हनीप्रीत पर नहीं हुये आरोप तय, कारण चार्जशीट का एक हजार पेज होना

जेल में बंद राम रहीम की सबसे खास राजदार हनीप्रीत के गुनाहों की फेहरिस्त एक हजार से ज्यादा पन्नों में चार्जशीट की शक्ल में दर्ज है। गुरुवार को उसी एक हजार पन्नों की चार्जशीट के चलते हनीप्रीत पर आरोप तय नहीं हो पाए।

गौरतलब है इस पूरे मामले में हनीप्रीत के साथ अब तक 15 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। गुरुवार को इन लोगों को सेशन जज नीरजा कुलवंत कंसल की अदालत में पेश किया गया, लेकिन इन्हीं में से एक आरोपी प्रदीप कुमार की तरफ से दलील दी गई कि उसको अभी तक अदालत की तरफ से पूरी चार्जशीट की कॉपी नहीं मिली है।

राजस्थान से गिरफ्तार किए गए प्रदीप के मुताबिक उसे सिर्फ 175 पन्ने मिले हैं जो कि आरोप तय करने और बहस करने के लिए पूरे नहीं है। पहले पूरी चार्जशीट सीट पढ़ी जाएगी। उसके बाद ही इस पर बहस की जा सकती है कि आरोपियों पर क्या चार्ज लगे हैं।

गौरतलब है कि हनीप्रीत के खिलाफ एफआईआर नंबर 345 में आईपीसी की धारा 121, 121ए, 216, 145, 150, 151, 152, 153 और 120बी के तहत मामले दर्ज हैं। साथ ही हनीप्रीत साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में हिंसा भड़काने और देशद्रोह मामले की आरोपी है।

अदालत में गुरुवार की सुनवाई के दौरान आरोप तय नहीं हो पाए। इस मामले में बहस और अगली सुनवाई अब आगामी 21 फरवरी को होगी।

चौथी गोली का सबूत नहीं मिला, अब नहीं होगी दोबारा जांच

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी जरूरी कागजातों की जांच करने वाले वकील अमरेंद्र सरन ने कोर्ट में जानकारी देते हुये बताया कि महात्मा गांधी की हत्या मामले में अब दोबारा से जांच नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि बापू की हत्या करने में नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और के होने के सबूत नहीं मिले है।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी देकर कहा कि जिस फॉर बुलेट थ्योरी की बात होती है उसका भी कोई सबूत नहीं है। बता दें कि पंकज फडनीस की एक थ्योरी थी कि गांधी की हत्या चार गोलियां मार कर हुई थी।

उल्लेखनीय है कि सु्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सीनियर वकील अमरेन्द्र शरण को न्याय मित्र नियुक्त किया था। इस याचिका में गांधी हत्याकांड में ‘तीन बुलेट की कहानी’ पर प्रश्न चिह्न लगाने के साथ यह सवाल भी उठाया गया था कि क्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने चौथी बुलेट भी दागी थी?

इस हत्याकांड में अदालत ने 10 फरवरी, 1949 को गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई थी। वहीं विनायक दामोदर सावरकर को साक्ष्यों की कमी के कारण संदेह का लाभ दे दिया गया था। पूर्वी पंजाब हाई कोर्ट द्वारा 21 जून, 1949 को गोडसे और आप्टे की मौत की सजा की पुष्टि के बाद दोनों को 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गयी थी।

क्या महात्मा गांधी का कोई दूसरा हत्यारा भी था? वैसे पुलिस तो इस कहानी पर भरोसा करती है कि गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था? ऐसे कई सवालों को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर 6 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी।

उर्दू में दर्ज एफआईआर में है पूरी वारदात का जिक्र

30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, बापू की हत्या की एफआईआर उसी दिन यानी 30 जनवरी को दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज की गई थी। एफआईआर उर्दू में लिखी गई थी जिसमें पूरी वारदात के बारे में बताया गया था।

