बेकार तेल अब फेंके नही, घर में बुलाएं और बनाए बायोडीजल

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) को बड़ी सफलता मिली है। आइआइपी ने इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल से बायोडीजल बनाया शुरू कर दिया है। सुभाष रोड स्थित एक होटल में खाद तेल से बायोडीजल बनने की प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया। वहीं पहली रिपर्पज यूज्ड कुकिंग आयल (रुको) एक्सप्रेस को झडी दिखाकर आइआइपी में लगाए गए प्लाट के लिए रवाना भी किया गया।
आइआइपी, खाद्य सुरक्षा विभाग और गति फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में रुको एक्सप्रेस को हरी झडी दिखाकर खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ. पंकज पाडेय और आइआइपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने रवाना किया। आइआइपी में इस्तेमाल खाद्य तेल से बायोफ्यूल बनाने के लिए 50 लीटर का प्लाट लगा हुआ है, जहां शहर भर से इस्तेमाल खाद्य तेल को बायोफ्यूल में तब्दील किया जा सकेगा। यहां पर कोई आमजन भी 20 रुपये प्रति लीटर की दर से अपने घर में इस्तेमाल खाद्य तेल बेच सकता है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ. पंकज पाडेय ने कहा कि खाद्य तेल का जितनी बार इस्तेमाल किया जाता है, वह स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक होता जाता है और इससे कैंसर जैसे गंभीर रोगों को भी खतरा बना रहता है।
50 लीटर तक के इस्तेमाल खाद्य तेल से बॉयोफ्यूल बनाने का प्लाट एक ट्रक में लगाया जा सकता है। खाद्य सुरक्षा विभाग दून के व्यापारियों के लिए संपर्क नंबर जारी करेगा, जिस पर कॉल करके इस मोबाइल प्लांट को अपने कार्यस्थल पर ही बुलाकर बायोफ्यूल पैदा कर सकते हैं। अक्सर व्यापारियों को इस्तेमाल खाद्य तेल फेंकना पड़ता है। लेकिन इस तेल से बायोफ्यूल बनने से व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. रंजन रे ने बताया कि तीन बार इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल से बायो डीजल भी बनाया जा सकता है और जेट फ्यूल भी। आइआइपी का उद्देश्य है कि देश के कम से कम 10 प्रतिशत गावों में इस्तेमाल किए जा चुके खाद्य तेल से बायोडीजल बनाने का प्लाट लगाया जाए। आइआइपी 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इस्तेमाल तेल खरीदेगा। इस तेल का 90 प्रतिशत हिस्सा बायोडीजल बनाया जा सकेगा। आइआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज आत्रे ने इस मौके पर तेल से बायोडीजल बनाने का प्रयोग करके भी दिखाया।
फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने बताया कि हर व्यक्ति एक महीने में लगभग डेढ़ लीटर खाद्य तेल इस्तेमाल करता है। वर्ष 2017 में देश में कुल 2,300 करोड़ टन इस्तेमाल किया गया था और 2030 तक इसके 3,400 टन प्रतिवर्ष पहुंचने की संभावना है। हर व्यक्ति के हिस्से का इस्तेमाल खाद्य तेल जमा किया जाए तो देश बायो डीजल के उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा।

कॉरपोरेट और सरकार के मध्य गैप को कम करेगा ‘सहयोग’ पोर्टल

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पोर्टल ‘‘सहयोग‘‘ का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘सहयोग‘‘ पोर्टल के माध्यम से राज्य सरकार एवं उद्योग जगत से जुड़े लोगों के मध्य आपसी सामंजस्य बढ़ेगा, साथ ही सरकार एवं उद्योग जगत के मध्य गैप को कम करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि पोर्टल के माध्यम से सरकार की प्राथमिकताओं की जानकारी पूर्ण पारदर्शिता के साथ उद्योग जगत के समक्ष उपलब्ध होगी, साथ ही साथ, सी.एसआर के अंतर्गत पोर्टल के माध्यम से उद्योगों को राज्य के विकास में अपनी इच्छा के अनुरूप कार्यक्षेत्र चुनने का भी अवसर होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में सीएसआर फंड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस सी.एस.आर. फंड के सही उपयोग करने के लिये इंडस्ट्रीज को सरकार की प्राथमिकताओं की जानकारी होना आवश्यक है। इसके लिए विभागों द्वारा प्रयास किये जाने चाहिए ताकि पोर्टल पर समस्त प्रकार की जानकारी उपलब्ध हो सके। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को विभागों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर कराये जाए वाले कार्यों की जानकारी पोर्टल पर शीघ्र अपलोड करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने उद्योग जगत से सरकार की प्राथमिकताओं एवं विजन-2020 के अनुरूप विकास कार्यों में अपना सहयोग देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। साथ ही अच्छे प्रोजेक्ट्स को सम्मानित भी किया जाएगा।

