कर्तव्य पथ पर दिखेगी मानसखण्ड झांकी, सीएम ने किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला पर गणतंत्र दिवस-2023 परेड के लिये उत्तराखण्ड राज्य की चयनित “मानसखण्ड” की झांकी का निरीक्षण किया तथा झांकी में सम्मिलित उत्तराखण्ड के कलाकारों को कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित की जाने वाली उत्तराखण्ड की कला एवं संस्कृति के लिए अग्रिम शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने झांकी के संबंध में निर्देश दिये कि झांकी का निर्माण उच्च कोटि का किया जाय, जिसमें उत्तराखण्ड राज्य की कला एवं संस्कृति की झलक गणतंत्र दिवस परेड में देखने का मिले। गणतंत्र दिवस परेड में इस वर्ष उत्तराखण्ड की झांकी में मानसखण्ड के अंतर्गत जागेश्वर धाम, कार्बेट नेशनल पार्क तथा उत्तराखण्ड की प्रसिद्व ऐपण आर्ट को दिखाया जा रहा है।
मानसखण्ड का उल्लेख स्कन्द पुराण में वर्तमान कुमाँऊ क्षेत्र से है। राज्य सरकार गढ़वाल मण्डल में होने वाली चारधाम यात्रा की भांति मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के रूप में कुमाऊँ क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों का चिन्हीकरण करते हुए इनमें आवश्यकतानुसार अवस्थापना सुविधाएं विकसित कर रही है। इससे देशी विदेशी पर्यटकों को क्षेत्र की समृद्ध पौराणिक एवं सांस्कृतिक विरासत से परिचित भी कराया जा सकेगा, जिससे राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
इस अवसर पर स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा, उत्तराखण्ड झांकी के टीम लीडर/संयुक्त निदेशक के0 एस0 चौहान, विशेष कार्याधिकारी राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, रवि पाण्डे, गुजरात झांकी की टीम लीडर पंकज मोदी उपस्थित रहे।

24 जनवरी से पांच दिवसीय ऋषिकेश बंसतोत्सव का आगाज

पांच दिवसीय वसंतोत्सव का आगाज 24 जनवरी को ध्वजारोहण से होगा। पहले दिन साइकिल दौड़, मटकी फोड़ प्रतियोगिता होगी। 26 जनवरी को हृषिकेश नारायण भरत भगवान की डोली यात्रा निकाली जाएगी।
बुधवार को झंडा चौक स्थित भरत मंदिर सभागार में आयोजित बैठक में वसंतोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। सफल आयोजन के लिए समितियों का गठन कर जिम्मेदारी सौंपी गई। मेला संयोजक हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि 24 जनवरी को सुबह मेला परिसर में ध्वजारोहण से वसंतोत्सव का शुभारंभ होगा। हरिद्वार रोड पर लोनिवि के सामने से साइकिल दौड़ शुरू होगी। भरत मंदिर में मटकी फोड़ प्रतियोगिता और सुबह 11.30 बजे छात्र-छात्राओं का कार्यक्रम होगा। शाम को गढ़वाली सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा। 25 जनवरी गुरुवार को स्व.महंत अशोक प्रपन्नाचार्य महाराज की स्मृति में रक्तदान शिविर और शाम को समन्वय संस्था की ओर एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। 26 जनवरी को हृषिकेश नारायण भरत भगवान की डोली यात्रा निकाली जाएगी। 27 जनवरी को नगर निगम ऋषिकेश कार्यालय परिसर में दंगल प्रतियोगिता होगी। इसका समापन 28 जनवरी को होगा। 28 जनवरी को शाम को कवि सम्मेलन के साथ वसंतोत्सव का समापन होगा। मौके पर महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, वरुण शर्मा, बचन पोखरियाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, विनय उनियाल, मेजर गोविंद सिंह रावत, धीरेंद्र जोशी, रामकृपाल गौतम, भगतराम कोठारी, अशोक अग्रवाल, राजेंद्र बिष्ट, राधा रमोला, शकुंतला शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, संदीप शास्त्री, प्यारेलाल जुगरान, जयेंद्र रमोला, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, रंजन अंथवाल, डॉ. सुनील दत्त थपलियाल, मदन मोहन शर्मा, विमला रावत, प्रवीण रावत, डीबीपीएस रावत, जितेंद्र बिष्ट, धीरज चतरथ, महेश किंगर, कमला प्रसाद भट्ट, विजयलक्ष्मी शर्मा, श्रीकांत शर्मा, शकुंतला शर्मा, राधा रमोला, अशोक कुमार रस्तोगी, चंद्रशेखर, जयप्रकाश नारायण, अंजू रस्तोगी, ललित मोहन मिश्रा, राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, चेतन शर्मा, रामकृपाल गौतम, विवेक शर्मा, जितेंद्र बिष्ट, लखविंदर सिंह आदि मौजूद रहे।

