शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग व विशेष आवश्यकता वालें बच्चों पर हाईकोर्ट नैनीताल ने आदेश पारित किया है। इस आदेश में इन बच्चों के लिये विद्यालय को विशेष सुविधायें मुहैया करायी जायेंगी। साथ ही विद्यालयों को अलग से शिक्षकों की नियुक्ति करने व अलग हॉस्टल बनाये जाने के आदेश दिए गये है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने कमल गुप्ता के पत्र पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने पत्र में कहा था कि प्रदेश के विद्यालयों में दिव्यांगों व विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए कोई सुविधा नहीं है। जिस कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। संविधान के अनुच्छेद 21 ए में छह से 14 साल तक के बच्चों को निरूशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई है। खंडपीठ ने पिछले दिनों मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाईकोर्ट ने जरूरतमंद बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति करने तथा बच्चों को हर माह एक हजार छात्रवृत्ति प्रदान करने के आदेश पारित किए हैं। आदेश में यह भी कहा है कि सरकार ऐसे बच्चों को शैक्षणिक सत्र से पहले यूनीफार्म, किताबें उपलब्ध कराई जाएं। राज्य सरकार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए एक साल के भीतर राज्य के चार जिलों में छात्रवास बनाए। जिन विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के अभिभावक उनकी जरूरतें पूरी नहीं कर सकते, ऐसे अभिभावकों की मदद सरकार करे। सरकार सरकारी, गैर सरकारी, सहायता प्राप्त व गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों के दिव्यांग बच्चों को स्वतंत्र विचरण के लिए मुफ्त में ट्रांसपोर्ट सुविधा प्रदान करे।