भगवान जगन्नाथ के जयकारों से गूंज उठी ऋषिनगरी

रथ में विराजे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदेव के दर्शन कर पुण्य के भागी बने श्रद्धालु

ऋषिकेश।
मधुबन आश्रम की ओर से आयोजित भगवान जगन्नाथ यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलदेव और बहन सुभद्रा भी विराजमान थे। श्रद्धालुओं ने जहां उनके दर्शन किए, वहीं रथ खींचकर पुण्य का लाभ कमाया। इस दौरान भगवान जगन्नाथ के जयकारों ने ऋषिनगरी गूंज उठी।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर रविवार कैलाशगेट स्थित मधुबन आश्रम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी। सबसे पहले सुबह नौ बजे श्री प्रभुपाद रथ में विराजमान हुए। 48 फुट ऊंचे रथ को बेहद आकर्षक फूलों से सजाया गया था। सुबह साढ़े नौ बजे मधुबन आश्रम के भक्तियोग स्वामी महाराज ने विशेष झाड़ू लगाकर रथयात्रा का शुभारंभ किया। रथयात्रा कैलाशगेट से शुरू हुई और हरिद्वार मार्ग होते हुए नगर पालिका ऋषिकेश में संपन्न हुई।
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रथयात्रा का विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों ने फूल से स्वागत किया। शोभायात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ की आरती की और भोग भी लगाया। रथयात्रा की डोर खींच रहे श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगा रहे थे।
नगर पालिका ऋषिकेश के प्रांगण में रथयात्रा का समापन हुआ। इस मौके पर नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल, पूर्व विधायक सुबोध उनियाल, जयेन्द्र रमोला, प्रेम केडिया, हर्ष, परमानंद दास, पवन, रामानंद राय दास, डीके वार्ष्णेय, किरन आदि मौजूद थे।
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स्कूल के बच्चे भी शामिल
जगन्नाथ रथयात्रा में स्कूल बच्चे भी शामिल हुए। हालांकि पूर्व के वर्षों की भांति छात्रों की संख्या कम रही, लेकिन रथयात्रा में शामिल छात्रों का उत्साह देखते ही बन रहा था। एनसीसी कैडेट भी रथयात्रा के दौरान व्यवस्था बनाते नजर आए।

खुद को नहीं रोक सके विदेशी
रथयात्रा में श्रद्धालु का उत्साह देखते ही बन रहा था। भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु हरे कृष्ण-हरे कृष्ण की धुन पर नृत्य कर रहे थे। इस दौरान विदेशी पर्यटक भी खुद को नहीं रोक सके। हरे कृष्ण की धूम पर नृत्य करने लगे। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने विदेशियों का स्वागत किया।

रथयात्रा की शोभा कम रही
हर वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा में विभिन्न प्रकार की झांकियां रहती हैं, लेकिन इस बार रथयात्रा की शोभा कम रहने से लोगों को मायूसी झेलनी पड़ी। रथयात्रा में दूर-दूराज के लोग भी शिरकत करते हैं। यात्रा का विशेष आकर्षण रथ और झांकियां ही रहती हैं।

जातिवाद से ऊपर उठने पर ही विश्वगुरु बनेगा भारत

सामाजिक समता अभियान के अंर्तगत नगर पालिका सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन

ऋषिकेश।
बुधवार को नगर पालिका स्वर्ण जयंती सभागार में सामाजिक समता अभियान की पहल पर भेदभाव रहित हिंदू समाज-सशक्त राष्ट्र का आधार विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रुप में पवन गुरु ने भारत को विश्व गुरु बनाने पर जोर दिया। कहाकि विश्वगुरु बनने में सबसे बड़ी बाधा जातिवाद है। जातिवाद के चलते समाज न तो एकजुट हो पाया और न ही समाज में समानता आयी। हमें जातिवाद से ऊपर उठना चाहिये। जातिवाद इंसान की देन है।
श्रीराम व शिवजी की पूजा करने वाले यदि जातिवाद की बाते करते है तो वह बाह्य आडंबर रच रहे है। भौगोलिक दृष्टि से भारत विश्वगुरु है, जरुरत है तो भारत को जातिप्रथा से मुक्ति दिलाने की। जिस दिन जाति प्रथा समाज से मुक्त हो गयी, भारत फिर से विश्वगुरु बन जायेगा।

