आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण के निर्णय का शासनादेश जारी

राज्य में आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत/पुनर्निर्माण तथा तात्कालिक दृष्टि से जन सुविधा बहाल किये जाने हेतु राज्य आपदा मोचन निधि एसडीआरएफ द्वारा निर्धारित मानकों से आच्छादित कार्यों की स्वीकृतियों हेतु जिलाधिकारियों/मण्डलायुक्तों के वित्तीय/प्रशासनिक अधिकार की सीमा बढ़ाये जाने के सम्बन्ध में पूर्व में कैबिनेट द्वारा लिए गये निर्णय के अनुपालन से संबंधित शासनादेश जारी कर दिया गया है।

सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन द्वारा मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि अब राज्य में आपदा से क्षतिग्रस्त सम्पतियों के मरम्मत व पुनर्निर्माण आदि के लिए जिलाधिकारी को रू0 20.00 लाख से रू0 1.00 करोड़ तक तथा मण्डलायुक्तों को रू0 20.00 लाख से रू0 50.00 लाख रू0 के स्थान पर 1.00 करोड़ से रू0 5.00 करोड़ तक के वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के अधिकार प्रदान किये गये हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त सम्पतियों के पुनर्निर्माण तथा तात्कालिक दृष्टि से जन सुविधायें बहाल किये जाने हेतु उनके वित्तीय अधिकारों को संशोधित किये जाने से आपदा पीड़ितों को त्वरित राहत मिल सकेगी तथा पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लायी जा सकेगी।

समय पर लोगों को राहत देने की दिशा में किया जा रहा कार्य-आपदा प्रबंधन सचिव

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ नगर क्षेत्र में पहुंचकर औली रोपवे, मनोहरबाग, शंकराचार्य मठ, जेपी कालोनी आदि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ भू-वैज्ञानिक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
सचिव आपदा प्रबंधन ने औली रोपवे तथा शंकराचार्य मठ के निकट के क्षेत्र तथा घरों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया। सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि मकानों मे पड़ी दरारों तथा भू-धंसाव के पैटर्न रूट की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने औली रोपवे के टावर पर दरारों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। डॉ सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को दरारों के पैटर्न तथा बढ़ोतरी की निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भु-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है। एनजीआरआई अंडर ग्राउंड वाटर चैनल का अध्ययन कर रही है। अध्ययन के पश्चात एनजीआरआई द्वारा जियोफिजिकल तथा हाइड्रोलॉजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जायेगा। यह मैप जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान तथा स्टेबलाइजेशन प्लान में काम आएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं बचाव पहुंचाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रभावित परिवारों को तात्कालिकता के साथ सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है। प्रभावित भवनों के चिन्हीकरण का कार्य निरन्तर जारी है। भूवैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों की टीमें भूधसांव के कारणों की जांच के कार्य में लगी है। प्रशासन प्रभावितों के निरन्तर सम्पर्क में है। राहत शिविरों में उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई जोशीमठ में कार्य कर रही है।