सचिव राधिका झा बताया कि कॉरपोरेट एवं सरकार के मध्य गैप को कम करने हेतु तैयार इस पोर्टल के माध्यम से विभागाध्यक्ष अपने ऐसे प्रोजेक्ट्स, जिन्हें वे अपने संसाधनों से नहीं कर पा रहे हैं, को प्राथमिकता के आधार पर अपलोड करेंगे। इससे कॉरपोरेट जगत को ऐसे प्रोजेक्ट्स या क्षेत्रों की जानकारी मिल जाएगी जिन क्षेत्रों में उनका सहयोग अपेक्षित है। सचिव ने बताया कि पोर्टल में कॉरपोरेट को सेक्टर और जनपद चयन करने का भी विकल्प होगा। इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग भी सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से लगातार की जाएगी।

कश्मीर अब खुले में सांस लेने लगा हैः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में फिल्म मुद्दा 370 जे एंड के फिल्म का टीजर रिलीज किया। उन्होंने फिल्म को ऐतिहासिक तथ्यों तथा समसामयिक विषय पर आधारित बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि धारा 370 के हटने से कश्मीर को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद मिली है। इस धारा के कारण कश्मीर देश की मुख्य धारा से अलग ही नहीं था, बल्कि तमाम बन्दिशों का भी सामना कर रहा था। अब कश्मीर खुले में सांस लेने लगा है, आने वाले समय में इसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे तथा कश्मीर पुनः धरती का स्वर्ग बनेगा।

उन्होंने फिल्म की 50 प्रतिशत शूटिंग उत्तरकाशी के जखौल, मोरी, पुरोला क्षेत्र में किये जाने की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में फिल्मांकन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के साथ ही प्रदेश व अन्य क्षेत्र भी फिल्मांकन के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के जखौल क्षेत्र के विकास के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं।

वहां पर हेलीपैड के साथ ही हॉस्पिटल भी स्थापित किया गया है। इस क्षेत्र को हिमाचल से जोड़ने के लिये 12 कि.मी सडक का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड माउन्टेनियरिंग का भी पसंदीदा स्थल है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि राज्य में फिल्मों के निर्माण से देश व दुनिया के सामने यहां के नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य की पहचान बनेगी तथा अनेक अनछुए क्षेत्र, देश व दुनिया के सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वे अपनी अगली फिल्म पी.ओ.के का निर्माण आरम्भ करेंगे।

फिल्म के निर्माता भवर सिंह पुंडीर तथा निर्देशक राकेश सावंत ने बताया कि यह फिल्म कश्मीर के ज्वलंत मुद्दों तथा कश्मीर से हुए पलायन के दर्द को बयां करती है। उन्होंने कहा कि फिल्म की 50 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखण्ड में की गई है। उनका मानना था कि उत्तराखण्ड का सौन्दर्य कश्मीर से कम नहीं है। स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि यह फिल्म देश भर के थियेटरों में प्रदर्शित की जायेगी। कश्मीर के लिये उत्तराखण्ड का परोक्ष रूप से बड़ा योगदान रहा है। यहां के सैनिकों ने वहीं पर अपना बलिदान दिया है। इसी के दृष्टिगत मुख्यमंत्री से इसका टीजर रिलीज करने का अनुरोध किया गया है।

