शांति की तलाश में तीर्थनगरी पहुंची लोस अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने दिन दिवसीय प्रवास पर उत्तराखंड में है। बुधवार को तीर्थनगरी स्थित परमार्थ निकेतन में भागवत कथा में पहुंची सुमित्रा महाजन ने यहां से अपना पुराना नाता बताया। उन्होंने कहा कि आत्म शांति की अनुभूति के लिये वह गंगा के पावन तट का रूख करती है। यहां स्वयं को जानने में मदद मिलती है।

एक सवाल के जवाब में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन बोली, मेरी नजर में आध्यात्म और राजनीति एक ही है। यदि हम आध्यात्मिक यात्रा पर भी होते हैं, तो मन में राजनीतिक बातें चलती ही रहती है। परमार्थ निकेतन में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि माँ गंगा की निर्मल लहरें मन को शान्ति, शीतलता और पवित्रता प्रदान करती हैं। कहा कि, उत्तराखंड से उनका पुराना लगाव है, जब भी समय मिलता है वह गंगा के तट पर शांति के लिए जरूर पहुंचती हैं। इस बार मैं लंबे समय बाद यहां भागवत कथा में शामिल होने आई हूं। कुछ दिन शांति से ऐसे माहौल में बैठना भी जरूरी होता है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने मुलाकात कर वर्तमान में नारियों की दशा और उनके विरूद्ध बढ़ते अपराधों की ओर लोकसभा अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही स्वच्छ भारत अभियान में नारियों की भूमिका, योग को समष्टि में समर्पित करना, महिला सशक्तीकरण, नदियों की स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण जैसे अनेक सामाजिक विषयों पर चर्चा की।

इससे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन का जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने स्वागत किया। सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन को मां नंदा राजजात यात्रा पर लिखी अपनी पुस्तक भेंट की। लोकसभा अध्यक्ष ने इसके लिए डॉ. निशंक का आभार व्यक्त किया।

शनि के उदय होते ही किसे मिलेगा लाभ और किसे हानि?

न्याय के देवता शनि महाराज को उनके पिता सूर्य ने बीते पांच दिसंबर को 34 दिनों के लिये डूबा दिया था। जो सात जनवरी की शाम पांच बजकर चालीस मिनट पर उदय हो गये है। उदय भी उन्हीं के पिता सूर्य ने किया। शनि धनु राशि में डूबे थे।

शनि अपनी सम राशि में उदय हुए हैं इसलिए नुकसान कम करेंगे। शनि गुरु के धनु राशि में है। शनि हानिकारक कम हुआ है। आलस्य नहीं आएगा। सारे एग्जाम अच्छे होंगे। अच्छे नंबर आएंगे।
साढ़े साती वालों को परेशानी बढ़ेगी। फिलहाल शनि की साढ़ेसाती वृश्चिक, धनु और मकर राशिवाले पर है और इन राशि के लोग बहुत परेशान हैं। वृष, कन्या और मकर राशिवाले पर भी शनि का संकट है। पढ़ाई, नौकरी, व्यापार नहीं चल रहा है। कर्ज चढ़ा है, क्लेश और बीमारी बढ़ी है। लोहे के कढ़ाई का दान करने और चना गुड़ बांटने से कुछ राहत मिलेगी।

शनि की महादशा और दशा वालों को राहत नहीं मिलेगी। ऐसे में उन्हें शनिदेव पर गुलाब की माला चढ़ानी होगी और साथ ही सरसों के तेल का दीपक भी जलाना होगा। काले वस्त्र बांटने होंगे।

शनि महाराज के कारण चार राशियों को मिलेगा लाभ-
1. कर्क राशि के लिए यह अच्छा समय होगा। हर कार्य आसानी से संपन्न होंगे। आर्थिक समस्याएं दूर होंगी।
2. तुला राशि इन्हें भाग्यवर्धक यात्रा होगी। समाज में मान सम्घ्मान बढ़ेगा। परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। साथ ही आर्थिक लाभ होगा।
3. कुंभ राशि वाले जातकों को आमदनी के स्रोत में वृद्धि होगी। व्यसाय में बड़ी सफलता का योग बन रहा है। रुका हुआ धन वापस मिलेगा।
4. मीन राशि वालों को धन-दौलत का लाभ तो होगा पर कुछ रुकावटें भी आ सकती हैं। हालांकि प्रयास करने पर आर्थिक लाभ कमाने में सफल रहेंगे।

