सीएम धामी ने महाकुंभ घटना में उत्तराखंड वासियों के लिये जारी किये हेल्पलाइन नंबर

महाकुंभ प्रयागराज की घटना के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपदा प्रबन्धन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा उत्तराखंड वासियों की सहायता के लिए निम्नवत हेल्पलाइन नंबर जारी किये गये हैं। उत्तराखण्ड के प्रभावित श्रद्धालु प्रत्येक प्रकार से सहायता के लिए मोबाईल नंबर 8218867005, 9058441404, दूरभाष नंबर 0135 2664315 और टोल फ्री नंबर 1070 पर संपर्क कर सकते हैं।

सचिव आपदा प्रबंध विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि भगदड़ के कारण महाकुम्भ क्षेत्र, प्रयागराज में यदि उत्तराखण्ड राज्य के श्रद्धालु किसी प्रकार से प्रभावित हुए हों, किसी भी प्रकार के मदद और घटना से सम्बन्धित किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए इन हेल्पलाईन नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं।

बस हादसे में मृत हुए लोगों के परिजनों को सरकार ने चार लाख देने के निर्देश दिए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी बस हादसे में मृतक परिजनों को 4-4 लाख रुपए और गंभीर घायलों को 1- 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पौड़ी से अस्पताल में भर्ती घायलों की स्थिति की जानकारी लेते हुए समुचित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि घायलों को यदि हायर सेंटर रेफर करना पड़े तो जिलाधिकारी तत्काल इसका संज्ञान लें, उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की है।

अल्मोड़ा में हुये बस हादसे के बाद सीएम ने रामनगर पहुंचकर जाना घायलों का हाल

अल्मोड़ा जिले के सल्ट तहसील में मार्चुला के पास कूपी में हुए भीषण बस दुर्घटना में 36 व्यक्तियों की मृत्यु तथा 26 लोग घायल हुए है। इस दुःखद घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों की आत्मा की शांति एवं शोकाकुल परिवार जनों को इस दुख की घड़ी में दुख सहने की ईश्वर से कामना की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल मुआवजे का ऐलान करते हुए इस हादसे में हताहत हुए लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये वह घायलों को 01 लाख रूपये मुआवजे की घोषणा की मुख्यमंत्री ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की है।

इस दुःखद घटना की जानकारी प्राप्त होते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल राहत एवं बचाव कार्य के निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को देने के साथ ही स्वयं रामनगर पहुंच कर मार्चुला में हुई बस दुर्घटना में घायलों की कुशल क्षेम जानी तथा मृतकों के परिजनों से शोक संवेदना व्यक्त की।

मुख्यमंत्री ने रामनगर चिकित्सालय में भर्ती घायलों का हालचाल जाना तथा उनके बेहतर उपचार हेतु आवश्यक निर्देश सीएमओ व अन्य चिकित्सकों को दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक घायल व्यक्ति को बेहतर से बेहतर उपचार मिले, अगर उन्हें हायर सेंटर भेजने की आवश्यकता है तो एयर एंबुलेंस से तत्काल भेजा जाए इस दौरान मुख्यमंत्री घायलों के परिजनों से भी मिले तथा उन्हें घायलों को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्ध कराने को आश्वस्त कराया।

इस घटना में गंभीर 6 घायलों को एयर एंबुलेंस से एम्स ऋषिकेश तथा 01 घायल को एसटीएच हल्द्वानी एयर एंबुलेंस के माध्यम से तथा 5 अन्य घायलों को 108 एम्बुलेंस से एसटीएच हल्द्वानी भेजा गया, 5 घायलों को उनके परिजनों की मांग पर अन्य चिकित्सालयों में पहुंचाया गया। 9 घायल रामनगर चिकित्सालय में भर्ती हैं जिनका उपचार किया जा रहा है।

घटना की सूचना के तुरंत बाद आयुक्त कुमाऊं/सचिव मुख्यमंत्री दीपक रावत व अन्य अधिकारी भी मौके पर पंहुचे। इससे पूर्व आयुक्त ने रामनगर चिकित्सालय में भर्ती घायलों का हाल जाना। उन्होंने चिकित्सकों को घायलों का बेहतर उपचार करने के निर्देश दिए।

इस दौरान गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, दर्जा राज्यमंत्री डॉ अनिल डब्बू, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत जिलाधिकारी वन्दना, एसएसपी प्रहलाद मीणा, सीएमओ डॉ हरीश चन्द्र पंत सहित अन्य मौजूद रहे।

