श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का हुआ समापन

श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा व्यास पूज्य वेदांती जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की मार्मिक कथा के साथ अनेक भावपूर्ण व्यवहारिक प्रसंगों का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई। इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए।

कथा समापन के दौरान पूज्य डा राम कमल वेदांती ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही। जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का नो दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

कथा के समापन के बाद महाराज ने श्री भरत मंदिर परिवार की सुख समृद्धि की कामना और कल्याण का आशीर्वाद दिया और कहा कि गोलोक वासी पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के धर्म मार्ग के संपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने का संदेश परिवार को दिया।

इस अवसर पर श्री भरत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री, दीप शर्मा, रामकृपाल गौतम आदि सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का सप्तम, लीला पुरूषोत्तम का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस गोपियों के वियोग की मार्मिक कथा का वर्णन किया।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि श्रीमद्भागवत में दशम स्कंध में गोपी गीत आता है। ये गोपी गीत भगवान कृष्ण को साक्षात् पाने का मन्त्र है। भगवान कृष्ण को पाने के जितने भी तरीके हैं या होंगे उनमे से एक गोपी गीत है। इस गोपी गीत में उन्नीस श्लोक हैं। जब भगवान शरद पूर्णिमा की रात में रास लीला का प्रारम्भ करते है तो कुछ समय बाद गोपियों को मान हो जाता है कि इस जगत में हमारा भाग्य ही सबसे श्रेष्ठ है भगवान उनके मन की बात समझकर बीच रास से अंतर्ध्यान हो जाते है,व्यक्ति केवल दो ही जगह जा सकता है, एक है संसार और दूसरा है आध्यात्म या भगवान।

उन्होंने कहा कि जैसे ही भगवान से हटकर गोपियों का मन अपने ही भाग्य पर चला गया यहाँ भगवान बता रहे है कि जैसे ही भक्त मुझसे मन हटाता है वैसे ही मै चला जाता हूँ।

सप्तम दिवस की पावन पवित्र कथा मे उत्तराखंड सरकार मे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पूज्य गुरु मां आनंदमई, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, ओंकारानंद आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विशेश्वरनंद महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवान, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पष्ठ दिवस श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन हुआ।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी मे जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने मे देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया की महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है। इसलिए आने मे देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन बोला। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है की राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से आनन्द विभोर होते है और अपनी लीलाओं के माध्यम से ही पूतना का वध करते है। कृष्णजी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में लोगों को आगे आना चाहिए। मानव जब इस संसार में पैदा लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होते हैं। रोग, शोक, वृद्धापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से धीर कर इस मायारूपी संसार से विदा लेता है।

सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा। इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। आज के दौर में परेशानी और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इससे समाज में खींचतान, स्वार्थ, लोभ, दुख. पतन, विकृतियों का अम्बार लगा हुआ है। ऐसे में समाज को युग के अनुरूप दिशा चिंतन, व्यवहार, परमार्थ के लिए हृदय में परिवर्तन के लिए श्रीमद भागवत कथा पुराण का आयोजन किया जा रहा है।

षष्ठ दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, रोशन धस्माना, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित रहे।

श्री भरत में आयोजित भागवत कथा का दूसरा दिन, सीएम ने की शिरकत

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस ध्रुव चरित्र का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत हुआ। इस मौके पर कथा मर्मज्ञ अंतर्राष्ट्रीय संत पूज्य डा रामकमल दास वेदांती जी महाराज ने श्रोताओं को बताया कि नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान का मनमोह लिया। जिससे अपना और अपने परिवार का नाम अक्षय कर लिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी पहुंचे और भागवत कथा का श्रवण किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। वक्ता का चरित्र स्वच्छ होना चाहिए, वहीं श्रोता भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए। वक्ता प्रेरणा का पुंज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान जीव का उद्धार करते हैं।

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड की देवभूमि सदैव देवत्व के भाव की है जहां धर्म, संस्कृति और संस्कारों की गंगा निरंतर प्रवाहमान रहती है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का धर्म स्थानों के प्रति श्रेष्ठता का भाव है सम्पूर्ण देश और उत्तराखंड मे धर्म पीठों और मंदिरों के पुनर्निर्माण सौंदर्य के लिए प्रधानमंत्री कृत संकल्प लेकर उद्धार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पावन पुनीत धर्म कार्यों में कोई बुलाया नहीं जाता बल्कि जिस पर भगवान की कृपा होती है वही ऐसे पावन पवित्र अनुष्ठानों में आते हैं उन्हीं लोगों को यह सौभाग्य मिलता है जिनके पुण्य श्रेष्ठ होते है। इस मौके पर व्यास पीठ पर पूज्य संत डॉ राम कमल दास वेदांती जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, विजय बड़थ्वाल, विनय उनियाल, मधुसुधन शर्मा, महामंडलेश्वर रामेश्वर दास जी महाराज, महन्त रवि प्रपन्नाचार्य, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज, परमानंद दास जी महाराज आदि उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

