ऋषिकेश।
रविवार को श्री गंगा महासभा के होली मिलन कार्यक्रम में देहरादून के कलाकारों ने समा बांध दिया। स्थानीय गायक विजेन्द्र वर्मा ने भजनों से कार्यक्रम की शुरुआत की। होली मिलन के मधुर संगीत से गंगातट गुंजयमान रहा। सिया संग झूले बगिया में राम ललना, बंसी वाले ने घेर लई भजन पर श्रद्धालु श्रद्धाभाव से खड़े होकर नृत्य करने लगे। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का भी कार्यक्रम में मंचन किया गया। होली पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने मां गंगा से परिवार और देश की खुशहाली की कामना की।
सांयकालीन गंगा आरती में श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। उसके बाद श्रीराधा कृष्ण की होली का कार्यक्रम आयोजित हुआ। होहो होहो होरी सुंदर श्याम राधिका गौरी, मल्ल काच सिंगार धरयौ है, रसिया को नारि बनावो री, होली खेल रहे नंद लाल मथुरा की कुंज गलिन में, मैं आयों तेरे द्वार राधिका रंगू चुनरिया तेरी होली के गीतों पर श्रद्धालुओं ने राधाकृष्ण के साथ जमकर फूलों की होली खेली।
कार्यक्रम संपन्न होने के बाद श्री गंगा महासभा की ओर से श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण भी किया गया। मौके पर महासभा के अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा, महामंत्री राहुल शर्मा, धीरेन्द्र जोशी, विनोद अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण, भानु पंडित, रिटा. कमिश्नर नरेश भारद्वाज, शिखर शर्मा, वसीकरण शर्मा, प्रखर शर्मा, काव्या शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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होली का आध्यात्मिक महत्व समझाया
ऋषिकेश।
रविवार को आध्यात्मिक होली महोत्सव में बीके आरती ने मनायेंगे और मनाया शब्द की व्याख्या की। बताया कि जब कोई व्यकित रुठ जाता है तो उसे मनाया जाता है। उन्होंने होली का आध्यात्मिक महत्व समझाया। बताया कि होली का शब्दिक अर्थ हिज होलीवेस है। हम भगवान के लिए हो और तन, मन, धन, समय, संकल्प, सब भगवान के लिए समर्पित हो। जो बात हो ली या बीत गया उसे चिताओ नही। ये तीनों अर्थ हमारे लिए कल्याणकारी है।
शिवबाबा धरती पर अवतरित होकर होली का सत्य अर्थ बताते है। हम शरीर नही है बल्कि आत्मा, जो अमर, अविनाशी है। उन्होंने रंग के सातों गुण बतायें। दूरदर्शन के प्रोड्यूसर बेजू नैय्यर ने कहाकि मृत्यु के बाद भी जीवन है। आत्मा मा्रती नही है। राजयोग के अभ्यास से ही सरल व सही जीवन जिया जा सकता है। कमलकांत मलिक ने राजयोग की महत्ता को जानकर अपना जीवन जीने की सलाह दी। मौके पर मयूर नृत्य और फूलों की होली भी खेली गयी।
परमार्थ में विदेशियों ने खेली होली
ऋषिकेश।
परमार्थ निकेतन में विदेश से आए योग साधकों ने रविवार को परमार्थ के स्वामी चिदानंद मुनि के साथ होली खेली। उन्होंने होलिका पूजन भी किया। चिदानंद मुनि ने होली त्योहार को एकता, पवित्रता, स्वच्छता और सद्भावना का प्रतीक बताया।
रविवार को परमार्थ योग गार्डन में अमेरिका के योगाचार्य टोमी रोजेन तथा उनके साथ आए 40 योग साधकों ने चिदानन्द मुनि के साथ मिलकर होलिका का पूजन किया। चिदानंद मुनि ने विदेशी साधकों को अपने अंदर की बुराइयों के खात्मे के लिए सकंल्प कराया। उन्होंने कहा कि होली का अर्थ है समर्पित हो जाना। जीवन की हर श्वास को अपने प्रभु को अर्पित करना ही होली है। होली अर्थात पवित्रता। जीवन में दिव्यता का समावेश होना। हमें एकता के रंग में रंग जाना चाहिए और मानवता की सेवा में डूब जाना चाहिए। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस पर्व पर हम अपने अंदर निहित आनन्द के स्रोत से जुड़ जाएं ताकि जीवन का हर क्षण उत्सव बन सके। होली अर्थात हो ली। जो हो ली वो हो ली। नए ढंग से जीवन को जिएं। एक नए ढंग से जीने का संकल्प लें। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हमें केवल होलिका दहन से मिलने वाले आनन्द को ही याद नहीं रखना चाहिए बल्कि अपने अंदर निहित जो अशुद्ध विचार हैं, उनका भी त्याग करना चाहिए।
विश्व शांति, सदभाव और प्रेम का संदेश देती मणिकूट पर्वत यात्रा
ऋषिकेश।
