मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को दिये निर्देश

स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ एवं सुलभ बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत संचालित विभिन्न परियोजनाओं की वर्ष 2026 तक की कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र भारत सरकार को भेजी जायेगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को विभागीय आवश्यकताओं एवं प्रदेश के भौगोलिक परिवेश को ध्यान में रखते हुये कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त जिन परियोजनाओं की प्रगति धीमी चल रही है उनमें तेजी लाने को कहा गया है।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज स्वास्थ्य महानिदेशालय स्थित सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति एवं अन्य राज्यों के साथ तुलनात्मक समीक्षा की। डा. रावत ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वाधान में गत माह प्रदेश में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया जी ने सभी राज्यों से एनएचएम के अंतर्गत वर्ष 2026 तक की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा। जिसके तहत राज्य सरकार ने प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं को देखते हुये राज्य में संचालित लगभग दो दर्जन परियोजनाओं का विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया है ताकि आने वाले समय में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर एवं लोक प्रिय बनाया जा सके। इसी क्रम में एनएचएम के अधिकारियों को प्रत्येक जनपद से स्वास्थ्य विभाग की आवश्यकताओं का विवरण मंगवाकर वर्ष 2026 तक का रोड़मैप तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। वर्तमान में संचालित कतिपय योजनाओं की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुये विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को कार्यप्रणाली में सुधार लाने व योजनाओं की प्रगति में तेजी लाने के निर्देश दिये। डा. रावत ने कहा कि राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के मध्य बेहतर समन्वय होना जरूरी है तभी योजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से किया जा सकता है।

समीक्षा बैठक में डॉ. मुकेश राय, डॉ. फरीद व डॉ. अर्चना के द्वारा एनएचएम के अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं मैटरनल हेल्थ चाइल्ड हेल्थ, फेमिली प्लानिंग, पीसीएनडीटी, टीबी उन्मूलन, एनपीएनसीडी, पीएमएनडीपी, टेली कांस्लटेशन, फुटफॉल सहित डेढ़ दर्जन परियोजनाओं का पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण दिया गया।

बैठक में अपर सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम रोहित मीना, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, नमामि बंसल, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सायना, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा, वित्त अधिकारी दीपाली भरणे, डॉ. अजीत जौहरी, डॉ. अमित शुक्ला सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिले कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। इस दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में एम्स ऋषिकेश के सैटालाइट सेंटर के भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किया। इसके अलावा उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से हिन्दी माध्यम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी सहमति प्रदान कर दोनों कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने उत्तराखंड आने का आश्वासन दिया।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि उन्होंने नई दिल्ली में आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात कर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. रावत ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में स्वीकृत एम्स ऋषिकेश के सेटेलाइट सेंटर के भूमि पूजन हेतु आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंह नगर में एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट सेंटर स्थापित होने पर पूरे कुमाऊं मंडल को इसका लाभ मिलेगा और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। इसके अलावा मुलाकात के दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में कराये जाने की जानकारी दी। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को हिन्दी मीडियम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों कार्यक्रमों में शामिल होने पर अपनी सहमति जताई और शीघ्र उत्तराखंड आने का सकारात्मक आश्वासन दिया। डॉ. रावत ने बताया कि मध्य प्रदेश की भांति उत्तराखंड में भी मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम में होगी। इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी सभी तैयारियां पूरी कर ली है। उन्होंने बताया कि मेडिकल पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार करने के लिये विभाग ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक विशेष समिति गठित की। इस समिति ने मध्य प्रदेश में लागू एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर राज्य के मेडिकल कॉलेजों के लिये हिन्दी माध्यम में सिलेबस तैयार किया और इसे हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को सौंपा। विश्वविद्यालय ने भी हिन्दी मीडियम पाठ्यक्रम लागू करने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी है। शीघ्र ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हाथों इसे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया जायेगा। यह उन छात्रों के लिये बड़ी सौगात होगी जो हिन्दी मीडियम के स्कूलों से पढ़कर आये हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री ने बैकलॉग खत्म कर लम्बित परीक्षाफल शीघ्र जारी करने के दिए निर्देश

