प्रदेश के मुखिया पर कीचड़ उछालने के बहाने विपक्ष को मिला काम

बीते दिनों उत्तराखंड में जिस तरह का माहौल रहा, जिसमें पहले हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर स्वतः संज्ञान लेकर न्यायधीश ने राज्य के मुखिया के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। इस आदेश पर राजनीतिज्ञों, कानूनी जानकारों सहित केंद्र तक आश्चर्य जताया गया। वहीं, हाईकोर्ट के आदेश को प्रदेश के मुखिया और प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी। सरकार सुप्रीम कोर्ट को यह समझाने में कामयाब रही कि जब हाईकोर्ट में याचिका करने वाले पत्रकार उमेश शर्मा ने सीबीआई जांच जैसी कोई मांग ही नहीं की थी तो उनके खिलाफ यह आदेश देने का मतलब क्या रह जाता है और इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने भी समझा और सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया।

इन दोनों घटनाओं हाईकोर्ट का आदेश देना और सुप्रीम कोर्ट का आदेश आना..। …तक के समयावधि के बीच विपक्ष को मानों सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ बोलने का मुद्दा मिल गया हो। उन्होंने प्रदेश भर में सीएम के खिलाफ मोर्चा खोला और इस्तीफा देने की मांग भी कर डाली। इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को आपस में साथ घूमना और समय बीताने का भी अवसर मिला। कार्यकर्ताओं में बेवजह का उत्साह नजर आया। जो अल्प ही समय में बिखर गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया।

यह बात तो तय है कि त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ साजिश में विपक्ष का ही हाथ था। मगर, क्या राजनीति इस स्तर पर पहुंच जाएगी, ऐसा किसी ने नहीं सोचा होगा। विपक्ष ने भ्रष्टाचारियों और माफियाओं के साथ मिलकर राज्य की सरकार को हिलाने की कोशिश की। वह तो त्रिवेंद्र सिंह रावत थे, जो अपने राज्य हित के लिए मजबूत फैसलों और ईमानदारी की छवि रखते है। इसके चलते विपक्ष और माफिया सफल नहीं हो सके। विपक्ष को कुछ वक्त के लिए रोजगार तो मिला।

सरकार ईमानदारी से करती रहेगी काम
बतौर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कहा है कि हम पहले दिन से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, हम आज भी इसपर कायम हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। हमारी कार्रवाई से भ्रष्टाचारी परेशान हैं इसलिए सरकार को धमकाने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, हमारे कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर हो रही कार्रवाई से ये लोग बौखलाए हुए हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं. लेकिन इन लोगों की यह कोशिश असफल रहेगी और सरकार ईमानदारी से काम करती रहेगी।

हाईकोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई, कहा-समीक्षा करेंगे, फिलहाल अन्य कोई नही की कोई टिप्पणी

-विपक्षी खेमे में फैसला आने के बाद बची खलबली

आखिरकार देश की सर्वोच्च अदालत में सत्य की जीत हुई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हाईकोर्ट के सीबीआई जांच कराने वाले आदेश ने हैरान जरूर किया था। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द करते हुए आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश कैसे पारित किया? जबकि मुख्यमंत्री इस मामले में पक्षकार ही नहीं थे। उनके खिलाफ जांच की कोई मांग भी नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है, साथ ही सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किए हैं। इनका जवाब दाखिल करने का चार सप्ताह का समय भी दिया है।

एससी में सीएम के वकील ने कहा, बेवजह नाम घसीटा गया
सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के वकील ने कहा कि राज्य की जनता ने उन्हें चुना है, राजनीतिक लाभ के लिए विवाद में उनका नाम बेवजह डाला गया है। उन्होंने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि हाईकोर्ट में उमेश शर्मा ने सीबीआई जांच जैसा कोई मांग नहीं की थी। उमेश शर्मा की याचिका में सिर्फ उसके खिलाफ देहरादून में दर्ज एफआइआर को रद्द करने की मांग की गई थी। इसके विपरीत हाईकोर्ट ने न सिर्फ उमेश के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद्द करने का आदेश सुनाया बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच करने का आदेश दे दिया। सीएम ने अपनी याचिका में लगाए गए आरोप को फर्जी और आधारहीन कहा।

