केंद्रीय बजट से पूर्व हुई नई दिल्ली में बैठक, सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने किया प्रतिभाग

उत्तराखंड के वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने आगामी केन्द्रीय बजट के लिए राज्यों के सुझाव के सम्बन्ध में नई दिल्ली में आयोजित बैठक में प्रतिभाग किया।

भारत मंडपम में आयोजित बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री भारत सरकार निर्मला सीतारमण जी ने की। बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी तथा विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों सहित केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की ओर से वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल एवं सचिव वित्त दिलीप जावलकर उपस्थित थे।

बैठक में उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री डॉ प्रेम चन्द अग्रवाल ने देवभूमि उत्तराखण्ड की जनता की ओर से बजट निर्माण पूर्व बैठक में प्रतिभागिता का अवसर देने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री जी का आभार व्यक्त किया। आगामी बजट में उत्तराखण्ड की भौगोलिक एवं परिस्थितियों को विशेष रूप से सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया। इस अवसर पर वित्त मंत्री डॉ प्रेम चन्द अग्रवाल ने तीन बिन्दुओ को प्रमुखता से उठाया।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि एक पर्वतीय व सीमान्त राज्य होने के दृष्टिगत सुदृढ़ कनेक्टिविटी व सुचारू आवागमन एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। ऑल वेदर रोड़ व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना सहित राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं पर द्रुतगति से हो रहे कार्य हमारे लिए संजीवनी का कार्य कर रहे हैं। हमें आशा है कि आगामी बजट में उत्तराखण्ड को नयी केन्द्रीय योजनाओं का आशीर्वाद मिलेगा। इस आलोक में आगामी बजट में ऋषिकेश-उत्तरकाशी तथा टनकपुर बागेश्वर रेल परियोजना हेतु आवश्यक प्रावधान करने का निवेदन किया।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड सहित कुछ दूसरे हिमालयी राज्यों को प्रतिवर्ष लैण्ड स्लाइड का सामना करना पड़ रहा है। क्रोनिक लैण्ड स्लाईड के ट्रीटमेंट हेतु राष्ट्रीय महत्व के शोध संस्थान की स्थापना उत्तराखण्ड के सीमान्त व संवेदनशील जनपद यथा-चमोली, पिथौरागढ़ तथा चम्पावत आदि में किये जाने का अनुरोध किया।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि भू-जल के स्तर में क्षरण एक ज्वलन्त समस्या है। यह देखा गया है कि हिमालय के तराई भाग में भूजल के स्तर में तीव्रता से क्षरण हो रहा है। आबादी का बडा भाग तराई क्षेत्र में निवास करता है। यहाँ के वाटर टेबल को बचाये जाने के लिए तथा भूजल के स्तर में क्षरण को यथा शीघ्र रोके जाने के लिए गम्भीर प्रयासों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस सम्बन्ध में हमारे राज्य की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं यथा कुमायूँ मण्डल के हल्द्वानी एवं समीपवर्ती तराई के शहरों में सिंचाई व पेयजल आपूर्ति हेतु जमरानी बांध परियोजना एवं गढवाल मण्डल में देहरादून व उपनगरीय क्षेत्र में पेयजल की समस्या के निदान हेतु सौंग बांध परियोजना उल्लेखनीय हैं। केन्द्र सरकार की कृपा से जमरानी बांध परियोजना को पी. एम.के.एस.वाई. ए.आई.वी.पी. योजना के अन्तर्गत आच्छादित किया जा चुका है। इसी क्रम में गढवाल मण्डल में देहरादून व उपनगरीय क्षेत्र में पेयजल की समस्या के निदान हेतु सौंग बांध परियोजना जो यद्यपि सिंचाई परियोजना नहीं है तथापि भूजल के स्तर को बनाये रखने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि वित्त पोषण हेतु सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया।
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’कई बिंदुओं को लेकर डॉ अग्रवाल ने दिया ज्ञापन’
’नई दिल्ली/देहरादून।’ वित्त मंत्री डॉ प्रेमचन्द अग्रवाल ने इस अवसर पर एक ज्ञापन दिया। जिसमें
ऽ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा जल जीवन मिशन योजना से राज्य में विद्यमान ग्रेविटी स्कीमों की तुलना में पम्पिंग स्कीमों पर अधिक निर्भरता के दृष्टिगत राज्य द्वारा अतिरिक्त व्यय की ओर ध्यान आकर्षित किया गया तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अनुरूप ही जल जीवन मिशन योजना के अनुरक्षण के लिए भी केन्द्रीय सहायता का अनुरोध किया गया।

