कुंभ के आयोजन के लिए गंगा किनारे पहली बार बैठक की गई, सीएम रहे मौजूद

हरिद्वार में होने वाले 2027 के कुंभ के भव्य आयोजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरिद्वार में गंगा किनारे सभी 13 अखाड़ों के आचार्यों एवं संतगणों के साथ बैठक की। कुंभ के भव्य आयोजन के लिए पहली बार गंगा तट पर बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने 2027 कुंभ स्नान की महत्वपूर्ण तिथियों की घोषणा भी की। उन्होंने 14 जनवरी 2027 को मकर संक्रांति, 06 फरवरी 2027 को मौनी अमावस्या, 11 फरवरी 2027 को वसंत पंचमी, 20 फरवरी 2027 को माघ पूर्णिमा, 06 मार्च 2027 को महाशिवरात्रि (अमृत स्नान), 08 मार्च 2027 को फाल्गुन अमावस्या (अमृत स्नान), 07 अप्रैल 2027 को नव संवत्सर (नव वर्ष), 14 अप्रैल 2027 को मेष संक्रांति (अमृत स्नान), 15 अप्रैल 2027 को श्रीराम नवमी तथा 20 अप्रैल 2027 को चौत्र पूर्णिमा के स्नान की तिथियों की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कुंभ के सफल आयोजन के लिए अखाड़ों के आचार्यों से सुझाव एवं मार्गदर्शन लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ से जुड़े सभी निर्णयों में संतगणों की परम्पराओं, आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि कुंभ के सुव्यवस्थित और भव्य आयोजन के लिए उन्हें संतगणों का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि संतों की प्रेरणा, सुझाव और आशीर्वाद के बिना इस महायोजना की पूर्णता की कल्पना भी संभव नहीं है। हमारा प्रयास है कि सभी के अमूल्य सुझावों से कुंभ 2027 की तैयारियों को और अधिक व्यापक, सुव्यवस्थित और संत समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का आह्वान किया है। इसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार कुंभ 2027 को भव्य, दिव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में आयोजित कुंभ कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण केवल अल्प अवधि के लिए आयोजित किया गया था और शाही स्नान भी प्रतीकात्मक रूप से ही संपन्न हुआ था, लेकिन वर्ष 2027 में होने वाला हरिद्वार कुंभ कई दृष्टियों से ऐतिहासिक और विशेष महत्व का होगा। इस बार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2010 और 2021 के कुंभ की तुलना में कई गुना अधिक होने की संभावना है। राज्य सरकार ने हरिद्वार कुंभ 2027 को दिव्य, भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए अभी से व्यापक स्तर पर तैयारियाँ प्रारंभ कर दी हैं। श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस, एनडीआरएफ, पीएसी, स्वास्थ्य विभाग और फायर विभाग सहित सभी संबंधित विभाग सुरक्षा के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए सभी संभव उपाय सुनिश्चित करेंगे। कुंभ के दौरान पूर्व में घटित दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और आकस्मिक आपात स्थिति की तैयारी पहले से ही प्रारंभ कर दी गई है। पूर्व में आयोजित कुंभ मेलों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाले अधिकारियों का भी पूर्ण सहयोग लिया जाएगा, ताकि हर प्रक्रिया सुचारू और व्यवस्थित रूप से संचालित हो सके। कुंभ के दौरान नगर और घाट क्षेत्रों की स्वच्छता के लिए विशेष टीमों का गठन कर कचरा प्रबंधन, जल निकासी और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

अखाड़ों के आचार्य एवं संतगणों द्वारा संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि भव्य एवं दिव्य कुंभ के आयोजन के लिए संत समाज द्वारा राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अखाड़ों के आचार्यों एवं संतगणों के साथ भोजन भी किया।

इस दौरान महंत रविन्द्र पुरी महाराज श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, महंत कौशल गिरी महाराज-श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, महंत हरिगिरी महाराज-श्री पंचदशनाम जूना भैरव अखाड़ा, डॉ. साधनानन्द जी महाराज-श्री पंचअग्नि अखाड़ा, महंत सत्यगिरि महाराज-श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, महंत सत्यम गिरी महाराज-श्री पंचायती अटल अखाड़ा, महंत मुरली दास महाराज-श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, महंत वैष्णव दास महाराज-श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा, महंत राजेन्द्र दास महाराज-श्री पंच निर्माेही अनी अखाड़ा, महंत दुर्गादास महाराज-श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, महंत भगतराम दास महाराज-श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, महंत जसविंदर महाराज-श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा, सांसद राज्यसभा कल्पना सैनी, विधायक हरिद्वार मदन कौशिक, विधायक रानीपुर आदेश चौहान, विधायक रुड़की प्रदीप बत्रा, महापौर नगर निगम हरिद्वार किरन जैसल, महापौर नगर निगम रुड़की अनीता देवी अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा/पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, मेलाधिकारी सोनिका, जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल, मुख्य विकास अधिकारी ललित नारायण मिश्रा मौजूद थे।

