नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा पहुंचकर सीएम धामी ने मत्था टेका

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज अपने एक दिवसीय जनपद भ्रमण के दौरान उधमसिंह नगर के पावन नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा पहुंचकर मत्था टेका और प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि के लिए कामना की। उन्होंने गुरुद्वारे में दर्शन कर शांत वातावरण में कुछ समय व्यतीत किया एवं सिख परंपराओं और संतों की शिक्षाओं को नमन किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गुरुद्वारे में उपस्थित छोटे बच्चों से आत्मीय संवाद किया, उन्हें स्नेहपूर्वक आशीर्वाद दिया और शिक्षा व सेवा की भावना को जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी। बच्चों के चेहरों पर मुख्यमंत्री से मिलने का विशेष उत्साह और उमंग देखने को मिला।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नानकमत्ता साहिब केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक केंद्र है जो सेवा, करुणा और समानता जैसे मूल्यों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन का अद्वितीय केंद्र बनता जा रहा है, और राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने क्षेत्र की जनता को हरेला पर्व की शुभकामनाएं भी दीं और प्रदेश को हरित, स्वच्छ एवं विकसित उत्तराखंड बनाने के संकल्प को दोहराया।

मुख्यमंत्री के साथ प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों तथा गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के पदाधिकारियों की उपस्थिति रही। गुरुद्वारा प्रबंधन द्वारा मुख्यमंत्री का अंगवस्त्र अभिनंदन किया गया।

हरिद्वार में सीएम धामी ने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर बरसाये फूल, किया स्वागत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार पहुॅचकर ओम पुल के निकट गंगा घाट पर आयोजित प्रतिभाग किया तथा देशभर से आए शिवभक्त कांवड़ियों के चरण धोकर स्वागत किया व उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने आयोजित भजन सन्ध्या में भी प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि शिव भक्त कांवड़ियों का पैर पखार कर उनका आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने सफल आयोजन के लिए हरिद्वार पुलिस सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों, एचआरडीए को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जल अर्पित करने मात्र से ही भगवान शिव अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी कर देते है, और श्रावण मास में तो भगवान शिव की भक्ति का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाता है। देशभर से सैकड़ो-हजारों किलोमीटर की यात्रा करके शिव भक्त कांवड़िये धर्म नगरी हरिद्वार से गंगा का जल लेकर जाते है और जलाभिषेक करते हैं। उन्होंने कहा कि कांवड यात्रा न केवल श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है बल्कि यह हमें सेवा में पुण्य का भागीदार बनने का भी अवसर देती है। इस वर्ष की अभी तक कांवड यात्रा पर एक करोड़ से अधिक शिव भक्त कांवड़ियों ने अपने-अपने गंतव्य को प्रस्थान कर लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास के साथ-साथ संस्कृति के संरक्षण के लिए बहुत पुनरोत्थान के कार्य भी चले रहे है, चाहें काशी विश्वनाथ कोरिडोर, अयोध्या में भव्य राम मन्दिर बनने की बात करें या उज्जैन में बनने वाला महाकाल, हमारे देवभूमि उत्तराखण्ड में केदारनाथ का नवनिर्माण या बद्रीविशाल का मास्टर प्लान हो, इन सभी पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने हमारे राज्य में प्रथम ध्वज वाहक बनकर आदि कैलाश यात्रा को पूरे विश्व में प्रसिद्धि दिलाने का काम किया है। वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री है जिन्होंने साढे़ 17 हजार फुट की ऊँचाईं पर जाकर सीमांत क्षेत्र में भगवान आदि कैलाश व पार्वती कुण्ड के दर्शन किये। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में मां गंगा के तट पर हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हरिद्वार धर्मनगरी का भी काशी, अयोध्या की भाँति अपने भव्य स्वरूप में दर्शन हो जाया करेंगें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस पवित्र धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। इसके लिए हमने पहली बार एक विशिष्ट मोबाइल एप के साथ स्वास्थ्य केन्द्र, शौचालय, पार्किंग, टिन शेड विस्तार, विश्राम स्थलों की पर्याप्त व्यवस्था की है। आपकी यात्रा में कोई असुविधा न हो साथ ही प्रशासन द्वारा यात्रा मार्ग एवं हरिद्वार क्षेत्रों में होटल एवं ढाबों में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। यात्रा के दौरान सुरक्षा के मजबूत इंतजाम किये गये है, धर्मनगरी हरिद्वार में सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही हैं। लगभग तीन सौ से ज्यादा कैमरे कांवड़ क्षेत्र में लगाये गये है। कांवड़ मेला क्षेत्र में वाटर एंबुलेंस की व्यवस्था भी की है, जाम में फंसे गंभीर मरीजों को गंगा नदी और गंगनहर के जरिये जल्द से जल्द निकटवर्ती अस्पतालों तक पहुँचायें जा सके। कांवड मेंला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नही हमारी आस्था श्रृद्धा और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। हमारा सौभाग्य है कि हर साल करोंड़ों-करोंडों शिव भक्तों का सेवा करने का सुअवसर प्राप्त होता है। जहां भक्ति है वहां मर्यादा की भी आवश्यकता है, जहां आस्था है वहां अनुशासन भी जरूरी है, और जहां शिव है वहां शान्ति भी स्वाभाविक है। लेकिन हाल ही में कुछ घटनाएं भी सामने आई है, जहां कुछ स्थानों पर कांवड़ यात्रा के दौरान उपद्रव और अनुशासनहीनता भी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि शिव शक्ति कोई प्रदर्शन नहीं बल्कि एक आंतरिक साधना है। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव को जलाभिषेक करने, जल अर्पित करने एवं उनकी आराधना करने की पवित्र यात्रा एवं अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए, अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, अपना शोधन करने लिए इस यात्रा को करते हैं।

