एक फोन कॉल से दूर होगी देहरादून के नागरिकों की समस्याः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में ‘अपणि सरकार’ नागरिक सेवाएं आपके द्वार योजना का फ्लैग ऑफ किया। देहरादून के नागरिकों को एक फोन कॉल पर अपणि सरकार पोर्टल की नागरिक सेवाएं उनके द्वार पर उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिकों को उनके घर पर जाकर जन सेवा केन्द्र के माध्यम से सेवाएं उपलब्ध कराये जाने की शुरूआत की गई है, यह सेवा जल्द ही राज्य के अन्य स्थानों पर भी शुरू की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है की नागरिक सेवाओं का लाभ आम जन को उनके घर पर ही मिल जाए। अभी तक 575 सेवाएं ऑनलाइन रूप से अपणि सरकार पोर्टल पर उपलब्ध करायी जा रही हैं।
वर्तमान में पायलट रूप में यह सेवा देहरादून शहर के 100 वार्डों में नजदीकी सी.एस.सी केंद्र के संचालकों द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। सूचना प्रौद्योगिकी, सुराज व विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आई.टी.डी.ए ने “डोर स्टेप डिलीवरी” हेतु सी.एस.सी-एस.पी.वी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। देहरादून शहर के सी.एस.सी संचालकों को पुलिस वेरिफिकेशन के उपरांत पहचान-पत्र जारी किए गए हैं। इस सेवा का लाभ उठाने के लिए नागरिक 18009110007 टोल फ्री नंबर पर फोन कर सकते हैं। नागरिकों की सुविधानुसार घर पर ही आवेदन लिया जाएगा तथा संबंधित प्रमाण पत्र / अभिलेख घर पर ही उपलब्ध कराया जाएगा।
सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि इस सेवा की तीन माह की समीक्षा उपरांत पूरे प्रदेश में इस सेवा को उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य है। भविष्य में दूर दराज क्षेत्रों में निवास करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को इस सेवा से विशेष लाभ होगा।
आई.टी.डी.ए. निदेशक नितिका खण्डेलवाल ने जानकारी दी कि सी.एस.सी. द्वारा केंद्र व राज्य की सरकारी सेवाओं के अलावा व्यावसायिक सेवाएँ जैसे बीमा, शिक्षण, बैंकिंग, पेंशन, डिजी पे, टेली-हेल्थ, टेली-लॉ भी नागरिकों को ग्राम स्तर तक उपलब्ध करायी जा रही हैं।
इस अवसर पर विधायक शिव अरोरा, सचिव विनोद कुमार सुमन, अपर निदेशक आई.टी.डी.ए. गिरीश चंद्र गुणवंत, व आईटीडीए एवं सीएससी-एसपीवी उत्तराखण्ड के अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने की साइकिलिस्ट आशा मालवीय के यात्रा उद्देश्य की सराहना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में साइकिलिस्ट आशा मालवीय ने भेंट की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से आशा मालवीय द्वारा साइकिल यात्रा के माध्यम से जागरूकता फैलाये जाने के प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि मनुष्य किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्प होकर कार्य करता है, तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने आशा मालवीय के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की आशा मालवीय महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से देशभर में साइकिल यात्रा के माध्यम से जागरूकता का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा यात्रा की शुरूवात 01 नवम्बर 2022 से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से की गई और यह यात्रा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में सम्पन्न जायेगी। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान भारत के 28 राज्यों में कुल 25 हजार कि.मी. की यात्रा तय की जायेगी। इस यात्रा के दौरान उनके द्वारा अभी तक 23 राज्यों में 19700 कि.मी. की दूरी तय की जा चुकी है। उनकी यात्रा का उत्तराखण्ड 24 वां राज्य है।

