मुख्यमंत्री धामी ने किया 5 मोबाइल मेडिकल यूनिट का शुभारम्भ

प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए, पांच पूर्ण रूप से सुसज्जित मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

इस योजना का शुभारम्भ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मुख्यमंत्री आवास परिसर मेें किया गया। उन्होंने इस पहल को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दूर करने हेेतु प्रभावी प्रयास बताया। सरकार के ‘स्वस्थ उत्तराखंड, समृद्ध उत्तराखंड’ मिशन के अनुरूप सप्ताह में छह दिन संचालित होने वाले ये एमएमयू आवश्यक निदान और उपचार सुविधाओं से सुसज्जित हैं। राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में ये 5 एमएमयू निश्चित रूप से मददगार होंगे।

इन एमएमयू का संचालन सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) द्वारा किया जाएगा और आरईसी (ग्रामीण विद्युतीकरण निगम) द्वारा अपने कॉर्पाेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के हिस्से के रूप में वित्त पोषित किया जाएगा। प्रारम्भ में ये इकाइयां हरिद्वार में 2, उधम सिंह नगर में 2 और टिहरी गढ़वाल में 1 इकाई तीन साल की अवधि के लिए संचालित होंगी।

इन पांच एमएमयू में से एक समर्पित महिला मोबाइल मेडिकल यूनिट भी है, जिसमें पूर्णतः महिला स्वास्थ्य देखभाल करने वाले कार्मिक सक्रिय हैं। वंचित क्षेत्रों में महिलाओं की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसे विशेष रूप से तैयार किया गया है।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा, डी. एस. एन. मूर्ति, एम. डी. धनुष हेल्थ केयर, सुभाष चन्द्र उप महाप्रबंधक पी. एन. बी., एम. डी. पेनेसिया हॉस्पिटल देहरादून अश्विनी, सीएससी स्टेट हेड दीपक आदि उपस्थित थे।

नर्सिंग कोर्स में जर्मन और जापानी भाषाओं को भी सिखाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने सभी जिला अस्पतालों एवं उप जिला अस्पतालों को चिकित्सकों, विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं उपकरणों से परिपूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिला अस्पतालों में मैनपावर, उपकरण एवं आधारभूत चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की मान्यता प्राप्त करने की दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि नैक की मान्यता के लिए पात्रता मानदंडों को पूर्ण किए जाने के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए इस दिशा में कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि जर्मनी और जापान में नर्सिंग के क्षेत्र में जॉब की अत्यधिक सम्भावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कराए जाने वाले नर्सिंग कोर्स में जर्मन और जापानी भाषाओं को भी सिखाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय एवं अन्य भाषायी संस्थानों को जोड़ा जा सकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय चिकित्सा पद्धति अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक चिकित्सा के साथ ही भारतीय चिकित्सा पद्धति को भी शामिल किया जाए। इसके लिए एलोपैथी और आयुष को मिलकर कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने चारधाम मार्गों पर स्थित अस्पतालों के मजबूतीकरण पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पताल को आधारभूत चिकित्सा सुविधाओं और उपकरणों से पूर्णतः परिपूर्ण किया जाए। इन्हीं अस्पतालों को सक्षम बना कर चारधाम यात्रा के दौरान अन्य अस्पतालों से चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन कारगर सिद्ध हो रही है। इसे आगे भी जारी रखा जाए। उन्होंने इसके लिए डेडिकेटेड टीम लगाए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए दूरस्थ क्षेत्रों में स्थिति स्वास्थ्य केन्द्रों में कनेक्टिविटी बढ़ायी जाए।

समीक्षा बैठक के दौरान सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों डाईवाला एवं भटवाड़ी को उप जिला अस्पतालों में अपग्रेड किया जा रहा है। रूद्रपुर और पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज का कार्य प्रगति पर है। विशेषज्ञ चिकित्सकों, नर्स और लैब तकनीशियनों की भर्ती के साथ ही स्वास्थ्य उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य से अधिक सफलता प्राप्त किया गया है।

इस अवसर पर मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया, अपर सचिव रीना जोशी एवं महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

टीबी उन्मूलन में उत्तराखंड को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिया राष्ट्रीय पुरस्कार