मुख्यमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि आपकी यात्रा के कारण किसी को भी पेरशानी न हो, यात्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न एवं बाधा न हो, कावंड़ यात्रा के नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति कावड़ यात्रा के उद्देश्यों को भुलाकर अशान्ति, एवं उपद्रव की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे भी विनम्र अपील की कि वह सच्चे शिव भक्त की भांति विनम्रता पूर्ण आचरण करें, क्योंकि जब भक्त विनम्र और सहनशील होता है तब आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है। उन्होंने भगवान आशुतोष से प्रार्थना की कि इस बार की कांवड़ यात्रा आपके भीतर शिव तत्व को जागृत करें, इसके लिए आपको प्रसन्न रहकर शान्तिपूर्ण आचरण करना होगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की यह पुण्य भूमि केवल आप सभी का स्वागत ही नहीं करती है, बल्कि आपकी सेवा को अपना शौभाग्य मानती है। इसलिए संरकार, शासन एवं प्रशासन, स्वयं सेवी संगठन, डॉक्टर्स, सफाई कर्मी, व्यापार मण्डल, श्री गंगा सभा, जनप्रतिनिधिगण, सन्तगण सभी मिलकर कांवड़ यात्रा का संयोजन करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए हमने विकल्प रहित संकल्प के साथ हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं, उसका परिणाम भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी दिशा बिल्कुल सही लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, नीति आयोग भारत सरकार ने इण्डेक्स में पूरे देश के अन्दर सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में देवभूमि उत्तराखण्ड ने देश के अन्दर पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही बेरोजगारी दर राष्ट्रीय स्तर से कम हुई है। उन्होंने कहा कि हमने नकल विरोधी कानून बनाया है, इसके बनने के बाद 24 हजार से अधिक नियुक्तियां बिना किसी नकल व बिना भ्रष्टाचार के सम्पन्न हो गई हैं। उन्होंने कहा कि नकल माफिया जेल की सलाखों के पीछे हैं। उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ प्रदेश की संस्कृति के संरक्षण के लिए भी काम किया है, सख्त धर्मान्तरण विरोधी कानून लागू किया है, दंगा विरोधी कानून, समान नागरिकता कानून लागू किया है, वहीं लव जिहाद, लैण्ड जिहाद और थूक जिहाद के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनानत की आड़ में विधर्मियों द्वारा छद्म वेष बनाकर भोले भाले लोगों को ठगने के खिलाफ भी ऑपरेशन कालनेमि चला रहे हैं। इस ऑपरेशन के माध्यम से छद्म वेशधारियों को पकड़ने का काम कर रहे है, जोकि सनातन धर्म को नुकसान पहुॅचाने एवं हिन्दु धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के पाठ को भी अनिवार्य कर दिया है। पिछले दो दिनों से सभी स्कूलों में विद्यार्थी गीता का पाठ कर रहे हैं, जिससे हमारे प्रदेश के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने की कला को भी सीख पायें, शिक्षा के साथ-साथ अपने अध्यात्म के प्रति भी उत्सुकता भी जागृत हो। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि यात्रा की सफलता एवं श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जो भी दिशा-निर्देश जारी किये हैं, उनका अनुपालन करें, यात्रा को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें।

इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, राज्यसभा सासंद कल्पना सैनी, राज्यमंत्री ओमप्रकाश जमदग्नि, शोभाराम प्रजापति, देशराज कर्णवाल, हरिद्वार मेयर किरण जैसल, रुड़की मेयर अनीता देवी, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, मदन कौशिक, जिलाध्यक्ष हरिद्वार आशुतोष शर्मा, जिलाध्यक्ष रुड़की मधु, श्रीगंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, सभापति कृष्ण कुमार ठेकेदार, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, प्रणव सिंह चौंपियन, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, आईजी राजीव स्वरूप, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल, महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

नंदा देवी यात्रा से संचालन को जिलाधिकारी चमोली संबंधित विभागों से समन्वय कर एसओपी तैयार करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में आगामी 2026 में प्रस्तावित नंदा देवी राजजात यात्रा के तैयारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली को निर्देशित किया कि संबंधित विभागों और स्टेक होल्डर्स के साथ समन्वय स्थापित करते हुए संपूर्ण यात्रा को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने हेतु एसओपी ( मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करें।
कहा कि एसओपी में यात्रा से संबंधित सभी बातों (व्यवस्था, सुरक्षा, संचालन, नियंत्रण इत्यादि) का समावेश होना चाहिए।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पूरी यात्रा का वेस्ट मैनेजमेंट प्लान, सेप्टिक मैनेजमेंट और सेनिटेशन मैनेजमेंट प्लान बनाने के भी निर्देश दिए ताकि यात्रा में भागीदारी करने वाले लोगों को सुविधा मिले तथा पर्यावरण को किसी भी तरह की क्षति भी ना पहुंचे।

मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि विभिन्न विभागों के द्वारा जो भी कार्य किए जाने हैं उन सभी को स्थाई और अस्थाई प्रकृति में सेपरेट करते हुए उसका तदनुसार प्रस्ताव बनाएं।
कार्यों को पूरा करने के लिए यदि सप्लीमेंट्री बजट की आवश्यकता हो तो उसकी डिमांड करें तथा मेंटेनेंस अथवा रूटीन वर्क विभाग अपने बजट से पूरे करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने निर्देशित किया कि जो कार्य तत्काल किए जाने हैं उसको प्राथमिकता में लेते हुए अति शीघ्र प्रारंभ करें।

मुख्य सचिव ने पर्यटन विभाग को निर्देशित किया कि यात्रा की ऐतिहासिकता, विशिष्टता और मान्यता को दृष्टिगत रखते हुए इसका डॉक्यूमेंटेशन करें तथा इसकी डॉक्यूमेंट्री भी तैयार करें।

उन्होंने कहा कि यात्रा की मौलिकता बनी रहे इसका ध्यान रखा जाए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली तथा जिलाधिकारी अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल और पिथौरागढ़ से भी यात्रा से संबंधित फीडबैक प्राप्त करते हुए यात्रा की तैयारी से संबंधित उनकी आवश्यकताओं की भी जानकारी ली।

बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव दिलीप जावलकर, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, विनोद कुमार सुमन, धीरज गर्ब्याल, पुलिस महानिरीक्षक के एस नगन्याल सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों और होटलों में सुरक्षा मानकों का अनुपालन हो, रेट लिस्ट भी लगेः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में आगामी कांवड़ मेले को सरल, सुखद व सुरक्षित संपन्न कराने हेतु इंटरस्टेट समन्वय समिति की बैठक सीसीआर सभागार हरिद्वार में संपन्न हुई। जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान के उच्चाधिकारियों द्वारा ऑफलाइन व ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभाग किया गया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने कहा कि कांवड़ मेला आस्था एवं श्रद्धा का बहुत बड़ा उत्सव है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा सकुशल एवम् सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने हेतु जिला प्रशासन, पुलिस एवं अन्य सम्बन्धित विभाग चाक चौबंद व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने सभी राज्यों से रियल टाइम कॉर्डिनेशन व रियल टाइम डाटा साझा किए जाने की बात भी कही। सुरक्षात्मक दृष्टि से सभी आवश्यक इनपुट्स साझा किए जाएं।

