वीरता चक्र से अलंकृत सैनिक और वीरागंनाओं को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को गांधी पार्क, देहरादून में विजय दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने विजय दिवस पर भूतपूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि प्रदेश में शहीद द्वार/स्मारकों के निर्माण कार्य अब सैनिक कल्याण विभाग के माध्यम से कराया जायेगा, पहले यह संस्कृति विभाग के माध्यम से कराया जाता था। वीरता चक्र श्रृंखला से अलंकृत सैनिकों एवं वीर नारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा अनुमन्य होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजय दिवस को भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का दिन बताते हुए कहा कि आज ही के दिन 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेक दिए थे। यह महान युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्म समर्पण था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिकों को विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित कर देश स्वयं सम्मानित हुआ था। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप राज्य में पांचवें धाम की नींव रखते हुए देहरादून में एक भव्य ‘सैन्य धाम‘ का निर्माण प्रारंभ किया है। यह स्मारक उन सभी वीरों को विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए, तिरंगे की शान एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। यह सैन्य धाम आने वाली अनेकों पीढ़ियों के लिए राष्ट्र आराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सेना को हर संभव सुविधा दी जा रही है। आज सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बताया है। जिसके परिणाम स्वरूप इस साल चार धाम यात्रा में 46 लाख से अधिक श्रद्धालु आए। राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर, आप सभी की सहभागिता से उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैन्य परिवार में पैदा होने के कारण मैंने सैन्य परिवारों का संघर्ष एवं दुख-दर्द को नजदीक से देखा है। सैन्य परिवारों के लिए राज्य सरकार विशेष योजनाएं बना रही है, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने से लेकर शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार सैनिक विश्राम गृहों की संख्या बढ़ाने हेतुु भी प्रयासरत है। उत्तराखंड का संपूर्ण विकास राज्य सरकार की नीति ही नहीं बल्कि कर्तव्य है, और इस कर्तव्य का पालन करने हेतु हम संकल्पबद्ध हैं।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सेना के जवान हर स्थिति में देश की रक्षा हेतु मोर्चा संभाले बैठे हैं, उन्होंने कहा 1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड राज्य के कई जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार सैनिकों के कल्याण हेतु दिन-रात कार्यरत है। लंबे समय से चली आ रही वन रैंक वन पेंशन की मांग प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में ही पूरी हुई। राज्य सरकार शहीदों के सम्मान में विशाल सैन्य धाम बनाने का कार्य कर रही है। साथ ही राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि सैन्य धाम के मुख्य द्वार का नाम उत्तराखंड के वीर सपूत एवं देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा जाएगा।
इस दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, निदेशक सैनिक कल्याण (ब्रिगे.से.नि) अमृतलाल, पूर्व सैन्य अधिकारी एवं वीरांगनाएं मौजूद रहे।

पुरातन छात्र रहे योगी आदित्यनाथ ने श्री भरत मंदिर परिवार से चर्चा की

श्री भरत मंदिर परिवार के सदस्यों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के पुरातन छात्र रहे सीएम योगी से शिक्षा को बेहतर बनाने को लेकर चर्चा की।
शुक्रवार को श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य ने लखनऊ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि छात्र-छात्राओं को गीता ज्ञान, संस्कृति ज्ञान और नैतिक शिक्षा अवश्य दी जाए, जिससे एक अच्छे और उत्कृष्ट समाज का निर्माण हो सके। साथ ही बच्चों को खेलों में आगे बढ़ने को भी प्रेरित किया जाए, ताकि बच्चे समाज में फैल रहे नशे से और अन्य कुरीतियों से भी बच सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों को उनकी रुचि और कौशल के हिसाब से आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज से संबंधित बातें भी पूछी। महंत वत्सल शर्मा ने कहा कि योगी आदित्यनाथ श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के पुरातन छात्र रहे हैं। उनसे स्कूल की पाठ्य प्रणाली, शिक्षा के विकास सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई। श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने बहुत आत्मीयता से शिष्टमंडल से बात की और सभी को शॉल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित भी किया। सीएम योगी से मुलाकात करने वालों में वरुण शर्मा, प्रवक्ता जयकृत सिंह रावत आदि शामिल रहे।