चंडीगढ़ में ली शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज ने अंतिम सांसे

उत्तराखंड क्षेत्र से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में अंतिम सांसे ली।
शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज भारत के बदरीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य थे। वर्ष 1993 से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में देह त्याग दिया। महाराज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को देर शाम तक ऋषिकेश स्थित दंडीबाड़ा आश्रम में लाया जाएगा। पार्थिव शरीर को ऋषिकेश स्थित दण्डीबाड़ा श्रीजनार्दन आश्रम में आम लोगों के दर्शनार्थ के लिए रखा जाएगा। इसके बाद विधि विधान के साथ आश्रम में जलसमाधि दी जाएगी। उनके अनुयायियों का तीर्थनगरी पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। स्वामी जी उत्तराखण्ड मूल से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी थे। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य रहे।
गढ़वाल मंडल के रूद्रप्रयाग जिले में जन्में थे शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज
स्वामी माधवाश्रम महाराज का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के अन्तर्गत बेंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। आरम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी के आश्रम एवं वाराणसी समेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली। विवाह के उपरान्त कुछ वर्ष पश्चात इन्होंने संन्यास ग्रहण किया। इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वाधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ जी ने इन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया। तब से वे इस परम्परा का बखूबी पालन कर रहे थे। स्वामी माधवाश्रम महाराज धर्मप्रचार एवं गौहत्या विरोधी विभिन्न आंदोलनों एवं संगठनों से जुड़े थे।

अब फर्जी बाबाओं का सामूहिक बहिष्कार होगा, ये बाबा हैं लिस्ट में..

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत को दुष्कर्म मामलों में 20 साल जेल की सजा होने के बाद अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 11 बाबाओं को फर्जी मानते हुए उनकी सूची तैयार की है। इस सूची में आसाराम, राधे मां व निर्मल बाबा के भी नाम हैं। बताया जा रहा है कि यह सूची 10 सितंबर को इलाहाबाद के मठ बाघंबरी गद्दी में बुलाई गई बैठक में सार्वजनिक की जाएगी। बैठक में उनके सामूहिक बहिष्कार का भी फैसला किया जाएगा। परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि फर्जी धर्मगुरुओं से सनातन धर्म के स्वरूप को काफी नुकसान पहुंचा है। हम फर्जी धर्मगुरओं की सूची बनाकर उसे केंद्र व सभी राज्य सरकारों, चारों पीठ के शंकराचार्य व 13 अखाड़ा के पीठाधीश्वरों को भेजकर सामूहिक बहिष्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सूची में शामिल शमिल फर्जी बाबाओं को कुंभ, अर्द्वकुंभ और अन्य धार्मिक मेलों में सरकारी सुविधा न मिले, यह पहल भी होगी।
सूची में ये हैं फर्जी बाबा
आसाराम बापू, नारायण साई, इच्छाधारी भीमानंद, राधे मां, बाबा ओमानंद, निर्मल बाबा, रामपाल, गुरमीत राम रहीम, बाबा ओम नमरू शिवाय, स्वामी अच्युतानंद तीर्थ और योगी सत्यम।

अगले माह यात्रियों की संख्या में होगा इजाफा

केदारनाथ यात्रा के लिये आपदा के बाद अच्छी खबर है। बहुत कम समय में चार लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन कर दिये हैं। बाबा के दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों का आकंडा चार लाख पार पहुंच चुका है।
16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई भीषण आपदा के बाद इस बार केदारनाथ आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। बरसात के मौसम में भी यात्री बाबा के दर्शनों के लिये पहुंचे हैं, जिससे देश-विदेश में यात्रा को लेकर अच्छा संदेश गया है। मई माह में कपाट खुलने के बाद चार माह के समय में चार लाख से अधिक तीर्थ यात्री बाबा के दर्शनों को पहुंचे हैं। आगामी दो महीने में भी केदारघाटी के सभी होटल-लॉलों में एडवांस बुकिंग आ चुकी है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार पांच लाख से अधिक यात्री बाबा के दर्शनों के लिये पहुंचेंगे।
इधर, पुलिस अधीक्षक प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया कि यह यात्रा सीजन यात्रा के दृष्टिकोण से बहुत अच्छा गुजर रहा है। आपदा के बाद यात्रा पटरी पर लौट चुकी हैं बहुत कम समय में चार लाख से अधिक तीर्थ यात्री बाबा के दर्शनों के लिये पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि आगामी दो माह की यात्रा के लिये भी एडवांस बुकिंग आ चुकी हैं। मौसम भी खुल रहा है। बरसात का सीजन समाप्त होने वाला है। ऐसे में अधिक यात्रियों के आने की उम्मीदे हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों को किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं होने दी जाएंगी। यात्रियों को बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

