कहते हैं कि, फौंजी कभी रिटायर नहीं होता है, चाहे वो ऑन ड्यूटी हो या ऑफ ड्यूटी। उत्तराखंड में ऐसे कई पूर्व फौंजी हैं जो रिटायरमेंट के बाद समाज की तस्वीर बदलने में जुटे पड़े हैं और इनकी मेहनत के अच्छे नतीजे भी सामने आने लगे हैं। इन्हीं में से हैं बागेश्वर जिले के रूनीखेत निवासी पूर्व कैप्टन नारायण सिंह उन्यूड़ी। जिनकी तीन साल की मेहनत से 17 युवा फौंज में भर्ती हो चुके हैं। कैप्टन के कदम अभी थमे नहीं हैं उनका मुकाम नशे की गिरफत से युवाओं को मुक्त करा उन्हें देश सेवा से जोड़ना है।
उत्तराखंड के लोगों में देशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। पहाड़ के हर घर में फौजी हैं, और ये फौजी रिटायरमेंट के बाद भी देशकृसमाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते आ रहे हैं। वर्ष 2017 में 12 कुमाउं में तैनात सुबेदार मेजर नारायण सिंह को रिटायर के वक्त सेना ने ऑनरी कैप्टन की उपाधी से नवाजा। घर आने पर उन्होंने देखा कि गांव के ज्यादातर युवाकृबुजुर्ग नशे की गिरफ्त में हैं। इस पर उन्हें बहुत पीड़ा पहुंची तो उन्होंने युवाओं को देश सेवा का जज्बा भरने के लिए गांव के ही एक युवक को लेकर ग्राम पंचायत खोली के तोक घाटबगड़ रुनीखेत मैदान में निरूशुल्क ट्रैनिंग देनी शुरू कर दी। उनके जज्बे को देख कुछ ही महीनों में हल्द्वानी, सोमेश्वर, चौंरा, कपकोट, दफौट के दूरस्थ क्षेत्रों से युवा उनके पास ट्रैनिंग के लिए आने शुरू हो गए। ट्रैनिंग में जरूरत के सामानों के लिए कैप्टन की मदद के लिए कुछेक लोगों ने मदद की तो मैदान में बारिश से बचने के लिए जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार ने भी अपने खर्चे पर डेढ़ लाख रुपये से वहां एक व्यायामशाला बना दी।
भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए जो मानक बने हैं उन सारे मानकों की वो निरूशुल्क ट्रैनिंग दे रहे हैं। सुबह पांच से सात बजे तक फिजिकल ट्रैनिंग के सांथ ही रिटर्न टैस्ट की भी ट्रैनिंग युवाओं को दी जा रही है। इसके सांथ ही हर रविवार को युवाओं की फिजिकल प्रोग्रस को आंका जाता है। विगत तीन सालों में उनसे ट्रैनिंग लिए 17 युवा स्पेशल फोर्स, लद्वाख स्कॉट, पैरा कंमाडो सहित अन्य बटालियनों में भर्ती हो चुके हैं।
इस मुहिम में कैप्टन नारायण सिंह अकेले नहीं हैं। उनके साथ प्रिंसिपल चंदन सिंह परिहार भी जुड़ गए हैं, जो कि ट्रैनिंग ले रहे युवाओं का लेखाकृजोखा रखने में मदद करते हैं। रूनीखेत मे चल रहे कैंप मे इस वक्त चालीस युवा निशुल्क ट्रेनिंग ले रहे हैं।
आज के वक्त में जब ज्यादातरों ने अपने हुनर को बिजनस बना लिया है वहीं कैप्टन नारायण सिंह रिटायर होने के बाद भी निस्वार्थ हो अपना कीमती वक्त युवा पीड़ी में देश सेवा का जज्बा भरने में जुटे पड़े हैं। देश सेवा के उनके जुनुन को युवा पीड़ी भी समझ उनके कदम से कदम मिला अपने भविष्य को संवारने में लगी है।