डा. आरके गुप्ता को नशे की दवा देने पर मिली सजा

ऋषिकेश में मिर्गी का गारंटीड इलाज कराने के नाम मरीजों को नशे की दवायी देने के आरोप में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक द्विवेदी की अदालत ने डा आरके गुप्ता समेत 15 लोगों को सजा सुनाई है।

सहायक अभियोजन अधिकारी यशदीप श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि डॉ. आरके गुप्ता का ऋषिकेश में नीरज क्लीनिक प्राईवेट लिमिटेड के नाम से अस्पताल है। जहां मिर्गी के रोगियों का शर्तिया इलाज का दावा किया जाता है। वर्ष 2004 में एक एनआरआइ ने शासन को शिकायत भेजी कि डॉ. गुप्ता आयुर्वेदिक दवाओं के नाम पर मरीजों को नशा देता हैं।

एनआरआइ ने विदेश में कराई गई दवाओं की जांच रिपोर्ट भी भेजी थी। इस पर शासन ने जांच के आदेश दिए। राज्य औषधि नियंत्रक की अगुआई में अस्पताल में छापे के दौरान प्रतिबंधित दवाएं मिली थीं, जिसके बाद डॉ. आरके गुप्ता को हिरासत में ले लिया गया। मगर, छापे की भनक लगने के बाद मौके पर जुटी भीड़ ने अस्पताल कर्मियों की मदद से डॉक्टर को छुड़ा लिया।

इधर, टीम मामले में मुकदमा दर्ज कराने ऋषिकेश कोतवाली पहुंची तो तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा, पूर्व दायित्वधारी अनीता वशिष्ठ समेत कई सभासद और व्यापारी नेताओं की अगुआई में डेढ़-दो सौ लोगों की भीड़ कोतवाली पहुंच गई और हंगामा काटा कर दिया। मामले में डॉ. आरके गुप्ता समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

सीजेएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए। अदालत ने गवाहों और सबूतों के आधार पर डॉ. आरके गुप्ता को पांच वर्ष सश्रम कैद और 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं अन्य 14 आरोपियों को एक-एक वर्ष सश्रम कैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने के बाद आरके गुप्ता को सुद्धोवाला जिला कारागार भेज दिया गया, जबकि अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई।

भीड़ द्वारा छुड़ाए जाने के बाद फरार डॉ. आरके गुप्ता को 11 दिन बाद देहरादून के क्लेमेनटाउन इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद वह करीब 27 माह तक जेल में रहा, बाद उसे जमानत मिल गई थी।