मुख्य सचिव ने कांवड़ मेले की व्यवस्थाओं में आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आगामी कुंभ मेले को दृष्टिगत रखते हुए सभी तैयारियों को अंजाम दिया जाए ताकि मेले के अनुभव कुंभ में भी काम आएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि कांवड़ मेले के दौरान कानून व्यवस्था एवं यातायात व्यवस्था के लिए चाक चौबंद व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर भेल पार्किंग का भी उपयोग किए जाने के निर्देश भी जिला प्रशासन को दिए। यात्रा मार्ग पर स्थित ढाबों और होटलों में सुरक्षा मानकों का अनुपालन हो, साथ ही रेट लिस्ट अनिवार्य रूप से चस्पा की जाए।

डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि हर आयोजन नई चुनौतियां प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि आस्था एवं श्रद्धा के इस मेले को सुरक्षात्मक रूप से संपन्न कराने हेतु रियल टाइम सूचनाएं साझा की जाए, किसी भी प्रकार की अफवाह का यूनिफाइड खंडन किया जाए। अपने कार्यों में दक्षता रखने वाले कर्मी ही एक-दूसरे स्टेट भेजे जाएं। उन्होंने कहा कि कांवड़ियों एवं श्रद्धालुओं के लिए क्या करें और क्या नहीं करें की जानकारी यात्रा मार्गों पर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए। इंटर स्टेट कॉर्डिनेशन की अपेक्षाएं पूर्ण हों तथा मेला शांतिपूर्वक संपन्न हो।

बैठक में सचिव गृह शैलेश बगौली ने कहा कि यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो, यातायात व्यवस्था सरल सुगम व सुरक्षित हो तथा श्रद्धालुओं की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए सभी तैयारियां सुनिश्चित की जाएं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित तथा एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने कांवड़ यात्रा अवधि, विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं का प्रतिशत, ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सहित कांवड़ यात्रा हेतु की जा रही तैयारियों का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। उत्तर प्रदेश की ओर से डीआईजी अभिषेक ने यात्रा प्लान सहित चल रही तैयारियों की विस्तार से जानकारी दी।

बैठक में निर्णय लिया गया कि सुरक्षात्मक दृष्टि से सभी आवश्यक सूचनाएं तथा इनपुट्स रियल टाइम साझा किए जाएं, सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग की जाए और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही के लिंक भी साझा किया जाए। कांवड़ 10 फीट से अधिक ऊंचाई के न हों। शराब तथा मीट से संबंधित एसओपी का सख्ती से अनुपालन हो, सभी चिन्हित डीजे संचालकों को नियमानुसार नोटिस देते हुए बाउण्ड ऑफ किया जाए। उत्तराखंड द्वारा समय-समय पर हरिद्वार में पार्किंग की स्थिति से उत्तर प्रदेश को अवगत कराया जाए।

बैठक में उत्तर प्रदेश से एडीजे भानु भास्कर, सचिव गृह मोहित गुप्ता, कमिश्नर मेरठ डिवीजन ऋषिकेश भास्कर यशोद, कमिश्नर बरेली सौम्य अग्रवाल, कमिश्नर सहारनपुर एके राय, डीआईजी सहारनपुर अभिषेक सिंह, आईजी आरपीएफ पंकज गंगवार, उत्तराखंड से आईजी निलेश आनंद भरणे, एनएस नपलच्याल, डीआईजी धीरेन्द्र गुंज्याल, एसएसपी देहरादून अजय सिंह, मेलाधिकारी सोनिका, सहित पांचों राज्यों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव हर माह और मण्डलायुक्त प्रत्येक सप्ताह करेंगे यात्रा की तैयारियों की समीक्षाः सीएम