मूल मुद्दा तो भटक गया…
दरअसल देहरादून के राजपुर थाने में पत्रकार उमेश शर्मा सहित अन्य के खिलाफ सेवानिवृत प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने ब्लैकमेलिंग, दस्तावेजों की कूट रचना और गलत तरीके से बैंक खातों की जानकारी हासिल करने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया का दुरूपयोग किया और एक वीडियो डाली। इसमें प्रोफेसर रावत और उनकी पत्नी सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड के अमृतेश चैहान की ओर से 25 लाख रुपये जमा करने की बात कही गई थी और यह रकम को त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा गया था। इसके अलावा सविता रावत को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सगी बहन बताया गया था। प्रोफेसर हरेंद्र सिंह ने सभी तथ्यों को झूठा बताया था।
बड़ा सवाल तो यह है कि कैसे हम दूसरे अनजान व्यक्ति की बैंक संबंधी डिटेल प्राप्त कर सकते है? आयकर विभाग के अलावा यह जानकारी बैंक भी अन्य किसी को नही देता है। मसलन यदि कोई आपराधिक मामला है तो बैंक जांच के दौरान पुलिस अथवा जांच एजेंसी को जानकारी मुहैया कराता है। इस मामले में देखे तो तथाकथित पत्रकार ना तो जांच एजेंसी है ना ही अधिकृत व्यक्ति। ऐसे में बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध हो जाती है। सेवानिवृत प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत की शिकायत पर तो अभी तक कोर्ट के द्वारा कार्रवाई भी नही की गई है?

व्यक्ति एक दलीलें दो….
देश के जाने माने वकील कपिल सिब्बल भी गजब के आदमी निकले। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में इन्ही वकील साहब ने कोर्ट को उमेश कुमार को ब्लेकमेलर बताया है। जबकि इस मामले में वकील साहब तथाकथित पत्रकार को ईमानदार बता रहे है। अन्य राज्यों में लंबित मुकदमें को लेकर उन्हें झूठा फंसाने की बात कह रहे है। वकील साहब पहले तय कर ले कि आप किस केस में सच बोल रहे है और किस केस में झूठ?

केस को हाईप्रोफाइल बनाने और सुर्खियां बटोरने की कोशिश…
तथाकिथत पत्रकार उमेश जे कुमार की और से इस मामले को हाईप्रोफाइल बनाने और सुर्खियां बटोरने के लिए इस्तेमाल करना प्रतीत हो रहा है। जानकार बताते है कि अपनी गर्दन बचाने के लिए हाईकोर्ट में केस का रुख मोड़ा गया है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील जानेमाने वकील कपिल सिब्बल और चालाक पत्रकार की चालो में उलझ गये। जिससे केस ने दूसरा ही रुख मोड़ लिया।

कथित पत्रकार की सीबीआई जांच मांग जोर पकड़ने लगी
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सोशल मीडिया में कथित पत्रकार के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग जोर पकड़ने लगी है। बेशुमार दौलत के मालिक और कथित तौर पर अन्य राज्यों में कई मुकदमों का सामना कर रहे पत्रकार को लेकर लोगों में नाराजगी दिखाई दे रही है। लोग ईमानदार मुख्यमंत्री पर लांछन लगाने को लेकर इसकी ही सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे है।

17 अक्टूबर को होगा उत्तराखंड भाजपा के नए कार्यालय का भूमिपूजन व शिलान्यास

देहरादून रिंग रोड पर बनने वाला भाजपा का नया प्रदेश कार्यालय अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इसका भूमिपूजन व शिलान्यास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली से वर्चुअल के जरिए करेंगे।

प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत और संगठन महामंत्री अजेय कुमार ने रिंग रोड पर बनने जा रहे नए कार्यालय का निरीक्षण किया। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने बताया कि नया प्रदेश कार्यालय आधुनिक तकनीक व सुविधाओं से युक्त होगा। इसका भूमि पूजन व शिलान्यास 17 अक्टूबर को 11 बजे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से करेंगे। कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

मनमर्जी से शादी करने पर पिता ने बेटी और दामाद पर दागी गोली

काशीपुर में बसपा जिलाध्यक्ष के पद पर काबिज विनोद गौतम ने अपनी की सगी बेटी और दामाद पर दोगी दाग दी। पुलिस ने आरोपी जिलाध्यक्ष सहित तीन पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने दो को हिरासत में भी लिया है, जबकि एक अभी फरार चल रहा है।

बसपा जिलाध्यक्ष विनोद कुमार गौतम की बेटी ने कुछ दिन पूर्व सैदनगर निवासी प्रशांत से लव मैरिज की थी। प्रशांत कुछ माह पूर्व ही पीएसी में भर्ती हुआ है। इन दिनों वह बरेली में ट्रेनिंग कर रहा है। मगर, इस शादी से बसपा नेता खुश नहीं थी। वह लगातार बेटी को घर वापस आने का दबाव बना रहा था। मगर, बेटी ने पिता को वापस आने से मना कर दिया। इसी बात से आक्रोशित बसपा जिलाध्यक्ष ने प्रशांत के घर में घुसकर अपनी लाइसेंसी पिस्टल से बेटी और दामाद को गोली मार दी। दोनों को आनन-फानन में रामपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से उन्हें हायर सेंटर मुरादाबाद रेफर किया गया है।

