सभी मेडिकल कॉलेज में होगी कैथ लैब की स्थापना-धामी

राज्य के जिन मेडिकल कॉलेजों में कैथ लैब नहीं हैं, उन सभी मेडिकल कॉलेजों में कैथ लैब बनाये जायेंगे। राज्य के सभी चिकित्सा इकाइयों में एमआरआई, सिटी स्कैन की पूरी व्यवस्था एवं टेक्निशियन की कमी को पूरा किया जायेगा, इसमें सभी जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज सम्मिलित हैं। यह घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में जन औषधि दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 2022-23 में जन औषधि के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाले डॉ. पूनीत धमीजा, जन औषधि मित्र के रूप में श्रेष्ठ कार्य करने वाले मुकुल अग्रवाल एवं जन औषधि ज्योति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने वाली कुसुम गोयल को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को जन औषधि दिवस एवं होली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखना अत्यंत आवश्यक है, शरीर की रक्षा करना और उसे निरोगी बनाये रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। बीमारी लगने पर पहले लोगों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में जन औषधि केंद्र खोलकर लोगों को सस्ती और सुलभ दवाइयां उपलब्ध कराने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि अंतिम पंक्ति में खड़ा कोई भी व्यक्ति इलाज से वंचित न रहे, इसके लिए केंद्र तथा राज्य की सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। आज सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक कार्य कर रही है। जन औषधि योजना के अंर्तगत सरकार कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध करा रही है। इस योजना के द्वारा अभी तक 850 से ज्यादा दवाओं का मूल्य नियंत्रित किया गया है। इन केंद्रों द्वारा हमारी बहनों और बेटियों को सिर्फ एक रुपये में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जन औषधि योजना सेवा और रोजगार दोनों का एक सशक्त माध्यम बन गई है। इस योजना से सिर्फ पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी बहुत लाभ हुआ है। देशभर में एक हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र तो ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ महिलाएं ही चला रही हैं। यह योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है। इस योजना द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में, मलिन बस्तियों में, जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा पहुंचाने में मदद मिल रही है। इस योजना से फार्मा सेक्टर में संभावनाओं का एक नया आयाम भी खुला है, आज मेड इन इंडिया दवाइयों और सर्जिकल्स की मांग बढ़ी हैं और मांग बढ़ने से उत्पादकता भी बढ़ी है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उत्पन्न होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मुहिम को भी बल मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही आज लोगों को निःशुल्क इलाज के साथ ही सस्ती दवाएं मिल पा रही है। महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना आज देश भर में लाखों लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में फायदा पहुँचा रही है। प्रदेश में अभी तक आयुष्मान योजना के अंतर्गत भारत सरकार के सहयोग से, 70 हेल्थ एवं वेलनेस केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। इन सभी 70 हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों में जनसामान्य की चिकित्सा सुविधा के लिए योग, आयुर्वेद, पंचकर्म सम्बंधित सभी सेवाओं के साथ-साथ लैब टेस्टिंग जैसी सुविधाओं और जन औषधि केंद्र को भी जोड़ा गया है, ताकि लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। राज्य सरकार प्रदेश में अंत्योदय के लक्ष्य को लेकर लगातार कार्य कर रही है। राज्य में भी अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 05 लाख रूपये तक का सुरक्षा कवच दिया गया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना की नियमित समीक्षा करने को भी कहा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में जो भी जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं, उनमें सरकार द्वारा 05 लाख रूपये की सहायता दी जाती है। गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने में जन औषधि केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राज्य को अभी 400 जन औषधि केन्द्र खोलने का लक्ष्य मिला है, 225 जन औषधि केन्द्र खोले जा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य की सभी 670 न्याय पंचायतों में कोपरेटिव सोसायटी में एक-एक जन औषधि केन्द्र खोला जायेगा। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैबिनेट ने राज्य में 500 से अधिक विकलांग बच्चों को घर पर ही शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार 265 अध्यापकों की नियुक्ति करने जा रही है। राज्य के 850 अनाथ बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम से 13 हॉस्टल बनाये जा रहे हैं, जिनमें से 10 पूर्ण हो चुके हैं। इन हॉस्टल में अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा एवं रहने की व्यवस्था की गई है। हर जनपद में एक-एक डायलिसिस केन्द्र चल रहा है। राज्य में संस्थागत प्रसव में तेजी से वृद्धि हुई है, पिछले 05 सालों में संस्थागत प्रसव 37 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हुआ है। शिशु मृत्युदर में भी कमी आई है। प्रति हजार शिशु पर शिशु मृत्युदर 29 से घटकर 24 हुआ है। इसे 10 से कम लाने का लक्ष्य रखा गया है।
जन औषधि दिवस कार्यक्रम में आईं दीपा शाह ने कहा कि उन्हें पेरालसिस के ईलाज के लिए पहले 7000 रूपये दवाई लेने में लगते थे, जन औषधि केन्द्रों से उनको यह दवाई मात्र 1500 रूपये में मिलने लगी। उन्होंने इस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ लेकर वह ठीक हुई। अब वे इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को लगातार जागरूक करती हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, डॉ. कल्पना सैनी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री देंगे 824 एएनएम को नियुक्ति पत्र