कुमॉउ में नंदा देवी मेले की है अलग पहचान

कुमॉउ का प्रसिद्ध मॉं नंदा देवी मेले की आज विधिवत शुरुआत हो गई। यह मेला इस लिए भी खास है कि कुमॉउ में मां नन्दा देवी को अपनी आराध्य माना जाता है। मॉं नंदा देवी मंदिर में आज मॉं नंदा सुनंदा की मूर्तियों के लिए लाये गये कदली वृक्षों का पूजन किया गया। मौके पर चंद वंष के वंषज केसी बाबा पूर्व सांसद नैनीताल ने पूजा सम्पन्न कराई। प्रदेष के पर्यटन, सिंचाई व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी पूजा कार्यक्रम में षिरकत की। मॉं नंदा देवी मेला समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने बताया कि मॉं नंदा देवी उत्तराखण्ड की अधिष्ठात्री देवी के रुप में पूज्य है। अल्मोड़ा मॉं नंदा देवी मेला ऐतिहासिक पहचान रखता है। मेले को भव्य बनाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

अगले साल के अंत तक पूरी हो जाएगी चार धाम सड़क परियोजना

केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ‘चार धाम’ सड़क संपर्क परियोजना को सरकार 2018 के अंत तक पूरा कर लेगी। 12 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़े 10 प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी भी मिल गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परियोजना पर काम तेज कर दिया है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। इस परियोजनाओं से जुड़े अन्य अटके प्रस्तावों को भी जल्द ही मंजूरी प्राप्त हो जाएगी। क्योंकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय समेत विभिन्न मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह लोगों को सबसे बड़ा उपहार होगा। क्योंकि आस्था से जुड़ी चार धाम यात्रा लोगों के एजेंडे में शीर्ष पर रहती है। विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि 900 किमी के नए अलाइनमेंट पर राजमार्गो का निर्माण किया जा रहा है और सुरंगों का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। यह मार्ग सभी मौसम में खुले रहेंगे।
मालूम हो कि इसी महीने की शुरुआत में गडकरी ने आधारभूत ढांचे पर एक बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों से मंजूरियों के अभाव में लटके चार धाम यात्रा के 18 प्रस्तावों में तेजी लाने का अनुरोध किया था। चार धाम परियोजना की आधारशिला पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।

अयोध्या रामजन्म भूमिः देश दुनिया की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकेगी

देश विदेश में अयोध्या का नाम सुनते साथ ही हिन्दूओं की आस्था के प्रतीक श्रीराम की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। इस मामले में नया घटनाक्रम यह है कि अब अयोध्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 11 अगस्त से करने का फैसला किया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 जजों की स्पेशल बेंच तैयार की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने का सुझाव दिया था। ये एक ऐसा विवाद है, जिसकी आंच में भारतीय राजनीति आजादी के बाद से ही झुलसती रही है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, जिसका मुकदमा आज भी लंबित है।
आपकों बताते चले कि देश की आजादी से पूर्व इस स्थान को लेकर दोनों पक्षों में विवाद है। एक ओर हिन्दू इसे श्री राम की जन्म स्थली बताकर राम मंदिर का निर्माण करना चाहते है वहीं मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताकर अपना पक्ष रख रहे है। दोनों के दावे अब तक कई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गये है। पूर्व में इलाहाबाद कोर्ट ने उक्त स्थान की खुदाई करवाकर जिस पक्ष के अवशेष मिलेंगे, उसका दावा पुख्ता माना जायेगा कहा था। जिस पर खुदाई के दौरान हिन्दूओं से संबधित अवशेष मिले जिस पर कोर्ट ने इस स्थान को हिन्दुओं का माना। मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे किये।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने का सुझाव भी दिया। लेकिन कोई ठोस निर्णय सामने नही आ सका। अब फिर सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई 11 अगस्त से करने का फैसला किया है। अब देश दुनिया की नजरें फिर से हिन्दुस्तान की ओर होंगी। सुप्रीम कोर्ट के ट्रायल और फैसले से देश की राजनीति में इसका सीधा असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

