श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने सम्मानित किया

श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने रविवार को सम्मान समारोह आयोजित कर महाकुंभ के दौरान देवडोली शोभायात्रा और स्नान कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले 80 लोगों को सम्मानित किया।
रविवार को ढालवाला स्थित एक होटल में श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने सम्मान समारोह आयोजित किया। समारोह का शुभारंभ पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी और शिक्षाविद समिति के संस्थापक विद्या दत्त रतूड़ी ने किया। दोनों अतिथियों ने बीते वर्ष हुए महाकुंभ के दौरान देवडोली शोभायात्रा व स्नान कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले ढालवाला, ऋषिकेश और टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के लोागें को स्मृति चिह्न और देकर मानपत्र प्रदान किया। सम्मानित होने वालों में भगवान सिंह रांगड़, गजेंद्र सिंह कंडियाल, ऊषा भंडारी, द्वारिका बिष्ट,माधुरी चमोली, ज्योति सजवान, रतन सिंह पंवार, डॉ एस. एन. रतूड़ी, चंदन सिंह पोखरियाल, महिपाल बिष्ट, विजयपाल रांगड़, घनश्याम नौटियाल, सुरेंद्र भंडारी, रमेश पैन्यूली, भुवन चंद पंत, विनय उनियाल, धन सिंह रांगड़, राम सिंह सजवाण, माधवानंद रतूड़ी, सुनीता बिष्ट, उषा चमियाला, सरस्वती जोशी आदि सहित कुल 80 लोग शामिल रहे।
कार्यक्रम संचालक डॉ. धीरेंद्र रांगड़ ने बताया कि इन लोगों को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रदत सम्मान पत्र व स्मृति चिह्न वितरित किए गए हैं। मौके पर समिति उपाध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल, सचिव द्वारिका प्रसाद भट्ट, शिवप्रसाद चमोली, हर्षमणि व्यास, स्वामी नागेंद्र पुरी महाराज, संजय शास्त्री, स्वामी मुकुंद दास कृष्ण महाराज, भोपाल सिंह चौधरी, आसाराम व्यास, पितांबर दत्त पैन्यूली आदि उपस्थित रहे।

संस्कार भारती के कार्यक्रम से ललित कलाओं को मिला संरक्षण-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को हरिद्वार रोड स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में संस्कार भारती द्वारा स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित उत्तराखण्ड कला दर्शन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘, विधायक सविता कपूर, ओजस हिरानी, पंकज अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कार भारती के प्रयास राष्ट्रप्रेम, साहित्य कला व पुरातन समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समर्पित भाव से बढ़ावा देने वाले रहे है। संस्कार भारती की ललित कलाओं के संरक्षण क्षेत्र में भी सबसे बड़े केन्द्र के रूप में पहचान बनी है। इस क्षेत्र के कलाकारों को संगठन से जोड़ कर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का भी कार्य हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड कला संस्कृति एवं साहित्य का संगम है, इसके उत्थान के लिये राज्य सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये उपयुक्त स्थल की पहचान कर इसके लिये भवन बनाने के भी प्रयास किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में निराशा एवं मायूसी का वातावरण था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को नई पहचान मिली है। हमारे देश की कला, आध्यात्म व योग के साथ ही सांस्कृतिक पहचान भी बनी है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कलाकृतियों एवं परम्पराओं के संरक्षण की दिशा में काशी विश्वनाथ कोरडोर का निर्माण सबके सामने है। उन्होंने कहा कि पहले काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिये एक पतला और संकरा रास्ता हुआ करता था, आज वह दिव्य एवं भव्य रूप ले चुका है। प्रधानमंत्री के दृढ़ निश्चय से हमारी समृद्ध संस्कृति को पूरा विश्व जानने लगा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 90 के दशक में अयोध्या गये थे तो रामलला के टेन्ट में दर्शन होते थे, आज भव्य राममन्दिर का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है। राममन्दिर के निर्माण से पूरी अयोध्या का महत्व देश व दुनिया में जा रहा है। इससे पूरे विश्व में हमारी कला व संस्कृति को नई पहचान मिलेगी तथा कला संस्कृति एवं आध्यात्म का समन्वय स्थल बनेगा। इसी प्रकार केदारनाथ मन्दिर परिसर के पुनर्निर्माण से लाखो श्रद्धालु वहां की दिव्यता से अविभूत है। बद्रीनाथ मन्दिर का भी सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है।