ऽ ैक्त्थ् योजना से अनाच्छादित आपदाओं/ घटनाओं हेतु नई योजना प्रारम्भ करने हेतु अथवा अनाच्छादित मदों जैसे भ्पही टवसजंहम ज्तंदेउपेेपवद स्पदमे / वनाग्नि आदि घटनाओं को ैक्त्थ् की ळनपकमसपदम से आच्छादित करने का अनुरोध किया।

ऽ राज्य के दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित किये जाने हेतु रू. 2 करोड़ प्रति मेगावाट की दर से रू. 8 हजार करोड़ की टपंइपसपजल ळंच थ्नदकपदह (टळथ्) प्रदान करने हेतु आवश्यक प्रावधान आगामी बजट में करने का अनुरोध किया। वृद्धावस्था पेंशन हेतु केन्द्रांश को रू0 200 से बढ़ाकर रू0 500 किये जाने, मानसखण्ड माला

ऽमिशन के अन्तर्गत इंटरनल कनेक्टिीविटी को सुदृढ़ करने, नेट फेज-2 परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन किये जाने एवं मनरेगा कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड सहित समस्त पर्वतीय राज्यों हेतु श्रम व सामग्री का अनुपात 60रू40 के बजाय 50रू50 किये जाने का अनुरोध किया।

ऽ राज्य में प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुाओं के आने (फ्लोटिंग पोपुलेशन) के परिणाम स्वरूप साफ-सफाई एवं अवस्थापना सुविधाओं के नों के अनुरक्षण हेतु आगामी बजट में यथोचित योजना के अन्तर्गत इस बिन्दु पर सहानुभूतिपूर्वक अनुदान देने के लिये विचार करने का अनुरोध किया।

डॉ प्रेमचन्द अग्रवाल ने बताया कि विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं व केन्द्रीय अनुदानों से प्रदेश के सर्वांगीण विकास का पथ प्रशस्त हुआ है। केन्द्र के आशीर्वाद से हमारी विकास यात्रा को गति मिली है।

केन्द्रीय वित्त मंत्री ने सीएम धामी को किया आश्वस्त, मिलेगा हर सहयोग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर उत्तराखंड राज्य से संबंधित विषयों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से सौंग बांध पेयजल परियोजना के लिए 1774 करोड़ की धनराशि का वित्त पोषण केन्द्र सरकार से विशेष सहायता के अन्तर्गत कराने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों और सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए बाह्य सहायतित परियोजनाओं की ऋण राशि पर लगाई गई सीलिंग को हटाए जाने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून की बढ़ती हुई आबादी के कारण पेयजल की मांग निरन्तर तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके दृष्टिगत व भविष्य में सतत पेयजल की सुविधा प्रदान करने के लिए गंगा नदी की सहायक नदी सौंग नदी पर सौंग बांध पेयजल परियोजना प्रस्तावित है। प्रस्तावित परियोजना की कुल लागत रु० 2021 करोड़ है परियोजना के निर्माण से 150 एम.एल.डी. पेयजल ‘गुरुत्व’ के माध्यम से देहरादून नगर व इसके उपनगरीय क्षेत्रों की लगभग 10 लाख आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। परियोजना के निर्माण उपरान्त पेयजल व्यवस्था की नलकूपों पर निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त परियोजना के निर्माण से लगभग 3.50 कि0मी0 लम्बी झील का निर्माण होगा जोकि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे रोजगार सृजन होगा एवं स्थानीय नागरिकों के आय में वृद्धि होगी। झील निर्माण से पर्यावरण को भी लाभ होगा।
इस परियोजना का एक अन्य मुख्य लाभ बाढ़ नियंत्रण है। परियोजना के निर्माण के फलस्वरूप देहरादून जनपद के 10 ग्रामों की लगभग 15000 आबादी को सौंग नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ से सुरक्षा प्रदान होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना से सम्बन्धित सभी आवश्यक तकनीकी, वन भूमि हस्तान्तरण स्टेज-1 एवं अन्य आवश्यक स्वीकृतियाँ सम्बन्धित विभागों व मंत्रालयों से प्राप्त की जा चुकी हैं। परियोजना से प्रभावित होने वाले कुटुम्बों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु 247 करोड़ रुपए का व्ययभार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से राज्य सरकार की सीमित वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत परियोजना के लिए 1774 करोड़ रुपए की अवशेष धनराशि का वित्तपोषण भारत सरकार से विशेष सहायता के अन्तर्गत कराने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों और सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए बाह्य सहायतित परियोजनाओं की ऋण राशि पर लगाई गई सीलिंग को हटाए जाने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एडीबी के तहत देहरादून के मुख्य मार्गों में विद्युत लाईनों को भूमिगत करने के साथ ही राज्य की पारेषण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के कार्य, जिसमें विद्युत उपस्थानों एवं लाईनों का निर्माण कार्य सम्मिलित है का कार्य शीघ्र किया जाना है। मुख्यमंत्री ने आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार से उपरोक्त योजना की स्वीकृति प्रदान कराए जाने का अनुरोध किया। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने पुनर्मूल्यांकन हेतु प्रस्ताव भेजने को कहा ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हर संभव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।