पुलिस चार्जशीट में हनीप्रीत ने ही बुलाई हिंसा भड़काने को बैठक

गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के गुनाहों की फेहरिस्त आखिर चार्जशीट के रूप में मंगलवार को पंचकुला कोर्ट में पेश कर दी गई। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में 25 अगस्त को पंचकुला में हुई व्यापक हिंसा के लिए हनीप्रीत को मास्टरमाइंड बताया है। हनीप्रीत के अलावा 15 अन्य गुरमीत राम रहीम के करीबियों व डेरा समर्थकों का नाम चार्जशीट में शामिल किया गया है।
हनीप्रीत पर आरोप है कि पंचकुला अदालत द्वारा गुरमीत राम रहीम को अपनी दो शिष्याओं के साथ दुष्कर्म का दोषी ठहराए जाने के बाद उसने डेरा समर्थकों के साथ मिलकर पंचकुला में व्यापक पैमाने पर हिंसा फैलाई थी।
सूत्रों के मुताबिक करीब 1200 पन्नों की चार्जशीट में हनीप्रीत के अलावा देशद्रोह के मुकदमा झेल रहे 15 दूसरे आरोपियों के कच्चे चिट्ठों का भी जिक्र है। हनीप्रीत के खिलाफ मंगलवार को दाखिल की गई चार्जशीट में कुल 67 गवाह हैं, जिनमें से ज्यादातर पुलिस के लोग हैं। उसके और दूसरे आरोपियों के खिलाफ पंचकुला के सेक्टर 5 पुलिस थाने में 27 और 28 अगस्त को आईपीसी की धाराओं 121, 121ए, 216, 145, 150, 151, 152, 153 और 120बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हनीप्रीत पर पंचकुला हिंसा की साजिश रचने का आरोप है। उसके अलावा आदित्य इंसा, पवन इंसा, सुखदीप कौर, राकेश कुमार अरोड़ा, सुरेंद्र धीमान इंसा, चमकौर सिंह, दान सिंह, गोविंद राम, प्रदीप गोयल इंसा व खैराती लाल पर भी देशद्रोह और हिंसा फैलाने का आरोप है। डेरा का प्रवक्ता और देशद्रोह का आरोपी डॉक्टर आदित्य इंसा अभी भी फरार है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हनीप्रीत ने अपने पुलिस रिमांड के दौरान कबूल कर लिया था कि पंचकुला हिंसा की प्लानिंग उसके ही कहने पर की गई थी। पुलिस ने उसके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा कर उनको चार्जशीट में जोड़ा है। इस आरोप पत्र के तीन पन्नों में गुरमीत राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा के 6 सुरक्षा कर्मियों का जिक्र है।
गौरतलब है कि पंचकुला हिंसा का ब्लूप्रिंट 18 अगस्त को सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में बुलाई गई एक एहम बैठक में तैयार किया गया था। बैठक हनीप्रीत ने ही बुलाई थी, जो डेरे में नंबर दो की हैसियत रखती थी। इस बैठक में मौजूद रही डेरा की चेयरपर्सन विपश्यना इंसा को छोड़कर सभी आरोपियों पर देशद्रोह का आरोप है। 25 अगस्त से पहले हनीप्रीत सहित कई आरोपी पंचकुला के डेरे में पहुंचे थे और उन्होंने कथित तौर पर पूरे पंचकुला की रेकी की थी।
इससे पहले 18 अगस्त को हुई बैठक में दो बातें तय की गई थीं- अगर फैसला गुरमीत सिंह के खिलाफ आया तो हिंसा और अगर पक्ष में तो सत्संग करने का ही प्लान था। हिंसा फैलाने के लिए गुंडों को किराए पर लाया गया था, जिनपर 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। 1.25 करोड़ रुपये तो पंचकुला के डेरा इंचार्ज चमकौर सिंह को ही दिए गए थे।

खाने का लालच देकर सगी बहनों से किया बलात्कार

मध्य प्रदेश के खंडवा में खाने का लालच देकर दो सगी बहनों के साथ रेप की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। निशक्त लोगों के लिए बने एक आश्रम में मानसिक रोगी दो नाबालिग सगी बहनों को आश्रम संचालक ने अपनी हवस का शिकार बनाया। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

नगर पुलिस अधीक्षक एसएन तिवारी ने बताया कि पीड़ित बहनों की उम्र 13 और 15 साल है। दोनों मानसिक रोगी हैं। आश्रम संचालक पूनमचंद मालवीय (60) ने रविवार की रात को 13 साल की मानसिक रोगी बालिका को आश्रम स्थित अपने कमरे में बुलाया। पहले जब वह नहीं आई तो अच्छा खाने का लालच दिया।

इसके बाद आरोपी ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। देर रात नाबालिग लड़की मौका देखकर आश्रम का पांच फुट का गेट फांदकर भाग निकली। वह सीधे थाने पहुंची, उसकी आपबीती सुनकर पुलिस वाले भी दंग रह गए। इसके बाद पीड़िता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ।

इसी बीच महिला पुलिस उपनिरीक्षक सोनू सितोले ने बताया कि दोनों बहनों के साथ आरोपी द्वारा आश्रम में रेप किया गया है। उनकी व्यथा सुनने के बाद आरोपी संचालक के खिलाफ आईपीसी की की धारा 376 और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों बहनों की मेडिकल जांच करवाई गई, जिसमें रेप की पुष्टि हुई है।