बिल लाओ इनाम पाओं योजना के विजेताओं को सीएम धामी से मिला पुरस्कार, खिले चेहरे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में ’’बिल लाओ-इनाम पाओ’’ योजना के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। एक सितंबर 2022 से 31 मार्च 2024 के बीच संचालित इस योजना के तहत कुल 1888 उपभोक्ताओं ने पुरस्कार जीते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि योजना में प्रतिभाग करने वाले सभी लोगों ने राज्य के राजस्व संग्रहण को एक नई चेतना, एक नया दृष्टिकोण और एक नई ऊर्जा प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में शुरु “बिल लाओ-इनाम पाओ” योजना राज्य सरकार का एक एक नवाचार था, जिसके द्वारा सरकार ने जनभागीदारी को राजस्व संग्रहण से जोड़ने का प्रयास किया। आज तीन वर्षों में “बिल लाओ-इनाम पाओ” योजना ने लोगों के बीच जागरुकता पैदा करने में कामयाबी हासिल की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना से जनता में ये समझ बनी है कि प्रदेश के विकास में प्रत्येक बिल एक योगदान है। योजना आज जहां एक ओर उपभोक्ता जागरूकता का सशक्त माध्यम बनी है, वहीं उपभोक्ता एवं व्यापारी वर्ग के बीच साझा जिम्मेदारी का प्रतीक भी बनकर उभरी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में व्यापार, उद्यम, क्रिएटिविटी को साथ लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने एक नया विश्वास पैदा करने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व वाली डबल इंजन की सरकार में व्यापारियों को ’’प्रोत्साहन’’ और ’’प्रॉफिट’’ के साथ ही ’’प्रोटेक्शन’’ भी मिला है। राज्य सरकार भी इसी क्रम में “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” और “व्यापार सुधार कार्य योजना” के माध्यम से राज्य में निवेश और उद्यमिता के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने का प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्य में ’’राजकोषीय अनुशासन’’ को मजबूती से स्थापित किया है। इसी का परिणाम है कि राज्य ’’राजकोषीय घाटे को निर्धारित सीमा के भीतर रखने में सफल’’ रहा है। इस प्रयास को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है, हाल ही में जारी ’’अरुण जेटली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट’’ की रिपोर्ट में उत्तराखंड को ’’देश के सर्वश्रेष्ठ वित्तीय प्रबंधन वाले राज्यों’’ में स्थान दिया गया है। इसके साथ ही ’’सतत विकास लक्ष्यों’’ के राष्ट्रीय सूचकांक में भी ’’उत्तराखंड पूरे देश में शीर्ष स्थान’’ पर है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जब जनता सरकार पर भरोसा करती है, और सरकार भी जनता के साथ पारदर्शी तरीके से व्यवहार करती है तो विकास की गति अपने आप कई गुना बढ़ जाती है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में नवाचारों के अधिकतम प्रयोग पर बल दिया है।

मुख्यमंत्री ने सभी से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग प्रत्येक खरीददारी पर बिल मांगकर लेनदेन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और राज्य के विकास में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने में सहयोग प्रदान करें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि योजना के तहत 90 हजार उपभोक्ताओं ने 270 करोड़ रुपए मूल्य के 6.5 लाख बिलों के साथ प्रतिभाग किया।

आयुक्त कर सोनिका ने बताया कि योजना के तहत कुल 1888 लोगों को पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अलावा 17 माह तक 1500 प्रति माह मासिक पुरस्कार भी प्रदान किए गए।

इस मौके पर विधायक सरिता कपूर, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, आयुक्त कर सोनिका, अपर आयुक्त अनिल सिंह सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।

पुरस्कारों का विवरण
02 ईवी कार, 16 मारुति ऑल्टो के- 10 कार, 20 ईवी स्कूटर, 50 बाइक, 100 लैपटॉप, 200 स्मार्ट टीवी, 500 टैबलेट, 1000 माइकोवेब

सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को दी बड़ी राहत, राज्य में अगले एक वर्ष तक नहीं बढ़ेगी वाहन फिटनेस फीस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य सरकार ने उत्तराखंड के वाहन स्वामियों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करते हुए पुराने (15 वर्ष) कमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में वृद्धि को आगामी 21 नवम्बर 2026 तक स्थगित कर दिया है। इस संबंध में परिवहन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत द्वारा जारी की गई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 15 वर्ष पुराने कमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में 10 गुना तक की वृद्धि की गई थी। प्रदेश की जनभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि उत्तराखंड के वाहन स्वामियों पर इसका तात्कालिक बोझ नहीं डाला जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार आमजन के हितों को सर्वाेपरि रखते हुए ऐसे निर्णय ले रही है, जिनसे जनता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा जनता-जनार्दन की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करती रहेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “हमारी सरकार का संकल्प जनता को राहत देना और जनहित में त्वरित निर्णय लेना है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा कमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में की गई वृद्धि को देखते हुए हमने इसे उत्तराखंड में एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया है। इस अवधि में पूर्व निर्धारित फीस ही लागू रहेगी। हम नहीं चाहते कि प्रदेश के वाहन स्वामियों और परिवहन कारोबार से जुड़े लोगों पर अचानक अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़े। आने वाले समय में केंद्र सरकार द्वारा किये जाने वाले पुनरीक्षण के अनुसार ही राज्य में नई दरें लागू की जाएंगी।”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “हमारी सरकार जनता के लिए संवेदनशील है। गरीब, मध्यम वर्ग, टैक्सी व ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों का हित सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिकता है। जनहित के निर्णयों में हम किसी भी प्रकार की देरी नहीं होने देंगे।”

उत्तराखंड में संविधान दिवस पर सभी शिक्षण संस्थानों में सामूहिक वंदे मातरम गायन का आयोजन

‘संविधान दिवस’ के अवसर पर प्रदेश के सभी राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों में राष्ट्र गीत ‘वन्दे मातरम्’ का सामुहिक गायन किया जायेगा। जिसमें 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं प्रतिभाग करेंगे। शिक्षण संस्थानों में आयोजित होने वाले सामुहिक गायन कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री सहित सभी महानुभाव व जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के सफल संचालन को लेकर सम्बंधित विभागों के विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

सूबे विद्यालयी शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने आज सचिवालय स्थित एफआरडीसी सभागार में विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, संस्कृत शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों की संयुक्त समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने विभागीय अधिकारियों को प्रदेशभर समस्त राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों, तकनीकी संस्थानों, चिकित्सा शिक्षा संस्थानों, व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों सहित प्रशिक्षण संस्थानों में आगामी 26 नवम्बर को ‘संविधान दिवस’ को वृहद स्तर पर मनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस महत्पूर्ण अवसर पर 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं, एनएसएस, स्काउट्स एंड गाइड व एनसीसी गाइड प्रातः 9ः30 बजे एक साथ राष्ट्र गीत ‘वन्दे मातरम्’ का सामुहिक गायन करेंगे। डाॅ. रावत ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों में आयोजित होने वाले सामुहिक गायन कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी प्रतिभाग करेंगे। इसके अलावा उक्त कार्यक्रम में स्वाधीनता सेनानी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों सहित जिलों के प्रभारी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, सरकार में दर्जा राज्य मंत्रियों, नगर निगमों के महापौरों, जिला पंचायत अध्यक्षों, नगर निकायों के अध्यक्षों, ब्लाॅक प्रमुखों, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त डाॅ. रावत ने विभागीय अधिकारियों को ‘वन्दे मातरम्’ के सामुहिक गायन कार्यक्रम की वीडियो रिकार्डिंग के साथ ही फोटोग्राफी अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिये, जिनको जियोटैग भी किया जायेगा। उन्होंने आयोजन संबंधी उत्कृष्ट वीडियो, फोटो व विशिष्ट उपलब्धि को www.vandemataram150.in वेबसाइट व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड़ करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिये उन्होंने सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को ब्लाॅक व जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर आवश्यक समन्वय स्थापित के निर्देश भी बैठक में दिये। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद युवा पीढ़ी में भारतीय संविधान व राष्ट्रगीत के प्रति सम्मान और राष्ट्रभावना को मजबूत करना है, साथ ही राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता व राष्ट्रीय एकता की भावना को भी विकसित करना है।

