महिलाओं को नौकरी में क्षैतिज आरक्षण मिला, धामी सरकार ने निभाया वादा

उत्तराखंड सरकार की ओर से महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आज यानी मंगलवार को राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिल गई है। राजभवन की मंजूरी के साथ ही महिला अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार भी मिल गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सरकार ने 30 नवंबर 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति पारित कराकर राजभवन भेजा था। वहीं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पारित 14 बिलों, जिनमें अधिकतर संशोधित विधेयक थे, के साथ महिला आरक्षण बिल को भी राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिलनी थी।

न्याय और विधि विशेषज्ञों से कराया परीक्षण
बता दें कि उत्तराखंड राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी मिल गई, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंजूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया है। इस कारण विधेयक को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों महिला क्षैतिज आरक्षण कानून के जल्द लागू होने के संकेत दिए थे।

विधेयक पर एक नजर…
1. 18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।
2. 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने इसे 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
3. 26 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
4. 04 नवंबर 2022 को सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
5. 29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।
6. 30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
7. 10 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।

आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्यो बोला निर्वाचित सरकार भी है जो काम कर रही है

सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इसपर सुनवाई के लिए अब 16 जनवरी की अगली तारीख दी है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले में शीर्ष अदालत आने की जरूरत नहीं है। इस पर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं काम कर रही हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। बता दें कि याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीर्ष अदालत में अपील करते हुए कहा था कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है और इस संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।

गन्ने की हाई वैरायटी के उत्पादन पर दिया जाये जोर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में गन्ना विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि चीनी मिलों की आय बढ़ाने की दिशा में प्रयास किये जाएं। गन्ना किसानों का भुगतान समय पर हो जाए, यह भी सुनिश्चित किया जाए। जो चीनी मिलें लगातार घाटे में चल रही हैं, इनके कारणों का विश्लेषण किया जाए। गन्ने की हाई वैरायटी के उत्पादन पर अधिक फोकस किया जाए। चीनी मिलें अपनी आय के संसाधन बढ़ाने एवं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का प्रयास करें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चीनी मिलों के आधुनिकीकरण की दिशा में ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। प्राथमिकता के आधार पर बॉयलर एवं टरबाइन परिवर्तन के लिए चरणबद्ध तरीके से प्रस्ताव दिये जाएं। चीनी मिलों की आर्थिकी में सुधार लाने के लिए मोलासिस आधारित इथेनॉल प्लांट की दिशा में भी ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा चीनी मिलों के आधुनिकीकरण की ओर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। गन्ना विकास कार्ययोजना के तहत अधिक परते वाली गन्ने की प्रजाति पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान हो, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी। उन्होंने कहा कि 2022-23 हेतु पेराई सत्र नवम्बर 2022 से शुरू हो चुका है। मिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पेराई क्षमता, चीनी परता एवं चीनी उत्पादन में वृद्धि हुई है। प्रदेश में 2021-22 के सहकारी, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की सभी मिलों का गन्ना भुगतान पूर्ण किया जा चुका है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव विजय कुमार यादव, एस.एन पाण्डेय, अपर सचिव उदयराज, अरूणेन्द्र चौहान एवं सबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य सचिव के संवदेनशील अधिकारी होने का विभाग को मिल रहा लाभ