प्रशांत के पिता रामअवतार की तहरीर के आधार र पुलिस ने विनोद गौतम, उनके बेटे रविकांत और भाई महावीर पर केस दर्ज कर लिया। हालांकि अभी एक पुलिस की पकड़ से दूर है।

द्वारहाट विधायक की पत्नी ने थाने में दी एक ओर तहरीर, अल्मोड़ा की महिला पर लगाया धमकाने का आरोप

भाजपा विधायक महेश नेगी पत्नी रीता नेगी ने नेहरू काॅलोनी थाने में सोमवार को एक ओर तहरीर दी। बताया कि अल्मोड़ा की महिला उनके गवाह को धमका रही है। उन्होंने कार्रवाई की मांग की। इस पर पुलिस ने जांच भी शुरू कर दी है।

नेहरू कालोनी थाने में 13 अगस्त को भाजपा विधायक महेश नेगी की पत्नी रीता नेगी ने अल्मोड़ा की एक महिला और उसके परिजनों पर ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने भी विधायक पर आरोप लगाए थे।

विधायक की पत्नी रीता नेगी नेहरू कालोनी थाने में थाना प्रभारी राकेश गुसाईं से मिली। तहरीर देकर उन्होंने बताया कि उक्त महिला उनके गवाह को फोन कर धमकियां दे रही है और परेशान किया जा रहा है। उन्होंने पुलिस को मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराया है। पुलिस अब मामले की जांच में भी जुट गई है।

मदन कौशिक को हुआ कोरोना, कृषि मंत्री हुए सेल्फ आइसोलेट

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक कोरोना पाॅजीटिव पाए गए है। उन्होंने स्वयं अपनी पाॅजीटिव रिपोर्ट की बात कबूल की है। साथ ही संपर्क में आए लोगों को खुद आइसोलेट हो जाने को कहा है। मदन कौशिक जल्द ही एम्स ऋषिकेश में भर्ती होंगे। उधर, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल अपने बेटे और भतीजी के पाॅजीटिव आने के बाद सेल्फ आइसोलेट हो गए हैं।

मदन कौशिक शनिवार शाम से पांच दिन के लिए खुद आइसोलेट हो गए थे। बताया जा रहा है कि वह कोविड संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे। बता दें कि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक में गोपन विभाग के स्टाफ के अलावा शासन के सभी प्रमुख आलाधिकारी मौजूद थे। कौशिक की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मंत्रियों और आलाधिकारियों को आइसोलेशन में जाना पड़ सकता है।

देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में द्वारहाट विधायक और पत्नी पर मुकदमा दर्ज

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के द्वारहाट विधायक महेश नेगी और उनकी पत्नी रीता नेगी के खिलाफ न्यायालय के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हो गया है। देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। विधायक पर दुष्कर्म करने और उनकी पत्नी पर जान से मारने की धमकी और मामले को दबाने का आरोप लगा है।

बीते शनिवार को एसीजेएम पंचम की कोर्ट ने विधायक पर दुष्कर्म और रीता नेगी पर अनैतिक कार्य करते हुए मामले को दबाने के आरोप में अविलंब मुकदमा दर्ज करने को कहा था। बता दें कि पिछले महीने विधायक की पत्नी ने महिला के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें आरोप लगाया गया है कि महिला विधायक से संबंध होने की बात करके उनसे पांच करोड़ रुपये मांग रही है।

महिला ने अपनी बच्ची को भी विधायक की ही बताया था और बच्ची का डीएनए विधायक से मैच कराने की मांग की थी। मामले में राज्य महिला आयोग और बाल आयोग ने पुलिस को अपनी रिपोर्ट देने को कहा था।