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विचार गोष्ठी में हरविलास गुप्ता, डॉ. हरपाल सिंह, संदीप त्यागी, आजाद सिंह, सच्चिदानंद शर्मा, रवि कटारिया, विधायक विजया बड़थ्वाल ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर अधिवक्ता सुभाष भटट, संजय शास्त्री, ज्योति सजवाण, इन्द्र कुमार गोदवानी, राकेश पारछा, सुभाष वाल्मिकी, अनिता बहल, अशोक पाल, राजेश कुमार, जितेन्द्र भूरी, अनिता ममगाईं, कुसुम जोशी, सरोज डिमरी, पुष्पा मितल आदि उपस्थित थे।

वृश्चिक लग्न में होंगे भगवान केदारनाथ के कपाट बंद

-एक नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए होगी रवाना
-भगवान तुंगनाथ के कपाट सात नवम्बर को धनु लग्न में होंगे बन्द
-मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में होंगे बंद

रुद्रप्रयाग।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर व तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ धामों के कपाट बन्द होने की तिथियां विजयादशमी पर्व पर पंचाग गणना, पौराणिक परम्पराओं तथा रीति-रिवाजो के अनुसार शीतकालीन गद्दी स्थलों में घोषित की गई।
विजयादशमी पर्व पर भगवान केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ में मन्दिर समिति के अधिकारियों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में तीनों धामों के कपाट बन्द होने की तिथि पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी। पंचाग गणना के अनुसार एक नवम्बर को प्रातः चार बजे से पूर्व श्रद्धालुओं द्वारा भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक किया जायेगा तथा प्रातः चार से छः बजे तक भगवान केदारनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी। जबकि छः बजे से साढे़ सात बजे तक भगवान केदारनाथ के स्वयं भूलिंग को अनेक प्रकार की पूजार्थ सामाग्रीयों से समाधि दी जायेगी तथा ठीक साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होते ही भगवान केदारनाथ शीतकाल के छः माह के लिये समाधि लेकर विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो जायंगे।
कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपनी केदारपुरी से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी तथा लिनचौली, रामबाड़ा, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। दो नवम्बर को रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बड़ासू, फाटा, मैखण्डा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों से होते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। तीन नवम्बर को विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर भैंसारी, विद्यापीठ, जाबरी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचकर विराजमान होगी तथा चार नवम्बर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट भी सात नवम्बर को सुबह दस बजे धनु लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना होगी और सुरम्य मखमली बुग्यालों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी।
आठ नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से प्रस्थान होकर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, मक्कूबैंड होते हुए बणतोली पहुंचेगी। जहां पर विभिन्न गांवों के श्रद्धालुओं द्वारा भगवान तुंगनाथ को अर्घ्य लगाकर विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जायेगी। बणतोली में अर्घ्य लगने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिये भनकुण्ड पहुंचेगी तथा नौ नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर आकाश कामनी नदी पहुंचने पर गंगा स्नान करेगी और शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचने पर छः माह शीतकाल के लिये विराजमान होगी तथा दस नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में विधिवत शुरु होगी।

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द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढ़े आठ बजे वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्बा, कुनचट्टी, नानौ, खटारा, बनातोली होते हुये प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौण्डार गांव पहुंचेगी। 23 नवम्बर को गौण्डार से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवम्बर से राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये अन्तिम रात्रि प्रवास गिरिया गांव में करेगी। 25 नवम्बर को गिरिया से प्रस्थान कर फाफंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुये अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा 26 नवम्बर से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्व मन्दिर में विधिवत शुरु होगी। जबकि भगवान मद्महेश्वर की डोली के ऊखीमठ आगमन पर लगने वाला त्रिदिवसीय मद्महेश्वर मेला 24 नवम्बर से शुरु होगा। इस मौके पर कार्याधिकारी अनिल शर्मा, प्रधान पुजारी राजशेखर लिंग, बागेश लिंग, शशिधर लिंग, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित वैदपाठी यशोधर प्रसाद मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, गिरिश देवली, सतश्वर प्रसाद सेमवाल, शिवशरण पंवार, राजीव गैरोला सहित मन्दिर समिति के अधिकारिया, कर्मचारी व हक-हकूकधारी मौजूद थे।