प्रदेश के सुदूर इलाकों में दवाईयों को पहुंचाने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से राज्य के दूरस्थ जनपदों में निवास कर रहे लाभार्थियों को कम से कम समय में वैक्सीन उपलब्ध कराने हेतु अनोखी पहल सफल साबित हुई। प्रदेश के भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर दवाओं, टीकों को समयबद्ध तरीके से पहुंचाने हेतु स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड ने ड्रोन टेक्नोलॉजी का सफल ट्रायल पूर्ण कर लिया है।
सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर देहरादून से सीमांत जनपद उत्तरकाशी तक महज 40 मिनट में वैक्सीन की डोज को सफलतापूर्वक पहुंचाया गया। प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत ड्रोन द्वारा डिप्थीरिया टिटनेस (डी.पी.टी.) व पेंटा की 400 डोज मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय उत्तरकाशी पहुंचाई गई है। अमूमन सड़क मार्ग से 5-6 घंटे का समय लगता है।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने यह भी अवगत कराया कि इस सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा आगामी दिनों में प्रदेश के सूदूर इलाकों में ड्रोन के माध्यम से कोविड वैक्सीन को पहुंचाए जाने हेतु कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग तथा इनफोरमेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आई.टी.डी.ए.) के सहयोग से दवाईयों को पहुंचाया गया है।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में दवाईयों या वैक्सीन को पहुंचाने हेतु सड़क मार्ग का उपयोग किया जाता है, जिसमें काफी समय लगता है व कभी-कभी आपदा के कारण भी दवाई पहुंचाने में परेशानी होती है। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि दवाई वितरण में किसी भी प्रकार की देरी न हो और समयपर सभी चिकित्सा इकाइयों तथा ऐसे स्थानों, गावों में जहां सड़क मार्ग की सुविधा नही है वहां भी दवाईयां, वैक्सीन उपलब्ध हो। निकट भविष्य में दुर्घटनाग्रस्त, आपदा या अन्य किसी विकट स्थिति पर समयान्तर्गत प्राथमिक उपचार की दवाईयां तथा अन्य सामाग्री पहुंचाने में ड्रोन टेक्नोलॉजी की सुविधा मील का पत्थर साबित होगी।
सचिव महोदय द्वारा बताया गया कि कोविड के दृष्टिगत भी ड्रोन टेक्नोलॉजी काफी कारगर साबित होगी। हम प्रदेश के सभी चिकित्सा इकाइयों में वैक्सीन की उपलब्धता बनाए रखेंगे ताकि पात्र लाभार्थियों का टीकाकरण सुलभ तरीके से पूर्ण हो।

रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर्स योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड उद्यमिता समिट के आयोजन को राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के उद्यमियों के लिए लाभदायक बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के व्यवसायियों को विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी। ग्रामीण उद्यमियों हेतु आयोजित “गुल्लक“ नामक यह कार्यक्रम, देशभर में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जिसमें निवेशक ग्रामीण उद्यमियों के साथ सीधे संवाद कर उनके उद्यमों में निवेश कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता विकास को गति प्रदान करने के लिए हमारी सरकार द्वारा विगत वर्ष “रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर्स“ की स्थापना जनपद अल्मोड़ा के हवालबाग में और जनपद पौड़ी के कोटद्वार में की गई। वर्तमान में इन “रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर्स“ के माध्यम से ग्रामीण उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इनक्यूबेटर्स के अच्छे परिणामों को देखते हुए इस योजना को हब एवं स्पॉक मॉडल के अंतर्गत राज्य के अन्य 11 जनपदों में क्रियाशील किए जाने हेतु “रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर“ के स्पॉक स्थापित किए जाएंगे। इन इनक्यूबेटर्स के माध्यम से हमारे उद्यमियों को नए अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कर्मशील नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति कर रहा है, उद्योग जगत भी इससे अछूता नहीं है। हमारी यह पहल प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल की अवधारणा को मजबूती प्रदान करेगा तथा इससे विकास के नये रास्ते तय होंगे तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी यह निर्णायक पहल होगी। उन्होंने कहा कि पिछली बार जब वे हवाल बाग में निवेशकों से मिले थे उस समय की निवेश की यह धनराशि आज 7 करोड़ से 20 करोड़ हो गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वालों का जज्बा उन्होंने देखा है उनका आत्म विश्वास अन्य युवाओं के लिये भी प्रेरणा का कार्य करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में देश का मान व सम्मान बढ़ा है। इसका प्रतिफल है कि जी 20 देशों की अध्यक्षता भारत को मिली है। इसकी दो महत्वपूर्ण बैठकें उत्तराखण्ड में भी होनी हैं यह हमारे लिये भी सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल मार्ग दर्शन में देश ने कोरोना महामारी का सफलता से सामना ही नहीं किया इसकी तीन वैक्सीन तैयार कर देश के नागरिकों को निःशुल्क उपलब्ध करायी तथा कई देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध करायी, यही नहीं कोरोना काल से अब तक देश के 80 करोड़ लोगों को निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। देश में 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन लोकल फॉल ग्लोबल की दिशा में देश के बढ़ते कदम हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सबका यह प्रयास होना चाहिए कि जो जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा है उसे बेहतर ढंग से करे तथा अपने अनुभवों को साझा करें। समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचे यह हमारा दायित्व होना चाहिए। ग्रामीण उद्यमिता के विकास से हमारे युवा स्वरोजगार से जुड़ेंगे तथा नौकरी पाने के बजाय नौकरी देने वाले बनेंगे। ग्रामीण उद्यमियों के उत्पादों के विपणन की बेहतर व्यवस्था पर हमारा ध्यान है। आज देश में आयात को निर्यात में बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की समस्या से निजात पाने के लिए विशेष रूप से कार्य कर रही है। राज्य के नागरिकों को अपने स्थान पर रहकर ही स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु सरकार द्वारा राज्य के सुदूर क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की केंद्र पोषित, राज्य पोषित और वाह्य सहायतित स्वरोजगार परक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले व्यवसाय में महिलाओं की सहभागिता अधिक रहती है, इसको ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से प्रयास कर रही है। हमने 1.25 लाख बहनों को लखपति दीदी बनाने की योजना बनाई है, उन्हें भी उद्यमिता से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से भारत सरकार के निर्देशन में आगामी एक माह तक “मिशन अंत्योदय सर्वे“ मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित हुआ है। इस सर्वे में सामुदायिक काडर की महिलाओं द्वारा आर्थिक विकास, गांवों की आधारभूत संरचना, सेवाओं और सामाजिक न्याय से संबंधित विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सर्वे गुणवत्तापूर्ण रूप से संपन्न होने के साथ राज्य के सर्वांगीण विकास में इस सर्वे का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार राज्य के चहुंमुखी विकास हेतु प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने “विकल्प रहित संकल्प“ को ध्यान में रखकर निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से आए सभी युवा उद्यमियों का आह्वान किया कि राज्य सरकार के संकल्प को पूर्ण करने में वे भी सहयोगी बनें।
इस अवसर पर ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एक अभिनव पहल करते हुये राज्य में रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर्स योजना प्रारम्भ की गयी, जिसमें दो इन्क्यूबेटर्स कमशः जनपद अल्मोड़ा व पौड़ी में स्थापित किये गये। इन इन्क्यूबेटरों के माध्यम से ग्रामीण उद्यमियों को उनके नये उद्यम स्थापना तथा स्थापित उद्यमों के विस्तारीकरण हेतु विभिन्न प्रकार के तकनीकी सहायता, मेन्टरशिप सहयोग, विधिक सहयोग, विपणन सहयोग आदि प्रदान किया जा रहा है। जहा पर दक्ष मानव संसाधन ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु भावी ग्रामीण उद्यमियों को तैयार करने में मदद कर रहा है। गत एक वर्ष में लगभग 500 से अधिक इन्क्यूबेटीज़ द्वारा इन्क्यूबेटर्स के माध्यम से लाभ प्राप्त कर अपने उद्यमों की स्थापना अथवा उद्यम विस्तार में सहायता प्राप्त की गयी है। उन्होंने कहा कि “गुल्लक कार्यक्रम“ राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को विकसित करने के लिये सरकार की एक अनूठी पहल है। ग्रामीण उद्यमियों हेतु अयोजित किये जाने वाला यह कार्यक्रम, देशभर में पहला प्रयास है, जहा ग्रामीण उद्यमी अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अपने आइडिया/बिजनेस निवेशकों के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं। इस मंच से उद्यमियों को अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग द्वारा मिशन अन्त्योदय सर्वे का शुभारम्भ भी किया जा रहा है, भारत सरकार के निर्देशानुसार एक माह के अन्दर उक्त सर्वे कार्य पूर्ण किया जायेगा जिसमें गाँवों में उपलब्ध आधारभूत संरचना, सेवाओं, आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय से सम्बन्धित विषयों पर सूचना का एकत्रीकरण किया जायेगा।
इस अवसर पर पूर्व सांसद तरुण विजय, सचिव बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, आयुक्त ग्राम्य विकास आनन्द स्वरूप, अपर सचिव ग्राम्य विकास नितिका खंडेलवाल सहित अन्य अधिकारी उद्यमी तथा निवेशक उपस्थित रहे।