उच्च शिक्षा में शैक्षिक कैलेंडर प्रभावी रूप से लागू करने के लिये सभी राजकीय विश्वविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दे दिये गये हैं। इससे उच्च शिक्षा की तमाम शैक्षिक गतिविधियां समय पर पूरी हो सकेंगी। विश्वविद्यालय प्रशासन को समय पर परीक्षाओं का आयोजन कर तत्परता से परीक्षा परिणाम घोषित करने को कहा गया है। इसके अलावा बैकलॉग खत्म कर विभिन्न परीक्षाओं के लंबित परीक्षा परिणाम को भी शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये गये हैं। भविष्य में शैक्षणिक सत्र में एकरूपता लाने के लिये विश्वविद्यालयों को एक सप्ताह के भीतर वार्षिक प्लान तैयार कर शासन को अवगत कराने को कहा गया है। साथ ही विश्वविद्यालयों में लम्बे समय से रिक्त चल रहे शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पदों को आवश्यकतानुसार प्रतिनियुक्ति अथवा सेवा स्थानांतरण के आधार पर भरने के निर्देश शासन व विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को दिये गये हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में राजकीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने शैक्षिक कैलेंडर को प्रभावी तरीके से लागू न कर पाने पर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि विश्वविद्यालयों में एनईपी एवं यूजीसी की गाइडलाइन के अनुरूप शैक्षिक कैलेंडर सख्ती से लागू करने के लिये विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि शैक्षिक कैलेंडर प्रभावी रूप से लागू न होने से विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में तमाम शैक्षिक एवं अन्य गतिविधियां प्रभावित हो जाती है जिसका खामियाजा सीधे तौर पर छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ता है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षाओं का आयोजन तथा परीक्षा परिणाम समय पर जारी ने करने पर विभागीय मंत्री ने दो टूक कहा कि भविष्य में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक को परीक्षाओं के आयोजन एवं परीक्षाफल नियत समय पर घोषित करने के लिये केन्द्रीय मूल्यांकन व्यवस्था लागू करने को कहा। साथ ही परीक्षा आयोजन एवं परीक्षा मूल्यांकन की मॉनिटिरिंग करने एवं बैकलाग को खत्म कर लंबित रिजल्ट को शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये। डॉ. रावत ने बताया कि विश्वविद्यालयों में लम्बे समय से कई महत्पपूर्ण पद रिक्त चल रहे जिस कारण विश्वविद्यालयों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। उन्होंने शासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को सीधी भर्ती होने तक रिक्त पदों को प्रतिनियुक्ति अथवा सेवा स्थानांतरण के आधार पर भरने के निर्देश दिये। इसके लिये उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को एक माह के भीतर कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने यहां संचालित पाठ्यक्रमों एवं छात्र संख्या को ध्यान में रखते हुये शैक्षणिक गतिविधियों को समय पर पूरा करने के लिये एक सप्ताह के भीतर वार्षिक प्लान तैयार कर शासन को भी अवगत करायें। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि विश्वविद्यालयों के अंतर्गत शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन व क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लेटलतीफी के लिये संबंधित कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को जिम्मेदार माना जायेगा।

बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, अपर सचिव प्रशांत आर्य, कुलपति मुक्त विवि प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विवि प्रो. एन.के. जोशी, कुलपति कुमाऊं विवि प्रो. डी.एस. रावत, कुलपति दून विवि प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति एस.एस.जे. विवि अल्मोड़ा प्रो. जे.एस. बिष्ट, कुलपति संस्कृत विवि प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, रूसा सलाहकार प्रो. एम.एस.एम. रावत, प्रो. के.डी. पुरोहित, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा प्रो. ए.एस. उनियाल सहित विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षण संस्थानों में 14 अगस्त तक ही होंगे प्रवेशः शैलेश बगोली
उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वर्तमान शैक्षिक सत्र के लिये उच्च शिक्षण संस्थानों में 14 अगस्त तक ही छात्र-छात्राओं से प्रवेश हेतु आवेदन लिये जायेंगे। इसे उपरांत प्रवेश हेतु कोई समय सीमा नही बढ़ाई जायेगी। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि सभी एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों को अपने-अपने संबद्ध शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यों एवं निदेशकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर प्रवेश प्रक्रिया के लिये निर्धारित समय सीमा का सख्ताई से पालन कराने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में पहली बार स्नातक स्तर पर प्रवेश हेतु समर्थ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके अंतर्गत अभी तक 84 हजार 513 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश हेतु अपना पंजीकरण कराया। इसके साथ ही ऑनलाइन पंजीकरण से छूटे छात्र-छात्राओं को 14 अगस्त तक ऑफलाइन पंजीकरण का मौका दिया गया ताकि प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राएं अपने निकटतम महाविद्यालयों में सीधा अपना पंजीकरण करा सकेंगे, इससे उनका साल बर्बाद होने से बचाया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये निर्देश, आप भी जानिए…