बैठक में सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा डाॅ. रणजीत सिन्हा, सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक गैरोला, संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विक्रम यादव, निदेशक उच्च शिक्षा वी.एन. खाली, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ. अजय आर्य, निदेशक माध्यमिक शिक्षा डाॅ. मुकुल कुमार सती, निदेशक प्राथमिक शिक्षा अजय कुमार नौडियाल, निदेशक संस्कृत शिक्षा कंचन देवराड़ी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सीएम धामी ने नशा मुक्त भारत अभियान की पांचवीं वर्षगांठ पर किया राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नशामुक्त भारत अभियान के पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में युवाओं से अपील की है कि वो स्वयं भी नशे को पूरी मजबूती के साथ ना कहें, साथ ही अपने साथियों को भी नशे के लिए “ना’’ कहने के लिए प्रेरित करें।

मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित नशामुक्त भारत अभियान की 5वीं वर्षगांठ के राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नशामुक्त भारत अभियान के पांच वर्ष पूर्ण होने की बधाई देते हुए कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कर्मवीरों के सहयोग से आज समाज नशे की भयावह समस्या से मुकाबला करने में सक्षम हो रहा है। उन्होंने कहा कि नशा केवल एक बुरी आदत नहीं, बल्कि समाज को भीतर से खोखला करने वाली एक भयावह चुनौती है। ये घातक प्रवृत्ति व्यक्ति की चेतना, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को नष्ट कर उसके पूरे भविष्य को विनाश की ओर ले जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नशे का प्रसार वैश्विक स्तर पर एक ‘साइलेंट वॉर’ की तरह हो रहा है, जिसका सबसे बड़ा निशाना हमारी युवा शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी ही नए भारत की ऊर्जा, नवाचार, सामर्थ्य और प्रगति का वास्तविक आधार है। यदि यही ऊर्जा किसी नकारात्मक प्रभाव में फँस जाएगी, तो राष्ट्र के विकास की गति भी अवरुद्ध हो जाएगी। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत कर पूरे देश से इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान किया और इसे एक व्यापक जन-आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से राज्य सरकार भी नशे के विरुद्ध इस महाअभियान के अंतर्गत “ड्रग्स फ्री उत्तराखंड” के संकल्प को साकार करने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड पर कार्य कर रही है।

मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए वर्ष 2022 में त्रिस्तरीय एन्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (।छज्थ्) का गठन किया गया। फोर्स ने बीते तीन वर्ष में 6 हजार से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए, 200 करोड़ रुपए से अधिक के नारकोटिक पदार्थ भी बरामद किए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार नशे की प्रवृत्ति को रोकने, नशा ग्रस्त व्यक्तियों को पुनः मुख्यधारा से जोड़ने तथा उनके पुनर्वास के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बना रही है। वर्तमान में, प्रदेश में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स (प्त्ब्।) सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं, जो नशा पीड़ित व्यक्तियों को उपचार, परामर्श और पुनर्वास की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, एम्स ऋषिकेश की सहायता से राज्य में एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी का संचालन भी किया जा रहा है। इसी तरह राज्य के प्रत्येक जनपद के शिक्षण संस्थानों में एंटी-ड्रग कमेटियों का गठन किया गया है, जिनमें जागरूक विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों तथा प्रधानाचार्यों को सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की गौरवशाली पहचान “ऐपण कला” को भी इस अभियान से जोड़ा गया है, आज नशा-विरोधी संदेशों से सुसज्जित ‘ऐपण’ पेंटिंग्स हमारे शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों की शोभा बढ़ा रही हैं। साथ ही युवाओं को नशे से दूर रखने और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने के लिए राज्य में ‘दगड़िया क्लब’ भी बनाए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे स्वयं भी नशे को पूरी मजबूती के साथ ना कहें और अपने साथियों को भी नशे के लिए “ना’’ कहने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सरकार उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए अपने विकल्प रहित संकल्प के साथ निरंतर कार्य कर रही है। परन्तु ये संकल्प तभी सिद्ध हो सकता है, जब हमारी युवा पीढ़ी अपनी पूरी ऊर्जा, क्षमता और दृढ़ संकल्प के साथ हमारा सहयोग करे और नशे जैसी बुराइयों से स्वयं भी दूर रहे तथा दूसरों को भी दूर रखने का संकल्प ले।

मुख्यमंत्री धामी ने उपस्थित युवाओं को नशा मुक्त भारत अभियान की शपथ भी दिलाई, साथ ही स्कूल कॉलेजों में राज्य स्तर पर आयोजित भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक सविता कपूर, उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष संजय नेगी, सचिव समाज कल्याण डॉ श्रीधर बाबू अद्यांकी, अपर पुलिस महानिदेशक डॉ वी मुरुगेशन, निदेशक समाज कल्याण डॉ संदीप तिवारी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