राज्य सरकार के सतत प्रयासों से उत्तराखंड ने टीबी उन्मूलन में बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारत सरकार ने “टीबी मुक्त पंचायत पहल“ में समुदाय-आधारित प्रयासों के माध्यम से उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य को पुरस्कृत किया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री, जगत प्रकाश नड्डा द्वारा प्रदान किया गया। जिसे एनएचएम की मिशन निदेशक, स्वाति एस. भदौरिया ग्रहण किया। इस उपलब्धि पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने खुशी जाहिर करते हुये अधिकारियों की जमकर सराहना की, साथ ही उन्होंने जनसहयोग के लिये प्रदेश की आम जनता का आभार जताया।

नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय कार्यक्रम में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने उत्तराखंड में टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि उत्तराखंड ने टीबी उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन भविष्य में टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगी।

मिशन निदेशक एनएचएम, स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का सफल संचालन किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है।

मिशन निदेशक ने इस सम्मान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपलब्धि राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, आशा कार्यकर्ताओं, पंचायती राज संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि “टीबी मुक्त पंचायत पहल“ के अंतर्गत जमीनी स्तर पर व्यापक जागरूकता, त्वरित पहचान, बेहतर उपचार और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। राज्य में टी.बी. उन्मूलन हेतु प्रभावी ट्रैकिंग सिस्टम और मल्टी-सेक्टोरल एप्रोच को अपनाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में टीबी उन्मूलन को एक जन आंदोलन के रूप में अपनाया गया है, जहां ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाया गया है ताकि वे अपने स्तर पर टीबी के मामलों की निगरानी और नियंत्रण कर सकें। “निक्षय मित्र योजना“ के माध्यम से निजी संगठनों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया, जिससे मरीजों को पोषण और सामाजिक समर्थन मिला।
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यह पुरस्कार टीबी उन्मूलन की दिशा में किए गए अथक प्रयासों का प्रतिफल है। टीबी मुक्त उत्तराखंड के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। जब हम मिलकर इस चुनौती का सामना करेंगे, तभी स्वस्थ उत्तराखंड का सपना साकार हो सकेगा।
– ’डॉ. धन सिंह रावत,
स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड सरकार

पीएम के आह्वान को धरातल पर उतारने के लिए धामी सरकार ने कसी कमर

उत्तराखंड की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया के जिस अभियान का जिक्र किया था, उसे धरातल पर उतारने की तैयारी तेज हो गई है। इस क्रम में राज्य सरकार ने सबसे पहले, शैक्षणिक संस्थानों पर फोकस किया है। ईट राइट इंडिया अभियान की पृष्ठभूमि में छात्र-छात्राओं में स्वास्थ्य जागरूकता के लिए नए सिरे से कवायद की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में विद्यालयी शिक्षा समेत पांच विभागों को पत्र भेजा है। पत्र में जोर दिया गया है कि छात्र-छात्राओं में संतुलित आहार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

सभी शैक्षणिक संस्थानों में डिस्पले होगी ईट राइट थाली
स्वास्थ्य सचिव डा आर राजेश कुमार की ओर से विद्यालयी शिक्षा के अलावा समाज कल्याण, कौशल विकास एवं सेवायोजन, संस्कृत शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिवों को पत्र प्रेषित किया गया है। इसमें अपेक्षा की गई है कि शैक्षणिक संस्थानों में टीन प्लेट/डिस्पले बोर्ड के माध्यम से ईट राईट थाली का प्रचार-प्रसार किया जाए। ईट राइट इंडिया अभियान के राज्य नोडल अधिकारी गणेश चंद्र कंडवाल के अनुसार-खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की ओर से स्कूली बच्चों के लिए वर्ष 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक तय किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि ईट राइट थाली में क्या-क्या संतुलित आहार बच्चों के लिए होने चाहिए।

छह ईट राइट किचन का प्रस्ताव केंद्र को भेजेंगे

फिट इंडिया अभियान के अंतर्गत विद्यालयी शिक्षा विभाग छह ईट राइट किचन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इस प्रस्ताव को जल्द ही केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के अपर निदेशक कुलदीप गैरोला के अनुसार-छह विद्यालयों में ईट राइट की व्यवस्था के लिए ये किचन बनाए जाएंगे, जिन्हें हम मार्डन किचन भी कह सकेंगे। इसके अलावा, टीन प्लेट, डिस्पले बोर्ड के माध्यम से फिट इंडिया और ईट राइट का संदेश प्रसारित किया जाएगा। जागरूकता के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाने भी प्रस्तावित किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी ने सभी नागरिकों से स्वस्थ रहने का जो आह्वान किया है, उसे धरातल पर उतारने के लिए उत्तराखंड कृतसंकल्प है। सरकार ने इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। स्वस्थ भारत, स्वस्थ उत्तराखंड बनाने के लिए यह जरूरी है कि सभी लोग संतुलित आहार पर ध्यान देना शुरू करें। मैं सभी से अपील करता हूं कि वह इस अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