उत्तराखंड के परंपरागत वाद्ययंत्रों के साथ पूजा-अर्चना के बाद यात्रा को परिक्रमा के लिए रवाना किया गया। यात्रा में श्रद्धालु झूमते और भजन गाते चल रहे थे। परिक्रमा के दौरान बारह द्वारों पांडव गुफा, गरुड़ चट्टी, फूलचट्टी, कालीकुंड, पीपलकोटी, दिउली, कुशाशील, विध्यवासिनी, गोहरी, बैराज, गणेश चौक और भैरव घाटी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। लक्ष्मणझूला पुल से परिक्रमा के शुभारंभ पर संत राही बाबा ने कहा कि गुरु तत्व को जागृत करने, विश्व कल्याण, देश की एकता अखंडता और मानव जाति के उत्थान के लिए परिक्रमा यात्रा शुरू की गई है। मणिकूट परिक्रमा समिति के कार्यक्रम संयोजक रमेश उनियाल ने कहा कि पैदल चारधाम यात्रा में चट्टियों का खासा महत्व था। यात्रा के दौरान श्रद्धालु रात्रि विश्राम चट्टियों में ही करते थे, लेकिन सड़कें बनने के बाद चट्टियों और पौराणिक स्थलों का महत्व कम होता जा रहा है। इस लिए ऐसे स्थलों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि संपूर्ण मणिकूट पर्वत को तीर्थ क्षेत्र घोषित कर तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जाए।
यात्रा में मणिकूट हिमालय परिक्रमा समिति के सचिव हितेश राही, नीरज राही, रवि शास्त्री, नवीन कुमार, मुकेश रस्तोगी, प्रेम राही, राही बाबा के विदेशी भक्त सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।
घड़ी तय करती है आपका अच्छा और बुरा वक्त
घड़ियां ना ही सिर्फ हमें समय बताती हैं, बल्कि हमारे अच्छे-बुरे समय में भी योगदान देती हैं। घर या ऑफिस में दीवार पर टंगी घड़ी आपके वक्त के बारे में बहुत कुछ कहती है। इन्हें अगर सही दिशा में लगाया जाए तो यह अच्छा समय लेकर आती हैं, वहीं गलत दिशा में लगी घड़ी आपके लिए बुरा वक्त ला सकती है।
जानें क्या कहता है वास्तु घड़ियों के बारे में।
कहते हैं घड़ी कभी किसी को तोहफे में नहीं देनी चाहिए। इसे तोहफे में देकर आप उसे अपना अच्छा और बुरा समय दोनों दे रहे हैं। जब हम ये गिफ्ट में देते हैं तो वह समय बंध जाता है, और वही सामने वाले के पास पहुंचता है। दक्षिण मुख सभी काम करने अशुभ माना गया है। घड़ी को भी कभी दक्षिणी दीवार पर नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि दक्षिण यम की दिशा कही जाती है।
फेंगशुई में कहा गया है कि इस दिशा में घड़ी लगाने से राह में अड़चनें आती है। इससे नौकरी पर भी बुरा असर पड़ता है। दक्षिण दिशा से नकारात्मकता आती है इसलिए इस दिशा को छोड़कर बाकि किसी भी दिशा में घड़ी लगा लें।
खर्च का ब्यौरा नही देने पर नही मिलेगा चारधाम का बजट
ऋषिकेश।
गढ़वाल आयुक्त के दिशा-निर्देशन में इस वर्ष होने वाली चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी जिलों के जिला प्रशासन ने बजट के लिए आयुक्त के पास प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन गढ़वाल आयुक्त की डायरी में कुछ नगर पंचायत और पालिका प्रशासन ने अभी तक पिछले वर्ष के यात्रा बजट का ब्योरा नहीं दिया है। लिहाजा आयुक्त ने ऐसी पालिका और पंचायत प्रशासन को पिछले बजट का ब्योरा देने की शर्त पर नया बजट आवंटित करने का निर्णय लिया है। पिछले वर्ष चारधाम यात्रा की तैयारियों के लिए पालिका और पंचायतों को लगभग तीन करोड़ रुपए का बजट आवंटित हुआ था जिसमें सभी ने पहले चरण में आवंटित बजट का ब्योरा तो दिया लेकिन दूसरे चरण का विवरण अभी तक नहीं दे पाए। आयुक्त के आदेश के बाद उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, दून, पौड़ी गढ़वाल के ज्यादातर पालिका और पंचायत प्रशासन ने ब्योरा देना शुरू कर दिया है।
चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। आयुक्त के आदेश पर पंचायत और पालिका प्रशासन से पिछले चारधाम यात्रा के बजट का ब्योरा मांगा जा रहा है। ज्यादातर पालिका और पंचायत प्रशासन ब्योरा जमा करा चुके हैं।
एके श्रीवास्तव, वैयक्तिक सहायक, गढ़वाल आयुक्त।
योग महोत्सव में दक्षिण अफ्रीका के योगाचार्यों का जलवा
ऋषिकेश।