प्रदेश का समग्र विकास हमारी प्राथमिकताः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य के समग्र विकास की दिशा में की जा रही पहल एवं विभिन्न सम सामाजिक विषयों पर अपने विचार रखें तथा समाज सेवा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश का समग्र विकास हमारी प्राथमिकता है। उत्तराखण्ड धर्म आध्यात्म एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला प्रदेश है। इसके मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। हमारा प्रदेश 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होने के साथ ही नशा मुक्त प्रदेश बने इस दिशा में भी हमारे प्रयास निरन्तर जारी है। उन्होंने कहा कि नशा हमारे युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा हैं। युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए युवाओं को नशे से दूर रखना समाज के हित में है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में अच्छा कार्य व्यवहार, अच्छी कार्य संस्कृति, सुशासन, सेवा, संकल्प और गुड गवर्नेंस का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की प्रेरणा देकर समाज में स्वच्छता के प्रति जनजागरूकता तथा गंदगी से होने वाली अनेक बीमारियों से छुटकारा दिलाने का कार्य किया है। इस अभियान के तहत देश में 12 करोड़ शौचालय बनाये जा चुके है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व का ही प्रतिफल है कि पिछले नौ सालों में देश के हर वर्ग का कल्याण हुआ है और भारत का मान देश के साथ ही विदेशों में भी बढ़ा है। आजादी के बाद के वर्षों की तुलना में पिछले नौ वर्षों के दौरान विकास के सभी मापदंडों के आधार पर हम कह सकते हैं, हमारे देश ने हर क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है, जिसका लोहा आज संपूर्ण विश्व मान रहा है।

13 जिलों में 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्ड का गठन, धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि

देहरादून। केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगवाई में कैबिनेट ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पर गंभीरता से काम कर रहे थे। केन्द्र में कई बार उन्होंने इसकी पैरवी की। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पूरी टीम के साथ इस पर गंभीरता से काम किया और केन्द्र की मुहर के बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी। आपको बता दें स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद से डॉ आ राजेश कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के साथ केन्द्र की योजनाओं को राज्य में तेजी से धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और केन्द्रीय स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही समय-समय पर केन्द्र सरकार से आये अधिकारियों ने भी तारीफ की है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह सहित पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैरसरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क
प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन
नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन
मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 को भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 मई, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया था, जिसको उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मूल रूप में अधिकृत कर लिया गया है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों, उनके उचित उपचार एवं संरक्षण करना है। इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर गढ़वाल में, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।

इस अधिनियम के आलोक में राज्य सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखरेख नियम, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) के लिए नियम विनियम एवं मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार इत्यादि को तैयार कर लिया गया है एवं भारत से अनुमोदन प्राप्त कर मंत्री परिषद् में राज्य में प्रख्यापित करने हेतु प्रेषित किया गया, जोकि आज दिनांक 07.07.2023 को सम्पन्न हुई मंत्री परिषद की बैठक में सभी नियमो विनियमों को प्रख्यापित करने को मंजूरी दे दी गई है।

सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों एवं मनशचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं) को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थाई पंजीकरण हेतु न्यूनतम राशि रू0 2,000/- का प्राविधान है एवं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निःशुल्क किया जाना है।

इन नियम विनियमों के प्रख्यापित हो जाने के पश्चात सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) को इसमें दिये गये नियम – विनियमों के अनुरूप संस्थानों का संचालन करना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) की समय-समय पर जांच एवं निरीक्षण करने का प्रावधान भी इसमें निहित है। जिसमें किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा गैर अनुपालन या प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थित में ऐसा न करने पर अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है।

नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना
नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार-बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है।

