नजरियाः सौर ऊर्जा क्रांति से पलायन में लगेगी रोक, मिलेगा स्वरोजगार

गंगा- यमुना और बदरी – केदार की धरती में खामोशी के साथ सौर ऊर्जा क्रांति की नींव पड़ चुकी है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के जरिए सैकड़ों लोग अपने सोलर प्लांट सफलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं। उत्तराखण्ड में इस समय करीब 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा पैदा हो रही है, साथ ही 174 मेगावाट क्षमता के नए सोलर पावर प्लांट का भी आवंटन हो चुका है।

प्रदेश में पलायन रोकने के साथ ही स्वरोजगार के साधन विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार सीएम सौर स्वरोजगार योजना संचालित कर रही है। योजना के तहत एक परिवार का एक व्यक्ति 20, 25, 50, 100 या 200 किलोवॉट का एक सोलर प्लांट लगा सकता है। जिसकी पूरी उत्पादित बिजली यूपीसीएल खरीदता है। इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और उद्योग विभाग की एमएसएमई पॉलिसी के तहत मिलने वाली सभी छूट का लाभ प्रदान किया जा रहा है। सोलर प्लांट के लिए प्रदेश के स्थायी निवासी ही पात्र होते हैं, प्लांट की स्थापना अपनी निजी भूमि के साथ ही लीज की जमीन पर भी की जा सकती है। प्लांट लगाने के लिए सहकारी बैंक के साथ ही अन्य बैंकों के जरिए भी लोन प्रदान किया जा रहा है।

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’’उत्तराखण्ड को धूप का उपहार प्रकृति से मिला है, यहां सर्दियों में भी धूप खिली रहती है। इस कारण उत्तराखण्ड राज्य सौर ऊर्जा के लिए आदर्श है। इसीलिए सरकार सोलर प्रोजेक्ट का बढ़ावा दे रही है। इसके लिए उद्यमियों को तमाम तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सोलर प्रोजेक्ट से पलायन रोकथाम के साथ ही, गांवों की आर्थिकी बढ़ाने में कारगर साबित हुई है।’’

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
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सफलता की कहानी 01

उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ के पास टिपरी गांव निवासी आमोद पंवार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट, खेती- बागवानी के साथ ही मत्स्य और मधुमक्खी पालन का एक सफल स्वरोजगार मॉडल खड़ा किया है। आमोद बताते हैं कि पहले ग्रिड की बिजली सप्लाई होने से, गांव में बिजली आपूर्ति अनियमित होती थी, उनका गांव टिहरी झील के ठीक सामने है। ऐसे में टिहरी बांध का गांव वालों के लिए सांकेतिक महत्व ही था, लेकिन अब सोलर प्रोजेक्ट के चलते गांव की बिजली आपूर्ति भी सुधर गई है। आमोद पंवार के मुताबिक पहाड़ में सर्दियों के दिनों में भी अच्छी धूप रहती है, इस कारण सोलर प्रोजेक्ट पहाड़ के लिए आदर्श हैं, अन्य युवाओं को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए।

सफलता की कहानी 02

टिहरी जिले में देवप्रयाग विकासखंड के निवासी प्रताप सिंह रावत ने 2020 में खुद के नाम 400 किलोवाट का प्लांट लगाया, इसके बाद पत्नी के नाम 200 किलोवाट का प्लांट लिया। इन दोनों प्रोजेक्ट का सफलतापूर्वक रन करने के बाद वो इसी साल सीएम सौर स्वरोजगार योजना के तहत बेटे के नाम भी 200 किलोवाट की एक और अन्य परियोजना शुरु कर चुके हैं। इस तरह उनके परिवार में कुल तीन लोग हैं और तीनों के पास अपना अपना सोलर प्रोजेक्ट है। रावत कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट की लाइफ करीब 25 साल है, इस तरह सरकार ने उन्हें घर बैठे 25 साल का रोजगार दे दिया है। उन्होंने देहरादून से वापसी अपने गांव की ओर रिवर्स पलायन कर लिया है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग दे रहा है युवाओं को पैराग्लाइडिंग का निशुल्क प्रशिक्षण

देहरादून। उत्तराखण्ड का पर्यटन अब तक मुख्य तौर पर धार्मिक और सामान्य पर्यटन तक सीमित था, लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार इसमें साहसिक पर्यटन के जरिए नए आयाम जोड़ रही है। मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप इसके लिए पर्यटन विभाग 700 से अधिक युवाओं को पैराग्लाइडिंग का निशुल्क कोर्स करवा रहा है।

उत्तराखण्ड में नैनीताल जिले के भीमताल और देहरादून में मालदेवता जैसे कुछ स्थानों पर पैराग्लाइडिंग पर्यटन बढ़ रहा है। नई संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग ना सिर्फ इसके लिए नए स्पॉट तलाश रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहा है। इस तरह साहसिक पयर्टन में अपने कौशल के जरिए युवा ना सिर्फ अपना रोजगार , स्वरोजगार कमा सकेंगे, बल्कि उत्तराखण्ड में पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकेंगे।