हरिद्वार घटना पर सख्त कार्रवाई, 9 कार्मिकों पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर हरिद्वार के पथरी क्षेत्र में शराब के सेवन से हुई मृत्यु पर आबकारी निरीक्षक सहित आबकारी विभाग के नौ कार्मिकों को निलम्बित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस घटना में दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री ने आबकारी विभाग को निर्देश दिये कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसमें जो भी दोषी या लापरवाह पाया जाए उस पर कठोर कार्यवाही की जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल ने आबकारी विभाग के नौ कार्मिकों को निलम्बित करने का आदेश जारी कर दिया है।
आदेश मे कहा गया है कि दिनांक 09.09.2022 को जनपद हरिद्वार के क्षेत्र-3 लक्सर के अन्तर्गत ग्राम फूलगढ़ एवं शिवगढ़ थाना-पथरी में मंदिरा के सेवन से हुई जनहानि होना ज्ञात हुआ। इस सम्बन्ध में अपर आबकारी आयुक्त (ई०आई०बी०) मुख्यालय की प्राथमिक आख्या दिनांक 10.09.2022 में मृत व्यक्तियों द्वारा शराब सेवन की पुष्टि की गयी। उपरोक्त आख्या में क्षेत्र 3 लक्सर हरिद्वार एवं जनपदीय प्रवर्तन, हरिद्वार के स्टॉफ की लापरवाही एवं गम्भीर शिथिलता परिलक्षित हुई है। तदकम में क्षेत्र-3 लक्सर हरिद्वार एवं जनपदीय प्रवर्तन हरिद्वार में तैनात आबकारी निरीक्षक, उप आबकारी निरीक्षक, प्रधान आबकारी सिपाही एवं आबकारी सिपाहियों को उत्तराखण्ड कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 के नियम-3 का व 2 में दिये गये प्राविधानों का स्पष्ट उल्लंघन का दोषी पाते हुए नौ कार्मिकों को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुए संयुक्त आबकारी गढ़वाल मण्डल, देहरादून के कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है।

नीति के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर लोगों से मांगे गए हैं सुझाव, जानिए सरकार की ये खास पहल

उत्तराखंड को फिल्म शूटिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए नई फिल्म नीति-2022 में सरकार कई प्रोत्साहन व वित्तीय सहायता देने जा रही है। नीति के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। नीति में फिल्मों की शूटिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को लागू किया जाएगा। इसके अलावा राज्य की गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोलियों में बनने वाली फिल्मों पर 40 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम दो करोड़ का अनुदान दिया जाएगा।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड फिल्म नीति-2022 का ड्राफ्ट लोगों के सुझाव के लिए विभागीय वेबसाइट http://www.uttarainformation.gov.in पर प्रकाशित किया गया।
उक्त प्रस्तावित फिल्म नीति-2022 पर यदि अभी भी कोई व्यक्ति सुझाव देने के इच्छुक हो तो दिनांक 15 सितम्बर, 2022 तक विभागीय Email- ufdc2015@gmail.com पर प्रेषित कर सकते हैं। 15 सितम्बर, 2022 तक प्राप्त सुझावों पर विचार करते हुए फिल्म नीति के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की कार्यवाही की जायेगी।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय ने बताया राज्य के नैसर्गिक सौंदर्य व लोक संस्कृति को विश्व पटल पर लाने के उद्देश्य से देश-विदेश से फिल्म निर्माताओं व निदेशक को शूटिंग के लिए नई नीति में प्रोत्साहन व वित्तीय लाभ देने का प्रावधान किया जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार व पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। नीति में फिल्मों को अनुदान, फिल्म पुरस्कार-सम्मान, उत्तराखंड की बोलियों में बनने वाली फिल्मों एवं कलाकारों को प्रोत्साहन के अलावा शूटिंग की अनुमति के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है।

सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, उत्तराखण्ड के अधीन गठित उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड फिल्म नीति-2022’’ का ड्राफ्ट तैयार कर लोगों के सुझाव प्राप्त करने हेतु दिनांक 20 जुलाई, 2022 का विभागीय वैबसाईट लिंकः
http:// www.uttarainformation.gov.in/images/download/filmpolicydraft2022.pdf पर अपलोड किया गया था। उक्त के क्रम में फिल्म पॉलिसी को लेकर कतिपय व्यक्तियों एवं संस्थाओं के सुझाव प्राप्त हुए है।