चार दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव निनाद का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नीबूवाला गढ़ी कैन्ट, देहरादून में संस्कृति विभाग द्वारा निर्मित उत्तराखण्ड के प्रथम हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 4 दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव निनाद का भी शुभारंभ कर हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र में स्थापित वृहद संर्ग्रहालय, प्रेक्षागृह, वाह्य व आन्तरिक कलादीर्घा पुस्तकालय एवं नाट्यशाला का अवलोकन किया तथा परम्परागत ढ़ोल वादन कर लोकवाद्यो का सम्मान भी बढ़ाया। असम के लोक कलाकारों द्वारा बिहु नृत्य का प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को सम्मानित भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने फिल्म जगत से जुड़े प्रदेश के फिल्मकारों, छायाकारों एवं गायकों को भी सम्मानित किया उनमें फिल्मकार संतोष रावत, फिल्म छायाकार कमलजीत नेगी, करन थपलियाल, अभिनेता चन्दन बिष्ट, अभिनेत्री रूप दुर्गापाल, गायिका शिखा जोशी शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र एक ओर जहां प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक सजीव चित्र हम सबके समक्ष रखेगा, वहीं दूसरी ओर यह हमारी सरकार की संस्कृति के संरक्षण- संबर्द्धन एवं विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी परिलक्षित करेगा। यह केंद्र हमारी सांस्कृतिक विरासत को भावी पीढ़ी तक पहुँचाने में भी मददगार होगा।

उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक केन्द्र में स्थापित वृहद संग्रहालय में अनेक कलाकृतियां, मूर्तिकला आदि संग्रहित हैं, इसके साथ ही हमारी पारम्परिक एवं समकालीन कला को भी इस संग्रहालय में प्रदर्शित करने का प्रयास सराहनीय है। इसके साथ ही यहां लोक साहित्य एवं लोक भाषा पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गयी है, जिसमें उत्तराखण्ड जन आन्दोलन से जुड़े साहित्य को भी सम्मिलित किया गया है। यह सांस्कृतिक केन्द्र हमारी समृद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को एक स्थान पर संग्रहीत कर प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी को अपनी अमूल्य धरोहर को जानने एवं समझने का अवसर प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री ने फिल्मजगत से जुड़े प्रदेशवासियों से अपेक्षा की कि उन्हें उत्तराखण्ड की इस पावन भूमि ने इस मुकाम तक पहुंचाने का अवसर दिया है। देश व दुनिया के साथ अपने प्रदेश का नाम रोशन करने में भी वे मददगार बने। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति परिवेश एवं पूर्वजो द्वारा दिये गए संस्कारों से जुड़ा रहना होगा। ये हमारी जड़े हैं। अपनी जड़ों से जुड़ा रहकर ही हम जीवन में सफल होंगे तथा हमारी पहचान बनी रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारतीय दुनिया में कहीं भी रहे, कितनी ही पीढ़ियों तक रहे, उसकी भारतीयता, उसकी भारत के प्रति निष्ठा, कभी कम नहीं होती। इसका कारण हमारी विशिष्ट सांस्कृतिक चेतना है, जिसमें भारत उसके दिल में हमेशा जीवंत रहता है। भारत एक राष्ट्र होने के साथ ही एक महान परंपरा है, एक वैचारिक अधिष्ठान है, एक संस्कार की सरिता है। भारत वो शीर्ष चिंतन है- जो वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है। भारत दूसरे के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना करते हुए अपने साथ सम्पूर्ण मानवता के कल्याण की कामना करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में हमें एक ऐसा नेतृत्व मिला जिसने भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का बीड़ा उठाया और उस पर ठोस कार्य भी प्रारंभ किया। प्रधानमंत्री जी ने आज देश के साथ ही विदेश में रहने वाले भारतीयों के मन में पुनः सनातन संस्कृति की अलख जगाने का भी कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि दुनियाभर में भारत की सनातन संस्कृति की कीर्ति पताका को फहराने का कार्य भी कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाते हैं, तो विश्व के लिए प्रगति की नई संभावनाएं खोलने की बात करते हैं। आज जब हम योग के प्रसार के लिए प्रयास करते हैं, तो विश्व के हर व्यक्ति के लिए सर्वे संतु निरामया की कामना करते हैं। हमें संपूर्ण दुनिया को ये अहसास दिलाना है कि भारत की प्रगति से पूरी मानवता का कल्याण जुड़ा है। उन्होंने विश्वास किया कि अपने इन आदर्शों पर चलते हुए हम एक नया भारत भी बनाएँगे, और बेहतर दुनिया का सपना भी साकार करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए अपने विकल्प रहित संकल्प को लेकर आगे बढ़ना है। सभी के सहयोग और समर्थन से हम उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने का अपना सपना अवश्य साकार करने में सफल होंगे।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संवारने का कार्य करेगा। हमारी संस्कृति विश्व की महान संस्कृति रही है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक केन्द्र संस्कृति संवर्धन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। निदेशक संस्कृति बीना भट्ट ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर विधायक खजान दास, सचिव संस्कृति हरिचन्द्र सेमवाल, पद्मश्री बसंती बिष्ट, लोक संस्कति से जुड़े साहित्यकार, गीतकारों सहित विभिन्न प्रदेशों से आए लोक कलाकार एवं रंगकर्मी मौजूद थे।