टिहरी रियासत की जनक्रांति का केन्द्र रहा है झंडा चौक

हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि ऋषिकेश के झंडा चौक का इतिहास गौरवशाली है। टिहरी रियासत की जनक्रांति और पर्वतीय जिलों का ऋषिकेश प्रवेश द्वार होने के कारण झंडा चौक संपूर्ण क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र रहा है।
रविवार को मकर संक्रांति पर्व पर ऋषिकेश झंडा चौक पर नवनिर्मित झंडा स्तंभ का उद्घाटन करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद हरिद्वार रमेश पोखरियाल निशंक ने यह बात कही। कहा कि आंदोलनकारी झंडा चौक में एकत्र होकर जुलूस की शक्ल में आंदोलन में शामिल होते थे। यहां पर ध्वज फहराने की परंपरा थी। सन् 1929 में नमक सत्याग्रह में देहरादून जिले के 400 लोग जेल गए थे, जिनमें 70 संन्यासी भी थे, जो ऋषिकेश झंडा चौक से एकत्र होकर देहरादून गए थे। निशंक ने कहा कि क्रांतिकारियों का मिलन केंद्र रहा झंडा चौक किसी विश्व धरोहर से कम नहीं है। इस मौके पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, हरिनारायणचार्य, जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान, संजय शास्त्री, जगमोहन सकलानी, दीप शर्मा, विनय उनियाल, प्रतीक कालिया, मनोज पंवार, दीपक धमीजा, विकास नेगी, राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, जितेंद्र अग्रवाल, अशोक जैन, अनिकेत गुप्ता, प्रदीप दुबे, गोविंद सिंह रावत, डॉ. सुनील दत्त थपलियाल, रंजन अंथवाल, मदन मोहन शर्मा आदि उपस्थित रहे।

जोशीमठ प्रकरण पर नवीन जानकारी के साथ ही बचाव कार्यो में तेजी लाने पर जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमेटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय गंगा परिषद की दूसरी बैठक का आयोजन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कोलकाता पश्चिम बंगाल में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की द्वितीय बैठक में प्रतिभाग किया। प्रधानमंत्री ने बैठक को वर्चुअल सम्बोधित किया।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में गंगा स्वच्छता एवं निर्मलता के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2019 में गंगा को आजीविका एवं विकास से जोड़ने के उद्देश्य से जो अर्थ गंगा मॉडल के रूप में दिया गया था उसके तहत उत्तराखण्ड राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किये हैं। गंगा के मैनेजमेंट क्षेत्र में वनीकरण एवं वृक्षारोपण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में गंगा की सहायक नदियों के पुनर्जीवन हेतु नदी के किनारे पुराने बसे हुए शहरों के लिए विभिन्न विभागों के सहयोग से नदी केन्द्रित मास्टर प्लान भी बनाये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एन.एम.सी.जी.) के मार्गदर्शन में पूर्व के निर्धारित लक्ष्यों को पूर्ण करते हुए गंगा की स्वच्छता, निर्मलता एवं अविरलता को बनाये रखने की दृष्टि से कुछ अन्य परियोजनाओं के प्रस्ताव एन.एम.सी.जी. को प्रेषित किये गये हैं तथा सहायक नदियों को लेकर कुछ प्रस्ताव और भी तैयार कराये जा रहे हैं।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का हुआ समापन

श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा व्यास पूज्य वेदांती जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की मार्मिक कथा के साथ अनेक भावपूर्ण व्यवहारिक प्रसंगों का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई। इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए।

कथा समापन के दौरान पूज्य डा राम कमल वेदांती ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही। जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का नो दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

कथा के समापन के बाद महाराज ने श्री भरत मंदिर परिवार की सुख समृद्धि की कामना और कल्याण का आशीर्वाद दिया और कहा कि गोलोक वासी पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के धर्म मार्ग के संपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने का संदेश परिवार को दिया।