देहरादून नगर की पेयजल समस्या को दूर करने के लिए विशेष सहायता देने का अनुरोध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से शिष्टाचार भेंट की। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से सौंग बांध पेयजल परियोजना हेतु 1774 करोड़ की धनराशि का वित्तपोषण भारत सरकार के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता के अन्तर्गत कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से देहरादून की पेयजल समस्या का समाधान हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून नगर एवं इसके उपनगरीय क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था मुख्य रूप से नलकूप के द्वारा की जा रही है, जिसके फलस्वरूप भूजल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है। देहरादून की बढ़ती हुई आबादी के कारण पेयजल की मांग निरन्तर तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके कारण वर्तमान पेयजल आपूर्ति व्यवस्था भविष्य की पेयजल मांग को पूर्ण करने में सक्षम नहीं होगी। इस समस्या के दृष्टिगत व भविष्य में सतत पेयजल की सुविधा प्रदान करने हेतु गंगा नदी की सहायक नदी सौग नदी पर सौंग बांध पेयजल परियोजना प्रस्तावित है प्रस्तावित परियोजना की कुल लागत रू0 2021 करोड़ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के निर्माण से 150 एम.एल.डी. पेयजल ‘गुरुत्व’ के माध्यम से देहरादून नगर व इसके उपनगरीय क्षेत्रों के लगभग 10 लाख आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। परियोजना के निर्माण उपरान्त पेयजल व्यवस्था की नलकूपों पर निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी, जिससे भूजल दोहन में भारी कमी आएगी जिसके फलस्वरूप भू जल स्तर में बढ़ोतरी होगी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आयेगी एवं भविष्य में नए नलकूपों एवं उन पर होने वाले संचालन व रखरखाव संबंधी व्यय में भी भारी कमी आएगी। इसके अतिरिक्त परियोजना के निर्माण से झील का निर्माण होगा जो कि क्षेत्र में पर्यटन को बढावा देगा, जिससे रोजगार सृजन होगा एवं स्थानीय नागरिकों के आय में वृद्धि होगी। झील निर्माण से पर्यावरण को भी लाभ होगा। इस परियोजना का एक अन्य मुख्य लाभ बाढ़ नियंत्रण है, परियोजना के निर्माण के फलस्वरूप देहरादून जनपद के 10 ग्रामों की लगभग 15000 आबादी को सौंग नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ से सुरक्षा प्रदान होगी। परियोजना देहरादून नगर के जलापूर्ति हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है परियोजना से सम्बन्धित सभी आवश्यक तकनीकी वन भूमि हस्तान्तरण स्टेज-1 एवं अन्य आवश्यक स्वीकृतियाँ सम्बन्धित विभागों/मंत्रालयों से प्राप्त की जा चुकी है। परियोजना से प्रभावित होने वाले कुटुम्बों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु व्ययभार (रू. 247 करोड़) राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।