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 824 ए.एन.एम. पदों की भर्ती पर लगी रोक को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के निर्णय के पश्चात सरकार शीघ्र ही चयनित अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ करने जा रही है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा कोर्ट के फैसले के पश्चात बताया गया की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ की जाएगी तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिहं रावत द्वारा रोजगार मेले के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा बताया गया कोर्ट के निर्णय के बाद शीघ्र ही चयनित 824 ए.एन.एम. प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में नियुक्ति हो जाने से प्रदेश के चिकित्सा इकाइयों में आम जनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में तेजी आएगी। ए.एन.एम. अस्पताल, स्वास्थ्य कार्यक्रमों व परियोजनाओं के अनुरुप मरीजों को सुरक्षित एवं कारगर देखभाल के लिए नियुक्त होंगे साथ ही, स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत चलाये जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी सहयोग करेंगे।
ए.एन.एम. द्वारा सही तरीके से मरीजों को इलाज का ध्यान रखना है। मरीजों को समय समय पर दवाई देना एवं उन्हें देखभाल करना है। प्रथम उपचार, नुट्रिशन, सामान्य बीमारियों का उपचार प्रदान करना व बच्चों का टिकाकरण करवाना है तथा डॉक्टर के आदेशनुसार मरीजों को दवाई देना या मरीजों को दिए गए दवाइयों को लेने के लिए प्रोत्साहित करना है साथ ही आमजनमानस में जागरुकता को बढ़ावा देने का भी कार्य ए.एन.एम. द्वारा किया जाता है।

पांच जनपदों के 38 स्वास्थ्य केन्द्रों पर संचालित की जा रही है शहरी स्वास्थ्य मिशन योजना

राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लगातार मजबूत किया जा रहा है। राज्य सरकार विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों में आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में जुटी है। इसी क्रम में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत प्रदेश के पांच जनपदों के 38 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर शहरी गरीब आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। योजना के अंतर्गत पिछले वित्तीय वर्ष में चार लाख से अधिक मरीजों को निःशुल्क उपचार दिया गया जबकि ई-संजीवनी के माध्यम से 1 लाख 16 हजार से अधिक लोगों को टेलीकांसल्टेंसी सुविधा दी गई।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि राज्य में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों की गरीब आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये दृढ संकल्पित है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार मजबूत किया जा रहा है। डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश के पांच जनपदों देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल एवं ऊधमसिंह नगर की शहरी आबादी के लिये राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य सेवाएं संचालित की जा रही है। योजना के तहत 38 शहरी प्राथमिक केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें देहरादून, हरिद्वार, रूड़की एवं हल्द्वानी में लोक निजी सहभागिता (एनजीओ) के माध्यम से प्राथमिक केन्द्र स्थापित किये गये हैं जबकि 11 प्राथमिक केन्द्र राजकीय सहभागिता से संचालित किये जा रहे हैं। इन शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक चार लाख 19 हजार 714 मरीजों का इलाज किया गया। इसके साथ ही ए.एन.सी. के लिये 23 हजार 456 गर्भवतियों का पंजीकरण कराया गया, जबकि एक लाख 72 हजार 654 विभिन्न पैथालोजी जांच की जा चुकी है। विभागीय मंत्री ने बताया कि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में भी काम कर रही हैं, जिसमें स्वास्थ्य गतिविधियों के साथ-साथ योग सत्र भी शुरू कर दिये गये हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य केन्द्रों पर ई-संजीवनी रेफरल संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत अबतक 1 लाख 16 हजार 555 टेलीकांसल्टेंसी प्रदान की जा चुकी है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 1114 महिला आरोग्य समितियां कार्यरत हैं जो शहर की मलिन बस्तियों में महिला स्वास्थ्य जागरूकता, सशक्तिकरण, आजीविका संवर्धन आदि विभिन्न गतिविधियों के संचालन में सहयोग करेंगी। विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में शहरी स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत बेहतर कार्य करने के लिये सेलमपुर, रूड़की के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को वर्ष-2022 के लिये कायाकल्प गुणवत्ता पुरस्कार भी मिल चुका है। इसी योजना के अंतर्गत भूपतवाला, जनपद हरिद्वार तथा मेहूंवाला जनपद देहरादून में 30-30 बेड के शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापित की जा रही है जिसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत यूपीएचसी में निःशुल्क डायग्नोस्टिक सेवाएं भी शुरू कर दी गई है, जिसके तहत 53 जांचों का अतिरिक्त लाभ शहरी गरीब आबादी को मिल सकेगा।

