नेशनल गेम्स के समापन पर बोले गृहमंत्री, उत्तराखंड की देवभूमि के साथ खेलभूमि के तौर पर भी बनी पहचान

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में अन्तरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम गोलापार, हल्द्वानी में 38वें राष्ट्रीय खेल का समापन समारोह आयोजित किया गया। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी. ऊषा ने 38वें राष्ट्रीय खेल के समापन की घोषणा की। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले सर्विसेज, महाराष्ट्र और हरियाणा को सम्मानित किया।

उत्तराखंड के हर जिले में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखण्ड के चारों धामों के देवी देवताओं को प्रणाम करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के हर जिले में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो गया है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने देवभूमि को राष्ट्रीय खेलों के नक्शे पर 25वें स्थान से 7वें स्थान पर लाने का कार्य किया है। राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के विजेता खिलाड़ियों ने देवभूमि को खेल भूमि बनाया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने सभी उत्तराखंड के विजेता खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

उत्तराखंड की मेजबानी का देशभर में गुणगान।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड की आयोजन समिति एवं खेल संगठनों की पीठ थपथपाते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए पूरे देश में उत्तराखंड की तारीफ हो रही है। पूरा देश उत्तराखंड द्वारा की गई शानदार व्यवस्थाओं के गुणगान कर रहा है। भौगोलिक कठिनाइयों के बावजूद उत्तराखंड राज्य ने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में इस कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पन्न किया है। उन्होंने 38वें राष्ट्रीय खेल के सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हार और जीत का खेल से मतलब नहीं है। जीत का जज्बा और हार से निराश न होना, ये खेल का संदेश है। हारने वाले खिलाड़ियों के लिए अगली बार मेडल लाने का मौका है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में 38वें राष्ट्रीय खेलों में इको- फ्रेंडली प्रैक्टिसेज एवं इको फ्रेंडली गेम को धरातल में उतारा गया है। खिलाड़ियों के नाम पर पौधारोपण किया गया। राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ियों द्वारा कई नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए गए हैं, इन रिकॉर्डों से अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी भारत के लिए पदक की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय खेलो की यह मशाल उत्तराखंड से अब मेघालय जाएगी। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने यह निर्णय लिया है कि नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में कुछ खेलों के आयोजन से पूरे नॉर्थ ईस्ट को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा को आगामी राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी।

हार से लें जीत की प्रेरणा।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में खेलों के वातावरण में सकारात्मक बदलाव आया है। देश भर के कई जिलों में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर, कोचिंग की व्यवस्था, खिलाड़ियो को प्रोत्साहन और पारदर्शी चयन के माध्यम से आज विश्व के खेल पटल पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा भारत के खेलों का भविष्य उज्ज्वल है। खेलों में हर बार नए कीर्तिमान स्थापित हो इसकी व्यवस्था केंद्रीय खेल मंत्री ने की है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी ने फिट इंडिया और खेलो इंडिया के माध्यम से युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है। खेल हमें हारने के बाद जितने के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

प्रधानमंत्री को खेल मित्र मानता है हर खिलाड़ी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सफलता सिर्फ शारीरिक क्षमता से नहीं बल्कि दृढ़ निश्चय और मजबूत मन से प्राप्त होती है। अथक परिश्रम और निरंतर प्रयास खिलाड़ियों को आगे ले जाएगी। इन सभी के माध्यम से खिलाड़ी मेडल तक की यात्रा तय कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। आज हर खिलाड़ी प्रधानमंत्री मोदी को खेल मित्र के रूप में मानता है। उन्होंने कहा 2014 में खेल बजट 800 करोड़ था, जो 2025 – 26 में खेल बजट 3800 करोड़ तक पहुंचाया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों में भी हमारे खिलाड़ियों ने तिरंगे का मान बढ़ाया है। खिलाड़ियों के मेडल से पता लगता है कि देश में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और जीतने की भूख में बढ़ोतरी हुई है।