नशीली एवं नकली दवाओं की रोकथाम के लिये प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया जायेगा। इसके साथ ही प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती का भी सत्यापन अभियान चलाया जायेगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश में नकली एवं नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिये राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। जिसके तहत प्रदेशभर में फुटकर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत 12500 से अधिक मेडिकल स्टोरों के निरीक्षण के साथ ही वहां पर तैनात फार्मासिस्टों का भी भौतिक सत्यापन किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को पूरे अप्रैल माह में विशेष अभियान के निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम-1940 एवं 1945 की नियमावली के नियम 65(2) के अंतर्गत प्रत्येक मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होने के साथ ही स्टोर पर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। इसी प्रकार थोक दवा विक्रय के लिये भी नियम 64 के तहत अनुभवी व्यक्ति को ही लाइसेंस दिये जाने का प्राविधान है। इन्हीं नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सभी पंजीकृत मेडिकल स्टोरों का मुआयना करने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 22 हजार फार्मासिस्ट पंजीकृत है, जिनमें से साढ़े बारह हजार से अधिक फार्मासिस्टों के नाम पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी किये गये हैं, जबकि एक हजार के करीब फार्मासिस्ट राजकीय सेवा में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह भी शिकायत मिलती रही है कि एक लाइसेंस पर एक से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित किये जा रहे हैं तथा उन पर पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं किये गये हैं, जो कि नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इन्हीं तथ्यों को मध्यनजर रखते हुये विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोरों का भौतिक सत्यापन कर वहां पर पंजीकृत फार्मासिस्टों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि सूबे के बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मेडिकल स्टरों पर रोजगार मिल सके।

स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में मीडिया की भूमिका अहमः डॉ. धन सिंह रावत

स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने लिये राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। राज्य व केन्द्र पोषित स्वास्थ्य योजनाओं का लोग अधिक से अधिक लाभ उठा सके इसके लिये जनपद स्तर पर स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर मीडिया के साथ परिचर्चा भी शामिल है।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज श्रीनगर गढ़वाल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत आयोजित आई.ई.सी- मीडिया कार्यशाला एवं स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम में कही। डॉ. रावत ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिये राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। विगत वर्षों में सरकार में स्वास्थ्य के क्षेत्र अनेक सुधार किये साथ ही कई स्वास्थ्यपरक योजनाओं का लाभ आम लोगों को पहुंचाया। उन्होंने कहा राज्य के प्रत्येक चिकित्सा इकाइयों में कई निरूशुल्क चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। मेडिकल कालेजों, जिला एवं उप जिला अस्पतालों में एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे मशीनें उपलब्ध करा दी गई है। डॉ. रावत ने कहा कि प्रदेश में अब डॉक्टरों की कमी नहीं होगी, प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को जहां 171 चिकित्सक मिल गये हैं वहीं प्रदेश की चिकित्सा इकाइयों में शीघ्र ही 372 एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त कर दिये जायेगे। इसके अलावा 850 एएनएम एवं 2800 नर्सों की नियमित नियुक्ति शीघ्र कर दी जायेगी। विभागीय मंत्री डॉ रावत ने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कालेज में जल्द कैथ लैब स्थापित की जायेगी जिससे हृदय संबंधी रोगों की जांच और उपचार मेडिकल कालेज में हो सकेगा और लोगों को ऋषिकेश-देहरादून के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके साथ ही श्रीनगर में अति आधुनिक तकनीकियों से लैस ट्रामा सेंटर और 1000 यूनिट क्षमता का ब्लड बैंक स्थापित किया जाएगा। कार्यशाला में मीडिया के साथ संवाद करते हुये डॉ. रावत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में मीडिया की अहम भूमिका है। जिसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को आम जन तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। कार्यक्रम में रुद्रप्रयाग, पौड़ी, श्रीनगर से आये पत्रकारों ने स्वास्थ्य व्यवस्था के व्यापक सुधार के लिए दो दर्जन से अधिक सुझाव रखे, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने पत्रकारों का आभार जताते हुए उनके द्वारा रखे सुझावों पर शीघ्र अमल करने की बात कही।