घड़ी तय करती है आपका अच्छा और बुरा वक्त

घड़ियां ना ही सिर्फ हमें समय बताती हैं, बल्कि हमारे अच्छे-बुरे समय में भी योगदान देती हैं। घर या ऑफिस में दीवार पर टंगी घड़ी आपके वक्त के बारे में बहुत कुछ कहती है। इन्हें अगर सही दिशा में लगाया जाए तो यह अच्छा समय लेकर आती हैं, वहीं गलत दिशा में लगी घड़ी आपके लिए बुरा वक्त ला सकती है।
जानें क्या कहता है वास्तु घड़ियों के बारे में।
कहते हैं घड़ी कभी किसी को तोहफे में नहीं देनी चाहिए। इसे तोहफे में देकर आप उसे अपना अच्छा और बुरा समय दोनों दे रहे हैं। जब हम ये गिफ्ट में देते हैं तो वह समय बंध जाता है, और वही सामने वाले के पास पहुंचता है। दक्षिण मुख सभी काम करने अशुभ माना गया है। घड़ी को भी कभी दक्षिणी दीवार पर नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि दक्षिण यम की दिशा कही जाती है।
फेंगशुई में कहा गया है कि इस दिशा में घड़ी लगाने से राह में अड़चनें आती है। इससे नौकरी पर भी बुरा असर पड़ता है। दक्षिण दिशा से नकारात्मकता आती है इसलिए इस दिशा को छोड़कर बाकि किसी भी दिशा में घड़ी लगा लें।

उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठपर्व संपन्न

ऋषिकेश।
ऋषिनगरी के विभिन्न घाटों पर सोमवार तड़के 4 बजे हवन पूजन के साथ छठ माता एवं भगवान सूर्य की अर्चना की गई। प्रात: 6 बजकर 38 मिनट पर भगवान सूर्य को अध्र्य दिया गया। व्रती श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अध्र्य देकर नमस्कार किया। उन्होंने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना भी की। सुबह 10 बजे भगवान सूर्य एवं छठ माता की मूर्ति का गंगातट पर विसर्जन किया गया। चार दिवसीय छठपर्व संपन्न होने के बाद सार्वजनिक छठ पूजन समिति, त्रिवेणीघाट, नगर पालिका ऋषिकेश एवं गंगासभा ने गंगातट पर सफाई अभियान भी चलाया। श्रद्धालुओं के लौटने के बाद घाट पर बिखरी पूजन सामग्री को हटाया गया। सार्वजनिक छठ पूजन समिति अध्यक्ष रामकृपाल गौतम ने बताया कि छठपूजा महोत्सव में प्रशासन,जलसंस्थान,बिजली,गंगासभा का सहयोग रहा। 107
सफाई अभियान में पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, गंगासभा अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा, सचिव राहुल शर्मा, नागेन्द्र सिंह, दीनदयाल राजभर, जवाहरलाल, सतीश दूबे, राजू गुप्ता, प्रमोद शर्मा, परमेश्वर राजभर, धीरेन्द्र जोशी, श्रीचन्द्र शर्मा, आदेश शर्मा, राजपाल ठाकुर, मनीष कुमार, अरूण मनवाल, गिरीशचन्द्र, धीरज सिंह, जयप्रकाश नारायण, राजाराम भारद्वाज, आलोक तिवारी, गौरखनाथ राजभर, ऋषि जायसवाल, जितेन्द्र सिंह, दिलीप गुप्ता, प्रेमराजभर, सतीश राजभर, पातीलाल, रामअवतार सिंह, लालकुंज, वैभव शर्मा, लक्ष्मण सिंह, मनोज प्रसाद, जितेन्द्र गुप्ता, उमेश राजभर, अरविन्द डिमरी, सचिन रावत, चंदन श्रीवास्तव आदि शामिल हुये।