राज्य के विकास में विद्युत उत्पादन की अहम भूमिका

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम के अध्यक्ष एवं सचिव राधिका झा तथा प्रबन्ध निदेशक एसएन वर्मा ने दस करोड़ दो लाख तीन हजार दो सौ बासठ (10,02,03,262) की धनराशि के लाभांश का चेक भेंट किया।
यूजेवीएन को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि निगम को अपनी विशिष्टता बनाये रखनी होगी। उन्होंने निगम के अधिकारियों से भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को भी ध्यान में रखते हुए कार्य योजना बनाने को कहा, इसके लिये बेहतर कार्य संस्कृति, लगन, अनुशासन एवं ईमानदारी से योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रति ध्यान दिये जाने पर बल दिया।
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये यूजेवीएन के प्रयासों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने इस दिशा में समेकित प्रयासों की जरूरत बतायी, उन्होंने कहा कि राज्य के विकास में विद्युत उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने यूजेवीएन द्वारा 99.2 प्रतिशत विद्युत क्षमता के उत्पादन के लिये बधाई दी। उन्होंने प्रदेश में विद्युत उत्पादन के प्रति समेकित प्रयासों की भी जरूरत बतायी। सचिव ऊर्जा राधिका झा ने मुख्यमंत्री को प्रदेश की विद्युत उत्पादन क्षमता एवं इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

मसूरी में पर्यटकों की सुविधा के लिये उपलब्ध होंगे निःशुल्क बैट्री चालित वाहन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मसूरी में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के सौजन्य से किताबघर एवं शहीद स्थल के सौन्दर्यीकरण हेतु 70 लाख की लागत से आरजीवी डायनेमिक फसाड लाईट का लोकार्पण तथा 108 फिट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज स्थापित करने का शिलान्यास किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मसूरी के सौंदर्यीकरण तथा पर्यटकों की सुविधा के लिये अनेक घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी स्थित लोनिवि गेस्ट हाउस को आवास विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा, जहां पर मल्टी स्टोरी पार्किंग बनायी जायेगी, इसके साथ ही जेपी बैंड पर भी पार्किंग की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि मसूरी के लिये पार्किंग की नीति भी तैयार की जायेगी तथा भवन स्वामियों के हित में वन टाइम सेटेलमेंट योजना लागू की जायेगी। पर्यटकों की सुविधा के लिये बैट्री चलित निःशुल्क वाहनों की व्यवस्था की जायेगी। शीघ्र ही मसूरी के लिये रोपवे का भी कार्य आरम्भ कर दिया जायेगा। माल रोड तथा मेथडिस्ट चर्च पर भी पसाड लाइट की व्यवस्था की जायेगी। यात्रा सीजन में किताबघर चौक तथा आईटीबीपी बैंड पर पर्यटकों के स्वागत के लिये शाम के समय लोक संगीत की धुनों के प्रसारण की व्यवस्था भी की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी पर्यटकों के आकर्षण का भी केन्द्र है। पर्यटकों को सभी आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराना हमारा प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन हमारी आर्थिकी का महत्वपूर्ण साधन है। राज्य में पहले से स्थापित पर्यटन स्थलों पर अब विस्तार की गुंजाइस कम है, इसके लिये टिहरी झील के साथ ही अन्य पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है। राज्य में अच्छे होटलों के साथ ही आवागमन के साधनों को बेहतर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के प्रति हमारा व्यवहार देवभूमि के अनुरूप होना चाहिए, यह हमारी पहचान है। इससे अधिक से अधिक पर्यटक राज्य में आयेंगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने किताब घर चौक पर महात्मा गांधी तथा शहीद स्थल पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