राहत एवं बचाव कार्यों के लिए धनराशि की पर्याप्त व्यवस्था-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को आईटी पार्क स्थित राज्य आपदा परिचालन केन्द्र से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतिवृष्टि की जानकारी ली। सचिव आपदा प्रबंधन को उन्होंने निर्देश दिये कि जिलाधिकारियों से निरंतर समन्वय बनाये रखें। अतिवृष्टि के कारण राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता मांगे जाने पर यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने बालगंगा एवं बूढ़ाकेदार क्षेत्र के प्रभावित गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को भी शीघ्र से शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सभी जनपदों को इस वित्तीय वर्ष में अभी तक कुल 315 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। आवश्यकता पड़ने पर जनपदों को और भी धनराशि उपलब्ध कराई जायेगी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जिलाधिकारी हरिद्वार, टिहरी, देहरादून, चमोली, नैनीताल, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी से बारिश की स्थिति, जानमाल के नुकसान, जलभराव की स्थिति, सड़कों, पुलों, पेयजल और विद्युत की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अगले 24 घण्टे सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड में रखें। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाए और उनके रहने खाने की पर्याप्त व्यवस्थाएं रखी जाए। सुरक्षित स्थानों पर लाये जा रहे बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती माताओं को रहने के साथ दवाइयों एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों की समुचित व्यवस्था रखी जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अतिवृष्टि के कारण सड़के बाधित होने की स्थिति में उनको सुचारू करने में कम से कम समय लिया जाए। उन्होंने पुल टूटने पर बैली ब्रिज बनाकर जल्द से जल्द आवागमन को सुचारू किए जाने के भी निर्देश दिए, कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को पेयजल और विद्युत की सूचारू आपूर्ति हो। चारधाम यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं रखने के उन्होंने निर्देश दिये हैं। यात्रा मार्ग में अतिवृष्टि के कारण यदि कहीं पर मार्ग बाधित होते हैं या आगे कोई खतरा प्रतीत होता है तो यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया जाए। अतिवृष्टि से प्रभावित परिवारों को अनुमन्य सहायता राशि शीघ्र उपलब्ध कराये जाने के साथ ही फसलों और मवेशियों को हुए नुकसान का आंकलन करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को दिए हैं।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष राज्य सलाहकार समिति आपदा प्रबंधन विनय कुमार रूहेला, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन राजकुमार एवं आपदा प्रबंधन से जुड़े अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

वनाग्नि की घटनाओं रोकने को वन विभाग ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल बनाएंः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी हल्द्वानी में वन, पेयजल, सड़क तथा विद्युत विभाग की समीक्षा की। उन्होंने वनाग्नि की घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम और कार्मिकों के मनोबल को बनाए रखने के लिए उच्च अधिकारियो को मौके पर फील्ड में बने रहने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ब्रिटिश काल की फायर लाइन जो अभी भी अस्तित्व में है, उन्हें रिस्टोर किया जाए ताकि वनाग्नि से जंगलों को काफी हद तक बचाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने वन विभाग के कार्मिकों को ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बेहतर तालमेल से किसी भी प्रकार की आपदा के समय ग्रामीण सहयोगी के रूप में भूमिका निभायेंगे। इससे आपदा के प्रभाव को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी और ग्रामीण अपने वन-जंगल के प्रति भी जुड़ाव महसूस करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समय के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं से निपटने में यद्यपि वन विभाग प्रयासरत है फिर भी इस दिशा में वन विभाग राज्य के लिए एक समावेशी प्लान तैयार करे जिससे हर साल लगने वाली आग को कम से कम किया जा सके। उन्होंने इस संबंध में देश के साथ ही विदेशो के विकसित मॉडल का अध्ययन पर बल देते हुए कहा कि इसे जरूरत के हिसाब से अपने राज्य के प्लान में समावेशित किये जाने के प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग अपने ढांचे को निचले स्तर से सुदृढ़ कर बेहतर तरीके से कार्यों को क्रियान्वित करने पर ध्यान दे।

मुख्यमंत्री ने सड़क निर्माण एजेंसियों को सड़क निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। रोड सेफ्टी हेतु लगाए जा रहे क्रैश बैरियर पर क्षेत्र की परिस्थितिकी के अनुरूप पौधारोपण को भी कहा। आम जन को गर्मी के सीजन में पेयजल की समस्या न हो इसके लिए पेयजल की आपूर्ति सुचारू करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि किसी भी कारणवश पेयजल लाइन बाधित होती है वहां अतिरिक्त टैंकर लगाकर पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने सरकारी दफ्तरों में सोलर पैनल को बढ़ावा देने के लिए विद्युत विभाग को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए।