भगत के कोरोना संक्रमित होने से नेता, कार्यकर्ता और पत्रकारों में चिंतित

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कोरोना संक्रमित हुए हैं। उन्होंने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया पर साझा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने पिछले सप्ताह उनके संपर्क में आए सभी पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से कोरोना टेस्ट करवाने की अपील भी की है। बता दें कि बंशीधर भगत के बेटे विकास भगत की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।
सूत्रों के अनुसार, विकास भगत को तीन दिन से बुखार था। उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में प्राइवेट रूम में भर्ती किया गया। उनका सैंपल जांच को भेजा गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। विकास भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ ही विधायक प्रतिनिधि भी हैं। एसटीएच के एमएस डॉ. जोशी ने बताया कि विकास भगत की हालत ठीक है।
वहीं अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बंशीधर भगत व उनके बेटे की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन सभी लोगों में चिंता है जो उनके गृह प्रवेश की पार्टी में शामिल हुए थे। भगत ने 21 अगस्त को यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास में गृह प्रवेश पर सहभोज का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में उनके बेटे भी थे। हालांकि कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था। सभी अतिथि आयोजन में मास्क लगाकर पहुंचे थे। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सरकार के कुछ मंत्री और पत्रकार भी मौजूद थे। इतना ही नहीं राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार, पार्टी के प्रदेश महामंत्री, प्रदेश मीडिया प्रभारी व कई अन्य नेताओं ने कार्यक्रम में शिरकत की थी।
इसके बाद भगत ने 24 अगस्त को मीडिया कर्मियों को सहभोज के लिए आमंत्रित किया था। इसी आयोजन के दौरान उन्होंने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पार्टी में वापसी कराई थी।

एहतियात के तौर पर मुख्यमंत्री होम क्वारंटीन हुए

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के वाहन चालक और निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री का टेस्ट निगेटिव आया है। लेकिन उन्होंने एहतियात के तौर पर खुद को क्वारंटीन कर लिया है। इसे देखते हुए बुधवार को होने वाली प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक भी स्थगित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने उनके चालक व पीएसओ के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि की है। फिलहाल मुख्यमंत्री ने अपने सभी कार्यक्रम व बैठकें स्थगित कर दी हैं। मंगलवार अपराह्न साढ़े तीन बजे उन्हें राज्य के सभी बैंकर्स व जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार के संबंध में बैठक करनी थी। लेकिन यह बैठक उनकी जगह अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री राधा रतूड़ी ने ली। 
इसके साथ ही बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक भी स्थगित हो गई है। अब यह बैठक दो सितंबर को होगी। इस संबंध में गोपन विभाग ने कैबिनेट बैठक का नया नोटिस जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री फिलहाल सेल्फ क्वारंटीन रहेंगे। इससे पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी और आर्थिक सलाहकार भी कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। 
वहीं मीडिया को जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि मेरे चालक और पीएसओ कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। मेरी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। कैबिनेट बैठक में ज्यादा विषय नहीं थे। उन्हें अगली कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा।

विधायकों के वेतन कटौती विवाद का सरकार ने निकाला हल, अध्यादेश लाने के दिए संकेत

संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने विधायकों के वेतन कटौती विवाद को समाप्त करने का मन बना लिया है। उनके संकेत से साफ झलक रहा है कि उत्तराखंड सरकार विधायकों के वेतन कटौती को लेकर अध्यादेश लाने का विचार कर रही है। उन्होंने कहा है कि कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सभी विधायक अपने भत्ते व वेतन का 30 प्रतिशत जमा करेंगे। अब विधानसभा में क्या निर्णय हुआ, इसकी जानकारी नहीं है, अगर जरूरत पड़ेगी तो अध्यादेश लाया जाएगा। बतादें कि कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया है कि कोविड फंड के नाम पर भाजपा सरकार ने वेतन कटौती का निर्णय लिया, लेकिन उसके विधायकों ने कैबिनेट के फैसले के अनुरूप वेतन कटौती नहीं कराई। 

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण खराब वित्तीय स्थिति के चलते प्रदेश सरकार ने विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया था। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय के बाद इसका शासनादेश जारी हो गया। हालांकि शुरुआत में वेतन कटौती को लेकर यूपी की तर्ज पर अध्यादेश लाने की बातें हुईं। लेकिन सरकार ने अध्यादेश लाने से परहेज किया।

कैबिनेट के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को पत्र लिखकर वेतन कटौती पर अपनी सहमति देने को कहा। विधायकों की जैसी और जिस प्रकार की सहमति प्राप्त हुई, विधानसभा सचिवालय ने उसी तरह की कटौती की। इसका नतीजा यह हुआ कि विधायकों के वेतन से चार तरह की कटौतियां हो रही हैं। कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने आरटीआई से यह तथ्य का खुलासा किया। जिस पर कांग्रेस ने भाजपा विधायकों पर तंज किया। अब यह विवाद काफी तूल पकड़ चुका है। सत्ता पक्ष के विधायक भी इस खुलासे से असहज हैं।