उत्तराखण्ड में कोरोना का एक भी केस नहीं, हर परिस्थिति से निपटने को तैयार स्वास्थ्य विभागः राजेश कुमार

देहरादून। देश में कोविड के नए मामले सामने आने के बाद उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। कोविड गाइडलाइंस जारी करने के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने डेली मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। कोविड के नये वेरियंट के दृष्टिगत आज राज्य सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी व स्वास्थ्य अधिकारी वर्चुअल माध्यम से मौजूद रहे। स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने कहा उत्तराखंड में अभी कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर विस्तृत गाइडलाइन के साथ ही अस्पतालों में सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंद रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। हर परिस्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने आम मानस से अपील करते हुए कहा कि सभी कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें। राज्य के सभी अस्पतालों में सैंपलिंग हो रही है। संदिग्ध मरीजों की निगरानी की जा रही है।

कोविड को लेकर सचिवालय में हुई अहम बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशत करते हुए कहा कि कोविड की जांच आरटीपीसीआर के माध्यम से की जाए।उन्होने कहा सभी कोविड पॉजिटिव सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए। कोविड मरीजों की लगातार निगरानी जनजागरुकता अभियान संचालित करें साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए की किसी भी स्वास्थ्य इकाइयों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी ना हो।

सचिव द्वारा कोविड की दैनिक मॉनिटरिंग पर भी जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड के मामले शून्य व नए वेरियंट जेएन.1 को लेकर भी भारत सरकार से मिले दिशा.निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है। सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी जिलाधिकारी आम जनमानस में कोविड संबंधित भ्रातियों को बढ़ने ना दें व स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आधिकारिक सूचनाओं का ही अनुपालन करें।

बैठक में महानिदेश स्वास्थ्य डॉ विनीता शाहए अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर संयुक्त निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ महेंद्र कुमार पंतए कार्यक्रम अधिकारी डॉ पकंज कुमार सहित समस्त मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य राज्य एवं जिला आईडीएसपी टीम द्वारा प्रतिभा किया गया।

स्वास्थ्य सचिव ने किया दून अस्पताल का औचक निरीक्षण, डेंगू की रोकथाम को गाइडलाइन जारी


राज्य में तेजी से बढ़ते हुए डेंगू के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने सबसे पहले ब्लड बैंक में व्यवस्थाएं देखी यहां पर उन्होंने सख्ती से कहा कि 24 घंटे आरडीपी और एसडीपी की प्रक्रिया होनी चाहिए। प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष स्याना ने उन्हें जानकारी दी कि अगले 10 दिन में एसडीपी यानी जंबो पैक बनाने वाली दूसरी एप्रेसेस मशीन यहां इंस्टॉल हो जाएगी। जिसकी वजह से मरीजों को इंतजार कम करना पड़ेगा।

इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू वार्ड और पीडिया वार्ड का निरीक्षण किया। डेंगू वार्ड में 67 बेड लगाए गए हैं वहीं पीडिया में 30 बेड डेंगू के लिए आरक्षित है। स्वास्थ्य सचिव ने अधकारियों को हिदायत दी की मेडिसिन और पीडिया के डेंगू मरीजों के संबंध में समन्वय बना रहे। इस दौरान उन्होंने डेंगू से पीड़ित मरीजों व उनके परिजनों से अस्पताल में मिल रहे इलाज से संबंधित जानकारी ली।