उत्तराखंडः एक जिला, एक मेला अभियान के अंतर्गत चयनित मेलों को राजकीय मेला के रूप में घोषित किया जाएगा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के जिलाधिकारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने बैठक में राज्य के विकास कार्यों की प्रगति, जन शिकायतों के त्वरित निस्तारण और प्रशासनिक सुधारों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना की रजत जयंती पर सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री द्वारा राज्य के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया गया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने के विज़न पर जोर दिया और ‘एक जिला, एक मेला’ अभियान के महत्व को रेखांकित करते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने वाले मेलों के पर्यावरण-सम्मत और भव्य आयोजन की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि “एक जिला, एक मेला” अभियान के अंतर्गत चयनित मेलों को राजकीय मेला के रूप में घोषित किया जाएगा। जिन मेलों को यह मान्यता प्राप्त होगी, उन्हें विशेष संरक्षण, वित्तीय सहायता और प्रचार-प्रसार का लाभ मिलेगा। इन मेलों के आयोजक वही रहेंगे। राज्य सरकार केवल सहायता और आवश्यक सहयोग प्रदान करेगी। इस अभियान का उद्देश्य केवल स्थानीय संस्कृति, कला और शिल्प को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि जनता के लिए मनोरंजन और सामुदायिक सहभागिता के अवसर भी प्रदान करना है। राजकीय मेला घोषित किए जाने से मेलों का स्वरूप और आकर्षण और बढ़ जाएगा तथा यह राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश और दुनिया के लिए आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि योग, आयुर्वेद और ध्यान के केंद्रों को जिलों और ब्लॉकों तक विस्तारित किया जाए। इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक में एक गाँव को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना जा सकता है, जिसे “आध्यात्मिक गाँव” के रूप में विकसित किया जाएगा। इस पहल के तहत गाँव में योग प्रशिक्षण केंद्र, आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सुविधा, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा स्थानीय स्तर पर आध्यात्मिक शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इससे न केवल स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य और मानसिक शांति बढ़ेगी, बल्कि राज्य को पर्यटन और स्वास्थ्य से जुड़ी नई पहचान भी मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत चिन्हित गांवों में होमस्टे, स्वरोजगार, उद्यानिकी, कृषि और सौर ऊर्जा संबंधी गतिविधियों की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। मुख्यमंत्री ने सीमा से लगे गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक सीमांत गांव को किस रूप में आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। उन्होंने शीतकालीन चार धाम यात्रा और बारहमासी पर्यटन की तैयारियों को तेज करने के निर्देश दिए। इसके अंतर्गत, विशेषकर उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में होटलों, होमस्टे संचालकों और अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध कराना शामिल है। मुख्यमंत्री ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से कुमाऊँ मंडल विकास निगम (केएमवीएन) तथा गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को निर्देश दिए हैं कि वे आगामी शीतकालीन यात्रा सीज़न के लिए विशेष छूट पैकेज तैयार कर उन्हें लागू करें। उन्होंने कहा कि इन पैकेजों से न केवल पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को कहा कि सीएसआर फंड का उपयोग जनहित के कार्यों के लिए जिला स्तर पर व्यापक रूप से किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि इस फंड से ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाए, जिनसे आम जनता को सीधे लाभ मिल सके और स्थानीय विकास को गति मिले।

मुख्यमंत्री ने प्रमुख स्थानों पर अलाव, रेन बसेरा और बर्फ हटाने की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने के साथ-साथ शीतकालीन चारधाम यात्रा के समापन के बाद यात्रा मार्गों और श्रद्धालुओं द्वारा छोड़े गए कचरे के उचित निस्तारण के निर्देश भी दिए। संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कचरे का प्रभावी प्रबंधन किया जाए और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके। इस पहल का उद्देश्य न केवल यात्रियों की सुविधा बनाए रखना है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों की स्वच्छता भी सुनिश्चित करना है।