उत्तरायणी मेले पर प्रदेशभर में किया जाएगा भव्य आयोजन-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तरायणी मेले, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस एवं वीर बाल दिवस की तैयारियों को लेकर बैठक ली।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरायणी मेले में प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। यह मेला संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा देता है। 14 जनवरी को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में सूर्य उपासना के पर्व मनाये जाते हैं। उत्तरायणी मेले का उत्तराखण्ड की संस्कृति में विशेष महत्व है। 14 जनवरी को उत्तरायणी उत्सव का मुख्य आयोजन बागेश्वर में किया जायेगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से भव्य आयोजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तरायणी मेले के महत्व की जानकारी हो और अन्तराष्ट्रीय फलक पर इसे पहचान दिलाने के लिए प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। पंच प्रयागों एवं राज्य के अन्य संगम स्थलों एवं महत्वपूर्ण घाटों पर भी उत्तरायणी के दिन सूर्य उपासना के पर्व का आयोजन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तरायणी पर्व पर सौर ऊर्जा के प्रति जन जागरूकता के लिए इससे सबंधित योजनाएं लांच की जाएंगी। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण पर निबंध एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। बागेश्वर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाए। जिसमें लोक गीत, लोक नृत्य एवं अन्य आयोजन भी किये जाए। इस पर्व पर उत्तराखण्ड की प्रमुख हस्तियों को भी सांस्कृतिक संध्या के लिए आमंत्रित किया जाए। संगमों पर भव्य आरती की व्यवस्था भी की जाए। हस्तशिल्प एवं फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस के अवसर पर प्रदेश में भव्य आयोजन किये जायेंगे। सभी जनपदों में ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा। जिनमें मंत्रीगण एवं अन्य जन प्रतिनिधि भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर वे स्वयं भी ग्राम चौपाल में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्रों का वितरण किया जायेगा। 25 दिसम्बर 2022 से 09 फरवरी 2023 तक प्रमाण पत्रों के वितरण की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस पर सिख समाज के दसवें गुरू, गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों साहिब जादा जोरावर सिंह और साहिब जादा फतेह सिंह के बलिदान दिवस पर राज्य स्तर पर मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जायेगा। जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। प्रदेश के सभी स्कूलों में वीर बाल दिवस मनाया जायेगा।
बैठक में विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, एच.सी.सेमवाल, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के उत्पादों की सराहना की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दून विश्वविद्यालय में उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानीय उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंनें प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि यह वोकल फॉर लोकल को बढावा देने के लिए सराहनीय प्रयास है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सराहनीय प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की पहचान उनकी भाषा-बोली एवं स्थानीय उत्पादों से होती है, इनको बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने पद्मश्री बसंती बिष्ट एवं माधुरी बड़थ्वाल को लोक गायन एवं लोक संगीत के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना भी की।

सीएम के बेटे भी कम नही, शिखर छूने को कर रहे अलग-अलग क्षेत्रों में मेहनत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजनीति में धमाल मचाकर अब तक कई मिथक थोड़ चुके हैं। अपने फैसलों व जनहित के कार्यों से उनकी लोकप्रियता बढ़ने के साथ वर्तमान में वह भाजपा के लकी चार्म बन चुके हैं। देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो भाजपा आलाकमान उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर वहां भेज देता है।
अपने पिता पुष्कर सिंह धामी की तरह उनके दोनों बेटे दिवाकर व प्रभाकर भी अपने-अपने क्षेत्रों में धमाल मचा रहे हैं। छोटे बेटे जहां खेलों में रुचि रखते हैं तो बड़े बेटे को संगीत से लगाव है। छोटा भाई प्रभाकर स्केटिंग में धमाल मचा रहा हैै तो बड़े भाई दिवाकर ने संगीत को अपना साथी बनाया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के बड़े बेटे दिवाकर का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिवाकर मनमोहक ढंग से गिटार बजा रहे हैं और साथ ही सुरीले अंदाज में ‘जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल आ जाए‘ गीत गा रहे हैं। उन्होंने इस गीत को अपने ही नये अंदाज में प्रस्तुत किया है। दिवाकर के अनुसार वह बचपन से ही संगीत के शौकीन हैं। गिटार के अलावा पियानो और ड्रम भी बजा लेते हैं।

