हृषिकेश भगवान भरत महाराज की डोली यात्रा में उमड़े श्रद्धालु

वसंत पंचमी पर शनिवार को प्राचीन श्री भरत मंदिर से हृषिकेश भगवान भरत महाराज की डोली यात्रा धूमधाम से निकाली गई। श्रद्धालुओं ने यात्रा मार्ग पर रंगोली सजाकर और पुष्प वर्षा कर डोली का स्वागत किया।
शनिवार को झंडा चौक स्थित श्री भरत मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों के बीच भगवान भरत की डोली निकाली गई। महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य महाराज ने डोली की पूजा अर्चना की। मंदिर परिसर से निकली डोली की अगवानी हर्षवर्धन शर्मा, महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य महाराज व वरुण शर्मा ने की। पुराने बद्रीनाथ मार्ग मायाकुंड से होकर डोली त्रिवेणी घाट पहुंची। यहां डोली को गंगा स्नान कराया गया। इसके बाद डोली मंदिर परिसर में पहुंची।
डोली यात्रा में महामंडलेश्वर ललित आनंद महाराज, महामंडलेश्वर दयाराम दास, महेंद्र जगदीश प्रपन्नाचार्य, महंत मनोज द्विवेदी, महंत विनय सारस्वत, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, डीडी तिवारी, जयेंद्र रमोला, शूरवीर सिंह सजवाण, सीएस शर्मा, संजीव चौहान, रामकृपाल गौतम, राम चौबे, सुधीर कुकरेती, बचन पोखरियाल, मधुसूदन शर्मा, राहुल शर्मा, कनक धनाई, मेजर गोविंद सिंह रावत, यमुना प्रसाद त्रिपाठी, नवीन मेंदोला, धनंजय रांगड, सुरेंद्र भट्ट, शिव प्रसाद बहुगुणा, जितेंद्र बिष्ट आदि शामिल रहे।

बसंत पंचमी पर डोली निकालने की है परंपरा
पौराणिक मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही आद्य गुरु शंकराचार्य ने मायाकुंड गंगा में रखी गई भगवान भरत की मूर्ति को श्री भरत मंदिर में पुनर्स्थापित किया था। तभी से वसंत पंचमी पर उनकी डोली यात्रा निकालने की परंपरा रही है।

चार निर्धन कन्याओं की शादी करवाई
श्री भरत मंदिर परिवार ने वसंत पंचमी पर चार निर्धन कन्याओं की शादी का आयोजन किया। इसमें कन्यादान की पूरी परम्परा का निर्वहन किया गया। बेटियों की विदाई की सारी रस्में निभाई गईं।

बंसत पंचमी पर होती है मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना

हिंदू कैलेंडर के अनुसार 5 फरवरी 2022, शनिवार का दिन विशेष है। इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस तिथि को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बंसत पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का पर्व इस वर्ष शनिवार के दिन पड़ रहा है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है।

मकर राशि में शनि का गोचर
मकर राशि में ग्रहों की विशेष स्थिति देखने को मिल रही है। वर्तमान समय में मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बनी हुई है। मकर राशि के स्वामी शनि देव है. जो वर्तमान समय में मकर राशि में ही विराजमान हैं। जहां पर वे बुध और सूर्य के साथ युति बना रहे है। 2022 में बसंत पंचमी पर तीन ग्रहों की युति मकर राशि में बनी हुई है।

इन 5 राशियों पर शनि की विशेष दृष्टि है
वर्तमान समय में मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। जबकि धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। 5 राशियों पर शनि की विशेष दृष्टि है। जिन लोगों को शनि देव अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं। उनके लिए 5 फरवरी का दिन विशेष है। इस दिन शनि देव और माता सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को शिक्षा में आने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। ज्योतिष शास्त्र में सरस्वती जी को ज्ञान देवी और शनि देव को परिश्रम का कारक माना गया है।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि का आरंभ- 05 फरवरी 2022, शनिवार को प्रातः काल 3 बजकर 47 मिनट से।
पंचमी तिथि का समापन- 6 फरवरी 2022, रविवार को प्रातः काल 3 बजकर 46 मिनट पर।