जोशीमठ प्रकरण पर नवीन जानकारी के साथ ही बचाव कार्यो में तेजी लाने पर जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमेटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

जोशीमठ की समस्या के समाधान को सभी को एक छत के नीचे आना जरूरीः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में अग्रणी राज्य बनाना हमारा उद्देश्य है। इसी के तहत बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से वैज्ञानिकों, समाजसेवियों एवं बुद्धिजीवियों के सुझाव राज्य हित में आमंत्रित किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में उत्तराखण्ड @ 25 बोधिसत्व विचार श्रृंखला के अंतर्गत प्रदेश में स्थित विभिन्न केंद्रीय संस्थानों एवं तकनीकि उपक्रमों के प्रमुखों के साथ विचार मंथन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ की समस्या के समाधान के लिये हमें एक छत के नीचे बैठकर कार्य करना होगा, तथा राज्य के शहरों के सर्वेक्षण पर ध्यान देना होगा तथा उनकी धारण क्षमता का आकलन करना होगा। हमें राज्य के विकास के मॉडल को इकोलॉजी तथा इकोनामी के समन्वय के साथ आगे बढ़ाना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विचार मंथन सत्र हिमालय की पारिस्थितिकीय विभिनता के दृष्टिगत अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न प्रयोग करने का हमारे लिए एक बेहतरीन मंच है। हम पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं जिस वजह से हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति एक चिंतनीय विषय है। जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या से हम सब परेशान है इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सुझाव भी आमंत्रित है। राज्य के सतत विकास के लिए समाज के हर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों के आधार पर ही आगे के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 108वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में प्राइड ऑफ इंडिया एक्सपो में उत्तराखण्ड के पवेलियन को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इस कांग्रेस में देश एवं विदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एवं शोध संस्थानों ने प्रतिभाग किया था। अपने उद्घाटन संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान के महत्व पर विशेष जोर देकर शोध, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को “लैब से लैंड“ तक लाकर आमजन के जीवन को सहज, सरल और समृद्ध बनाने की बात कही है। उत्तराखण्ड@25 पहल के पीछे भी विज्ञान आधारित सोच के माध्यम से विकास की रूपरेखा तय करना हमारा उद्देश्य रहा है। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिए एक सशक्त विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति की नितान्त आवश्यकता है।

इसी संदर्भ में बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से आपसी संवाद के माध्यम से आपके सुझावों के आधार पर इस नीति का एक ऐसा मसौदा तैयार कर सकें जो उसके त्वरित कार्यान्वयन में सहायक हो सके। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों एवं वृहद ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण हमारे समक्ष अलग प्रकार की चुनौतियां हैं जिनका समाधान हमें अत्याधुनिक तकनीकी शोध एवं नवाचारों के माध्यम से स्वयं ढूंढना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के महत्व को समझते हुए हमने इस संदर्भ में प्रदेश में स्थित प्रमुख वैज्ञानिक एवं शोध संस्थानों के साथ-साथ प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ भी समन्वय स्थापित किया है। इसी क्रम में सीमान्त जनपद चम्पावत को केन्द्र में रखते हुए नोडल एजेन्सी यूकॉस्ट के माध्यम से हम आदर्श चम्पावत का मॉडल विकसित करने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमारा देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जी 20 की मेजबानी कर रहा है। यह अत्यंत गौरव की बात है कि विश्व स्तर पर भारत के नेतृत्व को महत्वता मिली है। हमें उत्तराखण्ड में इस आयोजन में दो महत्वपूर्ण सत्र करने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ जैसे गंभीर प्रश्नों का समाधान भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के माध्यम से ही संभव है, अतः इस हेतु सभी प्रमुख केन्द्रीय शोध संस्थानों को राज्य सरकार के साथ समन्वयन एवं सहभागिता स्थापित कर कार्ययोजना तैयार करनी है। इसके अलावा राज्य में स्थित सभी वैज्ञानिक संस्थानों को साथ लाकर समग्र एवं सर्वागीण विकास का एकीकृत मॉडल विकसित करना हमारी प्राथमिकता है जिसके माध्यम से हम प्रदेश के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों को विकास की मुख्यधारा के जोड़ते हुए इकोलॉजी एवं इकोनॉमी में बराबर संतुलन बनाते हुए इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने की हमारी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की आंकाशाओं को मूर्त रूप दे सकें। विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से उत्तराखण्ड@25 की अवधारणा के अनुरूप एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के लिए उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी की।