2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार है भारत।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया के माध्यम से उत्तराखंड जैसे छोटे पहाड़ी राज्य ने इतने बड़े खेल आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न किया है। यह बताता है कि भारत का हर राज्य खेलने और खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। इस राज्य से, अब फिर राष्ट्रीय खेल का आयोजन एक पहाड़ी राज्यों में जा रहा है। आज खिलाड़ी कई प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा भारत 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार है। 2036 में ओलंपिक के अंदर उत्तराखंड के खिलाड़ी भी मेडल लाकर भारत के तिरंगे का मान बढ़ाएंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज एवं पुलवामा में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पुलवामा के जवानों की शहादत ने देश को सुरक्षित किया है। जवानों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर करारा जवाब दिया था। इसी के कारण पूरी दुनिया का भारत के प्रति नजरिया बदला है। इससे दुश्मनों को साफ संदेश गया कि भारत की सेना और सीमा से कभी खिलवाड़ नहीं करना है।

नेशनल गेम्स से उत्तराखण्ड में नई उम्मीदों, और नई संभावनाओं की एक नई शुरुआत -सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के अवसर पर हमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। आज इन खेलों के समापन के अवसर पर हमें देश के गृहमंत्री अमित शाह जी का सानिध्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष में उत्तराखंड में पहली बार राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हुआ। खेलों के इस महा समागम में देशभर से पधारे 16 हजार से अधिक एथलीट्स ने 35 खेल विधाओं में प्रतिभाग कर कुल 448 स्वर्ण 448 रजत तथा 594 कांस्य पदक जीते। कई खिलाड़ियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अनेक रिकॉर्ड स्थापित किए गए और भविष्य में भारत का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखने वाले बहुत से चौंपियन भी उभर कर सामने आए हैं। इन खेलों में जहां हमने पहली बार योग और मलखंब जैसे अपने पारंपरिक खेलों को शामिल करने का कार्य किया वहीं रात्रि काल में रिवर राफ़्टिंग की प्रतियोगिता का आयोजन कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेलों को ग्रीन गेम्स की थीम पर आयोजित किया गया। इस आयोजन में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करने के साथ ही बिजली के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग भी किया। खिलाड़ियों को दिए गए मेडल को ई-वेस्ट और खेल किटों को रीसाइकिल्ड पदार्थों से तैयार किया गया। ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वाहनों का प्रयोग भी किया गया। 2.77 हेक्टेयर वन क्षेत्र को ’खेल वन’ के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें प्रत्येक पदक विजेता खिलाड़ी के नाम से रूद्राक्ष के पेड़ लगाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस राष्ट्रीय खेल में देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी और ऋषिकेश जैसे मैदानी शहरों के साथ ही अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और टिहरी जैसे सुदूर पहाड़ी स्थानों में भी खेल स्पर्धाएं आयोजित की गई। चकरपुर जैसे एक छोटे से कस्बे में भी राष्ट्रीय खेलों की प्रमुख स्पर्धा का आयोजन हुआ। राष्ट्रीय खेल में जितने भी वाटर स्पोर्ट्स के इवेंट्स हुए, सभी को उत्तराखंड की हाई एल्टिट्यूड पर स्थित झीलों एवं नदियों में आयोजित किया गया। इन खेलों के आयोजन के लिए अस्थाई निर्माण की बजाय प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थाई स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्रयास किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों को सफलतापूर्वक आयोजन के साथ उत्तराखंड ने इन खेलों में 24 स्वर्ण पदकों के साथ रिकॉर्ड 103 पदक अर्जित किए। इन परिणामों से हमारे युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि “अतिथि देवो भवः“ की प्राचीन परंपरा के अनुसार खेलों के आयोजन के दौरान प्रयास किया गया कि विभिन्न राज्यों से पधारे खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय खेल में आये खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ देवभूमि उत्तराखंड से अपने इस रिश्ते को बनाए रखेंगे और भविष्य में सपरिवार उत्तराखण्ड की नैसर्गिक सुंदरता को देखने अवश्य आएंगे। उन्होंने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों का समापन आप सभी खिलाड़ियों के लिए खेल अवसरों का अंत नहीं, बल्कि नई उम्मीदों, नए संकल्पों और नई संभावनाओं की एक नई शुरुआत है।

उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेल के आयोजन की जिम्मेदारी देने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा खेल मंत्री मनसुख मांडविया का आभार व्यक्त किया। इस आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान देने वाले भारतीय ओलंपिक संघ, उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन, खेल विभाग और सभी वॉलेंटियर्स का भी आभार व्यक्त किया। प्रस्तावित 39वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए मेघालय को भी उन्होंने अग्रिम शुभकामनाएं दी।

केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री मनसुख मांडविया ने 38 राष्ट्रीय खेलों के शानदार आयोजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजना के बाद देवभूमि उत्तराखण्ड खेलभूमि भी बन गई है। उन्होंने इस राष्ट्रीय खेल में पदक प्राप्त करने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश स्पोर्ट्स हब बने इसकी शुरूआत आज से हुई है।

भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी. ऊषा ने कहा कि बहुत कम समय मिलने के बावजूद भी उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेल की हर स्पर्धा का शानदार आयोजन हुआ। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड में खेल और खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि खिलाड़ियों ने संकल्प से शिखर तक को आत्मसात कर उत्तराखण्डियों को गर्व से अभिभूत किया। राज्य की रजत जयंती को स्वर्णिम बनाया है। हमारे खिलाड़ियों ने उत्तराखंड को खेल भूमि के रूप में आगे बढ़ाया है। उत्तराखंड की जनता ने राष्ट्रीय खेल के महा आयोजन को सफल बनाया है

इस अवसर पर मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, राज्यसभा सांसद महेन्द्र भट्ट, सांसद अजय भट्ट उपस्थित थे।

जानिए कौन से हैं उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्रों के लोकप्रिय व्यंजन

अब उत्तराखण्ड के कई रेस्तरां भी अपने मेनू में राज्य के स्थानीय व्यंजनों को प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं। दूसरे प्रकार के व्यंजनों से लेकर सैंडविच की दुकानों तक सभी प्रकार के विभिन्न रेस्तरांओं में भी पहाड़ी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं। ये स्थानीय व्यंजन इन्हें सही मायने में प्रतिस्पर्धा से अलग खड़ा करने और पर्यटकों को इम्युनिटी बूस्टर के विदेशी स्रोतों के विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं।

आइए कुछ विशेष लोकप्रिय व्यंजनों की खासियत समझते हैं-
काफुली -उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध शाकाहारी पकवानों में से एक काफुली काफी स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका आनंद ज्यादातर सर्दियों के मौसम में लिया जाता है। इसे पालक, लाई और मेथी के पत्तों से बनाया जाता है। लोहे की कड़ाही में पकाया जाने वाले इस स्थानीय व्यंजन को गर्म चावल के साथ खाने का आनंद ही अलग है। स्थानीय भाषा में इसे कापा भी कहा जाता है, यह एक पौष्टिक व्यंजन है जो आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।

पहाड़ी मसूर की दाल – मसूर की दाल उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल दोनों क्षेत्रों का प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन है। स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में, यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत और आंखों की दृष्टि शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। देसी घी, चपातियों और चावल के साथ इस पहाड़ी मसूर दाल का आनंद लिया जाता है।

भट्ट के डूबके -भट्ट के डूबके कुमाऊँ क्षेत्र का एक पारंपरिक पकवान है। उच्च प्रोटीन और फाइबर के साथ समृद्ध, यह भट्ट या काले सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को देखते हुए मुंह में पानी आने लगता है, भट्ट के डूबके पाचन में मदद करने के साथ ही रक्तचाप को कम करता है और विटामिन ई और अमीनो एसिड का एक बड़ा स्रोत भी है

झंगोरे की खीर -उत्तराखंड में पैदा होने वाला झंगोरा एक प्रकार का अनाज है जिससे गढ़वाल क्षेत्र में झंगोरे की खीर बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट स्वीट डिश के रूप में उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। झंगोरे की खीर में दूध को मिलाया जाता है जिससे एक अनूठा स्वाद आता है।

भांग की चटनी -उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में भांग की चटनी है। यह भुने हुए भांग के बीज और भुने जीरे के साथ नींबू का रस, मिर्च और हरी धनिया पत्ती से तैयार किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य व्यंजनों के साथ प्रोटीन से समृद्ध भांग की चटनी को खाने के लिए परोशा जाता है। भांग का प्रयोग सर्दियों में पहाड़घ्ी सब्जियों में भी किया जाता है।