मीडिया से बात करते हुए डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि डेगूं के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरीक्षण किया गया है। मरीजों के लिए 100 वैड रिर्जव रखे गये हैं। डेंगू के गंभीर मरीजों के मुकाबले सामान्य मरीजों की संख्या ज्यादा है। जरूरत पढ़ने पर अस्पताल में बैडों की संख्या बढ़ाई जायेगी। उन्होंने आम जनमानस से डेंगू को लेकर सर्तक और जागरूक रहने की अपील की। आने वाले समय में जरूरत के अनुसार संख्या बढ़ाई जायेगी। हमारा प्रयास है कि मरीज को समय पर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो जाये। स्वास्थ्य सचिव ने कहा डेंगू मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी फीस या प्लेटलेट्स व जैंबो पैक की अधिक वसूलने वाले अस्पतालों, ब्लड बैंको और पैथोलॉजी लैबों की शिकायत सामने आने पर कार्रवाई की जायेगी। कालाबाजारी वालों को छोड़ा नहीं जायेगा। सीएमओ के स्तर से रेट का निर्धारण किया गया है।

पत्रकारों के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य सचिव ने कहा मिलावट खोरी को लेकर राज्यभर में अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइन वैन के आ जाने से इस प्रक्रिया को गति मिली है। अभी विभाग के पास दो मोबाइल बैन है। जिनसे हम मौके पर जाकर खाध पदार्थों की शिकायत आने पर जांच करते हैं। जल्द ही 10 और मोबाइल वैन आ जायेंगी। जिसके बाद मिलावट खोरी रोकने में तेजी आयेगी। इसके साथ ही रूद्रपुर के बाद जल्द देहरादून जनपद में भी खाध सैंपल की जांच के लिए लैबोटरी की स्थापना की जायेगी। इस मौके पर स्वास्थ्य महानिदेशक, सीएमओ देहरादून, प्रचार्या दून मेडिकल कॉलेज व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

डेंगू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु दिशा निर्देश जारी

जैसा कि आप विदित है कि विगत वर्षों से डेंगू रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। इसी क्रम में अवगत कराना है कि माह जुलाई से नवम्बर तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। आगामी माहों में डेंगू रोग के प्रसारित होने की सम्भावना को देखते हुए डेंगू रोग रोकथाम किये जाने हेतु निम्न कार्यवाहियां करना सुनिश्चित करें.

1. राज्य में डेंगू रोग को Notifiable Disease घोषित करने की अधिसूचना “उत्तराखण्ड महामारी (मलेरिया एवं डेगू) विनियम 2019” दिनांक 27 सितम्बर 2021 को जारी की जा चुकी है जिसमें निहित समस्त तकनीकी एवं प्रशासनिक कार्यवाहियों का जनपद स्तर पर क्रियान्वयन करना सुनिश्चित करें।

2. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सके और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए।

3. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरन्तर स्वच्छता अभियान चलाए जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से

रोका जा सके। पर्वतीय जनपदों के मैदानी एवं घाटी क्षेत्रों में भी विशेष निगरानी रखी जाये डेंगू रोग के मच्छरों के पनपने के स्थानों की साफ सफाई, नाले-नालियों की सफाई, ठोस कचरे का उचित निस्तारण, टीमों का गठन कर क्षेत्रों में डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां बचाव उपायों पर जनजागरूकता, रोस्टर अनुसार फॉगिंग व कीटनाशक का छिडकाव आदि गतिविधियां की जाये। जन सहभागिता बढ़ाये जाने के लिए जनप्रतिनिधियों, वार्ड पार्षदों, ग्राम प्रधानों का सहयोग भी प्राप्त किया जाये।

4. मलिन बस्तियों में डेंगू लार्वा पनपने की अत्यधिक संभावना के दृष्टिगत विशेष सफाई अभियान चलाए जायें। लोगों को पानी को ढक कर रखने के लिए व ऐसे स्थान जहां पानी जमा होने की सम्भावना है को लगातार साफ करने के लिए जागरूक किया जाये।

5. डेंगू रोग के दृष्टिगत भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र जैसे सब्जी मंडी, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, पार्क आदि पर विशेष
निगरानी रखी जाये एवं साफ सफाई व डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां निरन्तर की जाये।

6. डेंगू रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहिया (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है. जिसके लिए नगर निगम / नगर पालिका, आशा कार्यकत्री व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।

7. डेंगू रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम / नगर निकाय द्वारा माइक्रो प्लान बनाकर
रोस्टर अनुसार फॉगिंग की जाए ताकि प्रत्येक क्षेत्र में सप्ताह में कम से कम एक बार फॉगिंग की जा सके।

8. निर्माणाधीन परियोजनाओं, अधूरे निर्माण कार्य क्षेत्र, नव निर्माण कार्य क्षेत्रों में अभियान के तौर पर सुनिश्चित रखा जाये कि डेंगू मच्छर न पनप पाएं।