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार के संस्थान आपसी समन्वय से राज्य हित में बेहतर कार्य कर सकते हैं। आपसी विचार विमर्श नये ज्ञान का सृजन करता है। इससे समस्याओं के समाधान की राह भी प्रशस्त होती है। उन्होंने सभी संस्थानों से राज्य में स्थापित हो रही साइंस सिटी में अपने संस्थानों की प्रदर्शनी के आयोजन की व्यवस्था की भी अपेक्षा की।

सचिव शैलेश बगोली ने आभार व्यक्त किया तथा यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।

इस अवसर पर जिन्होंने अपने विचार रखे उनमें डा0 आर0पी0 सिंह, निदेशक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, डा० कलाचंद सैन, निदेशक, वाडिया भूविज्ञान संस्थान, देहरादून। श्री विक्रम सिंह, निदेशक, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, कर्नल रजत शर्मा, निदेशक, भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून, श्रीमती मीनाक्षी तिवारी, उप निदेशक, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, श्री जे०पी० सिंह, अपर निदेशक, यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान, प्रो. वर्तिका सक्सेना, प्रोफेसर, अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ऋषिकेश, डा० एस0के0 सिंह, प्रभारी अधिकारी, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग, डा० गौरव शर्मा, प्रभारी अधिकारी, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग, डा० डी०वी० सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, प्रो0 अक्षय द्विवेदी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की आदि के साथ आनलाइन माध्यम से डा० डी०के० असवाल, निदेशक, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण ग्रुप, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई, प्रो0 दीपांकर बैनर्जी, निदेशक, आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल, डा० प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, केन्द्रीय औषधीय एवं संगध पौधा संस्थान लखनऊ – एरोमा प्रोजेक्ट, शामिल रहे।