कार्यक्रम में सीएमओ पौड़ी डॉ. प्रवीन कुमार, मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय के एमएस डॉ. रविन्द्र बिष्ट ने अस्पतालों की प्रगति रिपोर्ट से अवगत कराया।

इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मातबर सिंह रावत, एसीएमओ डॉ. रमेश कुंवर, वीपी सिंह बिष्ट, राजीव रावत, शकुन्तला नेगी, समीर बिष्ट, मनमोहन पटवाल, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, डॉ. ललित पाठक, डॉ. वक्की बख्सी, डॉ. मोहित सैनी, गणेश भट्ट, अरूण बडोनी, मनमोहन सिंधवाल, संजय पांडेय, संदीप पंवार, राजेन्द्र बिष्ट आदि मौजूद थे।

एआरटी बोर्ड को एआरटी क्लीनिक व सरोगेसी के प्राप्त हुये दो दर्जन आवेदन

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी व सरोगेसी बोर्ड की पहली बैठक हुई। जिसमें सरोगेसी व एआरटी क्लीनिक से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा हुई। स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 रावत ने सरोगेसी व क्लीनिक से संबंधित प्रकरणों को समयबद्ध निस्तारण के निर्देश बोर्ड को दिये, साथ ही उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठके निश्चित समय पर आहूत की जानी जरूरी है ताकि बोर्ड को प्राप्त प्रस्तावों पर निर्णय लिया जा सके।

राज्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी व सरोगेसी बोर्ड के अध्यक्ष एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 रावत ने आज सचिवालय स्थित वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में बोर्ड की पहली बैठक ली। जिसमें बोर्ड के दो दर्जन से अधिक सदस्यों ने प्रतिभाग किया। डॉ0 रावत ने बताया कि बोर्ड पहली बैठक में कई महत्पूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा हुई, जिसमें राज्य में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी एक्ट से संबंधित प्रकरणों को एक्ट में निहित प्रावधानों के तहत समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि बोर्ड बैठक प्रत्येक तीन माह में आयोजित की जायेगी ताकि राज्यभर से प्राप्त आवेदनों का निस्तारण समय पर किया जा सके। बोर्ड की अगली बैठक दो माह बाद आयोजित होगी जिसमें राज्यभर से अभी तक बोर्ड को प्राप्त एआरटी क्लीनिक एवं सरोगेसी के दो दर्जन प्रस्तावों पर निर्णय लिया जायेगा। राज्य बोर्ड एवं समुचित प्राधिकारी एआरटी एवं सरोगेसी एक्ट एवं इसके अंतर्गत बनाये गये नियमों का राज्य में अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। बोर्ड के प्राविधानों के तहत अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर को समुचित प्राधिकारी व अन्य दो सदस्य नामित किये गये हैं।

इससे पूर्व केन्द्र सरकार के स्तर पर राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया जा चुका है जिसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत को बतौर सदस्य नामित किया गया है, जिसकी पहली बैठक गत 31 जनवरी को आहूत की गई थी।

बैठक में सचिव स्वास्थ्य एवं उपाध्यक्ष डॉ. आर.राजेश कुमार, सचिव न्याय एवं सदस्य नरेन्द्र दत्त, अपर सचिव गृह अतर सिंह, अपर सचिव समाज कल्याण सुरेश जोशी, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं बोर्ड की समुचित प्राधिकारी अमनदीप कौर, निदेशक स्वास्थ्य एवं सदस्य डॉ. भारती राणा, निदेशक एनएचएम डॉ. सरोज नैथानी, राज्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड की सदस्य डॉ. लतिका चावला, डॉ. भागीरथी जोशी, बिन्दुवासिनी, डा. अनीता रावत, रेनू सरन, हेमलता बहन, लारेंश सिंह, अरूणा नेगी चैहान सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

