रायपुर में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का सीएम ने लिया जायजा, स्थानीयों से की वार्ता

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में रायपुर क्षेत्र के अंतर्गत अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया।

मुख्यमंत्री ने किरसाली चौक, आई.टी पार्क, ननूरखेड़ा, आमवाला, तपोवन, शांति विहार में स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुनते हुए कहा कि जनता की सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान जिला प्रशासन को प्रभावित लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने नियमित रूप से नालियों की सफाई करने और जलभराव वाले क्षेत्रों में ड्रेनेज की समुचित व्यवस्था किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतते हुए चेतावनी बोर्ड भी लगाए जाएं।

मुख्यमंत्री ने स्थानीय पुलिस बलों, सभी विभागों को भी अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही रिस्पॉन्स समय को कम से कम रखते हुए प्रभावित लोगों की जान माल की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय रुहेला, विधायक उमेश शर्मा काऊ एवं जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।

ग्राउंडिंग सेरेमनी से स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहन और राज्य की आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खुलेंगेः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को रुद्रपुर में प्रस्तावित 1 लाख करोड़ रूपये की ग्राउंडिंग सेरेमनी के सफल आयोजन के लिए तैयारियाँ समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम भव्य और प्रभावशाली स्वरूप में आयोजित किया जाए, जिससे राज्य की औद्योगिक प्रगति को नई गति और पहचान मिले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भव्य आयोजन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि होंगे। यह आयोजन राज्य के औद्योगिक भविष्य को नई दिशा देगा तथा उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करेगा। वर्ष 2023 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान राज्य सरकार को ₹3.5 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इनमें से ₹1 लाख करोड़ की ग्राउंडिंग हो चुकी है, जो उत्तराखंड के औद्योगिक विकास के प्रति निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहन देगा और राज्य की आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खोलेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आयोजन से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं सजगता और समन्वय के साथ सुनिश्चित की जाएं, जिससे राज्य की सकारात्मक छवि और निवेश-अनुकूल वातावरण को देश-दुनिया के समक्ष सशक्त रूप से प्रस्तुत किया जा सके।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी.अंशुमन, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव बंशीधर तिवारी, प्रबंध निदेशक उद्योग सौरभ गहरवार उपस्थित थे।

धामी मंत्रिमंडल की बैठक में छह प्रस्तावों को मिली मंजूरी, पढ़िए…

आज धामी मंत्रिमंडल की बैठक में छह महत्वपूर्व प्रस्तावों पर मुहर लगी है। जिसमें जियो थर्मल नीति पर लगी कैबिनेट की मुहर, पुलों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को मिली मंजूरी, सतर्कता विभाग के ढांचे में 20 पद बढ़ाए, 132 से 156 हुई संख्या, जीएसटी विभाग के ढांचे में भी पदों की संख्या बढ़ी, नए खनिजों के लिए जिला व प्रदेश में खनन न्यास बनेंगे। इसके अलावा अब पुत्र 18 साल का होने पर बंद नहीं होगी वृद्धावस्था पेंशन, कैबिनेट ने प्रस्ताव में संशोधन को दी मंजूरी।

नंदा देवी यात्रा से संचालन को जिलाधिकारी चमोली संबंधित विभागों से समन्वय कर एसओपी तैयार करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में आगामी 2026 में प्रस्तावित नंदा देवी राजजात यात्रा के तैयारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली को निर्देशित किया कि संबंधित विभागों और स्टेक होल्डर्स के साथ समन्वय स्थापित करते हुए संपूर्ण यात्रा को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने हेतु एसओपी ( मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करें।
कहा कि एसओपी में यात्रा से संबंधित सभी बातों (व्यवस्था, सुरक्षा, संचालन, नियंत्रण इत्यादि) का समावेश होना चाहिए।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पूरी यात्रा का वेस्ट मैनेजमेंट प्लान, सेप्टिक मैनेजमेंट और सेनिटेशन मैनेजमेंट प्लान बनाने के भी निर्देश दिए ताकि यात्रा में भागीदारी करने वाले लोगों को सुविधा मिले तथा पर्यावरण को किसी भी तरह की क्षति भी ना पहुंचे।

मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि विभिन्न विभागों के द्वारा जो भी कार्य किए जाने हैं उन सभी को स्थाई और अस्थाई प्रकृति में सेपरेट करते हुए उसका तदनुसार प्रस्ताव बनाएं।
कार्यों को पूरा करने के लिए यदि सप्लीमेंट्री बजट की आवश्यकता हो तो उसकी डिमांड करें तथा मेंटेनेंस अथवा रूटीन वर्क विभाग अपने बजट से पूरे करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने निर्देशित किया कि जो कार्य तत्काल किए जाने हैं उसको प्राथमिकता में लेते हुए अति शीघ्र प्रारंभ करें।