नेलांग वैली को 30 किमी आगे तक खोलने की मुख्यमंत्री ने की घोषणा

हर्षिल एप्पल फेस्टिवल में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रतिभाग किया और उन्हें कई अहम घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि चीन सीमा से लगे प्रदेश के विकास खण्डों भटवाड़ी उत्तरकाशी, धारचूला, मुनस्यारी, पिथौरागढ़, जोशीमठ चमोली में केेन्द्रीय योजना सीमान्त विकास योजना की भांती स्टेट एरिया डेवलपमेंट योजना लागू की जाएगी। नेलांग वैली से 30 किमी आगे तक पर्यटन हेतु खोला जाएगा। सीमावर्ती नेलांग में जिन लोगों की सम्पत्ति है उनके लिए घर बनाने के लिए अलग से फंड की व्यवस्था की जाएगी। यदि कोई स्थानीय होम स्टे योजना के तहत अपना घर बनाना चाहता है तो उसे होम स्टे योजना के लाभ के अलावा सरकार अलग से सहायता करेगी। सीमावर्ती विकास खण्ड के लिए राज्य में अलग से किसान फंड बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग के अनुरूप हर 15 दिन के भीतर मिट्टी की जांच व सेब के बारे में बागवानों को जानकारियां देने हेतु वैज्ञानिकों की सेवा ली जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र औद्यानिकी की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। पूरे देश की 45 प्रतिशत भाग की सिंचाई गंगा बेसिन से ही होती है। कृषि उत्पादन के लिए मां गंगा का अहम योगदान है। राज्य सरकार किसानों को खेती करने के लिए 1 लाख रूपये तक ब्याज मुक्त ऋण दे रही है। इसके साथ ही कृषि समूह के लिए 5 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तमाम योजनाएं देश भर में चल रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुजुर्ग किसान, श्रमिक, नाई, होटल, मनरेगा के अन्तर्गत श्रमिकों आदि के लिए श्रमयोगी पेंशन योजना लागू की है।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने हर्षिल में पहुँचकर लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की तथा तिलक सोनी द्वारा लिखित पुस्तक टेकिंग गढ़वाल इन हिमालय का भी विमोचन किया। इस अवसर पर विधायक गोपाल सिंह रावत ने कहा कि हर्षिल सेब महोत्सव आयोजित होने से किसान व बागवान को इसका लाभ मिला है। सेब की अनेक किस्म की प्रजाति आज हर्षिल में उत्पादित हो रही है। सेब के उत्पादन के लिये मिट्टी की जांच के साथ ही सेब के पेड़ के लिए कब-कब आवश्यक रासायनिक व जैविक खाद व दवाई डाली जानी है इन सबकी जानकारी सेब विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों द्वारा दी गई है। उन्होंने कहा कि सेब के साथ हम नकदी फसलों को भी बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि 2022 तक किसान की आय दोगुनी की जा सके।
इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री व जिला प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत, जिला उपाध्यक्ष भाजपा विजय संतरी, जिलाधिकारी डॉ आशीष चैहान, पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट सहित अधिकारी, स्थानीय ग्रामीण व देशी विदेशी पर्यटक भी मौजूद थे।

एमडीडीए 29 घंटों अंदर दे रहा नक्शों की स्वीकृतिः श्रीवास्तव

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। प्राधिकरण को 36वें स्थापना दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा पिछले दो वर्षों में सराहनीय कार्य किया गया है। इससे सरकार की भी प्रतिष्ठा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक क्षेत्र का विकास हो सके इसके लिए जिला विकास प्राधिकरणों का गठन किया गया है। आम जन को हर प्रकार की सुविधा समय से उपलब्ध करा सकें इसके लिये प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हमने विभिन्न नीतियों में छोटे-छोटे विभिन्न नीतिगत परिवर्तन किए हैं। इससे आमजन को कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं एवं सेवाएं प्रदान प्राप्त हो सकेंगी। इन नीतिगत परिवर्तनों का प्रभाव आने वाले समय में दिखाई देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राज्य की अपनी अलग पहचान व संस्कृति होती है। पर्यटक भी इससे प्रभावित होते हैं। पर्यटकों को आकृषित करने के लिये उत्तराखण्ड में किये जा रहे निर्माण कार्यों में यहां की कला एवं संस्कृति की झलक दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हम सभी को सहयोग देना होगा। राज्य का पर्यटन अधिक से अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर सके इसके लिए भी प्रयास करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने स्मार्ट सिटी के क्षेत्र में एमडीडीए द्वारा तेजी से कार्य करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिये लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश में गुरूत्व आधारित पेयजल की आपूर्ति के लिये विभिन्न योजनाएं शुरू की गयी हैं। सौंग बाँध निर्माण कार्य शुरू होने के 350 दिन में कार्य पूर्ण करने लिये प्रयासरत् हैं। सूर्यधार झील निर्माण कार्य भी शीघ्र पूर्ण हो जाएगा।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने प्राधिकरण को बधाई देते हुए कहा कि देहरादून मसूरी विकास प्राधिकरण राज्य के अन्य प्राधिकरणों के लिये मार्गदर्शक का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि समय की जरूरतों के अनुसार एमडीडीए हेतु 10 पाॅलिसीज में नीतिगत परिवर्तन किये हैं। साथ ही, राज्य सरकार व्यवस्थित वैंडिंग जोन विकसित करने के प्रयास कर रही है। वेंडर्स और आमजन को इससे लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम के दौरान उपाध्यक्ष एमडीडीए आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एमडीडीए द्वारा लगातार नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिये एमडीडीए ने नेशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड (2018-19) प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि एमडीडीए द्वारा 29 घंटों के अन्दर नक्शे की स्वीकृति दी जा रही है। स्मार्ट सिटी की संकल्पना को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर तेजी से कार्य कर रही है।