वित्त मंत्री अग्रवाल ने आगामी बजट में राज्य हित में कई सुझाव दिये

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों की बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। इसमें उत्तराखंड के वित्त व संसदीय कार्यमंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने भी शिरकत की। मंत्री डा. अग्रवाल ने आगामी बजट के लिए अपने सुझाव देते हुए बजट में प्रदेश की कई मांगों को पूरा करने का आग्रह किया। साथ ही केंद्र से मिल रहे भरपूर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का आभार प्रकट किया।
नई दिल्ली में आयोजित बैठक में सूबे के वित्त मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य की जनता को डबल इंजन की सरकार का लाभ मिल रहा है। देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री के सहयोग से विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं व अनुदानों से प्रदेश का सर्वागीण विकास हो रहा है।
डा. अग्रवाल ने कहा कि आगामी बजट में राज्य के लिए नयी केन्द्रीय योजनाओं की स्वीकृति मिले, जिससे पर्यावरण रक्षक व सीमान्त प्रहरी के रूप में उत्तराखंड अपनी भूमिका मजबूती से निर्वहन कर सके। डा. अग्रवाल ने आगामी बजट में नई रेल परियोजना ऋषिकेश-उत्तरकाशी और इसी तरह टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजना के लिए भी आवश्यक प्रावधान करने का भी निवेदन किया।
डा. अग्रवाल ने लैण्ड स्लाइड जैसी समस्याओं के लिए कोनिक लैण्ड स्लाईड के ट्रीटमेंट को राष्ट्रीय महत्व का शोध संस्थान उत्तराखण्ड के सीमान्त व संवेदनशील क्षेत्र जैसे चमोली अथवा पिथौरागढ़ जनपद में खोले जाने, दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए 2 करोड़ रूपये प्रति मेगावाट की दर से 8 हजार करोड़ रूपये की वायबिलिटी गैप फंडिंग आगामी बजट में प्रदान करने की अपील की।
इसके अलावा डा. अग्रवाल ने जमरानी बांध परियोजना और सॉंग बांध परियोजना के लिए आगामी बजट में आवश्यक प्रावधान करने का भी निवेदन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अवशेष कार्यों को पूर्ण करने के लिये समय-सीमा को बढ़ाने तथा अवशेष देयता के लिए बजट में प्रावधान करने का अनुरोध किया।
डा. अग्रवाल ने राज्य सरकार द्वारा पति और पत्नी को दी जा रही 1500 रूपये वृद्धावस्था पेंशन में केन्द्रांश को 200 रूपये से बढ़ाकर 500 रूपये आगामी बजट में किये जाने की भी मांग की। वित्त मंत्री ने बजट में प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थिति का हवाला देते हुए सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत नेट फेज-2 परियोजना के लिए वित्तीय प्राविधान की भी मांग की।
डा. अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा कि पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण उत्तराखण्ड में सामग्री ढुलान अत्यन्त महंगा होता है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचने पर सामग्री की वास्तविक लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है। उन्होंने उत्तराखण्ड सहित समस्त पर्वतीय राज्यों के लिए श्रम व सामग्री का अनुपात 60ः40 के बजाय 50ः50 करने का सुझाव दिया।
बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी जी, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ भूपेश बघल, मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खट्टर, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वित्त सचिव उत्तराखंड दिलीप जावलकर सहित विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्री, सभी राज्यों के वित्त सचिव आदि उपस्थित रहे।

जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने का अनुरोध

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी कॉउंसिल की दो दिवसीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल शामिल हुए। बैठक के बीच डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने जीएसटी परिषद को जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी और जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस सन्दर्भ में डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन भी दिया।
बुधवार को बैठक के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात में वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य के गठन के समय वर्ष 2000-2001 में प्राप्त संग्रह 233 करोड़ था, नया राज्य गठन होने के बावजूद उत्तराखंड लगातार इस ओर वृद्धि प्राप्त कर रहा था। वर्ष 2016-17 में प्राप्त संग्रह राज्य गठन के समय से लगभग 31 गुना बढ़कर रू0 7,143 करोड़ हो गया था। इस अवधि राजस्व प्राप्ति के दृष्टिगत राज्य लगभग 19 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा था और वृद्धि दर के आधार पर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था। जबकि जीएसटी लागू होने के उपरान्त राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि दर्ज नहीं की जा सकी है।
वित्त मंत्री ने इसके प्रमुख कारण भी गिनाये। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन, न्यून उपभोग आधार, एसजीएसटी के रूप में भुगतान किए गए करों का आईजीएसटी के माध्यम से बहिर्गमन, वस्तुओं पर वैट की तुलना में कर की प्रभावी दर कम होना, राज्य में सेवा का अपर्याप्त आधार तथा जीएसटी के अन्तर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर दर में निरन्तर कमी होना हैं।
वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने कहा कि राज्य द्वारा प्राप्त वास्तविक राजस्व के कम रहने के कारण राज्य की जीएसटी प्रतिपूर्ति की आवश्यकता में निरंतर वृद्धि हुयी है। यह सम्भावित है कि क्षतिपूर्ति अवधि की समाप्ति के उपरान्त वर्ष 2022-23 में ही राज्य को लगभग सीधे तौर पर रू 5000 करोड़ की हानि होने की संभावना है। जो उत्तराखंड के भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से सही नही है।
वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य की चीन और नेपाल के साथ एक लम्बी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है, जिसके कारण राज्य का अत्यधिक सामरिक महत्व है। सीमांत पर्वतीय राज्य होने के कारण सुविधाओं के अभाव में पलायन राज्य की एक मुख्य समस्या रहा है। सीमांत क्षेत्रों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त संवेदनशील है इसीलिए राज्य में आधार संरचना का विकास किया जाना अत्यधिक आवश्यक है। इस प्रकार राज्य में आधार संरचना विकसित किये जाने तथा अन्य विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व संसाधनों की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति पर राज्य की अत्यधिक निर्भरता होने के कारण क्षतिपूर्ति व्यवस्था के अभाव में राज्य के विकास एवं जन कल्याणकारी कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे।
वित्त मंत्री डॉ. अगवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि जून, 2022 के पश्चात भी अग्रेत्तर वर्षों के लिये बढ़ाया जाना राज्य के हित में आवश्यक है। इस संदर्भ में डॉ अग्रवाल ने ज्ञापन भी दिया।
इस मौके पर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दिया। वहीं, डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को वर्षाकाल के बाद चारधाम यात्रा पर आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार भी किया।

केन्द्रीय बजट में मोदी ने रखा उत्तराखंड का ध्यान

केंद्रीय बजट में चुनावी माहौल में पहाड़ को लुभाने की कोशिश की गई है। पर्वत माला प्रोजेक्ट के तहत जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप वे की राह आसान हो गई है, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के सुरक्षित विकल्प तलाशने से राज्य में नई टनलों को भी मंजूरी मिलने की आस जग गई है।
विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते केंद्र सरकार उत्तराखंड के लिए कोई नई घोषणा का ऐलान नहीं कर सकती थी, लेकिन केंद्रीय बजट में पर्वतीय राज्यों को भी खुश करने की हर कोशिश की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के दौरे पर पिछले दिनों सोन प्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से घांघरिया (हेमकुंड साहिब) तक रोप वे बनाने का ऐलान किया था।
केंद्र ने पर्वतीय राज्यों में कनेक्विटी के लिए पर्वत माला प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इससे निश्चित तौर पर उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में नई रोपवे बनने के भी रास्ते खुलेंगे। इससे जहां उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री सीता रमण ने पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के सुरक्षित विकल्प तलाशने पर भी जोर दिया है। इससे पहाड़ों ने नई टनलों के मंजूरी की उम्मीदें बढ़ेंगी। विदित है कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए 17 टनलें पहले से बननी प्रस्तावित हैं। इनमें कुछ बनकर भी तैयार हो चुकी हैं।
बजट में 25 हजार किमी के नए हाईवे बनाने का भी ऐलान हुआ है। सामरिक महत्व के लिहाज से इनमें से कुछ-कुछ न उत्तराखंड के हाथ लगने की उम्मीदें हैं। राज्य के 12 से ज्यादा नए हाईवे के प्रस्ताव पहले से केंद्र को भेजे जा चुके हैं। इसके साथ की केंद्र ने तीन साल के भीतर 400 वंदे मातरम रेल सेवा भी शुरू करने जा रही हैं। इनमें से भी तीन-चार वंदे मातरम सेवा उत्तराखंड लिए भी शुरू की जा सकती हैं।
बजट में सीमांत क्षेत्रों के गांवों में पर्यटन सुविधा को बढ़ावा देने पर फोकस किया है। इससे उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिलों के सीमांत गांवों में विकास के नए रास्ते खुलने की उम्मीद बढ़ गई है। राज्य में एक हजार से ज्यादा गांव बाइव्रेट विलेज इस योजना के दायरे में आ सकते हैं। चीन सीमा से लगे होने की वजह से ये तीनों जिले सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इन गांवों में पलायन रोकने के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैय्या कराने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है।