9. समस्त राजकीय एवं निजी संस्थानों जैसे ऑफिस, बैंक, व्यापारिक संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, होटल, रिसॉर्ट, रेस्त्रां, चिकित्सालय, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि से सेल्फ डिक्लेरेशन सर्टिफिकेशन प्राप्त किया जाये कि उनके परिसर में कहीं भी पानी जमा नहीं है जिसमें डेंगू का मच्छर पनप सके व ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए उनके द्वारा नियमित तौर से निरीक्षण किया जा रहा है।

10. जिन स्थानों पर चेतावनी के पश्चात् भी पानी जमा होने से डेंगू मच्छर पैदा होने की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, ऐसे संस्थानों व लोगों पर आर्थिक दण्ड का प्रावधान किया जाये ताकि जनहित में डेंगू रोग के खतरे से लोगों को बचाया जा सके व महामारी का रूप लेने से रोका जा सके।

11. डेंगू रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है जिसके लिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया एवं अन्य नेटवर्क के माध्यम से डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण सम्बन्धित वृहद् जागरूकता की जाये। अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जाये। जिला सूचना अधिकारियों द्वारा भी जनपद स्तर पर निरन्तर प्रेस विज्ञप्ति एवं अन्य माध्यमों से जागरूकता की जाये।

12. सभी विद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिये जायें कि विद्यालय परिसर में कहीं पानी जमा न हो जिससे मच्छर पनपने की स्थिति उत्पन्न न हो। परिसर में साफ सफाई रहे, कबाड़ जमा न हो व निरन्तर घास कटान हो। प्रार्थना सभाओं/असेम्बली के दौरान विद्यार्थियों को डेंगू रोग से बचाव के उपायों पर सजग किया जाये। विद्यार्थियों को पूरी बाजू की शर्ट, पतलून, लेगिंग, लंबी जुराबों वाली ड्रेस पहनने के निर्देश दिये जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों के काटने से बचाव किया जा सके। अभिभावकों को पेरेन्ट-टीचर मीटिंग एवं स्कूल एप के माध्यम से डेंगू से बचाव उपायों हेतू जागरूक किया जाये। डेंगू से बचाव के उपायों पर छात्र-छात्राओं की जागरूकता के लिए सेमिनार, वाद-विवाद, पोस्टर, चित्रकला, निबन्ध लेखन व प्रोजेक्ट वर्क आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाये।

13. जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध निगरानी प्रणाली एवं संसाधनों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय में समस्त विभागों द्वारा की जा रही बचाव एवं रोकथाम गतिविधियों की निगरानी की जाये व समय-समय पर स्थिति अनुसार बचाव दिशा निर्देश प्रदान किये जायें व निरोधात्मक कार्यवाहियों में सहयोग किया जाये।

14. डेंगू रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए।

15, चिकित्सालयों में डेंगू रोगियों के उपचार हेतु पृथक आईसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्त
बेड व आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये तथा डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किये जायें।

16, डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों हेतु ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। 17. डेंगू जांच केन्द्रों में आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।

18. डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाईडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों / चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

19. डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण मे पहचान हेतु फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये।

20. डेंगू रोगी पाये जाने व किसी प्रकार की क्लस्टरिंग मिलने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों व 500 मीटर की परिधि में आवश्यक रूप से लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन), Space/Focal Spray, Fogging, सघन फीवर सर्विलेन्स एवं जनजागरूकता की जाये।

21. स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ताकि आमजन में डेंगू रोग के प्रति व्यापत भ्रान्ति / भय को दूर किया जा सके।

