मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र कुमार मित्तल, रणजीत सिंह जुयाल सहित 10 लोकतंत्र सेनानियों को किया सम्मानित

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का उत्तराखंड आगमन पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के वन सम्बंधित मामलों का तत्परता से निस्तारण हो रहा है। उत्तराखण्ड को केंद्र सरकार का हर संभव सहयोग एवं मदद प्राथमिकता पर मिल रही है।

लोकतंत्र सेनानी हमारे महानायकः मुख्यमंत्री

लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हमें लोकतंत्र की रक्षा करने वाले महानायकों को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में आपातकाल का कालखंड हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा। यह फैसला हमेशा की तरह देश को अपनी जागीर समझने वाले एक परिवार की हठधर्मिता और तानाशाही रवैए का परिणाम था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और न्यायपालिका की गरिमा तार-तार कर करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया गया। आपातकाल के उन काले दिनों में सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं, सैंकड़ों पत्रकारों सहित हर उस आवाज का निर्ममता से दमन किया जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठ रही थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल कर पूरे देश को एक खुली जेल बना दिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नमन है लोकतंत्र के रक्षकों को, जिन्होंने जेल की कालकोठरियों को अपनी तपस्या की तपोभूमि बना लिया और लोकतंत्र के दीप को बुझने नहीं दिया। उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण, श्रद्धेय नानाजी देशमुख, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और चंद्रशेखर जी जैसे असंख्य लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल लगाने के तानाशाही सरकार के उस निर्णय के विरुद्ध हुए आंदोलन को दिशा देने का काम किया। जेल की चारदीवारी में बंद रहते हुए भी इन नेताओं ने युवाओं के भीतर लोकतंत्र के प्रति चेतना जाग्रत करने का कार्य किया। उस समय आदरणीय अटल जी ने कई कविताओं के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया। तानाशाही सरकार के दमन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जनसंघ सहित अनेकों सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने भी अपनी पूरी शक्ति से लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन चलाया। इस आंदोलन को देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ और धीरे-धीरे ये आंदोलन एक राष्ट्रव्यापी जनक्रांति में बदल गया।

उत्तराखंड के सपूतो ने भी लोकतंत्र बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की पुण्य भूमि पर भी ऐसे अनेक सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए उस जनक्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई थी। बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जाग्रत करने का कार्य किया जिसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी, यहां तक कि अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा, जिसे 32 वर्ष के संघर्ष के बाद वे दुबारा प्राप्त कर सके। पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा को भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंध रखने के लिए जबरन जेल में डाल दिया गया था। उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं जिन्होंने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

लोकतंत्र का महत्व समझने के लिए आज के युवाओं को आपातकाल का इतिहास जानना होगा- सीएम धामी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आपातकाल के समय भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। यही कारण है कि उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों के योगदान और आपातकाल के काले अध्याय से आने वाली पीढ़ियों को अवगत कराने हेतु 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने आपातकाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए 1978 में “संघर्षमां गुजरात” नामक एक किताब भी लिखी थी। कल ही गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री के आपातकाल के दौरान के संघर्ष पर लिखी एक नई पुस्तक “द इमरजेंसी डायरीज” का भी विमोचन किया। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक और संविधान हत्या दिवस के माध्यम से भारत की नई पीढ़ी भी ये जान सकेगी कि किस तरह आपातकाल के दौरान संविधान को रौंदा गया और लोकतंत्र की आत्मा को निर्ममता से कुचला गया।

लोकतंत्र सेनानियों का हित और कल्याण हमारी प्राथमिकता- सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी सरकार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान हेतु पूर्ण रूप से संकल्पित होकर कार्य कर रही है। प्रदेश भर में आपातकाल के विरुद्ध हुए इस महान आंदोलन के बारे में हमारी युवा पीढ़ी को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की शक्ति और नागरिकों की लोकतंत्र के प्रति आस्था को और अधिक मजबूत किया जा सके। हमारी सरकार आपकी प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। हम राष्ट्र के प्रति आपके अतुलनीय योगदान को जन-जन तक पहुंचाने हेतु प्रतिवर्ष इसी प्रकार लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल हमारे प्रदेश के युवाओं को लोकतंत्र का महत्त्व समझाने में सहायक सिद्ध होंगे बल्कि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति और अधिक सजग बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के हमारे “विकल्प रहित संकल्प” को पूर्ण करने हेतु हमें एक नई शक्ति और ऊर्जा प्रदान करेंगे।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट एवं बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