सीएम ने की ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज विभाग की समीक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सशक्त उत्तराखण्ड/25 के लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने इन विभागों द्वारा तैयार की गई अल्प, मध्य एवं दीर्घकालिक रोडमैप की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन योजनाओं के तहत केन्द्रांश एवं राज्यांश क्रमशः 90 और 10 के अनुपात में हैं, उनकी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट एवं अन्य आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण कर प्रस्ताव केन्द्र सरकार को जल्द भेजने की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं में शासन स्तर पर अनावश्यक विलंब न हो। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि केन्द्रांश एवं राज्यांश क्रमशः 90 और 10 के अनुपात की यदि कोई योजनाएं 2020 से पूर्व की लंबित हैं, तो इनका पूरा ब्यौरा दिया जाए।
ग्राम्य विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग की बेहतर व्यवस्थाएं की जाएं, ऑनलाईन मार्केटिंग की भी समुचित व्यवस्थाएं की जाएं। उत्तराखण्ड के जिन उत्पादों की अधिक मांग है, उनकी पूर्ति के लिए भी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बैठकों में जो निर्णय लिये जा रहे हैं, अगली बैठक में सबसे पहले उन निर्णयों के क्रियान्वयन में की गई कार्यवाही की जानकारी दी जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये गांवों में जो भी विकास के कार्य किये जा रहे हैं, उसमें स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिले। जिन योजनाओं में भारत सरकार के स्तर से सामग्री अंश के भुगतान में किसी कारण विलम्ब होने की स्थिति में रिवाल्विंग फंड की व्यवस्था की जाए।
पंचायतीराज विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी ग्राम पचायतों को ओडीएफ प्लस करने की कार्यवाही में और तेजी लाई जाए। गावों में सोलर लाईट को बढ़ावा दिया जाए। कम्प्यूटर विहीन ग्राम पंचायतों में कम्यूटरीकरण करने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाए।
बैठक में जानकारी दी गई कि मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 150 लाख मानव दिवस के सृजन का लक्ष्य रखा गया है। मनरेगा के तहत अमृत सरोवर एवं जल संरक्षण व संवर्धन की दिशा में अच्छा कार्य हो रहा है। मनरेगा, दीनदयाल अंत्योदय- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर में वित्तीय प्रगति गत वर्ष की तुलना में क्रमशः 44, 59 एवं 42 प्रतिशत अधिक रही। ग्रामीण विकास के माध्यम से आर्थिकी को दुगुना करने के लिए मनरेगा के तहत विभिन्न रेखीय विभागों के कन्वर्जेन्स की कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है। दीनदयाल अंत्योदय- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन वैल्यू चौन आधारित विपणन सुविधाओं के विकास पर कार्य किया जा रहा है। 2025 तक सवा लाख लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक प्रदेश में 40 हजार लखपति दीदी बन चुकी हैं।
बैठक में ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, नितेश झा, डॉ. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव आनंद स्वरूप, नितिका खण्डेलवाल एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में अगले वर्ष राज्य में आयोजित होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के सम्बन्ध में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई। बैठक में आयोजन तिथियों, आयोजन स्थलों, खेल के आयोजनों के साथ ही राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से संबंधित अवस्थापना सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में व्यापक विचार विमर्श हुआ।