इसी क्रम में सरकार की ओर से टिहरी में कुल 15 बैच में युवाओं को बेसिक से लेकर गाइडेड पैराग्लाइडिंग के पांच अलग-अलग कोर्स कराए जा रहे हैं। पर्यटन विभाग इसमें प्रशिक्षण, रहने, खाने की सुविधा निशुल्क दे रहा है। विभाग ने प्रथम चरण में 741 युवाओं को प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 124 महिलाएं शामिल हैं।

उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए युवाओं को पैराग्लाइडिंग, वाइट वाटर राफ्टिंग, माउंटेनियरिंग जैसे साहसिक खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि अगले कुछ सालों में उत्तराखंड के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रशिक्षित मानव संसाधन हो, ताकि उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन ना सिर्फ फूले फले बले, बल्कि यह सुरक्षित भी हो।
पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

सफलता की कहानी

01 – उत्तरकाशी जिले में सांकरी के पास सौड़ गांव निवासी संगीता रावत भी चुनिंदा महिला प्रशिक्षणार्थियों में शामिल हैं। संगीता अपने क्षेत्र में एक एडवेंचर टूरिज्म कंपनी चलाती हैं, अब वो पैराग्लाइडिंग के जरिए अपने काम को नई ऊंचाई देना चाहती हैं। संगीता अपनी बैच की अकेली महिला ट्रेनी हैं। अब तक वो सोलो फ्लाई सीख चुकी हैं। अब एडवांस कोर्स के बाद उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, संगीता इसे शानदार अनुभव करार देती हुई कहती हैं कि इससे उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को नई ऊंचाई मिलेगी।

02 – नैनीताल जिले में भीमताल निवासी भरत जोशी, डिप्लोमा करने के बाद दिल्ली में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। भरत जोशी बताते हैं कि वो वापस अपना घर लौटना चाहते हैं, इसलिए जैसे ही सरकार की तरफ से निशुल्क पैराग्लाइडिंग कोर्स की जानकारी मिली तो उन्होंने, अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया। जोशी बताते हैं कि उनके क्षेत्र में पहले से ही कई लोग इस पेशे में काम कर रहे हैं, प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वो भी वापस भीमताल लौट आएंगे, वो अब तक टिहरी झील के ऊपर कई प्रशिक्षण उड़ानें भर चुके हैं।

03 – सीमांत जिला चमोली के कुनौल गांव निवासी दिनेश सिंह अभी संविदा की नौकरी कर रहे हैं। दिनेश सिंह अब पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित पैराग्लाइडिंग कोर्स का प्रशिक्षण ले रहे हें। दिनेश सिंह मई जून और सितंबर में दो अलग कोर्स पूरा कर चुके हैं, फरवरी तक वो प्रशिक्षण पूरा कर लाइसेंस लेकर व्यावसायिक उड़ान के लिए तैयार हो जाएंगी। दिनेश के साथ उनके गांव के तीन अन्य युवा भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। दिनेश बताते हैं कि सरकार रहने खाने से लेकर प्रशिक्षण तक निशुल्क दे रही है। दिनेश सिंह इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सरकार युवाओं को दे रही है स्किल प्रशिक्षण

कोटद्वार निवासी प्रशांत रावत, जीएनएम का कोर्स करने के बाद वर्तमान में देहरादून के निजी अस्पताल में नौकरी कर रहे हैं। प्रशांत अब जर्मन भाषा में बी- 2 का प्रशिक्षण पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं, इसके बाद वो जर्मनी में ढाई से साढ़े तीन लाख रुपए मासिक वेतन वाली नौकरी शुरू कर सकेंगे, जिसका ऑफर लेटर उन्हें पहले ही मिल चुका है। उत्तराखण्ड सरकार की ओर से चलाई जा रही ’मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना’ ने प्रशांत के इन सपनों को रंग भरने का काम किया है। इसके लिए चयनित सभी युवाओं ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन से सेवायोजन विभाग की ओर से चलाई जा रही ’मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना’, राज्य के युवाओं को विदेश में रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। योजना के तहत जर्मनी में नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक 15 युवाओं को देहरादून में जर्मन भाषा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उक्त सभी युवा बीएससी नर्सिंग, जीएनएम जैसे कोर्स करने के बाद वर्तमान में देहरादून में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। अब वो विदेशी भाषा का प्रशिक्षण हासिल करने के बाद, जर्मनी में रोजगार हासिल कर, उत्तराखण्ड ही नहीं देश का भी नाम रोशन करने जा रहे हैं। उत्तराखण्ड सरकार के प्रयासों से इन युवाओं का चयन पहले ही जर्मनी के विभिन्न अस्पतालों में ढाई से साढ़े तीन लाख रुपए प्रति माह के वेतन पर हो चुका है, बस उन्हें इसके लिए जर्मन भाषा में बी – 2 परीक्षा पास करनी है।

सरकार का भरोसा और आधे से कम खर्च

योजना के तहत प्रशिक्षण ले रही देहरादून त्यागी रोड निवासी अवंतिका बताती हैं कि यदि वो बाहर से जर्मन भाषा का प्रशिक्षण लेती तो, इसमें चार लाख रुपए तक का खर्च आता। लेकिन उत्तराखंड सरकार के अधीन आधे से कम खर्च में प्रशिक्षण मिल रहा है। उस पर सरकार के जरिए चयन होने से किसी तरह की ठगी की भी संभावना नहीं है। वो इसके लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त कर रही हैं।