कंडाली का साग -कंडाली का साग उत्तराखंड में तैयार किए जाने वाले लोकप्रिय गढ़वाली व्यंजनों में से एक है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्थानीय पौधों में से एक कंडाली का उपयोग इस व्यंजन को तैयार करने में किया जाता है। कंडाली का साग आयरन, फॉर्मिक एसिड, विटामिन ए और फाइबर से समृद्ध होता है। पर्यटक राज्य में आकर चपाती या चावल के साथ इस व्यंजन का आनंद ले सकत हैं।

उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किये जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों का लाभ पर्यटकों को आकर्षित करने में मिलेगा। कोविड महामारी के दौरान लोगों के खानपान के व्यवहार में जो बदलाव आया है, उसका लाभ उत्तराखंड को उसके व्यंजनों की विविधता के चलते मिलना सुनिश्चित है। प्रदेश सरकार का मिशन और विजन उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में स्थान दिलाना है।

मुख्यमंत्री ने कंटेनमेंट जोन पर सख्ती से नजर रखने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज देर सांय सीएम आवास में आयोजित बैठक में देहरादून में कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि देहरादून के लिए फुल प्रूफ प्लान तैयार किया जाए। शनिवार व रविवार दो दिन देहरादून के बंद रहने के दौरान व्यापक सेनेटाईजेशन करवाना सुनिश्चित किया जाए। फिजिकल डिस्टेंस को बनाए रखने के लिए ज्यादा भीड़ भाड़ वाली जगहों पर अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं। कंटेनमेंट जोन पर सख्ती से नजर रखी जाए। यथासंभव टेस्टिंग बढाई जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेशेंट केयर मेनेजमेन्ट पर सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। कोरोना संक्रमण के प्रति संवेदनशील वृद्ध जनों, गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों पर विशेष ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमितों की कान्टेक्ट ट्रेसिंग में लीकेज न हो। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से सुरक्षा सुनिश्चित हो। जहां भी फिजीकल डिस्टेंसिंग, मास्क की अनिवार्यता व अन्य मानकों का उल्लंघन हो वहां सख्त कार्रवाई की जाए। आमजन की जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
बैठक में विधायक खजानदास, मेयर सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, आयुक्त गढवाल रविनाथ रमन, शैलेश बगोली, नगर आयुक्त विनय शंकर पाण्डे, डीएम आशीष श्रीवास्तव व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

आखिर 12 लाख परिवारों को जल्द मिलेंगा पानी का कनेक्शन

राज्य सरकार ने आम आदमी को राहते देते हुए फैसला लिया है कि उत्तराखंड में पानी के कनेक्शन से वंचित 12 लाख परिवारों को जल्द ही अपना कनेशक्न मिलेगा। जल जीवन मिशन के तहत इन परिवारों को पानी का कनेक्शन देने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस बाबत राज्य जल स्वच्छता मिशन ने राज्य से जिले स्तर तक एक्शन प्लान बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में 12 लाख परिवार ऐसे हैं जो आज भी सार्वजनिक नल, स्टैंड पोस्ट, गूल, नहर, गदेरों से पानी लेकर प्यास बुझा रहे हैं। खासकर पर्वतीय जिलों के दूरस्थ इलाकों में ऐसे परिवारों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। सूबे में अब तक आई सरकारें इन घरों में पानी का कनेक्शन देने में नाकाम रही हैं। पानी की इसी समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना शुरू की है। इस योजना में 2024 तक हर घर में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए पानी का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में भी 12 लाख परिवारों को कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए सर्वे का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इस बाबत प्राथमिक तौर पर 6,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया गया है, हालांकि इसमें लागत घटाई बढ़ाई जा सकती है। इस रकम से इंफ्रास्ट्रक्चर (पेयजल लाइन, ओवरहेड टैंक, नलकूप आदि) विकसित किया जाएगा। वहीं पेयजल निगम और जल संस्थान को जिला एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। फिर राज्य का एक्शन प्लान तैयार होगा। राज्य जल स्वच्छता मिशन के मुख्य अभियंता योगेंद्र सिंह ने बताया कि हर घर नल योजना को सफल बनाने के लिए जल संस्थान और जल निगम की मदद से एक्शन प्लान तैयार हो रहा है।