बताते चलें कि भोपाल में एक पुलिसकर्मी दंपति की बेटी के साथ एक नवंबर की रात को गैंगरेप हुआ था। इस मामले में तीन थाना प्रभारी एमपी नगर थाने के प्रभारी संजय सिंह बैस, हबीबगंज थाने के प्रभारी रविंद्र यादव, जीआरपी हबीबगंज के थाना प्रभारी मोहित सक्सेना, दो उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) टेकराम और उइके को निलंबित किया जा चुका है।

इस वारदात को अंजाम देने वाले चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन पुलिस की लापरवाही सामने आई थी। पीड़िता ने कहा था कि कोई भी अपराधी दोबारा ऐसा करने का साहस न करे, इसलिए कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, उन्हें मार देना चाहिए, चौराहे पर फांसी की सजा दी जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

पीड़िता ने कहा था कि सबसे बुरा रवैया तो पुलिस का रहा, जोकि उन्हें एक थाने से दूसरे थाने भटकाती रही। उसने कहा था, मेरे माता-पिता पुलिस में हैं और हमें इस स्थिति से गुजरना पड़ा, तो आम आदमी किन स्थिति का सामना करता होगा, इसे समझा जा सकता है। अफसोस है कि आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया, लेकिन समय पर केस दर्ज नहीं किया।

पूर्व की लापरवाही से नहीं सबक लिया, फिर शुरू हुआ मौत का मंजर

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का सिलसिला रुका नहीं है। अस्पताल में 72 घंटों के भीतर 30 बच्चों की मौत की खबर है। इसी अस्पताल में 29-30 अगस्त की रात ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा।

यूपी सरकार को देनी पड़ी थी सफाई

बीआरडी में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत से पूरा देश सन्न रह गया था। यूपी सरकार की इस मामले में काफी किरकिरी हुई थी। बाद में सरकार को इस पूरे मामले में सफाई देनी पड़ी थी। सरकार ने शुरुआती जांच में मासूमों की मौत का कसूरवार ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश को माना था। बाद में डॉ. कफील को भी इसमें आरोपी बनाया गया।

अगस्त में तो बच्चे मरते हैं!

इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को बच्चों की मौत पर सफाई देनी पड़ी थी। उसमें भी उनके बयान की काफी आलोचना हुई थी। मंत्री ने कहा था कि अगस्त में तो बच्चे मरते है। इसमें नई बात क्या है। छह दिन में 64 मौतों से ध्यान हटाने के लिए उन्हें बताना पड़ा कि 2014 में अगस्त के महीने में 567 बच्चों की मौत हुई। 2015 में इसी अगस्त ने 668 बच्चों की जान ले ली और 2016 में अगस्त में 587 बच्चों ने दम तोड़ दिया। यानी हर रोज 19 से बीस बच्चे मर रहे हैं।

14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रकोप

इंसेफलाइटिस का प्रकोप पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रभाव है। पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप सर्वाधिक है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर और देवरिया समेत 12 जिले इससे प्रभावित हैं।

खुद ही के लिये कब्र तैयार कर रहा पाकिस्तान

भारत लगातार अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए आगाह करता रहता है और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना बंद करने के लिए कहता रहा है। अब पाकिस्तान को यही चेतावनी विश्व जगत से भी मिली है। फ्रेजाइल स्टेट्स इंडेक्स की 2017 की रिपोर्ट में पाकिस्तान को उन 20 असफल देशों की फेहरिस्त में रखा गया है, जिन्हें खुद की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए।

अब पाकिस्तान को दुनिया के शीर्ष 20 फ्रेजाइल स्टेट्स में शामिल होने के बाद यह समझना होगा कि जिस आतंकवाद को वह अपने पड़ोसी देश भारत को परेशान करने के उद्देश्य से इस्तेमाल करता रहा है, वह खुद उसके लिए नासूर बन चुका है। यह इंडेक्स इसी ओर इशारा करता है।

अमेरिका की पाक को चेतावनी

अमेरिका भी पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने और आतंकवाद को अपनी जमीन से खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी देता रहा है। हाल ही में अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया गया था।

हाल ही में भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तानी नेतृत्व से सख्त लहजे में कहा कि वो आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे, वरना अमेरिका खुद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।