मिलेगा दो साल का वर्क वीजा

देहरादून रानीपोखरी निवासी आस्था शर्मा भी चयनित युवाओं में शामिल है। आस्था बताती हैं कि करीब एक साल के प्रशिक्षण पर औसत डेढ़ लाख का व्यय आ रहा है। इसमें 20 प्रतिशत व्यय उत्तराखण्ड सरकार उठा रही है, इसमें वीजा खर्च भी शामिल है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत उन्हें जर्मनी मे दो साल का वर्क वीजा भी मिलेगा। टिहरी निवासी काव्य चौहान के मुताबिक उन्होंने सरकारी नौकरी के उद्देश्य से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन योजना की जानकारी के बाद उन्होंने जर्मनी में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया, जहां नौकरी के लिए उन्हें ऑफर लेटर भी मिल चुका है। देहरादून निवासी प्रवीण लिंगवाल के मुताबिक इस योजना के कारण ही उनका विदेश में रोजगार का सपना पूरा हो रहा है।

उत्तराखण्ड के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है, हमारे युवा मेहनत और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। इसलिए हमारी कोशिश है कि युवा शक्ति को कौशल प्रदान कर वैश्विक रोजगार के लिए तैयार किया जाए, उक्त युवा विदेश में उत्तराखण्ड ही नहीं वरन देश का भी नाम रोशन करेंगे, सभी प्रशिक्षणरत युवाओं को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकानाएं।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

सीएम धामी का संकल्प ले रहा आकार, 15-29 के आयु वर्ग में बेरोजगारी में आई 4.4 फीसदी की कमी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संकल्प आकार ले रहा है। रोजगार देने में भी उत्तराखंड कीर्तिमान बना रहा है। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) रिपोर्ट में भी उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पछाड़ दिया है। उत्तराखंड में बीते एक वर्ष में रोजगार के अवसर बढ़ने से बेरोजगारी घटी है। सभी आयु वर्गाे पर नजर डालें तो इसकी दर 4.5 फीसदी से घटकर 4.3 प्रतिशत पर आ गई है। जबकि 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में 14.2 से घटकर 9.8 प्रतिशत पर आ गई है।

राज्य में वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में सभी आयु वर्गों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 27.5 प्रतिशत से बढ़कर 44.2 प्रतिशत हो गया है। युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिले हैं।

इसी प्रकार 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में श्रमिक जनसंख्या अनुपात अनुपात 57.2 प्रतिशत से बढ़कर 61.2 प्रतिशत पहुंच गया है। जबकि 15 साल और उससे ऊपर की श्रेणी के लिए यह 53.5 प्रतिशत से बढ़कर 58.1 फीसदी हो गया है।

श्रम बल में युवाओं की भागीदारी बढ़ी
श्रम बल में भी वर्ष 2022-23 के मुकाबले में वर्ष 2023-24 में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में श्रम बल भागीदारी दर 43.7 से बढ़कर 49 प्रतिशत पहुंच गई है। इसी प्रकार 15-59 के आयु वर्ग में 60.1 प्रतिशत से बढकर 64.4 प्रतिशत और 15 वर्ष और उससे अधिक की श्रेणी में 56 प्रतिशत से बढ़कर 60.7 प्रतिशत पहुंच गई है।

राष्ट्रीय औसत को भी पछाड़ा
श्रमिक जनसंख्या औसत में उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड में 15-29 के आयु वर्ग में यह औसत 49 प्रतिशत रहा है वहीं राष्ट्रीय औसत 46.5 प्रतिशत है। इसी प्रकार 15-59 के आयु वर्ग में उत्तराखंड का 64.4 तो राष्ट्रीय औसत 64.3 और 15 वर्ष और उससे अधिक वर्ष की श्रेणी में उत्तराखंड का 60.7 तो राष्ट्रीय औसत 60.1 रहा है।
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उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों के साथ खड़ा करना हमारा संकल्प है। देवतुल्य जनता के आशीर्वाद से हम इस संकल्प को पूरा करने लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। हम रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित कर रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में ही 16 हजार से अधिक युवाओं को हमने नियुक्ति दी है। निजी क्षेत्र में भी यह सिलसिला शुरू हो चुका है। आने वाले वर्षों में निवेश के अधिकांश करारों के धरातल पर उतरने से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड युवाओं को सिर्फ रोजगार ही नहीं देगा, बल्कि उन्हें दूसरों को भी रोजगार देने वाला बनाएगा।

-पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

सीएम धामी ने कनिष्ठ अभियंताओं को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में वर्चुअल किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वर्चुअल उपस्थिति में उत्तराखण्ड सम्मिलित राज्य कनिष्ठ अभियन्ता सेवा परीक्षा, 2023 के अन्तर्गत विभिन्न विभागों में चयनित 1094 कनिष्ठ अभियन्ताओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। नींबूवाला, गढ़ी कैण्ट स्थित संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डा प्रेमचन्द अग्रवाल, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल एवं विधायक सविता कपूर उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कनिष्ठ अभियन्ता पद के लिए चयनित हुए अभ्यर्थियों से वर्चुअल संवाद भी किया। योगेश कड़ाकोटी ने कहा कि राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता आयी है। यह भर्ती प्रक्रिया काफी कम समय में पूर्ण हुई है। उन्होंने विभिन्न भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को संदेश दिया कि कड़ी मेहनत और खुद पर विश्वास रखें। राज्य सरकार द्वारा जिस तेजी से भर्ती प्रक्रियाएं पूर्ण की जा रही हैं, इससे युवाओं में नई आशा जगी है। संदीप उनियाल ने कहा कि उन्होंने 2014 में डिप्लोमा किया था और वे 2019 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद और भर्ती परीक्षाओं में तेजी आने से युवाओं का सरकारी नौकरियों के प्रति रूझान और बढ़ा है। रूड़की की महजबी ने कहा कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया एक साल से कम समय में पूरी हुई, अभी जिस तेजी से राज्य में भर्तियां आ रही हैं, सभी लोग तैयारी करने के लिए उत्साहित हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चयनित सभी कनिष्ठ अभियन्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि आज आपके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। अपने माता-पिता गुरूओं और ईश्वर की कृपा से सभी को देवभूमि उत्तराखण्ड में सेवा करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज जिन 1094 अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिली है, इनसे विभागों को और मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री ने चयनित अभ्यर्थियों से कहा कि ज्ञान, विज्ञान और तकनीक का जिस तेजी से विस्तार हो रहा है, उस हिसाब से नियमित अपडेट रहें। उन्होंने कहा कि सभी पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें, इसके लिए कार्यक्षेत्र में नियमित दिनचर्या बनाना जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पिछले तीन सालों में राज्य में सरकारी विभागों में 17 हजार से अधिक नौकरियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि 04 जुलाई 2021 को शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट में हमने निर्णय लिया कि राज्य के सभी रिक्त पदों पर भर्ती की जायेगी। अभी अनेक भर्ती परीक्षाएं गतिमान हैं। राज्य में भर्ती परीक्षाओं के अधियाचन से नियुक्ति पत्र प्रदान करने तक की पूरी समयावधि को कम किया गया है। पूरे साल के लिए भर्ती परीक्षाओं के लिए कलेण्डर बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने राज्य में नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद से सभी भर्ती परीक्षाएं पारदर्शिता के साथ सम्पन्न हुई है। आज योग्य युवा हर भर्ती परीक्षा में सफल हो रहे हैं। नकल विरोधी कानून में सख्त सजा के प्राविधान किये गये हैं। इसमें उम्रकैद और सारी सम्पति जब्त करने तक का प्राविधान किया गया है। राज्य में नकल को जड़ से समाप्त करने के लिए नकल माफियाओं पर सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश नया वर्क कल्चर शुरू हुआ है। उत्तराखण्ड में भी राज्य सरकार द्वारा नया वर्क कल्चर लाने की दिशा में लगातार कार्य किये जा रहे हैं। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों के इंडिकेटर में राज्य को देश में प्रथम स्थान मिला है। उत्तराखण्ड देश में सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य में 1094 नये कनिष्ठ अभियंताओं की नियुक्ति होने से कार्यों में और तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि सेवा के दौरान अनेक लोगों से मिलने का मौका मिलेगा, उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी चयनित अभ्यर्थी बड़ी सकुशलता से जन समस्याओं का समाधान करेंगे और उत्तराखण्ड को विकसित राज्य बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

कैबिनेट मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि नये कनिष्ठ अभियंताओं के आने से प्रदेश के विकास और आवश्यकता के लिए एक कड़ी और जुड़ गई है। उन्होंने कहा कि शहरी विकास और आवास विभाग में कनिष्ठ अभियंताओं की बड़ी कमी थी। नये कनिष्ठ अभियंताओं के आने से कार्यों में तेजी आयेगी। अब विकास कार्यों को गति मिलेगी।

आज जिन 1094 कनिष्ठ अभियन्ताओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये उनमें लोक निर्माण विभाग में 252, ग्रामीण निर्माण विभाग में 201, सिंचाई विभाग में 137, लघु सिंचाई विभाग में 46, पंचायती राज विभाग में 41, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जलसंस्थान में 91, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, पेयजल निगम में 50, आवास विभाग में 134, शहरी विकास विभाग में 32, पॉवर ट्रांसमिशन कॉर्पाेरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड में 5, उत्तराखंड जल विद्युत लिमिटेड में 49, कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग में 37, उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) में 10, ऊर्जा विकास में 9 पद शामिल है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा, एस.एन.पाण्डेय, डॉ. आर.राजेश कुमार, अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान, रंजना राजगुरू, अतर सिंह, विनीत कुमार, निदेशक शहरी विकास नितिन भदौरिया एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जारी किया 197 सीएचओ का परीक्षाफल

स्वास्थ्य विभाग को और 197 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) मिल गये हैं। एच0एन0बी0 उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी ने द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी है। इन सभी चयनित सीएचओ की शीघ्र ही प्रदेशभर के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनाती दी जायेगी।

