सीएस ने यूकॉस्ट और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग को इस दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में स्थित राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक संस्थानों का राज्य के हित में अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लगातार संवाद, बेहतर समन्वय व सतत सहयोग की व्यवस्था हेतु एक सुव्यवस्थित व सुसंगठित प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में आगामी 12 से 14 नवंबर तक विज्ञान धाम में प्रस्तावित छठे देहरादून इंटरनेशनल साईंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टीवल के पोस्टर एवं ब्रोशर का विमोचन करते हुए यह विचार व्यक्त किए। मुख्य सचिव ने प्रस्तावित फेस्टीवल हेतु आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नित नई प्रगति होने से बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं। समाज और विशेषकर युवा पीढी को विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी से जोड़ने और इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रेरित करने में इस तरह के आयोजन महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि टेक्नोलॉजी की जननी मौलिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते उत्तराखंड के लिए विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी अत्यधिक आवश्यक व महत्वपूर्ण है। देहरादून एवं उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्तर के कई वैज्ञानिक एवं शैक्षिक संस्थान मौजूद हैं, जिनका राज्य के हित में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग लिया जाता है। उत्तराखंड के हित में सभी महत्वपूर्ण संस्थानों का अधिकतम सहयोग व बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्य सचिव ने यूकॉस्ट और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग को इस दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।

इस अवसर पर सचिव उत्तराखंड शासन डॉ. आर. राजेश कुमार, चन्द्रेश यादव, दीपेन्द्र चौधरी, हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण अनिल जोशी, उत्तराखंड पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के वीसी राम शर्मा, यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डीपी उनियाल आदि ने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन कुंवर राज अस्थाना ने किया।

सीएस बोले, राज्य में ईएसआईसी के अस्पताल खोलने कोे मानकों में ढील देने का प्रस्ताव तैयार कर क्षेत्रीय परिषद को भेजेंगे

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने उद्योगों से जुड़े प्रकरणों का तत्परता से निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि राज्य में उद्योगों को समुचित सुविधाएं एवं बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए शासन प्रतिबद्ध है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को उद्योगों व उद्यमियों से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय उद्योग मित्र समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने की हिदायत देते हुए कहा है कि तात्कालिक महत्व के मामलों में इन समितियों की बैठकों की प्रतीक्षा न कर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में राज्य स्तरीय उद्योग मित्र समिति की प्राधिकृत समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने बैठक में राज्य के उद्यमियों एवं उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत मामलों को विस्तार से सुनने के साथ ही उद्योगों से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रकरणों पर विस्तार से विचार-विमर्श कर संबंधित विभागों के अधिकारियों को त्वरित समाधान करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यमियों के साथ सचिव वित्त द्वारा जीएसटी की नई व्यवस्था से संबंधित प्रकरणों को लेकर बैठक कर समस्याओं एवं शंकाओं का समुचित समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ईएसआईसी के अस्पताल खोले जाने के मानकों में ढील देने का प्रस्ताव तैयार कर क्षेत्रीय परिषद को भेजा जाएगा। उन्होंने देहरादून जनपद में ईएसआईसी अस्पताल के लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में उद्योगों की स्थापना व संचालन के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के साथ ही औद्योगिक आस्थानों में समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों और संगठनों को उद्योगों के लिए सभी आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराने, बिजली की पर्याप्त व निर्बाध आपूर्ति करने तथा लॉजिस्टिक की बेहतर सुविधाएं देने के लिए भी कारगर कदम उठाने के निर्देश देते हुए कहा कि उद्यमियों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों का समय से समाधान सुनिश्चित किया जाय।

बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव विनीत कुमार सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी गण एवं उद्योग संगठनों केे प्रतिनिधिगण व अनेक उद्यमी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जलवायु लचीलापन व जल स्थिरता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने आज अंतर्राष्ट्रीय जल विज्ञान संघ (आईएएचएस) की बारहवीं वैज्ञानिक सभा का उद्घाटन किया। इस सभा में दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं नीति निर्माता सतत जल संसाधन प्रबंधन, जल विज्ञान संबंधी नवाचारों एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्रित हुए। इस सभा में 49 देशों के 627 से अधिक प्रतिभागी और 682 वैज्ञानिक योगदान शामिल हैं, जो इसे आईएएचएस के इतिहास की सबसे बड़ी सभाओं में से एक बनाता है। सप्ताह भर चलने वाला यह कार्यक्रम जल स्थिरता एवं जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक चर्चाओं, कार्यशालाओं व नेटवर्किंग के माध्यम से वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।

मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड, आनंद बर्द्धन ने सत्र का उद्घाटन किया और जल विज्ञान अनुसंधान और इसके सामाजिक अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने में उनके वैश्विक योगदान के लिए आईआईटी रुड़की एवं आईएएचएस की सराहना की। मुख्य सचिव बर्द्धन ने कहा, जल विज्ञान जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान वैश्विक ज्ञान को स्थानीय समाधानों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो समुदायों और नीति निर्माताओं दोनों को सशक्त बनाते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन एवं आईआईटी रुड़की कुलगीत के साथ हुई, जिसके बाद प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने अपने संबोधन दिए, जिनमें आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत, आईएएचएस के अध्यक्ष प्रो. साल्वातोरे ग्रिमाल्डी, आईएनएसए के उपाध्यक्ष एवं सीएसआईआर-एनईआईएसटी के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी, आईएएचएस एसए 2025 के अध्यक्ष प्रो. सुमित सेन तथा संयोजक प्रो. अंकित अग्रवाल शामिल थे।

आईआईटी रुड़की में आयोजित यह आईएएचएस वैज्ञानिक सभा नवाचार, सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक जल चुनौतियों के समाधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह जल विज्ञान अनुसंधान एवं सतत जल प्रबंधन में भारत की अग्रणी भूमिका को सुदृढ़ करती है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा, मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह छह दिवसीय सभा नए विचारों, दीर्घकालिक साझेदारियों और परिवर्तनकारी नवाचारों को प्रेरित करेगी, जो जल विज्ञान एवं समाज दोनों के लिए सार्थक योगदान देंगी। सत्र के दौरान आईएएचएस वैज्ञानिक सभा 2025 की कार्यवाही का विमोचन भी किया गया, जो एक सप्ताह तक चलने वाले वैज्ञानिक विचार-विमर्श, तकनीकी सत्रों, प्रदर्शनी एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोगों की शुरुआत का प्रतीक है।

अगले तीन माह में करें एक वर्ष से अधिक समय से लंबित वादों के निस्तारणः बर्द्धन

मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष राजस्व परिषद आनन्द बर्द्धन ने राजस्व परिषद सभागार में जिलाधिकारियों के साथ राजस्व वादों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि धारा 34 एवं 143 से सम्बन्धित एक वर्ष से अधिक समय से लंबित वादों को अगले तीन माह में निपटारा कर लिया जाए।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को धारा – 34 और 143 से सम्बन्धित वादों में गंभीर अनियमितताओं पर तत्काल विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने तहसीलदार विकास नगर को वादों के निस्तारण में धीमी गति पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वादों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की कोताही न की जाए।

मुख्य सचिव ने सभी जनपदों में ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया लागू किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आरसीएमएस पोर्टल शीघ्र ही पूर्णतः संचालित होने लगेगा। इससे रजिस्ट्री होते ही तत्काल म्यूटेशन की प्रक्रिया पूर्ण हो सकेगी। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को तहसील मुख्यालयों एवं एसडीएम कार्यालयों में भी ई-ऑफिस शीघ्र लागू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां नेटवर्क एवं हार्डवेयर की अनुपलब्धता है, शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्य सचिव ने जनपदों में कार्मिकों के स्थानान्तरण हो जाने के बावजूद जनपदों से कार्यमुक्ति न दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बैठक समाप्ति के तत्काल बाद सभी स्थानान्तरित कार्मिकों को कार्यमुक्त किया जाए एवं जनपदों द्वारा आज शाम तक कार्यमुक्ति से सम्बन्धित प्रमाण पत्र उपलब्ध करा कर अवगत कराया जाए।