सुशासन समय की मांग है और इसे हर हाल में स्थापित करना है-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में सिविल सेवा के 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को संबोधित किया।
प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह उन्हें संबोधित कर रही थीं, तो उनकी स्मृति में सरदार बल्लभ भाई पटेल के शब्द गूंज रहे थे। अप्रैल 1947 में सरदार पटेल ने आई.ए.एस. प्रशिक्षुओं के एक बैच से मिलते समय कहा था कि ‘‘हमें उम्मीद करनी चाहिए और हमें अधिकार है कि हम हर सिविल सेवक से सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें, चाहे वह किसी भी जिम्मेदारी के पद पर हो। ’’राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि लोक सेवक इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र ‘‘मैं नहीं, हम हैं’’। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उनमें से कई आने वाले 10-15 वर्षों तक देश के एक बड़े हिस्से का प्रशासन चलाएंगे और जनता से जुड़ेंगे। वे अपने सपनों के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं।
अकादमी के आदर्श वाक्य ’शीलम परम भूषणम’ का उल्लेख करते हुए, जिसका अर्थ है ’चरित्र सबसे बड़ा गुण है’, राष्ट्रपति ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण की पद्धति कर्म-योग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें चरित्र का बहुत महत्व है। उन्होंने सलाह दी कि प्रशिक्षु अधिकारियों को समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ’गुमनामी’, ’क्षमता’ और ’आत्मसंयम’ एक सिविल सेवक के आभूषण हैं। ये गुण उन्हें पूरी सेवा अवधि के दौरान आत्मविश्वास देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अधिकारी प्रशिक्षुओं ने जो मूल्य सीखे हैं, उन्हें सैद्धांतिक दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहिए। देश के लोगों के लिए काम करते हुए उन्हें कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में उन्हें इन मूल्यों का पालन करते हुए पूरे विश्वास के साथ काम करना होगा। भारत को प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर करना तथा देश की जनता के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करना उनका संवैधानिक कर्तव्य के साथ-साथ नैतिक दायित्व भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हित के लिए कोई भी कार्य कुशलतापूर्वक तभी पूरा किया जा सकता है जब सभी हितधारकों को साथ लिया जाए। जब अधिकारी समाज के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्ग को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे तो निश्चय ही वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन समय की मांग है। सुशासन का अभाव हमारी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है। लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को लोगों से जुड़ने के लिए विनम्र होने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तभी वे उनसे बातचीत कर पाएगें और उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी बेहतरी के लिए काम कर सकेंगे। सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व भी आपको निभाना हैं।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया इन मुद्दों से जूझ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भविष्य को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को पूरी तरह से लागू करने में मददगार बने।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल में 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारी सिविल सेवाओं में प्रवेश कर रहे हैं। अगले 25 वर्षों में, वे देश के सर्वांगीण विकास के लिए नीति-निर्माण और उसके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस संबंध में राष्ट्रपति ने अकादमी में आज उद्घाटन किए गए ’वाक वे ऑफ सर्विस’ का जिक्र करते हुए कहा कि जहां हर साल, अधिकारी प्रशिक्षुओं द्वारा निर्धारित राष्ट्र निर्माण लक्ष्यों को टाइम कैप्सूल में रखा जाएगा, राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हमेशा याद रखें और उन्हें प्राप्त करने के लिये समर्पित रहें। उन्होंने कहा कि जब वे वर्ष 2047 में टाइम कैप्सूल खोलेंगे, तो उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने पर गर्व और संतोष होगा।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियां के शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं और पुरूषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विशेषकर बेटियों से अपील की कि अपनी सेवा के दौरान वह जहां भी रहे, लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। जब हमारी बेटियाँ विभिन्न क्षेत्रों में आगे आएंगी तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा।