नीति में ये मिलेंगे लाभ
– पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमाघरों व स्टूडियो में उपकरण खरीदने पर 25 प्रतिशत या अधिकतम 25 लाख का अनुदान।
– पर्वतीय क्षेत्रों में मोबाइल थियेटर वाहन खरीदने पर 15 लाख का अनुदान।
– फिल्म प्रशिक्षण संस्थान के लिए 25 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख का अनुदान।
– स्थानीय बोली में बनने वाली फिल्मों की शूटिंग के दौरान किए गए व्यय पर 40 प्रतिशत अनुदान।
– स्थानीय व हिंदी में सर्वोत्तम फिल्म को 10 लाख का पुरस्कार
– शूटिंग के दौरान फिल्म यूनिटों को जीएमवीएन व केएमवीएन के रेस्ट हाउस में ठहरने पर 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।

हमारे खिलाड़ियों का भरोसा बन रही नई खेल नीति-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने तथा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन के लिये खेल पुरस्कारों की धनराशि में बढ़ोतरी की गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार युवाओं की खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित कर रही है, युवाओं को आगे बढ़ाना चाहती है, हमारे युवा मनोयोग से खेले और अच्छा प्रदर्शन करें तथा देश व प्रदेश के लिये अधिक से अधिक मैडल प्राप्त करें। इस दिशा में उनकी प्रतिभाओं को निखारने का हमारा प्रयास है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं में प्रतिभा की कमी नही है।
राज्य में खिलाड़ियों के लिये बेहतर खेल प्रशिक्षकों की भी व्यवस्था की गई है। खिलाडियों के हित में जो भी बेहतर प्रावधान करने जरूरी होंगे वह किये जायेंगे, हम नई खेल नीति लेकर आये हैं। नई खेल नीति में भी प्रावधान किया गया है जिन बच्चों में प्रतिभा व योग्यता है वह आगे आ सके इसके लिये खेल पुरस्कारों में बढ़ोतरी के साथ ही खिलाड़ियों के हित में अनेक कल्याणकारी कदम उठाये गये हैं।

पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर युवाओं को रोजगार का भरपूर अवसर देगी सरकार-धामी

उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा लगभग 7000 पदों पर गतिमान भर्ती प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग को हस्तांतरित करने के सम्बंध में आज कैबिनेट से प्रस्ताव पारित हो गया है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश हैं कि भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और गरिमा बनाए रखने के लिए राज्य सरकार हर संभव कदम उठाएगी।

इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार ने इन भर्तियों को राज्य लोक सेवा आयोग से कराने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही भर्ती परीक्षाओं का एक कैलेंडर जारी कर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।

सीएम ने भविष्य की परीक्षाओं का भी एडवांस कैलेंडर जारी करने के निर्देश दिये
मुख्यमंत्री धामी के निर्देश है कि वर्तमान विज्ञापित पदों के साथ-साथ राज्य सरकार के सभी विभाग एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपने यहां सीधी भर्तियों के रिक्त पदों की सूची बनाते हुए आयोग को उपलब्ध कराएं जिससे भविष्य की परीक्षाओं का भी एडवांस कैलेंडर जारी किया जा सके।

वे समस्त परीक्षाएं जिनमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा किसी भी चरण की परीक्षा आयोजित कर परिणाम घोषित कर दिया गया है, किन्तु चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है. उन परीक्षाओं की अवशेष कार्यवाही उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की जायेगी। वे समस्त परीक्षाएं जिनमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आवेदन आमंत्रित किये जा चुके हैं तथा कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं की गयी है; उनमें लोक सेवा आयोग की परिधि में जाने के पश्चात् पुनः विज्ञप्ति प्रकाशित किए जाने की दशा में अभ्याथियों को आवेदन शुल्क से मुक्त रखा जाएगा। राज्य सरकार सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध है

शीघ्र से शीघ्र परीक्षाएं कराकर युवाओं को नौकरी देना सरकार की पहली प्राथमिकताः सीएम
युवाओं का मनोबल बनाए रखने के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से शीघ्र से शीघ्र परीक्षाएं कराकर युवाओं को नौकरी देना सरकार की पहली प्राथमिकता है। युवा बेरोजगारों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धी माहौल देने के लिए सरकार कृतसंकल्प है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान करेंगे उत्तराखंड में एनईपी का शुभारम्भ

उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राथमिक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने के बाद अब इसी माह उच्च शिक्षा विभाग में भी एनईपी लागू कर दी जायेगी, जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर दी गई है। इस बात की जानकारी सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दी। उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को उच्च शिक्षा विभाग में एनईपी-2020 लागू करने के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि अमंत्रित किया। जिस पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने अपनी सहमति दी है।

उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से शिष्टचार भेंट की। इस दौरान रावत ने केन्द्रीय मंत्री से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, पीएम-श्री योजना सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां विद्यालयी शिक्षा में एनईपी को लागू कर दिया गया है, जिसकी सराहना देशभर में हो रही है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा में भी इसी सत्र से सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर एनईपी लागू कर दी जायेगी। जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई है। रावत ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के शुभारम्भ केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कर कमलों से किया जायेगा। इसके लिये देहरादून में माह सितम्बर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। पीएम-श्री योजना के तहत देशभर के 14500 विद्यालयों को विश्व स्तरीय बनाये जाने पर उन्होंने केन्द्रीय मंत्री का आभार जताया। उन्होंने कहा कि पीएम-श्री योजना से न सिर्फ पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों की सूरत बदलेगी बल्कि छात्र-छात्राओं को बेहत्तर शिक्षा मुहैया हो सकेगी। केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात के दौरान रावत ने एच0एन0बी0 गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कार्मिकों की विभिन्न मांगों पर भी चर्चा की, साथ ही एनआईटी सुमाडी में चल रहे निर्माण कार्यों से भी केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने रूसा फेज-2 के अंतर्गत स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष अवशेष राशि को जारी करने की मांग भी धर्मेंद्र प्रधान से की, जिस पर केन्द्रीय मंत्री ने सकारात्मक रूख अपनाते हुये शीघ्र अवशेष राशि जारी करने का आश्वासन दिया साथ ही उन्होंने रूसा फेज-3 से संबंधित निर्माण कार्यों की डीपीआर शीघ्र केन्द्र सरकार को भेजने को कहा।

इस अवसर पर रूसा सलाहकार प्रो एम0एस0एम0 रावत, प्रो के0डी0 पुरोहित, संयुक्त निदेशक एवं नोडल रूसा डॉ ए0एस0 उनियाल भी मौजूद रहे।

अपनों को नौकरी लगाता तो परिवार के ही 20 से 30 बन जाते शिक्षक-पूर्व शिक्षा मंत्री

उत्तराखंड में इन दिनों सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं पर भाई भतीजा वाद को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं,सत्ता के रूतबे के दम पर नेताओं ने अपने-अपने करीबीयों को नौकरी पर लगाया। उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से जहां उत्तराखंड सेवा अधीनस्थ चयन आयोग पेपर लीक मामले की जांच चल रही है। जिसमें केई आरोपियों को पकडा जा चुका हैं, तो वहीं दूसरी तरफ विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को लेकर पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल की मुश्किले बढ़ी हुई है। क्योंकि विधान सभा में बैकडोर से हुई भर्तियों की जांच चल रही है। इन सब के बीच कई पूर्व मंत्रीयों पर भी मंत्री रहते हुए अपने करीबीयों को नौकरी लगाने के आरोप लग रहे है। पूर्व शिक्षा मंत्री और गदरपुर से विधायक अरविंद पाण्डेय पर भी शिक्षा मंत्री रहते अपने करीबीयों को नौकरी लगाने के आरोप लगे हैं,यहां तक कि शोसल मीडिया पर एक लिष्ट वायरल हो रही थी, जिसमें बिहार के रिश्तेदारों को उत्तराखंड नौकरी लगाने के आरोप अरविंद पाण्डेय पर लगे,लेकिन इन्ही आरोप को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे अरविंद पाण्डेय से पत्रकारों ने कई तहर के सवालों की बछौर की तो अरविंद पाण्डेय ने बडी सहजता से उनके उपर लग रहे आरापों के जवाब दिए।