समान नागरिक संहिता कानून लागू करने के लिए बुलाया जायेगा विधानसभा सत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, संविधान निर्माताओं और राज्य आन्दोलनकारियों को नमन करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस हमारे संविधान निर्माण का एक पर्व है। हमारा यह विशिष्ट संविधान हमारे राष्ट्र का निरंतर मार्गदर्शन करता आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गणतंत्र दिवस हमारे स्वाधीनता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान का स्मरण भी कराता है। यह अवसर हमें देशभक्तों के सपनों को साकार करने और अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने का संकल्प लेने की भी प्रेरणा देता है। संविधान के अंतर्गत ही हम सभी की जिम्मेदारी यह भी है कि हम न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूलभूत लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई 5 सदस्यों की कमेटी ने ड्राफ्ट पूरा कर लिया है। ड्राफ्ट मिलते ही जल्दी विधानसभा का सत्र बुलाकर विधानसभा में समान नागरिक संहिता का कानून पूरे उत्तराखण्ड में लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अंत्योदय की भावना के साथ समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के विकास, कल्याण और उन्नति हेतु संकल्पबद्ध है। जीरो टॉलरेंस आन करप्शन की नीति का अनुसरण कर राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। जनसेवा से संबंधित अधिकांश सेवाएं ऑनलाईन की गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मागदर्शन में उत्तराखण्ड को 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों के श्रेणी में लाने के लिए राज्य सरकार हर क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के सहयोग से इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के लिए राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हुए 3.56 लाख करोड़ के करारों को धरातल पर उतारने के लिए तेजी से कार्यवाही गतिमान है। राज्य में निवेश के लिए निवेशकों ने जो उत्साह दिखाया है, आने वाले समय में इससे स्थानीय स्तर पर लोगों के रोजगार के संसाधन तेजी से बढ़ेंगे और पलायन पर भी नियंत्रण होगा। राज्य में धार्मिक पर्यटन के साथ ही पर्यटन की अन्य गतिविधियों पर भी तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। कुमांऊ मण्डल में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के तहत तेजी से कार्य किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की मातृशक्ति का सम्मान भी हमारे लिए सर्वाेपरि है। राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्राविधान किया है। राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री लखपति दीदी योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य की 1.25 लाख महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का आह्वान किया।

आपातकाल में राज्य के लोकतंत्र सेनानियों का भी रहा अहम रोलः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड के लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को भी सम्मान पेंशन/निधि दी जायेगी, इसके लिये शासनादेश जारी किया जा चुका है। लोकतंत्र सेनानियों का मानदेय 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रूपये किया गया है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान उत्तराखण्ड के लोकतंत्र सेनानियों के योगदान की सभी को जानकारी हो सके, इसके लिए व्यवस्था बनाई जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों द्वारा जो भी मांग पत्र दिया है, उन पर पूरी गम्भीरता से कार्य किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आज उन्हें राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र सेनानियों द्वारा किये गए त्याग और बलिदान को देश कभी नहीं भूल सकता। जब आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध सिर्फ राजनैतिक लोगों तक सीमित नहीं रहा बल्कि उस समय जन-जन के मन में आक्रोश था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य जीवन में लोकतंत्र का क्या वजूद है, वह तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है। आपातकाल में देश के सभी लोगों को लगने लगा था कि उनका सब कुछ छीन लिया गया है। इसके लिए लखनऊ विवि, बीएचयू और इलाहाबाद विवि सहित अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों का संयुक्त संघर्ष मोर्चा बना, जिसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित उस समय के बड़े नेताओं नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेई ने अपना समर्थन दिया। उस संघर्ष का ही परिणाम था कि देश में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने संपूर्ण विश्व में अपनी क्षमता को साबित कर दिखाया है। आज उनके कुशल नेतृत्व प्रत्येक भारतीय को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है, चाहे वह दलित हो, महिला हो, किसान हो, दिव्यांग हो या फिर युवा हो। देश में हर वर्ग को सशक्त बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी लोकतंत्र सेनानियों के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हुए कहा कि प्रदेश का मुख्य सेवक होने के नाते वे हमेशा लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इसी प्रकार निरंतर कार्य करते रहेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि लोकतंत्र सेनानियों का मार्गदर्शन और आशीर्वाद उन्हें इसी प्रकार मिलता रहेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि हमारे लोकतंत्र सेनानियों द्वारा लोकतंत्र की रक्षा के लिए किये गये प्रयासों की आने वाली पीढ़ियों को जानकारी होनी चाहिए, इसके लिए उस समय इनके द्वारा लोकतंत्र की रक्षा के लिए किये गये प्रयासों को जन-जन तक पहुंचाना होगा। इसके लिए जनपद स्तर पर भी कार्यक्रम होने चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हमारे ये लोकतंत्र सेनानी इसी भावना से आगे भी कार्य करते रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में यह अच्छी बात है कि वे बुजुर्गों का आदर एवं सम्मान करते हैं और प्रदेश के विकास के लिए,उनके लंबे कार्यकाल के बुजुर्गों का आशीर्वाद उनके साथ है।लोकतंत्र सेनानियों का आशीर्वाद उनके साथ है।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल के दौरान के अपने अनुभवों को भी साझा किया,तथा मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड लोकतंत्र सेनानी संगठन के अध्यक्ष के. के. अग्रवाल, महामंत्री गिरीश काण्डपाल, रणजीत सिंह ज्याला, विजय कुमार महर, योगराज पासी, प्रेम बड़ाकोटी, हयात सिंह मेहरा एवं अन्य लोकतंत्र सेनानी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री का लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों ने जताया आभार