योग गुरू सुखमिंदर सिंह खालसा ने कुण्डलिनी साधना का अभ्यास कराया। कनाडा की ग्लोरिया लैथम ने द वाइस ऑफ सोल विषय पर अपना व्याख्यान दिया। वहीं दक्षिण अफ्रीका की योगाचार्य भवानी काला ने आई फ्लो एवं चन्द्र नमस्कार के बारे में जानकारी दी। योग विशेषज्ञ जूल्स फेबर ने जीवमुक्ति योग का अभ्यास कराया। भारत की दीपिका मेहता ने अष्टांग योग का प्रशिक्षण दिया। बैंगलोर से आये एचएस अरूण ने एंगर योग, आयरलैण्ड के ब्रियान इंगले ने सोमेटिक योग फ्लो की जानकारी दी। विश्व विख्यात वैज्ञानिक ब्रूस लिप्टन ने धरती पर ईश्वर के अवतरण का रहस्य समझाया। बताया किस तरह ईश्वर धरती पर विद्यमान है। योगाचार्य मोहन भन्डारी ने योगी योग फार बैक पेन का अभ्यास कराया गया। परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती ने गंगा फ्लो मेडीटेशन विषय पर विचार रखे। इस दौरान परमार्थ निकेतन में पहुंचे सूफी गायक कैलाश खेर ने साधकों के साथ मिलकर योग किया और गंगा स्वच्छता का संकल्प भी लिया।
मन को वश में करती है भागवत कथा: ममगाईं
ऋषिकेश।
मंगलवार को आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने श्रद्धालुओं को बताया कि इंद्रियों को वश में रखने से ईश्वर भक्ति में मन लगता है। जिस प्रकार से संसार का अंधकार का कोई अस्तित्व नही होता है। उसी प्रकार मन की चंचलता से नुकसान उठाना पड़ता है, क्योकि चंचलता मनुष्य की बुद्धि पर अधिकार जमा लेती है। पुरुषार्थ के लिये जब तक मन में राग द्वेष है तब तक भगवान की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने भागवत कथा के श्रवण से मन और इंद्रीय वश में होने की बात कही।
कथा व्यास ने स्त्रियों के सम्मान को जरुरी बताया। कहाकि जिस समाज और घर में स्त्री का सम्मान नही होता है। वहां लक्ष्मी की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने गुरुओं का आदर करने व अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाने की सीख दी। मौके पर टीकाराम पुर्वाल, लाखीराम पुर्वाल, जवाहर पुर्वाल, रामकृष्ण पुर्वाल, रामचन्द्र पुर्वाल, राजेश पुर्वाल, धनीराम जोशी, खुशीराम जोशी, नारायण दत्त, विजय, चेतराम, बसंत, पूर्णानंद, जीवानंद, महावीर, दौलतराम, रामचन्द्र भटट, शियाराम नौटियाल, चेतराम आदि उपस्थित रहे।
भागदौड़ भरी जिंदगी में शांति पाने के तरीके बताए
ऋषिकेश।
मंगलवार को गीतानगर स्थित राजयोग केन्द्र की संचालिका बहन बीके आरती के नेतृत्व में विश्वशांति व त्रिमूर्ति शिव की 80वीं जयंती के उपलक्ष्य में शहर में रैली निकाली गई। इस दौरान बीके आरती ने भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को शांति की प्राप्ति के रास्ते बताए। उन्होंने लोगों को विचार संयम, इन्द्रिय संयम, अर्थ संयम व समय संयम के माध्यम से शांति पाने का तरीका समझाया।
उन्होंने लोगों को महाशिवरात्रि का महत्व बताया। साथ ही शिव पूजा की विधि बताईं। काम, क्रोध, मद, मोह व अंहकार को अपने जीवन से दूर करने पर सफलता अर्जित कर जीवन में शांति पाने का साधन बताया। विश्व शांति की कामना से निकाली गई रैली शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए राजयोग केन्द्र में संपन्न हुई।
छह मई को खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट
प्रात: चार बजकर 15 मिनट पर कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त
ऋषिकेश।
पौराणिक परम्परानुसार टिहरी राज परिवार के मनुजेंद्र शाह ने दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर कपाट खुलने की घोषणा की। तिथि घोषित होते ही राजमहल परिसर श्री बदरीनाथ भगवान के जयकारों से गूंज उठा। मुहूर्त तय होने पर आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पूजा संपन्न करवाई। गाडू घड़ी (तेल कलश) यात्रा की तिथि 22 अप्रैल तय की गई। इस अवसर पर योग ध्यान मंदिर पांडुकेशर से गाडू घड़ा लेकर डिमरी पंचायत के पदाधिकारी नरेन्द्रनगर राजदरबार पहुंचे। इस मौके पर श्री बदरीधाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूरी, टिहरी सांसद राज्यलक्ष्मी शाह, राजकुमारी श्रीजया, बदरी-केदार मंदिर समिति के सीओ डीपी सिंह, अनिल शर्मा, दिवाकर चमोली, जगदीश भट्ट, अनिल ध्यानी, आशुतोष डिमरी, श्रीराम डिमरी, राज पुरोहित संपूर्णानंद जोशी, आशाराम नौटियाल, सुरेश डिमरी आदि उपस्थित थे।