इस अवसर पर श्री भरत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री, दीप शर्मा, रामकृपाल गौतम आदि सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का सप्तम, लीला पुरूषोत्तम का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस गोपियों के वियोग की मार्मिक कथा का वर्णन किया।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि श्रीमद्भागवत में दशम स्कंध में गोपी गीत आता है। ये गोपी गीत भगवान कृष्ण को साक्षात् पाने का मन्त्र है। भगवान कृष्ण को पाने के जितने भी तरीके हैं या होंगे उनमे से एक गोपी गीत है। इस गोपी गीत में उन्नीस श्लोक हैं। जब भगवान शरद पूर्णिमा की रात में रास लीला का प्रारम्भ करते है तो कुछ समय बाद गोपियों को मान हो जाता है कि इस जगत में हमारा भाग्य ही सबसे श्रेष्ठ है भगवान उनके मन की बात समझकर बीच रास से अंतर्ध्यान हो जाते है,व्यक्ति केवल दो ही जगह जा सकता है, एक है संसार और दूसरा है आध्यात्म या भगवान।

उन्होंने कहा कि जैसे ही भगवान से हटकर गोपियों का मन अपने ही भाग्य पर चला गया यहाँ भगवान बता रहे है कि जैसे ही भक्त मुझसे मन हटाता है वैसे ही मै चला जाता हूँ।

सप्तम दिवस की पावन पवित्र कथा मे उत्तराखंड सरकार मे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पूज्य गुरु मां आनंदमई, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, ओंकारानंद आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विशेश्वरनंद महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवान, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पष्ठ दिवस श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन हुआ।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी मे जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने मे देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया की महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है। इसलिए आने मे देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन बोला। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है की राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से आनन्द विभोर होते है और अपनी लीलाओं के माध्यम से ही पूतना का वध करते है। कृष्णजी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में लोगों को आगे आना चाहिए। मानव जब इस संसार में पैदा लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होते हैं। रोग, शोक, वृद्धापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से धीर कर इस मायारूपी संसार से विदा लेता है।

सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा। इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। आज के दौर में परेशानी और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इससे समाज में खींचतान, स्वार्थ, लोभ, दुख. पतन, विकृतियों का अम्बार लगा हुआ है। ऐसे में समाज को युग के अनुरूप दिशा चिंतन, व्यवहार, परमार्थ के लिए हृदय में परिवर्तन के लिए श्रीमद भागवत कथा पुराण का आयोजन किया जा रहा है।

षष्ठ दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, रोशन धस्माना, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित रहे।

श्री भरत में आयोजित भागवत कथा का दूसरा दिन, सीएम ने की शिरकत

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस ध्रुव चरित्र का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत हुआ। इस मौके पर कथा मर्मज्ञ अंतर्राष्ट्रीय संत पूज्य डा रामकमल दास वेदांती जी महाराज ने श्रोताओं को बताया कि नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान का मनमोह लिया। जिससे अपना और अपने परिवार का नाम अक्षय कर लिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी पहुंचे और भागवत कथा का श्रवण किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। वक्ता का चरित्र स्वच्छ होना चाहिए, वहीं श्रोता भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए। वक्ता प्रेरणा का पुंज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान जीव का उद्धार करते हैं।

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड की देवभूमि सदैव देवत्व के भाव की है जहां धर्म, संस्कृति और संस्कारों की गंगा निरंतर प्रवाहमान रहती है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का धर्म स्थानों के प्रति श्रेष्ठता का भाव है सम्पूर्ण देश और उत्तराखंड मे धर्म पीठों और मंदिरों के पुनर्निर्माण सौंदर्य के लिए प्रधानमंत्री कृत संकल्प लेकर उद्धार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पावन पुनीत धर्म कार्यों में कोई बुलाया नहीं जाता बल्कि जिस पर भगवान की कृपा होती है वही ऐसे पावन पवित्र अनुष्ठानों में आते हैं उन्हीं लोगों को यह सौभाग्य मिलता है जिनके पुण्य श्रेष्ठ होते है। इस मौके पर व्यास पीठ पर पूज्य संत डॉ राम कमल दास वेदांती जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, विजय बड़थ्वाल, विनय उनियाल, मधुसुधन शर्मा, महामंडलेश्वर रामेश्वर दास जी महाराज, महन्त रवि प्रपन्नाचार्य, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज, परमानंद दास जी महाराज आदि उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

श्री भरत मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी की पुण्य स्मृति मे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। व्यास पीठ पर काशी विश्वनाथ की पावन धरती से आए पूज्य संत डा रामकमलदास वेदांती जी महाराज के ने कथा का श्रवण कराया।

उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व बताते हुए कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है, जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

कथा के प्रथम दिवस पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा जी, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारीजी महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद जी महाराज, हरी चेतनानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण दास जी, सतपाल ब्रह्मचारी जी आदि संत महात्मा की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।