लोकतंत्र सेनानी आश्रित संघ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है। लोकतंत्र सेनानियों की विधवा पत्नी एवं विधुर पति को भी लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन दिए जाने के आदेश पर खुशी जताई।

संयोजक दयाशंकर पांडेय ने सीएम धामी को लिखे पत्र में कहा कि लोकतंत्र सेनानी आश्रित संघ पिछले छह साल से उत्तराखंड में अपनी मांग को लेकर प्रयासरत था। जीवित लोकतंत्र सेनानियों को 2018 से सम्मान पेंशन का लाभ मिल रहा था, लेकिन दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को लाभ नहीं मिल रहा था। उन्होंने कहा कि संगठन की ओर से मुख्यमंत्री के समक्ष मामला लाया गया। इसमें बताया गया कि जीवित लोकतंत्र सेनानियों की संख्या कम रह गई है।

ऐसे में सभी लोकतंत्र सेनानियों के परिवारों को पेंशन नहीं मिल पा रही है। इस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। राज्य में भाजपा सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर उन्होंने इसकी घोषणा की। बेहद कम समय में ही घोषणा को मूर्त रूप देते हुए शासनादेश जारी हो गया है। आपातकाल का दंश झेल चुके इन परिवारों ने बेहद कठिन समय में लोकतंत्र को जिंदा रखने में अपना योगदान दिया है। उम्मीद है कि प्रदेश में सभी लोकतंत्र सेनानी जो पूर्व में इससे वंचित रह गये थे, अब लाभ उठा सकेंगे। पांडे ने कहा कि सीएम धामी ने संघ और भाजपा के नींव के पत्थरों को सम्मान देकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की घोषणा का मान बढ़ाया है।

राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को पेंशन दी

उत्तराखंड में आपातकाल में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को भी अब पेंशन मिलेगी। शासन ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है।

आपातकालीन अवधि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच जेल गए लोकतंत्र सेनानियां को पहले सरकार 16 हजार रुपये प्रतिमाह देती थी। लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन की यह राशि बढ़ाकर अक्तूबर 2022 में 20 हजार कर दी गई थी।

अब सरकार ने तय किया है कि लोकतंत्र सेनानियों की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी या पति को भी इतनी ही राशि की लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन दी जाएगी।