जहरीली शराब के सेवन से शराबबंद बिहार में मौत

कहने को तो बिहार में शराबबंदी है, लेकिन यहां अक्सर शराब पाये जाने के किस्से सुने जाते है। साथ ही कई लोग शराब पीने से अपनी जान तक गंवा बैठते है। बिहार के रोहतास में जहरीली शराब पीने से 5 लोगो की मौत हो गई है और 4 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
डीआईजी शाहाबाद मो रहमान ने इस बात की पुष्टि की है। साथ ही जहरीली शराब पीने से मौत मामले में शाहाबाद रेंज के डीआईजी के सख्त तेवर भी अपनाए हैं। सूत्रों के अनुसार एसएचओ पर निलंबन की कार्रवाई की गई है। साथ ही एक्ससाइज अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि शुक्रवार रात को संदिग्ध जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत होने और कुछ के बीमार पड़ने की सूचना मिली है। जिसकी जांच की जा रही है। ढिल्लों ने बताया कि इस मामले में फिलहाल कछवा थाना अध्यक्ष मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है। इनपर आरोप है कि यह पैसा लेकर दारू बेचवाते थे।

शाहाबाद प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक मोहम्मद रहमान, जिलाधिकारी अनिमेष कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। पुलिस मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शवों को अपने कब्जे में लेने के साथ ही हादसे में बीमार लोगों के बारे में भी पता लगाने के प्रयास कर रही है।

रोहतास के दनवर इलाके में इस हादसे से कई परिवारों में शोक व्याप्त है। आपको बता दें कि पिछले साल बिहार के गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस इलाके के नगर थाना प्रभारी सभी 25 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।

घटना के बाद स्थानीय ग्रामीण आक्रोशित हैं। इन लोगों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद इलाके में अवैध रूप से शराब बिक रहा है जिस कारण आज इस तरह की घटना हुई है। मृतकों में सभी दनवार के ही हैं। मरनेवालों में कमलेश सिंह, हरिहर सिंह, धनजी सिंह और उदय सिंह शामिल हैं। इस घटना से पूरे इलाके में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि शराब बिकने में पुलिस प्रशासन की मिली भगत है। उनपर कार्रवाई होनी चाहिए।

अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी और इसके सेवन और उत्पादन और कारोबार पर प्रतिबंध लगा हुआ है। जिसके बाद से ही इससे जुड़ा कानून बहस का विषय बना हुआ है। कुछ माह पहले ये खबर आई थी कि राजधानी पटना के थानों में जब्त की हुई शराब चूहों ने पी ली है। इस खबर को लेकर सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी, हालांकि बाद में बिहार पुलिस मुख्यालय ने इस खबर को खारिज कर दिया था।

हूबहू सौ व पचास के नकली नोट देख रह गयी पुलिस दंग

महाराष्ट्र पुलिस ने मध्य प्रदेश के पुलिस के साथ मिलकर बीड शहर मे एक ऐसे कारखाने का भंडाफोड़ किया है जहां 100 और 50 रुपये के नोट छापने का अवैध धंधा चल रहा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीड शहर में कई महीने से 100 और 50 रुपये के हुबहु नोट छापने का काम चल रहा था। जाली नोट छापने के लिए पेपर औरंगाबाद से लाया जा रहा था।

सैयद शुकूर शब्बीर नामक आरोपी को हिरासत में लिया गया है। पुलिस के मुताबिक बीड शहर के पेठ बीड थाना क्षेत्र के गांधी नगर में एक व्यक्ति 50 व 100 रुपये मूल्य की नकली नोट अवैध रूप से छपा रहा है, ऐसी जानकारी मध्य प्रदेश पुलिस मिली। उन्होंने तत्काल बीड पुलिस से संपर्क कर इसकी सूचना दी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक जी. श्रीधर इनके निर्देश पर पेठ बीड थाने के पुलिस निरीक्षक अनिल जाधव ने शेख शकूर के मकान पर छापा मारकर नकली नोट छापने की किताबें व डेढ़ लाख रुपए मूल्य के 50 व 100 के के नोट जब्त किए। पुलिस ने शेख शकूर को गिरफ्तार कर लिया है। शेख शकूर से किस-किस के संबंध हैं, पुलिस जांच में जुट गई है।