22 किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिले कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। इस दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में एम्स ऋषिकेश के सैटालाइट सेंटर के भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किया। इसके अलावा उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से हिन्दी माध्यम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी सहमति प्रदान कर दोनों कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने उत्तराखंड आने का आश्वासन दिया।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि उन्होंने नई दिल्ली में आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात कर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. रावत ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऊधमसिंह नगर जनपद में स्वीकृत एम्स ऋषिकेश के सेटेलाइट सेंटर के भूमि पूजन हेतु आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंह नगर में एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट सेंटर स्थापित होने पर पूरे कुमाऊं मंडल को इसका लाभ मिलेगा और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। इसके अलावा मुलाकात के दौरान डॉ. रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सूबे के मेडिकल कॉलेजों में शैक्षिक सत्र 2023-24 से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में कराये जाने की जानकारी दी। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को हिन्दी मीडियम में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ करने के लिये भी आमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों कार्यक्रमों में शामिल होने पर अपनी सहमति जताई और शीघ्र उत्तराखंड आने का सकारात्मक आश्वासन दिया। डॉ. रावत ने बताया कि मध्य प्रदेश की भांति उत्तराखंड में भी मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम में होगी। इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी सभी तैयारियां पूरी कर ली है। उन्होंने बताया कि मेडिकल पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार करने के लिये विभाग ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक विशेष समिति गठित की। इस समिति ने मध्य प्रदेश में लागू एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर राज्य के मेडिकल कॉलेजों के लिये हिन्दी माध्यम में सिलेबस तैयार किया और इसे हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को सौंपा। विश्वविद्यालय ने भी हिन्दी मीडियम पाठ्यक्रम लागू करने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी है। शीघ्र ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हाथों इसे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया जायेगा। यह उन छात्रों के लिये बड़ी सौगात होगी जो हिन्दी मीडियम के स्कूलों से पढ़कर आये हैं।

राज्य में यू कोट वी पे फार्मूले से होने जा रही स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भर्ती

उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए धामी सरकार ने “यू कोट वी पे“ फार्मूले का प्लान बनाया है। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए “यू कोट वी पे“ फार्मूले के तहत स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को तैनात करने की कवायद शुरू कर दी है। अगर ये फार्मूला सफल हुआ तो सिर्फ डॉक्टरों की कमी ही पूरी नहीं होगी बल्कि, दूरस्थ क्षेत्रों में भी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार ने बताया कि हिमालय राज्य उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए “यू कोट वी पे“ फार्मूले के तहत “स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों“ की भर्ती आयोजित की जा रही है। इसके लिए तीसरे चक्र के साक्षात्कार आगामी 22 अगस्त 2023 मंगलवार को आयोजित किये जा रहे हैं। संविदा के माध्यम से ही “स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों“ की तैनाती की जाएगी। “यू कोट वी पे“ फार्मूले के तहत पहाड़ों पर तैनाती कराए जाने वाले डॉक्टरों के लिए उच्च मानदेय निर्धारित किया गया है। लिहाजा जो डॉक्टर सहमति जतायेंगे, उसके तय रेट के हिसाब से उन्हें पे किया जायेगा। जिससे पहाड़ जाने वाले डॉक्टर्स को प्रोत्साहन मिलेगा।

डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि हर व्यक्ति को स्थानीय स्तर पर बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिले। किसी को इलाज के लिए मैदानी जनपदों के अस्पताल का रूख नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टरों की भर्ती के लिए अब तक का सबसे बड़ा पैकेज रखा गया है। जिसके तहत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को 4 लाख रूपये प्रति माह और हृदय रोगों से जुड़े सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को 6 लाख रूपये प्रति माह का पैकेज दिया जायेगा। हृदय रोग से जुड़े स्पेशलिस्ट डॉक्टर मिलने पर इनकी तैनाती पौड़ी जनपद के श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में स्थापित की गई कैथ लैब में की जायेगी। जिसका लाभ पर्वतीय जनपद के मरीजों को मिलेगा। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द राज्य के सभी जनपदों के जिला अस्पतालों के साथ ही मेडिकल कॉलेजों में “स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों“ की तैनाती हो जाये।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार ने बताया कि ये सारी भर्तियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा पर होंगी। अधिक जानकारी और आवेदन प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की बेवसाइट पर www.nhm.uk.gov.in संपर्क किया जा सकता है। इसके साथ ही मोबाइल नंबर or contact : 9412080703 से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