नियमों की अनदेखी से हुई हैं नियुक्ति जो जांच के लिए हूं तैयार
अरविंद पाण्डेय का कहना है कि जो लिस्ट शोसल मीडिया में वायरल की गई है,उसको लेकर यहीं कहना चाहता हूं कि यदि अगर नियुक्ति में अगर कहीं कोई अनदेखी हुई है तो दुनियां की कोई भी सबसे बड़ी जांच मेरे उपर कराई जाएं उसके लिए मैं तैयार हूं। ईश्वर को साक्षी मानकर जांच में पूरा सहयोग करूंगा। और अगर जांच में दोषी पाया जाता हूं कि नियमों की अनदेखी कर मेरे कार्यकाल में नियुक्ति हुई है,तो प्रदेश की जनता जो सजा देना चाहेगी उसे हंसकर भुगतने के लिए तैयार हूं।

अपनों को नौकरी लगाता तो परिवार के ही 20 से 30 बन जाते शिक्षक
इतना की नहीं अरविंद पाण्डेय का कहना है कि उनके परिवार में 20 से 30 लोगों ने बीएड किया हुआ है,अगर मैं कोई शिफारिश करता तो प्रदेश में मंत्री रहते हुए मेरे कार्यकाल में 15000 के लगभग भर्ती हुई है,उसमें परिवार के कई लोग शिक्षक बन जाते। लेकिन पूरी पारदर्शिता और नियमों को देखते हुए भर्ती हुई है। यहां तक कि अशासकीय स्कूलों में भर्ती के लिए 25 नम्बर के इंटरव्यू को 5 नम्बर का किया गया ताकि शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता आएं और आज अशासकीय स्कूलों में योग्य शिक्षक ही भर्ती हो रहे है। क्योंकि आवेदन करने वाले अभियार्थियों में सबसे पहले टॉप सेवन की मैरिड बनती है,जिन्हे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। जबकि इंटरव्यू में 5 से 3 नम्बर देना अनिवार्य है। यानी के मेरे रहते अनिमियतताओं के जो आरोपा लगते थे। उन आरोपों को दूर किया गया।

उत्तराखंड आन्दोलन में गया हूँ जेल
अरविंद पांडेय का कहना है कि कुछ लोग उनकी छवि यूपी बिहार से होने की भी बताने की कोशिश करते हैं,लेकिन वह साफ कहना चाहते हैं कि वह उधम सिंह नगर के रहने वाले हैं,और उत्तराखंड आंदोलन के दौरान उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया था,यहां तक कि वह कहना चाहते हैं कि जब वह उधम सिंह नगर में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान अलग राज्य उत्तराखंड बनाए जाने की मांग को लेकर आंदोलन करते थे, तो उन्हें स्थानीय जनता भी पीटा करती थी और यूपी में रहने के लिए ही उस समय कहती थी। लेकिन उन्होंने उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर मुखरता से उठाया और जेल तक गई लेकिन अब जब उन्हें इस तरह की बातें सुनने को मिलती है तो उन्हें ठीक नहीं लगता है।

40 प्रतिभागियों ने योग क्रियाओं का किया प्रदर्शन

श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में नगरस्तरीय योग प्रतियोगिता हुई। इसमें 40 प्रतिभागियों ने योग क्रियाओं का प्रदर्शन किया।
गुरुवार को श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में प्रतियोगिता का शुभारंभ प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत ने किया। उन्होंने कहा कि योग जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इससे शारीरिक, मानसिक समृद्धि तो होती ही है, साथ ही यह रोजगार के साधन के रूप में भी संपूर्ण विश्व मे प्रसारित हो रहा है। यहां तक कि बड़े-बड़े मेडिकल साइंस के कॉलेजों से लेकर पांच सितारा होटलों में भी स्पेशल योगाचार्य नियुक्त किए जाते हैं। योग चित वृति को एकाग्र करने के साथ आरोग्यता प्रदान करने का स्रोत है। यह विधा स्कूलों से ही निरंतर अभ्यास के साथ आगे बढ़ती है। विद्यालय के योगाचार्य जगदम्बा प्रसाद थपलियाल ने कहा कि नगर से चयनित होकर प्रतिभागी जनपद और राज्य स्तर पर प्रतिभाग करेंगे। इस दौरान प्रतियोगिता में नगर क्षेत्र के 6 विद्यालयों से लगभग 40 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया और योग क्रियाओं का प्रदर्शन किया।
मौके पर यमुना प्रसाद त्रिपाठी, विकास नेगी, प्रवीण रावत,पंकज सती, चरणपाल, रवीन्द्र बहुगुणा, मोनिका चौहान, मंगलेश , पूनम बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

