हाईकोर्ट का उपनल कर्मियों को बड़ा तोहफा

नैनीताल हाईकोर्ट ने उपनल कर्मियों के पक्ष में सरकार को आदेश दिए है। जिसके अनुसार सरकार को कोर्ट ने कहा कि वह एक वर्ष के भीतर उपनल कर्मियों को नियमावली के अनुसार नियमित करे। साथ ही उन्हें न्यूनतम वेतनमान भी दे।

कोर्ट के फैसले से राज्य के विभिन्न विभागों, संस्थानों, निगमों में कार्यरत 20 हजार से अधिक उपनल कर्मियों को बड़ी सौगात मिली है। साथ ही उपनल कर्मचारियों की यूनियन को सरकार पर नियमित करने के लिए दबाव बनाने का हथियार भी मिल गया है।

पिछले दिनों हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए क्या नीति बनाई है? सरकार की ओर से जवाब में कोर्ट को बताया गया कि इस प्रकरण पर विचार किया जा रहा है।

मामले के अनुसार कुंदन सिंह नेगी ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने इस पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।

याचिका में कहा गया था कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट मेें पंजीकरण नहीं है, इसलिए यह असंवैधानिक संस्था है। उपनल का गठन पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के लिए हुआ था मगर राज्य सरकार ने इस संस्था को आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति का माध्यम बना दिया। जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है। याचिका में उपनल कर्मियों के सामाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने की मांग की थी।

कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत को न्यायमित्र नियुक्त किया था। अधिवक्ता पंत ने कोर्ट को बताया कि कर्मचारियों ने जब याचिका दायर की तो सरकार की ओर से बताया गया कि उन्हें साल में फिक्सनल ब्रेेक दिया जाता है। कोर्ट ने इस ब्रेक को ना देने तथा इसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध माना था। सोमवार को हाई कोर्ट की ओर से उपनल कर्मियों को नियमावली के अनुसार नियमित करने तथा उन्हें न्यूनतम वेतनमान देने के आदेश पारित किए।

राज्य के विभिन्न विभागों, निगमों व संस्थानों में 20 हजार से अधिक उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें ऊर्जा के तीनों निगमों में ही 1200 कर्मी हैं। उपनल कर्मचारी को प्रतिमाह सरकार द्वारा करीब 12 हजार मासिक मानदेय दिया जाता है। इस आधार सरकार करीब 25 करोड़ मासिक व सालाना करीब तीन सौ करोड़ मानदेय दे रही है। नियमित होने अथवा न्यूनतम वेतनमान के बाद सरकार पर सालाना करीब एक हजार करोड़ वित्तीय बोझ पड़ेगा।

यौवन अवस्था में पहुंचा उत्तराखंड, राज्यपाल सीएम ने दी शुभकामना

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्य स्थापना दिवस की 18वीं वर्षगांठ पर पुलिस लाइन में आयोजित रैतिक परेड का निरीक्षण कर सलामी ली। इस दौरान उन्होंने विशिष्ट सेवाओं के लिए ‘‘राष्ट्रपति पुलिस पदक’’ प्राप्त 03 पुलिस अधिकारियों और ‘‘पुलिस पदक’’ प्राप्त 18 अधिकारियों तथा जवानों को सम्मानित भी किया। वहीं, उन्होंने विशिष्ट विवेचना हेतु मनोज कुमार ठाकुर, पुलिस उपाधीक्षक, उत्तरकाशी तथा सर्वोत्तम थाने के लिये संजय कुमार निरीक्षक थाना सितारगंज को भी पुरस्कृत किया।

राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राज्यपाल ने राज्य की जनता को शुभकामनाएं देकर राज्य आन्दोलनकारियों को नमन किया। राज्यपाल ने अनुशासित और भव्य पुलिस परेड के लिए पुलिस परिवार को बधाई दी।

राज्यपाल ने कहा कि 18 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हमें ईमानदारी से मूल्यांकन करना होगा तथा आगे बढ़ने का लक्ष्य निर्धारित करना होगा। अपनी स्थापना के 18 वर्षों में उत्तराखण्ड ने विकास के कई मापदण्डों पर अच्छा प्रदर्शन किया है, परन्तु फिर भी कई चुनौतियां अभी भी है जिनका समाधान किया जाना जरूरी है।

राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने कहा कि राज्य के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य आर्थिक-सामाजिक विकास के गैप को मिटाना होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं के हाथों में रोजगार देकर ही इस कार्य को किया जा सकता है। उन्होंने युवाओं से प्रदेश व देश के विकास में योगदान करने का आह्वान किया। राज्यपाल ने राज्य निर्माण में मातृशक्ति के योगदान का उल्लेख करते हुए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने का भी आह्वान किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड आज 18 वर्ष पूर्ण कर रहा है और किशोरावस्था से यौवन की ओर आगे बढ़ रहा है। राज्य निरंतर प्रगति करता रहेगा, ऐसा विश्वास है। इस अवसर पर हम उन नौजवानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने राज्य के लिए अपना बलिदान दिया। हम सभी राज्य आंदोलनकारियों को जिन्होंने राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया, शुभकामनाएं देते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस ने नित नये आयाम स्थापित किए हैं। चाहे साइबर क्राइम हो या अन्य अपराध। उत्तराखंड पुलिस ने पूरे समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। इसके लिये उत्तराखंड पुलिस बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के दो थानों को देश के टॉप 10 सर्वोत्तम थानों में स्थान मिला है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दो पुलिस पत्रिकाओं का विमोचन भी किया।

रैतिक परेड की प्रथम कमाण्डर देहरादून एसएसपी निवेदिता कुकरेती, द्वितीय कमाण्डर लोकेश्वर सिंह तथा परेड एडजुटेण्ट शेखर चन्द्र सुयाल थे। रैतिक परेड के उपरांत उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा महिला पाइप बैण्ड, डॉग शो, एण्टीटेररिस्ट स्क्वाड डेमो, एसडीआरएफ डेमो, मोटर साइकिलिंग और घुड़सवारी के हैरतअंगेज प्रदर्शन दिखाये गए। इस दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक सहित आला अधिकारी मौजूद रहे।

भविष्य में यूजेवीएन लिमिटेड की स्थिति में और सुधार होगाः त्रिवेन्द्र

यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा राज्य सरकार को लाभांश के रूप में 18.69 करोड़ रूपये का चैक सौंपा। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यूजेवीएन लिमिटेड अच्छा कार्य कर रहा है। भविष्य में निगम की स्थिति में और भी अधिक सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में विद्युत उत्पादन की काफी क्षमता है, लेकिन कतिपय कारणों से उसका दोहन नहीं हो पा रहा है। जो परियोजनाएं जल्द संचालित हो सकती हैं, उनको शीघ्र संचालित करने का हमारा प्रयास है। जल विद्युत परियोजनाओं के साथ ही सोलर प्रोजक्ट पर भी राज्य में कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस दौरान निगम के सेवानिवृत्त अधिकारियों को सम्मानित किया। वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन, पॉवर व कृषि तीन ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका राज्य की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान है। स्वरोजगार, पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने लिए इन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

मंदिर निर्माण को केंद्र करे रास्ता प्रशस्तः सत्यमित्रानंद गिरि

केंद्र सरकार अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर बनायें, अगर ऐसा नहीं होता है तो मै। देह त्याग दूंगा। ऐसा कहना है भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज का। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।

उन्होंने मांग को पूरी करने के लिए केंद्र सरकार को पांच दिसंबर तक का वक्त दिया है। ऐलान किया कि छह दिसंबर से वह हरकी पैड़ी पर बेमियादी अनशन करेंगे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वामी सत्यमित्रानंद ने कहा अब मंदिर निर्माण से कम कुछ भी मान्य नहीं।

अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि मंदिर निर्माण को जो भी प्रमाण चाहिए थे, वह सभी मिल चुके हैं, अब किसी प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर से शुरू होने वाला उनका विधिक रूप से मंदिर निर्माण की शुरुआत होने तक चलता रहेगा या फिर वह इस निमित्त अपनी देह का त्याग कर देंगे।