मुख्य सचिव ने राजस्व वसूलियों से सम्बन्धित समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएं। उन्होंने दोनों मंडलों के आयुक्तों को भी अपनी मासिक बैठकों में राजस्व वादों एवं राजस्व वसूली से सम्बन्धित मामलों की समीक्षा किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने रेवेन्यू रियलाइजेशन कमिटी, वन, वाणिज्य, रजिस्ट्रेशन और आरसीएस से सम्बन्धित बैठकों को भी नियमित रूप से आयोजित किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने आपदा से क्षतिग्रस्त पटवारी चौकियों एवं तहसील भवनों का आंकलन शीघ्र भेजे जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्रमोशन के पदों के लिए पात्र कार्मिकों की प्रमोशन की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जाए, ताकि पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार आदि के पदों को शीघ्र भरा जा सके और वादों के निस्तारण में तेजी आए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि सेवा का अधिकार के अंतर्गत समस्त प्रमाणपत्रों के निर्गत किए जाने की समय सीमा का उल्लेख सम्बन्धित कार्यालयों के सम्मुख अनिवार्य रूप से चस्पा की जाए, ताकि आवेदकों को, उनके द्वारा आवेदित प्रमाण पत्र कब तक उपलब्ध हो जाएंगे, इसकी जानकारी मिल सके।

इस अवसर पर सचिव एवं आयुक्त राजस्व परिषद रंजना राजगुरू सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपदों से जिलाधिकारी एवं आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत उपस्थित थे।

सीएस ने प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाने को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को जिम्मेदारी दी

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान, जीएसआई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, सेंट्रल वॉटर कमीशन आदि राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ लैंड स्लाइड न्यूनीकरण के सम्बन्ध में बैठक की। बैठक के दौरान सभी वैज्ञानिक संस्थानों के साथ भूस्खलन न्यूनीकरण की समस्याओं के निराकरण पर चर्चा हुई।

मुख्य सचिव ने सभी वैज्ञानिक संस्थानों को प्रदेश के अंतर्गत भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का चिन्हीकरण कर एक प्रिडिक्शन मॉडल तैयार किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें एक इस प्रकार के मैकेनिज्म को तैयार किए जाने की आवश्यकता है, जो सैटेलाइट इमेज और धरातल परीक्षण के बाद तैयार मॉड्यूल के आधार पर यह पूर्वानुमान लगा सके कि कितनी वर्षा होने पर किसी विशेष स्थान के भूस्खलन की संभावना है, ताकि हम निचले स्थानों को खाली कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा सकें।

मुख्य सचिव ने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान एवं सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिलकर इस दिशा पर कार्य किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में वृहत स्तर पर और तत्काल कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगवाए जाने हेतु वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को जिम्मेदारी दी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में प्रदेश की 6 संवेदनशील झीलों का सैटेलाइट एवं धरातलीय परीक्षण कर सेंसर स्थापित किए जाएं। उन्होंने कहा कि संवेदनशील झीलों की संवेदनशीलता किस प्रकार से कम की जा सकती है, इस दिशा में भी कार्य किए जाना है। उन्होंने कहा कि वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल वॉटर कमीशन, यू-सैक आदि आवश्यक वैज्ञानिक संस्थानों की सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने वाडिया संस्थान को आश्वासन दिया कि इस कार्य के लिए आवश्यक फंड्स की किसी प्रकार से कमी नहीं होने दी जाएगी और उपलब्ध करायी जाएगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि यह एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल टास्क है। इसे हम सभी को गंभीरता के साथ तत्काल इस दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर सचिव विनोद कुमार सुमन, आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल वॉटर कमीशन के वैज्ञानिक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएस ने जीबी कृषि विश्वविद्यालय को प्रदेश के लिए कार्बन क्रेडिट एजेंसी के रूप में कार्य करने पर दिया बल

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में सीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग समिति की बैठक दिसंबर माह एवं राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति की यह बैठक मार्च माह में कराये जाने के निर्देश दिये, ताकि अप्रैल से प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो सके।

मुख्य सचिव ने कृषि विभाग द्वारा मालियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्किल इंडिया के एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया को कोर्स और सिलेबस को एडॉप्ट कर इस डिप्लोमा कोर्स की महत्त्व बढ़ाया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि जनपद अपने अपने क्षेत्र में फार्म मशीनरी बैंकों का मूल्यांकन कराएं। कहा कि फार्म मशीनरी बैंकों के आने के बाद उत्पादकता में क्या प्रभाव पड़ा इसका आंकलन तैयार कराया जाए।

मुख्य सचिव ने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय को प्रदेश के लिए कार्बन क्रेडिट एजेंसी के रूप में कार्य किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश कार्बन क्रेडिट की दिशा में बहुत कुछ कर सकता है, इसके लिए जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मुख्य सचिव ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार को ग्राफ्टिंग की दिशा में कार्य किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वॉलनट के ग्राफ्टेड प्लांट्स की प्रदेश में अत्यधिक मांग है, जिसे बाहर से सप्लाई कराना पड़ता है। उन्होंने विश्वविद्यालय को इस दिशा में शीघ्र कार्य किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने इन सभी प्रोजेक्ट्स के आउटकम इंडिकेटर्स निर्धारित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी प्रोजेक्ट्स समय पर पूर्ण हों इसके लिए सभी स्टेज की समयसीमा निर्धारित की जाएं।