बसंत पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माता सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट है। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाएगा. यह पूजा के लिए अच्छा समय है। वहीं, इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल सुबह 09 बजकर 51 मिनट से दिन में 11 बजकर 13 मिनट तक है।

कांग्रेस नेता के वीडियों वायरल होने पर कांग्रेस पर हमलावर हुई भाजपा

उत्तराखंड की राजनीति फिर से हिंदू मुस्लिम की धुरी पर घूमती दिख रही है। सोशल मीडिया पर इन दिनों कांग्रेस नेता अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमे वो कह रहे हैं कि मेरी हरीश रावत व पार्टी हाईकमान से बात हो गई है। उन्होंने सरकार बनने पर सहसपुर में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने का भरोसा दिया है। बीजेपी ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लपका है और कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति के आरोप लगाए हैं। बीजेपी वोटरों से कह रही है, आप तय कीजिए उत्तराखंड के लिए कौन सही है, देवप्रयाग में संस्कृति यूनिवर्सिटी बनाने वाले, या मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने वाले।
दरअसल कांग्रेस नेता अकील अहमद सहसुपर से टिकट चाहते थे। लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बागी रुख अपना लिया। कांग्रेस ने उन्हें समझाया, मनाया और एडजस्ट करते हुए पार्टी में उपाध्यक्ष का पद दे दिया। लेकिन इस बीच जब अकील मीडिया के सामने अपनी बात रखी तो उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना होगी। अकील अहमद कह रहे हैं कि उनकी हरीश रावत से समझौता इसी बात पर हुआ है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनेगी। जिसमें मुस्लिम बच्चे पढ़ सकें और शिक्षित हो सकें। आगे अकील अहमद कह रहे हैं कि हरीश रावत ने उनसे कहा है कि अगर वो मुख्यमंत्री बनते हैं, तो सारे काम होंगे।
अकील के इस बयान को बीजेपी ने सोशल मीडिया पर उठाकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है। बीजेपी की सोशल मीडिया टीम से जुड़े लोग इस वीडियो के जरिए उत्तराखंड की जनता को आगाह कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस को वोट दिया तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनेगी। लिहाजा बीजेपी को वोट दें तो संस्कृत यूनिवर्सिटी बना रही है। बीजेपी कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है।

शूटिंग करने मसूरी पहुंचे अक्षय कुमार, प्रशंसक उमड़े

बॉलीव़ुड अभिनेता अक्षय कुमार अपनी आने वाले फिल्म की शूटिंग के लिए पहाड़ों की रानी मसूरी पहुंचे। मंगलवार को उन्होंने मसूरी के बारलोगंज शूटिंग की। शहर में अक्षय कुमार के पहुंचने की खबर सुनते ही उन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गए।
लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फिल्म यूनिट के सुरक्षा कर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं शूटिंग स्थल से मीडिया कर्मियों को भी दूर रखा गया। बड़ी संख्या में बारलोगंज पहुंचे अक्षय कुमार के फैंस अपने चहेते अभिनेता से नहीं मिल पाए, जिससे उनके फैंस निराश हो गए। मसूरी के बारलोगंज के मुख्य बाजार और सेंट जार्ज कॉलेज के अंदर फिल्म के कई दृश्य फिल्माए गए। फिल्म में लीड रोल में अक्षय कुमार और अभिनेत्री रकुलप्रीत सिंह हैं। मसूरी में फिल्म की शूटिंग चार दिन तक चलेगी। सेंट जार्ज कॉलेज में शूटिंग की सूचना मिलते ही कॉलेज के गेट के बाहर बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने के लिए पहुंच गए। लेकिन भारी सुरक्षा के कारण प्रशंसक अपने अभिनेता के नजदीक नहीं पहुंच पाए।
प्राइवेट सुरक्षा गार्ड और बाउंसरों ने लोगों के मोबाइल से भी फोटो नहीं खींचने दी। कई बार फोटो खिंचने पर बाउंसरों की लोगों के साथ तीखी नोक-झोंक भी हुई।