स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तारीकरण के दृष्टिगत राज्य सरकार ने प्रदेशभर के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में शत-प्रतिशत सीएचओ की तैनाती करने का लक्ष्य रखा है। जिसके क्रम में स्वास्थ्य विभाग को 197 और सीएचओ मिल गये हैं। स्वास्थ्य विभाग की मांग पर एच0एन0बी0 उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी ने सीएचओ के 238 पदों के लिये द्वितीय चरण काउंसलिंग आयोजित कर 197 अभ्यर्थियों की अंतिम चयन सूची जारी कर दी है। जिनको शीघ्र ही जनपदवार रिक्त पदो ंके सापेक्ष तैनाती दी जायेगी। चयनित अभ्यर्थियों में से अल्मोड़ा जनपद में 16, बागेश्वर 17, चमोली 16, चम्पवात 5, देहरादून 40, हरिद्वारा 22, नैनीताल 14, पौड़ी गढ़वाल 31, पिथौरागढ़ 12, रूद्रप्रयाग 2, टिहरी 1, ऊधमसिंह नगर 15 तथा उत्तरकाशी हेतु 6 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। विभाग द्वारा गत वर्ष 1683 पदों के सापेक्ष 1515 सीएचओ की तैनाती की गई थी, जिसमें से कुछ अभ्यर्थियों का चयन नर्सिंग अधिकारी के पद पर हो जाने से सीएचओ के पद रिक्त हो गये थे। ऐसे में विभाग ने विश्वविद्यालय को सीएचओ के रिक्त पदो ंके भरने के लिये द्वितीय चरण की काउंसलिंग करने की जिम्मेदारी सौपी थी। स्वास्थ्य विभाग को नये सीएचओ मिलने से आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

विभाग को 197 और सीएचओ मिलने से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर होगी। सरकार का लक्ष्य सभी 1683 पदों के सापेक्ष सीएचओ की तैनाती कर आम लोगों को स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना है। सभी चयनित सीएचओ को बधाई, उम्मीद है सभी अपने कार्य एवं दायित्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करेंगे।

– डॉ. धन सिंह रावत
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री
उत्तराखंड सरकार।

16 हजार से ज्यादा युवाओं को धामी सरकार में अब तक मिला रोजगार, अब 4400 पदों को भरने की तैयारी

उत्तराखंड में सरकारी नौकरी की राह देख रहे युवाओं के लिए खुशखबरी है। सरकार 11 विभागों में रिक्त समूह ग के 4405 पदों पर इसी माह भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ने 15 सितंबर से आवेदन से लेकर परीक्षा और परिणाम का शेड्यूल जारी करने का निर्णय लिया है। इधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार अब तक 16 हजार से ज्यादा नौकरी देने का भी रिकॉर्ड बना चुकी है।

राज्य में बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने में पुष्कर सिंह धामी सरकार सबसे धाकड़ साबित हो रही है। सरकार ने महज तीन साल के भीतर 16 हजार युवाओं को विभिन्न विभागों में नौकरी देने का रिकॉर्ड बनाया है। यह आंकड़ा राज्य बनने के 23 साल में किसी सरकार में युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरी मिलने में बड़ा है। नौकरी में पारदर्शिता रहे, इसके लिए खुद मुख्यमंत्री ने युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। अभी भी सरकार यूकेएसएसएससी, यूकेपीएससी, चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड आदि के मार्फत नौकरी दिलाने की प्रक्रिया में जुटी है। इसमें पुलिस दरोगा समेत शिक्षकों के सैकड़ों पदों पर वर्तमान में भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। इसी क्रम में धामी सरकार ने राज्य के करीब 11 विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती करने का सिलसिला जारी रखने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूकेएसएसएससी के द्वारा स्वीकृत अधियाचन वाले पदों पर पारदर्शिता और समय सीमा के भीतर भर्ती करने के निर्देश दिए हैं। आयोग के अध्यक्ष जी एस मर्ताेलिया ने बताया कि 11 विभागों से करीब 4405 रिक्त पदों पर भर्ती के अधियाचन स्वीकृत हुए हैं। आयोग ने इन रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती की तैयारी पूरी कर ली है। इस माह के 15 सितंबर से आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगा। साथ ही परीक्षा तिथि से लेकर परिणाम का शेड्यूल भी जारी कर दिया जाएगा। आयोग के अध्यक्ष मर्ताेलिया ने कहा कि आयोग द्वारा संपादित की जा चुकी भर्ती तय शेड्यूल से रिकॉर्ड समय में संपन्न हुई हैं। आयोग का प्रयास रहता कि परीक्षा से लेकर परिणाम समय पर जारी हो। आगे भी पारदर्शिता और समय सीमा पर रिक्त पदों की भर्ती कराई जाएगी।

युवाओं को इन पदों पर मिलेगी नौकरी

आयोग के अनुसार 15 सितंबर से पुलिस आरक्षी के 2000, वन आरक्षी के 700, इंटर स्तरीय सींचपाल, कनिष्ठ सहायक, राजस्व सहायक, मेट, कार्य पर्यवेक्षक के 1200, वैयक्तिक सहायक के 280, वैज्ञानिक सहायक के 50, स्नातक स्तरीय 50, सहायक विकास अधिकारी के 40, वाहन चालक 25, लाइब्रेरियन के 10, प्राइमरी शिक्षक एसटी के 15, आईटीआई विभिन्न ट्रेड के 35 पदों पर भर्ती होनी है।

