शम्याप्राश संस्था ने द कश्मीर फाइल्स के लिए रामा पैलेस में की सभी सीटें आरक्षित

ऋषिकेश सीट से निर्वाचित विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने आज परिवार और भाजपाइयों के साथ बहुचर्चित फिल्म द कश्मीर फाइल्स ऋषिकेश सिनेमा हॉल में देखी। इस दौरान विधायक प्रेमचंद अग्रवाल भावुक भी हो गए।

उन्होंने फिल्म के जरिये इतिहास के छिपे तथ्यों से दर्शकों को रूबरू कराने की बात कहते हुए फिल्म निर्माताओं का आभार जताया। द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने विधायक अग्रवाल के साथ उनकी पत्नी शशिप्रभा अग्रवाल भी पहुंची थीं। अग्रवाल ने बताया कि ऋषिकेश की शम्याप्राश संस्था ने ऋषिकेश सिनेमाघर रामा टॉकिज की सभी 600 सीटों को आरक्षित कर जागरूकता के उद्देश्य से शाम 6 बजे के शो में ऋषिकेशवासियों को निशुल्क इस फिल्म को देखने का मौका दिया। इससे पहले इस प्रकरण को यादगार बनाने के लिए हिंदू पुनरुत्थान शीर्षक से एक रैली का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर संस्था सचिव कार्तिक, सहयोगकर्ता विनायक भट्ट, ऋषिकेश मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, पीयूष अग्रवाल, सुशील नौटियाल, जनार्दन कैरवान, सुभाष डोभाल, ब्रह्मानन्द भट्ट आदि उपस्थित रहे।

द कश्मीर फाइल्स के जरिए बीजेपी कर रही राजनीतिः हरीश रावत

चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के भीतर हरीश रावत निशाने पर हैं। इस बीच द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर हरदा का बयान आया है। हरीश रावत का कहना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने वाली फिल्मों से किसी को दिक्कत नही होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि भाजपाई इस फिल्म को देखकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।

एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में हरीश रावत ने कहा कि मैं द कश्मीर फाइल्स का विरोध नहीं करता हूं। ऐसी फिल्म जो सामाजिक और आर्थिक तथ्यों को उजागर कर रही हो, उससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए। हालांकि हरीश रावत ने कहा कि इस फिल्म के बहाने बीजेपी राजनीति कर रही है। बीजेपी के बड़े बड़े नेता फिल्म देखने जा रहे हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। हरदा ने कहा कि इतने सालों से बीजेपी सरकार केंद्र में है, क्या बीजेपी कश्मीरी पंडितों की घर वापसी करवा पाई है? क्या कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो चुका है?

हरीश रावत का भी मानना है कि लालकुआं से चुनाव लड़कर उन्होंने गलती की है। वो जानते थे कि लालकुआं से उन्हें हार मिलेगी। लेकिन पार्टी का मान रखने के लिए पार्टी का ये आदेश मानना पड़ा। हरदा ने कहा कि मैं रामनगर से चुनाव लड़ना चाहता था। वहां मेरू तैयारी थी। मैं वहां आसानी से जीत सकता था। लेकिन जैसे ही मां नामांकन के लिए रामनगर जाने लगा, मुझे संदेश मिला कि अब रामनगर से नहीं बल्कि लालकुआं से लड़ना है। मैंने पार्टी के आदेश का मान रखने के लिए लालकुआं जाना स्वीकार कर लिया। लेकिन जैसे ही लालकुआं पहुंचा मुझे आभास हो गया कि यहां सबकुछ ठीक नहीं है। कार्यकर्ताओं में मेरे लिए उत्साह नहीं था। फिर भी मैंने पार्टी के आदेश का पालन करने के लिए पूरा जोर लगाया।

‘द कश्मीर फाइल्स’ देख बोले संगठन महामंत्री अजये, फिल्म मानवीय त्रासदी का जीवंत प्रमाण

कश्मीर की यथार्थ घटनाओं पर आधारित द कश्मीर फाइल्स जिस पर निदेशक विवेक अग्निहोत्री के समक्ष उस समय शालिनी खन्ना ने कई दृश्यों पर आपत्ति उठाई थी। आज वही फिल्म पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखंड की जनता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण फिल्म बनती जा रही है, जिसका कारण इस फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ पहुंचना है। बड़ी संख्या में लोग इस फिल्म को देखने के लिए सिनेमा हाल में पहुंच रहे हैं जिनमें प्रबुद्धजन भी शामिल है।

भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार ने भाजपा चुनाव अभियान मे लगी पूरी टीम के साथ फिल्म द कश्मीर फाइल देखने के बाद अजेय कुमार ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखकर इसे मानवीय त्रासदी का जीवंत प्रमाण बताया तथा कहा कि इस फिल्म में प्रत्यक्ष रूप से मानवीय घटनाओं का जो चित्रण किया गया है वह अपने आप में महत्वपूर्ण है। यह फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन को दिखाती है। फिल्म का मुख्य नायक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कृष्ण पंडित (दर्शन कुमार) एक युवा छात्र की कश्मीर यात्रा पर केंद्रित है जो राधिका मेनन (पल्लवी जोशी) से प्रभावित होकर अपने ही लोगों के नरसंहार के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। फिल्म पलायन के आसपास की घटनाओं को नरसंहार के रूप में चित्रित करती है जिसमें भारी संख्या में कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार तथा महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाओं का यथार्थ चित्रण है।

इस संदर्भ में भाजपा महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने द कश्मीर फाइल्सश् फिल्म देखने के बाद कहा कि यह फिल्म 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित है। अजेय कुमार ने देहरादून के सिल्वर सिटी सिनेमाघर में भाजपा कार्यकर्त्ताओं के साथ फिल्म देखी। फिल्म में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार और दुर्दशा के हालातों को दिखाया गया है। फिल्म 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की दर्दनाक कहानी बयां करती है। जब कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था। इस फिल्म में निदेशक विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीरी पंडितों के उसी दर्द को परदे पर उतारा है। अब इस फ़िल्म के जरिए लोग उस समय के कश्मीर के हालातों से परिचित हो सकेंगे।

अजेय कुमार की ओर से स्वयं फिल्म देखने के बाद उसके बारे में जानकारी दी गई। अजेय कुमार ने फिल्म देखने के बाद कहा, 1990 में कश्मीर घाटी में जो मानवीय त्रासदी हुई थी, फिल्म श्द कश्मीर फाइल्सश् उसका सजीव और मार्मिक चित्रण है। उन्होंने फिल्म निर्माताओं तथा कलाकारों का धन्यवाद किया जिन्होंने कश्मीर के हिंदुओं की पीड़ा, हालातों और जघन्य दास्तां को करीब से बड़े पर्दे पर उतारा। अजेय कुमार ने कहा कि जिस मार्मिकता तथा यथार्थ के साथ फिल्मांकन किया गया है वह अपने में सराहनीय है। अजेय कुमार के अनुसार फिल्म में किये गये यथार्थ चित्रण को जनता सराह रही है और नम आंखों से सिनेमा हाल से वापस लौट रही है।