मुख्य सचिव ने पर्यटन विभाग को निर्देशित किया कि यात्रा की ऐतिहासिकता, विशिष्टता और मान्यता को दृष्टिगत रखते हुए इसका डॉक्यूमेंटेशन करें तथा इसकी डॉक्यूमेंट्री भी तैयार करें।

उन्होंने कहा कि यात्रा की मौलिकता बनी रहे इसका ध्यान रखा जाए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली तथा जिलाधिकारी अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल और पिथौरागढ़ से भी यात्रा से संबंधित फीडबैक प्राप्त करते हुए यात्रा की तैयारी से संबंधित उनकी आवश्यकताओं की भी जानकारी ली।

बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव दिलीप जावलकर, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, विनोद कुमार सुमन, धीरज गर्ब्याल, पुलिस महानिरीक्षक के एस नगन्याल सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश जाएगा यूएसडीएमए का विशेषज्ञ दल

उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का एक विशेषज्ञ दल हिमाचल प्रदेश में अतिवृष्टि के चलते उत्पन्न स्थितियों तथा इन हालातों से निपटने के लिए हिमाचल में शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों को देखने तथा उनका अध्ययन करने के लिए जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को इसके निर्देश दिए हैं।

उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में प्रदेश में वर्षा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश न सिर्फ पड़ोसी राज्य हैं, बल्कि दोनों प्रदेशों की भौगोलिक परिस्थितियां भी एक जैसी हैं। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में बारिश से काफी नुकसान हुआ है। इन स्थितियों से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश में किस प्रकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है, शासन-प्रशासन द्वारा किस तरह इन स्थितियों में प्रतिक्रिया की जा रही है, इसे जानने और समझने की आवश्यकता है ताकि अगर ऐसे ही हालात उत्तराखण्ड में भी उत्पन्न हों तो हिमाचल के अनुभवों के आधार पर एक प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।

मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर प्रदेश में हो रही वर्षा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी ली तथा आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने वर्तमान में प्रदेश में मानसून की स्थिति, आने वाले दिनों में मौसम का पूर्वानुमान, अब तक हुई बारिश तथा प्रदेश भर में भूस्खलन के चलते बंद सड़कों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि बंद सड़कों को जल्द से जल्द खोलने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक संसाधन तथा उपकरण तैनात किए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए की 15 मिनट के भीतर जेसीबी तथा अन्य सभी आवश्यक उपकरण घटनास्थल पर पहुंच जाए। उन्होंने ग्रामीण सड़कों को भी तत्परता के साथ खोलने के निर्देश दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि देहरादून, नैनीताल तथा बागेश्वर में मौसम विभाग द्वारा ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। सात दिवसीय पूर्वानुमान के अनुसार सभी जनपदों में बुधवार से येलो अलर्ट है। उन्होंने बताया कि जून में सामान्य से कम बारिश हुई थी, जबकि जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 108 फीसदी अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेशभर में 317.1 मिमी बारिश हुई है। सबसे अधिक बागेश्वर में 765.5, चमोली में 428.2, रुद्रप्रयाग 388.8 तथा देहरादून 380.4 मिमी बारिश हो चुकी है।

इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, ड्यूटी आफिसर उप सचिव आलोक कुमार, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ मनीष भगत, रोहित कुमार, डॉ. पूजा राणा, डॉ, वेदिका पंत, हेमंत बिष्ट तथा तंद्रीला सरकार आदि उपस्थित थे।

2853 परिवारों का पुनर्वास

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य में वर्ष 2012 से वर्तमान में दिनांक 08.07.2025 तक प्राकृतिक आपदा से प्रभावित कुल 258 ग्रामों के 2853 परिवारों का पुनर्वास किया गया। विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रु0 20.00 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में आपदा प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रूपये बीस करोड़ के सापेक्ष वर्तमान तक 24 ग्रामों के कुल 337 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल रू0 12,16,70,300/- की धनराशि निर्गत की गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य आपदा मोचन निधि तथा राज्य सेक्टर से कुल 175.50 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य आपदा मोचन निधि से जनपदों को कुल 165 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है।

सचेत ऐप, 112, 1070, 1077 हों सभी के फोन में

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि सचेत एप आपदाओं से बचाव की दिशा में काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा ऐप है, जिसमें न सिर्फ मौसम तथा बारिश के एलर्ट प्राप्त होते हैं बल्कि आपदाओं से बचाव की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से इस ऐप को डाउनलोड करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को ईआरएसस 112, 1070, 1077 का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ये तीन नंबर सभी लोगों के फोन में होने चाहिए ताकि आपदा के समय या किसी मुश्किल घड़ी में लोग इन नम्बरों पर कॉल कर मदद मांग सकें।

तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश

मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा कि आम जनता तक मौसम संबंधी विभिन्न प्रकार की चेतावनियों तथा अन्य जानकारियों को कम से कम समय में पहुंचाया जाए, ताकि लोग समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि विभिन्न अलर्ट जारी करने वाले एजेंसियों से जो भी अलर्ट मिलते हैं, वह एसईओसी तथा डीईओसी के माध्यम से 15 मिनट के भीतर लोगों तक पहुंच जाएं। उन्होंने कहा कि सूचनाओं तथा चेतावनियों के आदान-प्रदान में बिलकुल भी विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति तक अलर्ट तथा अन्य सूचनाओं को पहुंचाने के लिए तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रियल टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान कुशल तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने एसईओसी में विभिन्न विभागों के वायरलेस सेटों, सेटेलाइट फोन की सक्रियता भी परखी।

एसईओसी की अपनी एसओपी बनेगी

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य तथा जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र की अपनी स्वयं की एसओपी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम में किस अधिकारी/कर्मचारी की क्या भूमिका तथा दायित्व हैं, इसमें किसी भी प्रकार भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कंट्रोल रूम की भी मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए।

72 घंटे में दी जाए अहेतुक सहायता

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रभावितों को अहेतुक सहायता वितरित करने में विलंब न करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावित को हर हाल में 72 घंटे के भीतर अहेतुक सहायता उपलब्ध करा दी जाए। साथ ही उन्होंने आपदा में क्षतिग्रस्त संपत्ति के नुकसान का सर्वे भी शीघ्रता से करने के निर्देश दिए ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सहायता मिल जाए और वह दोबारा सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।

सीएम बोले, रिवर्स पलायन में गुंज्याल और नेगी ने की मिशाल पेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.) बिमला गुंज्याल के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की गुंजी ग्राम पंचायत तथा पूर्व कर्नल यशपाल सिंह नेगी के जनपद पौड़ी की बिरगण ग्राम पंचायत के निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने इसे रिवर्स पलायन का एक प्रेरणादायक और सुखद उदाहरण बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दोनों सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों का ग्राम प्रधान चुना जाना पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती देगा और उनके अनुभव से ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि गुंजी और बिरगण ग्राम पंचायतें मॉडल ग्राम के रूप में उभरेंगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस प्रकार के उदाहरण दर्शाते हैं कि रिटायरमेंट के बाद भी व्यक्ति अपने अनुभव और सेवा भावना से गांव की प्रगति में अहम भूमिका निभा सकता है। राज्य सरकार ऐसे सभी प्रयासों को पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण आजीविका, कृषि, बागवानी और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सतत कार्य कर रही है ताकि गांव आत्मनिर्भर बनें और रिवर्स पलायन की यह परंपरा मजबूत हो सके।

नई दिल्ली में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ आउटलेट का सीएम ने किया उद्घाटन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास परिसर में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के आउटलेट का उद्घाटन किया। यह आउटलेट उत्तराखण्ड की पारंपरिक धरोहर और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी में संगठित रूप में प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। इसके माध्यम से न केवल राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को देश के सामने लाया जाएगा, बल्कि स्थानीय उत्पादों को नए बाजार भी प्राप्त होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार की उस दूरदृष्टि का परिणाम है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय अंचलों में उत्पादित प्राकृतिक और हस्तनिर्मित वस्तुओं को वैश्विक पहचान दिलाना है। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और साथ ही स्थानीय कारीगरों व शिल्पकारों को नए अवसर प्रदान करेगा।

चारधाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों की ब्रिकी को बढ़ावा देने हेतु 13 से अधिक प्रमुख स्थानों पर आकर्षक फ्लोर स्टैंडिंग यूनिट्स और रिटेल कार्ट्स नैनी सैनी एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, देहरादून हेलीपैड, जीएमवीएन श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिल, गुप्तकाशी, कौडियाला, मसूरी, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश), स्नो क्रेस्ट (बद्रीनाथ), एटीआई (नैनीताल) एवं सेंट्रिया मॉल जैसे तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर स्थापित किए गए हैं। ये रिटेल कार्ट्स श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मैरियट मसूरी, ताज देहरादून, एफआरआई व एलबीएसएनएए एवं राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली हाट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी रिटेल कार्ट्स की स्थापना प्रक्रिया प्रगति पर है। यह पहल न केवल स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला रही है, बल्कि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शिल्प कौशल को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रही है।

