उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर सीएम से चर्चा

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में डीआरडीओ के चेयरमैन डॉक्टर सतीश रेड्डी ने मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर चर्चा हुई। हाल में भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 101 रक्षा उपकरणों के विदेशी आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है, ऐसे में उत्तराखंड में रक्षा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
इस दौरान डीआरडीओ की लैब को उत्तराखंड में उद्योगों से जोड़ने एवं सीमांत इलाकों में खेती किसानी से जोड़ने पर भी चर्चा हुई। प्रदेश के युवाओं को डीआरडीओ में प्रशिक्षण देने एवं इंजीनियरिंग के छात्रों को डीआरडीओ की देहरादून स्थित आईआरडीए समेत कई लैब में इंटर्नशिप कराने पर भी सहमति बनी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पवार एवं डीआरडीओ प्रमुख के प्रौद्यागिक सलाहकार संजीव जोशी भी उपस्थित थे।

कामयाबी, करोड़ो रुपये के खर्च को बचाते हुए निगम ने किया करार

धार्मिक और पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखने वाले ऋषिकेश को एक बड़ी कामयाबी मिली है। नगर निगम क्षेत्र के अन्र्तगत निगम ने प्लास्टिक के कूड़े का निस्तारण करने की जो योजना बनाई है। अगर वह साकार होती है तो स्वच्छता के क्षेत्र में यह कियी क्रांति से कम नही होगा। नगर निगम प्रशासन ने इसका खाका तैयार कर लिया है।
महापौर अनिता ममगाई ने बताया कि शहर में प्लास्टिक कूड़े के निस्तारण के लिए निगम और जीआईजेड कंपनी के बीच करार हुआ है। महापौर ने बताया प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए सहायक नगर आयुक्त विनोद लाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि विदेशी तकनीक पर आधारित इस करोड़ों रुपए की योजना में प्लास्टिक कूड़े के निस्तारण के लिए निगम को एक रुपये का खर्चा भी नहीं करना पड़ेगा। करार करने वाली कंपनी ही लागत वहन करेगी।

महापौर ने बताया कि यह कंपनी जीआईजैड कम्पनी प्लास्टिक से उत्पन्न कूड़े को कम करने के संबंध में सहयोग करेगी। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का नाम है ’’अविरल’’ है जो गंगा नदी में या उसके आसपास प्लास्टिक वेस्ट को कम करता है। महापौर की माने तो यह एक मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी एमआरएफ ऋषिकेश में बनाएगी। जिससे प्लास्टिक कूड़ा शहर से कम होगा। इसके लिए निगम द्वारा गठित टीमों के माध्यम से शहरवासियों को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान और इसके इस्तेमाल को कम करने के लिए अलग-अलग कार्यक्रमों के द्वारा बताया जाएगा।
सहायक नगर आयुक्त व नोडल अधिकारी विनोद लाल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट 2 वर्ष चलेगा। जिसमें गोविंद नगर स्थित टंचिग ग्राउंड पर मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी प्लांट 1500 स्क्वायर मीटर में बनेगा। जिसमें 5 मेट्रिक टन का प्लास्टिक वेस्ट का हर दिन निस्तारण किया जायेगा।