यदि आवंटित खनन पट्टे से 80 प्रतिशत खनन न हुआ तो पट्टा होगा निरस्त

राज्य सरकार प्रदेश में हो रहे अवैध खनन से राजस्व वसूली कम मिलने पर चिंताजनक है, उन्होंने अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए नई खनन नीति लाने जा रही है। इसके तहत क्रेशर का लाइसेंस उसी को दिया जाएगा, जिसके पास खनन का पट्टा है। अभी तक बिना खनन पट्टे के क्रेशर का लाइसेंस जारी किया जा रहा है, इससे धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। इसके अलावा नई नीति में आवंटित पट्टे से 80 प्रतिशत खनन नहीं होने की स्थिति में उसे निरस्त कर दिया जाएगा। प्रदेश सरकार का खनन से राजस्व नहीं बढ़ रहा है, जिसके लिए अवैध खनन को सबसे बड़ा कारण माना गया है।

खनन नीति में मौजूद प्रावधानों से खनन माफिया पर नकेल कसने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन विभाग की समीक्षा के दौरान खनन से होने वाले राजस्व को दोगुना करने के निर्देश दिये।

इसके लिए उन्होंने मौजूद खनन नीति में सख्त प्रावधान करने के प्रस्तावों पर सहमति जताई है। विभाग ने अवैध खनन रोकने का नया फार्मूला बनाया है। इसके तहत क्रेशर लाइसेंस को सख्त बनाया जा रहा है।

अभी तक बिना खनन सामग्री निकालने का पट्टा होने पर भी क्रेशर लाइसेंस जारी कर दिया जाता था, लेकिन नई संशोधित नीति में उसी को क्रेशर का लाइसेंस मिलेगा, जिसके पास स्वीकृत पट्टा होगा।

ऐसा नहीं करने वाले क्रेशर मालिकों के लाइसेंस कैंसल होंगे। इससे विभाग के खनन पट्टों का आवंटन बढ़ेगा और राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके साथ अवैध खनन को रोकने के लिए इतना ही नहीं बल्कि स्वीकृत पट्टों पर प्रतिवर्ष निर्धारित खनन सामग्री का अस्सी प्रतिशत दोहन क्रेशर मालिक को करना होगा। ऐसा नहीं करने पर पट्टा कैंसल हो जाएगा।