ग्रीन बोनस सहित राज्यों की मांगों से वित्त मंत्री को कराया अवगत

उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से राज्य को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया है। जल विद्युत परियोजनाओं, सड़क और औद्योगिक विकास के लिए हजारों करोड़ों के प्रस्तावों को जल्द स्वीकृति देने की मांग की गई है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने राज्य के लिए ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज का अनुरोध किया।
सुबोध उनियाल ने कहा कि नीति आयोग की एसडीजी 2020 रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड की रैंक बेहतर होकर अब तीसरी हो गयी है। 2019 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य दसवें स्थान पर था। नीति आयोग की रिपोर्ट इण्डिया इनोवेशन इण्डेक्स-2020 के अनुसार दस पर्वतीय राज्यों में उत्तराखण्ड दूसरे स्थान पर है। ऐसे में राज्य की आर्थिक और विकास जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देना चाहिए।

रोप-वे परियोजनाओं के लिए 6349 करोड़ मांगे
सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य को रोप वे परियोजनाओं के विकास के लिए 6349 करोड़ उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में कृषि विकास के लिए 1034 करोड़, औद्यानिकी विकास के लिए 2000 करोड़ देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथौरागढ़ के सीमान्त क्षेत्रों में आवासीय या गैर आवासीय विद्यालय खोलने का भी अनुरोध किया।

जल विद्युत परियोजनाओं के लिए मांगे 2000 करोड़
उनियाल ने कहा कि राज्य में जल विद्युत उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। पर्यावरणीय कारणों के कारणों से गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में वर्ष 2013 से 4084 मेगावाट पर कार्य स्थगित है। उन्होंने कहा कि इसके बदले राज्य को कुल 2000 करोड़ या चार सालों तक प्रति वर्ष पांच सौ करोड़ रुपये का भुगतान वीजीएफ के रूप में करने का अनुरोध किया। उन्होंने लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर जल्द काम शुरू करने का भी अनुरोध किया।

टिहरी लेक सिटी के लिए मांगे 1000 करोड़
कैबिनेट मंत्री ने इस दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा कि राज्य सरकार टिहरी को लेक सिटी के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके लिए 1000 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है। केंद्र इसके तहत धनराशि उपलब्ध कराए। उन्होंने ऋषिकेश को आइकोनिक पर्यटन स्थल बनाने के लिए 500 करोड़, ऋषिकेश इण्टरनेशनल कन्वेंशन सेण्टर के लिए 592 करोड़ देने का अनुरोध किया।

सड़कों के लिए हर साल मिले 500 करोड़
उनियाल ने रोड कनेक्टिवीटी के लिए राज्य को अतिरिक्त धन दिए जाने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि केंद्र से मिल रही राशि से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। अत आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों के निर्माण के लिए 500 करोड़ प्रतिवर्ष की धनराशि का प्रावधान किया जाए। इसके साथ ही ट्रैफिक दबाव को देखते हुए सड़कों के निर्माण के लिए अधिक बजट दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने हिमालयन कान्क्लेव को बताया सफल