राष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों की देश के प्रतिभाशाली लोगों को सक्षम सिविल सेवकों में ढालने में उनके महान समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अकादमी के नए छात्रावास ब्लॉक और मैस, एरिना पोलो फील्ड सहित आज उद्घाटन की गई सुविधाओं से प्रशिक्षु अधिकारियों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि “पर्वतमाला हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्ट आउटडोर लर्निंग एरिना“, जिसका निर्माण आज शुरू हो गया है, हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बारे में सिविल सेवकों और प्रशिक्षुओं के लिए एक ज्ञान आधार के रूप में कार्य करेगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा प्रशिक्षण के दौरान सराहनीय एवं बेहतर कार्य व्यवहार वाले प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्मानित भी किया।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा अकादमी परिसर में स्थापित पोलो ग्राउंड के उन्नयन एवं पोलो एरिना, अकादमी कर्तव्य पथ, अकादमी अमृत टेलीमेडिसिन परामर्श सेवा केन्द्र एवं मोनेस्टी परिसर तथा वॉक-वे ऑफ सर्विस का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति द्वारा पर्वतमाला हिमालय एवं पूर्वाेत्तर आउटडोर लर्निंग एरिना का भी शिलान्यास किया गया। इन योजनाओं के सम्बन्ध में अकादमी निदेशक द्वारा राष्ट्रपति को विस्तार से जानकारी भी दी गई। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे।

राष्ट्रपति ने किया 2001.94 करोड़ रूपये की 9 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का पहली बार उत्तराखण्ड आगमन पर मुख्यमंत्री आवास में नागरिक अभिनन्दन किया गया। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित गरिमापूर्ण कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने 2001.94 करोड़ रूपये की 9 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। राष्ट्रपति ने 528.35 करोड़ रूपये की 3 योजनाओं का लोकार्पण और 1473.59 करोड़ की 6 योजनाओं का शिलान्यास किया। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति द्वारा लोकार्पित की गयी योजनाओं में 330.64 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान (मेडिकल कॉलेज) अल्मोड़ा, पिटकुल द्वारा हरिद्वार जनपद के पदार्था में 84 करोड़ रूपये की लागत से 132 के.वी. के आधुनिक तकनीक के बिजली घर एवं इससे संबंधित लाइन का निर्माण, जिला रूद्रप्रयाग में 113.71 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित 4.5 मेगावाट की कालीगंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्वारा जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया उनमें 306 करोड़ रूपये की लागत से चीला पॉवर हाऊस 144 मेगावाट की योजना का रेनोवेशन कार्य, देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत 204.46 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड ऑफिस कॉम्पलेक्स ग्रीन बिल्डिंग का निमार्ण, 131 करोड़ रूपये की लागत से हरिद्वार के मंगलोर में 220 के.वी. सबस्टेशन, 750 करोड़ रूपये की लागत से देहरादून के मुख्य मार्गों की ओवर हेड एचटी एवं एलटी विद्युत लाइनों को भूमिगत किये जाने का कार्य, 32.93 करोड़ रूपये की लागत से राजकीय पॉलिटेक्निक नरेन्द्र नगर में दूसरे चरण का निर्माण कार्य और चंपावत के टनकपुर में 49.20 करोड़ रूपये की लागत से आधुनिक अन्तर्राज्यीय बस टर्मिनल का शिलान्यास शामिल है।
इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में राष्ट्रपति उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित हुई। राष्ट्रपति के समक्ष प्रदेश की लोक संस्कृति का लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शन किया गया।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि देव-भूमि, तपोभूमि और वीर-भूमि उत्तराखंड में आना, मैं अपना सौभाग्य मानती हूं। हिमालय को महाकवि कालिदास ने ‘देवात्मा’ कहा है। राष्ट्रपति के रूप में, हिमालय के आंगन, उत्तराखंड में, आप सब के अतिथि-सत्कार का उपहार प्राप्त करके, मैं स्वयं को कृतार्थ मानती हूं। राष्ट्रपति ने अभिनंदन-समारोह के उत्साह-पूर्ण आयोजन के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उत्तराखंडवासियों को धन्यवाद दिया।