कई कंपनियों का निजीकरण करने की तैयार कर रही सरकार

केंद्र सरकार ने अपनी कई कंपनियों का निजीकरण करने की पूरी तैयारी कर ली है। दिपावली से पहले इसका खाका तैयार किया जा रहा है। वहीं अब नई पॉलिसी के तहत नीति आयोग, विनिवेश और पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग (दीपम) को नोडल विभाग बना दिया गया है।
पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग की भूमिका बढ़ने के बाद अब जिन मंत्रालयों के अंदर यह कंपनियां आती हैं, उनकी किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रहेगी। दीपम, नीति आयोग के साथ मिलकर के उन कंपनियों को देखेगा, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। वहीं दीपम विभाग के सचिव विनिवेश के लिए बने अंतर-मंत्रालय समूह के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, उनकी दो चरणों में बोली लगेगी। पहले चरण में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया जाएगा और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी। पहले चरण के लिए सरकार इच्छुक कंपनियों के साथ बैठक और रोड शो भी करेगी। विनिवेश का पूरा चरण चार से पांच माह में पूरा हो जाएगा।
जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है, उनमें प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भी शामिल है। इसके अलावा भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। कंटेनर कॉरपोरेशन में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है।
केंद्र सरकार इसके अलावा टीएचडीसी और नीपको में अपनी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचने जा रही है। विनिवेश पर हुई सचिवों की बैठक में कुल आठ सचिव शामिल थे. इनमें दीपम, कानून सचिव, रेवेन्यू सेक्रेटरी, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी, कॉरपोरेट अफेयर सेक्रेटरी भी शामिल रहे।
इस विनिवेश को करने के बाद सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) का प्रारुप तैयार करेगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों का समूह एक पखवाड़े में फैसला लेगा। सरकार एयर इंडिया की 30 हजार करोड़ रुपये की उधारी को अपने ऊपर लेगी। ईओआई से निवेशकों को पूरी तरह से पारदर्शिता मिलेगी।
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।

जीएसटी की दरों में संसोधन से टूरिज्म और सर्विस बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगाः सीएम

सीएम आवास में आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हालही में केंद्र सरकार द्वारा इकोनॉमी में उठाए गए सुधारवादी कदमों से उत्तराखंड को भी बड़ा फायदा होगा। पिछले एक डेढ़ साल से उत्तराखंड में निवेश और उद्योगों को मजबूत करने के लिए की गई पहल को अब और मजबूती मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए हमने अनेक नई नीतियां बनाई हैं और अनेक नीतियों मे आवश्यक संशोधन किए हैं। सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम को मजबूती दी है, निवेश के अनुकूल माहौल बनाया है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद अब तक 17 हजार करोड़ रुपए का निवेश ग्राउंडेड हो चुका है। केंद्रीय वित्तमंत्री जी ने आर्थिक सुधारों की जो घोषणाएं की हैं, उसके बाद हमारे प्रयासों को और भी ज्यादा बल मिलने वाला है। इन घोषणाओं का सीधा फायदा उत्तराखंड के उद्योग जगत को मिलने वाला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्यटन राज्य है। हमने पर्यटन को बूस्ट करने के लिए नई पर्यटन नीति बनाई है। जीएसटी की दरों में संशोधन से टूरिज्म और सर्विस बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। पहले 2500 से 7500 रुपये तक के होटल कमरों पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता था, जिसे घटाकर 12 प्रतिशत किया गया है। इसी तरह 7500 से ऊपर के होटल कमरों पर पहले 28 प्रतिशत जीएसटी लगता था जिसे घटाकर 18 प्रतिशत किया गया है। एक हजार रुपये से कम के होटल कमरों पर 5 प्रतिशत तक जीएसटी लगता था, लेकिन अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा। राज्य के होटल व्यावसायियों का कहना है इससे राज्य में होटल व्यवसाय में 15 से 20 प्रतिशत तक ग्रोथ होगी। इससे उत्तराखंड में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर मजबूत होगा, ज्यादा पर्यटक आने से होटल व्यवसाय मजबूत होगा जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, रोजगार की नई संभावनाएं पैदा करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भंडारण योग्य खाद्य पदार्थों पर भंडारण के समयानुसार छूट दी जाएगी, इससे उत्तराखंड में भी फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को छूट मिल सकेगी। यहां के उत्पादों को भंडारण की उचित व्यवस्था मिलेगी, उत्पादों की खपत बढ़ेगी तो स्थानीय काश्तकारों को फायदा मिलेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत हुआ है, राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचलन बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा, इलेक्ट्रिक वाहनों से प्रदूषण पर नियंत्रण लगेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत से उत्तराखंड में ऑटोमोबाइल, फार्मा, मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के लिए भी यह एक बड़ा बूस्ट होगा। स्किल्ड मैनपावर, प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम, बेहतर कानून व्यवस्था, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से निकटता आदि कारणों से उत्तराखण्ड को विशेष लाभ होगा।