मुख्यमंत्री ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण पहलुओं एवं उनके व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीआई टैग से संबंधित उत्पादों को निर्यात योग्य बनाने की दिशा में ठोस कार्य किए जाने की आवश्यकता है। इस संबंध में प्रत्येक जनपद को अपनी विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर लेनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने प्रत्येक जनपद और विकासखंड में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए विशेष योजनाएँ तैयार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिससे न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शहरों और कस्बों की सुंदरता और स्वच्छता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए उद्यानिकी और हरित क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने के साथ-साथ बस-स्टैंड, रेलवे स्टेशन और प्रमुख मार्गों पर सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए, ताकि नागरिकों और पर्यटकों दोनों के लिए सुविधाजनक और आकर्षक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए जिला स्तर पर नियमित सत्यापन और निरीक्षण अभियान चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने सीमा क्षेत्रों में विशेष निगरानी बनाए रखने और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, शहरों और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरों की पूरी व्यवस्था और उनकी रियल-टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा। सुरक्षा के लिए आवश्यक मैनपावर, तकनीक और अन्य संसाधनों की जरूरत होने पर तुरंत मुख्यालय और शासन को अवगत कराने का भी निर्देश दिया गया। नशा समस्या पर नियंत्रण के लिए संभावित क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और डीजीपी के मार्गदर्शन में नशा मुक्ति अभियान के लिए समर्पित टीम बनाने की व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सड़क पर घूमते बेसहारा पशुओं के प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं की सुचारू व्यवस्था, बागवानी के विकास और भूमि अतिक्रमण जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं का पालन सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को अल्मोड़ा के द्वाराहाट क्षेत्र के द्रोणगिरी, चंपावत के श्यामलाताल-देवी धूरा और अन्य क्षेत्रों में स्पिरिचुअल इकोनॉमिक जोन विकसित करने की संभावनाओं का सर्वेक्षण कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। इसके साथ मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएँ। जिलाधिकारी लगातार मॉनिटरिंग करें और सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य सुविधाएँ समय पर और प्रभावी रूप से जनता तक पहुँच रही हों। किसी भी समस्या या कमी की तुरंत पहचान कर उसके सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएँ और समय-समय पर जिला अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें। सीएम हेल्पलाइन की नियमित मॉनिटरिंग और बीडीसी बैठक, तहसील दिवस तथा जनसुनवाई चौपाल के माध्यम से जनता की समस्याओं के समय पर समाधान सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रमुख शहरों में बढ़ते यातायात जाम की समस्या को गंभीरतापूर्वक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि जाम की समस्या का शीघ्र और समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने राज्य की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य भर में क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत को प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और मरम्मत कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने उन क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश भी दिया, जहां बार-बार सड़कों की स्थिति खराब होने और नागरिकों की शिकायतें अधिक आने की समस्या है। इन क्षेत्रों पर नियमित और विशेष निगरानी रखी जाए ताकि समय रहते सुधार किए जा सकें और जनता को सुगम एवं सुरक्षित मार्ग उपलब्ध हो सकें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि मरम्मत कार्यों की निगरानी में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने, कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने, आगामी शीतकालीन यात्रा की तैयारियों को तेज करने तथा सभी पर्यटक स्थलों पर सड़क, पेयजल, पार्किंग जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य की सभी सड़कों को प्राथमिकता के आधार पर गड्ढ़ा मुक्त करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को पिछले तीन साल में बने स्थाई निवासी प्रमाण पत्रों की जांच के निर्देश देते हुए गलत तरीके से बने प्रमाण पत्र में संलिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना एवं सुरक्षा अभिनव कुमार, कुमाऊं मण्डल आयुक्त दीपक रावत सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

सीएम धामी ने की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात, विभिन्न विषयों पर की वार्ता

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से एयर फोर्स ऑडिट ब्रांच देहरादून में ही यथावत रहने देने और ग्वालदम-नंदकेसरी-थराली-देवाल-मुन्दोली-वाण मोटर मार्ग के रख-रखाव का कार्य लोक निर्माण विभाग से ही कराए जाने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री धामी ने अवगत कराया कि एयर फोर्स ऑडिट ब्रांच लंबे समय से देहरादून में बिना किसी व्यवधान के संचालित हो रही है। प्रदेश की सीमाएँ चीन व नेपाल से लगने तथा यहां सेना व सुरक्षा बलों के अनेक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान होने के कारण देहरादून का सामरिक महत्व अत्यंत अधिक है। उन्होंने रक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि एयर फोर्स ऑडिट ब्रांच देहरादून से ही यथावत संचालित रहे, इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ।