बिना पंजीकरण के राज्य में नही मिलेगा प्रवेश

गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से अनलॉक-4 की गाइडलाइन जारी होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी प्रदेश में आने वाले लोगों की प्रति दिन 2000 लोगों की सीमा का प्रतिबंध हटा दिया है। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी की वेबसाइट http://dsclservices-org-in/apply-php पर पंजीकरण कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्यों को केंद्र की अनुमति के बिना कंटेनमेंट जोन से बाहर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं होगा। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रति 2000 लोगों को ही आने की अनुमति थी। इसके साथ ही जिलाधिकारियों को अतिरिक्त 50 पास जारी करने को कहा गया था। 
केंद्र की एसओपी के जारी होने के तुरंत बाद ही आपदा प्रबंधन एंव पुनर्वास विभाग के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने दो अलग-अलग आदेश जारी किए। पहले आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया कि प्रदेश में आने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर कोई रोकटोक नहीं होगी। दूसरे आदेश में यह जोर देकर कहा गया कि राज्य में बाहर से आने वाले लोगों को स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। खास बात यह भी है कि बॉर्डर चेक पोस्ट पर पंजीकरण दस्तावेज दिखाने की शर्त को नहीं हटाया गया है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अधिकृत लैब से ही कराना होगा। 
इस आदेश को जारी करते हुए प्रदेश सरकार ने चार अगस्त को जारी गाइडलाइन को अतिक्रमित नहीं किया है। चार अगस्त की गाइडलाइन के दो प्रावधानों को ही छेड़ा है। ऐसे में कोविड लोड वाले शहरों से आने वालों को आरटीपीसीआर टेस्ट कराना होगा। इसी तरह से क्वारंटीन होने के पहले के नियम ही प्रभावी माने जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ समय पहले ही राज्यों से कहा था कि स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंध समाप्त करें। संक्रमण को बढ़ता देखते हुए प्रदेश सरकार दो हजार का प्रतिबंध हटाने के पक्ष में नहीं थी। 22 अगस्त के केंद्र सरकार के पत्र ने इस स्थिति का बदल दिया। अनलॉक-4 गाइडलाइन में एमएचए ने स्पष्ट कहा कि कोई स्थानीय प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
आपदा प्रबंधन के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन भी प्रदेश में पूरी तरह से लागू होगी। उसी के अनुरूप यह फैसला भी किया गया है। पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है और इसके पीछे कारण यह है कि प्रदेश में बाहर से आने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो आसानी से संपर्कों की तलाश की जा सके। दो हजार की सीमा खत्म कर दी गई है। एमएचए की गाइड लाइन के अनुरूप ही यह नियम लागू होंगे।
 

सरकार ला रही नजूल नीति, 1.50 लाख लोगों को मिल सकती है राहत

राज्य सरकार नजूल भूमि पर काबिज लोगों को बड़ी राहत देने जा रही है। सरकार जल्द ही नजूल नीति लाने जा रही है। शासन स्तर पर नीति लाने को लेकर कसरत शुरू हो गई है। 2009 की नजूल नीति के तहत सरकार ने लीज और कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया आरंभ की थी, लेकिन मामला न्यायालय में चला गया था। तब से सरकार नई नजूल नीति को लेकर असमंजस में रही।
अब त्रिवेन्द्र सरकार नजूल नीति को लाने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नजूल नीति लाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी विधिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नजूल नीति का प्रस्ताव तैयार कर रही है। वर्तमान में सरकार नजूल की भूमि केवल सरकारी कार्यों के लिए ही आवंटित कर सकती है। मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि हम जल्द ही नई नजूल नीति लाने जा रहे हैं। इससे लोगों को राहत मिलेगी। सरकारी भूमि का उपयोग भी हो सकेगा। अधिकारियों को नीति का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं सचिव आवास शैलेश बगौली ने बताया कि नजूल नीति लाने के निर्देश प्राप्त हुए हैं, इस पर कार्यवाही चल रही है। इसके सभी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। 
वहीं, सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को नजूल नीति को तैयार करते समय सभी विधिक और कानूनी पहलुओं का गहराई से अध्ययन करने को कहा है। सरकार की मंशा है कि नीति इतनी प्रभावी हो कि उसे न्यायालय में चुनौती न दी जा सके। बता दें कि देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है। इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं।
सरकार नजूल नीति के तहत इस भूमि को फ्री होल्ड कराना चाहती है। वहीं पूर्व में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी नजूल नीति लाने को लेकर मुख्यमंत्री से सिफारिश कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जिस तरह दिल्ली में कब्जेदारों को राहत दी गई, उसी तरह नजूल भूमि को फ्री होल्ड किया जा सकता है।

अब निजी अस्पताल भी कर सकेंगे कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज

राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने की छूट दे दी है। अब निजी चिकित्सा विश्वविद्यालय और कॉलेज से संबद्ध अस्पताल भी संक्रमित मरीज का इलाज कर सकेंगे। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 
प्रदेश सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 21 अगस्त को गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन प्रदेश में नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों को ही कोरोना मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी गई थी। प्रदेश में एनएबीएच से मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों की संख्या मात्र तीन है। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी की ओर से जारी आदेश के अनुसार निजी चिकित्सा विश्वविद्यालय और कॉलेजों से संबद्ध निजी अस्पतालों को भी कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज करने की अनुमति दे दी गई है।
अस्पतालों को वास्तविक और न्यूनतम दरों पर ही कोरोना मरीज का इलाज करना होगा। वहीं, केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। सरकार की ओर से दी गई छूट से अब प्रदेश में कई निजी अस्पताल कोरोना मरीज का इलाज कर सकेंगे।

पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को रावत का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में हैं।
सोशल मीडिया में पुरानी पेंशन योजना के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट किया कि वर्ष 1999 में कर्मचारी अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। भाजपा के चुनाव जीतने के बाद वाजपेयी सरकार ने पब्लिक सेक्टर की इकाइयों को निजी पूंजीपतियों को बेचना शुरू कर दिया। तात्कालिक पेंशन योजना के स्थान पर एक नई पेंशन योजना लेकर आए। आज केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी तड़प रहे हैं। रावत के मुताबिक 2019 में भी उन्होंने हल्द्वानी में एक सभा में कहा था कि मोदी के मोहनास्त्र में फंसकर हमें न नकारें। पूर्व सीएम हरीश रावत का ये भी कहना है कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में खडे हैं।

भगत के कोरोना संक्रमित होने से नेता, कार्यकर्ता और पत्रकारों में चिंतित

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कोरोना संक्रमित हुए हैं। उन्होंने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया पर साझा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने पिछले सप्ताह उनके संपर्क में आए सभी पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से कोरोना टेस्ट करवाने की अपील भी की है। बता दें कि बंशीधर भगत के बेटे विकास भगत की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।
सूत्रों के अनुसार, विकास भगत को तीन दिन से बुखार था। उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में प्राइवेट रूम में भर्ती किया गया। उनका सैंपल जांच को भेजा गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। विकास भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ ही विधायक प्रतिनिधि भी हैं। एसटीएच के एमएस डॉ. जोशी ने बताया कि विकास भगत की हालत ठीक है।
वहीं अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बंशीधर भगत व उनके बेटे की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन सभी लोगों में चिंता है जो उनके गृह प्रवेश की पार्टी में शामिल हुए थे। भगत ने 21 अगस्त को यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास में गृह प्रवेश पर सहभोज का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में उनके बेटे भी थे। हालांकि कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था। सभी अतिथि आयोजन में मास्क लगाकर पहुंचे थे। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सरकार के कुछ मंत्री और पत्रकार भी मौजूद थे। इतना ही नहीं राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार, पार्टी के प्रदेश महामंत्री, प्रदेश मीडिया प्रभारी व कई अन्य नेताओं ने कार्यक्रम में शिरकत की थी।
इसके बाद भगत ने 24 अगस्त को मीडिया कर्मियों को सहभोज के लिए आमंत्रित किया था। इसी आयोजन के दौरान उन्होंने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पार्टी में वापसी कराई थी।

महापौर के आश्वासन पर माने आंदोलनकारी

शिवाजी नगर घर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा धरना महापौर अनिता ममगाई के आश्वासन के बाद समाप्त हो गया। धरने पर बैठी मात्रृ शक्ति एवं तमाम आंदोलनकारियों ने धरने को समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महापौर का आभार जताया। साथ ही विश्वास जताया कि विकास की राह में उन्हें अब अपने आशियानों से वंचित नही होना पड़ेगा।
अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए महापौर अनिता ममगाई ने शिवाजी नगर घर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे लोगों से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि नमामि गंगे योजना के नाले टेपिंग योजना को क्षेत्रवासियों के लिए नुकसान की योजना नही बनने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति तिनका-तिनका जोड़कर घर बनाता है। योजना से प्रभावित लोगों के घर ना उजड़े इसके लिए उन्होंने कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के अधिकारियों से बात की है।
महापौर ने निर्देश दिये कि योजना को मूर्त रूप देने के लिए एडवांस से एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जाये ताकि नुकसान कम से कम हो जिसकी जद में आने वाले लोग इसे बर्दाश्त कर सके। महापौर की पहल और आश्वासन पर धरना दे रहे आंदोलनकारियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। इस दौरान पार्षद जयेश राणा, पार्षद विजेंद्र मोघा, पार्षद विजय बडोनी, पार्षद लव कांबोज, पार्षद गुरविंदर सिंह, सुभाष वाल्मीकि, सुरेंद्र सुमन आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