नाबार्ड ने राज्य के लिए संभावित ऋण प्रतिशत में 6.22 प्रतिशत की वृद्धि की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सुभाष रोड, देहरादून स्थित एक होटल में नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2023-24 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने नाबार्ड द्वारा तैयार किये गये स्टेट फोकस पेपर 2023-24 का विमोचन किया। नाबार्ड द्वारा वर्ष 2023-24 हेतु उत्तराखण्ड राज्य के लिए प्राथमिकता क्षेत्र में 30301 करोड़ रूपये की ऋण संभाव्यता का आंकलन किया गया है। जो विगत वर्ष की तुलना में 6.22 प्रतिशत अधिक है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नाबार्ड का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि, बागवानी तथा लघु और मध्यम क्षेत्र के उद्योगों के विकास हेतु इस वर्ष करीब तीस हजार करोड़ रूपये से अधिक की ऋण योजना तैयार की है। जो पिछले साल की तुलना में 6.22 प्रतिशत अधिक है। यह हमारे किसानों, बागवानी तथा छोटे-छोटे उद्योगों में लगे लोगों की आजीविका बढ़ाने में कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस ऋण व्यवस्था की सही प्रकार से निगरानी एवं पारदर्शिता की आवश्यकता होगी, ताकि जरूरतमंद लोगों को ऋण लेने में कोई परेशानी न हो। आम जन योजनाओं का पूरा लाभ ले सकें। ऋण को सही, जरूरतमंद और योग्य लोगों तक सरलता से पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका बैंकों की है। बैंकों को ध्यान देना होगा कि जरूरतमंद और योग्य लोगों को ऋण सम्बन्धित औपचारिकताओं के लिए अनावश्यक न भटकना पड़े। इसके लिए बैंकों को मिशन मोड पर काम करना होगा। नाबार्ड की इस ऋण योजना के आवंटन के लिए प्रत्येक बैंक ब्रांच को एक निश्चित टारगेट के साथ काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में निवेश और लोन के द्वारा ही विकास और उन्नति संभव है। यह हमारे रिवर्स पलायन मिशन के लिए भी आवश्यक है। सरकार ग्रामीण इलाकों में आधारभूत सुविधाओं, सड़क, कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। इसके लिए नाबार्ड का भी लगातार सहयोग मिलता रहता है। पिछले वर्ष ही नाबार्ड ने उत्तराखण्ड को दस हजार करोड़ रूपये की 4515 परियोजनाओं की मंजूरी दी। इसके लिए उन्होंने नाबार्ड का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य के इंफ्रास्टक्चर को मजबूत और आधुनिकतम बनाने पर लगातार कार्य कर रही है, ताकि राज्य के शहरी इलाकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेश बढ़े। उन्होंने कहा कि रूद्रप्रयाग, बागेश्वर और टिहरी ऋण की कमी वाले तीन जिलों में ऋण आवंटन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंको के अलावा राज्य सरकार आम लोगों के लिए भी सब्सिडी, क्रेडिट लिंक्ड योजनाओं और ब्याज अनुदान जैसे योजनाओं को लागू कर रही है। जिसके अंतर्गत वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना, दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजनाएं संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग है। भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भी योजनाओं का सही क्रियान्वयन करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जो भी प्रस्ताव रखे जाते हैं, उन पर गम्भीरता से फैसले भी लिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत इस वर्ष जी 20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। यह देश के लिए ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर है। जी 20 की 02 महत्वपूर्ण बैठकें उत्तराखण्ड में भी प्रस्तावित हैं। भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष भी घोषित किया है। इससे हमारे मोटे अनाजों को तेजी से बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार द्वारा मण्डुवा को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की स्वीकृति प्रदान करने पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त किया।
नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार में जानकारी दी गई कि नाबार्ड ने महिलाओं को सशक्त बनाने तथा उनके लिए सतत आजीविका सृजित करने के 91 लघु उद्यमिता विकास कार्यक्रम व 23 आजीविका उद्यमिता विकास कार्यक्रम के माध्यम से 5280 स्वयं सहायता समूह/जेएलजी को प्रशिक्षित कर उन्हें अपना व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया। नाबार्ड राज्य में एफपीओ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है अभी तक कुल 132 एफपीओ (31 सेंट्रल सेक्टर स्कीम सहित) बनाए गये हैं।
इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी, सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, नाबार्ड के प्रभारी अधिकारी डॉ. सुमन कुमार, क्षेत्रीय निदेशक आरबीआई लता विश्वनाथ, जनरल मैनेजर सुनील कौशिक, डीजीएम निर्मल कुमार, एसएलबीसी के संयोजक नरेन्द्र रावत, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, बीवीआरसी पुरूषोत्तम, दिलीप जावलकर एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर चर्चा की