उत्तराखण्ड में 2026 में होने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा की सभी तैयारियों में तेजी लाई जाए। भव्य नंदा राजजात यात्रा के आयोजन के लिए सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करें। यात्रा की बेहतर व्यवस्थाओं के लिए जनप्रतिनिधियों, नंदा राजजात यात्रा समिति के सदस्यों और हितधारकों के सुझाव लिये जाएं। ये निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल बैठक के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि नंदा राजजात यात्रा के सफल संचालन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। पिछली यात्राओं के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। यात्रा से संबंधित सभी पैदल मार्गों की अच्छी व्यवस्थाओं के साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। यात्रा के पड़ाव पर श्रद्धालुओं को ठहरने की बेहतर व्यवस्थाओं के साथ ही भोजन और स्नान घरों की व्यवस्था के भी उन्होंने निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाए। यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत यात्रा के दौरान हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए। यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। मेडिकल कैंप और चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। यात्रा के दौरान हेली एम्बुलेंस की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदा राजजात यात्रा बरसात के समय होती है, इसके दृष्टिगत संक्रामक रोगों से बचाव के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किये जाएं। यात्रा के अधिकतम पड़ाव वन क्षेत्र में होने के कारण वन और पर्यावरण की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए। श्रद्धालुओं के लिए टेंट की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदा राजजात से संबंधित लोक गीत और लोक कथाओं का अभिलेखीकरण भी किया जाए। पर्यटन विभाग द्वारा यात्रा के पड़ावों का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार भी किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नदां राजजात यात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन और यातायात सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाए। पार्किंग स्थलों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। यात्रा मार्गों पर पेयजल, शौचालय अवं अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि वे प्रतिमाह नंदा राजजात यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करें। गढ़वाल और कुमांऊ आयुक्त भी प्रत्येक सप्ताह यात्रा से संबंधित तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गढ़वाल और कुमांऊ के जिन क्षेत्रों से श्रद्धालु और डोलियां आती हैं, उन सभी क्षेत्रों में भी सड़क, पेयजल एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए।

उत्तराखण्ड में अगले साल होने वाली 280 किमी की ऐतिहासिक नंदा देवी राजजात यात्रा के भव्य आयोजन और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही है। 2027 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ के लिए भी सभी तैयारियां की जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नंदा देवी राजजात और हरिद्वार कुंभ का भव्य और दिव्य आयोजन किया जायेगा- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड।

बैठक में राज्यसभा सांसद महेन्द्र भट्ट, विधायक बंशीधर भगत, अनिल नौटियाल, भूपाल राम टम्टा, सुरेश गड़िया, पार्वती दास, डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा एवं संबंधित जिलाधिकारी उपस्थित थे।

देश का प्रथम गांव माणा में शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

चमोली के सीमांत गांव माणा में स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्षों बाद विधि विधान के साथ पुष्कर कुंभ का आयोजन शुरु हो गया है। जिसे लेकर बदरीनाथ धाम के साथ ही माणा गाँव में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की आवाजाही बढ़ गई है। पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन की ओर से यहां तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ को लेकर पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है। यहां पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुंभ के सुचारू संचालन के लिए जहां पैदल मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई है। वहीं संगम तट पर एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती भी की गई है। उन्होंने बताया कि तहसील प्रशासन को पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।

बता दें कि, चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में 12 वर्षों के बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक परंपरा के अनुसार जब 12 वर्षों में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में मुख्य रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलम्बी प्रतिभाग करते हैं।

क्या है पुष्कर कुंभ का धार्मिक महत्व

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माणा गांव के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी। यह भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर माँ सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। जिसके चलते अपनी पौराणिक परंपराओं के संरक्षण के लिए बद्रीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव पहुंच कर केशव प्रयाग में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं।

तीर्थ स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक एकजुटता के भी प्रतीक हैं। विभिन्न स्थानों से आने वाले श्रद्धालु इन स्थलों पर एकत्र होकर एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को साकार करते हैं। इसी क्रम में माणा गांव में आयोजित पुष्कर कुंभ, उत्तर को दक्षिण से जोड़ रहा है।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