मुख्यमंत्री ने ग्वालदम-नंदकेसरी-थराली-देवाल-मुन्दोली-वाण मोटर मार्ग के रख-रखाव एवं अनुरक्षण का कार्य भविष्य में भी उत्तराखण्ड लोक निर्माण विभाग के पास ही बनाए रखने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा कि यह मार्ग विश्वप्रसिद्ध नंदा देवी राजजात यात्रा का प्रमुख रूट है, जिसकी अगली यात्रा वर्ष 2026 में प्रस्तावित है। प्रदेश की धार्मिक, सांस्कृतिक आस्था से जुड़े इस महत्वपूर्ण आयोजन की सुचारू व्यवस्था के लिए मार्ग का रख-रखाव स्थानीय स्तर पर लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाना अत्यंत आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों, समन्वय तथा त्वरित कार्य निष्पादन के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग ही इस मार्ग के रख-रखाव के लिए सर्वाेत्तम विभाग है तथा इससे आगामी यात्रा सहित स्थानीय आवागमन को भी बड़ी सुविधा मिलेगी।

रक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत विषयों पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आश्वासन दिया।

पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने 10 लाख का चेक सीएम राहत कोष में किये जमा

प्रसिद्ध पर्वतारोही एवं पद्म भूषण सम्मान प्राप्त बछेंद्री पाल ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 10 लाख रुपए का चेक प्रदान किया। यह चेक उनकी ओर से राज्य महिला उद्यमिता परिषद की उपाध्यक्ष विनोद उनियाल द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

मुख्यमंत्री ने बछेंद्री पाल के इस सामाजिक योगदान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संकट की घड़ी में सहयोग एवं सेवा की भावना ही समाज को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि ऐसे योगदान न केवल ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं, बल्कि जनहित के कार्यों के प्रति लोगों को प्रेरित भी करते हैं।

विश्व मधुमेह दिवस पर उत्तराखंड में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन के लिए पहली राज्य स्तरीय गाइडलाइन जारी

उत्तराखंड की धामी सरकार बच्चों, किशोरों और युवाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगातार ऐतिहासिक कदम उठा रही है। इसी दिशा में आज विश्व मधुमेह दिवस पर राज्य ने टाइप-1 डायबिटीज (T1D) प्रबंधन के लिए अपनी पहली राज्य स्तरीय तकनीकी एवं संचालन संबंधी गाइडलाइन जारी की। यह कदम टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्थित, वैज्ञानिक और मानवीय स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), चिकित्सक विशेषज्ञ और विकास भागीदार शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज मुख्य रूप से बच्चों और युवाओं में पाई जाती है, और उपचार में थोड़ी सी भी देरी या कमी जीवन को खतरे में डाल सकती है। राज्य की चुनौतीपूर्ण पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एक मानकीकृत, सुचारू और समग्र मॉडल की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी—आज वह आवश्यकता पूरी हो गई।

गुबारा क्लीनिक : बच्चों के लिए समग्र डायबिटीज देखभाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य ने देश के सबसे संवेदनशील और प्रभावी-डायबिटीज देखभाल मॉडल – “GUBARA Clinics” स्थापित किया है। यह मॉडल टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों को एक ही छत के नीचे हर जरूरी सेवा उपलब्ध कराता है।

GUBARA क्लीनिकों में उपलब्ध मुख्य सेवाएँ—
• नियमित इंसुलिन थेरेपी
• शुगर मॉनिटरिंग
• निर्धारित अंतराल पर मेडिकल चेकअप
• पोषण विशेषज्ञों द्वारा डाइट परामर्श
• मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग
• परिवार परामर्श
• मासिक फॉलो-अप

टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित 200 लोगों को चिन्हित कर नामांकित किया गया है। देहरादून ज़िले में 200 लोगों की पहचान की गई है और उन्हें गुबारा क्लीनिकों में नामांकित किया गया है। सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक राज्य में टाइप 1 मधुमेह से प्रभावित 1,120 लोगों तक इस कार्यक्रम की सेवाएं पहुंचाना है। देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर और उधमसिंहनगर सहित कई जिलों में GUBARA क्लीनिक सक्रिय हैं और लोगों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। उपचार, रोकथाम और परामर्श को एकीकृत करने वाला ढांचा जारी की गई राज्य गाइडलाइन ने टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन को एक पेशेवर, सरल और समान रूप से लागू होने वाली प्रणाली में बदल दिया है।
गाइडलाइन की प्रमुख बातें—
T1D के निदान व उपचार के लिए मानकीकृत चिकित्सकीय प्रोटोकॉल
सभी जिला अस्पतालों में GUBARA क्लीनिक चलाने हेतु संचालन संबंधी दिशा-निर्देश
ASHA, CHO, MO सहित स्वास्थ्य कर्मियों की स्पष्ट भूमिका
RBSK एवं सामुदायिक टीमों के माध्यम से मज़बूत स्क्रीनिंग
नि:शुल्क इंसुलिन व शुगर मॉनिटरिंग उपकरणों की निरंतर उपलब्धता
टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों व परिवारों के लिए संरचित परामर्श मॉड्यूल
राज्यभर में एक समान मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली
यह गाइडलाइन आने वाले वर्षों में सभी जिलों में T1D कार्यक्रम के सुचारू विस्तार की आधारशिला बनेगी।