आईईसी-मीडिया कार्यशाला में एनएचएम कार्मिकों को मिले निर्देश

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिये मीडिया और आइईसी टीम की भूमिका महत्वपूर्ण है। दोनों के मध्य समन्वय बनाने का जिम्मा राज्य व जिला स्तर पर तैनात आइईसी कोडिनेटर का है। कार्यशाला में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहत्तरी को लेकर मीडियाकर्मियों ने कई सवाल उठाये तथा दो दर्जन से अधिक सुझाव भी दिये, जिस पर विभागीय मंत्री ने प्राप्त सुझावों पर अमल करने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड के तत्वाधान में देहरादून में आयोजित एक दिवसीय आइईसी-मीडिया कार्यशाला एवं स्वास्थ्य संवाद में स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया और आइईसी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की सही जानकारी सूबे के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में दोनों का अहम योगदान है, बशर्ते कि राज्य व जिला स्तर पर आइईसी मीडिया के साथ तालमेल बना कर कार्य करे। डॉ0 रावत ने कहा कि कार्यशाला में मीडिया कर्मियों से प्राप्त सुझावों पर विभाग अमल करेगा। इसके लिये उन्होंने विभागीय अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिये। विभागीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं से प्राप्त सुझाव स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिये मार्गदर्शन का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा शीघ्र ही प्रदेश के सभी जनपदों में इसी प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा ताकि मीडिया व आइईसी के बीच बेहतर तालमेल व संवाद बना रहे। जिसका लाभ आम आदमी को भी मिल सकेगा।

कार्यशाला में सचिव स्वास्थ्य डॉ0 आर0 राजेश, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ0 विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ0 आशुतोष सयाना, निदेशक एनएचएम डॉ0 सरोज नैथानी, निदेशक स्वास्थ्य डॉ0 भारती राणा, सीएमओ देहरादून डॉ0 मनोज उप्रेती, कोरोनेशन जिला अस्पताल की पीएमएस डॉ0 शिखा जांगपांगी सहित सभी जनपदों से आये डीपीएम एवं आईईसी कोर्डिनेटस् एवं मेडिकल कॉलेजों के जनसम्पर्क अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्य एवं दायित्वों को लेकर आइईसी और डीपीएम कसे पेंच
आइईसी-मीडिया कार्यशाला के उपरांत विभागीय मंत्री डॉ0 रावत ने सभी जनपदों एवं मेडिकल कॉलेजों से आये आइईसी एवं डीपीएम की बैठक ली। जिसमें उन्होंने एनएचएम तथा स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित सभी स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार, मीडिया के साथ कोडिनेशन, योजनाओं की मॉनिटिरिंग तथा उनकी रिपोर्टिंग एवं डॉक्यूमेंटेशन में धीमी प्रगति को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुये सभी को अपने कार्य एवं दायित्वों का निर्वहन सही से करने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिला अस्पताल एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं की जानकारी से संबंधित होर्डिंग्स, वॉल पेंटिंग व बैनर लगाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने आइईसी कोर्डिनेटर्स को जनपद, तहसील एवं ब्लॉक स्तर पर चिकित्साधिक्षकों के साथ समन्वय स्थापित कर अस्पतालों में किये जा रहे बेहतर कार्यों को भी विभिन्न संचार माध्यमों से जनता के सामने लाने के निर्देश दिये साथ ही विभिन्न वेलनेस सेंटरों में तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) से समन्वय बनाते हुये उनके द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों का भी प्रचार-प्रसार करने को कहा।

पुलिस, समाज कल्याण, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के साथ की मैराथन बैठक

उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने के उद्देश्य से प्रदेशभर में शीघ्र ही ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि/2025 अभियान’ चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत प्रत्येक माह शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, अनाथालयों, जिला कारागारों एवं सरकारी कार्यालयों में जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। सभी शिक्षण संस्थानों मेंएंटी ड्रग्स सेल का गठन अनिवार्य रूप से करना होगा। राज्य सरकार शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी लाने जा रही है। जिसका ड्राफ्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है, इसके लिये सभी संबंधित विभागों से दो सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा गया है।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित एफआरडीसी सभागार में उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने को लेकर मैराथन बैठक हुई। जिसमें डा. रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी अस्तित्व में आ जायेगी। राज्य में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को इस अभियान का नोडल बनाया गया है। पुलिस, समाज कल्याण, श्रम, सेवा योजन एवं कौशल विकास, विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा एवं आयुष शिक्षा आदि विभागों को भी अभियान में शामिल किया गया है।