सचिव ग्रामीण विकास राधिका झा ने बताया कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड ने कम समय में अपनी गुणवत्ता के बल पर विशेष पहचान बनाई है। इसके उत्पाद ीवनेमवीिपउंसंलंे.बवउ के साथ-साथ अमेज़न और ब्लिंकिट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। अब यह ब्रांड प्रमुख होटल श्रृंखलाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को बढ़ावा देने तथा उच्च श्रेणी के पर्यटकों को स्थानीय उत्पादों से जोड़ने के उद्देश्य से ताज (ऋषिकेश, रामनगर), हयात सेंट्रिक, हयात रीजेंसी (देहरादून), मैरियट (रामनगर), वेस्टिन (नरेन्द्रनगर) और जेपी ग्रुप (मसूरी) जैसे प्रतिष्ठित होटलों के साथ रणनीतिक साझेदारी की गई है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न प्रमुख होटलों में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के रिटेल कार्ट्स स्थापित किए गए हैं, जो पर्यटकों को उत्तराखण्ड के विशिष्ट हस्तनिर्मित एवं जैविक उत्पादों की सीधी उपलब्धता प्रदान कर रहे हैं। यह कदम न केवल स्थानीय उत्पादकों और कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि सतत पर्यटन और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की ओर भी एक महत्वपूर्ण पहल है।

‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड की अवधारणा को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान प्रस्तुत किया गया था। इस ब्रांड के अंतर्गत उत्तराखण्ड के विशिष्ट उत्पाद जैसे बुरांश का शरबत, जंगली शहद, पहाड़ी दालें, पारंपरिक मसाले, हस्तनिर्मित वस्त्र एवं अन्य जैविक सामग्री अब एक सुव्यवस्थित रूप में देश के प्रमुख शहरों तक पहुंच सकेंगी।

इस अवसर पर सचिव ग्रामीण विकास राधिका झा, उत्तराखण्ड के स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे।

सीएस करेंगे निर्माणाधीन विद्युत जेनरेशन प्लांट व विद्युत सब स्टेशन की क्षेत्रीय विजिट

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में पिटकुल (पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्य सचिव ने पिटकुल को निर्देश दिए कि मानसून के दौरान पारेषण तंत्र के सुचारू रूप से संचालन के लिए एसओपी का पूर्णतः पालन करें तथा लाइन ब्रेकडाउन की स्थिति में ब्रेकडाउन एनालिसिस करते हुए विद्युत आपूर्ति को निर्बाध रूप से संचालित करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि सभी तरह के प्रोजेक्ट निर्धारित समय अवधि में ही पूरे हों तथा इसकी लागत भी किसी भी दशा में बढ़नी नहीं चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो भी मास्टर प्लान बनता है उसकी पहले एक बार सीईए (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ) से जरूर समीक्षा करा ली जाए।

मुख्य सचिव ने लाइन विस्तारीकरण और सब स्टेशन की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित नए मानक के अनुरूप सरकार को प्रस्ताव प्रेषित करने को कहा।

उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी निर्माणाधीन विद्युत जेनरेशन प्लांट व विद्युत सब स्टेशन की क्षेत्रीय विजिट करेंगे।

बैठक में प्रबंध निदेशक पिटकुल पी सी ध्यानी ने अवगत कराया कि पिटकुल की रेटिंग 2024 – 25 में ए से ए$$ हुई है। इससे पिटकुल को मिलने वाले लोन में 0.50 प्रतिशत की छूट प्राप्त होगी जिसका प्रदेश के उपभोक्ताओं को भी रियायती ऊर्जा दरों के रूप में लाभ प्राप्त होगा।

उन्होंने कहा कि बाह्य सहायतित परियोजनाओं के अंतर्गत एडीबी पोषित 6 गतिमान प्रोजेक्ट 220 केवी सेलाकुई, 132 केवी खटीमा, 132 केवी लोहाघाट चंपावत, 132 केवी धौलाखेड़ा नैनीताल, 132 केवी आराघर और 220 केवी मंगलौर ये सभी प्रोजेक्ट 2026 तक कंप्लीट हो जाएंगे। इससे लो वोल्टेज और बार-बार ट्रिप की समस्या से निजात मिलेगी तथा उद्योग और उपभोक्ताओं को बड़े पैमाने पर इसका लाभ मिलेगा।

इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, मुख्य अभियंता, अनुपम सिंह, इला पंत व कमलकांत, महाप्रबंधक वित्त मनोज कुमार आदि बैठक में उपस्थित थे।