हरिद्वार से दिल्ली तक निकलेगी गंगा-यमुना समरसता यात्रा

ऋषिकेश।
प्रेस क्लब सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में समता अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक व उत्तराखंड प्रभारी सचिदानंद शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में भी विकास के मुद्दे को छोड़ कर जाति के मुद्दों को पकडऩे वाला समाज विश्वगुरु नहीं बन सकता।
उन्होंने कहा कि समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त कर समरसता बनाने के लिए यात्रा निकाली जा रही है। भारत वर्ष में शंकराचार्य जैसा पद किसी जाति या वर्ग के व्यक्ति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस पद पर किसी भी जाति वर्ग का व्यक्ति योग्यता के आधार पर पदासीन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि नगरपालिका सभागार में 12 अक्टूबर को सामाजिक समरसता गोष्टी का आयोजन किया गया है। इसमें चिंतन धाम के आध्यात्मिक गुरु पवन गुरु, जूना अखाड़ा के महंत नारायणगिरी, रविदास पंथ के स्वामी वीर सिंह हितकारी, स्वामी जितेंद्र नंद सहित कई संत शामिल होंगे। 13 अक्टूबर को भारत माता मंदिर हरिद्वार से पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज यात्रा को रवाना करेंगे। बहादरावाद में योग गुरु बाबा रामदेव यात्रा में शामिल होंगे। 15 अक्टूबर को दिल्ली में यमुना के तट पर यात्रा का समापन होगा।

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गांव की खुशहाली के लिए पूजा-अर्चना

रायवाला।
छिद्दरवाला के हिमालय देवी मंदिर में फूलपाती महोत्सव नव पत्रिका मनाया गया। गांव की खुशहाली के लिए मां की पूजा-अर्चना की गई।
हिमालय देवी मंदिर में शनिवार को गोर्खाली समुदाय की महिलाओं ने गांव की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नौ प्रकार के पत्ते और माता की तस्वीर को डोली में रखते हैं। इसे पुरुष उठाते हैं। महिलाएं पानी से भरा घड़ा लेकर माता को शृंगार कराकर परिक्रमा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे गांव में दुख और बीमारियों का नाश होकर खुशहाली का वास होता है।

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ऋषिकेश रियल एस्टेट एसोसिएशन ने सैनिकों को दी श्रद्धांजलि

ऋषिकेश।
ऋषिकेश रियल एस्टेट एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी त्रिवेणीघाट पहुंचे। उन्होंने सांध्यकालीन गंगा आरती में भाग लिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश कोठारी ने बताया कि ऊरी आतंकवादी हमले में मारे गये शहीद जवानों की आत्मशांति के लिए गंगा आरती का आयोजन किया गया है। उन्होंने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने अदम्य साहस का जो परिचय दिया है, वह काबिले तारिफ है। उनके साहस और जज्बे को हम सलाम करते है। दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देकर सेना ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। इससे सेना के जवानों का भी मनोबल बढ़ा है।

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इस मौके पर सचिव राजीव खुराना, नितिन गुप्ता, राजेन्द्र सजवाण, दीपक चुग, धीरज मखीजा, संजय व्यास, प्रदीप दुबे, वीरेन्द्र जोशी, हरेन्द्र रावत, विशाल कककड़, विवेक तिवारी, अजीत कवंल, निशान्त मलिक, वीरेन्द्र अरोडा, मानव जौहर, नितिन गावड़ी, मंगा ओबराय, अनिल कुकरेती, प्रदीप गुप्ता, अशोक पाल, नवीन भटट, गोपाल सती आदि मौजूद थे।

सात सुरों का बहता दरिया तेरे नाम तेरे नाम…

श्री राधामाधव संकीर्तन मंडल के सुंदर भजनों पर झूमे श्रद्धालु
मानव चेतना केंद्र और जयराम आश्रम में संकीर्तन का आयोजन