श्री भरत मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी की पुण्य स्मृति मे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। व्यास पीठ पर काशी विश्वनाथ की पावन धरती से आए पूज्य संत डा रामकमलदास वेदांती जी महाराज के ने कथा का श्रवण कराया।

उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व बताते हुए कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है, जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

कथा के प्रथम दिवस पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा जी, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारीजी महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद जी महाराज, हरी चेतनानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण दास जी, सतपाल ब्रह्मचारी जी आदि संत महात्मा की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।

पुरातन छात्र रहे योगी आदित्यनाथ ने श्री भरत मंदिर परिवार से चर्चा की

श्री भरत मंदिर परिवार के सदस्यों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के पुरातन छात्र रहे सीएम योगी से शिक्षा को बेहतर बनाने को लेकर चर्चा की।
शुक्रवार को श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य ने लखनऊ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि छात्र-छात्राओं को गीता ज्ञान, संस्कृति ज्ञान और नैतिक शिक्षा अवश्य दी जाए, जिससे एक अच्छे और उत्कृष्ट समाज का निर्माण हो सके। साथ ही बच्चों को खेलों में आगे बढ़ने को भी प्रेरित किया जाए, ताकि बच्चे समाज में फैल रहे नशे से और अन्य कुरीतियों से भी बच सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों को उनकी रुचि और कौशल के हिसाब से आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज से संबंधित बातें भी पूछी। महंत वत्सल शर्मा ने कहा कि योगी आदित्यनाथ श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के पुरातन छात्र रहे हैं। उनसे स्कूल की पाठ्य प्रणाली, शिक्षा के विकास सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई। श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने बहुत आत्मीयता से शिष्टमंडल से बात की और सभी को शॉल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित भी किया। सीएम योगी से मुलाकात करने वालों में वरुण शर्मा, प्रवक्ता जयकृत सिंह रावत आदि शामिल रहे।

उत्तरायणी मेले पर प्रदेशभर में किया जाएगा भव्य आयोजन-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तरायणी मेले, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस एवं वीर बाल दिवस की तैयारियों को लेकर बैठक ली।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरायणी मेले में प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। यह मेला संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा देता है। 14 जनवरी को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में सूर्य उपासना के पर्व मनाये जाते हैं। उत्तरायणी मेले का उत्तराखण्ड की संस्कृति में विशेष महत्व है। 14 जनवरी को उत्तरायणी उत्सव का मुख्य आयोजन बागेश्वर में किया जायेगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से भव्य आयोजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तरायणी मेले के महत्व की जानकारी हो और अन्तराष्ट्रीय फलक पर इसे पहचान दिलाने के लिए प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। पंच प्रयागों एवं राज्य के अन्य संगम स्थलों एवं महत्वपूर्ण घाटों पर भी उत्तरायणी के दिन सूर्य उपासना के पर्व का आयोजन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तरायणी पर्व पर सौर ऊर्जा के प्रति जन जागरूकता के लिए इससे सबंधित योजनाएं लांच की जाएंगी। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण पर निबंध एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। बागेश्वर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाए। जिसमें लोक गीत, लोक नृत्य एवं अन्य आयोजन भी किये जाए। इस पर्व पर उत्तराखण्ड की प्रमुख हस्तियों को भी सांस्कृतिक संध्या के लिए आमंत्रित किया जाए। संगमों पर भव्य आरती की व्यवस्था भी की जाए। हस्तशिल्प एवं फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस के अवसर पर प्रदेश में भव्य आयोजन किये जायेंगे। सभी जनपदों में ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा। जिनमें मंत्रीगण एवं अन्य जन प्रतिनिधि भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर वे स्वयं भी ग्राम चौपाल में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्रों का वितरण किया जायेगा। 25 दिसम्बर 2022 से 09 फरवरी 2023 तक प्रमाण पत्रों के वितरण की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस पर सिख समाज के दसवें गुरू, गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों साहिब जादा जोरावर सिंह और साहिब जादा फतेह सिंह के बलिदान दिवस पर राज्य स्तर पर मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जायेगा। जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। प्रदेश के सभी स्कूलों में वीर बाल दिवस मनाया जायेगा।
बैठक में विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, एच.सी.सेमवाल, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

बर्फ पड़ने से पहले दोनों धामों में निर्धारित कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य एवं बद्रीनाथ मास्टर प्लान कार्यों की समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने कहा कि बद्रीनाथ धाम एवं केदारनाथ धाम दोनों में बर्फ पड़ने से पहले पूर्ण किए जाने वाले कार्यों को निर्धारित समयसीमा तक पूर्ण कर लिए जाएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कांट्रेक्टर का पैसा किसी भी हाल में रुकना नहीं चाहिए, कांट्रेक्टर का भुगतान समय पर किया जाए। जो कार्य देर से शुरू हुए हैं या अभी तक शुरू ही नहीं हो पाए हैं, उनकी प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि बद्रीनाथ में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट वर्क्स को अगले सीजन में नदी का जल स्तर बढ़ने से पहले पानी के स्तर से ऊपर तक पूर्ण कर लिया जाए, जिससे बाद में कार्य बाधित न हो। उन्होंने कार्यों में आ रही समस्याओं से उन्हें अवगत कराए जाने के भी निर्देश दिए ताकि समस्याओं का शीघ्र से शीघ्र निस्तारण किया जा सके। उन्होंने कहा कि बर्फबारी के कारण लेबर कम होने से जो समस्याएं आ रही हैं, इसके लिए अन्य राज्यों से भी लेबर की व्यवस्था की जाए, साथ ही पीडब्ल्यूडी अपनी विभागीय लेबर और टेक्निकल लेबर की भी व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि अगली यात्रा शुरू होने से पहले जो कार्य अनिवार्य रूप से पूर्ण होने हैं उन कार्यों पर उपलब्ध लेबर को शिफ्ट कर प्राथमिकता के आधार पर कार्यों को पूर्ण किया जाए।
इस अवसर पर सचिव सचिन कुर्वे सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी एवं विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गंगा तट हुआ गुंजयमान