अब बहुसंख्यक हिन्दुओं के सब्र का बांध टूटता जा रहा है, अगर मंदिर निर्माण को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो देश में आंदोलन होंगे। स्वामी सत्यमित्रानंद ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को कड़ा कानून बनाना चाहिए। कहा कि, बाबा रामदेव की दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दंपती के मतदान समेत सभी सरकारी अधिकार खत्म कर देने की मांग का वह समर्थन करते हैं।

सीएम बोले, छात्र और छात्रायें नियमित समाचार पत्र पढ़े

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि नागरिक विशेषकर युवा वर्ग विकास व सामाजिक कार्यो हेतु सरकारों पर निर्भरता को कम करने का प्रयास करे। स्वप्रेरणा से सामाजिक दायित्व निभाए। मुख्यमंत्री ने राज्य के युवाओं का आह्वाहन किया कि ऐसे प्रयास किए जाए कि युवाओं की क्षमता, योग्यता, ज्ञान, स्किल, धन, विशेषज्ञता का उपयोग व्यापक सामाजिक विकास व कल्याण के लिए हो। उन्होंने कहा कि टेक्नोक्रेट व प्रोफेशनल अन्तिम व्यक्ति व अन्तिम गांव के विकास में अपनी भूमिका तय करे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को आईआरडीटी ऑडिटोरियम, सर्वे चौक देहरादून में आयोजित मुख्यमंत्री सेवा योजना के तहत ‘‘मेरा सामाजिक दायित्व-स्वर्णिम उत्तराखण्ड’’ में बतौर प्रतिनिधि प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि देश की आजादी के 71 वर्षो के बाद भी हम सरकारों पर पूरी तरह से निर्भर है। यह निर्भरता सोने-चांदी की बैसाखी जैसी है। हमें गम्भीरता से विचार करना होगा कि हम स्वयं समाज, राज्य व देश के लिए क्या कर सकते है। हमारी समाज के प्रति क्या जिम्मेदारी है। हमारी स्किलस व विशेषज्ञता दूरस्थ गांवो के विकास में काम आनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों की अपेक्षा हमारे गांवो में सामाजिक उत्तरदायित्व बखूबी निभाया जाता है। ग्रामीण समाज परस्पर सहायता, सहयोग व सौहार्द में विश्वास करता है।

मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से आह्वाहन किया कि समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन अवश्य करंे। समाचार पत्रों के नियमित अध्ययन से समाज की समस्याओं की जानकारी के साथ ही समाज के प्रति संवेदनाएं जागृत होती है तथा समाज के प्रति जुड़ाव बढ़ता है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रत्येक वर्ष लगभग ढाई से तीन लाख छात्र-छात्राएं बारहवी की परीक्षा पास करते है। यदि सभी छात्र-छात्राएं एक-एक निरक्षर व्यक्ति को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले तो राज्य में सौ प्रतिशत साक्षरता शीघ्र ही प्राप्त की जा सकती है। आज दुनियाभर में सामाजिक कार्यो का महत्व बढ़ गया है। इसके साथ ही बच्चों में उद्यमशीलता व प्रोफेशनलिज्म का विकास करना होगा।

संजय कुमार से भाजपा ने प्रदेश महामंत्री संगठन का पद छीना

भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार से उनका पद छीन लिया गया है। एक महिला द्वारा संजय कुमार पर मीटू का आरोप लगाने के बाद उनसे यह पद छीन लिया गया। सूत्र बताते हैं कि महिला के आरोप मीडिया में आने के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं व संगठन की बैठक बुलाई गई। बैठक में उक्त विषय पर विस्तार से चर्चा के बाद इस निर्णय पर सहमति बनी।

मुख्यमंत्री व आला अफसरों के स्टिंग की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार एक चौनल के सीईओ के खिलाफ पूर्व में दर्ज मुकदमों की वापसी को लेकर भाजपा नेताओं के पत्र उजागर होने से पार्टी असहज स्थिति में थी। अब शनिवार को एक महिला द्वारा पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पर आरोप लगाने से पार्टी की बेचौनी और बढ़ गई। हालांकि, महिला की ओर से पुलिस में ऐसी कोई रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं कराई गई है।