ऋषिकेश।
मानव चेतना केंद्र उग्रसेन नगर और जयराम आश्रम में गुरुवार को संकीर्तन महोत्सव का आयोजन किया गया। भागीरथ उग्रसेन नगर में भजन गायक मुरलीधर मल्होत्रा ने अपने तेरे बगैर सांवरिया…, कन्हैया तेरी आंखें नशीली…, गोविन्द भजो रे राधे गोविन्द…, सात सुरों का बहता दरिया तेरे नाम तेरे नाम… सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। बरेली से आए युधिष्ठिर, सुनील मलिक और लुधियाना से अश्वनी ग्रोवर ने भी भजनों से श्री राधामाधव का गुणगान किया। शाम के समय जयराम आश्रम में भी श्रीराधामाधव का गुणगान किया गया।

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मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र सेठी ने कहा कि वार्षिकोत्सव में मंडल की विभिन्न शाखाओं से सैकड़ों की संख्या में भक्तजन मौजूद रहे। कार्यक्रम में सीताराम कुमार, हरीश धीगड़ा, विजय डंग, मदन डंग, गोवर्धन चावला, विनोद जौहर, श्याम अरोड़ा, ऋषि चांवला, रविराज मखीजा, श्याम बिरला, हरिकृष्ण गावड़ी, जगदीश लाल डंग, देवपाल, नवल कपूर, केशव मुल्तानी, जगमोहन, अरविंद गुप्ता, रामप्रकाश, अंकित नारंग, इंद्रमोहन पाहवा, सुधीर कालड़ा, संदीप चोपड़ा, जयगोपाल वार्ष्णेय, मनोज मदान, प्रवीण अनेजा, चंद्रप्रकाश कामरा आदि उपस्थित थे।

अध्यात्मिकता और शांति से मिलती है सफलता

अंर्तराष्ट्रीय उद्बोधन श्रृखंला के अंर्तगत विश्व शांति दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन
शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी मुख्य वक्ता रहे
ऋषिकेश।
बुधवार को ज्योति विशेष विद्यालय में आध्यात्मिक और शांति विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखें। शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी ने आध्यात्म और शांति को परिभाषित किया। कहा कि जीवन में सफलता पाने का सूत्रधार आध्यात्म है, और आध्यात्म से ही शांति मिलती है। जीवन में शांति पाने के लिए आज लोग करोड़ों रुपये खर्च कर रहे है, लेकिन आध्यात्म की ओर किसी का ध्यान नही है। लोग अध्यात्मिकता और शांति को एक निश्चित उम्र का पैमाना मानते है। 103
कार्यक्रम में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. पीयूषकांत दीक्षित, हमीरपुर उत्तरप्रदेश के विधायक युवराज सिंह, श्री भरत मंदिर ऋषिकेश के महंत अशोक प्रपन्नाचार्य, विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, एडवोकट अश्वनी दुबे ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम संयोजक लक्ष्मी नारायण जोशी ने अतिथियों का धन्यवाद दिया। प्रो. पीयूषकांत दीक्षित, प्रो. निशांत सिंह देवल व प्रो. ईश्वर दास को आजीवन उपलिब्ध सम्मान से नवाजा गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रकाश पंत ने किया। मौके पर पूर्व दर्जाधारी ऊषा रावत, मदन मोहन शर्मा, ज्योति सजवाण, इन्द्र कुमार गोदवानी, रवि कुमार जैन, चेतन शर्मा, डीबीएस रावत, कुसुम जोशी, कमला नेगी, सभासद हरीश तिवाड़ी, राकेश पारछा, विवेक तिवारी, अमित गांधी आदि मौजूद थे।