डा. रावत ने बताया कि अभियान के अंतर्गत प्रत्येक माह राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों, जिला कारागारों, अनाथालयों एवं सरकारी कार्यालयों में ड्रग्स के दुष्प्रभावों को लेकर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। अभियान में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों, नगर निकायों को भी शामिल किया जायेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभियान के साथ ही जो युवा ड्रग्स की चपेट में आ चुके हैं उनके पुनर्वास के लिये समुचित व्यवस्था की जायेगी जिसके तहत राज्य सरकार के मानसिक चिकित्सालयों को उच्चीकृत करने के साथ ही काउंसलर एवं मनोचिकित्सक की तैनाती की जायेगी। इसके साथ ही जो एनजीओ इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उनके माध्यम से भी पुनर्वास का कार्य कराया जायेगा। साथ ही ऐसे एनजीओ स्टेट मेंटल हेल्थ आथॉरिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा ताकि समय समय इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ऐसे युवाओं के पुनर्वास एवं उपचार के निःशुल्क दवा, टेली मनस के माध्यम से काउंसिलिंग की व्यवस्था उपलब्ध है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि प्रत्येक जिले में रिहेबिलिटेशन सेंटर बनाया जाना चाहिये साथ ही जो लोग इस धंधे में लिप्त हैं उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही जो एनजीओ सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उनके लिये भी नियम बनाये जाने जरूरी हैं ताकि सरकारी सहयोग लेने के उपरांत सही ढंग से काम न करने वाले एनजीओ के विरूद्ध भी कार्रवाई की जा सके। बैठक में सचिव कृषि शिक्षा बीवीआरसी पुरूषोत्तम ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में ड्रग्स को रोकने के लिये जो प्रावधान तैयार किये जायेंगे उनको सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू किया जाना चाहिये। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी का प्रारूप लगभग तैयार कर दिया गया है। एक बार संबंधित विभागों को ड्राफ्ट का प्रारूप भेजकर सुझाव आमंत्रित किये जायेंगे, उसके पश्चात ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर स्वीकृति के लिये कैबिनेट में लाया जायेगा। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर डॉ0 मयंक बडोला ने ड्रग्स एवं उसके दुष्प्रभाव को लेकर एक पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतिकरण भी दिया।

बैठक में पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार, सचिव कृषि बीवीआरसी पुरूषोत्तम, एडीजी पुलिस बी मुरूगेशन, सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार, अपर सचिव कृषि रणवीर सिंह चौहान, अपर सचिव समाज कल्याण कर्मेन्द्र सिंह, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डा. एएस उनियाल, ड्रग कंट्रोलर ताजबर नेगी, नीरज कुमार सहित सहित श्रम एवं कौशल विकास, समाज कल्याण तथा तकनीकी शिक्षा के अधिकारी उपस्थित रहे।

विद्यालयों का निरीक्षण कर महानिदेशालय को सौंपेंगे रिपोर्ट

‘विद्या संवाद’ कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा के लिये विभिन्न जनपदों में जायेंगे। जहां वह शिक्षकों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभागीय कार्यों का अवलोकन करेंगे, साथ ही न्यायालय में योजित वादों की संख्या में कमी लाने के लिये संबंधित शिक्षकों से वार्ता करेंगे। इसके लिये शिक्षा महानिदेशालय द्वारा सभी जनपदों के लिये अधिकारी नामित कर दिये हैं।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह प्रदेशभर में विद्या संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। जिसके तहत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न जनपदों में जाकर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिये महानिदेशालय स्तर से जनपदवार अधिकारी नामित कर दिये गये है, जो शीघ्र ही संबंधित जनपदों में जाकर संवाद स्थापित करेंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी को देहरादून जनपद आवंटित किया गया है, जबकि निदेशक माध्यमिक शिक्षा राकेश कुमार कुंवर को पिथौरागढ़, निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी को हरिद्वार, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल को टिहरी, अपर निदेशक महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा राम कृष्ण उनियाल को उत्तरकाशी, अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा एस0पी0 खाली को चमोली, अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ0 आर0डी0 शर्मा को पौड़ी गढ़वाल, संयुक्त निदेशक डॉ0 एस0बी0 जोशी को चम्पावत, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी आशा पैन्यूली को ऊधमसिंह नगर, प्रभारी अपर निदेशक सीमैट दिनेश चन्द्र गौड़ को रूद्रप्रयाग, संयुक्त निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रघुनाथ लाल आर्य को बागेश्वर, हरीश चन्द्र सिंह रावत को नैनीताल और संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा कंचन देवराड़ी को अल्मोडा जनपद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के तहत नामित अधिकारी अपने-अपने जनपदों के प्रत्येक विकासखंड में कम से कम तीन विद्यालयों का समग्र अनुश्रवण करेंगे, जिसकी रिपोर्ट वह आगामी 15 नवम्बर तक महानिदेशालय को उपलब्ध करायेंगे। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी न्यायालयों में दायर विभिन्न वादों से संबंधित शिक्षकों के साथ वार्ता कर वादों की संख्या में कमी लाने का प्रयास भी करेंगे ताकि वादों से संबंधित विभिन्न लम्बित प्रकरणों पर विभाग अग्रिम कार्रवाही कर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुचारू कर सकेगा। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान विद्यालयों में अधूरे पड़े निर्माण कार्यों, परीक्षाफल सुधार, वर्चुअल कक्षाओं के संचालन, एनईपी के अंतर्गत बालवाटिका कार्यक्रम की स्थिति, मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता सहित छात्रों के पठन-पाठन आदि की स्थिति का जायजा लेने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम की सभी जनपदों से प्राप्त रिपोर्ट की समीक्षा की जायेगी और रिपोर्ट में सुझाये गये सुझावों को अमल में लाया जायेगा।