सीएम के निर्देशों के क्रम में कैंची धाम के लिए बाईपास निर्माण का काम शीघ्र शुरू होगा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कैंची धाम के आस पास एन० एच० 109 ई० में वाहनों के अत्यधिक दवाव व जाम के दृष्टिगत सुगम व सुरक्षित यातायात हेतु वर्ष 2023 में कैंची बाईपास मोटर मार्ग निर्माण की घोषणा की गयी थी। 19 की.मी. लम्बे कैंची धाम बाईपास मोटर मार्ग में शिप्रा नदी पर एक सेतु का भी निर्माण किया जाना है, जिसके प्रथम 8 किमी के निर्माण/चौड़ीकरण डामरीकरण हेतु रु 1214.71 लाख की धनराशि भी लोक निर्माण विभाग को उपलब्ध करायी गयी है। मोटर मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। अवशेष 11.00 किमी0 मोटर मार्ग में वन भूमि आने के कारण वन भूमि प्रस्ताव ऑनलाइन गठित कर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को वन भूमि हस्तान्तरण हेतु प्रेषित किया गया।

मुख्यमंत्री द्वारा किये गये विशेष प्रयासों से हुई आरईसी की बैठक मे पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वन भूमि हस्तान्तरण की सहमति प्रदान कर दी गयी है। शीघ्र ही मार्ग निर्माण हेतु कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी। कैंची धाम में प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत यातायात की सुगमता के लिये मुख्यमंत्री द्वारा यहां बाईपास निर्माण की घोषणा की गई थी साथ ही वन भूमि हस्तान्तरण की स्वीकृति के लिये पिछले सप्ताह केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से भेट कर इनकी स्वीकृति का अनुरोध किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैंची धाम बाईपास के लिए वन भूमि प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद उक्त सड़क का तेजी से निर्माण किया जा सकेगा, जिससे क्षेत्रीय लोगों एवं पर्यटकों को आवाजाही में सुविधा मिलेगी साथ ही कैंची धाम और भवाली के पास लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी।

सचिवालय में हुई कैंचीधाम में यातायात व्यवस्था के सम्बन्ध में अधिकारियों के साथ बैठक

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में कैंचीधाम में यातायात व्यवस्था के सम्बन्ध में अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कैंचीधाम के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि कैंचीधाम में सप्ताहांत में लगने वाले जाम को देखते हुए इसके लिए व्यापक योजना तैयार किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि कैंचीधाम बाजार की मुख्य सड़क का चौड़ीकरण एवं सुधारीकरण कार्य तत्काल शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए मिसिंग लिंक से बजट उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कैंचीधाम में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने की सम्भावना को देखते हुए कैंचीधाम के लिए मास्टर प्लान की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए प्रस्ताव तैयार किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि स्थानीय लोगों के लिए वैकल्पिक मार्गों को सुदृढ़ किया जाए। जिनका चौड़ीकरण सम्भव हो किया जाए। उन्होंने कहा कि नए पार्किंग स्थल चिन्हित करते हुए विकसित किए जाए। धाम के लिए एक व्यवस्थित शटल सेवा शुरू की जाए। साथ ही मोबिलिटी प्लान तैयार किया जाए, ताकि वीकेंड में लगने वाले जाम को कंट्रोल किया जा सके। उन्होंने कहा कि मोबिलिटी प्लान को लागू कराया जाना भी सुनिश्चित किया जाए।

बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने तकनीक के प्रयोग को बढ़ाए दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पार्किंग आदि स्थलों में डिस्प्ले के माध्यम से यात्रियों को जानकारी उपलब्ध करायी जाए। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से रूट एवं भीड़ प्रबन्धन का कार्य किया जाए। साथ ही विभिन्न मार्गाे में वन-वे को प्रयोग किया जा सकता है।

इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, आई.जी. कुमाऊ रिद्धिम अग्रवाल एवं जिलाधिकारी नैनीताल वंदना सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

त्रिजुगीनारायण में शादी के लिए दुनिया भर से आ रहे हैं जोड़े, फेरे लेकर सात जन्मों का ले रहे संकल्प

रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित, शिव- पार्वती का विवाह स्थल त्रिजुगीनारायण वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहा है। जहां देश विदेश से लोग सनातन परम्पराओं के अनुसार विवाह करने के लिए पहुंच रहे हैं। शादियों के सीजन में अब यहां हर महीने 100 से अधिक शादियां हो रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मौकों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड की ब्रांडिंग कर चुके हैं। इसका असर, त्रिजुगीनारायण मंदिर में साफ तौर पर नजर आ रहा है। जहां लोग देश विदेश से डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए पहुंच रहे हें। इससे यहां होटल कारोबारियों से लेकर पंडे पुजारियों, वेडिंग प्लानर, मांगल टीमों और ढोल दमौ वादकों सहित कई अन्य लोगों को काम मिल रहा है।