राष्ट्रपति ने विभिन्न विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं से लोगों के लिए जन-सुविधाएं बढ़ेंगी। उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के सुव्यवस्थित मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के ऊर्जावान नेतृत्व में, उत्तराखण्ड समग्र विकास के पथ पर अग्रसर है। राज्य के विकास की इस यात्रा में उत्तराखंड के परिश्रमी और प्रतिभाशाली निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा में नगाधिराज हिमालय के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को देवताओं का वंशज माना गया है। इस प्रकार उत्तराखंड के भाई-बहन एक दिव्य परंपरा के वाहक हैं। आप सबके बीच आकर मैं विशेष प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूं। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि, सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था। इस प्राकृतिक सुंदरता को बचाते हुए ही विकास के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत माता की धरती के बहुत बड़े भाग को निर्मित और सिंचित करने वाली नदी-माताओं के स्रोत उत्तराखंड में हैं। हिमालय और उत्तराखंड भारत-वासियों की अंतरात्मा में बसे हुए हैं। हमारे ऋषि-मुनि ज्ञान की तलाश में हिमालय की गुफाओं और कंदराओं में आश्रय लेते रहे हैं। यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी ले कर गए थे। इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है।
आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्रों में उत्तराखंड निरंतर अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए नए-नए संस्थान भी स्थापित कर रहा है। उत्तराखंड में नेचुरोपैथी के अनेक प्रसिद्ध केंद्र हैं जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आकर स्वास्थ्य-लाभ करते हैं। उत्तराखंड में नेचर टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इससे युवाओं में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयं पर्वतराज हिमालय और उत्तराखंड के शूरवीर लोग भारत माता के प्रहरी भी रहे हैं। हमारे वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान उत्तराखंड के ही सपूत हैं। भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी इसी धरती की विभूति थे। 1990 के दशक में जनरल बिपिन चंद्र जोशी ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में भारत माता की सेवा की थी। कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा करने वाले मेजर राजेश सिंह अधिकारी और मेजर विवेक गुप्ता का बलिदान सभी देशवासी हमेशा याद रखेंगे। उन दोनों सूरमाओं को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 1962 के युद्ध में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले महावीर चक्र से सम्मानित जसवंत सिंह रावत एक अमर सेनानी के रूप में भारतवासियों को हमेशा याद रहेंगे। स्वाधीनता के तुरंत बाद कश्मीर में घुसपैठियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सैनिक दीवान सिंह को कृतज्ञ राष्ट्र ने महावीर चक्र से सम्मानित किया था। भारत माता के लिए मर-मिटने वाले उन सभी वीरों को मैं सादर नमन करती हूं और ऐसे वीरों की जननी उत्तराखंड की भूमि को शत-शत प्रणाम करती हूं। इस धरती के शूरवीरों को अशोक-चक्र और कीर्ति-चक्र से भी सम्मानित किया गया है। मैं सभी देशवासियों की ओर से उत्तराखंड के वीर सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिमालय की पुत्री अर्थात पर्वत-पुत्री पार्वती हम सभी देशवासियों के लिए नारी-चरित्र की गरिमा और शक्ति का प्रतीक हैं। उत्तराखंड सहित सारी हिमालय-भूमि अनादिकाल से शक्ति की उपासना का केंद्र रही है। उसी गरिमा और शक्ति का अंश रानी कर्णावती जैसी वीरांगना, गौरा देवी जैसी वन-संरक्षक और बछेंद्री पाल जैसी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाली प्रथम महिला की जीवन-गाथाओं में देखने को मिलता है। उत्तराखंड की श्रीमती बसंती बिष्ट ने राज्य की प्रथम महिला ग्राम-प्रधान के रूप में जन-सेवा कर के तथा प्रौढ़-शिक्षा से लेकर स्वच्छता तक अनेक जन-कल्याण के कार्यों में योगदान दे कर देश की सभी बहनों-बेटियों के लिए आदर्श स्थापित किया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उत्तराखंड की एक और बहन बसंती देवी ने घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाओं की मुक्ति के लिए अभियान चलाया, अनेक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता की, महिला समूहों के माध्यम से नदी और जंगल के संरक्षण का कार्य किया और बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता का प्रसार किया। उन्हें भी पद्मश्री से अलंकृत किया गया। उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने भारत की राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की श्रेष्ठ खिलाड़ियों में अपना स्थान बनाया है। उत्तराखंड की इस विलक्षण प्रतिभा-संपन्न बेटी को 30 वर्ष से कम की आयु में ही पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में बेटियों की युवा पीढ़ी भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है। यह सामाजिक परिवर्तन एक विकसित उत्तराखण्ड और विकसित भारत की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है। आज से पांच दिन पहले ही दिव्यांग-जनों के सशक्तीकरण के विकास में संलग्न सर्वश्रेष्ठ संगठन का राष्ट्रीय पुरस्कार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी को दिया गया। यह उपलब्धि एक संवेदनशील समाज का परिचय देती है। इस संवेदनशीलता को सभी देशवासी और अधिक व्यापकता तथा दृढ़ता प्रदान करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। ज्ञात-अज्ञात