शहरी स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्य
सूबे में संचालित शहरी स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत शहरी आबादी में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की देखभाल, टीकाकरण, ए.एन.सी., पी.एन.सी की सेवाएं देना तथा परिवार कल्याण की स्थाई एवं अस्थाई विधियों हेतु पात्र दम्पतियों संदर्भित करना है। इसके अलावा अपने-अपने क्षेत्रों राष्ट्रीय कार्यक्रमों को संचालित कराना, सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर के रूप में भी संचालित करना है।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये निर्देश, आप भी जानिए…

नशीली एवं नकली दवाओं की रोकथाम के लिये प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया जायेगा। इसके साथ ही प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती का भी सत्यापन अभियान चलाया जायेगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश में नकली एवं नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिये राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। जिसके तहत प्रदेशभर में फुटकर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत 12500 से अधिक मेडिकल स्टोरों के निरीक्षण के साथ ही वहां पर तैनात फार्मासिस्टों का भी भौतिक सत्यापन किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को पूरे अप्रैल माह में विशेष अभियान के निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम-1940 एवं 1945 की नियमावली के नियम 65(2) के अंतर्गत प्रत्येक मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होने के साथ ही स्टोर पर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। इसी प्रकार थोक दवा विक्रय के लिये भी नियम 64 के तहत अनुभवी व्यक्ति को ही लाइसेंस दिये जाने का प्राविधान है। इन्हीं नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सभी पंजीकृत मेडिकल स्टोरों का मुआयना करने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 22 हजार फार्मासिस्ट पंजीकृत है, जिनमें से साढ़े बारह हजार से अधिक फार्मासिस्टों के नाम पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी किये गये हैं, जबकि एक हजार के करीब फार्मासिस्ट राजकीय सेवा में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह भी शिकायत मिलती रही है कि एक लाइसेंस पर एक से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित किये जा रहे हैं तथा उन पर पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं किये गये हैं, जो कि नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इन्हीं तथ्यों को मध्यनजर रखते हुये विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोरों का भौतिक सत्यापन कर वहां पर पंजीकृत फार्मासिस्टों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि सूबे के बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मेडिकल स्टरों पर रोजगार मिल सके।

उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली जारी करने के अधिकारियों को मिले निर्देश