इस अवसर पर सचिव श्रीधरबाबू अद्दांकी, डॉ. रणवीर सिंह चौहान, डॉ. एस.एन. पाण्डेय, वीसी वीसीएसजी औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार डॉ. परविंदर कौशल, अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव, नवनीत पाण्डेय सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएस ने दिए पर्वतारोहण नीति की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार नई नीति बनाए जाने के निर्देश

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने समृद्ध जैव विविधता से परिपूर्ण उत्तराखंड राज्य में वन पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए अभिनव प्रयास किए जाने और ईको टूरिज्म के विकास हेतु चयनित स्थलों के वन विश्राम गृहों को ईको एवं नेचर कैंप के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने कहा है कि नंदा देवी शिखर को पर्वतारोहण अभियानों के लिए खोले जाने के प्रस्ताव के संबंध में केन्द्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को राज्य की पर्वतारोहण की नीति की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार नई नीति बनाए जाने और ट्रैकिंग के नियमों को शीघ्र लागू कर इससे संबंधित अनुमति के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को भी आगामी 15 नवंबर तक संचालित करने की हिदायत दी है।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने ईको टूरिज्म के विकास के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की सचिवालय स्थित सभागार में मंगलवार को आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में ईको टूरिज्म के विकास की बेहतर संभावनाओं को साकार करने के लिए चिन्हित 25 नई योजनाओं पर तेजी से काम किया जाय। इन स्थलों को जबरखेत मॉडल की तर्ज पर विकसित कर इनमें वनों से अनुराग रखने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षक सुविधाएं जुटाई जांय। ताकि फॉरेस्ट टूरिस्ट यहां लंबे समय तक टिके रहें और बेहतर अनुभव के साथ वापस लौटें।

मुख्य सचिव ने ऋषिकेश के निकट बीटल्स आश्रम के रूप में विख्यात चौरासी कुटिया का पर्यटन के दृष्टिकोण से पुनर्विकास किए जाने की योजना पर भी समयबद्ध ढंग से काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस आश्रम से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों एवं अन्य संदर्भों को ऋषिकेश एवं कोलकाता से संकलित कर प्रदर्शित करने की व्यवस्था की जाय।

बैठक में मुख्य वन संरक्षक पी.के. पात्रो ने ईको टूरिज्म विकास की परियोजनाओं की प्रगति तथा प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी दी।

बैठक में सचिव वन सी रविशंकर, अपर सचिव विनीत कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) विवेेक पाण्डेय, मुख्य वन संरक्षक पी.के. पात्रो, अपर निदेशक पर्यटन पूनम चंद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेे।

सीएस की अध्यक्षता में हुई डीआरएम मुरादाबाद और प्रदेश सरकार के बीच बैठक

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में प्रदेश सरकार और डीआरएम मुरादाबाद संग्रह मौर्य के मध्य सामंजस्य बैठक हुयी। बैठक के दौरान रेलवे और राज्य सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुयी।

मुख्य सचिव ने ऋषिकेश डोईवाला रेलवे बाईपास के लिए राजाजी नेशनल पार्क, रेलवे और डीएफओ की टीम को शीघ्र से शीघ्र संयुक्त सर्वेक्षण कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस और फॉरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया भी शुरू कर ली जाए। उन्होंने हर्रावाला रेलवे स्टेशन के विस्तारीकरण कार्य में तेजी लाए जाने हेतु रेलवे, वन एवं राजस्व की संयुक्त टीम द्वारा सर्वे पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि महाकुम्भ 2033 से पहले हरिद्वार-देहरादून डबल लेन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इसके लिए वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस और फॉरेस्ट क्लीयरेंस आदि की प्रक्रिया भी शुरू किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने रेलवे से कुंभ मेला के लिए ट्रैफिक मैनेजमेंट सर्कुलेशन प्लान भी शीघ्र तैयार कर उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने रेलवे स्टेशंस का फेस लिफ्टिंग में ऋषिकेश एवं हरिद्वार को भी शामिल किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने रेलवे से कुम्भ 2027 से सम्बन्धित बैठकों में कॉर्डिनेशन के लिए एक मेला अधिकारी नामित किए जाने की बात कही। कहा कि कुम्भ की तैयारियों को लेकर होने वाली आगामी बैठक में रेलवे से भी प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने रेलवे और उत्तराखण्ड सरकार के मध्य सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए भी मैकेनिज्म तैयार किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि पूरे राज्य के लिए मोबिलिटी प्लान तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के यातायात साधनों और विकल्पों को लेकर अगले 50 सालों का प्लान तैयार किए जाने की बात कही।