मुख्य वन संरक्षक पी के पात्रों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि सभी फायर वाचर को पिरुल एकत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिससे भविष्य में आवश्यकतानुसार उपयोग किया जा सके। बैठक में जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि जनपद में फरवरी 2019 से मई 2024 तक वनाग्नि की घटनाओं की तुलना में इस साल कम आग की घटनाएं घटित हुई है।

बैठक में विधायक लालकुआ डॉक्टर मोहन बिष्ट, डीआईजी डा योगेन्द्र रावत, एस एस पी पी एन मीणा, जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, मंडी परिषद अध्यक्ष अनिल कपूर, डीएफओ टीआर बीजूलाल, अधीक्षण अभियंता जलसंस्थान विशाल सक्सेना,एनडीआरएफ अनिल कुमार के साथ ही लोनिवि, विद्युत विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

उत्तराखंडः वनाग्नि नियंत्रण हेतु प्रत्येक जिलाधिकारी को 5 करोड़ का बजट आवंटित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य में वनाग्नि को नियंत्रित किए जाने के सम्बन्ध में दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन का अपडेट लेते हुए सोमवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण में लापरवाही बरतने पर रेंज अधिकारी, जोरासी (अल्मोड़ा वन प्रभाग, अल्मोड़ा) को प्रभागीय कार्यालय स्तर पर सम्बद्ध किया गया है। सीएस ने जोनल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक कुमाऊँ/गढ़वाल तथा वन्यजीव परिरक्षण क्षेत्र को निर्देश दिए है कि वनाग्नि नियंत्रण कार्यों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियो/ कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।

मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुपालन में मॉडल क्रू-स्टेशन/क्रू-स्टेशन पर मोबाईल क्रू टीम प्रत्येक चारधाम रूट पर सभी विजिबल स्ट्रेचस एवं रूट के किनारे पड़ने वाले ग्रामों की मैपिंग की गई है एवं मोबाइल क्रू-टीम तैनात की जा रही है। राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी वनाग्नि एवं आपदा प्रबन्धन द्वारा वनाग्नि की घटनाओं की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है। उनके द्वारा उच्च स्तर को भी वनाग्नि की घटनाओं की अद्यतन सूचना से अवगत कराया जा रहा है। वरिष्ठ वनाधिकारियों द्वारा वनाग्नि नियंत्रण कार्यवाही के क्षेत्र भ्रमण/अनुश्रवण की दैनिक रिर्पाेट मुख्यालय को उपलब्ध करायी जा रही है। प्राप्त फायर अलर्ट को तत्काल वाट्सअप गु्रपस में पोस्ट कर तत्काल सम्बन्धित क्रू-टीम को मौके पर भेज कर रिस्पॉन्स टाइम को कम से कम वनाग्नि को नियंत्रित किया जा रहा है। प्राप्त लार्ज फोरेस्ट फायर अलर्ट पर विशेष मॉनिटरिंग करते हुए कम से कम समय में वनाग्नि को नियंत्रित किया जा रहा है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि वनाग्नि नियंत्रण में सक्रिय वन पंचायतों/वनाग्नि प्रबन्धन समितियों/ महिला मंगल दलों/ युवा मंगल दलों की भी सहायता ली जाए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा वनाग्नि नियंत्रण हेतु प्रत्येक जिलाधिकारी को 5 करोड़ का बजट आवंटित कर दिया गया है। जिलाधिकारियों की पूरी टीम जिसमें जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी, डीएफओं, पुलिस अधिकारियों व फायर वॉचर्स मौके पर वनाग्नि बुझाने के कार्य पर निरन्तर लगे हुए हैं। इसमें अतिरिक्त सहायता युवा मंगल दल, महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूहों, वॉलियटर्स, पीएससी जवान, होम गार्डस व पीआरडी जवानों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा। आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा जल्द ही छोटे आकार में वॉटर टैंकर क्रय किए जाएगे, जिनकी सहायता से आसानी से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पोर्टेबल पम्पों की सहायता से आग बुझाई जा सकेगी। आग बुझाने वाले सिलेण्डरों की व्यवस्था भी तत्काल की जा रही है।

डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि जिन स्थानों पर आग लगाने की घटनाएं सामने आई हैं, वहाँ पर वन विभाग के अधिकारी, एसडीएम एवं स्थानीय पुलिस बल की सयुंक्त टीम द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु एक एसओपी बनाई गई है। इसके तहत पहले फॉरेस्ट एक्ट, वाइल्ड लाइफ एक्ट अर्न्तगत कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही हाल ही में उत्तराखण्ड में पारित पब्लिक प्राइवेट प्रोपर्टी डेमेज रिकवरी एक्ट के तहत भी कार्यवाही की जाएगी। जो लोग बार-बार इस प्रकार की घटनाओं में लिप्त पाए जाते हैं उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी तथा दोषियों की सम्पति भी जब्त करने की कार्यवाही की जाएगी। अभी तक वनाग्नि की घटनाओं में 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। जिनमें से चार लोगों को गिरफतार कर लिया गया है। अभी तक वनाग्नि के कारण किसी भी मानव या वन्य जीवन की हानि की जानकारी नही है।

अपर प्रमुख वन संरक्षक निशान्त वर्मा ने बताया कि वन विभाग के मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी नामित कर दिया गया है तथा सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा फील्ड हेतु प्रस्थान किया जा चुका है। वन विभाग में कार्यरत लगभग 4000 फायर वाचर्स की इन्शोरेन्स की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में एनडीआरएफ भी लगाई जाएगी। हैलीकॉप्टर से वनाग्नि प्रभावित इलाकों में पानी का छिड़काव किया जा रहा है। जिलाधिकारियों द्वारा खेतों में चारे आदि को जलाने तथा शहरी क्षेत्रों पर ठोस कचरे को जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध का आदेश पारित कर दिया गया है। जिन गांवों के आसपास कोई वनाग्नि की घटनाएं नही हुई उन्हें पुरूस्कृत किया जाएगा। आईआईटी रूड़की के साथ क्लाउड सीडिंग के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है।

बैठक में डीजीपी अभिनव कुमार, सचिव डा0 रंजीत कुमार सिन्हा, अपर प्रमुख वन संरक्षक निशान्त वर्मा, सचिव दिलीप जावलकर सहित विभिन्न सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

देहरादून के गोविंदगढ़ में 15 झोपड़ियों में आग लगने का मुख्यमंत्री धामी ने लिया संज्ञान

देहरादून के गोविंदगढ़ में स्थित बस्ती में 15 झोपड़ियों में आग लगने से नुकसान होने के मामले का मुख्यमंत्री धामी ने संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी देहरादून को पीड़ितों की यथासंभव सहायता के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी ने अवगत कराया है कि आज मौके पर 40 राशन के बैग भेजे जा रहे हैं। साथ ही जो भी अन्य सहायता अपेक्षित होगी जिला प्रशासन के स्तर से की जायेगी।

देहरादून के गोविंदगढ़ में एक प्लाट में बनी कई झोपड़ियों में सोमवार को आग लग गयी थी, जिससे पूरा सामान जलकर राख हो गया। इनमें 15 झोपड़ियां पूरी तरह से जल गई थी।

इस मामले का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल संज्ञान लिया है। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि इस घटना के पीड़ितों की यथासंभव मदद की जाए। तत्क्रम में जिलाधिकारी की ओर से गोविंदगढ़ में प्रभावित लोगों को 40 पैकेट राशन के भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा पीड़ितों की हर संभव मदद जिला प्रशासन के स्तर से की जाएगी।

खेत में पानी छोड़ने पर दबंगों ने किसान को मारी गोली, मौत

हरिद्वार के मंगलौर कोतवाली क्षेत्र में खेत में पानी छोड़ने का विवाद खूनी खेल पर उतर आया। दबंगों ने एक किसान केखेत में पानी छोड़ दिया जिससे उसकी फसल खराब हो गई। विरोध करने पर दबंगों ने पहले तो किसान से मारपीट की और बाद में गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस अब आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।

जानकारी के मुताबिक मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के कुंआहेड़ी गांव में 35 वर्षीय भारतवीर पुत्र ब्रजवीर अपने परिवार के साथ अपने खेतों के पास ही बनाए गए घर में रहता था। खेत के बगल से नाली गुजरती है जिसके दूसरी तरफ अन्य लोगों के खेत हैं। पड़ोसी ने अपने खेतों में सिंचाई की थी, लेकिन बाद में पानी भारत के खेतों की ओर छोड़ दिया जिससे उसकी फसल को नुकसान हो गया।