योगेश जोशी के सोशल ग्रुप का लोगों को मिल रहा फायदा

जैसा कि आज के समय मे सोशियल मीडिया का प्रयोग करना हमारी दिनचर्या बन गयी है पर उसमे से कुछ बिरले लोग इसका सही सदुपयोग कर के लोगो के लिए लाभदायक बना रहे है। ऐसे ही मिसाल पेश की है योगेश जोशी जो मूलरूप से ग्राम अमस्यारी (गरुड़) जिला बागेश्वर तथा वर्तमान में हल्द्वानी में रहते है। इन्होंने 5 वर्ष पूर्व फेसबुक व व्हाट्सअप में ’कुमाउनी रिश्ते’ नाम से एक ग्रुप बनाया जिसका मुख्य उद्देश्य है निशुल्क रूप से विवाह हेतु जीवन साथी की तलाश करना है।

क्योंकि आज समाज मे सबसे बड़ी समस्या है कि जब बच्चे विवाह के लायक हो जाते है तो अभिभावकों को रिश्ते तलाशने में बहुत सी परेशानी आती है पहले के समय तो रिश्तेदारी में ही आसानी से रिश्ते मिल जाते थे पर आज स्थिति कुछ अलग है तो इस कारण अभिभावकगण रिश्तों की तलाश के लिए मैरिज ब्यूरो, विवाह से जुड़ी वैबसाइडो या अन्य साधनों से रिश्ते ढूढते है जिस कारण उनका समय व धन खर्च होता है और कई बार ठगी के शिकार भी हो जाते है। इसी को ध्यान में रखकर योगेश जोशी ने फेसबुक व व्हाट्सअप में कुमाउनी रिश्ते नाम का ग्रुप बनाया जो कि वैवाहिक रिश्ते कराने में एक विशाल मंच का रूप ले रहा है तथा लोगो को घर बैठे आसानी से रिश्ते तलाशने में सहायता मिल रही है।
इस ग्रुप में अभी तक 23 हजार से अधिक लोग जुड़े है तथा 160 से अधिक वैवाहिक रिश्ते इस मंच द्वारा तय हो चुके है। वैवाहिक रिश्ते के अलावा इस ग्रुप में समय रहते लोगो को व्रत, पर्व, त्योहारों की जानकारी, जन्मकुंडली मिलान से संबधित विषय मे जानकारी, विवाह आदि शुभकर्मों में मुहूर्त का महत्व व आज लोगो द्वारा मुहूर्त की अनदेखी करना तथा विवाह में स्वागत द्वार पर रिबन काटने जैसी कुप्रथा का विरोध आदि विषयों पर अपने लेख द्वारा लोगो को जागरूक करने की कोशिश की है।

नेताजी का योगदान देश कभी नही भूल सकता-सीएम

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आजादी के महानायक क्रांतिकारी व आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125 वीं जयंती पर उनका भाव पूर्ण स्मरण किया। उन्होंने कहा कि नेता जी को श्रद्धांजलि देने के क्रम में आज दिल्ली इण्डिया गेट पर मोदी सरकार के नेता जी की आभासी प्रतिमा अनावरण को ऐतिहासिक कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का देश को आजादी में दिलाने में दिए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। अंग्रेज़ों के क्रूर शासन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की निडर देशभक्ति ने अधीन भारतीयों में सोये विश्वास को जगाया। विलक्षण प्रतिभा के धनी नेताजी ने युवाओं में आजादी की क्रांति की ज्वाला जगाकर व निर्भीक होकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा दी। नेता जी के तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, व जय हिन्द जैसे नारों ने पूरे देश में आजादी की क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश में देश के अंदर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सबसे बड़ी मूर्ति व म्यूजियम भाजपा सरकार ने गुजरात में बनाई है। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

नेताजी की जयंती पर क्रेजी फेडरेशन संस्था के सदस्यों ने दी श्रद्धांजलि

क्रेजी फेडरेशन संस्था की ओर से आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें संस्था के सदस्यों ने नेताजी के चित्र पर पुष्प अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
रविवार को मुनिकीरेती स्थित ओंकारानंद इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट आफ टैक्नोलॉजी संस्थान में क्रेजी फेडरेशन अध्यक्ष मनीष डिमरी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र समक्ष दीप जलाया और पुष्प अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद सभी सदस्यों ने नेताजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्रेजी फेडरेशन अध्यक्ष मनीष डिमरी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वह अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे, इसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया था। अपनी अंतिम सांसों तक नेताजी देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। बताया कि प्रतिवर्ष नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के मौके पर क्रेजी फेडरेशन की ओर से पर्यटन एवं विकास मेला आयोजित किया जाता है, मगर कोविड-19 से क्षेत्र के बचाव एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष मेला आयोजित नहीं किया गया है।
मौके पर सभासद मनोज बिष्ट, ओआईएमटी के मैनेजर प्रमोद उनियाल, सतीश चमोली, जगवीर नेगी, कैलाश जोशी, सितिन शर्मा, जितेंद्र रावत, विनोद लेखवार, जितेंद्र सिंह सजवाण आदि उपस्थित थे।

विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को विशिष्ट पहचान दिलाई

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर अभाविप के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य राजेंद्र पांडे के द्वारा स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के आदर्श रहे हैं क्योंकि उन्होंने भारत के वेदों साहित्य और हिंदू धर्म का बहुत गहन अध्ययन कर उसका प्रचार प्रसार विदेशों तक किया। भारतवर्ष की महानता को संपूर्ण विश्व में प्रकाशित किया। इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष एबीवीपी प्रवीन रावत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को उठो जागो और तब तक लक्ष्य ना मिल जाए तब तक कर्म करते रहो सफलता अवश्य मिलेगी की प्रेरणा दी। साथ ही स्वामी विवेकानंद बहुत अल्प समय में संपूर्ण विश्व में भारतवर्ष को वह पहचान दिला गए जो आज तक भी धूमिल नहीं पड़ी है।
इस अवसर पर प्रांत मंत्री काजल थापा ने कहा कि इस तरह की गोष्ठियों के द्वारा महापुरुषों के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाता है और एक उत्कृष्ट समाज के निर्माण में भी सहायता मिलती है।
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एवं जिला प्रमुख विवेक शर्मा ने कहा कि हम जल्द ही एक ऐसी मुहिम चलाएंगे जिससे प्रत्येक युवा को स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से रूबरू कराया जाएगा क्योंकि हमारा युवा विवेकानंद के विचारों को सबसे ज्यादा पसंद करता है जिसके लिए संगठन को कार्य करना होगा। इस अवसर पर विभाग प्रमुख अमित गांधी, विनोद चौहान प्रांत खेल प्रमुख, प्राची सेमवाल, वीरेंद्र चौबे, अंकुर अग्रवाल सहित एबीवीपी के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

उत्तरायणी का त्योहार और मकर सक्रांति का पर्व हिन्दुओं के लिए है महत्वपूर्ण

उत्तराखंड में हर तीज-त्योहार का अपना अलग ही उल्लास है। यहां शायद ही ऐसा कोई पर्व होगा, जो जीवन से न जोड़ता हो। ये पर्व-त्योहार उत्तराखण्डी संस्कृति के प्रतिनिधि भी हैं और संस्कारों के प्रतिबिंब भी। हम ऐसे ही अनूठे पर्व ‘मकरैंण’ से आपका परिचय करा रहे हैं। यह पर्व गढ़वाल, कुमाऊं व जौनसार में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति का त्यौहार उत्तराखण्ड में उत्तरायणी, उत्तरैण आदि नामों से जाना जाता है। उत्तरायणी शब्द उत्तरायण से बना है। उत्तरायण मतलब जब सूर्य उत्तर की ओर जाना शुरू होता है। दरअसल, त्योहार एवं उत्सव देवभूमि के संस्कारों में रचे-बसे हैं। पहाड़ की ‘पहाड़’ जैसी जीवन शैली में वर्षभर किसी न किसी बहाने आने वाले ये पर्व-त्योहार अपने साथ उल्लास एवं उमंगों का खजाना लेकर भी आते हैं।
हिन्दुओं के सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक मकर सक्रांति भी है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। साल 1982 में उत्थान मंच में उत्तरायणी मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। चार दशक बाद भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे “संक्रांति” कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे “पोंगल पर्व” के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं असम में “बिहू पर्व” के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर कुमाऊ क्षेत्र के बागेश्वर जिले में प्रसिद्ध उत्तरायणी कौथिक (मेला) का आयोजन किया जाता है। यह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आयोजित सबसे बड़े मेलों में से एक है और हर साल 14 जनवरी को आयोजित होने वाले मकर संक्रांति उत्सव के दौरान मनाया जाता है। उत्तरायणी महोत्सव उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में मनाया जाता है। मेले में आने वाले देश-विदेश के पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के साथ मनोरंजन का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकते हैं और राज्य के हस्तनिर्मित शिल्प खरीद सकते हैं। भारत में सबसे लोकप्रिय मेलों में से एक के रूप में जाना जाता है, उत्तरायणी मेला बागेश्वर में शुरू हुआ, लेकिन अब उत्तराखंड के अंदर और बाहर विभिन्न शहरों में फैल गया है। यह त्योहार स्थानीय लोगों के लिए अपनी संस्कृति, विरासत, नृत्य और संगीत को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