श्री शत्रुघ्न घाट मुनिकीरेती में आज माँ गंगा की दैनिक आरती से पूर्व भारत एवं इंडोनेशिया सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें दोनों देशों के कलाकारों ने आध्यात्म एवं भारतीय संस्कृति से जुडे विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री शत्रुघ्न मंदिर के महन्त एवं गंगा गौ सेवा समिति के अध्यक्ष महन्त मनोज प्रपन्नाचार्य, इंडोनेशिया बाली शहर में गाँधीपुरी आश्रम के संस्थापक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित इन्दिरा उदयाना, गढभूमि लोक संरक्षण समिति के अध्यक्ष आशाराम व्यास, रमाबल्लभ भट्ट, पतंजलि योग संस्थान मुनिकीरेती की संस्थापिका ऊषा माता ने संयुक्तरुप से दीप प्रज्वलन कर किया। उसके बाद श्री दर्शन महाविद्यालय के छात्रों ने वैदिक मंगलाचरण एवं गणेश वन्दना प्रस्तुत की। उसके पश्चात जर्मनी से मैनफ्रेड एवं क्रिस्टा ने सुन्दर भजन प्रस्तुत किये। पंचाक्षर शिव स्तोत्र पर इंडिया गो टैलेंट की सेमीफाइलिस सुजाता राय ने बहुत सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया। इंडोनेशिया से आये हुए कलाकारों ने चोंडोंग डांस ,चन्द्रावासी डांस एवं योगा आर्ट डांस प्रस्तुत किया। डाँक्टर रीता वत्स ने विष्णु वन्दना एवं शिव वन्दना पर बहुत सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का आनंद सैकड़ों की संख्या में स्थानीय एवं भारत वर्ष के विभिन्न प्रांतों से आये हुए लोगों ने लिया।
महन्त मनोज प्रपन्नाचार्य ने बाताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों की संस्कृति को आदान-प्रदान करना एवं प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने कहा ऋषिकेश आध्यात्मिक नगरी है इस प्रकार के कार्यक्रमों से एक अच्छा संदेश जाता है। आचार्य सुभाष चन्द्र डोभाल के संचालन में चल रहे इस कार्यक्रम में बीना जोशी, पुष्पा ध्यानी, घनश्याम नौटियाल, मनमोहन शर्मा, सुनील कपरुवान, दरम्यान सिंह रावत, सुरेन्द्र भंडारी, मधुलिका द्विवेदी, मनन द्विवेदी, मीना मदवाण, आरती चौहान, राजीव तिवारी, विजय विष्ट, अंजू गैरोला, विश्वेश्वरी उनियाल, हरि चरण सिंह, विनोद बडथ्वाल सहित आरती के सभी आचार्यों सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के बाद माँ गंगा की होने वाली दैनिक भव्य आरती सम्पन्न हुई।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद, मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं

भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम की कपाट बंदी के साथ ही चारधाम यात्रा का भी विधिवत समापन हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर देश-विदेश के तमाम श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए यात्रा के सफल संचालन हेतु तमाम विभागों का भी आभार प्रकट किया है।
गौरतलब है कि इस बार रिकॉर्ड साढ़े छियालीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चारधामों के दर्शन किये। अकेले 17 लाख 60 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर पुण्य कमाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री चारधामों के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस बार रिकॉर्ड यात्रियों का चारधाम की यात्रा पर आना यह भी परिलक्षित करता है कि राज्य सरकार द्वारा की गई बेहतर व्यवस्थाओं के चलते संभव हो सका है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में वर्तमान में श्री केदारनाथ धाम एवं श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आने वाले यात्राकाल में तीर्थयात्रियों एवं आम जनमानस को पर्याप्त सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हालिया दौरे के दौरान केदारनाथ धाम एवं हेमकुंड धाम के लिए रोपवे की आधारशिला रखी है जिससे आने वाले दिनों में यह दोनों यात्राएं न केवल सुगम बल्कि सुरक्षित हो सकेंगी। मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं में जुटे रहे तमाम विभागों के कार्मिकों का भी आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के बीच बेहतर सामंजस्य एवं स्थानीय लोगों की भागीदारी से ही कुशलता पूर्वक यात्रा संभव हो सकी है।