खुशखबरीः रिक्त पदों पर 10 जुलाई तक विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा निदेशालय समेत प्रदेश के पांच सरकारी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों व अन्य कार्मिकों के एक हजार पदों की भर्ती की जाएगी। सरकार ने सभी कुलपतियों को 10 जुलाई तक रिक्त पदों की विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं।
इन नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। दून विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विवि, आवासीय विवि में बंपर नौकरियां खुलने वाली है। इन विश्वविद्यालयों में शत प्रतिशत फैकल्टी और स्टाफ नियुक्ति करने के लिए सरकार ने सभी कुलपतियों को रिक्त पदों की विज्ञप्ति 10 जुलाई तक जारी करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं उच्च शिक्षा निदेशालय में भी लेखाकार, क्लर्क समेत अन्य कार्मिकों के 186 पदों की भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाएगी। नेट क्वालीफाई और पीएचडी धारकों को असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों पर प्राथमिकता मिलेगी।
वहीं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा निदेशालय में सैकड़ों पर पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए कुलपतियों को 10 जुलाई तक विज्ञप्ति निकालने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार इस साल को रोजगार वर्ष के रूप में मना रही है। विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों से उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को नौकरी का अवसर मिलेगा। साथ ही विश्वविद्यालयों में शत प्रतिशत फैकल्टी होगी।

कृषि उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास करना जरुरीः त्रिवेन्द्र रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सर्वे चैक स्थित आईआरटीडी आडिटोरियम में राज्य स्तरीय शून्य लागत (जीरो बजट) प्राकृतिक कृषि से संबधित एक दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में आजीविका का सबसे मुख्य साधन कृषि है। हमारी लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए कृषि कार्यों में उत्पादन लागत कम करने व प्रोडक्शन में वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी लागत कम करने के लिए प्राकृतिक कृषि से संबंधित पालेकर कृषि माॅडल उपयोगी साबित हो सकता है। विशेषकर उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि काफी कारगर साबित हो सकती है। प्राकृतिक खेती में जैव अवशेषों, कम्पोस्ट व प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है, जो पर्वतीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होते हैं। प्राकृतिक खेती से कृषकों पर व्यय भार भी नहीं पड़ेगा व उत्तम गुणवत्ता के उत्पादों में भी इजाफा होगा। प्राकृतिक खेती कृषि, बागवानी व सब्जी उत्पादन के लिए उपयोगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कम से कम हो इसके लिए राज्य में प्रभावी प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कौशल विकास व कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पालेकर कृषि माॅडल हिमांचल प्रदेश में भी सफल हुआ है। उत्तराखण्ड में इस माॅडल पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जायेगी।
पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि परम्परागत खेती व रासायनिक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्राकृतिक खेती में लागत ना के बराबर है जबकि यह मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने व शुद्ध पौष्टिक आहार का एक उत्तम जरिया है। उन्होंने कहा कि उद्योग व रासायनिक कृषि वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को एक मिशन के रूप में लिया जा रहा है। इसके लिए किसी भी प्रकार के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है। यह कृषि राज्य में उपलब्ध संसाधनों से आगे बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हिमांचल में प्राकृतिक कृषि पर कार्य किया जा रहा है। जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उत्तराखण्ड व हिमांचल की भौगोलिक व आर्थिक स्थिति में काफी समानता है। देश की कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
इस अवसर पर विधायक खजानदास, रेशम बोर्ड के अध्यक्ष अजीत चैधरी, बीज बचाओ आन्दोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, सचिव कृषि डी सेंथिल पांडियन, डाॅ. देवेन्द्र भसीन, वृजेन्द्र पाल सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर समय से हो अमलः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव सभागार में मुख्यमंत्री घोषणाओं की प्रगति विषयक बैठक मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागो से सम्बन्धित घोषणाओं की क्रमवार समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी द्वारा की जाने वाली घोषणाओं से सम्बन्धित समीक्षा बैठक से पूर्व ज्यादा से ज्यादा घोषणाओं की स्थिति को पूर्ण एवं स्पष्ट कर लिया जाए।
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि घोषणाओं को पूर्ण करने में लापरवाही न की जाए। घोषणाओं के पूर्ण होने में आ रही समस्याओं का प्रस्ताव बनाया जाए चाहे वह वित्त से सम्बन्धित हो या जमीन से। मुख्य सचिव ने सभी विभागो के घोषणाओं के पूर्ण होने की प्रगति पर सन्तोष जाहिर करते हुए निर्देश दिये कि मुख्यमंत्री घोषणाओं के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं में और तेजी लाई जाए। उन्होंने कतिपय घोषणाओ में बजट की मांग पर शीघ्र बजट का प्राविधान कराने के लिये प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होंने शहरी विकास, ग्राम्य विकास एवं अन्य महत्वपूर्ण विभागों की विस्तार से समीक्षा करने के निर्देश देते हुए संबंधित सचिवों को एक सप्ताह में सम्पूर्ण विवरण सहित समीक्षा हेतु उपस्थित होने के निर्देश दिये।
उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों के लिये कैरियर ट्रेनिंग कराने की घोषणाओं के अन्तर्गत छूट गए महाविद्यालयों के परिसर में कैरियर ट्रेनिंग शीघ्र ही आरम्भ की जाए। उन्होंने कहा कि जिन महाविद्यालयों की घोषणाओं में जमीन की उपलब्धता में समस्या आ रही है ऐसे प्रकरणों को अपने स्तर सहित जिलाधिकारियों के स्तर से भी कार्यवाही करें। राजकीय महाविद्यालय मालदेवता में 4 कक्षा कक्ष निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। नारायणबगड़ में महाविद्यालय की स्थापना हेतु जमीन स्थानान्तरण रजिस्ट्री की प्रक्रिया गतिमान है।
शहरी विकास की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिये कि घोषणाओं को पूर्ण करने में और तेजी लायी जाए। शौचालय निर्माण एवं स्ट्रीट लाइट जैसे महत्वपूर्ण कार्य में देरी न की जाए। स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य में तेजी लायी जाए। लच्छीवाला में पार्किंग निर्माण की समस्या का निराकरण जल्द ही किया जाए। धनोल्टी ईको पार्क के विस्तार, मूनि की रेती में ईको पार्क की स्थापना, धनोल्टी में ट्रैक रूट, हर की दून- तालुका ट्रैक मार्ग के निर्माण की कार्य प्रक्रिया में तेजी लायी जाए। युवा कल्याण विभाग के अन्तर्गत मिनी स्टेडियमों के लिए जहां भूमि संबंधी दिक्कत आ रही हैं, वहां जिलाधिकारी स्तर से प्रयास किए जाएं।
बैठक में प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव अमित नेगी, डा. भूपिन्दर कौर औलख, दिलीप जावलकर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