डीआरएम संग्रह मौर्य ने बताया कि देहरादून मसूरी रेलवे प्रोजेक्ट का प्राथमिक सर्वे हो गया है, फाइनल लोकेशन सर्वे शीघ्र शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सहारनपुर देहरादून प्रोजेक्ट का फाइनल लोकेशन सर्वे गतिमान है। उन्होंने बताया हर्रावाला रेलवे स्टेशन की डीपीआर स्वीकृत हो गई है। प्रोजेक्ट की स्वीकृति होनी बाकी है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव बृजेश कुमार संत, सी रविशंकर, स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा, उपाध्यक्ष एमडीडीए एवं महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

दून पुस्तकालय में नियमित रूप से विदेशी भाषा सीखने को संभावनाएं तलाशेंः सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की चतुर्थ जनरल बॉडी मीटिंग आयोजित हुयी। बैठक के दौरान दून पुस्तकालय से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुयी। मुख्य सचिव ने कहा कि रविवार को दून पुस्तकालय खुला रखा जा सकता है जिससे अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकते हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि दून पुस्तकालय में नियमित रूप से विदेशी भाषा सीखने हेतु कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं। उन्होंने इसके लिए सम्भावनाएं तलाशे जाने की बात कही। कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगातार राज्य के युवाओं के लिए विदेशों में रोजगार की दिशा में कार्य किया जा रहा है। दून पुस्तकालय द्वारा प्रदेश के युवाओं के लिए विदेशी भाषाओं को सिखाने की दिशा में प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने दून पुस्तकालय में प्रदेश के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर 1 से 9 नवम्बर तक रजत जयंती सप्ताह के दौरान विशेष कार्यक्रम संचालित किए जाने की भी बात कही।

बैठक के दौरान बताया गया कि बाल वर्ग के लिए भाषा ज्ञान, नाटक, कहानी, पर्यावरण, संस्कृति जैसे विषयों पर एवं युवाओं के लिए पर्यावरण, साहित्य, भाषा, इतिहास और संस्कृति जैसे विषयों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके साथ ही, आम जनता के लिए समाज और मानसिक स्थिति, महिला सशक्तिकरण, उपभोक्ता संरक्षण और कानून, वास्तुकला और परिवर्तन, पहाड़ों में खेती का उजाड़ होना आदि विषयों पर भी कार्यक्रम आयोति किए गए हैं।

इस अवसर पर प्रो. बी. के. जोशी, सुभाष कुमार, एस. के. मट्टू एवं एन. रविशंकर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण से सम्बन्धित पुराने दस्तावेजों का भी डिजीटाईजेशन करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में जन्म-मृत्यु पंजीकरण के सम्बन्ध में राज्य स्तरीय अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित हुयी। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने जन्म-मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया एवं समस्याओं के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जन्म-मृत्यु का पंजीकरण निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत अनिवार्य रूप से कर लिया जाए। उन्होंने जन्म-मृत्यु पंजीकरण से सम्बन्धित पुराने दस्तावेजों का भी डिजीटाईजेशन किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार कार्यालयों के बाहर सूचना पट पर रजिस्ट्रार कार्यालय के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी अनिवार्य रूप से लगायी जाए।

मुख्य सचिव ने जनपद स्तर पर जिला रजिस्ट्रार/जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति (डीएलसीसी) की बैठक का आयोजन वर्ष में कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से किये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य में फर्जी पोर्टल/वेबसाइटों के माध्यम से जन्म-मृत्यु पंजीकरण के कार्य को रोकने हेतु व्यापक प्रचार सहित आवश्यक कार्यवाही किए जाने की भी बात कही।

इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन, डॉ. आर. राजेश कुमार, निदेशक जनगणना कार्य निदेशालय ईवा आशीष श्रीवास्तव, अपर सचिव रंजना राजगुरू सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।