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जी-20 शिखर सम्मेलन के तहत् देशी-विदेशी प्रतिभागियों द्वारा मई एवं जून 2023 में प्रस्तावित दौरों के सम्बन्ध में बैठक ली।
मुख्य सचिव ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के दौरान हमारे पास देश-विदेश से आए लोगों के समक्ष अपने प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति को दुनिया के कौने-कौने तक पहुंचाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। इसके लिए हमें अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस देने की आवश्यकता है। पर्यटन, संस्कृति, योगा और आयुष हमारी विशेषताएं हैं। प्रदेश के पास इन क्षेत्रों को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए एक अच्छा मौका है।
मुख्य सचिव ने कहा कि हर प्रतिभागी के साथ लाइजनिंग ऑफिसर के साथ ही उन्हीं की भाषा का एक गाइड भी उपलब्ध कराया जाए, जो यहां की कोई भी जानकारी उन्हें उपलब्ध करा सके। साथ ही, पर्यटन विभाग उन सभी देशों की भाषा का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करवाए। साथ ही, जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आने वाले प्रतिभागियों को कार्यक्रम स्थल के पास ही अच्छे योगा अनुदेशकों को भी लगाया जाए ताकि यदि कोई योगा सीखना या समझना चाहे तो उन्हें जानकारी मिल सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि सम्मेलन के दौरान आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रतिनिधि मण्डल के रहने खाने एवं सुरक्षा आदि की समुचित व्यवस्था के लिए विदेश मंत्रालय से लगातार सम्पर्क में रहते हुए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। प्रतिनिधि मण्डल के दौरे के दौरान जिन-जिन विभागों की भूमिका रहेगी, उन विभागों द्वारा अपने स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु समितियां भी गठित कर ली जाएं।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर, सचिन कुर्वे, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी. मुरुगेशन, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, आर. राजेश कुमार एवं विनोद कुमार सुमन सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने पर दिया जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में पर्यटन विभाग के साथ पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश में भावी संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। मुख्य सचिव ने सचिव पर्यटन को पर्यटन प्रदेश में आर्थिकी और रोजगार का महत्त्वपूर्ण साधन है। चारधाम यात्रा के साथ ही प्रदेश के पर्यटक स्थल इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सप्ताहांत में पूरे सालभर अधिकतम पर्यटक दिल्ली एनसीआर से आते हैं, और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद जब दिल्ली-एनसीआर के पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, उसके लिए हमें अभी से तैयारियां शुरू करनी होंगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए हमें पर्यटकों को नए पर्यटक स्थल और नए साहसिक खेलों को शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में अभी पर्यटन के क्षेत्र में क्या-क्या नया हो रहा है, और उन में से उत्तराखण्ड में क्या-क्या किया जा सकता है, इसकी एक लिस्ट तैयार की जाए। प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से यहां की भौगोलिक एवं प्राकृतिक स्थिति के अनुसार पर्यटन गतिविधियों की 02 कैटेगरी तैयार किए जाने के निर्देश दिए, जिसमें कैटेगरी ‘ए‘ में ऐसी गतिविधियों को रखने के निर्देश दिए जिन्हें तुरन्त शुरू किया जा सकता है एवं कैटेगरी ‘बी‘ में ऐसे गतिविधियां रखी जाएं जिन्हें शुरू किए जाने के लिए पहले कई प्रकार के कार्य किए जाने हैं। प्रदेश में हाई-एंड टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए सम्भावनाएं तलाशी जाएं। फाईव स्टार होटल और रिजॉर्ट्स के क्षेत्र में प्राईवेट क्षेत्र को आकृषित किए जाने के लिए कार्य किया जाए। प्रदेश के शुद्ध वातावरण में ऐस्ट्रॉ विलेज की भी काफी सम्भावनाएं हैं। प्रदेश भर में इसके लिए 5, 10 जगहें चिन्हित कर इसे शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि वाटर स्पोर्ट्स में प्रदेश में अत्यधिक सम्भावनाएं हैं। दिल्ली एनसीआर से अधिकतर पर्यटक राफ्टिंग एवं क्याकिंग आदि साहसिक खेलों के कारण वर्षभर उत्तराखण्ड आते हैं। टिहरी झील में वाटर बाईकिंग, पैरासेलिंग, आदि को तुरन्त शामिल किया जा सकता है। बंजी जम्पिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, वाईल्ड लाईफ सफारी, पैरा ग्लाईडिंग आदि जैसी तुरन्त शुरू की जा सकने वाली गतिविधियों को तुरन्त शुरू कर लिया जाए। इसके लिए प्राईवेट क्षेत्र से आने वाले लोगों को इंटरेस्ट सबवेंशन देकर बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खूबसूरती को दिखाने के लिए हैलीकॉप्टर, हॉट एयर बलून आदि से प्रदेश के विभिन्न खूबसूरत पर्यटन स्थलों की एरियल व्यू की व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए ऋषिकेश हरिद्वार जैसी जगह पर लंडन आई ( स्वदकवद म्लम ) जैसी संरचनाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने पर्यटन विभाग को बड़े शहरों में 5 से 10 जगहों पर स्केटिंग रिंग, आईस हॉकी, लाईट एंड साउंड शॉ आदि के लिए व्यवस्थाएं किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन गतिविधियों के शुरू होने के लिए प्रशिक्षित लोगों की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए पर्यटन विभाग को प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी संचालित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को प्रदेश में होने वाली समस्त पर्यटन गतिविधियों की जानकारी एक जगह मिल सके इसके लिए पोर्टल को लगातार अपडेट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी। यदि पॉलिसी में कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी, वह भी किया जाएगा, ताकि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिले और यहां के युवाओं को रोजगार मिले।
इस अवसर पर सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।