‘‘राज्य गठन के 23 सालों के भीतर युवाओं को समय पर रिकॉर्ड नौकरी मिली हैं। करीब 16 हजार युवाओं को अब तक नौकरी मिल चुकी हैं। खुद मेरे द्वारा युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है। हमारी सरकार द्वारा राज्य में देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून बनाने के बाद प्रतिभावान युवाओं को चार-चार नौकरी मिल रहीं हैं। पहले नकल माफियाओं द्वारा नौकरी का सौदा कर दिए जाने से एक ही परिवार के सदस्यों को चार-चार नौकरी मिलती थी। हमने संकल्प लिया कि उत्तराखंड के हितों और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।’’

– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।

पीसीएस परीक्षा में सफल युवाओं ने जताया सीएम धामी का आभार

देहरादून। सख्त नकल विरोधी कानून राज्य के प्रतिभावान युवाओं की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा उतरा है। हाल ही में जारी पीसीएस परीक्षा परिणाम में सफलता के झंडे गाड़ने वाले होनहारों ने देश में सबसे पहले इस कानून को लाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद प्रकट किया है। सफल अभ्यर्थियों ने कहा कि सख्त नकलरोधी कानून लागू होने से प्रतियोगी परीक्षाओं में न केवल पारदर्शिता आई है बल्कि इस गारंटी को भी पक्का किया है कि इन परीक्षाओं में केवल पात्र और योग्य अभ्यर्थी ही चुनकर आएंगे। अब प्रतिभावान युवाओं को सरकारी सेवा के बेहतर और मनचाहे मौके मिल रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का सख्त नकलरोधी कानून देश के अनेक राज्यों के लिए ही नजीर नहीं बना है, बल्कि इसके कई प्रावधानों को केंद्र सरकार ने भी अंगीकार किया है। प्रदेश में नकल माफिया प्रतिभावान युवाओं के भविष्य के लिए वर्षों से ग्रहण बना हुआ था। आज नकल माफिया का नेटवर्क ध्वस्त होने से प्रतियोगी परीक्षाएं पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न हो रही हैं। होनहार अभ्यर्थी एक नहीं तीन से चार परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं।

हाल ही में जारी पीसीएस परीक्षा परिणाम के माध्यम से 10 डिप्टी कलेक्टर और 10 पुलिस उपाधीक्षक समेत विभिन्न विभागों में कुल 289 अधिकारी प्रदेश को मिले हैं। इनमें 32 उप शिक्षा अधिकारी,
28 खंड विकास अधिकारी, 28 राज्य कर अधिकारी, 20 उद्यान विकास अधिकारी, 19 बाल विकास परियोजना अधिकारी, 18 वित्त अधिकारी, 17 सहायक निदेशक उद्योग, 16 सहायक आयुक्त राज्य कर, 11 जिला सूचना अधिकारी एवं 11 एआरटीओ मुख्य रूप से शामिल हैं। इससे पूर्व यूकेएसएसएससी परीक्षाओं में तमाम परीक्षार्थियों ने एक से अधिक परीक्षाओं में सफलता पाई है।

तीन साल में 16 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी

राज्य सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने का अभियान जोरों पर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने तीन साल के कार्यकाल में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 16 हजार से अधिक पदों पर भर्ती का रिकॉर्ड बनाया है। यही नहीं नियुक्ति समय पर देने का कीर्तिमान भी धामी सरकार के नाम है। रोजगार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता में रहा है। निजी क्षेत्र में अधिकाधिक रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ ही सरकारी पदों को भरने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।

80 से अधिक आरोपी सलाखों के पीछे

राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर धामी सरकार ने नकल माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त किया है। कानून के तहत 80 से अधिक आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इसमें बड़े से बड़े अधिकारी और राजनीतिक पहुंच वालों को भी बख्शा नहीं गया है।

कड़ी से कड़ी सजा का है प्रावधान

बता दें कि इस कानून के तहत नकल माफिया को उम्र कैद या फिर 10 साल कैद की सजा का प्रावधान है। प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने वाले नकल माफिया के खिलाफ 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। एक्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई छात्र भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करते हुए पकड़ा जाता है या फिर नकल के जरिए परीक्षा पास करता है तो उस पर 10 साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

पीसीएस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के कोट—-

मैं वर्तमान में अल्मोड़ा में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हूं।मेरा वित्त अधिकारी के पद पर चयन हुआ है। मैं मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगी, जिनकी पहल पर नकल विरोधी कानून लाया गया। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ी है। अभ्यर्थियों में चयन प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ने के साथ ही आगे परिश्रम करने के लिए उनके मनोबल में वृद्धि हुई है।
-आयुषी जोशी, अल्मोड़ा