स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण करना हम सभी का कर्तव्य है। बागेश्वर में जन्मीं बिशनी देवी शाह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अल्मोड़ा नगर-पालिका-भवन पर तिरंगा लहराया और गिरफ्तार की गईं। वे साधारण परिवार की अल्प-शिक्षित महिला थीं। लेकिन भारत के स्वाधीनता संग्राम को उनके द्वारा दिया गया योगदान असाधारण है। पेशावर कांड के ऐतिहासिक नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की शौर्य-गाथा हमारे स्वाधीनता संग्राम के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। इसी तरह श्रीदेव सुमन, केसरी चंद और इन्द्रमणि बडोनी जैसे अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने स्वतन्त्रता संग्राम की गौरव गाथाएं लिखी हैं। उत्तराखंड के सपूत गोविंद वल्लभ पंत ने स्वाधीनता संग्राम, संविधान सभा के विचार-विमर्श तथा राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान द्वारा इस क्षेत्र का और भारत का गौरव बढ़ाया है। उत्तराखंड की इन विभूतियों के योगदान से पूरे देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने के प्रयास होने चाहिए।
राष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी के संदर्भ में विश्व के सबसे अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ियों में अपना स्थान बनाने वाले लक्ष्य सेन का भी उल्लेख किया। आज से कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रपति भवन में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि युवा पीढ़ी के उत्साह और योगदान के बल पर वर्ष 2047 में यानि आज़ादी के शताब्दी वर्ष में हमारा देश विश्व-समुदाय में अपनी क्षमता के अनुरूप श्रेष्ठता प्राप्त कर चुका होगा। तब तक उत्तराखंड के सभी निवासियों का जीवन-स्तर भी कहीं अधिक बेहतर हो चुका होगा। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर प्रस्तुत किये सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के सभी राज्यों की संस्कृति का संरक्षण और विकास किया जाना चाहिए। पहाडों में रहने वाले निवासी अपनी संस्कृति से वन के फूल जैसे आनंदित करते हैं, उन्हें संरक्षित करना आवश्यक है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने राष्ट्रपति का देवभूमि उत्तराखण्ड की जनता की ओर से स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के उत्तराखण्ड आगमन से यहां का कण-कण स्वयं को ऊर्जावान और गौरवशाली महसूस कर रहा है। राष्ट्रपति पूरे देश की बेटियों, बहनों और माताओं के लिए प्रेरणा का सर्वाेच्च स्रोत हैं। देवभूमि उत्तराखण्ड की यह भूमि गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों का उद्गम है। यहाँ श्री बद्रीनाथ और श्री केदारनाथ के पावन धाम हैं। गुरु गोबिन्द सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब और जागेश्वर धाम हैं। दो-दो अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा यह प्रदेश देवभूमि है, वीरभूमि है, सैन्य भूमि है। यहाँ अधिकांश परिवारों का कोई न कोई सदस्य सेनाओं में या किसी पैरामिलिट्री फोर्स में शामिल हो कर, देश की रक्षा में लगा हुआ है।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के निवासियों का जीवन और संस्कृति यहाँ के वातावरण की तरह पवित्र है। हमारे प्रदेश का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वन क्षेत्र है। अपने वनों के माध्यम से यह प्रदेश, देश को प्राण-वायु प्रदान करता है। उत्तराखण्ड के पर्यटक स्थल देश-विदेश में विख्यात हैं। उत्तराखण्ड राज्य विकास के कई पैमानों पर आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस प्रदेश की सबसे बड़ी ताकत यहाँ की महिलाए हैं। वर्षों-वर्षों से उत्तराखण्ड की महिलाओं ने न सिर्फ यहाँ के समाज को रास्ता दिखाया है बल्कि देश के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत किया है। चिपको आंदोलन की गौरा देवी ने पूरे विश्व को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया है। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएँ न सिर्फ उत्तराखण्ड के ग्रामीण उत्पादों को आगे ला रही हैं बल्कि अपनी आर्थिक समृद्धि की कहानी भी स्वयं लिख रही हैं। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने अपने बद्रीनाथ भ्रमण के दौरान यहाँ की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रशंसा की थी।