पिछले आठ वर्षों से भंग चल रही स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल का शीघ्र गठन किया जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को काउंसिल की गठन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अलावा उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली को शीघ्र जारी करने के लिये भी अधिकारियों को कहा गया है। विभाग में चार धाम यात्रा एवं वीआईपी ड्यूटी के अंतर्गत पूल में रखे गये फार्मासिस्टों के 63 पदों को शीघ्र क्रियाशील किया जायेगा।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें एसोसिएशन के विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। डॉ. रावत ने बताया कि पिछले आठ वर्षों से भंग चल रही स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल का शीघ्र गठन किया जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि कांउसिल के गठन के उपंरात प्रदेश में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 का कढ़ाई से पालन किया जायेगा। शासन स्तर पर लम्बित उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली को जारी करने के लिये विभागीय अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दे दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संगठन की मांग पर चार धाम यात्रा एवं वीआईपी ड्यूटी के अंतर्गत पूल में रखे गये फार्मासिस्ट एवं चीफ फार्मासिस्ट के 63 पदों को शीघ्र क्रियाशील किया जायेगा। बैठक में फार्मासिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष फार्मासिस्ट का नाम परर्वित करते हुये फार्मेसी अधिकारी करने, चिकित्सा शिक्षा विभाग में फार्मासिस्टों के रिक्त 119 पदों के सापेक्ष स्वास्थ्य विभाग से विकल्प के आधार पर भरने, बड़े चिकित्सालयों में कार्य के आधार पर फार्मासिस्टों के पद बढ़ाने, फार्मासिस्ट संवर्ग की वरिष्ठता सूची जारी करने, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पोस्टर्माटम भत्ता दिये जाने सहित एक दर्जन मांग रखी। जिस पर विभागीय मंत्री ने अपनी सहमति जताते हुये स्वास्थ्य महानिदेशक को सभी मांगों पर प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिये।

बैठक में महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक डा. भारती राणा, अपर निदेशक डा. मीतू शाह, उप सचिव के.के. शुक्ला, सहायक निदेशक डा. जे.एस. चुफाल, डिप्लोमा फार्मासिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष जी.बी. नौटियाल, प्रदेश महामंत्री आर.एस.ऐरी, संरक्षक पी.एस. पंवार, प्रदेश कोषाध्यक्ष के.आर. आर्य, मंडलीय सचिव गढ़वाल आर.एस. रावत, प्रदेश संप्रेक्षक उर्मिला द्विवेदी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

तनाव और नींद विकारों को कम करने के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन

शनिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड स्लीप डिसऑर्डर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में तनाव और नींद विकारों को कम करने हेतु प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
गेटकीपर्स ट्रेनिंग का उद्देश्य सरकारी संगठनों में प्रशासनिक पद पर कार्यरत सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने आधीन कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों में मानिसक तनाव व स्लीप डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान कर काउंसलिंग एवं उपचार प्रदान कराया जाना है, जिससे कार्यालय में वर्क एनवायरनमेंट को बेहतर किया जा सके साथ ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्य क्षमता को बेहतर किया जा सके। साथ ही तनाव व स्लीप डिसऑर्डर के कारण भविष्य में होने वाले रोगों से भी बचाव किया जा सके।
गेटकीपर्स ट्रेनिंग में एम्स ऋषिकेश के मनोचिकित्सकों प्रोफेसर डॉ. रवि गुप्ता व एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अनिंद्या दास द्वारा आम जनमानस में तनाव के लक्षणों की पहचान कर, दुष्प्रभावों को कम करने व अत्याधिक तनाव वाले व्यक्तियों के कामकाज, व्यवहार, और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
मनोचिकित्सकों ने बताया कि मानसिक रोगियों की अधिक संख्या के उपरान्त भी मानसिक रोग की उपेक्षा की जाती है, परन्तु शारीरिक रोगों की भांति ही मानसिक रोग भी हमारे स्वास्थ्य एवं शरीर पर प्रतिकूत प्रभाव डालते हैं। चार परिवारों में से कम से कम एक परिवार के सदस्य में मानसिक विकार से ग्रस्त होने की संभावना होती है। मानसिक बीमारी व उनके लक्षणों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि तनाव ग्रसित लोगों का समयान्तर्गत उपचार किया जा सके।
मनोचिकित्सकों द्वारा परस्पर संवाद आयोजित कर प्रशनावली के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक कर उनके द्वारा तनाव व अनिद्रा से संबंधित समस्याओं के निवारण करने के तरीके साझा किये गये। उक्त सत्र में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, एन.एच.एम., उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समीति, आयुर्वेद सेवाएं उत्तराखंड, उत्तराखंड हैल्थ सिस्टम डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट व सीएमओ कार्यालय देहरादून से विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
ट्रेनिंग सत्र में एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, प्रभारी अधिकारी डॉ. फरीदुजफर, डॉ. अजय कुमार नगरकर, डॉ. पकंज सिंह, डॉ. मुकेश रॉय, आदि अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ पोषण भी मिले-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में गुरुवार को प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति की 20वीं बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ पोषण भी मिल सके इसके लिए योजना का सोशल ऑडिट के साथ ही स्थानीय लोगों से फीडबैक लेना भी आवश्यक है। उन्होंने विद्यालयों हेतु गठित निरीक्षण समितियों द्वारा अनुश्रवण सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने स्कूलों के किचन और खाने के बर्तन-थालियों आदि आवश्यक वस्तुओं के लिए कॉर्पस फंड भी बनाए जाने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए। कहा कि स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री पोषण में मिलेट्स को शामिल करते हुए झंगोरे की खीर को मिड डे मील में शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में किचन एवं स्टोर आदि की मरम्मत का कार्य शीघ्र शुरू किया जाए। कहा कि जो भवन अधिक क्षतिग्रस्त हैं, उनका प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कार्य सुनिश्चित किया जाए।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत श्रीनगर, जनपद पौड़ी गढ़वाल में अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा केंद्रीयकृत किचन के निर्माण को स्वीकृति दी गई।
इस अवसर पर विधायक सहदेव पुंडीर, सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मिलेगा पर्वतीय जनपदों को स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का लाभ-राजेश कुमार