मेरा चयन डीएसपी के पद पर हुआ है। मैं बीटेक की छात्रा रही हूं। मैं मुख्यमंत्री जी और उनकी पूरी टीम का धन्यवाद करना चाहूंगी, जो सख्त नकल विरोधी कानून लेकर आए। इस कानून के लागू होने से प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता आई है। परीक्षा की तैयारी में जुटे सभी अभ्यर्थियों को निश्चिंत होकर मेहनत के साथ पढ़ाई में जुट जाना चाहिए।
-दीप्ति कैड़ा, देहरादून

मैं वर्तमान में जिला अल्मोड़ा में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हूं। पीसीएस परीक्षा में मेरा चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है। मैं कहना चाहूंगा कि विगत कुछ समय से जो प्रतियोगी परीक्षाएं हो रही हैं, वह त्वरित और निष्पक्ष रूप से हो रही हैं। और इसमें सबसे अहम रहा है सख्त नकल विरोधी कानून। इस कानून को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार का हृदय से आभार और अभिनन्दन। इस कानून से परीक्षाओं में न केवल पारदर्शिता आई है बल्कि परीक्षा की सुचिता और सरकार की कल्याणकारी मंशा के प्रति अभ्यर्थियों का विश्वास भी मजबूत हुआ है। यही नहीं इस कानून ने इस गारंटी को भी पक्का किया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में केवल पात्र और योग्य अभ्यर्थियों का ही चयन हो, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो या गरीब व अमीर वर्ग का हो।
-अलकेश नौडियाल, अल्मोड़ा

बड़ी संख्या में पहले से नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों ने पास की पीसीएस परीक्षा

देहरादून। राज्य में सख्त नकलरोधी कानून और सरकार की पारदर्शी परीक्षा प्रक्रिया प्रतिभावान अभ्यर्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। धामी सरकार के महज तीन साल के कार्यकाल के भीतर जहां समूह ग में 40 फीसद युवाओं ने सरकारी नौकरी की दो से चार परीक्षाएं पास की हैं, वहीं पीसीएस परीक्षा परिणाम के बाद भी पहले से नौकरी कर रहे युवाओं ने परीक्षा पास कर टॉप पदों पर नौकरी पाई है। इनमें अकेले 17 नायब तहसीलदार हैं, जिन्होंने पीसीएस परीक्षा पास की है। ऐसे में यहां अतिश्योक्ति नहीं होगी कि धामी सरकार में प्रतिभावान युवाओं को प्रतिभा से नौकरी पर नौकरी मिल रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के सख्त नकलरोधी कानून और पारदर्शी परीक्षा नीति के परिणाम दिखने लगे हैं। समूह ग में न केवल समय पर परीक्षा और परिणाम बल्कि नियुक्ति पत्र मिलने के राज्य में रिकॉर्ड बन गए हैं। वहीं, पारदर्शी परीक्षा से 30 से 40 फीसद प्रतिभावान युवाओं ने एक नहीं बल्कि दो से चार नौकरी की परीक्षा पास की हैं। अकेले यूकेपीएससी की परीक्षाओं में 448 युवाओं ने दो से ज्यादा नौकरी की परीक्षा पास की हैं। जबकि यूकेएसएसएससी में यह संख्या कई गुना ज्यादा है। खासकर पटवारी, क्लर्क, फॉरेस्ट गार्ड, रेंजर से लेकर विभिन्न विभागों में नौकरी पाने में युवाओं ने मेधा का परिचय दिया है। अब पीसीएस परीक्षा का परिणाम जारी हुआ तो यहां भी पहले से नायब तहसीलदार, समीक्षा अधिकारी, आबकारी निरीक्षक, ईओ, शिक्षक जैसे पदों पर कार्यरत अभ्यर्थियों ने एसडीएम, डीएसपी, वित्त अधिकारी आदि टॉप पदों पर परीक्षा पास की है। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का सख्त नकलरोधी कानून युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे पहले राज्य में नकल करके और सिफारिश से एक ही परिवार को चार चार नौकरी मिलती थी। लेकिन अब कठोर नकलरोधी कानून से एक अभ्यर्थी चार से पांच नौकरी की परीक्षा पास कर प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है।

17 नायब तहसीलदारों ने पास की पीसीएस परीक्षा

राज्य में गत दिवस जारी पीसीएस में प्रतिभावान अभ्यर्थियों ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। जोशीमठ में नायब तहसीलदार आशीष जोशी ने महज दो साल के भीतर चौथी नौकरी एसडीएम जैसे पद पर टॉप कर अपनी मेधा का प्रदर्शन किया है। इसी तरह आबकारी निरीक्षक पंकज भट्ट, अधिशासी अधिकारी वैभव कांडपाल, समीक्षा अधिकारी मुकेश जोशी, बिजनौर में प्रशिक्षु एसडीएम आकांक्षा गुप्ता, अक्षिता भट्ट, नायब तहसीलदार रोबिन राणा, अलकेश नौडियाल आदि ने एसडीएम समेत टॉप पदों पर नौकरी पाई है इनमें अकेले 17 अभ्यर्थी जो पहले से ही नायब तहसीलदार हैं, जिन्होंने पीसीएस परीक्षा पास की हैं। जबकि प्रतिभावान सोनिया सिंह, सौम्य गबर्याल, अनिल रावत जैसे युवाओं की लम्बी फेहरिस्त है, जिन्होंने पहले ही प्रयास में पीसीएस की टॉप नौकरी प्राप्त की है।