राज्यपाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखण्ड ने चहुँमुखी विकास की यात्रा तय की है। कभी पहाड़ में रेल का सपना देखा जाता था आज ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर तेजी से काम चल रहा है। चारधाम सड़क योजना ने पहाड़ों में सड़क नेटवर्क को मजबूत किया है। अब उड़ान योजना के अन्तर्गत पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जैसे सीमांत जनपद हवाई कनेक्टिविटी से जुड़ रहे हैं। अच्छी कनेक्टिविटी उत्तराखण्ड को पर्यटन और बिजनेस इन्वेस्टमेंट के लिए भी अच्छा डेस्टीनेशन बनाती है। यहाँ आर्गेनिक खेती, जड़ी-बूटी, योग-आयुर्वेद को बढ़ावा देकर इन्हें रोजगार के साधनों से जोड़ा जा रहा है। उत्तराखण्ड कई दशकों से अपनी स्कूली शिक्षा के लिए जाना जाता रहा है लेकिन अब हम इसे उच्च शिक्षा के लिए भी एक आदर्श राज्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देवभूमि आगमन पर स्वागत और अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैनिक परिवार में जन्मे बेटे के घर तीनों सेनाओं की प्रमुख, देश की राष्ट्रपति महोदया कभी आएंगी, ऐसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था भले ही यह मेरा सरकारी आवास हो, परंतु आपका यहां स्वयं आना मेरे और उत्तराखंड के सवा करोड़ नागरिकों के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उत्तराखंड आने पर उन्होंने अनुरोध किया था कि राष्ट्रपति बनने के पश्चात आप पुनः देवभूमि अवश्य पधारें। यह अनुरोध स्वीकार करने के लिये उन्होंने राष्ट्रपति का धन्यवाद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अत्यंत कठिन जीवन संघर्ष, अदम्य साहस और प्रेरणास्पद राजनीतिक यात्रा प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करती है। उनकी जीवन यात्रा हम सबके लिए इसलिए भी प्रेरणादायी है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में आई समस्त कठिनाइयों को ही अपनी शक्ति बनाकर जीवन सफर में विजय प्राप्त की। वे भारतवर्ष के समस्त नागरिकों विशेष रूप से गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए आशा की किरण हैं। हर संकट का सामना आपने पूरी दृढ़ता से किया। राष्ट्रपति जी सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण का जीता जागता प्रतीक हैं। अपने जीवन में सदा ‘कर्म प्रधान विश्व करी राखा‘ के सिद्धांत को सर्वाेपरि माना और विकट परिस्थितियों में भी अपने विनम्रतापूर्ण आचरण को बनाए रखा।
राष्ट्रपति सदैव ’’सादा जीवन-उच्च विचार’’ के मूल मंत्र पर चलती रहीं और यही कारण है कि आज जन-जन के भीतर यही भाव है कि उनके बीच से निकली एक आम महिला देश कि प्रथम नागरिक है। अपने हर दायित्व को आपने पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से निभाया। सदैव समाज कल्याण को वरीयता दी और समाज में पिछड़ों व वंचितों के सशक्तिकरण पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लिए प्रेरणा का विषय है कि जीवन में इतने महत्वपूर्ण दायित्वों पर रहने के बावजूद, आज भी राष्ट्रपति साधारण जीवन ही व्यतीत करती हैं। आपके मार्गदर्शन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में हमारा राष्ट्र पुनः विश्व गुरु बनने की अपनी यात्रा में इसी प्रकार गतिमान रहेगा और अपने गंतव्य तक शीघ्र पहुंच सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज राष्ट्रपति द्वारा जो लगभग 2002 करोड़ रुपयों की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हो रहा है, वो इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हम राष्ट्रपति के मार्गदर्शन व प्रधानमंत्री के निर्देशन में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। देश के प्रथम नागरिक के रूप में राष्ट्रपति भारत ही नहीं वरन समस्त विश्व के लिए ’’सशक्त स्त्री-नव दृष्टि’’ विचार का प्रत्यक्ष उदाहरण बनेंगी।

मंत्री ने किया सैन्य धाम के निर्माण कार्यों को लेकर स्थलीय निरीक्षण

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सोमवार को देहरादून के गुनियाल गांव पहुंचकर सैन्य धाम के निर्माण कार्यों को लेकर स्थलीय निरीक्षण किया। मौके पर पहुंचे मंत्री गणेश जोशी ने निर्माण कार्यों का मौका मुआयना कर सैन्य धाम के निर्माण कार्य की प्रगति की जानकारी प्राप्त की।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सम्बंधित कार्यदायी संस्था को निर्माण कार्य को तय समय सीमा के भीतर कार्य पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने कहा निर्माण कार्यों में इस्तामेल हो रही सामग्री में गुणवत्तता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के स्वरूप उत्तराखण्ड में सैन्य धाम निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा यह मेरा भी ड्रीम प्रोजेक्ट है, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार सैन्य धाम की मॉनिटरिंग करते रहते है।
मंत्री जोशी ने कहा सैन्य धाम का निर्माण कार्य तेजी के साथ चल रहा है ओर जिस प्रकार निर्माण कार्य की रफ्तार है,निश्चित ही हम तय समय सीमा से पूर्व की सैन्य धाम का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। मंत्री जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड का सैन्य धाम यहां के चार धामों की तरह ही विकसित हो। इसके लिए सैन्य धाम को भव्य रूप दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि हमारा संकल्प है कि 2023 के अंत से पहले ही हम सैन्य धाम का निर्माण पूर्ण कर लेंगे।