अलबत्ता, महिला की ओर से पूर्व में मोबाइल चोरी की सूचना पुलिस को अवश्य दी गई। वहीं, चर्चा है कि इस प्रकरण के बाद पार्टी में प्रांत से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक गहन मंथन हुआ। शनिवार देर शाम देहरादून में सरकार व संगठन के शीर्ष नेताओं की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार को पद से हटाने का निर्णय ले लिया। हालांकि, आधिकारिक तौर पर पार्टी की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है।

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन ने इतना बताया कि जिस तरह से मीडिया में बात आई है, उसका संज्ञान लिया जाना स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा है।

वारदातः दोस्तों ने ही कर डाली हत्या, एक गिरफ्तार एक फरार

दो दोस्तों के साथ 30 अक्टूबर को घर से निकले युवक का शव पुलिस ने बरामद कर लिया। लापता युवक की हत्या उसी के दो साथियों ने कर दी और शव को लक्कड़ घाट के समीप गंगा के बीच बने एक टापू में दबा दिया। पुलिस ने एक साथी को पकड़ लिया है। जबकि अभी भी पुलिस के चंगुल से बाहर है।

विदित हो कि बीती 30 अक्टूबर को शीशम झाड़ी मुनिकीरेती निवासी सिद्धार्थ बिष्ट (19 वर्ष) पुत्र केदार सिंह बिष्ट घर से लापता हो गया था। जब सिद्धार्थ घर नही लौट तो परिजनों ने मुनिकीरेती रेती थाने में सिद्धार्थ की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। जांच में जुटी पुलिस को पता चला कि सिद्धार्थ की किसी बात को लेकर शीशम झाड़ी निवासी आकाश मंडल पुत्र प्रमोद मंडल के साथ रंजिश थी। वह भी उसी दिन से गायब है। वहीं सिद्धार्थ को फोन करके घर से बुलाने वाला एक अन्य युवक धोबी घाट शीशम झाड़ी निवासी अतुल वाल्मिकी पुत्र ओमप्रकाश भी पुलिस के राडार पर था।

पुलिस ने शनिवार को अतुल बाल्मीकि को धर दबोचा। पूछताछ करने पर अतुल ने हत्या की पूरी कहानी बयां कर दी। मुनि की रेती थाना प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि। आकाश मंडल सिद्धार्थ से रंजिश रखता था। उसने अतुल के साथ मिलकर सिद्धार्थ की हत्या की योजना बनाई। अतुल ने ही सिद्धार्थ को स्मैक पीने के बहाने घर से बाहर बुलाया। जिसके बाद दोनों उसे लेकर उसकी ही स्कूटी से विस्थापित कॉलोनी के पीछे गंगा में बने टापू में पहुंचे। टापू में तीनों ने स्मैक पी। सिद्धार्थ को ज्यादा स्मैक पिलाई गई, जिससे वह अर्थ मूर्छित हो गया। जिसके बाद दोनों ने सिद्धार्थ का गला दबाकर और सिर को पत्थर से भी कुचल कर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद दोनों ने शव को टापू में ही दबा दिया। इसके बाद सिद्धार्थ की स्कूटी लेकर श्यामपुरा आये और स्कूटी को बायपास मार्ग पर लावारिस छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि हत्यारोपी आकाश मंडल पुत्र प्रमोद मंडल निवासी शीशम झाड़ी की गिरफ्तारी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

शिक्षकों के संवेदनशील बनने से लाई जा सकती है शिक्षा में गुणवत्ता

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षकों को शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये नैतिकता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार भी दें। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। यही बच्चे आने वाले समय में देश का भविष्य तय करेंगे।

उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग और पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ में आयोजित दो दिवसीय ज्ञानकुंभ में 18 राज्यों के उच्च शिक्षामंत्री व उच्च शिक्षा सचिव और 131 विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं। इसमें उच्चतर शिक्षा में गुणात्मक सुधार और भविष्य की चुनौतियों पर मंथन किया जा रहा है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के तीन प्रमुख स्तंभ हैं। शिक्षक, विद्यार्थी और प्रबंधन। इनमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की है।