पालेकर के सुझावों से उत्तराखंड में कृषि उत्पादन को मिलेगा बढ़ावाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये पद्मश्री सुभाष पालेकर के सुझावों पर अमल किया जायेगा। इसके लिये शीघ्र ही प्रदेश में जनजागरूकता के लिये कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा, इसके साथ ही उन्होंने इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति से शीघ्र प्रभावी कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में शिमला व महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली कार्यशाला में सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों एवं कृषि विशेषज्ञों के प्रतिभाग के भी निर्देश दिये हैं ताकि इसकी व्यापक जानकारी होने के साथ ही अधिक से अधिक किसान इससे जुड सकेंगे।
मुख्यमंत्री आवास में पद्मश्री सुभाष पालेकर, लोक भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजेन्द्र व गोपाल उपाध्याय के साथ ही शासन के उच्चाधिकारियों व सम्बंधित विभागों के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने पालेकर के सुझावों को राज्य हित में बताते हुए उनके सुझावों पर अमल करने के निर्देश अधिकारियों को दिये।
पालेकर ने कहा कि उत्तराखण्ड की जैव विविधता ज्यादा है। यहां के वनों को कृषि के साथ जोड़कर प्राकृतिक खेती के माध्यम से हम उत्तराखण्ड को वास्तव में देवभूमि बनाने में मददगार हो सकेंगे। उन्होंने प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसकी विशेषताओं व विशिष्टताओं की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि से हम बीमारियों से दूर रह सकते हैं। इसकी बेहतर मार्केटिंग से आय के साधनों में वृद्धि होगी। पर्यावरण को बचाने, आर्थिक व सामाजिक बदलाव के साथ ही पारम्परिक खेती को बचाये रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस पर सभी विभागों को समन्वय के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने इसके लिये हर सम्भव सहायता का आश्वासन भी मुख्यमंत्री को दिया है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव भूपिन्दर कौर औलख, अमित नेगी, डी0 सैंथिल पांडियन, जिलाधिकारी देहरादून एस ए. मुरूगेशन सहित जीबीपंत कृषि विश्व विद्यालय व अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी व कृषकगण उपस्थित थे।