गाइडलाइन जारी होने के बाद—
सभी जिलों में ओरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू होंगे
स्वास्थ्य प्रदाताओं का प्रशिक्षण बढ़ेगा
GUBARA क्लीनिकों का राज्यभर में विस्तार किया जाएगा
समुदाय स्तर पर जागरूकता और शुरुआती पहचान पर विशेष फोकस रखा जाएगा
इस प्रयास से उत्तराखंड आने वाले वर्षों में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित होने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड का कोई भी बच्चा इलाज के अभाव में पीड़ा नहीं झेले। ‘GUBARA क्लीनिक’टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए एक संवेदनशील और मानवीय पहल है। यह कार्यक्रम आने वाले समय में पूरे राज्य में लागू होगा और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान
मुख्यमंत्री धामी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं में तेज़ी से प्रगति कर रहा है। टाइप-1 डायबिटीज जैसे जटिल विषय को लेकर राज्य ने जो समग्र मॉडल अपनाया है, वह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा। हम सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, उपचार और परिवार समर्थन तंत्र को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उत्तराखंडः यूसीसी नियमों में कई बदलाव, जानिए…

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में कई बदलाव किये गए हैं। जिसके तहत अब लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों की गोपनीयता और गोपनीय किया गया है। नए बदलाव के अनुसार अब लिव इन में रहने वाले युगलों को अपने संबंधों की जानकारी माता-पिता को देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। पुलिस को भी इनकी सूचना केवल जानकारी के लिए ही दी जाएगी।

लिव इन संबंधों की समाप्ति पर युवती के गर्भवती होने अथवा बच्चे होने की सूचना देना अनिवार्य नहीं होगा। लिव इन में रहने वालों को मकान मालिक से प्रमाण पत्र लेना भी जरूरी नहीं होगा। साथ ही नियमावली से अब वैवाहिक पंजीकरण के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को हटा दिया गया है।

प्रदेश में इस वर्ष फरवरी से समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली भी बनाई गई है। इस नियमावली के कई प्रविधानों पर निजता के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा था। इस पर कई व्यक्तियों ने हाईकोर्ट में दस्तक दी थी। हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में गृह विभाग ने अब इस नियमावली में संशोधन कर दिया है। इसे समान नागरिक संहिता चतुर्थ संशोधन नियमावली नाम दिया गया है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें विवाह पंजीकरण व लिव इन संबंधी कई अहम संशोधन किए गए हैं।

लिव इन के लिए किए गए संशोधन

– 21 वर्ष से कम उम्र वाले बालिगों के माता-पिता या अभिभावकों को सूचना देना जरूरी नहीं।

– विवाह पंजीकरण के बाद किए गए धर्म परिवर्तन की सूचना देना जरूरी नहीं

– लिव इन में धर्म परिवर्तन की जानकारी देना आवश्यक

– लिव इन में अब पांच दिनों के स्थान पर पंजीकरण अधिकारी 24 घंटे में मांगेगे वांछित जानकारी

– लिव इन में आने के लिए मृतक पत्नी अथवा पूर्व सहवासी के बारे में जानकारी देना स्वैच्छिक

– लिव इन के दौरान अपनी जातियों से संबंधित जानकारी देना ऐच्छिक

– लिव इन में धर्म गुरूओं से प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता नहीं

– लिव इन में पंजीकरण के लिए आधार नंबर के ओटीपी को भरने की अनिवार्यता भी समाप्त

– लिव इन में पुलिस द्वारा जांच की व्यवस्था की व्यवस्था समाप्त

अब विवाह पंजीकरण पर ये दस्तावेज भी मान्य

अब विवाह पंजीकरण के लिए आधार कार्ड के साथ ही पासपोर्ट, वोटर आइडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व केंद्र या राज्य सरकारी जारी वैध अन्य पहचान पत्रों का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए नियमावली में संशोधन कर दिया गया है।