उपनल कर्मचारियों की काम पर होगी वापसी, सीएस ने दिया आश्वासन

राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थानों में लंबे समय से कार्य कर रहे उपनल के आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किए जाने को लेकर प्रदेश सरकार हिमाचल की तर्ज पर नियमावली बनायेगी। प्रदेश सरकार ने हिमाचल सरकार में लागू नियमावली मंगाई है, जिसका अध्ययन करने के बाद एक प्रस्ताव तैयार होगा और इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। यह आश्वासन मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने उपनल कर्मचारियों के समर्थन में आये प्रतिनिधिमंडल को दिया। 
बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद के नेतृत्व एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि प्रदेश में करीब 20 हजार उपनल कर्मचारी आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे हैं। वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। न्यायालय से भी उनके चरणबद्ध नियमितीकरण का आदेश हो चुका है। उन्हें नियमित करने पर विचार होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। हिमाचल में लागू नियमावली को मंगाया गया है। नियमावली का अध्ययन करने के बाद सरकार नियमावली का प्रस्ताव तैयार करके कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करेगी। दोनों विधायकों ने उपनल कर्मियों का वेतन बढ़ाये जाने पर सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपनल की महिला कार्मिकों को (सीसीएल) बाल्य देखभाल अवकाश तथा पितृत्व अवकाश देने का अनुरोध किया। 
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को उन उपनल कर्मचारियों के नामों की सूची भी सौंपी, जिन्हें नौकरियों से हटाया गया है। सीएस ओम प्रकाश ने आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार के शासनादेश के तहत हटाए गए उपनल कर्मचारियों को वापस लिया जा रहा है।
वहीं, प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव सैनिक कल्याण राधा रतूड़ी से भी मुलाकात की। उनसे शिकायत की गई कि 10 अगस्त के आदेश के बाद भी विभाग हटाए गए कर्मचारियों की बहाली नहीं कर रहे हैं। एसीएस ने कहा कि शासनादेश का कड़ाई से पालन कराने को लेकर जल्द ही विभागाध्यक्ष को एक पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों ने एसीएस को उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति उपलब्ध कराई। 

बाल आयोग ने लिया संज्ञान, व्हाट्सअप माध्यम को नही माना ऑनलाइन क्लास

बाल आयोग की ओर से अभिभावक, स्कूल प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के वेबीनार में प्राइवेट स्कूलों की ट्यूशन फीस को लेकर मनमानी के साथ ही ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर व्हाट्सअप से पढ़ाने का मामला सामने आया है। आयोग की ओर से इस पर मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
वेबीनार में अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर बच्चों को व्हाट्सअप के माध्यम से पढ़ा रहे हैं। वहीं, स्कूल की ओर से 4 दिन के भीतर परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 
वेबीनार में ये शिकायतें भी आईं
– हरिद्वार के एक अभिाभवक ने बताया कि उनके स्कूल की ओर से उन्हें आधी तनख्वाह दी जा रही है।
– हरिद्वार के एक अभिभावक ने कहा कि उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास नहीं पढ़ पा रहा है और ना ही स्कूल द्वारा उसे पढ़ाया जा रहा है, इसलिए वह स्कूल से टीसी लेना चाहते हैं, लेकिन स्कूल टीसी नहीं दे रहा है।
– एक अन्य अभिभावक ने बताया कि स्कूल द्वारा रीएडमिशन के नाम पर 25 से 30 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष ने संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
– बैठक में एक विद्यालय के शिक्षकों द्वारा बताया गया कि उनके स्कूल प्रबंधन की ओर से उनके वेतन में भारी कटौती कर दी गई है, इसके अलावा पिछले 7 महीने से उन्हें वेतन भी नहीं दिया गया। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष ने जांच कराकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
– कई अभिभावकों ने कहा कि प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस से अधिक फीस वसूल रहे हैं। 
– अधिवक्ता पुनीत कंसल ने बताया कि अभिभावकों की समस्या के आधार पर उनके द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखा गया था, जिस पर स्कूल की फीस का निर्धारण 500 से 700 किया गया। आयोग की अध्यक्ष ने अधिवक्ता से पत्र उपलब्ध कराने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि वह पत्र उपलब्ध कराया जाए, उसका संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों को स्कूलों को ट्यूशन फीस देनी चाहिए। जबकि जो अभिभावक किसी कारण से फीस देने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें स्कूलों के प्रिंसिपल को इस संबंध में प्रार्थना पत्र देना चाहिए। मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार आनंद भारद्वाज ने कहा कि आरटीई के तहत अब तक स्कूलों को 9 करोड़ का भुगतान किया गया है। वहीं, अधिक फीस मामले में स्कूलों पर एक लाख रुपये का जुर्माना किया जा रहा है। बैठक में शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।