उन्होंने आचार्य चाणक्य, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए शिक्षक की भूमिका को रेखांकित किया। कहा कि यह शिक्षक का दायित्व है कि वह शिष्य की प्रतिभा को पहचान उसे निखारे। भारत रत्घ्घ्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवन का उदाहरण देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनके गुरु ने डॉ. भीमराव की मेधा को पहचाना था और उन्हें अपना उपनाम आंबेडकर दिया। आयोजन के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस मंथन से निकलने वाले परिणाम की उन्हें भी प्रतीक्षा रहेगी।

योग गुरु बाबा रामदेव के कार्य को सराहते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा ने योग को कंदराओं से निकाल घर-घर पहुंचा दिया। इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शिक्षा में तकनीक का समावेश करने के साथ ही संस्कृत को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वहीं योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो हर नागरिक को शिक्षित करना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ज्ञानकुंभ के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए देश में उच्च शिक्षा के हालात रखे।

एम्स का दीक्षांत समारोहः स्वास्थ्य लाभ के लिये बापू देते थे उत्तराखंड को महत्वः कोविंद

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के प्रथम दीक्षांत समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं है। इस राज्य के विकास को यदि सही गति मिले तो यह यूरोप से भी बेहतर सेवायें दे सकता है। स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से महात्मा गांधी भी उत्तराखंड को खास महत्व देते थे। कहा कि योग, अध्यात्म और आयुर्वेद उत्तराखंड की धरोहर हैं। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार की भी प्रशंसा की। एम्स की आठ बेटियों को गोल्ड मेडल व उपाधि देने पर राष्ट्रपति ने प्रसन्नता जाहिर की।

एम्स ऋषिकेश की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलना चाहिए। चिकित्सा सेवाओं का स्तर ऊंचा उठने से यहां के लोगों की महानगरों पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने उम्मीद जताई की एम्स यहां महिलाओं में बढ़ रहे एनीमिया और रक्तचाप जैसे रोगों को लेकर शोध करेगा। चिकित्सकों को टेलीमेडिसिन का लाभ पहुंचाया जा सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से देश की 40 फीसदी आबादी जुड़ चुकी है। एम्स शोध, चिकित्सा विज्ञान और शिक्षा की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि कैंसर उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स श्रेष्ठ संस्थान बनेगा। कहा कि जल्द ही केंद्र सरकार 14 और नये एम्स खोलने जा रही है।

एम्स के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान की शैक्षणिक व चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में प्रगति का उल्लेख किया। कहा कि नए खुले छह एम्स में ऋषिकेश एक मात्र संस्थान है जिसमें आयुष्मान भारत योजना सबसे पहले लागू की है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की देन है।

इससे पहले राष्ट्रपति ने पीएचडी की एक एमबीबीएस की पांच और नर्सिंग की दो छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए। इसके अलावा 162 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। इनमें 44 एमबीबीएस और 117 बीएससी नर्सिंगग शामिल है।

समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और माला राज्य लक्ष्मी शाह, मुख्य सचिव उत्पल कुमार, पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी आदि उपस्थित थे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेशः स्वामी सानंद के देह के दर्शन अनुयायियों को कराये जाए

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिये ठोस कानून बनाने की मांग को लेकर 113दिन से अनशन के बाद स्वामी सानंद ने देह त्याग दिया था। मगर, उनके अनुयायियों को उनके अंतिम दर्शन नहीं हो सके थे। मगर, अब अगले दस रविवार तक उनके दर्शन किये जा सकेंगें।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतिम दर्शनों की सशर्त दी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश प्रशासन ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी। हाईकोर्ट ने सानंद का पार्थिव शरीर 76 घंटे तक हरिद्वार स्थित मातृसदन आश्रम में दर्शनार्थ रखने के आदेश एम्स को दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्वामी सानंद के अनुयायियों की भावना को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अनुयायी ऋषिकेश एम्स में उनके पार्थिव शरीर के दर्शन कर करेंगे। इसके लिए अदालत बाकायदा समय सारिणी जारी की है। अदालती आदेशों के मुताबिक एम्स ऋषिकेश में जहां भी स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर रखा गया गया है, वहां हर रविवार को 10-10 के बैच में अनुयायी उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। लेकिन, एक दिन में अधिकतम 50 को ही यह दी जाएगी। दर्शनों की केवल दस रविवार के लिए की गई है।