कैबिनेट मंत्री ने कैंप कार्यालय में फहराया तिरंगा, किया सम्मान

स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगाँठ पर कैबीनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा फहराया। मौके पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राज्य आंदोलनकारियों, लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया।
सोमवार को बैराज रोड स्थित कैम्प कार्यालय पर कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने शान से तिरंगा फहराया। इस मौके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. शिव रतन शर्मा की पुत्री उमा शर्मा, स्व. सच्चिदानंद पैन्यूली के पुत्र एडवोकेट संपूर्णानंद पैन्यूली, स्व. बाघ सिंह बिष्ट के पुत्र बुद्धि सिंह बिष्ट, स्व. धनेश शास्त्री के पुत्र संजय शास्त्री, स्व. पुरुषोत्तम दत्त रतूड़ी के पुत्र डी पी रतूड़ी, स्व. बल्लभ भाई पांडेय के पुत्र भारतेन्दु शंकर पांडेय, स्व. देवीदत्त तिवारी के पुत्र वरिष्ठ पत्रकार हरीश तिवारी को शॉल ओढ़ाकर व पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र राणा, मंडल अध्यक्ष अरविंद चौधरी, महामंत्री जयंत शर्मा, सुमित पंवार, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष नितिन सक्सेना, ब्रजेश शर्मा, पार्षद शिव कुमार गौतम, कविता शाह, संजीव पाल, सीमा रानी, पुनीता भंडारी, माधवी गुप्ता, राजवीर रावत, दीपक जुगरान, रूपेश गुप्ता, नरेंद्र रावत सहित स्थानीय व भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।
वहीं, रेलवे रोड स्थित भाजपा ऋषिकेश मंडल कार्यालय पर कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने तिरंगा फहराया। इस मौके पर राष्ट्रगान गाकर मिष्ठान वितरित किया गया। साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. देवीदत्त तिवारी के पुत्र वरिष्ठ पत्रकार हरीश तिवारी को शॉल ओढ़ाकर व पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, महामंत्री सुमित पंवार, वरिष्ठ भाजपा नेता इंद्र कुमार गोदवानी, कपिल गुप्ता, पार्षद रीना शर्मा, प्रभाकर सोनू, ब्रजेश शर्मा, राजू नरसिम्हा, राकेश चंद, सिमरन गाबा सहित भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या मौजूद रहे।

इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर घोंटा था लोकतंत्र का गलाः डा. प्रेमचंद

इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में 25 जून को लगाये गए आपातकाल को काला अध्याय के रूप में याद किया जाता रहेगा। यह बात आपातकाल की 47वीं वर्षगांठ पर आयोजित विधानसभा स्तर के कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कही। इस मोके पर आंदोलन में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को सम्मानित किया गया।

आवास विकास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में आपातकालीन की बरसी पर विधानसभा स्तर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंत्री डा. अग्रवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के शासन के दौरान 1975 में लगा आपातकाल काले अध्याय से कम नहीं था। इस दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया। आपातकाल के दौरान पूरे देश में लोकतांत्रित तरीके से आंदोलन हुए।

डा. अग्रवाल ने कहा कि इस वक्त सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भी किया गया। डा. अग्रवाल ने कहा कि उनके परिवार ने भी अनेक यातनाएं सही और जेल की हवा भी खाई। बताया कि बड़े भाई ताराचंद ने इंदिरा गांधी को पत्र भेजकर उनके द्वारा किये जा रहे कार्याे को गलत ठहराया था। कहा कि जेल में आपातकाल के दौरान पकड़े गए लोगों को सामान्य कैदी की तरह ही रखा जाता था। उन्हें कीड़े लगे चावल और पानी वाली दाल मिलती थी।

डा. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय अपनी सत्ता बचाने और राजनीति स्वार्थ पूरा करने के लिए लोकतंत्र की हत्या देश में आपातकाल लगाकर की थी। कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी। इस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी। जब 25 जून 1975 की आधी रात इमरजेंसी लागू की गई थी जनता के सारे अधिकार छिन गए थे।

डा. अग्रवाल ने बताया कि आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और देशभर में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी। आंदोलनकारियों को जेल में डाला जाने लगा। 21 मार्च 1977 तक देश आपातकाल में पिसता रहा।

इस मौके पर लोकतंत्र सैनानियों व उनके आश्रितों को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों आश्रितों में बृजेश चंद शर्मा, दया शंकर पांडेय, भारतेंदु शंकर पांडेय शामिल रहे।

इस मौके पर प्रदेश प्रवक्ता मयंक गुप्ता, मेयर अनिता ममगाई, देवेंद्र दत्त सकलानी, मण्डल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, मण्डल अध्यक्ष वीरभद्र अरविंद चौधरी, मण्डल अध्यक्ष महिला मोर्चा उषा जोशी, प्रधानाचार्य राजेन्द्र पांडेय, कपिल गुप्ता, संजय शास्त्री, सुमित पंवार, जयंत शर्मा, व्यापारी नेता प्रतीक कालिया, पार्षद प्रदीप कोहली, विजेंद्र मोघा, सोनू प्रभाकर, लक्ष्मी रावत, सुंदरी कंडवाल, तनु तेवतिया, राकेश पारछा, अनिता तिवाड़ी, माधवी गुप्ता, प्रमिला त्रिवेदी, आरती दुबे, नितिन सक्सेना, रुपेश गुप्ता, राजू शर्मा सहित आदि भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।