बैठक में खेल मंत्री रेखा आर्य, मुख्य सचिव डा. एस. एस. संधु अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पाण्डेय, एस. एन. पाण्डेय सहित खेल विभाग तथा भारतीय एवं उत्तराखण्ड ओलंपिक संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे। निदेशक खेल जितेन्द्र कुमार सोनकर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से आयोजन व्यवस्थाओं की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में अगले वर्ष 2024 में अक्टूबर-नवंबर में 38वें राष्ट्रीय खेलों तथा देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार हल्द्वानी, नैनीताल रुद्रपुर एवं गूलरभोज में निर्धारित आयोजन स्थलों पर खेलों के आयोजन पर सहमति व्यक्त करते हुए इस आयोजन को भव्यता एवं गरिमा के साथ आयोजित किये जाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि इसके लिए उच्चाधिकार समिति (एच.पी.सी.) का भी गठन किया जाए जो आयोजन से सम्बन्धित व्यवस्थाओं एवं जरूरतों का ध्यान में रखते हुए त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जी-20 के सफल आयोजन की भांति यह आयोजन भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हो इसका ध्यान रखा जाए इसमें राज्य की देश में बेहतर पहचान बनेगी तथा राज्य के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने इस आयोजन में राज्य के परम्परागत खेलों को भी शामिल करने की बात कही। उन्होंने इसके लिए अभी से वातावरण के सृजन पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि गत वर्ष गुजरात एवं इस वर्ष गोवा में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय खेलों के आयोजन व्यवस्थाओं का भी अध्ययन किया जाए ताकि व्यवस्थायें और बेहतर हो सके पर्यटन के साथ राज्य की संस्कृति के प्रचार प्रसार का यह आयोजन माध्यम बने इस पर भी ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों में हमारे खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सके इसके लिए राज्य स्तरीय खेलों का भी आयोजन राष्ट्रीय खेलों से पहले किया जाए। राज्य के जो खिलाड़ी दूसरे राज्यों की ओर से खेल रहे है उन्हें भी राज्य की ओर से खेलने के लिए प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में तैयार की गई नई खेल नीति का भी व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। यह नीति राज्य के युवा खिलाड़ियों के व्यापक हित में तैयार की गई है इससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के साथ हर संभव सुविधा उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने खेल नीति से सम्बन्धित सभी सुविधाओं का लाभ खिलाड़ियों को उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए।

प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को कैरियर के सम्बन्ध में परामर्श देने के निर्देश-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कैरियर काउंसलिंग की व्यवस्था शुरू किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को कैरियर के सम्बन्ध में परामर्श दिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक बच्चे की काउंसिलिंग सुनिश्चित हो सके इसके लिए प्रोफेशनल कैरियर काउंसलर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए बच्चों में रुचि और कौशल को जांचने हेतु परीक्षा और उसके परिणाम के उपरांत परामर्श उपलब्ध करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह परामर्श भौतिक रूप से, दूरस्थ क्षेत्रों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम या किसी एक कॉमन सेंटर में बच्चों को बुलाकर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 8वीं कक्षा से ऊपर सभी बच्चों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रदेश को आवासीय विद्यालयों से संतृप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि छात्रावासों को विद्यालयों के भाग के रूप में ही तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र जहां सड़कों एवं आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण उत्कृष्ट विद्यालय में शामिल नहीं किया जा सकता, ऐसे स्कूलों के पास लगे कस्बों और छोटे शहरों में आवासीय विद्यालय तैयार किए जाएं। इससे इन दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चे भी हॉस्टल में रहकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।
मुख्य सचिव ने प्रदेश के प्रत्येक जनपद में 2, 3 मॉडल लैब भी तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन मॉडल लैब को टॉप क्लास का बनाया जाना है। उन्होंने कहा कि छात्रों को रोस्टर के आधार पर इन प्रयोगशालाओं में भेजा जाए। प्रत्येक छात्र को प्रयोगात्मक कार्य करने का अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रयोगशालाएं आसपास के स्कूलों के सभी बच्चे प्रयोग कर सकें, इसके लिए कौन से स्कूल को किस प्रयोगशाला में जाना है इसका रोस्टर भी तैयार किया जाए।
इस अवसर पर सचिव रविनाथ रमन एवं महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