संत समाज को सही रास्ता दिखाते हैः हरीश रावत

ऋषिकेश।
मुख्यमंत्री हरीश रावत रविवार को दयानंद आश्रम पहुंचे और उनकी भू.समाधि स्थल पर पुष्प चढ़ाए। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद ने आपदा के समय राज्य की मदद की। आपदा में अनाथ हुए बच्चों को शिक्षा का ज्ञान देकर सहारा दिया। उन्होंने कहा कि संत समाज को सही रास्ता दिखाते है। हमें भी अपने कर्तव्यों को समझना चाहिये, देश को स्वच्छ व मजबूती देने की दिशा में कार्य करना चाहिये। आश्रम के स्वामी शुद्धानंद महाराज ने बताया कि सुबह से ही आश्रम में संतों ने उनकी समाधि पर पुष्प अर्पित किए। 108a
109वही, भाजपा के केन्द्रीय महासचिव राममाधव भी दयानंद आश्रम पहंुचे। उन्होंने दयानंद को महान संत की संज्ञा दी। कहाकि तीर्थनगरी संतों की नगरी है। इस अवसर पर आश्रम प्रबंधक गुणानंद रयाल, शांतआत्मानंद महाराज, एमजी श्रीनिवासन, धर्मराजन, पूर्णानंद महाराज, शीला बाला, संदीप रहेजा, दुर्गा रहेजा, राम सुब्रमण्यम राजा, डीएम टिहरी इंदुधर बौड़ाई, एसएसपी एनएस नपल्चयाल, एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान आदि मौजूद रहे।

पंचक खत्म होते ही कावड़ियों की संख्या में वृद्धि

कावड़ियों की भीड़ के मद्देनजर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
हरिद्वार।
तीर्थनगरी मंे कांवडियांे की भीड़ मंे लगातार इजाफा होता जा रहा है। प्रशासन कांवडियांे की भीड़ को हाईवे से उतारकर उनको नहर पटरी से उनके गतंव्य की ओर रवाना किया जा रहा है। नहर पटरी मंे कांवडियांे के लिए बिजली, पानी व शौचालय की व्यवस्था की गयी है। ताकि कांवडियांे को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। हाईवे पर जाम की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किये गये है। डाक कांवडियांे के लिए अलग-अलग स्थानों पर पार्किग की व्यवस्था की गयी है। जहां पर उनके कांवड से सम्बंधित सामानांे का बाजार भी व्यापारियांे द्वारा लगाया गया है। जहां पर कांवडियांे को उनके मुताबिक समान उपलब्ध कराया जा रहा है। श्रावण मास कांवड मेला तीर्थनगरी में प्रारम्भ हुए चार दिन हो चुके है। चार दिनांे के भीतर विभिन्न प्रान्तांे से लाखांे कांवडियें गंगा जल भरकर यहां से अपने गतंव्यों की ओर रवाना हो चुके है। जिस तेजी के साथ कांवडियांे को आगमन हरिद्वार मंे हो रहा है। ठीक उसी तरह यहां से गंगा जल भरकर कांवडियांे का प्रस्थान भी हो रहा है।
लाखांे कांवडियंे मौजूदा समय मंे तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। जिनमें कुछ पंचक समाप्त होने का इंतजार कर रहे है, तो कुछ पंचक को ना मानकर गंगा जल भरकर यहां से प्रस्थान कर रहे है। प्रशासन की ओर से कांवड मेले को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए जहां पुख्ता इंतजाम करते हुए उनको अमली जामा पहनाया गया है। वहीं दुनियाभर मंे आतंकवादी घटनाआंे को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किये गये है। देखा जाए तो तीर्थनगरी के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। इतना ही नहीं पुलिस प्रशासन ने असमाजिक तत्वांे पर पैनी नजर रखी जा रही है। कांवडियांे के भेष सहित सार्दी वर्दी में पुलिस को तैनात किया गया है। ताकि किसी स्थिति से निपटा जा सकें। बस अड्डा, रेलवे स्टेशन सहित भीड ़भाड़ वालंे इलाकों मंे डॉग स्वायड व बम निरोधक दस्ता भी चैंकिग अभियान में जुटा है।
पुलिस प्रशासन द्वारा स्थानीय नागरिकों सहित व्यापारियांे और संत व साधुआंे से सहयोग की अपील की गयी है। पुलिस प्रशासन ने तैनात पुलिस अधिकारियों सहित कर्मियांे को कांवडियांे सहित स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और आम लोगों से मधुर व्यवहार किये जाने के निर्देश दिये गये है।