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मसूरी में आयोजित हिमालयन कान्क्लेव के संबंध में बताया कि यह आयोजन सफल रहा है। प्रथम बार हिमालयन राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। उन्होंने बताया कि असम राज्य को छोड़कर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिमालयन कान्क्लेव में शामिल हुए। जिसमें हिमांचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन कान्क्लेव में मुख्यतः आपदा, जल शक्ति, पर्यावरणीय सेवाओं आदि पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि सभी हिमालय राज्यों द्वारा एक कॉमन एजेंडा तैयार कर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिया गया। हिमालयी राज्यों द्वारा यह भी मांग की गई है कि पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए। हिमालयी राज्य देश के जल स्तम्भ है, जो माननीय प्रधानमंत्री के जल शक्ति संचय मिशन में प्रभावी योगदान देंगे। नदियों के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण के लिए केन्द्र पोशित योजनाओं में हिमालयी राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाना चाहिए। नये पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केन्द्र सरकार द्वारा सहयोग दिया जाना चाहिए। देश की सुरक्षा को देखते हुए पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हिमालयी राज्यों की इस चिंता पर केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा भी आश्वासन दिया गया है। हिमालयन कान्क्लेव में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि प्रतिवर्श आयोजित किया जाय। साथ ही हिमालय क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया जाय। इस सम्मेलन में नीति आयोग, पन्द्रवां वित्त आयोग व वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्लान किये जाने का आश्वासन दिया गया।
प्रेस वार्ता में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, अरूणाचल के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार के.के.शर्मा, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होः बलूनी

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने उत्तराखंड में हो रहे भारी पलायन की समस्या के निदान के उद्देश्य से उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों के लिए आगामी बजट में विशेष फंड के प्रावधान की माग की है। बलूनी ने इस सिलसिले में नई दिल्ली में मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की।
सासद बलूनी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से भेंट के दौरान कहा कि उत्तराखंड में पलायन के कारण सैकड़ों गाव निर्जन (घोस्ट विलेज) घोषित हो चुके हैं और यह क्रम अब भी तेजी से जारी है। इस भयावह समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है ताकि मूलभूत सुविधाओं और सामान्य से रोजगार के लिए होने वाले पलायन के उन्मूलन के लिए धरातल पर व्यवहारिक नीति बन सके और ठोस कार्य हो सके। उत्तराखंड के पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़ तथा नैनीताल जिलों का पर्वतीय क्षेत्र पलायन की समस्या से अत्यधिक ग्रस्त है।
सासद बलूनी ने कहा की आगामी बजट में अगर उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होती है तो यह राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस हिमालयी राज्य के लिए जीवनदान भी होगा। उन्होंने कहा कि वह इस क्रम में विभिन्न मंत्रालयों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से संवाद कर इस कड़ी को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर ढाचागत अवस्थापना विकास के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो वह पलायन रोकने में कारगर होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इस विषय में गंभीरता से विचार करेगी।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से हरिद्वार महाकुंभ के लिए मांगी वित्तीय मदद

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से नई दिल्ली में भेंट कर हरिद्वार में वर्ष 2021 में होने जा रहे महाकुम्भ मेला के लिए भारत सरकार से 5000 करोड़ रूपए की वन टाईम ग्रान्ट दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में हरिद्वार में महाकुम्भ मेले का आयोजन किया जाना है। इसमें देश विदेश से 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। महाकुम्भ मेले में अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं विशेषकर आवास, परिवहन, स्वास्थ्य, स्वच्छता व सुरक्षा आदि में विस्तार करना जरूरी है ताकि मेले का सफल आयोजन सुनिश्चित हो सके। संबंधित विभागों द्वारा अवस्थापना सेवाओं व सुविधाओं के विकास के लिए लगभग 5000 करोड़ रूपए के प्रस्ताव उपलब्ध कराए गए हैं। सभी स्थायी व अस्थायी कार्य अक्टूबर 2020 तक पूर्ण कराया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड राज्य के सीमित आर्थिक संसाधनों को देखते हुए महाकुम्भ मेला 2021 के लिए वनटाईम ग्रान्ट की यथाशीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हरिद्वार महाकुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिए केन्द्र सरकार उत्तराखण्ड सरकार की हर सम्भव मदद करेगी।

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