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होः बलूनी

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने उत्तराखंड में हो रहे भारी पलायन की समस्या के निदान के उद्देश्य से उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों के लिए आगामी बजट में विशेष फंड के प्रावधान की माग की है। बलूनी ने इस सिलसिले में नई दिल्ली में मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की।
सासद बलूनी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से भेंट के दौरान कहा कि उत्तराखंड में पलायन के कारण सैकड़ों गाव निर्जन (घोस्ट विलेज) घोषित हो चुके हैं और यह क्रम अब भी तेजी से जारी है। इस भयावह समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है ताकि मूलभूत सुविधाओं और सामान्य से रोजगार के लिए होने वाले पलायन के उन्मूलन के लिए धरातल पर व्यवहारिक नीति बन सके और ठोस कार्य हो सके। उत्तराखंड के पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़ तथा नैनीताल जिलों का पर्वतीय क्षेत्र पलायन की समस्या से अत्यधिक ग्रस्त है।
सासद बलूनी ने कहा की आगामी बजट में अगर उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होती है तो यह राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस हिमालयी राज्य के लिए जीवनदान भी होगा। उन्होंने कहा कि वह इस क्रम में विभिन्न मंत्रालयों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से संवाद कर इस कड़ी को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर ढाचागत अवस्थापना विकास के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो वह पलायन रोकने में कारगर होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इस विषय में गंभीरता से विचार करेगी।

मौसम विभाग का अलर्ट, तेज आंधी के आसार

अगले 12 घंटों के दौरान प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है। पहाड़ी इलाकों में ओले गिरने और तेज बौछारें पड़ने के आसार हैं। मैदानी इलाकों में 70 किमी की गति से आंधी चल सकती है। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से 12 घंटे तक प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बादल छाये रहने का अनुमान है। अधिकांश इलाकों में गरज-चमक के साथ बारिश की भी संभावना है। पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश की संभावना ज्यादा है। राज्य के लगभग सभी पहाड़ी इलाकों में बारिश होगी।
कुछ इलाकों में ओले भी गिर सकते हैं। दूसरी ओर मैदानी इलाकों में 50 से 60 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से आंधी चलेगी। आंधी की अधिकतम रफ्तार 70 किमी प्रति घंटे तक भी पहुंच सकती है।

बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब की चोटियों पर हुई बर्फबारी
राजधानी दून में बादल छाये रहने का अनुमान है। दिनभर में कुछ दौर की बारिश और तेज रफ्तार आंधी चल सकती है। मौसम केंद्र के अनुसार अगले कुछ दिनों में अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री की कमी हो सकती है। इससे अधिकतम तापमान सामान्य से कम हो जाएगा।
बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की ऊंची चोटियों पर मंगलवार को तड़के बर्फबारी हुई। जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश होने से मौसम में ठंडक आ गई है। सोमवार को देर रात बारिश शुरु हो गई थी, जो मंगलवार को सुबह पांच बजे थमी। बदरीनाथ धाम में भी बारिश होने से ठंड बढ़ गई है। मौसम में आए परिवर्तन से स्थानीय लोगों के साथ ही तीर्थयात्रियों को गरमी से राहत मिल गई है।
बारिश के कारण बदरीनाथ हाईवे पर ऑल वेदर रोड परियोजना निर्माण से उड़ रही धूल भी फिलहाल थम गई है। मंगलवार को दिनभर आसमान में बादल छाए रहे। हालांकि शाम पांच बजे धूप खिलने के साथ ही मौसम सामान्य हो गया।