धामी तुम बढ़े चलो भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसो

इसमें कोई दोराय नहीं कि नेताओं के भाई-भतीजावाद और नकल माफिया की ओर से की गई सरकारी नौकरियों की सौदेबाजी ने पात्र युवाओं का हक मारा है। पिछले दो दशक से लगातार बेरोजगारों को छला जा रहा है। माफिया, नौकरशाह और राजनेता नापाक गठजोड़ करके सपनों के सौदागर बने हुए हैं। अब जबकि इस गठजोड़ के कारनामे उजागर होने रहे हैं तो युवा आक्रोशित हैं। उनमें उबाल है। वो सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्ष आन्दोलन को हवा दे रहा है। लोकगायक अपनी नई रचनाओं से युवा ताकत को जागृत कर रहे हैं। इसी बहाने अंदरखाने सियासत भी तेज हो गई है।
विरोध के माहौल के बीच एक लोकगायक ने परिदृश्य से हटकर नया गीत बनाया है, जो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। इस गीत के गायक हैं डा. अजय ढौंढियाल। ढौंढियाल पेशे से पत्रकार हैं और हमेशा जनहित के मुद्दों पर मुखर रहे हैं। अब लोकगीत और संगीत को माध्यम बनाकर वो समाज को लोकतंत्र में संभावित खतरों से सचेत कर रहे हैं। उनके नये गीत का शीर्षक हैं श्चल चल रे धामी बढ़ने चल बढ़ने चलश्। इस गीत में ढौंढियाल ने सरकार का एकतरफा सामूहिक विरोध करने के बजाए उस पर भरोसा जताने का आह्वान किया है। उनका यह गीत मैंने भी सुना। मौजूदा माहौल में लीक से हटकर गाया गया यह गीत चौंकाता है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ढौंडियाल ने सरकार की चाटुकारिता में ये गीत गया है? मैंने फोन लगाकर सीधे ढौंढियाल जी से ही यह सवाल पूछ लिया। उनका जवाब सुनकर लगा कि वास्तव में गीत के माध्यम से उठाए गए उनके पहलू पर भी विचार किया जाना चाहिए। ढौंढियाल ने कहा यह हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सरकारी सिस्टम की कोई खामी या कारनामा उजागर होने के बाद विपक्ष हो या सत्ता पक्ष के कुछ लोग सरकार को अस्थिर करने में जुट जाते हैं। मिशन मोड में मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। असली मुद्दा पीछे छूट जाता है और समूची ताकत तख्ता पलट के लिए एकजुट हो जाती है। ऐसा सिर्फ अभी नहीं हो रहा। राज्य बनने के बाद लगातार सरकारों को अस्थिर किया गया। यही वजह है कि नारायण दत्त तिवारी जी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। मौजूदा समय में पुष्कर सिंह धामी उस सरकार के मुखिया हैं जिसे जनता के प्रचण्ड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता सौंपी है। धामी नौकरी में हुई धांधली की अपने राज्य की एजेंसी एसटीएफ से जांच करवा रहे हैं। अभी तक लग रहा है कि जांच निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ रही है। धामी भी लगातार जनता को विश्वास दिला रहे हैं कि एक भी दोषी नहीं छूटेगा। ऐसे में युवाओं और जनता समेत सत्ता पक्ष विपक्ष के सभी लोगों को उन पर भरोसा करना चाहिए। सिर्फ इस आशंका पर कि जांच में असली दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, सरकार को अस्थिर करना ठीक नहीं। खासतौर पर विपक्ष का मापदण्ड दोहरा दिखाई दे रहा है। जिस सीबीआई की निष्पक्षता पर विपक्ष हमेशा अंगुली उठाता रहा है, आज उसी से इस संवेदनशील मामले की जांच के लिए हल्ला काटा जा रहा है। कुल मिलाकर राजनैतिक अस्थिरता से राज्य का भला होने वाला नहीं है। समस्या को जड़ से दूर करने में सभी को सहयोग करना होगा। सरकार की उपलब्धियों को तात्कालिक प्रभाव से खारिज नहीं किया जा सकता। अपने मुख्यमंत्री पर भरोसा रखना होगा। मुख्यमंत्री भरोसा तोड़ते हैं तो फिर जतना के पास विकल्प की कमी नहीं हैं।

(लेखक दीपक फर्सवाण एक पत्रकार है)