72 तरह के हैल्थ टेस्ट आमजन के लिए निःशुल्क

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में जे के टायर लिमिटेड कम्पनी तथा यस बैंक द्वारा सीएसआर के तहत लगाये गये हैल्थ एटीएम का लोकार्पण किया। यस बैंक द्वारा सचिवालय डिसपेंसरी, विधान सभा डिसपेंसरी तथा टनकपुर चिकित्सालय में एक-एक हैल्थ एटीएम स्थापित किये गये हैं। इसके साथ ही जे0 के0 टायर कम्पनी द्वारा पुलिस लाइन, जे0एल0एन0 जिला चिकित्सालय, जिला चिकित्सालय नैनीताल, सयुंक्त चिकित्सालय टनकपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जसपुर, उप जिला चिकित्सालय, रानीखेत, अल्मोड़ा में एक-एक हैल्थ एटीएम स्थापित किये गये हैं। इन 9 हैल्थ एटीएम के माध्यम से आम जनमानस द्वारा स्वयं अपने विभिन्न स्वास्थ्य परीक्षण किए जा सकेंगे, इनमें हीमोग्लोबिन, टीएलसी एण्ड डीएलसी, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, युरिक ऐसिड, कॉलेस्ट्रॉल, एचबीएसी, ब्लड ग्रुप, लिपिड प्रोफाइल, ट्राईगिलसाइड, लाइकोप्रोटिन, प्रेगनेन्सी टेस्ट तथा किडनी टेस्ट आदि सहित कुल 72 टेस्ट किए जा सकते हैं। इन हैल्थ एटीएम पर यह जाँच सुविधा निःशुल्क रहेगी। इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनमानस से अपील की गई है कि इन हैल्थ एटीएम की जाँच के नतीजे के आधार पर स्वयं औषधि न लें। परिणाम सामान्य न होने पर चिकित्सक का परामर्श अवश्य लें।
इसके साथ ही इस अवसर पर सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग तथा आईओसीएल, यस बैंक तथा जेके टायर के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में महानिदेशक स्वास्थ्य तथा उक्त कम्पनियों के मध्य स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग हेतु एमओयू पर भी हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सौजन्य से सीएसआर के तहत राज्य के सभी ब्लॉकों में उपलब्ध कराई जाने वाली 40 ट्रू नेट मशीनों का भी लोकार्पण किया। इन ट्रू नेट मशीनों की सहायता से टी0बी0, कोविड तथा अन्य रोगों की जांच में सहायता मिलेगी। यह मशीनें राज्य के 40 दूरस्थ स्थानों में क्रियाशील रहेंगी।
बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तथा यस बैंक, आईओसीएल व जे के टायर इन हैल्थ एटीएम तथा ट्रू नेट मशीनों के इस पहल के लिए बधाई के पात्र हैं। आईओसीएल द्वारा प्रदेश के सभी ब्लॉकों के लिए 40 ट्रू नेट मशीनों की उपलब्धता से हमारे राज्य में इस दिशा में 100 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा हो गया है। इन सुविधाओं से आमजन की न केवल समय की बचत होगी बल्कि धन की भी बचत होगी। लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इन हैल्थ एटीएम के माध्यम से जनमानस स्वयं समय-समय पर अपनी जाँच कर अपने स्वास्थ्य की देखभाल बेहतर ढंग से कर सकेंगे। हर वर्ष लाखों की संख्या में आने वाले पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी इन सुविधाओं से लाभ होगा। देशभर के निजी संगठनों व कम्पनियों से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा एवं स्वच्छता के क्षेत्र में मदद की अपील करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में जन्म लेना सौभाग्य की बात है परन्तु देवभूमि में सेवा करना उससे भी बड़े सौभाग्य व गौरव का विषय है। जिन लोगों को भी यहाँ सेवा का अवसर मिल रहा है, वह भाग्यशाली हैं। निजी कम्पनियों से अपील है कि क्योंकि उत्तराखण्ड एक छोटा राज्य है, कम्पनियां उत्तराखण्ड में शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के क्षेत्र में अपनी मदद देकर एक मॉडल स्थापित कर सकते हैं। सीएम ने आईओसीएल से विशेष रूप से राज्य में रोजगार सृजन के क्षेत्र में योगदान की अपील की।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डा0 धन सिंह रावत, सचिव स्वास्थ्य डा0 आर0 राजेश कुमार, डीजी हैल्थ डा0 विनिता शाह, यस बैंक के स्टेट हेड अजय मिश्रा, क्लस्टर हेड निशांत अहूजा, हरेन्द्र बिष्ट, आईओसीएल से भानु प्रकाश सेमवाल, उदित जैन, जे के टायर से अजय कुमार, गरिमा पंत व स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