केन्द्र सरकार ने कृषि एवं बागवानी विकास की विभिन्न योजनाओं को 3800 करोड़ रुपए करने पर दी सैद्धांतिक सहमति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि, ग्राम्य विकास एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर प्रदेश की कृषि एवं उससे जुडी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विसतार के संबंध में चर्चा की। मुख्यमंत्री ने राज्य के पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों की कृषि एवं बागवानी आवश्यकताओं तथा किसानों की आर्थिक सुदृढ़ता हेतु राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई प्रस्तावित योजनाओं पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड सरकार ने कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास एवं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लगभग 3800 करोड़ रुपये की व्यापक योजनाएं तैयार की हैं। इन योजनाओं में नवाचार, यंत्रीकरण, तकनीकी समावेशन एवं पारम्परिक कृषि को बढ़ावा देने जैसे विविध पहलुओं को शामिल किया गया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा राज्य की कृषि संबधि योजनाओं हेतु 3800 करोड की सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने पर मुख्यमंत्री ने उनका आभार जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सहयोग राज्य के कृषि क्षेत्र को आत्मर्निभर और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने हेतु कृषि बाड़ निर्माण के लिए 1,052.80 करोड़ रुपये की आवश्यकता चिह्नित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य में 10,000 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने हेतु 400 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है, जिससे लघु, सीमांत किसान एवं महिलाएं लाभान्वित होंगी। पारम्परिक पोषक फसलों को बढ़ावा देने के लिए स्टेट मिलेट मिशन के अंतर्गत 134.89 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हेतु राज्य को सीड हब के रूप में विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है। सेब उत्पादन को प्रोत्साहन, भंडारण और विपणन तंत्र को सुदृढ़ बनाने हेतु 1,150 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है। नकदी फसलों जैसे कीवी के संवर्धन एवं खेती को वन्यजीवों से संरक्षित करने हेतु 894 करोड़ रुपये की आवश्यकता दर्शाई गई है। कृषि व बागवानी क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 885.10 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। ड्रैगन फ्रूट जैसी कम जोखिम वाली फसलों को प्रोत्साहित हेतु 42 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में राज्य सरकार सक्रियता से कार्य कर रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विश्लेषण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 36.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण और डिजिटल सर्वेक्षण के लिए के अंतर्गत 378.50 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है। इसके साथ ही पंतनगर विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को कृषि क्षेत्र में दक्ष बनाने हेतु 14 करोड़ रुपये तथा एग्रीटूरिज्म स्कूल की स्थापना हेतु 14 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 16.11 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।

इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सेब उत्पादन के दृष्टिगत उच्च गुणवत्ता की नर्सरी, कोल्ड स्टोरेज, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट की स्थापना, कीवी व ड्रैगन फ्रूट मिशन को बढ़ावा देने, सुपर फूड्स (मशरूम व एग्जॉटिक वेजिटेबल्स) हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना तथा पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में एग्रो टूरिज्म स्कूल की स्थापना के लिए भी केंद्रीय सहायता का अनुरोध केन्द्रीय मंत्री से किया।

मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई) 1 व 2 के अवशेष कार्यों की समय सीमा बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। साथ ही पी.एम.जी.एस.वाई 4 के प्रस्ताव पर भी सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने का आश्वासन दिया। केन्द्रीय मंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आश्वस्त किया कि उत्तराखण्ड की कृषि आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लिया जाएगा तथा राज्य के किसानों की समृद्धि हेतु हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

बैठक में भारत सरकार के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, भारत सरकार के ग्रामीण विकास सचिव सैलेश कुमार सिंह तथा उत्तराखंड के स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित रहे।

कुमाऊं में हाई अल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन गुंजी से आदि कैलाश और गढ़वाल में नीति माणा से लेकर मलारी तक होगी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्चस्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाई अल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन की शुरुआत करने के निर्देश दिए। कुमाऊं क्षेत्र में यह मैराथन गुंजी से आदि कैलाश और गढ़वाल में नीति माणा से लेकर मलारी तक आयोजित की जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस आयोजन को वार्षिक पर्यटन कैलेंडर में शामिल किया जाए और हर वर्ष निर्धारित तिथि पर इसका नियमित आयोजन सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आपदा प्रबंधन तंत्र को अधिक सशक्त बनाने के साथ ही तय समय पर प्रभावितों को सहायता राशि उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए। सीमांत एवं पर्वतीय क्षेत्रों में फसलों की सुरक्षा के लिए घेरबाड़/सोलर फेंसिंग के संबंध में विस्तृत योजना बनाने के निर्देश दिए।

बैठक में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली और अपर सचिव बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।