मुनस्यारी के लिए कई घोषणाएं, सीएम ने कहा-प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है क्षेत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुनस्यारी स्थित जोहार क्लब मैदान में आयोजित मुनस्यारी महोत्सव 2022 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुनस्यारी महोत्सव धीरे-धीरे विश्व प्रसिद्ध महोत्सव के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। मुनस्यारी के प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जोहार की पावन भूमि नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण तो है ही इसका इतिहास भी बहुत गौरवशाली रहा है। उन्होंने कहा कि मुनस्यारी के नैसर्गिक सौंदर्य ने उन्हें बचपन से ही आकर्षित किया है। मुनस्यारी जैसा रमणीक स्थल भारत में ही नहीं विश्व में मिलना मुश्किल है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मुनस्यारी महोत्सव के लिये 8 लाख की धनराशि दिये जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर मुनस्यारी में एकलव्य विद्यालय खोले जाने, मुनस्यारी को नगर पंचायत बनाये जाने, मुनस्यारी में गौ रक्षा के लिए सहयोग दिए जाने, बकरियों के चुगान की अनुमति दिये जाने एवं बोना गांव में गार्डर पुल बनाए जाने की घोषणा की। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये इनके अधिकतम उपयोग किये जाने की बात कही।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुनस्यारी क्षेत्र की महान विभूतियों को याद करते हुए कहा कि जोहार की भूमि महान समाज सेवकों, चिंतकों, भू -सर्वेक्षकों एवं पर्वतारोहियों की भूमि है। उन्होंने क्षेत्र की सभी महान विभूतियों का नाम लेते हुए उनके महान कार्यों को याद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हमारी सरकार हर क्षेत्र में विकास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सीमान्त क्षेत्रों एवं गांवों के विकास के लिए निरन्तर कार्य कर रहे है। उन्होंने देश के सीमान्त गांवों को देश का अंतिम गांव न मानकर देश का पहला गांव माना है। प्रधानमंत्री ने सभी से अपनी यात्रा व्यय की 05 प्रतिशत धनराशि स्थानीय उत्पादों के क्रय पर व्यय करने की बात कही है, इससे हमारे स्थानीय उत्पादों को देश व दुनिया में पहचान मिलेगी तथा हमारे लोग स्थानीय उत्पादों के उत्पादन के प्रति और अधिक ध्यान देने तथा इससे रोजगार, स्वरोजगार के साधन उपलब्ध होने के साथ ही आर्थिकी को भी मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार सीमांत क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। मुनस्यारी क्षेत्र के विकास को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुनस्यारी क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मुनस्यारी क्षेत्र के विकास के लिये 66 घोषणायें की हैं जिनमें से 32 पूर्ण हो चुकी हैं, शेष घोषणाओं को पूर्ण करने के लिये जनपद एवं शासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। राज्य के विकास के लिये चिंतन शिविरों के माध्यम से विकास का रोड मैप तैयार किया जा रहा है। सभी के सहयोग एवं विश्वास के साथ 2025 तक उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिये हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष पिथौरागढ़ दीपिका बोहरा, विधायक फकीर राम, हरीश धामी, जिलाधिकारी रीना जोशी, पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह आदि उपस्थित रहे।

नौसेना का इतिहास शौर्य और पराक्रम भरा रहा है-धामी

नौसेना दिवस के अवसर पर राजपुर रोड स्थित राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कार्यक्रम में मौजूद थे। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने संयुक्त रूप से “इण्डियन वार्निंग इनफार्मेशन एंड नेविगेशन सर्विस” व “मैरीटाइम इनफार्मेशन चार्ट” का लोकार्पण किया, साथ ही नौसेना की प्रदर्शनी का अवलोकन कर देश की सुरक्षा में नौसेना के योगदान की सराहना की।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने नौसेना दिवस की शुभकामनाऐं देते हुए कहा कि भारतीय नौसेना पर हम सब को गर्व है। उन्होंने कहा कि आज के दिन 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के ’ऑपरेशन ट्राइडेंट’ की उपलब्धियों को भी याद करने का दिन है। राज्यपाल ने कहा कि जिस ट्रांसफॉर्मेशन, डिजिटलीकरण के साथ मैप बनाने का कार्य भी भारतीय नौसेना कर रही है, वह हम सब के लिए गर्व की बात है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी नौसेना दिवस के अवसर पर नौसेना के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि नौसेना का इतिहास शौर्य और पराक्रम का रहा है। राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय में जिस प्रकार नौसेना द्वारा साइंस एवं टेक्नोलॉजी का उपयोग कर डिजिटल मैप तैयार करना आरम्भ किया गया है वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत तथा आत्मनिर्भर भारत की भावना को साकार कर रहा है।
इस दौरान चीफ हाइड्रोग्राफर, वाइस एडमिरल अधीर अरोड़ा ज्वाइंट चीफ हाइड्रोग्राफर, रियल एडमिरल लोचन सिंह पठानिया समेत नौसेना के अफसर मौजूद रहे।