प्रदेश के पर्वतीय जनपदों के लोगों को शीघ्र मिलेगा स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का लाभ यह बात स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ‘यू कोट, वी पे’ के माध्यम से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के हुए साझात्कार में उत्साह को देखते हुए कही।
डॉ. आर राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में प्रायरू देखा गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, दवाईयां, आधुनिक चिकित्सा उपकरण की सुविधाएँ हैं पर प्रदेश के कुछ स्थानों पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों के रिक्त पदों के कारण आमजन को पूर्णता सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा था। शीघ्र ही इन रिक्त पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति हो जाएगी, जिससे आम जन को गुणवत्ता पूर्ण उच्च स्वास्थ्य सुविधा अपने नजदीकी चिकित्सालय में मिल सकेगी ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लाभ अपने ही क्षेत्र में मिल सके।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया की प्रथम चरण में 47 स्पेशलिस्ट डॉक्टर जिसमें पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिशन, ऑर्थोपेडिक, आदि ने साझात्कार में प्रतिभाग किया गया है। शीघ्र ही ‘यू कोट, वी पे’ मॉडल का दूसरा चरण भी किया जाएगा। उन्होंने बताया चयनित डॉक्टरों की सूची तैयार कर जल्द नियुक्ति दी जाएगी जिससे की आमजन को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं का लाभ आम जनमानस तक पहुंचे-स्वास्थ्य सचिव