यह है घुघुति की कथा
एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी तो मंत्री हर वक्त इस षड्यंत्र में रहता था कि राजा के बाद राज्य उसे मिल जाए। लेकिन एक संत के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। प्रसन्न होकर रानी मां बेटे को एक माला पहना दी। युवराज थोड़ा बड़ा हुआ और खेलने-कूदने लगा। उसे ये माला बहुत प्रिय थी। रानी अपने बेटे को प्यार से घुघुतिया कहकर बुलाती थी। जब राजकुमार शैतानी करता तो वह कहती कि तंग मत कर नहीं तो तेरी माला कौंवे को दे दूंगी।
फिर वह कहने लगती, काले कौंवा काले घुघुति माला खा ले। यह सुनकर बहुत से कौंवे आ जाते थे। रानी मां उनके लिए भी रोटी और दाने डाल देती। धीरे-धीरे वे कौंवे राजकुमार के मित्र बन गए। उधर मंत्री का षड्यंत्र जारी था। एक दिन उसने राजकुमार का अपहरण कर लिया। जब मंत्री के साथी राजकुमार को लेकर जंगल जा रहे थे तो उसके रोने की आवाज सुनकर बहुत से कौवे आ गए। उन्होंने उसकी घुघती माला पहचान ली और गले से झपट कर उड़ गए। तभी से उत्तराखंड में घुघुती माला बनाए जाने की पंरपरा चल पड़ी। बच्चे घुघुती की बनी माला गले में डाल लेते हैं और कौवों को बुलाते हैं। काले कौवा काले घुघुति माला खा ले। उत्तराखंड की वादियों में ये आवाज आज भी गूंज रही है।

उत्तरायणी का त्यौहार जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सदैव कर्म के पथ पर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है। यह पावन पर्व मांगलिक कार्यों के शुभारम्भ से भी जुड़ा है। भगवान सूर्य की आराधना का यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है। कोरोना काल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पर्व मनाएं। शासन व प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं।
-दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन

श्रीमद्भागवत कथा कभी सम्पूर्ण नही होती, विश्राम के बाद दूसरे स्थान में शुरु हो जाती है-व्यास

गुमानीवाला कैनाल रोड़ गली नम्बर 6 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ विधिविधान एवं शांति पूर्वक सम्पन्न हो गयी। इस अवसर पर कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप आचार्य ने कहा कि प्रभु नाम संकीर्तन कथाएं कभी सम्पूर्ण नहीं होती बस स्थान परिवर्तन होता है। इसलिए कथा विश्राम लेती हैं। कथा विश्राम के अवसर पर ग्रामीणों ने कथा व्यास सहित कथा में सम्मिलि आचार्यों का अंग वस्त्र भेंटकर सम्मान किया।
कथा विश्राम के बाद भव्य भण्डारे का आयोजन किया गया। कथा के समापन पर ग्रामीणों ने राष्ट्रीय कथा वक्ता कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल को सम्मानित कर राज्य के वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ के साथ विदाई दी।
इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान, आचार्य दिल मणि पैन्यूली, दर्शन लाल सेमवाल, दिनेश खण्डूरी, शिव प्रसाद सेमवाल, आचार्य महेश पन्त, उदय पैन्यूली, जगदीश नौटियाल, प्रमोद चौहान, धनी राम नौटियाल, नंद लाल यादव, रोशन लाल बेलवाल, विजय राम जोशी, पुष्कर सिंह रावत, मंगला देवी नौटियाल, अनुराधा, रेखा सिलस्वाल, शोभा नेगी, मंगसिरी रावत, सविता रतूड़ी, शिवि रतूड़ी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।