2025 में हुई पांच सौ शादियां

क्षेत्र की वेडिंग प्लानर रंजना रावत के मुताबिक, 07 से 09 मई के बीच सिंगापुर में कार्यरत भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची, यहां शादी करने के लिए पहुंच रही है। इसके लिए उन्होंने जीएमवीएन टीआरएच बुक किया हुआ है। उन्होंने बताया कि इस साल अप्रैल माह तक ही यहां करीब पांच सौ शादियां हो चुकी है, जबकि 2024 में कुल छह सौ शादियां ही हुई थी। उन्होंने बताया कि अब तक यहां इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई, जानी मानी हस्तियां सात फेरे ले चुके हैं।

रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य

मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी ने बताया कि यहां सनातन मतावलंबियों का विवाह वैदिक परंपराओं के अनुसार सम्पन्न होता है, इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। साथ ही माता-पिता या अभिभावकों की मौजूदगी में ही विवाह संपन्न होता है। उन्होने बताया कि सात फेरों के लिए मंदिर परिसर में ही वेदी बनाई गई है, इसके बाद अखंड ज्योति के साथ पग फेरा लिया जाता है। इसके अलावा अन्य सभी आयोजन, नजदीकी होटल और रिजॉर्ट में सम्पन्न किए जाते हैं। सीतापुर तक के होटल में अन्य विवाह समारोह भी स्थानीय पुजारियों द्वारा सम्पन्न कराए जाते हैं, इसके लिए दक्षिणा की दरें तय की गई हैं।

त्रिजुगीनारायण मंदिर का महत्व

त्रिजुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादान कर्ता) का कर्तव्य निभाया था। मंदिर प्रांगण में एक पवित्र अखंड अग्नि है, मान्यता है कि शिव पार्वती ने इसी अग्नि के सात फेरे लिए थे। मंदिर की बनावट केदारनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद, उत्तराखंड में देश विदेश के लोग डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। सरकार उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहायता दे रही है। देवभूमि उत्तराखंड आपका स्वागत करने के लिए तैयार है।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

खुले बदरीनाथ धाम के कपाट, पीएम के नाम हुई पहली पूजा

बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार को विधि विधान के साथ सुबह 6 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली महाभिषेक पूजा कर देश और राज्य की सुख समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मंदिर परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर गणेश मंदिर आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी सहित सभी मंदिरों में पूजा अर्चना की। श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर देश और दुनिया के लगभग 15 हजार श्रद्धालु मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं का अभिवादन किया और तीर्थयात्रियों से यात्रा व्यवस्थाओं का फीडबैक भी लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सकुशल चारधाम यात्रा और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के दृष्टिगत बेहतर व्यवस्थाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा हर स्तर पर प्रयास किया गया है। उन्होंने देवभूमि उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया हरित और स्वच्छ चारधाम यात्रा के लिए राज्य को पूरा सहयोग दें।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी से बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान के कार्यों की विस्तृत जानकारी लेते हुए मंदिर के समीप हो रहे निर्माण कार्यों का जायजा भी लिया। उन्होंने जिलाधिकारी को मास्टर प्लान के कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय से पूर्ण करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने बदरीनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को यात्री सुविधा और सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारी से श्री हेमकुंड साहिब यात्रा तैयारियों की जानकारी लेते हुए यात्री सुविधाओं को शीघ्र व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। उन्होंने गोविंदघाट में अलकनंदा नदी में निर्माणाधीन पुल के निर्माण कार्य की जानकारी ली। जिलाधिकारी को पुल के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण कर यात्रा से पूर्व पुल का निर्माण गुणवत्ता के साथ पूर्ण करने के आदेश दिए।

इस दौरान राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज,विधायक किशोर उपाध्याय, लखपत बुट्टोला, बीकेटीसी के नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कपरवाण व ऋषि प्रसाद सती, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल, धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल आदि मौजूद थे।