शिक्षा महानिदेशालय के अधिकारियों संग शिक्षा मंत्री ने की बैठक

विद्यालयी शिक्षा के वरिष्ठ अधिकारी प्रदेश के प्रत्येक जनपद में जाकर शिक्षा संवाद कार्यक्रम के तहत शिक्षक संगठनों, अभिभावक संघों एवं छात्र-छात्राओं से वार्तालाप कर शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिये सुझाव प्राप्त करेंगे। जिसकी रिपोर्ट तैयार कर दो सप्ताह के भीतर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को सौंपेंगे। अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती, कलस्टर विद्यालय योजना एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों को समक्ष व्यक्तियों द्वारा गोद लेने सहित आधा दर्जन प्रस्ताव कैबिनेट में लाये जायेंगे।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज शिक्षा महानिदेशालय में विभागीय अधिकारियों के साथ विभाग की समीक्षा बैठक की। जिसमें उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता एवं विद्यालयों के बेहतर संचालन के उद्देश्य से वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्येक जनपद में जाकर शिक्षा संवाद कार्यक्रम के तहत विभिन्न संगठनों से सुझाव प्राप्त करने के निर्देश दिये। जिसके अंतर्गत विभागीय अधिकारी जनपद स्तरीय भ्रमण कर संबंधित जनपदों के शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों, अभिभावक संघों एवं छात्र-छात्राओं के साथ संवाद स्थापित कर सुझाव प्राप्त करेंगे। जिसकी रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को सौंपेंगे। इस कार्यक्रम के तहत प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रयास किये जायेंगे। विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती, कलस्टर विद्यालय योजना, डायट नियमावली, समक्ष व्यक्तियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों को गोद लेने, माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लम्बे अवकाश, स्थानांतरण व सेवानिवृत्ती की स्थिति में कामचलाऊ शिक्षकों की व्यवस्था किये जाने सहित आधा दर्जन प्रस्ताव कैबिनेट में लाने को कहा। पात्र छा़त्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, स्कूल बैग, जूते एवं यूनिर्फाम की धनराशि डीबीटी के माध्यम से शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिये। डॉ0 रावत ने कहा कि विद्यालयी शिक्षा बोर्ड में अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को दो विषयों में अंक सुधार परीक्षा देने हेतु प्रस्ताव पर शीघ्र कार्यवाही अमल में लायी जाय। उन्होंने न्यायालय में चल रहे शिक्षकों की प्रोन्नति से संबंधित मामलों का शीघ्र निस्तारण के निर्देश भी अधिकारियों को दिये। शिक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में प्रत्येक छात्र-छात्राओं को स्काउट गाइडए, एनएसएस तथा एनसीसी से जोड़ा जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित करने के निर्देश दिये। डॉ0 रावत ने विभाग में अधिकारियों के प्रोन्नति संबंधी मामलों का निस्तारण एवं प्रत्येक विकासखंड में खंड शिक्षा अधिकारियों की तैनाती में हो रही लेटलतीफी पर नाराजगी व्यक्त करते हुये तत्काल कार्रवाई के निर्देश शासन के अधिकारियों को दिये।

बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आर0के0 कुंवर, निदेशक वंदना गर्ब्याल सहित शासन एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।