स्वास्थ्य सचिव डा0 आर. राजेश कुमार ने शुक्रवार को सुशीला तिवारी चिकित्सालय, मेडिकल काॅलेज तथा महिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण दौरान आर राजेश कुमार ने चिकित्सा अधिकारियों को मनोयोग से कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा आम जनमानस को सुचारू चिकित्सा उपचार मिल सके यही हमारी प्राथमिकता है।
सचिव ने कहा कि जिन चिकित्सालयों में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी है जल्द ही तैनाती की जायेगी।
स्वास्थ्य सचिव ने मेडिकल कालेज के आडिटोरियम के निरीक्षण के दौरान पाया कि कोविड 19 में दौरान डीआरडीओ द्वारा अस्थाई चिकित्सालय स्थापित किया गया था। उक्त चिकित्सालय के बैड, वैटिंलेटर, मल्टीपैरा मशीन आदि आडिटोरियम में पाये गये उन्होंने स्वास्थ्य से सम्बन्धित उपकरणों की शीघ्र से सूची बनाकर बेस चिकित्सालय पिथौरागढ, मेडिकल कालेज अल्मोडा को भेजने के निर्देश मौके पर दिये। उन्होंने प्राचार्य मेेडिकल कालेज हल्द्वानी को निर्देशित किया कि वे आपसी समन्वय बनाकर इस कार्य को पूर्ण करें। उन्होंने प्राचार्य को निर्देश दिये कि चिकित्सालय के लिए किसी भी प्रकार के उपकरण की आवश्यकता हो तो शीघ्र जनहित हेतु उसकी पूर्ति करें। उन्होंने कहा इस हेतु धन की कोई कमी नही होने दी जायेगी। उन्होने प्राचार्य से कहा कि चिकित्सालय से सम्बन्धित जो भी कार्य हों उन कार्यो कोे जिलाधिकारी के संज्ञान में लाना जरूरी है।
सचिव कुमार ने कहा कि कैंसर हास्पिटल परिसर में बनने वाले नवनिर्माण भवन की जद मे आ रहे पेड की अनुमति एवं आपत्तिों का शीघ्र निराकरण हेतु वन विभाग से कार्यवाही की जायेगी ताकि निर्माण कार्यो को समय से प्रारम्भ किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस हेतु 160 चिकित्सालय के स्टाप की स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई है। स्वास्थ्य सचिव द्वारा कैंसर चिकित्सालय के ओपीडी, के साथ ही सुशीला तिवारी चिकित्सालय मेे काॅडियोलाॅजी, जनरल वार्ड, आईसीयू, ओपीडी, डायलेशिस के साथ ही भर्ती मरीजों से रूबरू हुये तथा उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना। उनके द्वारा अटल आयुष्मान कार्ड काउन्टर का भी निरीक्षण किया गया। इसके पश्चात सचिव द्वारा महिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया। महिला चिकित्सालय मे ओपीडी, वार्ड के साथ ही मरीजों से मिले।
निरीक्षण के दौरान प्राचार्य डा0 अरूण जोशी, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 भागीरथी जोशी, प्राचार्य पिथौरागढ डा0 अरविन्द, संयुक्त निदेशक डा0 महेन्द्र कुमार, डा0 एमके पंत, जनसम्पर्क अधिकारी आलोक उप्रेती के साथ ही स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी उपस्थित रहे।

बेस अस्पताल का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सचिव ने दिए दिशा-निर्देश

जनपद भ्रमण पर आये स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बेस चिकित्सालय का निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि जल्द ही सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के लोगों को बेस चिकित्सालय का लाभ मिलेगा। सचिव ने कहा फिलहाल मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ का संचालन मेडिकल एजुकेशनल डिपार्टमेंट के माध्यम से किया जाएगा और डॉक्टरों की तैनाती बेस चिकित्सालय में की जाएगी जिनके सहयोग से चिकित्सालय का संचालन कार्य किया जाएगा। उन्होंने बेस अस्पताल में 100 अतिरिक्त बेड के का प्रबंध करने के लिए कहा। उन्होंने पेयजल निगम को सप्ताह के अंदर टेंडर फाइनल कर जल आपूर्ति का शेष कार्य को पूर्ण करने के निर्देश दिए।
प्रधानाचार्य बेस चिकित्सालय द्वारा सचिव महोदय के समक्ष विशेषज्ञ डॉक्टरों को बेस चिकित्सालय में तैनात करने की मांग की गई इसके अतिरिक्त एंबुलेंस, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड आदि भी मुहैया कराने की मांग रखी जिस पर सचिव ने प्रधानाचार्य बेस चिकित्सालय को एक सप्ताह के भीतर प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा और सीएमओ पिथौरागढ़ के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक उपकरणों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए जिसे उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके साथ ही एक सप्ताह में किए गए कार्यों की स्थिति के संबंध में वीसी के माध्यम से अवगत कराने के लिए कहा। प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ ने मेडिकल कॉलेज के निकट स्थित रेशम विभाग की 1.87 हेक्टेयर भूमि को मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ को देने की मांग रखी।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा मोस्टामानु में मेडिकल कॉलेज कैंपस के लिए चयनित लैंड का स्थलीय निरीक्षण भी किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी पिथौरागढ़ रीना जोशी, ज्वाइंट डायरेक्टर चिकित्सा शिक्षा विभाग डॉक्टर एम के पंत, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी अरुण जोशी, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा, उप जिलाधिकारी अनुराग आर्य, तहसीलदार पिथौरागढ़ आदि अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।