बताया जा रहा है कि भारत ने पड़ोसियों के सामने इस बात का विरोध किया। लेकिन विरोध जताने पर दूसरे पक्ष के लोग भड़ गए और मारपीट पर उतर आए। बाद में उन्होंने भारत की पीठ से तमंचा सटाकर गोली चला दी जो भारत के शरीर के आरपार हो गई। गोली की आवाज सुनकर ग्रामीण घटनास्थल की तरफ दौड़े और घायल अवस्था में उपचार के लिए रुड़की के सिविल अस्पताल लाए। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस के मुताबिक आरोपियों के खेत पीड़ित के खेत के पास हैं। जहां रात में पानी छोड़ने से कटे हुए गेहूं में पानी रिस जाने के कारण दोनों पक्षों में सुबह के समय कहासुनी हो गई थी। इसके बाद फोन पर भी दोनों पक्षों में बहसबाजी हुई। शाम के समय दोनों पक्षों में झगड़ा होने पर भरतवीर की मृत्यु हो गई। पुलिस ने मौके से लाठी-डंडे और 315 बोर तमंचे का खोखा बरामद किया है। जानकारी मिलते ही एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल और एसपी देहात एसके सिंह ने भी मौके का मुआयना किया। एसपी देहात एसके सिंह ने बताया कि मारपीट के मामले में युवक की हत्या की गई है।

पौड़ी में शादी से एक दिन पूर्व दुल्हन हुई अचानक गायब, गुमशुदगी दर्ज

पौड़ी जनपद के एक गांव से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दुल्हन हाथों पर मेंहदी लगाकर सजी थी। घरवालों को बारात के आने का इंतजार था। लेकिन तभी फिल्मी स्टाइल में ड्रामा शुरू हुआ और दुल्हन अचानक गायब हो गई। परिजनों ने उसे आसपास ढूंढा, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चल पाया। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा है। दुल्हन के जीजा ने पुलिस में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया है।

कोतवाली पौड़ी पुलिस को एक ग्रामीण ने एक तहरीर दी है। तहरीर में ग्रामीण ने बताया कि उसकी साली का शादी समारोह मेरे घर में आयोजित हो रहा था। सोमवार की रात साली की मेहंदी की रस्म संपन्न हुई थी। सभी परिजन गांव में पहुंच चुके हैं। मंगलवार को न्यूतेर के बाद बुधवार को बारात रुद्रप्रयाग से आनी थी। घरवाले बारात के आने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन मंगलवार को सुबह जब परिवार के लोग उठे, तो देखा कि दुल्हन अपने कमरे में नहीं है। आसपास खोजा, तो वह कहीं नहीं मिली। उसका फोन भी स्विच ऑफ आया।

एसएसआई पौड़ी संतोष पैथवाल ने बताया कि दुल्हन के लापता होने पर जीजा की ओर से शिकायत मिलने पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर तलाश तेज कर ली गई है। उन्होंने बताया कि मामले में पुलिस टीम गठित कर एसआई लक्ष्मी जोशी को जांच सौंप आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। पुलिस ने बताया कि दुल्हन का विवाह रुद्रप्रयाग जिले के युवा से तय हुई था।

उत्तराखंडः नहीं थम रही वनाग्नि की घटनाएं, अब 24 घंटे के भीतर 47 घटना

उत्तराखंड में जंगल की आग शांत नहीं हो रही है। मंगलवार को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में आग की 47 नई घटना हुईं। जिनमें कुल 53 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा। फायर सीजन में अब तक कुल 478 घटना में 571 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है जिससे लाखों की लागत की वन संपदा का नुकसान हुआ है। जंगलों में आग की बढ़ती घटनाएं चुनौती बन गई हैं।

प्रदेश में नई टिहरी, रानीखेत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नरेंद्रनगर, उत्तरकाशी, तराई पूर्वी, लैंसडौन, हल्द्वानी, रामनगर, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व व नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में जंगल की आग की घटनाएं लगातार दर्ज की जा रही हैं। जिसे बुझाने में वन विभाग के हाथ-पांव फूल रहे हैं।
तमाम कोशिशों के बावजूद जंगलों में आग की बढ़ती घटनाएं चुनौती बन गई हैं। वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं। 18001804141, 01352744558 पर काल कर सकते हैं। साथ ही 9389337488 व 7668304788 पर वाट्सएप के माध्यम से भी सूचित कर सकते हैं।