शेख शकूर बीड तहसील के नालवंडी गांव का रहने वाला है। दो साल पहले उसे एक अपने रिश्तेदार की लड़की के साथ जबरन बलात्कार के मामले में अरेस्ट किया गया था। वह औरंगाबाद के हर्सूल जेल में सजा काट रहा था। उसी दौरान शकूर की मुलाकात एक कैदी से हुई जो नकली नोट छापने के मामले में सजा काट रहा था। शकूर जब जेल से रिहा हुआ तो वह भी नकली नोट बनाने का कारोबार करने लगा। केवल आठवीं पास शकूर की करतूत से दोनों राज्यों की पुलिस सन्न रह गई है।

पुलिस कांस्टेबल की पूरी तैयारी थी राम रहीम को भगाने की

गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद कोर्ट से भगाने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार लाल सिंह को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। आरोप ये भी है कि लालचंद ही पुलिस के हर मूवमेंट की जानकारी गुरमीत के खास भक्तों तक पहुंचा रहा था। पूछताछ के दौरान उसने अपनी साजिश के बारे में अहम खुलासे किए हैं।
पंचकुला हिंसा की जांच कर रही एसआईटी का दावा है कि डेरामुखी राम रहीम को भगाने की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस की इंटेलिजेंस विंग के कॉन्स्टेबल लालचंद ने ली थी। यह खुलासा पूछताछ के दौरान हुआ है। बता दें कि लालचंद को एसआईटी ने पूछताछ के लिए सेक्टर-26 स्थित क्राइम ब्रांच के ऑफिस में बुलाया था और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
एसआईटी ने लालचंद को कोर्ट में पेश किया। जहां से पुलिस को दो दिन का रिमांड मिल गया। अब लगातार पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस उससे कई सवालों के जवाब पाना चाहती है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 25 अगस्त को फैसला आने के बाद जैसे ही गुरमीत को कोर्ट से बाहर लाया गया, लालचंद दूसरे पुलिसवालों से राम रहीम को बुलेटप्रूफ गाड़ी में बैठाने को कहने लगा, लेकिन पुलिसकर्मी तैयार नहीं हुए, फिर लालचंद ने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया।
प्लान-बी के मुताबिक गुरमीत राम रहीम की गाड़ी में कमांडो को बैठाना था, ये कमांडो उसका खास था। उसका जिम्मा गुरमीत को गनपॉइंट पर गाड़ी से उतारना था। उसके बाद उसे बुलेटप्रूफ गाड़ी से चंडीगढ़ में एंटर कराना था, लेकिन भागना हिमाचल की तरफ था।
इस दौरान लालचंद के पास वायरलेस सेट था। जिसमें सारे मैसेज फ्लैश हो रहे थे। तभी कोर्ट के बाहर उसने एक कमांडो को अफसरों से भिड़ने का इशारा किया। कमांडो ने वैसा ही किया, लेकिन इस दौरान भी लालचंद गुरमीत तक नहीं पहुंच पाया। यहां भी साजिश नाकाम रही तो उसने गुरमीत का पीछा किया।
लालचंद ने गुरमीत को छुड़ाने में एक आखिरी कोशिश और की। अपनी गाड़ी से गुरमीत को लेकर जा रही गाड़ी का पीछा कमांड तक किया। एक बुलेटप्रूफ गाड़ी साथ लगा दी, ताकि बीच में घेरकर उसे छुड़ाया जा सके। डेरामुखी के कमांडोज को पुलिस मूवमेंट का हर अपडेट मिला रहा था।
फैसले वाले दिन पुलिस ने तीन स्टेशनों पर वायरलेस सेट लगाए थे। लालचंद को फ्रीक्वेंसी पता थी, इसलिए हर सूचना गुरमीत की जैमर लगी गाड़ी में बैठे कमांडोज को वायरलेस सेट पर भी मिल रही थी।