राज्य में नकल माफियाओं की तोड़ी कमर

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभालते ही सबसे पहले नकल माफिया की कमर तोड़ी है। मुख्यमंत्री धामी ने वर्षों से दीमक की तरह मेहनती और काबिलियत रखने वाले युवाओं की नौकरी पर डाका डालने वाले नकल माफियाओं का नेस्तनाबूद किया। करीब 60 से ज्यादा नकल माफियाओं को सलाखों के भीतर डाला। राज्य में देश का सबसे कठोर नकलरोधी कानून लाते हुए युवाओं के हितों की रक्षा पर फैसला लिया। नतीजन, परिणाम भी सबके सामने आने लगे। जो परीक्षाओं में पहले सिफारिश और नकल माफियाओं से एक एक परिवार को चार नौकरी मिलती थी, अब उन नौकरियों में मेहनती और काबलियत वाले युवाओं को सफलता मिल रही है।

युवाओं को प्रतिभा के बूते मिल रही मनपसंद नौकरी

सरकार के निर्णय का परिणाम है कि युवाओं को समय पर न केवल नौकरी मिली बल्कि एक साथ दो से ज्यादा परीक्षाएं पास करने से मनपसंद नौकरी का विकल्प भी मिला। युवाओं को नौकरी मिलने की यह रफ्तार अभी भी जारी है। बहरहाल उत्तराखंड में धामी सरकार के तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां नौकरी पाने वाले युवाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पीसीएस, लोअर पीसीएस समेत अन्य पदों पर बड़ी संख्या में युवाओं ने दो से ज्यादा नौकरी की परीक्षा पास की है। आयोग में इस तरह के मामले पहली बार देखे जा रहे हैं। खासकर दो से ज्यादा परीक्षा पास करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पारदर्शी परीक्षा प्रकिया और सख्त नकलरोधी कानून का परिणाम है कि युवाओं को प्रतिभा के अनुरूप नौकरी मिल रही है।

जीएस रावत, सचिव, यूकेपीएससी, उत्तराखंड

सीएम के हाथों नियुक्ति पत्र पाकर उत्साहित हुए असिस्टेंट प्रोफेसर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत लोक सेवा आयोग, उत्तराखण्ड से चयनित 72 असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी विषय में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर को आज नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य के मेधावी छात्रों के लिए नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ) इंस्टीट्यूट में 50 हजार रुपये की धनराशि प्रदान किये जाने के लिए पोर्टल का शुभारंभ भी किया।

मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी अस्टिंट प्रोफेसर को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षार्थियों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आपके पास हमारे युवाओं का भविष्य निर्माण करने की अहम जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इन नव चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर का यह पहला पड़ाव है। अब आपके पास अपने कार्यक्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन से बच्चों के भविष्य को संवारने की महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी इस चुनौती को साकार रूप देकर राज्य सरकार के विकल्प रहित संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान देंगे। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि नव चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर अपने कार्य स्थल पर नवाचार का प्रयोग करेंगे। समाज की कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएंगे, शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का प्रयोग और रोजगारपरक शिक्षा के साथ बच्चों को अच्छे संस्कार भी देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबा केदार की भूमि से कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। राज्य सराकर इस दिशा में आगे बढ़ रही है। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तैयारी अंतिम चरण में। पिछले तीन सालों में जनहित में अनेक निर्णय लिये गये हैं। पिछले तीन सालों में 16 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति प्रदान की गई है। शेष रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून और दंगा रोधी कानून लागू किया गया है। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों में उत्तराखण्ड को देश में प्रथम स्थान मिला है। यह राज्य के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा पिछले तीन सालों में लिए गये अनेक फैसलों को मॉडल के रूप में पहचान मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा मानवीय संसाधनों को तराशने का आधार है। युवा कर्णधारों को सही दिशा देने में उच्च शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षार्थियों को अच्छी शिक्षा के साथ समाज और देश के प्रति जिम्मेदार बनाने में भी शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को उद्यमिता और स्टार्टअप के प्रति भी प्रोत्साहित किया जाए। राज्य सरकार द्वारा उद्यमिता और स्टार्टअप को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को इस तरह तैयार करना है कि वे सिर्फ रोजगार पाने वाले ही न बनें, बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने वाले बनें। इसके लिए राज्य में देवभूमि उद्यमिता योजना भी शुरू की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को राज्य में लागू किया गया है। शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्तापूर्वक और प्रभावी बनाने की दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण, तकनीक के विस्तार के सभी क्षेत्रों में कार्य किये जा रहे हैं। 20 मॉडल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है। मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जा रही है। शोध को बढ़ावा देने के लिए शोद्यार्थियों को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। गौरव योजना के तहत राज्य के उच्च शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों को बैंकिंग एवं वित्तीय त्रिस्तरीय प्रशिक्षण तथा 05 हजार छात्रों के प्लेसमेंट का भी लक्ष्य रखा गया है।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक उमेश शर्मा काऊ, खजान दास, सविता कपूर, उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति प्रो. देवेन्द्र भसीन, सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, अपर सचिव आशीष श्रीवास्तव एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।