बताया कि इसे आंतों का बुखार भी कहा जाता है। इसमें सुबह शाम बुखार आता है और शरीर में कमजोरी रहती है। बताया कि लापरवाही होने पर पीलिया होने का खतरा भी बना रहता है। उन्होंने मरीज को टाइफाइड में दवा सेवन के साथ ही आराम करने की सलाह दी। नगर संक्रामक रोग नियंत्रक एसएस यादव ने बताया कि गुरुवार को 29 मरीजों की जांच की गई, जिसमें से एक मरीज डेंगू से पीड़ित मिला।