अस्पताल में अव्यवस्था और गंदगी को लेकर स्वास्थ्य सचिव ने जताई नाराजगी

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने मसूरी उप जिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव द्वारा उप जिला चिकित्सालय में अवयवस्था और गंदगी देखकर जमकर संबधित अधिकारियों को फटकार लगाई व अस्पताल में नियुक्त डाक्टर और कर्मचारियों की अनुस्थिति पर सीएमएस से जबाब तलब किया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को अस्पताल में तैनात डॉक्टर ओर कर्मचारियों को बिना सीएमओं के अनुमति के अवकाश न जाने के निर्देश दिये।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा अस्पताल में एमरजैंसी रूम, डॉक्टर कक्ष, आईसीयू, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड एक्स-रे आदि की सुविधा को जांच किया गया। इस मौके पर उन्होंने डीजी हेल्थ उत्तराखंड को फोन पर निर्देश दिए कि वह तत्काल मसूरी में रहकर मसूरी के उप जिला चिकित्सालय की सभी कमियों को दूर कर अस्पताल में स्टाफ की कमियों को दूर करे। वह साफ सफाई को लेकर भी विशेष प्रबंध किया। उन्होंने अस्पताल में पैरामेडिकल और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी को दूर करने को लेकर भी सीएमओ देहरादून को निर्देश दिए गए।
स्वास्थ्य सचिव डॉ राजेश कुमार ने कहा कि उनके द्वारा लगातार उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों का समय-समय पर निरीक्षण कर वहां की कमियों को दूर करने की कोशिश की जाती है जिससे कि प्रदेश की जनता को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा हाल में ही जिला रुद्रप्रयाग और चमोली जिले का स्वास्थ सुविधाएं और अस्पतालों का निरीक्षण किया गया। अस्पताल में पैरामेडिकल और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमियां को देखते हुए प्रदेश को 800 से ज्यादा नर्स मिलने जा रही है जिसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मसूरी के उप जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया जहां पर उनको कई खामियां भी मिली है मैं अस्पताल को व्यवस्थित तरीके से कैसे संचालित किया जाए जिसको लेकर भी कार्य योजना तैयार की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मसूरी के उप जिला चिकित्सालय को लेकर उनके द्वारा सभी संबंधित अधिकारियों को तलब किया गया है और जल्द बैठक कर अस्पताल को संचालित करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिये व स्वास्थ्य सुविधाओं को व्यवस्थित किए जाने को लेकर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मसूरी के उप जिला चिकित्सालय में स्टाफ की कमी तो है ही परंतु अस्पताल मे तैनात है वह भी रेगुलर तरीके से अपनी ड्यूटी नहीं आ रहा है जो चिंता का विषय है। जिसको लेकर जल्द एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि मसूरी के अस्पताल में तैनात डॉक्टरों में सात डाक्टर पीएचडी करने के लिए गए हैं। वह उन डॉक्टरों की भरपाई को लेकर भी काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अस्पताल को बेहतर किए जाने को लेकर अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन, एक्स-रे, आईसीयू की सुविधा आईसीयू उपलब्ध है जिनको व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिये भी कार्य योजना तैयार की जायेगी। उन्होने कह कि अस्पताल में एमआरआई की सुविधा भी उपलब्ध कराई जायेगी।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि जोशीमठ की आपदा को लेकर सरकार सभी प्रभावित लोगों की बेहतर मदद कर रही है वहीं स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड पर है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा रोटेशन बेसिस में 26 डॉक्टरों की तैनाती की गई है। वह दो मनोविज्ञानी चिकित्सक भी जोशीमठ में तैनात किये गए है जिससे कि आपदा में मानसिक रूप से ग्रस्त लोगो की काउंसलिंग किया जा सके। वही डायरेक्टर गढ़वाल को जोशीमठ पर नियुक्त कर दिया गया है जो लगातार जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर स्वास्थ सुविधाओं का बेहतर कर रहे है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध है व जिला प्रशासन के संपर्क में है और अगर किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं में दिक्कत होगी तो तत्काल दिक्कतों का निवारण किया जाएगा।
सचिव डॉ राजेश कुमार ने कहा ऐसा लग रहा है कि मसूरी में तैनात डॉक्टर ओम ओनरशिप की भूमिका नहीं निभा रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि कोई भी अस्पताल को चलाने के लिए वहां पर तैनात अधिकारियों को अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए जिससे कि सीमित संसाधनों में बेहतर तरीके से अस्पताल को चलाया जा सके और लोगो को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं उपलब्ध हो सके।