पीएम को भाए काफल, कहा-रसीला और दिव्य मौसमी फल है काफल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किये गए उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल काफल के प्रत्युत्तर में प्रधानमंत्री ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देवभूमि उत्तराखण्ड से भेजे गए रसीले और दिव्य मौसमी फल ’काफल’ प्राप्त हुए। हमारी प्रकृति ने हमें एक से बढ़कर एक उपहार दिए हैं और उत्तराखण्ड तो इस मामले में बहुत धनी है, जहां औषधीय गुणों से युक्त कंद-मूल और फल-फूल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। काफल ऐसा ही एक फल है जिसके औषधीय गुणों का उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि काफल उत्तराखण्ड की संस्कृति में भी रचा बसा है। इसका उल्लेख विभिन्न रूपों में यहां के लोकगीतों में भी पाया जाता है। उत्तराखण्ड जाएं और वहां मिलने वाले विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों का स्वाद ना लें, तो यात्रा अधूरी लगती है। गर्मियों के मौसम में पक कर तैयार होने वाले काफल राज्य में आने वाले पर्यटकों में भी खासे लोकप्रिय हैं। अपनी बढ़ी हुई मांग के कारण मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला यह फल स्थानीय लोगों को आर्थिक मजबूती भी प्रदान कर रहा है। मुझे खुशी है कि काफल के लिए उपयुक्त बाजार सुनिश्चित कर गुणों से भरपूर इस फल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाबा केदार और भगवान बद्री विशाल से उत्तराखंड के लोगों के कल्याण और राज्य की समृद्धि की कामना करता हूँ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री के पत्र हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के इन स्नेहपूर्ण शब्दों से हमारा तथा समस्त राज्यवासियों का उत्साहवर्धन हुआ है।

हर्बल टूरिज्म पार्क योजना को धरातल पर उतारन के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में प्रदेश में जड़ी-बूटी के विकास के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में जड़ी-बूटी और इस क्षेत्र में रोजगार की सम्भावनाओं को देखते हुए, जड़ी-बूटी उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि वन पंचायतों के लिए शीघ्र ही योजना तैयार की जाए। जड़ी-बूटी की दिशा में जो वन पंचायतें पहले से कार्य कर रही हैं, उन्हें इस योजना में अवश्य शामिल किया जाए। उन्होंने योजना के लिए नियम व शर्तों को सरल बनाए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि किसी भी योजना को सफल बनाने के लिए उसके नियमों को सरल रखा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर्बल टूरिज्म पार्क योजना भी शीघ्र शुरू की जाए। योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है। जो वन पंचायतें अच्छा कार्य करेंगी, उनको अधिक क्षेत्रफल में कार्य दिया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने वन विभाग को लीसा के सम्बन्ध में प्रदेश की नियमावली को भी अपडेट किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि लीसा (रेजिन) के उत्पादन में पुराने जमाने की तकनीक प्रयोग की जा रही है।
इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक एवं सचिव दीपेन्द्र कुमार चौधरी सहित जड़ी-बूटी शोध संस्थान के अधिकारी भी उपस्थित रहे।